स्वतंत्रता के 75 वर्षों का समारोह मनाने के लिए पांच स्तंभों का उल्लेख किया।
सनातन भारत का गौरव तथा आधुनिक भारत की चमक समारोहों में दिखनी चाहिएः प्रधानमंत्री
130 करोड़ भारतीयों की भागीदारी भारत के 75 वर्षों की आजादी के समारोहों के मूल में हैः प्रधानमंत्री

नमस्कार!

आज़ादी के 75 साल का अवसर अब दूर नहीं है, हम सब इसके स्वागत में खड़े हैं। ये वर्ष जितना ऐतिहासिक है, जितना गौरवशाली है, देश के लिए जितना महत्वपूर्ण है, देश इसे उतनी ही भव्यता और उत्साह के साथ मनाएगा। 

ये हमारा सौभाग्य है कि समय ने, देश ने, इस अमृत महोत्सव को साकार करने की ज़िम्मेदारी हम सबको दी है। मुझे खुशी है कि ये कमेटी अपने इस कर्तव्य के लिए कड़ी मेहनत के साथ जो आशा-अपेक्षाएं हैं, जो सुझाव आए हैं और जो सुझाव आते रहेंगे, जन-जन तक पहुंचने का जो प्रयास है उसमें कोई कमी नहीं रहेगी। लगातार नए-नए ideas, नए-नए सुझाव जनसामान्‍य को फिर से एक बार देश के लिए जीने के लिए आंदोलित करना, इसकी प्रेरणा, ये अवसर बन करके कैसे उभरे, वैसा मार्गदर्शन आप सबसे निरंतर मिलता ही रहेगा। अभी भी यहाँ हमारे कुछ माननीय सदस्यों का हमें मार्गदर्शन मिला है। आज एक शुरूआत है। आगे चल करके हम विस्‍तार से बात भी करेंगे। 75 सप्‍ताह भी हमारे पास हैं और बाद में पूरा साल भर है। तो इन सबको को हमें ले करके आगे जब चलता है तब इन सुझावों की बहुत अहमियत है।  

आपके इन सुझावों में आपका अनुभव भी झलकता है, और भारत के diverse thoughts से आपका connect भी दिखता है। यहाँ आज़ादी के 75 साल को लेकर एक मोटी-मोटी रूपरेखा, एक प्रेजेंटेशन हमारे सामने प्रस्‍तुत किया गया। वो एक प्रकार से विचार-प्रवाह को गति देने का ही उसका काम है। ये कोई सूची ऐसी नहीं है कि इसी को लागू करना है और इसी में बंधे रहना। एक-एक मोटा-मोटा विचार प्रा‍थमिक क्‍योंकि कहीं से शुरू करने के लिए जरूरत होती है लेकिन जैसे-जैसे भी चर्चा होगी ये पूरी तरह एक कार्यक्रम का शेप लेगा, समय निर्धारित करेगा, टाइम-टेबल निर्धारित करेगा। कौन क्‍या जिम्‍मेदारी संभालेगा, कैसे करेंगे, इन सबको आगे हम बारीकियों से देखेंगे। इस प्रेजेंटेशन में भी जो रूपरेखा खींची गई है, उसमें भी पिछले दिनों कई अलग-अलग forum  में जो बातें आई हैं, उन बातों को शामिल करने का एक छोटा-मोटा प्रयास भी किया गया है, उसे शामिल भी किया गया है। एक तरह से ये प्रयास है कि कैसे आज़ादी के 75 साल का ये आयोजन, आजादी का ये अमृत महोत्‍सव भारत के जन-जन का, भारत के हर मन का पर्व बने।

