रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर हमारा कमिटमेंट सिर्फ बातचीत या कागजों तक ही सीमित नहीं है, इसके कार्यान्वयन के लिए एक के बाद एक कदम उठाये गए हैं: प्रधानमंत्री मोदी
पिछले कुछ वर्षों में हमारा प्रयास रक्षा क्षेत्र से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का है, हमारा उद्देश्य है कि भारत में ही उत्पादन बढ़े, नई तकनीक भारत में ही विकसित हो, और प्राइवेट सेक्टर का इस क्षेत्र में अधिकतम विस्तार हो, इसके लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं: पीएम मोदी
बहुत लंबे समय से देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति पर निर्णय नहीं हो पा रहा था, ये निर्णय नए भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल मे मेरे सहयोगी श्रीमान राजनाथ जी, Chief of Defense Staff जनरल विपिन रावत जी, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख, भारत सरकार के सभी उपस्थित उच्‍चाधिकारी, उद्योग जगत के सभी साथी, नमस्‍कार।

मुझे खुशी है कि भारत में रक्षा उत्‍पादन से जुड़े हुए सभी अहम stake holders आज यहां मौजूद हैं। इस सेमिनार के आयोजन के लिए रक्षामंत्री राजनाथ जी और उनकी पूरी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज यहां हो रहे इस मंथन से जो परिणाम मिलेंगे, उनसे रक्षा उत्‍पादन के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को अवश्‍य बल मिलेगा, गति मिलेगी और आप सबने जो सुझाव दिए हैं, आज आपने एक सामूहिक मंथन किया है, वो अपने-आप में आने वाले दिनों के लिए बहुत उपकारक होगा।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि रक्षामंत्री श्री राजनाथ जी इस काम के लिए mission mode में पूरी तरह से जुटे हुए हैं। मुझे विश्‍वास है कि उनके इन अथक प्रयासों के कारण बहुत ही अच्‍छे परिणाम मिलना निश्चित है।

साथियो, ये किसी से छिपा नहीं है कि भारत कई सालों से दुनिया के सबसे बड़े Defense Importers में एक प्रमुख देश रहा है। जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय रक्षा उत्‍पादन के लिए भारत में बहुत सामर्थ्‍य था। उस समय भारत में 100 साल से अधिक समय से स्‍थापित रक्षा उत्‍पादन का Eco system था। और भारत जैसा सामर्थ्‍य और potential बहुत कम देशों के पास था। लेकिन भारत का दुर्भाग्‍य रहा कि दशकों तक इस विषय पर उतना ध्‍यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था। एक प्रकार से ये routine exercise बन गया, कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे। और हमारे बाद में शुरूआत करने वाले अनेक देश भी पिछले 50 साल में हमसे बहुत आगे निकल गए। लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

पिछले कुछ वर्षों में आपने अनुभव किया होगा कि हमारा प्रयास इस सेक्‍टर से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का एक निरंतर प्रयास है। हमारा उद्देश्‍य है कि भारत में manufacturing बढ़े, नई technologies का भारत में ही विकास हो और प्राइवेट सेक्‍टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिकतम विस्‍तार हो। और इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, label playing field की तैयारी, export की प्रक्रिया का सरलीकरण, offset के प्रावधानों में सुधार; ऐसे अनेक कदम उठाए गए हैं।

साथियो, मेरा मानना है कि इन कदमों से भी अधिक महत्‍वपूर्ण है रक्षा क्षेत्र में देश में एक नई मानसिकता हम सब अनुभव कर रहे हैं, एक नई मानसिकता का जन्‍म हुआ है। आधुनिक और आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्‍मविश्‍वास की भावना अनिवार्य है। बहुत लंबे समय से देश में Chief of Defense Staff की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा था, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा था। ये निर्णय नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का प्रतीक है।

बहुत लंबे समय तक रक्षा उत्‍पादन में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं थी। श्रद्धेय अटल जी की सरकार के समय ये नई पहल की शुरूआत हुई थी। हमारी सरकार आने के बाद इसमें और सुधार किए गए और अब पहली बार इस सेक्‍टर में 74 पर्सेंट तक एफडीआई ऑटोमेटिक रूप से आने का रास्‍ता खोला जा रहा है। ये नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का परिणाम है।

दशकों से Ordinance कारखानों को सरकारी विभागों की तरह ही चलाया जा रहा था। एक सीमित vision के कारण देश का नुकसान तो हुआ ही, वहां जो काम करने वाले लोग थे,‍ जिनके पास talent थे, commitment था, मेहनती थे, ये हमार बहुत ही अनुभव से संपन्‍न हमारा जो मेहनत करने वाला श्रमिक वर्ग वहां जो है, उनका तो बहुत नुकसान हुआ।

जिस सेक्‍टर में करोड़ों लोगों के रोजगार के अवसर बन सकते थे, उसका ecosystem बहुत ही सीमित रहा। अब Ordinance कारखानों का corporatization करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर श्रमिकों और सेना, दोनों को बल मिलेगा। यह नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का प्रमाण है।

साथियो, रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता को लेकर हमारा commitment सिर्फ बातचीत में या‍ फिर कागजों तक ही सीमित नहीं है। इसके कार्यान्‍वयन के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए हैं। CDS के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में procurement पर समन्‍वय बहुत बेहतर हुआ है, इससे defense equipments की खरीद को scale up करने में मदद मिल रही है। आने वाले दिनों में domestic industry के लिए orders का साइज भी बढ़ने वाला है। ये सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय के कैपिटल बजट का एक हिस्‍सा अब भारत में बने उपकरणों के लिए अलग से रख दिया गया है।

हाल में आपने देखा होगा कि 101 defense items को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस लिस्‍ट को और व्‍यापक बनाया जाएगा इसमें और items जुड़ते रहेंगे। इस लिस्‍ट का उद्देश्‍य आयात को रोकना मात्र नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। इससे आप सभी सा‍थियों को, चाहे वो प्राइवेट सेक्‍टर हो, पब्लिक सेक्‍टर हो, MSME हों, स्‍टार्टअप हो, सभी के लिए ये सरकार की भावना और भविष्‍य की संभावना अब आपके सामने black and white में क्लियर है।

इसके साथ हम procurement प्रकिया को speed up करने के लिए, testing की व्‍यवस्‍था को steamline करने के लिए और क्‍वालिटी की requirements को rationalize करने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। और मुझे खुशी है कि इन सभी प्रयासों को सेना के तीनों अंगों का बहुत ही coordinated रूप में, बहुत ही सहयोग है, एक प्रकार से pro-active भूमिका है।

साथियो, आधुनिक उपकरणों में आत्‍मनिर्भरता के लिए technology up-gradation जरूरी है। जो उपकरण आज बन रहे हैं उनका next generation तैयार करने पर काम करना भी आवश्‍यक है। और इसके लिए DRDO के अलावा प्राइवेट सेक्‍टर में और academic institutions में भी research और innovation को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। Technology transfer की सुविधा से हटकर Foreign partners के साथ Joint ventures के माध्‍यम से Co-production के मॉडल पर बल दिया जा रहा है। भारत के मार्केट साइज को देखते हुए हमारे Foreign partners के लिए अब भारत में ही production करना सबसे उत्‍तम विकल्‍प है।

साथियो, हमारी सरकार ने शुरू से ही Reform, Perform & Transform, इस मंत्र को ले करके हमने काम किया है। Red tapism कम करना और Red Carpet बिछाना, यही हमारा प्रयास रहा है। Ease of doing business को लेकर 2014 से अब तक जो सुधार किए गए हैं, उनका परिणाम पूरे विश्‍व ने देखा है। Intellectual property, taxation, insolvency and Bankruptcy, यहां तक कि Space और Atomic energy जैसे बहुत कठिन और जटिल, ऐसे जो विषय माने जाते हैं, उन विषयों पर भी हमने reforms करके दिखाए हैं। और आप तो अअब भलीभांति जानते हैं पिछले दिनों labour laws में reforms का सिलसिला भी लगातार जो शुरू हुआ है, चल रहा है।

कुछ साल पहले तक इस प्रकार के विषयों पर सोचा भी नहीं जाता था। और आज ये reforms जमीन पर उतर चुके हैं। Reforms का ये सिलसिला थमने वाला नहीं है, हम आगे बढ़ते ही जाने वाले हैं। इसलिए न थमना भी है और न थकना भी है; न मुझे थकना है न आपको थकना है। हमें आगे भी आगे बढ़ते रहना है और हमारी तरफ से मैं आपको बताता हूं ये हमारा commitment है।

साथियो, जहां तक infrastructure की बात है, जो defense corridor पर तेजी से काम चल रहा है, उत्‍तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों के साथ मिलकर state of the art infrastructure तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच सालों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्‍य रखा गया है। MSME और Start-ups से जुड़े Entrepreneurs को प्रोत्‍साहित करने के लिए IDEX की जो पहल की गई थी, उसके भी अच्‍छे परिणाम मिल रहे हैं। इस प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से 50 से अधिक startup ने सैन्‍य उपयोग के लिए technology और products को विकसित किया है।

साथियो, मैं एक और बात आपके सामने खुले मन से रखना चाहता हूं। आत्‍मनिर्भर भारत का हमारा संकल्‍प inward looking नहीं है। Global economy को ज्‍यादा resilient, ज्‍यादा stable बनाने के लिए, विश्‍व में शांति के लिए एक सक्षम भारत का निर्माण ही इसका लक्ष्‍य है। यही भावना Defense manufacturing में आत्‍मनिर्भरता के लिए भी है। भारत में अपने कई मित्र देशों के लिए रक्षा उपकरण का एक भरोसेमंद सप्‍लायर बनने की क्षमता है। इससे भारत की strategic partnership को और बल मिलेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की net security provider की भूमिका और सुदृढ़ होगी।

साथियो, सरकार के प्रयास और प्रतिबद्धता आप सभी के सामने हैं। अब आत्‍मनिर्भर भारत के संकल्‍प को हमें मिल करके इसे सिद्ध करना है। चाहे प्राइवेट सेक्‍टर हो या पब्लिक सेक्‍टर हो, या फिर हमारे foreign partners, आत्‍मनिर्भर भारत सभी के लिए Win-Win संकल्‍प है। इसके लिए आपको एक बेहतर ecosystem देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।

यहां आपकी तरफ से जो भी सुझाव आए हैं वे बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाले हैं। और मुझे बताया गया है कि Defense production and export promotion policy का draft सभी stakeholders के साथ साझा कि‍या गया है। आपके feedback से इस पॉलिसी को जल्‍द से जल्‍द लागू करने में मदद मिलेगी। यह भी जरूरी है कि आज का ये सेमिनार एक one time event न रहे बल्कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहें। इंडस्‍ट्री और सरकार के बीच लगातार विचार-विमर्श और feedback की स्‍वाभाविक culture बननी चाहिए।

मुझे विश्‍वास है कि ऐसे सामूहिक प्रयासों से हमारे संकल्‍प सिद्ध होंगे। मैं फिर एक बार, आप सबने समय निकाला, आत्‍मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्‍मविश्‍वास के साथ आप जुटे, मुझे विश्‍वास है कि आज जो संकल्‍प हम ले रहे हैं, इसको पूर्ण करने में हम सब ने अपनी जिम्‍मेदारी बहुत खूब अच्‍छे ढंग से निभाएंगे।  

मैं फिर एक बार आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।