महा-शिवरात्रि अंधकार और अन्याय को खत्म करने के उद्देश्य के साथ देवत्व के मिलन का प्रतीक है: प्रधानमंत्री
योग प्राचीन है लेकिन अभी तक आधुनिक है, यह स्थिर है लेकिन अभी भी विकसित हो रहा है: प्रधानमंत्री
योग के अभ्यास से, एकता की भावना पैदा होती है - मन, शरीर और बुद्धि की एकता: श्री मोदी
हमारा मन हमेशा सभी पक्षों के नए विचारों के समावेशित करने के लिए खुला होना चाहिए: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मानवता की प्रगति महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना अधूरा है: श्री मोदी
तनाव का बोझ काफी कष्टदायी होता है और तनाव से मुक्ति का सबसे बेहतर हथियार योग ही है: श्री मोदी
योग स्वस्थता की एक कुंजी है, यह बीमारियों के एक इलाज से ज्यादा कल्याण का एक साधन है: मोदी
योग व्यक्ति को विचार, कार्य, ज्ञान और भक्ति के संयोग से एक बेहतर इंसान बनाता है: प्रधानमंत्री
योग में शांति, करुणा, भाईचारे के एक नए युग का सूत्रपात करने की क्षमता है: प्रधानमंत्री

सभी को मेरा प्यार भरा अभिवादन। 

इस शानदार सभा में होना मेरे लिए सम्मान की बात है। 

वह भी, महा-शिवरात्रि के शुभ-अवसर पर।

यहां कई त्यौहार होते हैं लेकिन यह एकमात्र त्यौहार है जिसके आगे महा लगा है।

इसी तरह, देव तो कई हैं लेकिन महादेव एक ही हैं।

यहां कई मंत्र हैं, लेकिन वह मंत्र जिसकी पहचान भगवान शिव से है, उसे महा-मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है।

यही तो भगवान शिव की महिमा है।

महा-शिवरात्रि एक उद्देश्य के साथ देवत्व के मिलन, अंधकार और अन्याय पर निंयत्रण पाने की प्रतीक है।

यह हमें साहसी बनने और भलाई के लिए लड़ने की प्रेरणा देती है।

यह ठंड से सुंदर वसंत और कांति की ओर ऋतु परिवर्तन की प्रतीक है।

महा-शिवरात्रि का उत्सव पूरी रात चलता है। यह जागरण की भावना का प्रतीक है - ताकि हम अपनी प्रकृति की रक्षा कर सकें और हमारी गतिविधियों को हमारे पारिस्थितिक परिवेश के साथ-साथ ढाल सकें। 

मेरा गृह राज्य गुजरात सोमनाथ की धरती है। लोगों का बुलावा और काशी की सेवा की ललक मुझे विश्वनाथ की धरती पर ले गई।

सोमनाथ से विश्वनाथ, केदारनाथ से रामेश्वरम और काशी से कोयंबटूर, जहां हम एकत्रित हुए हैं,  हर ओर भगवान शिव हैं।

देश के कोने-कोने में करोड़ों भारतीयों की तरह, मैं भी महा-शिवरात्रि के उत्सव का हिस्सा बनकर आनंदित महसूस कर रहा हूं।

और हम इस समुद्र में बूंद की तरह हैं।

सदियों से हर समय और काल में अनगिनत भक्त रहे हैं।

वे अलग-अलग जगहों से आते रहे हैं।

उनकी भाषा भले ही अलग-अलग हो सकती है लेकिन परमात्मा के लिए उनकी चाह हमेशा एक जैसी रही है।

इस स्पंदन की चाह प्रत्येक मानव के हृदय के मूल में रही है। उनकी कविता, उनका संगीत, उनका प्यार पृथ्वी में रच-बस गया है।

यहां आदियोगी और योगेश्वर लिंगा की 112 फीट की प्रतिमा के आगे खड़े होकर हम एक ऐसी उपस्थिति को महसूस कर रहे हैं, जो हम पर आच्छादित हो रही है।

आने वाले समय में, यह स्थान जहां हम सब एकत्रित हुए हैं, सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा। यह सत्य की खोज और खुद को तल्लीन कर देने वाला स्थान होगा।

ये स्थान सबको शिवमय होने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

आज, योग ने एक लंबा सफर तय किया है।

योग की विभिन्न परिभाषाएं, प्रकार और स्कूल हैं। योग अभ्यास के कई तरीके सामने आए हैं।

योग की एक खूबसूरती है - यह प्राचीन है, अभी तक आधुनिक है, इसमें निरंतरता है और यह अब भी विकसित हो रहा है।

योग का सार नहीं बदला है।

और मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इसके सार को संरक्षित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अन्यथा, योग की आत्मा और सार को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें एक नए योग की खोज करनी पड़ सकती है। योग जीव से शिव की ओर परिवर्तित करने वाला एक उत्प्रेरक कारक है।

