रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर हमारा कमिटमेंट सिर्फ बातचीत या कागजों तक ही सीमित नहीं है, इसके कार्यान्वयन के लिए एक के बाद एक कदम उठाये गए हैं: प्रधानमंत्री मोदी
पिछले कुछ वर्षों में हमारा प्रयास रक्षा क्षेत्र से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का है, हमारा उद्देश्य है कि भारत में ही उत्पादन बढ़े, नई तकनीक भारत में ही विकसित हो, और प्राइवेट सेक्टर का इस क्षेत्र में अधिकतम विस्तार हो, इसके लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं: पीएम मोदी
बहुत लंबे समय से देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति पर निर्णय नहीं हो पा रहा था, ये निर्णय नए भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल मे मेरे सहयोगी श्रीमान राजनाथ जी, Chief of Defense Staff जनरल विपिन रावत जी, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख, भारत सरकार के सभी उपस्थित उच्‍चाधिकारी, उद्योग जगत के सभी साथी, नमस्‍कार।

मुझे खुशी है कि भारत में रक्षा उत्‍पादन से जुड़े हुए सभी अहम stake holders आज यहां मौजूद हैं। इस सेमिनार के आयोजन के लिए रक्षामंत्री राजनाथ जी और उनकी पूरी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज यहां हो रहे इस मंथन से जो परिणाम मिलेंगे, उनसे रक्षा उत्‍पादन के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को अवश्‍य बल मिलेगा, गति मिलेगी और आप सबने जो सुझाव दिए हैं, आज आपने एक सामूहिक मंथन किया है, वो अपने-आप में आने वाले दिनों के लिए बहुत उपकारक होगा।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि रक्षामंत्री श्री राजनाथ जी इस काम के लिए mission mode में पूरी तरह से जुटे हुए हैं। मुझे विश्‍वास है कि उनके इन अथक प्रयासों के कारण बहुत ही अच्‍छे परिणाम मिलना निश्चित है।

साथियो, ये किसी से छिपा नहीं है कि भारत कई सालों से दुनिया के सबसे बड़े Defense Importers में एक प्रमुख देश रहा है। जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय रक्षा उत्‍पादन के लिए भारत में बहुत सामर्थ्‍य था। उस समय भारत में 100 साल से अधिक समय से स्‍थापित रक्षा उत्‍पादन का Eco system था। और भारत जैसा सामर्थ्‍य और potential बहुत कम देशों के पास था। लेकिन भारत का दुर्भाग्‍य रहा कि दशकों तक इस विषय पर उतना ध्‍यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था। एक प्रकार से ये routine exercise बन गया, कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे। और हमारे बाद में शुरूआत करने वाले अनेक देश भी पिछले 50 साल में हमसे बहुत आगे निकल गए। लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

पिछले कुछ वर्षों में आपने अनुभव किया होगा कि हमारा प्रयास इस सेक्‍टर से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का एक निरंतर प्रयास है। हमारा उद्देश्‍य है कि भारत में manufacturing बढ़े, नई technologies का भारत में ही विकास हो और प्राइवेट सेक्‍टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिकतम विस्‍तार हो। और इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, label playing field की तैयारी, export की प्रक्रिया का सरलीकरण, offset के प्रावधानों में सुधार; ऐसे अनेक कदम उठाए गए हैं।

साथियो, मेरा मानना है कि इन कदमों से भी अधिक महत्‍वपूर्ण है रक्षा क्षेत्र में देश में एक नई मानसिकता हम सब अनुभव कर रहे हैं, एक नई मानसिकता का जन्‍म हुआ है। आधुनिक और आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्‍मविश्‍वास की भावना अनिवार्य है। बहुत लंबे समय से देश में Chief of Defense Staff की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा था, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा था। ये निर्णय नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का प्रतीक है।

बहुत लंबे समय तक रक्षा उत्‍पादन में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं थी। श्रद्धेय अटल जी की सरकार के समय ये नई पहल की शुरूआत हुई थी। हमारी सरकार आने के बाद इसमें और सुधार किए गए और अब पहली बार इस सेक्‍टर में 74 पर्सेंट तक एफडीआई ऑटोमेटिक रूप से आने का रास्‍ता खोला जा रहा है। ये नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का परिणाम है।

दशकों से Ordinance कारखानों को सरकारी विभागों की तरह ही चलाया जा रहा था। एक सीमित vision के कारण देश का नुकसान तो हुआ ही, वहां जो काम करने वाले लोग थे,‍ जिनके पास talent थे, commitment था, मेहनती थे, ये हमार बहुत ही अनुभव से संपन्‍न हमारा जो मेहनत करने वाला श्रमिक वर्ग वहां जो है, उनका तो बहुत नुकसान हुआ।

जिस सेक्‍टर में करोड़ों लोगों के रोजगार के अवसर बन सकते थे, उसका ecosystem बहुत ही सीमित रहा। अब Ordinance कारखानों का corporatization करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर श्रमिकों और सेना, दोनों को बल मिलेगा। यह नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का प्रमाण है।

साथियो, रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता को लेकर हमारा commitment सिर्फ बातचीत में या‍ फिर कागजों तक ही सीमित नहीं है। इसके कार्यान्‍वयन के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए हैं। CDS के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में procurement पर समन्‍वय बहुत बेहतर हुआ है, इससे defense equipments की खरीद को scale up करने में मदद मिल रही है। आने वाले दिनों में domestic industry के लिए orders का साइज भी बढ़ने वाला है। ये सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय के कैपिटल बजट का एक हिस्‍सा अब भारत में बने उपकरणों के लिए अलग से रख दिया गया है।

