"“It is time to fulfil the promises we made to the nation”"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के नागरिकों ने एक साफ-सुथरी सरकार को चुनकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी है और अब भाजपा की बारी है कि वो राष्ट्र की सभी आकांक्षाओं को पूरा करे। प्रधानमंत्री नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

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इस बैठक में श्री अमित शाह को भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का अनुमोदन भी किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “लोकसभा चुनाव में मिली जीत एक सामूहिक प्रयास का नतीजा थी। राजनाथ जी हमारी टीम के कप्तान थे और श्री अमित शाह मैन ऑफ दि मैच थे।श्री शाह के बिना भाजपा उत्तर प्रदेश में जीत दर्ज नहीं कर पाती।”प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि श्री अमित शाह पार्टी द्वारा उन्हें दी गई जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाएंगे।

श्री मोदी ने 16वीं लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की भूमिका का उल्लेख भी किया।

चुनाव अभियान की शुरुआत से लेकर भारत के प्रधानमंत्री का पद भार संभालने तक अपनी पूरी यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा, “ये चुनाव राजनीतिक पंडितों के लिए काफी कठिन थे। उन्होंने शुरुआत में कहा- गुजरात के बाहर मोदी को कौन जानता है। लेकिन लोग हमें समर्थन देने के मूड में थे। लोगों ने अपना काम कर दिया है, अब हमारी बारी है।”

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उन्होंने आगे कहा,“शुरुआत में बदलाव की बयार को स्वीकार करना कठिन था, लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा था कि देश चल पड़ा है।”

श्री मोदी ने कहा,“सत्ता में आने के बाद हमारा काफी समय सफाई में और कार्य संस्कृति बदलने में गया। अपने कार्यालय में सकारात्मक 60 दिन के बाद हमारा विश्वास बढ़ गया है। ये एक सच्चाई है कि बहुमत वाली सरकार ने हमें निर्णय लेने के अवसर दिये हैं। आज भारत के प्रति दुनिया की नज़र बदल गई है। मुझे भरोसा है कि बड़े स्तर पर लोग भी इस बात का अनुभव करेंगे।”

श्री मोदी ने कहा कि चुनाव में मिली इस जीत से पार्टी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्होंने पार्टी में चौतरफा वृद्धि करने की जरूरत का उल्लेख किया। इतने बड़े देश में सिर्फ एक पीएम से काम नहीं चल सकता। हमें प्रत्येक पोलिंग बूथ पर 100-200 पीएम चाहिए। पीएम से उनका आशय पार्टी के प्राथमिक सदस्य (प्राइमरी सेंबर्स) से था। अगर पार्टी प्रत्येक साल किसी एक सामाजिक मुद्दे को उठाए तो इससे फायदा मिलेगा। उदाहरण के लिए अगले साल को ऊर्जा संरक्षण वर्ष के रूप में मनाइए। उन्होंने कहा, “इस तरह न सिर्फ आप अपने की देश की सेवा करेंगे, बल्कि जागरुकता फैलाने में भी मदद मिलेगी।”

भारतीय जनता पार्टी के लिए ये एक नई पहचान बनाने का वक्त है। ये एजेंडा राजनीति से ऊपर है और मुझे उम्मीद है कि पार्टी अध्यक्ष मेरे सुझावों पर ध्यान देंगे।

डब्ल्यूटीओ में भारत के रुख पर उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने खाद्य सुरक्षा के नाम पर वोट मांगा, वो अपने एजेंडे से भटक गए। हमने गरीब की सेवा का फैसला किया। और डब्ल्यूटीओ समझौता इस उद्देश्य से भटकाने वाल है। मैंने चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं, लेकिन दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्पष्ट किया कि देश के किसी भी हिस्से में हिंसा की छोड़ी सी घटना को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। देश में सांप्रदायिक सद्भाव, शांति, एकता और भाईचारा होना चाहिए। उन्होंने कहा,“हमें देश को आगे ले जाना होगा और इसके साथ ही देशवासी भी आगे बढ़ेंगे।”

