अमेरिका में बसे हुए सभी मेरे परिवारजन!
परिवार के सज्जनों से मिलने का जो आनंद होता है वह आनंद मैं जब-जब आप से मिलता हूँ तो अनुभव करता हूँ, एक नई ऊर्जा लेकर जाता हूँ। नया उत्साह आप मेरे अन्दर भर देते हैं। फिर एक बार वो मौका आज मुझे मिला है।
पिछले 20 साल में कई बार मुझे अमेरिका आने का अवसर मिला है। जब मुख्यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री भी नहीं था तो अमेरिका के करीब 30 States का मैंने भ्रमण किया था और हर बार किसी ना किसी स्वरुप में यहाँ बसे हुए आप सब परिवारजनों से मिलने का मौका मिलता था।
प्रधानमंत्री बनने के बाद आप लोगों ने इतने बड़े-बड़े समारोह आयोजित किये जिसकी गूँज आज भी दुनिया में सुनाई देती है। ना सिर्फ अमेरिकन political leaders बल्कि विश्व के पोलिटिकल लीडर्स भी जब मिलते हैं तो उनके दिमाग में मेरी पहचान अमेरिका के उस इवेंट से शुरू होती है।
ये सब आप लोगों का ही कमाल है, आपका ही पुरुषार्थ है और मैं जानता हूँ कि अमेरिका में रहते हुए इस प्रकार की चीज़ें organise करने में कितनी मेहनत लगती है, कितनी बारीकियां देखनी पड़ती हैं, लेकिन उसके बावजूद भी आप इसको सफल बनाते हैं।
इस बार की मेरी यात्रा में मैं ज्यादातर लोगों को नाराज़ करने वाला हूँ नाराज़ करके जाने वाला हूँ क्योंकि कई दबाव आ रहे थे, कई कार्यक्रमों के सुझाव आ रहे थे, आप लोगों का भी मन करता था बड़े कार्यक्रम करने के लिए लेकिन मैंने कहा कि बड़े कार्यक्रम जरूर करूंगा लेकिन आज मैं उन लोगों से विशेष रूप से मिलकर उनके दर्शन करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरे पिछले कार्यक्रमों के लिए भारी मेहनत की थी, बहुत मेहनत की थी।
समय दिया, धन खर्च किया, अपने निज़ी कार्यक्रमों में फेरबदल किया तो इस बार तो मेरा मन यही था कि आप सब के दर्शन करूं जिन्होंने काफी परिश्रम किया था, तो ये सौभाग्य मुझे आज मिला है। एक प्रकार से यहाँ मैं जो स्वरुप देख रहा हूँ उसमें लघु भारत भी है और लघु अमेरिका भी है।
भारत के करीब-करीब सभी राज्यों के लोग यहाँ हैं और अमेरिका के भी सभी राज्यों के लोग यहाँ पर हैं। आप कहाँ हो, किस अवस्था में हो, किस प्रकार से कार्य से जुड़े हुए हो, किस परिस्थिति में देश छोड़कर यहाँ आये हो, कुछ भी हो लेकिन हिंदुस्तान में अगर कुछ अच्छा होता है तो आपकी ख़ुशी नहीं समाती है। और हिंदुस्तान में अगर कुछ बुरा हो तो सबसे पहले आपकी नींद खराब होती है। ये इसलिए होता है कि आपका दिल हरपल चाहता है कि मेरा देश ऐसा कब बनेगा, मेरा देश आगे ऐसा कब बढ़ेगा।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ जो सपने आपने देखे हुए हैं आपके रहते उन सपनों को पूरा होते हुए देखेंगें और उसका सीधा-सादा कारण है, आप ही हिंदुस्तान में थे और आप ही अमेरिका में हैं लेकिन आपकी शक्ति, आपका सामर्थ्य, जो भी हिन्दुस्तानी हुआ लेकिन उसे अनुकूल वातावरण मिलते ही आप इतने फले-फूले कि अमेरिका को भी फलने-फूलने में आप बहुत बड़े सहायक बन गए।
वही भारतीय की ताकत, सानुकूल वातावरण अमेरिका में मिला तो अमेरिका की भलाई के लिए भी और खुद की भलाई के लिए, दोनों की विकास यात्रा बराबर-बराबर चलती रही। आपके जैसे ही, आपके जैसा ही सामर्थ्य रखने वाले, आपके जैसी ही बुद्धि प्रतिभा रखने वाले सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी हिंदुस्तान में बैठे हैं।