हमारे यहां कहा गया है - यत्र जीवः तत्र शिवः

जीव से शिव की यात्रा, यही तो योग है।

योग के अभ्यास से एकता की भावना पैदा होती है - मन, शरीर और बुद्धि की एकता।

हमारे परिवारों की एकता, उस समाज की एकता, जिसमें हम रहते हैं,  साथी मानवों के साथ, सभी पक्षियों, जानवरों और पेड़ों के साथ, उन सभी के साथ जिनके साथ हम इस खूबसूरत ग्रह में रहते हैं। ...यही योग है।

योग ‘मैं’ से ‘हम’ की यात्रा है।

ये यात्रा व्यक्ति से समस्ती तक है। ‘मैं’ से ‘हम’ तक की यह अनुभूति, अहम से वयम तक का यह भाव-विस्तार, यही तो योग है।

भारत अद्वितीय विविधताओं वाला देश है। भारत की विविधता को देखा, सुना, महसूस किया, छुआ और चखा जा सकता है।

यही विविधता भारत की सबसे बड़ी शक्ति है और भारत को एक करती है। 

शिव के बारे में सोचने पर जो चित्र मन में उभरता है, वह विशाल हिमालय में कैलाश पर उनकी भव्य मौजूदगी है। पार्वती के बारे में सोचने पर हम सुंदर कन्याकुमारी का स्मरण करते हैं, जो विशाल समुद्र से घिरा है। शिव और पार्वती का मिलन,  हिमालय और समुद्र का मिलन है।

शिव और पार्वती....यह अपने आप में ही एकता का संदेश है।

और देखिए, एकता का यह संदेश आगे कैसे प्रकट होता हैः

भगवान शिव के गले पर सांप लिपटा होता है। भगवान गणेश का वाहन चूहा है। आप सभी सांप और चूहे के रूखे संबंधों से भलिभांति परिचित हैं, लेकिन ये एक साथ रहते हैं।

इसी तरह, कार्तिकेय का वाहन मोर है। मोर और सांप की दुश्मनी जगजाहिर है, फिर भी, सभी साथ रहते हैं।

भगवान शिव के परिवार में विविधता है, पर इसमें सद्भाव और एकता की भावना अभी तक जीवंत है।

विविधता हमारे लिए संघर्ष का एक कारण नहीं है। हमें इसे स्वीकार करना होगा और इसे पूरे मन से अपनाना होगा।

यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां कहीं भी देवता अथवा देवी होते हैं, उनके साथ एक पशु, पक्षी अथवा वृक्ष जुड़ा होता है।

इन पशु, पक्षी अथवा वृक्ष की पूजा उसी भावना से की जाती है, जिस तरह देवी अथवा देवता की पूजा की जाती है। प्रकृति के लिए श्रद्धा की भावना मन में बैठाने का इससे बेहतर माध्यम नहीं हो सकता। प्रकृति देवताओं के समान है, इसे हमारे पूर्वजों द्वारा दृढ़ता से स्थापित किया गया है, यह उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।

हमारे शास्त्रों का कहना हैः एकमसत, विप्राः बहुधा वदन्ति।

सत्य एक है, संत इसे अलग-अलग तरह से कहते हैं।

हम बचपन से इन्हीं गुणों के साथ रह रहे हैं और यही कारण है कि दया, करुणा, भाईचारा और सद्भाव स्वभाविक रूप से हमारा एक हिस्सा है।

हमने उन मूल्यों को देखा है जिनके लिए हमारे पूर्वज जिए और मरे हैं।

यही वो गुण हैं जिन्होंने भारतीय सभ्यता को सदियों से जीवित रखा है।

हमारे मस्तिष्क को हमेशा हर ओर से आने वाले नए विचारों और आइडिया के लिए तैयार रहना चाहिए। दुर्भाग्यवश, कुछ ऐसे लोग हैं जो अपनी अज्ञानता को छिपाने के चक्कर में, अत्यंत कठोर दृष्टिकोण रखते हैं और नए अनुभवों एवं विचारों के स्वागत की किसी भी गुंजाइश को नष्ट कर देते हैं।

आइडिया को केवल इसलिए खारिज कर दिया जाता है क्योंकि यह प्राचीन है और हानिकारक हो सकता है। इसका विश्लेषण करना, इसे समझना और इसे इस तरह से नई पीढ़ी के पास ले जाना आवश्यक है, जिससे वे अच्छी तरह समझ सकें।

मानवता की प्रगति महिलाओं सशक्तिकरण के बिना अधूरी है। मुद्दा महिलाओं के विकास का नहीं रह गया है, यह महिलाओं के नेतृत्व में विकास का है।

मैं इस तथ्य पर गर्व करता हूं कि हमारी संस्कृति में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका है।

हमारे संस्कृति में कई देवियां हैं, जिनकी हम आराधना करते हैं।

भारत कई महिला संतों का घर है, जिन्होंने सामाजिक सुधार के आंदोलनों का नेतृत्व किया है। चाहे यह उत्तर हो या दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम।

