प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में भारतीय समुदाय को संबोधित किया
प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम – समूचा विश्व एक परिवार है, का एक जीवंत उदाहरण पेश करने के लिए भारतीय समुदाय की तारीफ़ की
भारत सिंगापुर से बहुत कुछ सीख सकता है, स्वच्छता उनमें से एक है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में 49% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) की बात कही
आज पूरा विश्व भारत को पूरे विश्वास से देखता है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) पहले भारत के विकास के लिए आवश्यक: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार आने के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) में वृद्धि हुई है: प्रधानमंत्री
विश्व स्तर पर भारतीय मुद्रा को और अधिक मजबूत होना पड़ेगा: प्रधानमंत्री मोदी
हमने एक आंदोलन शुरू किया है; हम सिंगापुर, जर्मनी, अमेरीका के साथ कौशल विकास पर काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
हम भारत में हर किसी को 24x7 बिजली उपलब्ध कराना चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हम अक्षय ऊर्जा, पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमने 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है: प्रधानमंत्री मोदी
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा से पूरा विश्व समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक साथ आया: प्रधानमंत्री

नमस्‍ते, वणक्‍कम, दीपावली का पर्व अभी-अभी गया, लेकिन मुझे बताया गया कि Little India ने इस बार दीपावली की रोशनी एक हफ्ते तक उसको extend कर दिया। मैं इसके लिए सभी Singaporeans का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं सिंगापुर पहले भी आया हूं। पहले भी Indian Community के साथ मिलने का बातें करने का मुझे अवसर मिला है। लेकिन आज का ये नजारा हिन्‍दुस्‍तान में बैठ करके कोई सोच भी नहीं सकता है कि सिंगापुर का ये मूड है। मैं हृदय से आप सबका धन्‍यवाद करता हूं आज पूरे विश्‍व में भारत की जो छवि बनी है, पूरा विश्‍व भारत की तरफ एक विश्‍वास के भाव से देख रहा है उसका कारण, उसका कारण, उसका कारण मोदी नहीं है। उसका कारण विदेशों में बसे हुए आप मेरे भारतीय भाई-बहन हैं। आप लोगों ने दुनिया के जिस देश में गए, जिस धरती पर पहुंचे, जान-पहचान थी या नहीं थी, हालात अनुकूल थे या प्रतिकूल थे, आपने उस धरती को अपना बना लिया। आपने उस देश के लोगों के साथ आप ऐसे मिल गए ऐसे मिल गए, जैसे दूध में शक्‍कर मिल जाती है।

हम कभी सुना करते थे, पढ़ा करते थे इतिहास में कि पारसी कौम जब सबसे पहले हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर आए, गुजरात के किनारे पर आए और उस समय के हिन्‍दु राजा थे जदीराणा, ये विदेश से आए थे, कौन है क्‍या है जानते नहीं थे। क्‍यों आए थे पता नहीं था लेकिन उन्‍होंने समुंदर में से मैसेज भेजा तो राजा ने एक दूध का गिलास भरा हुआ उनको भेज दिया। और उसमें मैसेज ये था कि जैसे ये गिलास में दूध पूरी तरह भरा हुआ है और बिल्‍कुल जगह नहीं है, मैं आपको यहां कैसे समाऊंगा? ये Symbolic मैसेज था। तो पारसियों ने क्‍या किया, उस दूध में चीनी मिला दी, शक्‍कर मिला दी और वो दूध का कटोरा वापिस भेजा और उन्‍होंने राजा को संदेश दिया कि हम विदेश की धरती से आए हैं, संकटों के मारे आए हैं लेकिन जैसे इस भरे हुए दूध से भरे गिलास में जगह न होने के बावजूद भी चीनी जैसे उसमें मिल गई हम भी मिल जाएंगे और हम और मिठास भर देंगे। हिन्‍दुस्‍तानी भी जहां गया उसने वहां के जीवन के साथ अपने आचरण के द्वारा, अपने व्‍यवहार के द्वारा, उस समाज में वो ऐसे घु‍लमिल गया कि हर किसी को अपना लगने लगा, अपने लगने लगा। दुनिया के कई देशों से पता चलता है कि अगर अड़ौस-पड़ौस में कोई Indian आता है तो खुशी महसूस करते हैं। उनको लगता है अच्‍छा भई कोई Indian हमारे पड़ौस में आया है। और वो अपने बच्‍चों को प्रेरित करते हैं कि जरा तुम Indian बच्‍चों से दोस्‍ती करो।