आपको जैसे यहाँ सानुकूल माहौल मिला और दुनिया बदल गई, उनको भी अब वहां सानुकूल माहौल मिल रहा है और वो सवा सौ करोड़ देशवासी कितनी तेज़ी से हिंदुस्तान बदल देंगें ये आप और मैं भलीभांति अंदाज़ लगा सकते हैं।
आज भारत में जो सबसे बड़ा परिवर्तन आया है और जो मैं हरपल अनुभव करता हूँ, हर देशवासी कुछ न कुछ करना चाहता है, कुछ न कुछ कर रहा है और वह भी, मेरा देश आगे बढ़े, इस सपने और संकल्प के साथ कर रहा है। और जब सवा सौ करोड़ देशवासियों का जज्बा, कुछ कर गुजरने का इरादा, कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक, पूरे देश में अनुभव होता हो तब देशवासियों मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, पिछले कई वर्षों तक जो गति नहीं थी उससे तेज़ गति से देश आज आगे बढ़ रहा है।
इन दिनों भारत में जिन विषयों को लेकर के सरकार हमारे यहाँ बदनाम भी होती रहीं और बदलती भी रहीं, उसका कारण ये नहीं रहा कि किसी व्यक्ति को कुछ चाहिए था और मिला नहीं, असंतोष का कारण वो ज्यादा नहीं था। जैसे आप लोग हैं, inherit संस्कार है संतोष का, ठीक है चलो भाई। जवान बेटा भी अगर मर जाए, बिमारी से मर जाए तो माँ-बाप कहेंगें, चलो भाई शायद ईश्वर की इच्छा होगी इसलिए ईश्वर को प्यारा हो गया। ये हमारी सोच की मूलभूत प्रकृति है।
भारत में सरकारें बदली गईं हैं उसके मूल में एक कारण रहा है भ्रष्टाचार, बेईमानी। देश के सामान्य नागरिकों को नफरत है कि क्या मतलब है? मैं आज सर झुकाकर के बड़ी नम्रता से ये कहना चाहूँगा कि इस सरकार में तीन साल का जो भी कार्यकाल बिताया है अब तक इस सरकार पर एक भी दाग़ नहीं लगा है और सरकार चलाने के तरीक़े में भी, inbuilt व्यवस्थाओं को ऐसा विकसित करने का प्रयास हो रहा है ताकि ईमानदारी एक सहज प्रक्रिया हो। वर्ना ऐसा नहीं है कि vigilance बार-बार करेंगे तभी ये चीज़ें चलती रहें।
टेक्नोलॉजी उसमें बहुत बड़ा रोल कर रही है। टेक्नोलॉजी से ट्रांसपेरेंसी आती है, लीडरशिप और गवर्नेंस के उसूलों के कारण integrity आती है और सामान्य आदमी का स्वाभाव अच्छा है तो उस रास्ते जाना ज्यादा पसंद करता है।
अब जैसे हमने देश में जो सामान्य आदमी को सरकारी खजाने से मिलने वाली बातें हैं उसको टेक्नोलॉजी के माध्यम से Direct Benefit Transfer Scheme में convert किया। उसका परिणाम क्या आया, हमारे यहाँ गैस सिलिंडर घरों में यदि देते हैं तो, अब जैसे भारत देश है, लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना बहुत जरूरी है तो जितना आर्थिक बोझ कम हो जिस से वो पैसे शिक्षा में लगा सके, हेल्थ में लगा सके, बच्चों की देखभाल में लगा सके, तो कुछ सब्सिडी वगैरह देते हैं, गरीबों पर ख़ास ध्यान देते हैं। अब गैस सब्सिडी देते हैं तो गरीब से गरीब को सब्सिडी जाती है और अमीर से अमीर के घर को भी जाती है और खरबों रुपये कमाने वाले को भी सब्सिडी वाला सिलिंडर मिलता है।
