प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यपालों को परिवर्तन के अग्रदूतों की संज्ञा देते हुए आज कहा कि उनका विशेष प्रभाव विकासशील राज्यों में खासा योगदान दे सकता है। वे आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने माननीय राज्यपालों के एक जगह एकत्रित होने के अवसर को ऐसा विशिष्ट सम्मेलन बताया जिसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व कैबिनेट मंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व सेना अधिकारी और पूर्व वरिष्ठ प्रशासकों जैसी हस्तियां मौजूद हैं।
श्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार की प्रमुख नीतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें चहुंमुखी आर्थिक विकास की ओर ले जाने वाली बताया। उन्होंने कहा कि सरकार 'वन साईज फिट्स ऑल' यानि हर बात के लिए एक तरह की नीति वाले मॉडल से अलग हटकर अब नीति आयोग के माध्यम से सहकारी प्रतियोगी संघवाद की तरह काम कर रही है।
सुरक्षा परिदृष्य का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में फैलते उग्रवाद और आतंकवाद तथा उसके भारत में आतंकी गतिविधियों के जुड़ते तारों को सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि नियंत्रण सीमा पर उलंघन लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सीमा पार घुसपैठ से निपटने के लिए बहुआयामी तरीके अपनाए हैं। उन्होंने वामपंथी उग्रवादग्रस्त राज्यों से उग्रवाद की समस्या से निपटने के लिए समन्वयवादी नज़रिया अपनाने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी अवसंरचनाओं की कमी दूर करने पर जो दिया ताकि क्षेत्र की क्षमता का पूर्ण उपयोग हो और पूर्वोत्तर क्षेत्र टीम इंडिया के हिस्से के रूप में कंधा से कंधा मिलाकर चले।
प्रधानमंत्री ने जनजातीय विकास की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात में 2007 में शुरू की गई वन बंधु कल्याण योजना का जिक्र किया। उन्होंने जनजातीय लोगों को स्थाई रोजगार देने, अवसंरचना संबंधी कमियां दूर करने तथा शिक्षा में सुधार, मानव संसाधन विकास तथा जनजातीय समुदाय की जीवन शैली में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना, एलपीजी सब्सिडी का प्रत्यक्ष अंतरण लाभ, डिजिटल इंडिया मिशन, मेक इन इंडिया मिशन, कौशल विकास और पुराने कानूनों की समाप्ति जैसे केन्द्र सरकार के हाल के कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं और इस रुप में राज्यपालों को स्वच्छ भारत बनाने के काम में युवाओं और उनके परिजनों को प्रेरित करना चाहिए।