ये, ये, इस, आपके इस व्‍यवहार के कारण और सदियों से हमारे देशवासी जहां गए, वहां वे एक अपनापन की महक ले करके गए, अपने बन करके रहे, हर किसी को गले लगा करके रहे और ये सदियों से परंपरा चली आ रही है। इसी के कारण भारत जब सोने की चिडि़या था तब भी किसी को भी आंख में खटकता नहीं था। और हमारे बुरे दिन आए तब भी किसी ने हमें हड़दूत नहीं किया था, अपमानित नहीं किया था क्‍योंकि सदियों से हमारे लोगों ने ये प्‍यार, ये अपनापन, इसी का मूलमंत्र ले करके और हमने सिर्फ शास्‍त्रों में पढ़ा था, ऐसा नहीं है। वसुधैव कुटुम्‍बकम् से वेदकाल से हमारे यहां उद्घोष चला आ रहा है। लेकिन भारतीयों ने सच्‍चे अर्थ में वसुधैव कुटुम्‍बकम् Whole world is one family, इस मंत्र को जी करके दिखाया है। और उसी के कारण आज विश्‍व में भारतीयों के प्रति, भारत के प्रति कहीं कोई आशंका का माहौल नहीं होता है, अपनेपन की श्‍वास होती है और इसलिए मैं विश्‍व भर में फैले हुए मेरे सभी भारतीय भाइयों-बहनों का आदरपूर्वक अभिनंदन करता हूं।

मैं गत मार्च महीने में एक दिन के लिए सिंगापुर आया था। जिस महापुरुष ने इस सिंगापुर को बनाया, अपने खून-पसीने से बनाया। अपने-आप को खपा दिया। एक छोटा सा मछुआरों का गांव आज विश्‍व के समृद्ध देशों की बराबरी कर रहा हो, ऐसा सिंगापौर बन गया। ऐसे महापुरुष स्‍वर्गीय Lee Kuan Yew, उनकी अंत्‍येष्टि के लिए, अंतिम दर्शन के लिए मैं आया था। जब सिंगापुर को याद करते हैं एक विश्‍वास पैदा होता है।

अगर कुछ करने का माजा है तो होके रहता है। अगर सपने है और सपनों के लिए समर्पण है तो सिद्धि आपके चरण चूमने के लिए तैयार रहती है। प्रसिद्धि और सिद्धि में बहुत बड़ा फर्क होता है। कुछ भी करने पर प्रसिद्धि तो मिल जाती है लेकिन सिद्धि के लिए तो सिर्फ तपस्‍या, यही एक मार्ग होता है और जिन्‍होंने प्रसिद्धि का रास्‍ता अपनाया है वो कभी कुछ सिद्धि नहीं कर पाए हैं। कुछ समय तक सुर्खियों में जगह बना सकते हैं लेकिन धरती पर बदलाव नहीं ला सकते हैं सिंगापुर वो एक उदाहरण है कि 50 साल के कार्यकाल में एक ही generation की आंखों के सामने एक देश को कहां से कहां पहुंचाया जा सकता है, इसका ये उत्‍तम उदाहरण है। भारत महान देश है, भारत विशाल देश है, सवा सौ करोड़ देशवासियों का देश है। सब कुछ है फिर भी सिंगापुर से बहुत कुछ सीखना भी है।