अपने समापन संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम अंत्योदय में विश्वास करते हैं। हम सत्ता में हों या विपक्ष में हमारा मंत्र है कि कतार के सबसे अंतिम व्यक्ति की मदद करना। हमें लोगों की सुखी सुनिश्चित करने के लिए काम करते रहना होगा। सहभागितापूर्ण लोकतंत्र की कुंजी सबका साथ, सबका विकास है।”

इस अवसर पर श्री लाल कृष्ण आडवाणी, श्री राजनाथ सिंह, श्री सतीश उपाध्याय जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।

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भारत-श्रीलंका संयुक्त वक्तव्य: साझा भविष्य के लिए साझेदारी को बढ़ावा
December 16, 2024

16 दिसंबर 2024 को भारत की राजकीय यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायका की भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक में व्यापक और लाभदायक चर्चा हुई।

2. दोनों नेताओं ने इस बात की पुष्टि की, कि भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्तों, भौगोलिक निकटता और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है।

3. राष्ट्रपति दिसानायका ने 2022 में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौरान और उसके बाद श्रीलंका के लोगों को भारत द्वारा दिए गए मजबूत समर्थन की गहरी सराहना की। उन्होंने समृद्ध भविष्य, अधिक अवसरों और निरंतर आर्थिक विकास की श्रीलंकाई जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी गहन प्रतिबद्धता को याद करते हुए, इन उद्देश्यों की प्राप्ति में भारत के निरंतर समर्थन की आशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की 'पड़ोसी प्रथम' नीति और 'सागर' दृष्टिकोण में श्रीलंका के विशेष स्थान को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति दिसानायका को इस संबंध में भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।

4. दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ हुए हैं और इसका श्रीलंका के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दोनों नेताओं ने आगे सहयोग की संभावना पर जोर देते हुए भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की ताकि दोनों देशों के लोगों की भलाई के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापक साझेदारी हो सके ।

राजनीतिक आदान-प्रदान

5. दोनों नेताओं ने पिछले दशक में राजनीतिक वार्ताओं में हुई वृद्धि और द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए नेतृत्व और मंत्री स्तर पर राजनीतिक सहभागिता और तेज करने पर सहमति व्यक्त की।

6. दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और संस्थागत कामकाज पर अपनी सर्वोत्तम विशेषज्ञता साझा करने के लिए नियमित रूप से संसदीय स्तर के आदान-प्रदान के महत्व पर भी जोर दिया।

विकास संबंधी सहयोग

7. दोनों नेताओं ने श्रीलंका में विकास के लिए सहयोग में भारत की प्रभावशाली भूमिका की पुष्टि की। श्रीलंका के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रपति दिसानायका ने मौजूदा ऋण पुनर्गठन के बावजूद परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत के निरंतर समर्थन की सराहना की। उन्होंने उन परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता बढ़ाने के भारत के निर्णय को भी स्वीकृति दी जो मूल रूप से ऋण सहायता के माध्यम से शुरू की गई थी। इससे श्रीलंका पर ऋण का भार कम हो गया।

8. जनोन्मुखी विकास साझेदारी को और अधिक तीव्र बनाने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, दोनों नेताओं ने इन बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की:

i. भारतीय आवास परियोजना के चरण III और IV, 3 (तीन) द्वीप हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना और श्रीलंका भर में उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं जैसी चालू परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए मिलकर काम करना;

ii. भारतीय मूल के तमिल समुदाय, पूर्वी प्रांत और श्रीलंका में धार्मिक स्थलों के सौर विद्युतीकरण के लिए परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन की दिशा में पूर्ण समर्थन प्रदान करना;

iii. श्रीलंका सरकार की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार विकास साझेदारी के लिए नई परियोजनाओं और सहयोग के क्षेत्रों की पहचान।

