प्रधानमंत्री ने नेपाल को उसके विकास कार्यक्रमों में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया
तीन समझौतों पर हस्ताक्षर
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नेपाल के प्रधानमंत्री श्री सुशील कोइराला के साथ बैठक की। दोनों पक्षों के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता भी हुई।
श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा ‘सबका साथ, सबका विकास’ भारत के पड़ोसियों के लिये भी प्रासंगिक है।
विकास के क्रम में बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दिये जाने की जरूरत पर बल देते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास मजबूत बनाया जाना चाहिये।
उन्होंने बलपूर्वक कहा कि भारत, नेपाल की संप्रभुता का सम्मान करता है। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि नेपाल में संविधान निर्माण की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी।
नेपाल के प्रधानमंत्री श्री सुशील कोइराला ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि दोनों देशों को परस्पर विश्वास और भरोसे के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये। उन्होंने विकास से जुड़ी कई परियोजनाओं में भारत की सहायता मांगी। उन्होंने कहा कि विकास के लिए शांति और स्थायित्व जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के लक्ष्य की सराहना की।
बाद में, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में भारत और नेपाल की बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।
· पंचेश्वर विकास प्राधिकरण की स्थापना के लिए समझौता
· घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर
· दूरदर्शन और नेपाल टीवी के बीच सहयोग
भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा के अवसर पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
नेपाल के प्रधानमंत्री श्री सुशील कोइराला द्वारा आयोजित भोज में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी
आज नेपाल की जनता ने यह दर्शा दिया कि उनके मन में हमारे और भारत के लोगों के लिए कितना स्नेह है। काठमांडू में अनेक स्थानों पर लोगों ने इसी गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया। इससे भारत के लोगों के प्रति उनके मन में कायम स्नेह की झलक मिलती है।
मैंने यह भी महसूस किया कि नेपाल नई उम्मीद और ऊर्जा के साथ विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है।
लोकतंत्र के लिए श्री सुशील कोइराला का संघर्ष सभी के लिए प्रेरणा है।
हमारे दरवाजे खुले हुए है, मैं 1950 की संधि की समीक्षा के लिए आपकी ओर से किसी भी सुझाव को आमंत्रित करता हूं, अगर आप ऐसा चाहते हैं।