आज से 50 साल पहले, 60 साल पहले जिस महापुरुष को एक विचार आया – सिंगापुर की सफाई, स्‍वच्‍छता, cleanliness। अब क्‍या हमारा देश ये काम नहीं कर सकता क्‍या, करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? यहां के नागरिकों की भूमिका है कि नहीं है? और मुझे महात्‍मा गांधी जीवन भर एक बात के लिए बड़े आग्रही थे – स्‍वच्‍छता के लिए। और वो तो यहां तक कह दिया था कि मुझे आजादी और स्‍वच्‍छता दोनों में से पहले प्राथमिकता देनी है तो मैं स्‍वच्‍छता को दूंगा।

आज भारत में सबका एक मन बना है। हर किसी को लग रहा है कि हमारा देश ऐसा नहीं होना चाहिए। गंदगी में बहुत गुजारा कर लिया। दुनिया बदल रही है, हिन्‍दुस्‍तान को बदलना चाहिए कि नहीं बदलना चाहिए। और अच्‍छी बात यह है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बदलने का मन बना लिया है। कोई देश न सरकारों से बनते है न सरकारों से बढ़ते है, देश बनते है जन-जन की इच्‍छा से, जन-जन के संकल्‍प से, जन-जन के पुरुषार्थ से] जन-जन के त्‍याग और तपस्‍या से, पीढ़िया खप जाती है तब एक राष्‍ट्र का निर्माण होता है। आज भारत में वो मिजाज पैदा हुआ है। हर भारतीय को लगने लगा है हम देश को आगे बढ़ाएंगे, देश को आगे ले जाएंगे। हम उस युग में जी रहे हैं कि जिस युग में अगर कुछ मिला है तो छोड़ने का मन कभी नहीं करता है। हम travel करते हो और travel करते समय हमारी सीट reserve हो, हम सीट पर बैठे हो, बगल की सीट खाली हो, हमने अपने बैग वहां रख दिए हो, अखबार रख दिए हो, कुछ सामान रख दिया हो। वो सीट अपनी नहीं है, लेकिन किसी और को आने में देर हुई है, हमने सब रखा है और जब वो आ जाए तो ऐसा मन खट्टा हो जाता है। किसी और का.. ये मूलभूत प्रवृत्‍ति है, लेकिन मैंने मेरे देशवासियों का जो मिजाज देखा है, भारत के लोगों ने क्‍या मन बनाया है।