साथियों,

आज़ादी के 75 साल का ये पर्व, आजादी का ये अमृत महोत्‍सव एक ऐसा पर्व होना चाहिए, जिसमें स्वाधीनता संग्राम की भावना, उसका त्याग, साक्षात अनुभव हो सके। जिसमें देश के शहीदों को श्रद्धांजलि भी हो, और उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प भी हो। जिसमें सनातन भारत के गौरव की भी झलक हो, जिसमें आधुनिक भारत की चमक भी हो। जिसमें मनीषियों के आध्यात्म का प्रकाश भी हो, जिसमें हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और सामर्थ्य के दर्शन भी हों। ये आयोजन हमारे इन 75 वर्षों की उपलब्धियों को भी दुनिया के सामने रखने का और अगले 25 वर्षों के लिए हमें एक रूपरेखा, एक संकल्प भी देगा। क्‍योंकि 2047 में जब देश आजादी की शताब्‍दी मनाएगा तब हम कहां होंगे, दुनिया में हमारा स्‍थान क्‍या होगा, भारत को हम कहां तक ले जाएंगे, आजादी के बीते हुए 75 साल और आजादी की जंग ये हमें प्ररेणा देगा। एक पीठिका तैयार करेगा और उस पीठिका के आधार पर ये 75 साल का पर्व भारत की आजादी की शताब्‍दी के लिए, उस दिशा में मजबूती से जाने के लिए एक हमारे लिए दिशादृशक हो, प्रेरक हो, और पुरुषार्थ की भावना जगाने वाला हो। 

साथियों,

हमारे यहाँ कहा जाता है- 'उत्सवेन बिना यस्मात् स्थापनम् निष्फलम् भवेत्' अर्थात, कोई भी प्रयास, कोई भी संकल्प बिना उत्सव के सफल नहीं होता। एक संकल्प जब उत्सव की शक्ल लेता है तो उसमें लाखों करोड़ों के संकल्प जुड़ जाते हैं, लाखों करोड़ों की ऊर्जा जुट जाती है। इसी भावना के साथ हमें 130 करोड़ देशवासियों को साथ लेकर, उन्हें साथ जोड़कर ये आजादी का अमृत महोत्‍सव, ये आजादी के 75 साल का ये पर्व मनाना है। जनभागीदारी इस आयोजन की, इस उत्सव की मूल भावना है। और जब हम जनभागीदारी की बात करते हैं तो इसमें 130 करोड़ देशवासियों की भावनाएं भी हैं, उनके विचार और सुझाव भी हैं और उनके सपने भी हैं। 

साथियों,

जैसा आपकी जानकारी में भी है, आज़ादी का ये अमृत महोत्‍सव, आज़ादी के 75 साल के इस आयोजन के लिए जो विचार आए थे उसको जब समेटते थे तो एक मोटा-मोटा जो खाका बनता था वो 5 स्‍तम्‍भ में उसको हम विभाजित कर सकते हैं। एक तो Freedom Struggle, Ideas at 75, Achievements at 75, Actions at 75 और Resolve at 75- हमें इन पांचों को लेकर आगे बढ़ना है। इन सभी में देश के 130 करोड़ लोगों के ideas, उनकी भावनाएं शामिल होनी चाहिए। स्वाधीनता संग्राम के जिन सेनानियों को हम जानते हैं, उन्हें हम श्रद्धांजलि देंगे, लेकिन साथ ही जिन सेनानियों को इतिहास में उतनी जगह नहीं मिली, उतनी पहचान नहीं मिली, उनकी जीवनगाथा भी हमें जन-जन तक पहुंचानी है। हमारे देश का शायद ही कोई ऐसा स्थान हो, कोई ऐसा कोना हो जहां से किसी न किसी भारत मां के बेटे-बेटी ने अपना योगदान न दिया हो, बलिदान नहीं दिया हो। उन सबके बलिदान, उन सबके योगदान की उन महान प्रेरक कहानियाँ भी जब देश के सामने आएँगी तो वो अपने आप में बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत होने वाला है। इसी तरह हमें देश के हर कोने, हर वर्ग के योगदान को भी देश के सामने लाना है। कई ऐसे लोग हैं जो पीढ़ियों से कोई न कोई महान काम देश और समाज के लिए कर रहे हैं। उनकी सोच को, उनके ideas को भी हमें सामने लाना है, देश को उनके प्रयासों से जोड़ना है। ये भी इस अमृत महोत्सव की मूल भावना है।