प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण

9. दोनों नेताओं ने क्षमता निर्माण में श्रीलंका को सहायता प्रदान करने में भारत की भूमिका पर बल देते हुए और श्रीलंका में विभिन्न क्षेत्रों में उपयुक्त प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए:

i. भारत में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के माध्यम से पांच वर्षों की अवधि में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 1500 श्रीलंकाई सिविल सेवकों के लिए केंद्रित प्रशिक्षण आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की; और

ii. श्रीलंका की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अन्य क्षेत्रों के अलावा नागरिक, रक्षा और विधिक क्षेत्रों में श्रीलंकाई अधिकारियों के लिए और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अवसरों की तलाश करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

ऋण पुनर्गठन

10. राष्ट्रपति दिसानायका ने आपातकालीन वित्तपोषण और 4 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा सहायता सहित अद्वितीय और बहुआयामी सहायता के माध्यम से श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में भारत के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में भारत की महत्वपूर्ण सहायता पर आभार व्यक्त किया, जिसमें भारत ने आधिकारिक ऋणदाता समिति (OCC) के सह-अध्यक्ष के रूप में समय पर ऋण पुनर्गठन चर्चाओं को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मौजूदा ऋणों के तहत पूरी की गई परियोजनाओं के लिए श्रीलंका से देय भुगतानों का निपटान करने के लिए 20.66 मिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय सहायता देने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया, जिससे गंभीर समय पर ऋण का बोझ काफी कम हो गया। श्रीलंका के साथ घनिष्ठ और विशेष संबंधों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने जरूरत के समय और आर्थिक सुधार और स्थिरता तथा अपने लोगों की समृद्धि के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया। दोनों नेताओं ने अधिकारियों को ऋण पुनर्गठन पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर चर्चा को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।

11. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि विभिन्न क्षेत्रों में ऋण-संचालित मॉडल से निवेश-आधारित भागीदारी की ओर रणनीतिक बदलाव श्रीलंका में आर्थिक सुधार, विकास और समृद्धि के लिए एक अधिक स्थायी मार्ग सुनिश्चित करेगा।

संपर्क का निर्माण

12. दोनों नेताओं ने अधिक संपर्क के महत्व का उल्लेख किया और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के एक-दूसरे के पूरक होने की बात स्वीकार की जिसका उपयोग दोनों देशों के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए किया जा सकता है। इस संबंध में:

i. नागपट्टिनम और कांकेसंथुराई के बीच यात्री नौका सेवा की बहाली पर संतोष व्यक्त करते हुए, वे इस बात पर सहमत हुए कि अधिकारियों को रामेश्वरम और तलाईमन्नार के बीच यात्री नौका सेवा की शीघ्र बहाली की दिशा में काम करना चाहिए।

 ii. श्रीलंका में कांकेसंथुराई बंदरगाह के पुनर्वास पर संयुक्त रूप से काम करने की संभावना का पता लगाना, जिसे भारत सरकार की अनुदान सहायता से कार्यान्वित किया जाएगा।

 ऊर्जा विकास

13. दोनों नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए टिकाऊ, सस्ती और समय पर ऊर्जा संसाधनों की आवश्यकता पर बल देते हुए ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने और भारत और श्रीलंका के बीच चल रही ऊर्जा सहयोग परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन की दिशा में सुविधा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में दोनों नेताओं ने इन बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की:

 i. सामपुर में सौर ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाए जाएं और श्रीलंका की आवश्यकताओं के अनुसार इसकी क्षमता को और बढ़ाया जाए।

ii. कई प्रस्तावों पर विचार जारी रखा जाए जो चर्चा के विभिन्न चरणों में हैं, इनमें शामिल हैं:

(ए) भारत से श्रीलंका को एलएनजी की आपूर्ति।

(बी) भारत और श्रीलंका के बीच उच्च क्षमता वाले पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना

(सी) सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की आपूर्ति के लिए भारत से श्रीलंका तक बहु-उत्पाद पाइपलाइन के लिए भारत, श्रीलंका और यूएई के बीच सहयोग

(घ) जीव-जंतुओं और वनस्पतियों सहित पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए पाक जलडमरूमध्य में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का संयुक्त विकास।

