3 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’पर लोगों को अपना संदेश भेजा है।
अपने संदेश में उन्होंने लिखा:
यहां एकत्रित मेरे सभी साथियो
विकलांगजन सशक्तिकरण की राह पर चलने वाले मेरे सहयोगियो।
मुझे खेद है कि मैं इस समय आप सबके साथ नहीं हूं। आप सभी जानते हैं कि तमिलनाडु एवं चेन्नई शहर में निरन्तर बरसात के कारण किस तरह की आपदा आई हुई है। इस समय यह बहुत ही जरूरी है कि मैं स्वयं चेन्नई जाकर इस स्थिति का जायजा लूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं मन से एवं ह्रदय से आपके साथ हूं।
मैं आज यहां सभी पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। आप सब सही मायने में हमारे लिए प्रेरणा और उदाहरण हैं ।
विकलांगता मानव जीवन की एक अवस्था है। हममें से हर एक व्यक्ति जीवन के कुछ अंतराल में अस्थायी रूप से ही सही विकलांगता का अनुभव कर चुका है। विशेषकर, हमारे बयोवृद्ध जनों को किसी न किसी विकलांगता का सामना करने की संभावना बढ़ जाती है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए, मैं आज यहां सभी उपस्थित साथियों को बधाई दे रहा हूं कि आज हम ‘सुगम्य भारत अभियान’ का शुभारंभ कर रहे हैं।
यह अभियान सच्चे अर्थें में विकलांगजनों के लिए फिजिकल अथवा वर्चुअल सभी तरह की अधोसंरचना को परिवर्तित कर उसे सुगम्य एवं समावेषी बनाने का लक्ष्य रखता है।
अधोसंरचना और सुगम्यता पर काम करने के साथ साथ, मै चाहूँगा कि यहाँ एकत्रित सभी आज इस बारे में भी सोचें, की क्या हम विकलांग शब्द के जगह दिव्यांग शब्द का प्रयोग कर सकते हैं? मेरे राय में शब्द अहम हैं, और इससे हम attitude में बदलाव ला सकते हैं ।
सार्वजनिक भवनों, परिवहन तथा सूचना प्रौद्योगिकी को इतने व्यापक पैमाने पर सुगम्य बनाने का लक्ष्य अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसलिए मेरा आह्वान है कि सभी केन्द्रीय मंत्रालय विभाग तथा राज्य सरकारें सक्रिय रूप से आगे आकर इस अभियान को सफल बनाने में भूमिका निभाएं।
कॉरपोरेट वर्ल्ड के साथियों से मेरा आह्वान है कि उन्हें भी सक्रिय रूप से आगे आकर अपने भवनों, परिवहन प्रणाली तथा सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र को शीघ्र ही सुगम्य बनाना चाहिए। मैं यह भी चाहता हूँ कि SMART CITIES मिशन में सुगम्यता अभिन्न रूप से इंक्लूड की जानी चाहिए।
सुगम्य भारत अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा यह भी है कि इससे होने वाले परिवर्तन समाज के अन्य लोगों के लिए भी लाभदायक है। यदि भवन एवं आवागमन के माध्यम सुगम्य हो जाते हैं तो हमारे वृद्ध नागरिक, गर्भवती बहिनें तथा छोटे बच्चों के लिए भी यह सुविधाएं महत्वपूर्ण रोल अदा करेगी। एक सुगम्य भवन निश्चित ही अधिक सुरक्षित और अधिक स्वच्छ भवन होगा।
हमारा सामूहिक भविष्य सभी के सशक्तिकरण पर निर्भर है। हमारा लक्ष्य ऐसे समाज का निर्माण करना है जो पूरी तरह समावेशी है। हमें "सम" भाव और "मम" भाव के मेल से समाज में समरसता बढ़ाना होगा। “सबका साथ, सबका विकास“ की हमारी धारणा और परिकल्पना तब तक पूर्ण नहीं हो सकती जब तक हम समाज के प्रत्येक हिस्से के विकास के लिए प्रतिबद्ध न हो।
आखिर में मै Robert Hensel के शब्द दोहराना चाहता हूँ।
"मैं विकलांग हूं, यह सही है। लेकिन इसका मतलब सिर्फ यह है कि मुझे आगे बढ़ने के लिऐ आपसे थोड़ा अलग रास्ता लेना पड़ेगा।"
आइये हम सब मिलकर ये आगे बढ़ने के रास्ते प्रशस्त बनाये ।
There is lots to learn from courage & spirit of persons with disabilities. I salute them on 'International Day of Persons with Disabilities'
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2015
Our focus must remain on accessibility & opportunity for persons with disabilities. I appreciate people & organisations working on this.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2015