साथियों,

इस ऐतिहासिक पर्व के लिए देश ने रूपरेखा भी तय कर की है। उसे और अधिक समृद्ध करने की दिशा में आज प्रारंभ हुआ है। समय रहते-रहते ये सारी योजना अधिक शार्प हो जाएगी, अधिक प्रभावी हो जाएगी और ये प्रेरक तो होगी ही होगी ताकि हमारी वर्तमान पीढ़ी, हम वो लोग हैं जिन्‍हें आजादी में, देश की आजादी के लिए मरने का मौका नहीं मिला है लेकिन हमें जीने का मौका मिला है। हमें देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है। और हमारी आने वाली पीढ़ियों के अंदर भी यही भाव प्रबल हो, तब जा करके 2047 जब देश की आजादी के 100 साल होंगे, तब हम देश को जहां ले जाना चाहते हैं, उस सपनों को पूरा करने के लिए पूरा देश चल पड़ेगा। देश में हो रहे नए-नए फैसले, नई-नई सोच, आत्मनिर्भर भारत जैसे संकल्प इन्हीं प्रयासों का साकार रूप हैं। ये उन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को भी पूरा करने का प्रयास है, भारत को उस ऊंचाई पर पहुंचाने का प्रयास है, जिसकी इच्छा रखते हुए अनेकों वीरों ने फांसी के फंदे को गले लगा लिया था, अपना जीवन काल कोठरी में बिता दिया था। 

साथियों,

आज भारत वो सब कर रहा है, जिसकी कुछ साल पहले तक कल्पना नहीं हो सकती थी। 75 साल की यात्रा में एक-एक कदम उठाते-उठाते आज देश यहां पर पहुंचा है। 75 साल में अनेक लोगों का योगदान रहा है, हर प्रकार के लोगों का योगदान रहा है। और किसी न किसी के योगदान को नकारने से देश बड़ा नहीं बनता है। हर किसी के योगदान को स्‍वीकार करके, स्‍वागत करके, सम्‍मान करके आगे चलने से ही देश आगे बढ़ता है। और उसी मंत्र से हम पले-बड़े हैं, उसी मंत्र को ले करके चलना चाहते हैं। आज़ादी के 75 साल जब देश मनाएगा, तो देश उन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ेगा, उन्हें प्राप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाएगा, जो कभी असंभव लगते थे। मुझे पूरा विश्वास है, आप सभी के सहयोग से ये आयोजन भारत के ऐतिहासिक गौरव के अनुरूप होगा। आप सब अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं, आप सबके योगदान से ये आयोजन भारत के गौरव को पूरी दुनिया के सामने रखेगा, एक ऊर्जा मिलेगी, प्रेरणा मिलेगी, दिशा मिलेगी। आपका योगदान बहुत मूल्‍यवान है। 

इन्‍हीं शब्‍दों के साथ आप सबके योगदान के लिए और आने वाले दिनों में आपकी सक्रिय भागीदारी के लिए आप सबको निमंत्रण देते हुए मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। मेरी फिर से एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।                                                           

 बहुत बहुत धन्यवाद!     

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Prime Minister meets with Crown Prince of Kuwait
December 22, 2024

​Prime Minister Shri Narendra Modi met today with His Highness Sheikh Sabah Al-Khaled Al-Hamad Al-Mubarak Al-Sabah, Crown Prince of the State of Kuwait. Prime Minister fondly recalled his recent meeting with His Highness the Crown Prince on the margins of the UNGA session in September 2024.

Prime Minister conveyed that India attaches utmost importance to its bilateral relations with Kuwait. The leaders acknowledged that bilateral relations were progressing well and welcomed their elevation to a Strategic Partnership. They emphasized on close coordination between both sides in the UN and other multilateral fora. Prime Minister expressed confidence that India-GCC relations will be further strengthened under the Presidency of Kuwait.

⁠Prime Minister invited His Highness the Crown Prince of Kuwait to visit India at a mutually convenient date.

His Highness the Crown Prince of Kuwait hosted a banquet in honour of Prime Minister.