हाल में आपने देखा होगा कि 101 defense items को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस लिस्‍ट को और व्‍यापक बनाया जाएगा इसमें और items जुड़ते रहेंगे। इस लिस्‍ट का उद्देश्‍य आयात को रोकना मात्र नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। इससे आप सभी सा‍थियों को, चाहे वो प्राइवेट सेक्‍टर हो, पब्लिक सेक्‍टर हो, MSME हों, स्‍टार्टअप हो, सभी के लिए ये सरकार की भावना और भविष्‍य की संभावना अब आपके सामने black and white में क्लियर है।

इसके साथ हम procurement प्रकिया को speed up करने के लिए, testing की व्‍यवस्‍था को steamline करने के लिए और क्‍वालिटी की requirements को rationalize करने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। और मुझे खुशी है कि इन सभी प्रयासों को सेना के तीनों अंगों का बहुत ही coordinated रूप में, बहुत ही सहयोग है, एक प्रकार से pro-active भूमिका है।

साथियो, आधुनिक उपकरणों में आत्‍मनिर्भरता के लिए technology up-gradation जरूरी है। जो उपकरण आज बन रहे हैं उनका next generation तैयार करने पर काम करना भी आवश्‍यक है। और इसके लिए DRDO के अलावा प्राइवेट सेक्‍टर में और academic institutions में भी research और innovation को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। Technology transfer की सुविधा से हटकर Foreign partners के साथ Joint ventures के माध्‍यम से Co-production के मॉडल पर बल दिया जा रहा है। भारत के मार्केट साइज को देखते हुए हमारे Foreign partners के लिए अब भारत में ही production करना सबसे उत्‍तम विकल्‍प है।

साथियो, हमारी सरकार ने शुरू से ही Reform, Perform & Transform, इस मंत्र को ले करके हमने काम किया है। Red tapism कम करना और Red Carpet बिछाना, यही हमारा प्रयास रहा है। Ease of doing business को लेकर 2014 से अब तक जो सुधार किए गए हैं, उनका परिणाम पूरे विश्‍व ने देखा है। Intellectual property, taxation, insolvency and Bankruptcy, यहां तक कि Space और Atomic energy जैसे बहुत कठिन और जटिल, ऐसे जो विषय माने जाते हैं, उन विषयों पर भी हमने reforms करके दिखाए हैं। और आप तो अअब भलीभांति जानते हैं पिछले दिनों labour laws में reforms का सिलसिला भी लगातार जो शुरू हुआ है, चल रहा है।

कुछ साल पहले तक इस प्रकार के विषयों पर सोचा भी नहीं जाता था। और आज ये reforms जमीन पर उतर चुके हैं। Reforms का ये सिलसिला थमने वाला नहीं है, हम आगे बढ़ते ही जाने वाले हैं। इसलिए न थमना भी है और न थकना भी है; न मुझे थकना है न आपको थकना है। हमें आगे भी आगे बढ़ते रहना है और हमारी तरफ से मैं आपको बताता हूं ये हमारा commitment है।

साथियो, जहां तक infrastructure की बात है, जो defense corridor पर तेजी से काम चल रहा है, उत्‍तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों के साथ मिलकर state of the art infrastructure तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच सालों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्‍य रखा गया है। MSME और Start-ups से जुड़े Entrepreneurs को प्रोत्‍साहित करने के लिए IDEX की जो पहल की गई थी, उसके भी अच्‍छे परिणाम मिल रहे हैं। इस प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से 50 से अधिक startup ने सैन्‍य उपयोग के लिए technology और products को विकसित किया है।

साथियो, मैं एक और बात आपके सामने खुले मन से रखना चाहता हूं। आत्‍मनिर्भर भारत का हमारा संकल्‍प inward looking नहीं है। Global economy को ज्‍यादा resilient, ज्‍यादा stable बनाने के लिए, विश्‍व में शांति के लिए एक सक्षम भारत का निर्माण ही इसका लक्ष्‍य है। यही भावना Defense manufacturing में आत्‍मनिर्भरता के लिए भी है। भारत में अपने कई मित्र देशों के लिए रक्षा उपकरण का एक भरोसेमंद सप्‍लायर बनने की क्षमता है। इससे भारत की strategic partnership को और बल मिलेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की net security provider की भूमिका और सुदृढ़ होगी।

साथियो, सरकार के प्रयास और प्रतिबद्धता आप सभी के सामने हैं। अब आत्‍मनिर्भर भारत के संकल्‍प को हमें मिल करके इसे सिद्ध करना है। चाहे प्राइवेट सेक्‍टर हो या पब्लिक सेक्‍टर हो, या फिर हमारे foreign partners, आत्‍मनिर्भर भारत सभी के लिए Win-Win संकल्‍प है। इसके लिए आपको एक बेहतर ecosystem देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।

यहां आपकी तरफ से जो भी सुझाव आए हैं वे बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाले हैं। और मुझे बताया गया है कि Defense production and export promotion policy का draft सभी stakeholders के साथ साझा कि‍या गया है। आपके feedback से इस पॉलिसी को जल्‍द से जल्‍द लागू करने में मदद मिलेगी। यह भी जरूरी है कि आज का ये सेमिनार एक one time event न रहे बल्कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहें। इंडस्‍ट्री और सरकार के बीच लगातार विचार-विमर्श और feedback की स्‍वाभाविक culture बननी चाहिए।

मुझे विश्‍वास है कि ऐसे सामूहिक प्रयासों से हमारे संकल्‍प सिद्ध होंगे। मैं फिर एक बार, आप सबने समय निकाला, आत्‍मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्‍मविश्‍वास के साथ आप जुटे, मुझे विश्‍वास है कि आज जो संकल्‍प हम ले रहे हैं, इसको पूर्ण करने में हम सब ने अपनी जिम्‍मेदारी बहुत खूब अच्‍छे ढंग से निभाएंगे।  

मैं फिर एक बार आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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