14. दोनों नेताओं ने त्रिंकोमाली टैंक फार्मों के विकास में चल रहे सहयोग को स्वीकृति देते हुए त्रिंकोमाली को क्षेत्रीय ऊर्जा और औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने में समर्थन देने का निर्णय किया।

जन-केंद्रित डिजिटलीकरण

15. राष्ट्रपति दिसनायका ने जन-केंद्रित डिजिटलीकरण में भारत के सफल अनुभव को स्वीकार करते हुए भारतीय सहायता से श्रीलंका में इसी तरह की प्रणालियों की स्थापना की संभावना तलाशने में अपनी सरकार की रुचि से अवगत कराया। भारत में जन-केंद्रित डिजिटलीकरण ने शासन में सुधार, सेवा वितरण में बदलाव, पारदर्शिता की शुरुआत और सामाजिक कल्याण में योगदान में मदद की है। प्रधान मंत्री मोदी ने इस संबंध में श्रीलंका के प्रयासों को पूरी तरह से समर्थन देने के लिए भारत की तैयारी से अवगत कराया। इस संदर्भ में दोनों नेता निम्नलिखित बिन्दुओं पर सहमत हुए:

i . जनता को सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने में सुधार के प्रयासों में देश की सहायता के लिए श्रीलंका विशिष्ट डिजिटल पहचान (एसएलयूडीआई) परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाना;

ii. भारत की सहायता से श्रीलंका में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को पूरी तरह से लागू करने के लिए सहयोग।

iii. भारत के पूर्व के अनुभव और प्रणालियों के आधार पर श्रीलंका में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) से जुड़े कार्यों के कार्यान्वयन की संभावना तलाशने के लिए संयुक्त कार्य समूह की स्थापना करना, जिसमें श्रीलंका में डिजिलॉकर के कार्यान्वयन पर चल रही तकनीकी चर्चाओं को आगे बढ़ाना शामिल है।

iv. दोनों देशों के लाभ के लिए और दोनों देशों की भुगतान प्रणालियों से संबंधित नियामक दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यूपीआई (UPI) डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ाकर डिजिटल वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देना।

v. श्रीलंका में समकक्ष प्रणालियों की स्थापना के लाभों की खोज करने के उद्देश्य से भारत के आधार मंच, जीईएम पोर्टल, पीएम गति शक्ति डिजिटल प्लेटफॉर्म, डिजिटलीकृत सीमा शुल्क और अन्य कराधान प्रक्रियाओं से सीख लेने के लिए द्विपक्षीय आदान-प्रदान जारी रखना।

शिक्षा और प्रौद्योगिकी

16. श्रीलंका में मानव संसाधन विकास में सहायता और नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, दोनों नेताओं ने इन बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की:

कृषि, जलीय कृषि, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सहयोग का विस्तार करने का प्रयास करना।
दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग की तलाश करना।
स्टार्ट-अप इंडिया और श्रीलंका की सूचना संचार प्रौद्योगिकी एजेंसी (ICTA) के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, जिसमें श्रीलंकाई स्टार्ट-अप के लिए मेंटरशिप भी शामिल है।
व्यापार और निवेश सहयोग

17. दोनों नेताओं ने भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (आईएसएफटीए) से दोनों देशों के बीच व्यापार साझेदारी में वृद्धि की सराहना की है। उन्होंने स्वीकार किया कि व्यापार संबंधों का और विस्तार करने की अपार संभावनाएं हैं। भारत में आर्थिक विकास की गति और अवसरों के साथ-साथ बढ़ते बाजार के आकार और श्रीलंका के लिए व्यापार और निवेश को बढ़ाने की इसकी क्षमता पर जोर देते हुए, दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि अब निम्नलिखित बिन्दुओं पर प्रतिबद्धता से व्यापार साझेदारी को और बढ़ाने का अवसर है:

i. आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौते पर चर्चा जारी रखना।

ii. दोनों देशों के बीच भारतीय रुपये और श्रीलंकाई मुद्रा (INR-LKR) में व्यापार समझौतों को बढ़ाना।

iii. श्रीलंका की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए वहां के प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करना।

