मैं यह जानने के लिए आया हूं कि नैतिक शिक्षा, आधुनिकता और अऩुशासन को किस प्रकार भारतीय शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सकता है- प्रधानमंत्री
एशियाई देशों को एक दूसरे की भाषाओं और मूल्यों को सीखना चाहिए ताकि इस सदी को मानवता के लिए अधिक उपयोगी बनाया जा सके- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज टोक्यो मे ताइमेई एलिमेन्ट्री स्कूल का दौरा किया। जापान की एलमेन्ट्री और माध्यमिक शिक्षा प्रणाली पर एक प्रजेन्टेशन के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि 136 वर्ष पुराने इस स्कूल में मैं छात्र के रूप में यह सीखने आया था कि किस प्रकार नैतिक शिक्षा, आधुनिकता और अनुशासन को जापानी शिक्षण प्रणाली में सम्मिलित किया गया है और भारत में इन्हें कैसे अपनाया जा सकता है। उन्होंने मूल्यांकन और परीक्षा के तरीकों को भी समझा कि कैसे माता-पिता को बच्चे की शिक्षा में शामिल किया जाता है और स्कूल का पाठ्यक्रम किस प्रकार तैयार किया जाता है।
जापान के शिक्षा,संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी उपमंत्री श्री मिकावा किहाई, और ताइमेई एलिमेन्ट्री स्कूल के अध्यापकों के साथ बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा विश्व 21वीं सदी को एशिया की सदी के रूप में स्वीकार करता है और अपने आप को पूरी तरह तैयार करने के लिए एशियाई देशों को एक-दूसरे की भाषा और मूल्यों को समझना चाहिए ताकि यह सदी मानवता के लिए अधिक उपयोगी बन सके। उन्होंने कहा कि भारत में जापानी भाषा को एक भाषा विकल्प के रूप में शुरू किया है लेकिन भारत में इसके अध्यापकों की कमी है। उन्होंने जापानी भाषा को ऑन लाइन सिखाने की शुरूआत करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान में भारतीय भाषाएं भी शुरू की जा सकती हैं और ऐसे आदान-प्रदान से इस सदी में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1923 में इसी दिन ताइमेई एलिमेन्ट्री स्कूल भूकम्प में नष्ट हो गया था लेकिन इसे फिर से अच्छी तरह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें 2001 में गुजरात में आये भूकंप की याद है कि किस प्रकार उस घटना में अंजार गांव के स्कूल में 400 बच्चों की मौत हो गयी थी।
प्रधानमंत्री एक संगीत कक्षा में भी गये जहां बच्चों ने एक गीत गाया और संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।