मैंने एक बार एक छोटी-सी बात कही, देशवासियों के सामने। मैंने कहा कि आप जो घर में गैस का चूल्‍हा जलाते हैं, वो जो गैस का सिलेंडर आता है, उस पर करीब 500 रुपए सरकार सब्‍सिडी के रुप में देती है। आप ऐसे परिवार के हो जिनमें 500 रुपए तो चाय-पानी पर खर्च कर देते हैं। आप से सब्‍सिडी क्‍यों लेते हो, क्‍या आप ये सब्‍सिडी छोड़ नहीं सकते। इतना सा मैंने कहा था और आज मैं गर्व के साथ कहता हूं मेरे देश के 40 लाख परिवारों ने गैस सब्‍सिडी छोड़ दी। बगल की कुर्सी न छोड़ने का जो मन रहता था वो आज सब्‍सिडी छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है और वो भी महात्‍मा गांधी कुछ कहे, लाल बहादुर शास्‍त्री कुछ कहे और देश कर ले, ये तो हमारे गले उतरता है, लेकिन मुझ जैसा एक सामान्‍य मानवीय, एक चाय बेचने वाला, ये देश के सामने एक बात रखे और मेरा देश इस बात को सर-आँखों पर उठा ले तब मेरा मन कहता है, ये देश नई ऊंचाइयों पर जाकर के रहेगा, ये देश स्‍वामी विवेकानंद जी ने जो सपना देखा था कि मैं मेरी भारत माता को विश्‍व गुरु के रूप में देख रहा हूं। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि अब हिन्‍दुस्‍तान विवेकानंद जी के सपनों को साकार करने के लिए सज हो चुका है। जितनी विविधताएं, जितनी विशेषताएं, जितने किंतु परंतु हिन्‍दुस्‍तान में है, उतने ही सिंगापुर में है, उसके बावजूद भी हर कोई सिंगापोरियन है। हर कोई सिंगापुर बनाने में लगा हुआ है, हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर के काम कर रहा है। हम भी इस बात में सिंगापुर से बहुत कुछ सीखना चाहते हैं। वसुधैव कुटुम्‍बकम, जिस धरती से मंत्र निकला, वहां भी जन-जन मेरे परिवार का है, हर कोई मेरा अपना है। वही भाव देश को आगे बढ़ाने की ताकत बनता है और उसी को आगे बढ़ाने की दिशा में हम लगातार कोशिश कर रहे हैं। सारी दुनिया को किस प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान की तरफ, मैं पिछले दिनों विश्‍व के बहुत सारे नेताओं से मिला हूं। मैं जब चुनाव के मैदान में था तो मुझे पत्रकारों ने पूछा था कि आपकी विदेश नीति कैसी होगी? और मैं देख रहा था चुनाव के समय, पत्रकार बहुत बुद्धिमान होते हैं और बड़े चतुर भी होते हैं। तो जब मैं चुनाव अभियान करता था तो उनको मालूम था कि मोदी की weaknesses क्‍या है। वो बराबर लेकर के आते थे। तो उनको लगता था कि ये गुजरात जैसे छोटे राज्‍य में काम करता है, इसे हिन्‍दुस्‍तान का कोई अनुभव नहीं है, विदेश का तो सवाल ही नहीं होता। तो मुझे वो हर दूसरा-तीसरा सवाल घुमाकर के विदेश नीति पर ले आते थे। अब उस समय मैं चुनाव के कैम्‍पेन में था मैं उनको विदेश नीति क्‍या समझाऊ? लेकिन वो बराबर पकड़ लेते थे और उनको ये समझ आता था कि इसमें ये बंदा weak है और वो घुमा फिराकर मुझे वहीं ले जाते थे। तो फिर मैं इतना ही कहता था कि देखिए भाई जब हमें इस जिम्‍मेवारी को निर्वाह करने की नौबत आएगी तब क्‍या करना है वो देखेंगे, लेकिन मैं इतना विश्‍वास देता हूं, न हम आंख झुकाकर के बात करेंगे और न ही हम आंख दिखाकर के बात करेंगे, हम दुनिया से आंख मिलाकर बात करेंगे। आज 18 महीने के बाद मेरे प्‍यारे देशवासियों मैंने जो वादा किया था, वो निभाया है, न हिन्‍दुस्‍तान आंख झुकाकर के बात करता है, न कभी हिन्‍दुस्‍तान किसी को आंख दिखाने की कोशिश करता है, लेकिन हिन्‍दुस्‍तान आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ है, वो आंख मिलाकर के बात करता है। बराबरी से बात करता है और उसका एक परिणाम भी है। आज पूरा विश्‍व भारत के साथ बराबरी का व्‍यवहार कर रहा है। सारे विश्‍व को सवा सौ करोड़ देशवासियों वाला देश क्‍या होता है, उसकी ताकत क्‍या होती है, अब विश्‍व पहचानने भी लगा है, अनुभव भी करने लगा है। अब विश्‍व ये नहीं सोचता है कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, हम अपना माल बेचने के लिए पहुंच जाएंगे, वो सोच बदल चुकी है। अब उसको लगता है, मौका मिल जाए तो हिन्‍दुस्‍तान के साथ पार्टनरशिप कर ले, भागीदारी कर ले। और ये अुनभव अब आ रहा है। इन दिनों हर क्षेत्र में ये अनुभव आ रहा है। 

