प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 21 नवंबर 2015 से लेकर 24 नवंबर 2015 तक मलेशिया और सिंगापुर के दौरे पर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने फेसबुक पोस्ट की एक श्रृंखला में कहा है-
मैं मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर रहूंगा। मलेशिया में मैं आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और दसवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लूंगा। मैं शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे दुनिया के अन्य नेताओं के साथ-साथ मलेशिया के प्रधानंमत्री नजीब रजाक से भी मिलूंगा। सिंगापुर और भारत के राजनयिक संबंध के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर मैं वहां के प्रधानमंत्री ली शीन लूंग से भी विचार-विमर्श करूंगा।
मलेशिया और सिंगापुर की मेरी इस यात्रा का मकसद इन देशों से भारत के आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाना और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना है। आपको इस बारे में सारी खबरें और ताजा जानकारी मोबाइल एप - app.https://nm4.in/dnldapp पर मिलेगी।
मलेशिया हमारी एक्ट ईस्ट नीति के मूल में है। 2010 से ही भारत मलेशिया का सामरिक साझीदार रहा है। भारत के विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में मलेशिया का निवेश काफी अच्छा है। भारत के साथ मलेशिया के व्यापार की रफ्तार भी काफी अच्छी है। खास कर कमोडिटी (जींस कारोबार) का व्यापार काफी मजबूत है।
मलेशिया की यात्रा के दौरान मैं वहां के प्रधानमंत्री नजीब रजाक से मिलूंगा और दोनों देशों के रिश्तों के बारे में बात करूंगा। मैं तोराना गेट के उद्घाटन समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा और मलेशिया के कॉरपोरेट जगत के लोगों से भी मिलूंगा।
इस यात्रा के दौरान मैं रामकृष्ण मिशन भी जाऊंगा और वहां स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के उद्घाटन समारोह में भाग लूंगा। इसके अलावा बातू केव (गुफा) मंदिर के भी दर्शन करूंगा।
मलेशिया में भारतीय मूल के 20 लाख लोग रहते हैं। उनसे सामुदायिक कार्यक्रम में भेंट होगी। भारतीय समुदाय के लोगों को उनकी उपलब्धियों और दोनों देशों को नजदीक लाने की भूमिका के लिए सलाम करना चाहिए।
मलेशिया के बाद मैं सिंगापुर की यात्रा करूंगा। यह यात्रा एक खास मौके पर हो रही है और यह मौका है भारत और सिंगापुर के बीच मजबूत राजनयिक रिश्तों के पूरे होने का।
भारत से सिंगापुर से जुड़ने की जबरदस्त अहमियत है। सिंगापुर भारत में अग्रणी निवेशक देशों में से एक है। सिंगापुर भारत में अपने कारोबार को लगातार बढ़ा रहा है। सिंगापुर की सफलता वास्तव में गौर करने लायक है। शहरी विकास, शहरी परिवहन, कचरा प्रबंधन, बंदरगाह विकास और कौशल विकास में उनकी सफलता जगजाहिर है। भारत और सिंगापुर के सहयोग के मामले में मेरी यह यात्रा इन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित होगी।
सिंगापुर में मेरा पहला कार्यक्रम एक भाषण से शुरू होगा। वहां राष्ट्रपति टोनी तान केंग याम, प्रधानमंत्री ली शीन लूंग ओर मानद वरिष्ठ मंत्री श्री गोह चोक तोंग से मेरी बातचीत होगी। मुझे पिछले कई मौकों पर इन लोगों से मिलने का सौभाग्य मिल चुका है। इस साल फरवरी में राष्ट्रपति टोनी तान केंग याम भारत पधार चुके हैं।
सिंगापुर में प्रमुख निवेशकों से मुलाकात भारत में निवेश के मौकों पर केंद्रित होगी। कौशल विकास पर जोर देने के लिए मैं आईटीई का भी दौरा करूंगा। मैं एस्प्लेनेड पार्क में आईएनए स्मारक चिन्ह पर जाकर श्रद्धांजलि भी दूंगा।
सिंगापुर में 3,50000 से भी ज्यादा भारतीय रहते हैं। 24 नवंबर को मैं यहां एक सामुदायिक कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा। मुझे पक्का विश्वास है कि मेरी सिंगापुर यात्रा से भारत-सिंगापुर सहयोग और बढ़ेगा और इससे दोनों देशों, एशिया और पूरी दुनिया को फायदा होगा।
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