 18. दोनों नेताओं ने प्रस्तावित द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौते को जल्द अंतिम रूप देने के लिए चर्चा जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।

कृषि एवं पशुपालन

19. दोनों नेताओं ने आत्मनिर्भरता और पोषण संबंधी सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से श्रीलंका में डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए चल रहे सहयोग की सराहना की।

 20. राष्ट्रपति दिसानायका द्वारा कृषि आधुनिकीकरण पर दिए गए जोर को ध्यान में रखते हुए, दोनों नेताओं ने श्रीलंका में कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास की संभावनाओं की जांच करने के लिए संयुक्त कार्य समूह की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की।

 सामरिक एवं रक्षा सहयोग

21. दोनों नेताओं ने यह माना कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित साझा हैं इसलिए आपसी विश्वास और पारदर्शिता पर आधारित नियमित संवाद और एक-दूसरे की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने स्वाभाविक साझेदार के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देशों के सामने आने वाली समान चुनौतियों को रेखांकित किया तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत, श्रीलंका का सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी है। राष्ट्रपति दिसानायका ने दोहराया कि श्रीलंका अपने क्षेत्र का उपयोग ऐसे किसी भी तरीके से नहीं होने देगा जो भारत की सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हानिकारक हो।

22. दोनों नेताओं ने प्रशिक्षण, विनिमय कार्यक्रमों, जहाज यात्राओं, द्विपक्षीय अभ्यासों और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता के लिए चल रहे रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए समुद्री और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

23. राष्ट्रपति दिसानायका ने समुद्री निगरानी के लिए डोर्नियर विमान देने तथा श्रीलंका में समुद्री बचाव और समन्वय केंद्र की स्थापना के माध्यम से भारत के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। यह श्रीलंका के लिए समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण अन्य सहायता है। उन्होंने मानवीय सहायता और आपदा राहत के क्षेत्र में श्रीलंका के लिए ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ के रूप में भारत की भूमिका की भी सराहना की। यह भी उल्लेख किया गया कि संदिग्धों के साथ बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले जहाजों को जब्त करने में भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं के सहयोग प्रयासों में हाल ही में मिली सफलता महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति दिसानायका ने इसके लिए भारतीय नौसेना के प्रति आभार व्यक्त किया।

 24. पक्के और विश्वसनीय भागीदार के रूप में, भारत ने श्रीलंका की रक्षा और समुद्री सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाने और उसकी समुद्री चुनौतियों का समाधान करने के लिए उसकी क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में आवश्यक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से उसके साथ मिलकर काम करने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता व्यक्त की।

25. आतंकवाद, मादक पदार्थों/मादक पदार्थों की तस्करी, धन शोधन जैसे विभिन्न सुरक्षा संबंधी खतरों का संज्ञान लेते हुए, दोनों नेताओं ने प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण तथा खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने में चल रहे प्रयासों को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में, वे इन बिन्दुओं पर सहमत हुए:


i. रक्षा सहयोग पर समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की संभावना का पता लगाना;

ii. जल विज्ञान (हाइड्रोग्राफी) में सहयोग को बढ़ावा देना;

iii. श्रीलंका की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि के लिए रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों का प्रावधान;

iv. संयुक्त अभ्यास, समुद्री निगरानी और रक्षा वार्ता और आदान-प्रदान के माध्यम से सहयोग को तेज करना;

 v. प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और कामकाज के सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के माध्यम से आपदा न्यूनीकरण, राहत और पुनर्वास पर श्रीलंका की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करना; तथा

 vi. श्रीलंकाई रक्षा बलों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में वृद्धि करना और जहां भी आवश्यक हो वहां उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