वे लकीर की फकीर नहीं रहीं। उन्होंने बाधाओं को तोड़ा और नया चलन अपनाने वाली बनीं।

आपकी यह जानने में दिलचस्पी होगी कि हम कहते हैं - नारी तू नारायणी, नारी तू नारायणी।

लेकिन पुरुष के लिए क्या कहते हैं - नर तू करनी कर तो नारायण हो जाए।

क्या आपने अंतर पर गौर किया। महिलाओं की  दिव्य स्थिति बिना शर्त है.. नारी तू नारायणी। वहीं पुरुषों के लिए... यह सशर्त है। वह इसे अच्छे कर्मों से पा सकता है।


यही कारण है शायद, सद्गगुरु का जोर जगतजननी बनने की शपथ लेने पर होता है। एक मां ही होती है, जो बिना शर्त समावेशी होती है।


21वीं शताब्दी की बदलती जीवन शैली की अपनी चुनौतियां हैं।


जीवन शैली से संबंधित रोग, तनाव से संबंधित बीमारियां आम होती जा रही हैं। संक्रामक बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन गैर-संक्रामक रोगों का क्या होगा?


जब मैं पढ़ता हूं कि लोगों का मन अशांत है, वे मादक द्रव्यों और शराब का सेवन कर रहे हैं तो इससे मुझे अत्यंत पीड़ा होती है। इसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।


आज समूचा विश्व शांति चाहता है, यह शांति न सिर्फ युद्ध और संघर्ष की है, बल्कि मन की भी है।

तनाव का बोझ बहुत भारी होता है और योग तनाव से मुक्ति पाने का सबसे कारगर हथियार है।

इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि योग तनाव और पुरानी स्थितियों से बाहर आने में मददगार होता है। यह शरीर मन का मंदिर है तो योग इस सुंदर मंदिर का निर्माण करता है। 

यही कारण है कि मैं योग को स्वास्थ्य बीमा का पासपोर्ट कहता हूं। बीमारियों का इलाज होने से ज्यादा यह कल्याण का साधन है। 

योग रोग मुक्ति (रोगों से छुटकारा) के साथ-साथ भोग मुक्ति (सांसारिक लालच से परहेज) भी है। 

योग व्यक्ति को विचार, कार्य, ज्ञान एवं भक्ति में एक बेहतर इंसान बनाता है। 

योग को केवल एक ऐसे अभ्यास के रूप में देखना अनुचित होगा, जो शरीर को फिट रखता है। 

आप कई लोगों को फैशनेबल अंदाज में अपने शरीर को मोड़ते और घुमाते हुए देखते हैं। लेकिन वे सभी योगी नहीं होते। 

योग शारीरिक अभ्यास से कहीं ज्यादा आगे है। 

योग के माध्यम से, हम एक नए युग का सृजन कर सकते हैं – एकजुटता और सौहार्द का युग। 

जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विचार रखा, तो इसका बांह फैलाकर स्वागत किया गया। 

विश्व ने 21 जून 2015 और 2016, दोनों ही बार योग दिवस को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया।  

चाहे यह कोरिया हो कनाडा, स्वीडन हो या दक्षिण अफ्रीका, दुनिया के हर हिस्से में योगियों ने उगते हुए सूरज की किरणों का स्वागत किया, योग अभ्यास किया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कई देशों का एक साथ आना योग की एकजुटता की वास्तविक प्रकृति को दर्शाता है। 

योग में एक नए युग का सूत्रपात करने की संभावना है- शांति, करुणा, भाईचारे और मानव जाति के सर्वांगीण विकास का युग। 

सद्गुरु ने वास्तव में एक उल्लेखनीय कार्य किया है, उन्होंने साधारण और आम लोगों को योगी बना दिया है। ऐसे लोग जो अपने परिवार के साथ रहते हैं और दुनिया भर में काम करते हैं लेकिन जो अपने अंदर उच्चता का जीवन जी रहे हैं। दैनिक आधार पर प्रचंड और अद्भुत अनुभव से गुजरते हैं। किसी भी स्थिति में जो एकसमान रहे, वह एक योगी ही हो सकता है। 

मैंने यहां कई चमकदार और प्रसन्नचित्त चेहरे देखे। मैंने लोगों को छोटी से छोटी चीजों पर सावधानी बरतते हुए अत्यंत प्यार और देखभाल के साथ काम करते देखा। मैंने देखा कि एक बड़े उद्देश्य के लिए लोग अत्यंत ऊर्जा और उत्साह के साथ खुद को आगे कर रहे हैं। 

आदियोगी कई पीढ़ियों को योग के लिए प्रेरित करेंगे। मैं हम तक इसे लाने के लिए सद्गुरू का आभार जताता हूं। 

धन्यवाद, बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रणाम, वाणकम।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।