जी-4 शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितम्बर, 2015 को न्यूयॉर्क में जी-4 शिखर सम्मेलन में शिरकत की। इस अवसर पर ब्राज़ील की राष्ट्रपति सुश्री दिलमा रौसेफ, जर्मनी की चांसलर सुश्री एंजेला मर्केल और जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंज़ो आबे भी उपस्थित थे।
सम्मेलन में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहाः "हम डिजिटल युग में रह रहे हैं। विश्व अर्थव्यवस्था विकास के नवीन कारकों के साथ-साथ और अधिक व्यापक रूप से फैलती अर्थशक्ति तथा अमीर गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है। जनसांख्यिकी प्रचलन, शहरीकरण और विस्थापन से नई चुनौतियां उभरकर सामने आई हैं। जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद नई चिंताएं हैं। साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र ने पूर्णतया नये सुअवसर और चुनौतियां पैदा की हैं। बावजूद इसके हमारे संस्थान, दृष्टिकोण और प्रायः सोच उस शताब्दी को प्रतिबिम्बित करते हैं जिसे हम पीछे छोड़ आए हैं, न कि उसको जिसमें हम रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संदर्भ यह विशेषकर सत्य है। सुरक्षा परिषद में एक तय समय में सुधार एक अविलंब्य एवं महत्वपूर्ण कार्य बन गया है।"
बैठक के समापन अवसर पर जारी संयुक्त वक्तव्य में जी-4 के नेताओं ने ज़ोर देते हुए कहा कि हालिया वर्षों में उत्तरोत्तर बढ़े वैश्विक संघर्ष और संकटों का सामना करने के लिए पहले की तुलना में अधिक लोकतात्रिंक, न्यायसंगत और प्रभावी सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है। वह इस विचार पर सहमत थे कि इक्कीसवीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की वस्तुस्थितियों को समझते हुए इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारियां अधिक सदस्य देशों को सौंपी जानी चाहिए।"
सैन जोस में आगमन
बाद में प्रधानमंत्री भारत-अमेरिकी समुदाय की भव्य और शानदार अगवानी के बीच सैन जोस, कैलिफोर्निया पहुंचे।
जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से भेंट की।
टैस्ला मोटर्स का भ्रमण
प्रधानमंत्री मोदी ने टैस्ला मोटर्स का दौरा किया जहां सीईओ श्री एलॉन मस्क ने उनकी अगवानी की और कम्पनी के कई नवोत्पादों के बारे में प्रधानमंत्री को विस्तार से जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने फैक्ट्री का दौरा किया।
प्रधानमंत्री और श्री एलॉन मस्क के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, टैस्ला की बैट्री तकनीक और ऊर्जा भंडारण के विभिन्न आविष्कारों पर चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री ने टैस्ला में काम करने वाले भारतीय मूल के कई कर्मचारियों से भी मुलाकात की।
आईटी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से भेंट, डिजिटल इण्डिया उद्बोधन
प्रधानमंत्री ने एप्पल इंक. के सीईओ श्री टिम कुक से भेंट की। उन्होंने बताया कि कम्पनी के लिए भारत का एक विशिष्ट स्थान है क्योंकि कम्पनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स प्रेरणा के लिए भारत गए थे। यह विमर्श भी हुआ कि एप्पल इंक. भारत की डिजिटल इण्डिया पहल का साझीदार किस प्रकार बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने श्री सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट), श्री सुंदर पिचई (गूगल), श्री शांतनु नारायण (एडोब), श्री पॉल जैकब्स (क्वैलकॉम) एवं श्री जोन चैम्बर्स (सिस्को), से भेंट की। यह सभी बाद में प्रधानमंत्री के साथ डिजिटल इण्डिया रात्रिभोज में शामिल हुए। प्रधानंमत्री ने इस कार्यक्रम में डिजिटल इण्डिया के संदर्भ में अपना दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी।
अपने संबोधन में उन्होंने कहाः "इस डिजिटल युग में हमारे पास लोगों की ज़िंदगियों को उन तरीक़ों से परिवर्तित करने का अवसर है जिन्हें महज़ कुछ दशकों पहले सोचा जाना संभव नहीं था।
यह वो बात है जो हमें पिछली शताब्दी से अलग लाकर खड़ा करती है। अब भी कुछ लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था को धनवानों, शिक्षितों और अधिकारसम्पन्न लोगों के औजार के तौर पर देखते हैं। किंतु भारत में टैक्सी चालक और किसी कोने पर खड़े विक्रेता से पूछिए कि उसने अपने सेलफोन से क्या हासिल किया है, और बहस यहीं समाप्त हो जाती है। मैं तकनीक को सशक्तीकरण के माध्यम के तौर पर देखता हूं और एक ऐसे औजार के रूप में जो आशा और अवसर के बीच का भेद समाप्त कर देता है। सोशल मीडिया सामाजिक अवरोधों को कम कर रहा है। यह लोगों को उनकी पहचानों पर नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों के बल पर जोड़ता है। तकनीक आज नागरिक सशक्तीकरण और लोकतंत्र को आगे ले जा रही है जो कि पहले संविधान से शक्ति प्राप्त करते थे। तकनीक सरकारों को आंकड़ों के अतिविशाल भंडार के उत्तर देने के लिए बाध्य कर रही है, 24 घंटे में नहीं बल्कि 24 मिनटों में। जब आप सोशल मीडिया के विस्तार की द्रुत गति और परिमाण के बारे में विचारते हैं, आपको यह विश्वास करना पड़ता है कि लंबे समय से आशा के दूसरे सिरे पर खड़े लोगों की ज़िंदगियों में शीघ्र उतना ही रूपांतरण संभव है। इसलिए मित्रों, इस धारणा से डिजिटल भारत के दृष्टिकोण का जन्म हुआ था। यह उस पैमाने पर भारत के रूपांतरण का उपक्रम है जो कि संभवतः मानवीय इतिहास में अतुलनीय है। न केवल सर्वाधिक निर्बल, वंचित और निर्धन नागरिकों के जीवन को छूना ही नहीं बल्कि देश के जीने और काम करने के ढंग में परिवर्तन करना।"