 सांस्कृतिक और पर्यटन विकास

 26. दोनों नेताओं ने अपनी सांस्कृतिक आत्मीयता, भौगोलिक निकटता और सभ्यतागत संबंधों पर जोर देते हुए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्वीकार किया। यह देखते हुए कि भारत, श्रीलंका के लिए पर्यटन का सबसे बड़ा स्रोत रहा है, दोनों नेताओं ने इसके लिए निम्नांकित बिन्दुओं पर प्रतिबद्धता व्यक्त की:

 i. चेन्नई और जाफना के बीच उड़ानों की सफल बहाली को ध्यान में रखते हुए, भारत और श्रीलंका के विभिन्न गंतव्यों के लिए हवाई संपर्क बढ़ाना।

ii. श्रीलंका में हवाई अड्डों के विकास पर चर्चा जारी रखना।

iii. श्रीलंका में पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारतीय निवेश को बढ़ावा देना।

iv. धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के विकास के लिए सुविधाजनक ढांचा स्थापित करना।

 मत्स्य पालन के मुद्दे

 27. दोनों नेताओं ने दोनों पक्षों के मछुआरों से जुड़े मुद्दों तथा आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मानवीय तरीके से इनका समाधान जारी रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में, उन्होंने किसी भी आक्रामक व्यवहार या हिंसा से बचने के लिए उपाय करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कोलंबो में मत्स्य पालन पर संयुक्त कार्य समूह की छठी बैठक के हाल ही में संपन्न होने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि संवाद और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से इन मामलों पर दीर्घकालिक और परस्पर स्वीकार्य समाधान प्राप्त किया जा सकता है। भारत और श्रीलंका के बीच विशेष संबंधों को देखते हुए, उन्होंने अधिकारियों को इन मुद्दों के समाधान के लिए अपनी बातचीत जारी रखने का निर्देश दिया।

28. राष्ट्रपति दिसानायका ने प्वाइंट पेड्रो फिशिंग हार्बर के विकास, कराईनगर बोटयार्ड के पुनर्वास और भारतीय सहायता के माध्यम से जलीय कृषि में सहयोग सहित श्रीलंका में मत्स्य पालन के सतत और वाणिज्यिक विकास के लिए पहल पर भारत को धन्यवाद दिया।

 क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग

 29. दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा हित साझा हैं। उन्होंने द्विपक्षीय रूप से और मौजूदा क्षेत्रीय ढांचे के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में दोनों नेताओं ने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के आधार दस्तावेजों पर हाल ही में हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया, जिसका मुख्यालय कोलंबो में है। भारत ने सम्मेलन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में श्रीलंका को अपना समर्थन दोहराया।

 30. भारत ने आईओआरए की अध्यक्षता के लिए श्रीलंका को अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास के लिए आईओआरए सदस्य देशों द्वारा एक ठोस कार्य योजना की आवश्यकता पर जोर दिया।

31. दोनों नेताओं ने बिम्सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत करने और बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया।

32. राष्ट्रपति दिसानायका ने ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए श्रीलंका के आवेदन के लिए प्रधानमंत्री मोदी से समर्थन का अनुरोध किया।

33. प्रधानमंत्री मोदी ने 2028-2029 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए श्रीलंका के समर्थन का स्वागत किया।

निष्कर्ष

34. दोनों नेताओं ने कहा कि सहमति के विचारों का प्रभावी और समय पर कार्यान्वयन जिसकी रूपरेखा पेश की गई है, उससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध गहरे होंगे और आपसी रिश्तों को मैत्रीपूर्ण तथा शिष्ट बनाने के लिए नए मानक में बदल देंगे। तदनुसार, नेताओं ने अधिकारियों को उन विषयों पर कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जिन पर सहमति बनी है और जहां आवश्यक हो, मार्गदर्शन प्रदान करने पर सहमत हुए। उन्होंने उन द्विपक्षीय संबंधों को गुणात्मक रूप से बढ़ाने के लिए नेतृत्व के स्तर पर बातचीत जारी रखने का संकल्प लिया जो पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं, श्रीलंका की सतत विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता में योगदान करते हैं। राष्ट्रपति दिसानायका ने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका की शीघ्र यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया।