ऊर्जा क्षेत्र देश की प्रगति में एक बड़ी भूमिका निभाता है और ईज ऑफ लिविंग एवं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस दोनों में योगदान देता है : प्रधानमंत्री
हाल के वर्षों में भारत ने 139 गीगा वाट कैपेसिटी को जोड़ा है और वन नेशन-वन ग्रिड फ्रीवेंसी के लक्ष्य तक पहुंच गया है : प्रधानमंत्री
पिछले छह वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षमता को ढाई गुना बढ़ाया गया है और सौर ऊर्जा क्षमता 15 गुना बढ़ गई है।

नमस्कार साथियों,

भारत की गति-प्रगति में देश के एनर्जी सेक्टर की बहुत बड़ी भूमिका है। ये एक ऐसा सेक्टर है जो Ease of Living और Ease of Doing Business, दोनों से ही जुड़ा हुआ है। आज जब देश, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, तो उसमें energy sector हमारे power sector, Renewable Energy की बहुत बड़ी भूमिका है। इन sectors में तेजी लाने के लिए आप में से कई महानुभावों से बजट से पहले भी काफी consultation हुआ है, चर्चा हुई है। आपके सुझावों को भी इन सारी चीजों के साथ जोड़ने का प्रयास भी किया है।

अब बजट आए 15 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। जो बारीकियां बजट से जुड़ी हैं, आपके सेक्टर से जुड़ी हैं, उसकी आप बहुत बारीकी से Analysis भी कर चुके हैं। कहां-कहां से नुकसान होने वाला है, कहां फायदा होने वाला है, अतिरिक्त फायदा उठाने के रास्ते क्या हैं; वो सब कुछ आपने खोज लिया होगा। और आपके advisors ने भी बहुत बड़ी मेहनत करके उस काम को कर भी लिया होगा। अब आगे का रास्ता, सरकार और आप कैसे मिलकर तय करें, कैसे बजट घोषणाओं को तेजी से लागू किया जाए, कैसे सरकार और प्राइवेट सेक्टर एक दूसरे पर विश्वास बढ़ाते हुए आगे बढ़ें, इस बात के लिए ये संवाद जरूरी था।

साथियों,

Energy Sector को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच हमेशा से बहुत Holistic रही है। जब 2014 में हमारी सरकार बनी तो पावर सेक्टर में क्‍या हो रहा था आप भली-भांति जानते हैं।  इससे जुड़ी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की क्या स्थिति थी, मैं मानता हूं कि उसका मुझे वर्णन करने की जरूरत नहीं। हमने इस सेक्टर में उपभोक्ता और उद्यमी, दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाने का और नीतियों में improvement करने का लगातार प्रयास किया है। पावर सेक्टर में हम जिन चार मंत्रों को लेकर चले वो हैं- Reach, Reinforce, Reforms और Renewable energy.

साथियों,

जहां तक Reach की बात है तो हमने पहले देश के हर गांव तक और फिर हर घर तक बिजली पहुंचाने पर जोर दिया और पूरी ताकत लगा दी हमने, पूरी व्‍यवस्‍था को उस ओर मोड़ दिया। बिजली पहुंचने से ऐसे लोगों के लिए तो एक नई दुनिया ही मिल गई। जो 21वीं सदी में भी बिना बिजली के रह रहे थे।

अगर अपनी कैपेसिटी को Reinforce करने की बात करें तो आज भारत power deficit country से power surplus country बन चुका है। बीते कुछ सालों में ही हमने 139 गीगा वॉट्स कैपेसिटी जोड़ी है। भारत, “One-Nation, One Grid – One Frequency” उसका लक्ष्य भी प्राप्त कर चुका है। ये सब कुछ रिफॉर्म्स के बगैर संभव नहीं था। UDAY योजना के तहत हमने 2 लाख 32 हजार करोड़ रुपए के बॉन्ड्स इश्यू किए। इससे पावर सेक्टर में financial और operational efficiencies को प्रोत्साहन मिला। Power grid के assets को monetise करने के लिए infrastructure investment trust - Invit स्थापित किया जा चुका है और वह शीघ्र ही investors के लिए खोल दिया जाएगा।

साथियों,

बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए Renewable energy पर बहुत अधिक फोकस किया जा रहा है। बीते 6 साल में हमने Renewable Energy कैपेसिटी को ढाई गुणा से ज्यादा बढ़ाया है। इसी दौरान भारत की सोलर एनर्जी कैपेसिटी में लगभग 15 गुणा वृद्धि की गई है। आज भारत इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से दुनिया को नेतृत्व भी दे रहा है।

साथियों,

21वीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए इस साल के बजट में भी भारत ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश के लिए कमिटमेंट दिखाया है। चाहे वो मिशन हाईड्रोजन की शुरुआत हो, Solar Cells की domestic manufacturing हो या फिर Renewable Energy Sector में बड़े पैमाने पर capital infusion; भारत हर क्षेत्र पर बल दे रहा है। हमारे देश में अगले 10 वर्षों तक सोलर सेल्स की जो डिमांड है, वो हमारी आज की manufacturing capacity से 12 गुना ज्यादा है। कितना बड़ा मार्केट हमारा इंतजार कर रहा है। आप समझ सकते हैं कि देश की जरूरतें कितनी बड़ी हैं और आपके लिए अवसर कितना बड़ा है।

हम इस क्षेत्र में अपनी कंपनियों को सिर्फ देश की जरूरतें ही पूरी करते नहीं देखना चाहते बल्कि उन्हें global manufacturing champions में बदलते देखना चाहते हैं। सरकार ने ‘High Efficiency Solar PV Modules’ को PLI schemes से जोड़ा है और इस पर 4500 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये निवेश भारत में Giga watt स्तर की Solar PV manufacturing facilities को विकसित करने में मदद करेगा। PLI स्कीम की सफलता का देश में एक पॉजिटिव ट्रैक रिकॉर्ड बन रहा है। अब जैसे मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग को हमने इस स्कीम से जोड़ा तो इसका बहुत ज्यादा रिस्पॉन्स हमें तुरंत नजर आने लगा है। अब ‘High Efficiency Solar PV Modules’ के लिए भी ऐसे ही रिस्पॉन्स की उम्मीद है।

PLI Scheme के तहत 10 हजार मेगावॉट क्षमता वाले integrated solar PV manufacturing plants बनाए जाएंगे औऱ इन पर करीब-करीब 14 हजार करोड़ रुपए का निवेश किए जाने की तैयारी है। सरकार का अनुमान है कि इससे आने वाले 5 वर्षों में 17 हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड बनेगी। ये डिमांड, Solar PV manufacturing के पूरे इकोसिस्टम के विकास में, उसको गति देने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

साथियों,         

RE sector में निवेश बढ़ाने के लिए, सरकार ने Solar Energy Corporation of India में एक हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त capital infusion के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसी तरह Indian Renewable Energy Development Agency में भी 1500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश किया जाएगा। ये भी बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

पावर सेक्टर में Ease of Doing Business को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने regulatory औऱ process framework में सुधार का भी अभियान चलाया हुआ है। पावर सेक्टर को पहले जिस नज़र से देखा जाता था, हमारा उसे देखने का नज़रिया अलग है। आज जितने भी रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं वो पावर को इंडस्ट्री सेक्टर का एक हिस्सा मानने के बजाय अपने आप में एक सेक्टर के रूप में ट्रीट कर रहे हैं।

पावर सेक्टर को अक्सर इंडस्ट्रियल सेक्टर के एक Support सिस्टम की तरह ही देखा जाता रहा है। जबकि बिजली अपने आप में ही अहम है और ये अहमियत सिर्फ उद्योगों की वजह से नहीं है। यही कारण है कि आज सामान्य जन के लिए बिजली की उपलब्धता पर इतना ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

सरकार की नीतियों का ही प्रभाव है कि आज भारत की पावर डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है! हम देश भर में बिजली सप्लाई और distribution segment की परेशानियों को दूर करने में लगे हैं। इसके लिए DISCOMS से जुड़ी ज़रूरी पॉलिसी और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने जा रहे हैं। हमारा मानना है कि कंज्यूमर को बिजली वैसे ही मिलनी चाहिए जैसे रिटेल की दूसरी चीजें मिलती है।

हम डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में entry barriers को कम करने और बिजली की distribution और supply को लाइसेंस मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा प्रीपेड स्मार्ट मीटर और फीडर सेपरेशन सिस्टम के अपग्रेडेशन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर DISCOMs की मदद के लिए योजना पर भी काम किया जा रहा है।

साथियों,

भारत में सोलर एनर्जी की कीमत बहुत कम है। इससे सोलर एनर्जी को लोग ज्यादा आसानी से स्वीकार भी कर रहे हैं। PM KUSUM योजना, अन्नदाता को ऊर्जादाता बना रही है। इस योजना के माध्यम से किसानों के खेतों में ही छोटे पावर प्लांट्स लगाकर 30 गीगावाट सोलर कैपेसिटी तैयार करने का लक्ष्य है। अभी तक करीब 4 गीगावाट Rooftop Solar energy की कैपेसिटी हम इंस्टॉल कर चुके हैं और लगभग ढाई गीगावाट कैपेसिटी इसमें जल्द ही और जुड़ जाएगी। अगले 1 डेढ़ साल में 40 गीगावाट सोलर एनर्जी सिर्फ Rooftop Solar Projects द्वारा तैयार करने का लक्ष्य है।

साथियों,

आने वाले दिनों में पावर सेक्टर को सुधारने, उसे सशक्त करने का अभियान और तेज होगा। 

हमारी कोशिशों को आपके सुझावों से ताकत मिलती है। आज देश का पावर सेक्टर, नई ऊर्जा के साथ नई यात्रा पर निकल रहा है। आप भी इस यात्रा में साझीदार बनिए। आप इसका नेतृत्‍व कीजिए।

मुझे उम्मीद है कि आज इस वेबिनार में सभी एक्सपर्ट द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव मिलेंगे। मुझे ये भी विश्वास है कि आपके मूल्यवान सुझावों से सरकार को बजट से जुड़ी घोषणाओं को लागू करने में बहुत मदद मिलेगी और ये जो समय पूरी सरकार की टीम बजट के पहले बहुत मेहनत करनी होती है, कई पहलुओं को देखना होता है, बहुत consultation करना होता है, उसके बाद बजट आता है। लेकिन बजट के बाद तुरंत इतनी बड़ी exercise, ये मैं समझता हूं उससे भी ज्‍यादा परिणामकारी होगी, उससे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण होगी। और इसलिए ऐसा होता तो अच्‍छा होता, ऐसा होता तो अच्‍छा होता...ये करते तो ठीक होता; वो समय पूरा हो चुका है। जो है, उसको हमें तेज गति से लागू करना है। अब हमें बजट एक महीना पहले किया है। एक महीना prepone करने का मतलब है मुझे देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था को एक महीना पहले दौड़ाना है।

हम देखते हैं, खास करके इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए ये समय बहुत मूल्‍यवान है क्‍योंकि हमारे यहां अप्रैल में बजट लागू होता है और उसके बाद अगर हम चर्चा शुरू करेंगे तो उसमें मई महीना निकल जाता है। मई एंड से हमारे देश में बारिश शुरू हो जाती है और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर  के सारे काम तीन महीने लटक जाते हैं। ऐसी स्थिति में 1 अप्रैल से ही काम शुरू जाए तो हमें अप्रैल-मई-जून, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर काम के लिए बहुत समय मिल जाता है; जुलाई-अगस्‍त–सितम्‍बर बारिश के दिन होते हैं; फिर हम तेज गति से आगे बढ़ सकते हैं। समय का उत्‍तम उपयोग करने के लिए ये बजट हम एक महीना prepone करके आगे बढ़ रहे हैं।

इसका फायदा आप सब साथी जो may stakeholders हैं, आप जितना उठाएं, सरकार पूरी तरह आपके साथ चलना चाहती है, एक कदम आगे चलना चाहती है। आप आगे आइए, आपके concrete implementation के concrete सुझाव ले करके आगे आइए, मेरी पूरी टीम आपके साथ चर्चा करेगी, विस्‍तार से चर्चा करेगी और हम मिल करके देश के जो सपने हैं, उनको पूरा करने के लिए चल पड़ें। इसी शुभकामनाओं के साथ मैं चाहूंगा कि वेबिनार बहुत successful हो, बहुत ही focussed हो। Implementation- मेरा focus area, implementation है। इस पर आप जोर लगाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।      

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!