प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को ‘राष्ट्रपति’ से पहले ‘राष्ट्र-रत्न’ बताया। वह नई दिल्ली के डीआरडीओ भवन में डा. कलाम के जंयती समारोह में बोल रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए रामेश्वरम में डा. कलाम का एक स्मारक बनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां ज्यादातर लोग जिंदगी में अवसरों को खोजते हैं, वहीं डा. कलाम हमेशा नई चुनौतियों की तलाश में रहते थे। उन्होंने कच्छ में भूकंप के बाद किए गए पुनर्निर्माण के दौरान डा. कलाम के साथ नजदीकी से किए काम को याद किया।
एक शिक्षक के रूप में याद किए जाने की डा. कलाम की इच्छा को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति भविष्य की पीढ़ियों के पोषण के महत्व से अच्छी तरह से वाकिफ थे। उन्होंने कहा कि डा. कलाम की जंयती पर हमें यह पता लगाना चाहिए कि हम भारत में नवाचार को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कई ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का उल्लेख किया जहां नवाचार जरूरी है। इनमें साइबर सुरक्षा, सभी के लिए आवास, नदियों को जोड़ना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) और शून्य दोष, शून्य प्रभाव (जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट) वाला निर्माण शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डा. कलाम न केवल एक बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से भारत के सर्वोच्च पद तक पहुंचे बल्कि वस्तुतः साधारण से असाधारण संस्थाओं का निर्माण किया। हम सभी को उनके उदाहरण से प्रेरणा लेते रहनी चाहिए।
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ भवन में डा. एपीजे अब्दुल कलाम की एक प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने ‘डा. कलाम का जीवन उत्सव’ शीर्षक वाली एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और उसे देखा। प्रधानमंत्री ने डा. कलाम पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री एम वेंकैया नायडू, श्री मनोहर पर्रिकर, श्री रवि शंकर प्रसाद और डा. हर्षवर्धन उपस्थित थे।