अब मैंने आकर के request की लोगों से, मैंने कहा भाई अगर भगवान् ने आपको कुछ दिया है तो आप ये सब्सिडी क्यों लेते हैं। इन 1000-1500 रुपयों में क्या रखा है। आपका तो एक दिन का जेबख़र्च भी इस से ज्यादा होता है। आप हैरान होंगें, देश के सामान्य नागरिक के दिल में देश को आगे बढ़ाने की अदम्य इच्छा है, ये जब मैं कहता हूँ तो उसका उदाहरण क्या है, उदाहरण ये है – सवा करोड़ देशवासी, यानी की सवा करोड़ परिवार, भारत में कुल 25 करोड़ परिवार हैं, सवा करोड़ परिवारों ने सामने से कह दिया, मोदी जी आपने कहा है इसलिए आज से सब्सिडी नहीं लेंगें।
ये उस बात का सबूत है कि सामान्य नागरिक देश को आगे ले जाने में अपने आपको भागीदार बनाना चाहता है, नेतृत्व करना चाहता है, कुछ कर गुज़रना चाहता है और बाद में हमने क्या किया, ये सब्सिडी सरकार के खजाने में डाल करके, सरकारी खजाने के चिंता नहीं की है। हमने कहा ठीक है इसको हम उन गरीब परिवारों को देंगें जो गरीब लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं, मेहनत-मजदूरी करते हैं लेकिन बच्चों का पेट भरने के लिए सुबह 3-4 बजे उठ करके लकड़ी लाते हैं, लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं फिर छोड़कर के जाते हैं, बच्चे बाद में खाते हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं कि लकड़ी का चूल्हा जलाने से जो धुआं होता है, एक माँ जो दिनभर किचन में जब भी खाना पकाती है, लकड़ी का चूल्हा जलाती है, 400 cigarettes का धुआं उस माँ के शरीर में जाता है। छोटे-छोटे बच्चे घर में खेलते हैं, ये धुआं उनके शरीर में भी जाता है। अब आप कल्पना कर सकते हैं जिस माँ के शरीर में एक दिन में 400 cigarettes का धुआं जाता है उस माँ के शरीर का हाल क्या होगा? उन बच्चों के शरीर का क्या हाल होगा?
अगर मैं स्वस्थ भारत का सपना देखता हूँ तो स्वस्थ माँ, स्वस्थ बालक होना बहुत जरूरी है। मैंने बीड़ा उठाया और लोगों से कहा कि जो सवा करोड़ लोगों ने जो गैस सब्सिडी छोड़ी है वो सिलिंडर हम गरीब परिवारों को देंगे और ये सब्सिडी गरीब के यहाँ transfer कर देंगें। इतना ही नहीं जिसने सब्सिडी छोड़ी थी उसको एक चिट्ठी मिली कि आपने जो गैस सब्सिडी छोड़ी थी, गुजरात के फलाने गाँव में आपने छोड़ी थी लेकिन अब असम के फलाने ज़िले के, फलाने गाँव के फलाने गरीब को ये सब्सिडी transferकर दी गई है।
मेहनत पड़ती है लेकिन ये transparency एक नया विश्वास पैदा करती है। आप जब हिंदुस्तान में होंगें तो देखा होगा कि गैस का सिलिंडर पाने के लिए पता नहीं कितने पापड़ बेलने पड़ते थे, नेताओं के घर के चक्कर लगाने पड़ते थे कि गैस का कनेक्शन दे दीजिये। हमने एक बीड़ा उठाया है कि आनेवाले तीन वर्षों में 5 करोड़ गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन देना है, उसे लकड़ी के चूल्हे से मुक्त करना है। और मुझे ख़ुशी है कि अभी तो इस योजना को 11-12 महीने भी नहीं हुए हैं और अब तक करीब १ करोड़ से ज्यादा परिवारों में गैस सिलिंडर हमने पहुंचा दिए हैं।
सब्सिडी देते थे, उसमें हमने बड़ा बदलाव किया। पहले जो बेचता था उसको सब्सिडी जाती थी अब हमने वो बंद करके जो पाता है, जिसके घर सिलिंडर जाता है उसके ही बैंक अकाउंट में सब्सिडी चली जाती है। अब पहले हम पर आरोप लगता था कि मोदी इतने बैंक अकाउंट खोलने के पीछे लगे हो, जब मैंने अभियान चलाया था कि 6 महीने के भीतर-भीतर देश में सब जगह बैंक अकाउंट खोलने हैं, 40 प्रतिशत लोग थे जिनके बैंक में कोई अकाउंट नहीं थे, बैंक में उनकी कोई entry नहीं थी। हमने खाते खोल दिए, तो हम पर ये आरोप लगता था कि खाते खोल दिए पैसे तो हैं नहीं, खाते खोल दिए पैसे तो हैं नहीं।
कोई ना कोई बहाना चाहिए आरोप लगाने के लिए लेकिन जब हमने Direct Benefit Transfer शुरू किया तो सरकारी सब्सिडी सीधे बैंक में जाने लगी। इसमें मज़ा ये आया, करीब 3 करोड़, आप हैरान हो जायेंगे, 3 करोड़ ऐसी सब्सिडी जाती थी जिसका खोजने पर भी कोई मालिक हमको नहीं मिला। कितने हजारों करोड़ रुपये हर वर्ष जाते होंगें, पता नहीं किसकी जेब में जाते होंगें। Direct Benefit Transfer करने के कारण 3 करोड़ जो ghost client थे वे गायब हो गए, रुपये बच गए जो अब किसी गरीब के लिए गाँव में स्कूल बनाने के काम आ रहे हैं।
Transparency लाने में technology कितना बड़ा रोल कर रही है और जो Young Generation हैं वो भलीभांति समझती है कि technology की ताकत क्या है। आज हिंदुस्तान उस technology को काफी बल देते हुए व्यवस्थाओं को विकसित कर रहा है।
हमारे देश में, जो लोग लगातार भारत की चीज़ों को देखते होंगे, जब खेती का season आता है तो यूरिया को पाना कितना मुश्किल होता था। मैं भी जब मुख्यमंत्री था तो भारत सरकार को लगातार चिट्ठी लिखता था कि हमारे यहाँ यूरिया की कमी है, किसान परेशान है, यूरिया मिलना चाहिए वगैरह-वगैरह।
मैं जब प्रधानमंत्री बना तो मुझे भी सब मुख्यमंत्रीयों के पत्र आने लगे, पहले महीने में यही चिठ्ठियाँ थीं सारी। आपको जानकर ख़ुशी होगी पिछले दो साल से एक भी मुख्यमंत्री यूरिया के लिए मुझे चिट्ठी नहीं लिख रहा है। कहीं भी यूरिया की कमी नहीं है, कहीं यूरिया के लिए कतार नहीं है, नहीं तो अपने देश में यूरिया के लोग रात-रात भर कतार लगाते थे, रात-रात भर खुले में सोते थे ताकि सुबह दूकान खुलते ही यूरिया मिल जाए, ऐसे दिन थे।
क्या हमने रातों-रात यूरिया के कारखाने लगा दिए, नहीं। क्या रातोंरात यूरिया का उत्पादन बढ़ा दिया, नहीं। एक simple काम किया, यूरिया का नीम कोटिंग किया, नीम के पेड़ की जो फली निकलती है उसका तेल, जो wastage है उसको डाल दिया। पहले क्या होता था, यूरिया तैयार होता था, यूरिया में सब्सिडी बहुत मिलती है किसानों को, सालाना करीब 80000 करोड़ रुपया सब्सिडी में जाता है। बहुत सस्ते में यूरिया कारखाने से निकलता है लेकिन वो खेत में नहीं जाता था, केमिकल फैक्ट्री में घुस जाता था। Chemical Factory के लिए वो Raw Material होता था, उसको process करके कोई और product बना करके वो दुनिया में माल बेचते थे और पैसे कमाते थे। नीम कोटिंग करने के बाद अब एक ग्राम यूरिया भी और किसी काम नहीं आ सकता है। Chemical Factory में जाना बंद हो गया और यूरिया खेत में जाने लगा और नीम कोटिंग लगाने के कारण यूरिया की extra ताकत बढ़ गई जो ज़मीन में सुधार लाने लगी और परिणाम ये आया 5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत तक खेत उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो गई। यूरिया की चोरी रुक गई उसके कारण सब्सिडी का खर्च कम हो गया, शत-प्रतिशत यूरिया खेत में पहुँचने लगा तो किसान की दिक्कत चली गई, और यूरिया में नीम कोटिंग होने के कारण उत्पादन भी बढ़ गया, Just with the help of Technology.
मैं अनेक ऐसे उदाहरण दे सकता हूँ कि जिसमें भारत इन दिनों Technology के सहारे कई नए achievements कर रहा है। Space की दुनिया में भारत ने अपना नाम कमाया है। अभी दो दिन पहले ही 31 Nano-Satellite एक साथ launch किये हैं। पिछले महीने हम लोगों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड किया, एक साथ 104 Satellite launch किये। दुनिया को अजूबा लगा कि भारत की क्या ताकत है कि एक साथ 104 सॅटॅलाइट लांच कर रहा है।
पिछले दिनों हिंदुस्तान ने एक Satellite launch किया जिसकी वजन की तुलना किलोग्राम में नहीं होती है, इतने हाथी के वजन के बराबर Satellite छोड़ा गया। Elephant के weight के साथ हमारे Satellite के weight की तुलना हो रही है। कहने का तात्पर्य ये है की देश आधुनिक भारत के सपनों को पूरा करने के लिए एक Technology driven Governance, Technology driven Society, Technology driven Development, इन सारी बातों पर एक नए सिरे से बल दिया जा रहा है और उसके सुखद परिणाम आज बहुत तेज़ गति से नज़र आ रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि हमारे देश में कुछ भी काम होते नहीं थे, काम तो होते थे आखिर सरकारें बनती हैं कुछ ना कुछ करने के लिए और कोई सरकार नहीं चाहती है कि वो अपने कार्यकाल को खराब करके जाए और चुनाव हार जाए, कोई नहीं चाहता लेकिन काम होना वो एक बात है परन्तु देश की आवश्यकता, अपेक्षाओं के अनुरूप तेज़ गति से, सही दिशा में परिणामकारी काम होने में बहुत बड़ा फर्क होता है। और इसलिए निर्णय भी समय की सीमा में हो, time-bound हो, तेज़ गति से हो, सही दिशा में, हो परिणामकारी हो इन चीज़ों को ले करके देश किसी भी parameter पर देख लिया जाए।
पहले एक दिन में कितनी लम्बी रोड बनती थी और आज कितनी बनती है, पहले एक दिन में रेलवे की कितनी लम्बाई बढ़ती थी आज कितनी बढ़ती है, पहले रेलवे का electrification एक दिन में कितना होता था आज कितना होता है, कोई भी पैरामीटर लिया जाए, अकल्पगति आज देश के काम में आई है क्योंकि infrastructure Sustainable Development के लिए बहुत अनिवार्य होता है। Infrastructure में भी हमारी सोच आधुनिक भारत के सन्दर्भ में है, इक्कीसवीं शताब्दी के सन्दर्भ में है और Global benchmark के सन्दर्भ में है।
अब काम होने को हो इससे चलने वाला नहीं है, एक जमाना वो था कि जब अकाल होता था तो गाँव के लोग सरकार को चिट्ठी भेजते थे कि हमारे गाँव में भी अकाल के लिए कुछ मिट्टी का काम किया जाए और मिट्टी की गड्ढे खोदे जाते थे और मिट्टी का रास्ता बना दिया जाता था और उसको सरकार का एक बहुत बड़ा अचीवमेंट माना जाता था, वो भी दिन थे हमारे देश में।
धीरे-धीरे आया नहीं साहब सड़क बना दो, डामर की सड़क बना दो, फिर धीरे-धीरे आ गया कि नहीं साहब डबल लेन सड़क बना दो, आज मांग उठी है Express Road चाहिए, उससे नीचे नहीं चाहिए। ये aspiration जो बढ़ रहा है देश का ये भारत के विकास की सबसे बड़ी ताकत है। जब देश के सामान्य नागरिक का एस्पिरेशन बढ़ता है तो उन aspirations को अगर proper leadership मिल जाए, Proper Governance मिल जाए, policy मिल जाए तो aspiration अपने आप ही achievement बन जाता है।
जनता-जनार्दन के aspirations को achievement में convert करने की दिशा में हम नीतियों को निर्धारित करते हैं, हम गति तय करते हैं, priority तय करते हैं और जी-जान से ज़ोर लगाते हैं तो परिणाम मिलने लगा है।
आज विश्व आतंकवाद से परेशान है। ये आतंकवाद मानवजाति का दुश्मन है। विश्व के कई देश, जब भारत आतंकवाद की बात बताता था आज से 20-25 साल पहले, उनके गले नहीं उतरता था। विश्व के लोगों को लगता है कि ये आपका Law and Order problem है क्योंकि उन्होंने भुगता नहीं था, अनुभव नहीं किया था। आज विश्व में किसी को terrorism समझाना नहीं पड़ रहा है, टेररिस्टों ने समझा दिया है। हम समझाते थे तो समझ नहीं आता था अब टेररिस्टों ने समझा दिया है, लेकिन जब हिंदुस्तान Surgical Strike करता है तब दुनिया को ताकत का अनुभव होता है कि भारत संयम रखता है लेकिन जरूरत पड़े तो भारत अपने सामर्थ्य का परिचय भी दे सकता है।
हम विश्व के कानूनों से बंधे हुए हैं क्योंकि वो हमारे संस्कार हैं, हमारा स्वभाव है। हम वसुधैव कुटुम्बकम की कल्पना वाले हैं, ये सिर्फ थोथे शब्द नहीं हैं ये हमारा चरित्र है, हमारा स्वाभाव है। हम ग्लोबल आर्डर को तहस-नहस करके अपना डंडा जमाने वाले देश नहीं हैं, हम दुनिया के norms का पालन करते हुए, International Law का पालन करते हुए, हमारी sovereignty के लिए, हमारी सुरक्षा के लिए, हमारे जन सामान्य के लिए, सुख शांति और प्रगति के लिए, कठोर से कठोर कदम उठाने का सामर्थ्य रखते हैं और जब भी जरूरत पड़ी लेते रहे हैं और दुनिया हमें कभी भी रोक नहीं सकती।
Surgical Strike एक ऐसी घटना थी अगर दुनिया चाहती तो भारत के बाल नोच लेती, हमें कटघरे में खड़ा कर देती, विश्व हमसे जवाब मांगता, दुनिया में हमारी आलोचना होती लेकिन पहली बार आपने अनुभव किया होगा भारत के Surgical Strike के इतने बड़े कदम पर विश्व में से किसी ने भी कोई सवाल नहीं उठाया। जिनको भुगतना पड़ा उनकी बात अलग है, और इसलिए कि हम दुनिया को ये समझाने में सफल हुए हैं कि आतंकवाद का वो कौन सा रूप है जो भारत के सामान्य जीवन को तबाह कर रहा है, हम विश्व को समझाने में सफल हुए हैं।
इक्कीसवीं सदी का हिंदुस्तान बनाने की दिशा में आर्थिक क्षेत्र में उदारता पूर्वक देश अपने को आगे बढ़ा रहा है। देश सिर्फ रुपयों से ही आगे बढ़ता है ऐसा नहीं है, उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है उसका ह्यूमन रिसोर्स, उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है उसकी प्राकृतिक संपदा। जिस देश के पास 800 मिलियन 35 साल से कम उम्र के नौजवान हों, जो देश जवान हो उसके सपने भी जवान होते हैं और उसके सामर्थ्य में भी जवानी होती है और उसके साथ हम नीति की दिशा में आगे रहते हैं, Foreign Direct Investment की दिशा में। भारत को आज़ादी के बाद जितनी मात्रा में FDI मिला होगा उससे आज कहीं ज्यादा मात्रा में Foreign Direct Investment हिंदुस्तान में आ रहा है।
भारत को दुनिया की Credit Rating एजेंसियां एक चमकते हुए सितारे के रूप में देख रही हैं फिर चाहे हो वो वर्ल्ड बैंक हो या IMF हो, हर कोई भारत की सामर्थ्य को स्वीकार कर रहा है। विश्व भी भारत को अपने एक Investment Destination के रूप में top पर देख रहा है, इस स्थिति का निर्माण हुआ है लेकिन इन सब के साथ भी Innovation, Technology & Talent इसकी अहमियत बहुत होती है।
विश्व में फैले हुए भारतीय समुदाय के पास ये सामर्थ्य है, उसे exposure मिला हुआ है, उसने कुछ न कुछ अपने जीवन में हासिल भी किया है। ये भारत का बुद्धि-धन, भारत का ये अनुभव-धन जो आज विश्व में फैला हुआ है, मैं उनको भी निमंत्रण देता हूँ कि आपके पास जो सामर्थ्य है, जो अनुभव है उसको अगर आपको लगता है कि हिंदुस्तान में काम आ सकता है, जिस देश ने आपको बड़ा बनाया उस मिट्टी का क़र्ज़ चुकाने की दिशा में अगर आपको लगता है तो शायद इससे उत्तम अवसर कभी नहीं आएगा।
अमेरिका में विश्व के सभी समाज यहाँ पर रहते हैं, दुनिया के हर देश के लोग यहाँ रहते हैं, लेकिन शायद ही यहाँ रहनेवाले हिंदुस्तान के लोगों को जितना आदर और सम्मान देते हैं, जितना प्यार मुझे मिला है शायद ही दुनिया में किसी लीडर को मिलता होगा। लेकिन कभी कभी लगता है कि इस पीढ़ी के बाद क्या, जो इस पीढ़ी के अन्दर जज्बा है वो आने वाली पीढ़ियों में भी बना रहेगा क्या और इसलिए भारत के साथ आपका bridge बना रहना बहुत जरूरी है।
आपकी नई पीढ़ी भारत से जुड़ी रहे इसके लिए आपका निरंतर प्रयास होना बहुत आवश्यक है। जिन-जिन राज्य से आप आते हैं हर राज्य ने इन दिनों अपने यहाँ प्रवासी भारतीय लोगों के लिए कोई न कोई Department बनाए हुए हैं। भारत सरकार ने भी दिल्ली में एक बहुत अच्छा प्रवासी भारतीय भवन बनाया है और मैं तो चाहूँगा कि आप जब भी भारत आयें तो जरूर उसे देखें, उसमें रहने की व्यवस्था भी है, वो सभी सुविधाएँ आप ही के लिए हैं।
मेरे सार्वजनिक जीवन में होने के बावजूद भी विदेश मंत्रालय यानी कोट-पैन्ट-टाई पहनना, बड़े-बड़े लोगों से हाथ मिलाना, दुनिया भर में सफ़र करना, सामान्य नागरिक के लिए विदेश मंत्रालय की वही छवि थी। तीन साल में आपने देखा होगा कि भारत के विदेश मंत्रालय ने मानवता की दृष्टि से नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया है। 80000 से ज्यादा हिन्दुस्तानी, दुनिया के किसी भी देश में कहीं भी संकट में फंसे तो pro-active हो करके भारत सरकार उनको सही सलामत ले आई और उनके घरों में उनको वापिस ले गई। 80000, ये कोई छोटी संख्या नहीं है।
आज से 20 साल पहले किसी भी देश में आप जितने सुख-चैन की ज़िन्दगी जीते थे, गत 20 साल में जो बदलाव आया है, हर पल विदेश में रहते भारतीय को होता है, यार कुछ होगा तो नहीं, आज तीन साल से उसको चैन है कुछ भी हो जाए हमारी Embassy यहाँ है। अभी आपने देखा होगा भारत की एक बच्ची मलेशिया में गई थी, किसी के परिचय में आई थी, फिर वहां से पाकिस्तान चली गई। बहुत सपने लेकर के गई थी लेकिन वहां उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई। मुसलमान बच्ची थी, उसको लगा पाकिस्तान जाऊँगी तो मेरी ज़िन्दगी बहुत खुश हो जायेगी। फंस गई तब उसने मन में तय किया की मौका देखते ही पाकिस्तान के अन्दर जो हिंदुस्तान की एम्बेसी है वहाँ पहुचं जाउंगी तो मेरी ज़िन्दगी सुरक्षित हो जायेगी। और वो कैसे भी करके जब हिंदुस्तान की Embassy पहुंची तो आज वो भारत लौटकर आई और हमारी सुषमा जी स्वयं उससे मिली।
मैं जब पहले यहाँ आता था तो विदेश में रहने वाले हमारे बंधुओं से बैठते ही शुरू होता था। साब Airport पर उतरते ही टैक्सीवाला, साब उतरते ही Custom वाला, साब उतरते ही गन्दगी, यही सब सुनता था। साब, पता नहीं बस मन नहीं करता, यही सुनता था। आज मेरे लिए ख़ुशी की बात है, विदेशों से जितनी चिठ्ठियाँ आती हैं उसमें अधिकतम चिठ्ठियाँ उस देश की Embassy में जो बदलाव आया है, वो एम्बेसी जो pro-people हुई है, भारतीयों की जो वहां दरकार की जाती है, जो माहौल बदला है, उसकी तारीफ की ही चिठ्ठियाँ मुझे मिलती हैं। हमने नीतियों में बहुत बड़े परिवर्तन किये हैं। अब आपको मालूम है आपने जब पासपोर्ट लिया होगा कितने पापड़ बेल करके पासपोर्ट लिया होगा। आज हर पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट के center खोले जा रहे हैं और जो पासपोर्ट 6 – 6 महीने में भी बड़ी मुश्किल से मिलता था, आज वही पासपोर्ट 15 दिन में मिल जाता है।
सोशल मीडिया आजकल बहुत बड़ी ताकत रखता है, मैं भी सोशल मीडिया से काफी जुड़ा हुआ हूँ। आप लोग भी नरेंद्र मोदी एप्प बराबर देखते रहते होंगें, नहीं देखतें हैं तो download कर लीजिये। लेकिन Social Media से किसी एक department की ताकत कैसे बढ़ती है वो अगर उत्तम से उत्तम किसी ने करके दिखाया है तो हमारे विदेश मंत्रालय ने और हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी ने करके दिखाया है।
भारत में हर व्यक्ति नोट करता है कि जो विदेश मंत्रालय कोट-पैन्ट-टाई तक ही सीमित था आज वो विदेश मंत्रालय हिंदुस्तान के गरीब से गरीब के साथ जुड़ गया है और यह पहली बार देश में हुआ है। विदेश मंत्रालय रात को दो बजे भी किसी पीड़ित ने दुनिया के किसी देश से ट्वीट किया हो, 15 मिनट में सुषमा जी का ट्वीट पे जवाब जाता है, 24 घंटे में सरकार action लेती है और परिणाम लाके रहते हैं। ये है Good Governance, ये है Pro-People Governance, ये है एक sentiment.
तो दोस्तों आप लोगों ने जो ज़िम्मा दिया है उसको पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। तीन साल बेमिसाल रहे हैं और आने वाला हर पल देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए खपाते रहेंगें। आपका साथ और सहयोग मिला है। आप इतनी बड़ी मात्रा में आये, मैं फिर एक बार आपका आभार व्यक्त करता हूँ। मुझे बताया गया है कि बाद में Photo-Session होने वाला है, मैं जरूर आपके बीच में आऊंगा, तब तक आप लोग सज्य हो जाएँ। मैं फिर एक बार आपका बहुत आभारी हूँ।
धन्यवाद।