Quoteमहामारी के प्रकोप ने संयुक्त राष्ट्र के पुनर्जन्म और सुधार के नए अवसर प्रदान किए हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहमने साल 2025 तक टीबी की पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है, विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए हम धरा के प्रति अपनी जिम्मेदारियां नहीं भूल रहे हैं: पीएम मोदी
Quoteहमने हमेशा विश्‍व शांति और समृद्ध‍ि की बात की है: प्रधानमंत्री

महानुभाव

देवियों और सज्जनों,

इस साल हम संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह मानव प्रगति में यूएन के विभिन्न योगदानों को स्वीकार करने का एक अवसर है। यह आज की दुनिया में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और प्रासंगिकता और इसके बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए आकलन करने का भी एक मौका है।

महानुभाव,

भारत द्वितीय विश्व युद्ध के फौरन बाद संयुक्त राष्ट्र के 50 संस्थापक सदस्यों में से एक था। उसके बाद से काफी कुछ बदल गया है। आज संयुक्त राष्ट्र 193 सदस्य देशों को साथ लाया है। इसकी सदस्यता के साथ ही, संगठन से उम्मीदें भी बढ़ी हैं। वहीं, बहुपक्षवाद आज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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महानुभाव,

शुरुआत से ही, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यों और ईसीओएसओसी का सक्रिय रूप से समर्थन किया है। ईसीओएसओसी के पहले अध्यक्ष एक भारतीय थे। भारत ने सतत विकास लक्ष्यों समेत ईसीओएसओसी एजेंडे को आकार देने में भी योगदान दिया। आज, अपने घरेलू प्रयासों के माध्यम से हम फिर से एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। हम अन्य विकासशील देशों को उनके सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहयोग कर रहे हैं।

महानुभाव,

दुनिया की आबादी का छठवां हिस्सा भारत में रहता है। हम अपने कर्त्‍तव्य और जिम्मेदारी के प्रति सजग हैं। हम जानते हैं कि अगर भारत अपने विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होता है तो यह वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। और इसीलिए हमने अपने राज्यों, हमारी स्थानीय सरकारों, हमारे नागरिक समाज, समुदायों और हमारे लोगों के माध्यम से 'पूरे समाज का' अप्रोच अपनाया है।

हमारा मकसद है 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास'- जिसका अर्थ है 'साथ-साथ, सबके विकास के लिए, सबके भरोसे के साथ'। इसमें एसडीजी के मूल सिद्धांत कोई भी पीछे न छूटे, की ही भावना है। पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा, बिजली या घर तक पहुंच हो- हम अपने समावेशी कार्यक्रमों के माध्यम से बहुत प्रगति कर रहे हैं।

महानुभाव,

पिछले साल हमने अपने छह सौ हजार गांवों में पूर्ण स्वच्छता कवरेज हासिल कर हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई।

पांच वर्षों में हमने 110 मिलियन से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण किया, जिसने हमारे ग्रामीण स्वच्छता कवर को 38 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक सुधार दिया। हमारे व्यापक जागरूकता कार्यक्रम हमारी महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं। हमने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है। ग्रामीण भारत में करीब 70 मिलियन महिलाएं हमारे आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। वे जीवन और आजीविका में बड़े पैमाने पर बदलाव ला रही हैं। एक मिलियन से ज्यादा महिलाएं हमारी स्थानीय सरकारों की प्रतिनिधि चुनी जाती हैं, जिससे भागीदारी विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। बीते छह वर्षों में हमने 400 मिलियन से ज्यादा बैंक खाते खोले, जिसमें से 220 मिलियन महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं। हमने वित्तीय समावेशन के लिए प्रौद्योगिकी की ताकत का लाभ उठाया है। यह तीन बिंदुओं- एक विशिष्ट पहचान संख्या, एक बैंक खाता और सभी के लिए मोबाइल कनेक्शन पर आधारित है। इससे हम 700 मिलियन से ज्यादा लोगों को 150 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कर पा रहे हैं। हमारा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम 813 मिलियन नागरिकों तक पहुंचता है।

हमारा 'सभी के लिए घर' कार्यक्रम यह सुनिश्चित करेगा कि 2022 तक, जब भारत के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 75 साल पूरे हो रहे होंगे तो प्रत्येक भारतीय के सिर पर एक सुरक्षित और सुदृढ़ छत हो। तब तक, इस कार्यक्रम के तहत 40 मिलियन नए घर बनाए जाएंगे- जो कई देशों में कुल घरों की संख्या से अधिक है। आज हमारी 'आयुष्मान भारत' योजना दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम है, जिसमें 500 मिलियन लोग शामिल हैं। कोविड के खिलाफ लड़ाई में, गांव-गांव तक पहुंची हमारी स्वास्थ्य प्रणाली भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा रिकवरी रेट में से एक सुनिश्चित करने में मदद कर रही है। हम 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए भी काम कर रहे हैं। दूसरे विकासशील देश भारत के विकास कार्यक्रमों के पैमाने और सफलता से सीख सकते हैं। और हमने जिन प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को अपनाया है। यह वैश्विक दक्षिण के साथ भारत की विकास साझेदारी की मजबूती का बोध कराता है।

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महानुभाव,

विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए, हम अपने ग्रह के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं भूल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमने सालाना 38 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम किया है। यह हमारे गांवों को विद्युतीकृत करने, 80 मिलियन गरीब परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन प्रदान करने और दक्ष ऊर्जा उपायों की शुरुआत से प्राप्त किया गया। हमने 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित करने और 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने का लक्ष्य रखा है। प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की हमारी पुरानी परंपरा रही है। हमने एकल-उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने और स्वच्छता के लिए सबसे बड़े अभियानों में से एक चला रखा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना करने की हमारी पहल क्लाइमेट एक्शन की व्यवहारिक अभिव्यक्ति थी। इसी प्रकार से, आपदा रोधी बुनियादी ढांचे का गठबंधन व्यापक एप्रोच के लिए सभी प्रासंगिक हितधारकों को साथ लाया। हम हमेशा हमारे क्षेत्र में- दोस्त की जरूरत के समय में पहले रेस्पांडर रहे हैं। भूकंप हो, चक्रवात या कोई और प्राकृतिक या मानवीय संकट भारत ने तेजी से और एकजुटता के साथ मदद की है। कोविड के खिलाफ हमारी संयुक्त लड़ाई में, हमने 150 से ज्यादा देशों को चिकित्सा और अन्य सहायता पहुंचाई है। हमने अपने पड़ोस के लिए सार्क कोविड इमरजेंसी फंड बनाने में भी मदद की।

महानुभाव,

कोविड-19 महामारी ने सभी देशों की संकट से उबरने की क्षमता की गंभीर परीक्षा ली है। भारत में, हमने महामारी के खिलाफ लड़ाई को सरकार और समाज के एकजुट प्रयासों से एक जन आंदोलन बनाने की कोशिश की है। हमने गरीब घरों में लाभ पहुंचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हमने 300 अरब डॉलर से ज्यादा के पैकेज की घोषणा की है। यह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगा, आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा और एक प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली को स्थापित करेगा। हमने वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को सामने रखा है।

महानुभाव,

भारत का पूरी दृढ़ता से मानना है कि बहुपक्षवाद के माध्यम से ही स्थायी शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। ग्रह पृथ्वी के बच्चों के रूप में, हमें अपनी आम चुनौतियों और साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हाथ अवश्य मिलाना चाहिए। हालांकि बहुपक्षवाद को समकालीन दुनिया की वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र में सुधार के साथ ही बहुपक्षीय सुधार ही मानवता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। आज, संयुक्त राष्ट्र के 75 साल का जश्न मनाते हुए आइए हम वैश्विक बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार करने का संकल्प लें। इसकी प्रासंगिकता को बढ़ाने, इसकी प्रभावशीलता में सुधार और इसे नए प्रकार के मानव-केंद्रित वैश्वीकरण का आधार बनाने की जरूरत है। मूल रूप से संयुक्त राष्ट्र का उदय द्वितीय विश्व युद्ध के रोष से हुआ था। आज महामारी का प्रकोप इसके पुनर्जन्म और सुधार की पृष्ठभूमि तैयार करता है। हमें यह मौका गंवाना नहीं चाहिए।

महानुभाव,

भारत को इस महत्वपूर्ण समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चुना गया है। वैश्विक सामंजस्य बनाए रखने, सामाजिक-आर्थिक समानता में सुधार और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की हमारी गहरी प्रतिबद्धता के साथ, भारत संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के पूर्ण समर्थन में अपनी भूमिका निभाएगा।

 

नमस्कार।

धन्यवाद।

  • krishangopal sharma Bjp January 14, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 14, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • Reena chaurasia September 05, 2024

    बीजेपी
  • vishnu Singh February 07, 2024

    जय जय श्री राम जय श्री श्याम
  • Ajay Pawara February 05, 2024

    Shirpur City Ambarish Bhai Patel
  • Rakesh meena February 05, 2024

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  • Ramesh Chander Kaushik February 05, 2024

    Jai Bharat
  • Babla sengupta December 23, 2023

    Babla sengupta
  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp November 06, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो
  • Laxman singh Rana September 13, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🙏
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