भारत में विदेश का पूंजी निवेश एक बात निश्‍चित है। यहां बैठा हुआ कोई व्‍यक्‍ति ऐसा चाहता है कि हिन्‍दुस्‍तान जैसा है वैसा ही रहे, कोई चाहता है। हर कोई चाहता है न देश में बदलाव आए, हर कोई चाहता है देश आगे बढ़े, हर कोई चाहता है देश आधुनिक बने, हर कोई चाहता है देश से गरीबी मिटे, हर कोई चाहता है देश में नौजवान को रोजगार मिले। इस काम को पूरा करना है तो जहा से जो शक्‍ति मिले वो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए। अगर परिवार में कोई बीमार है और विेदेश की दवाई से काम चलने वाला है तो लानी चाहिए कि नहीं लानी चाहिए, बीमारी ठीक करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए।

भारत में भी बहुत बड़ी मात्रा में विदेश पूंजी की जरूरत है। Foreign direct investment की आवश्‍यकता है और जब मैं FDI कहता हूं तो मेरे दिमाग में FDI एक साथ दो विषय लेकर चलती है। दुनिया की नजरों में FDI है foreign direct investment। लेकिन उस समय मेरे दिमाग में है – first develop India. और इसलिए FDI to FDI, foreign direct investment to first develop India. अब मुझे बताइए आप कितने ही सालों से पड़ोसी के बराबर-बराबर रहते हो और कभी अचानक 5-10 हजार की जरूरत पड़ गई और गए तो दे देगा क्‍या? वो कहेगा हां-हां बिलकुल, मैं तो मदद जरूर करूंगा। आप लोग ऐसा करो, आपके भाईसाहब बाहर गए है Monday को आएंगे, फिर मैं कुछ करूंगा। ऐसा ही करते हैं न, 10 हजार रुपया भी कोई बगल में देने के लिए तैयार नहीं होता। आज foreign direct investment में मैं जब सत्‍ता पर आया उसके पहले जो स्‍थिति थी, उसकी तुलना में 40% growth हुआ है 40%। हमें ये रुपयों की क्‍यों जरूरत है, कागज पर दिखाने के लिए नहीं। हमें बदलाव लाना है।

आज हमारे देश की रेलवे, मुझे बताइए रेलवे का इतना बड़ा नेटवर्क है, इतना बढ़िया नेटवर्क। दुनिया के कई देश जिसकी जनसंख्‍या है उससे ज्‍यादा लोग हमारे यहां एक समय रेल के डिब्‍बे में होते हैं। लेकिन समय रहते रेल आधुनिक होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए, स्‍पीड बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए। रेल की लंबाई बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए, सेवाएं सुधरनी चाहिए कि नहीं सुधरनी चाहिए। अगर दुनिया के पास technology है, दुनिया के पास पैसे हैं, दुनिया के पास भारत एक अवसर है तो हमें मौका देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। मैं आज दुनिया में जो-जो देश रेलवे के लिए काम कर रहे हैं, उन सबसे मिला हूं, मैं कहा रहा हूं आइए। आधुनिक से आधुनिक technology लाइए और मेरे लिए रेलवे ये सिर्फ transportation नहीं है, मेरे लिए रेलवे transformation का engine है, हिन्‍दुस्‍तान के transformation का engine है। मैंने उसकी ताकत को जाना है, पहचाना है और आज विश्‍व भर के लोग। इसलिए हमने पहली बार देश में रेलवे को 100% foreign direct investment के लिए open up कर दिया है। नई technology आएगी, नई स्‍पीड आएगी, परिवर्तन आएगा और सबसे बड़ी बात।

जो लोगों विदेशों में जाते हैं उनको तो बराबर मालूम है आपकी जेब में लाखों रुपए पड़े हो, लेकिन कहीं एक चाय भी पीनी है तो मिलती है क्‍या? जब तक डॉलर नहीं होगा, चाय नहीं मिलती है। रुपया का डॉलर करना पड़ता है, रुपया का पाउंड करना पड़ता है, करना पड़ता है कि नहीं करना पड़ता है? अरे वो टैक्‍सी वाला भी कहेगा यार रुपया मेरे काम का क्‍या है भाई ये तो कागज है, मेरे काम का क्‍या है। तुम डॉलर में लाओ। भारत की करेंसी उसकी इज्‍जत बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए, विश्‍व भारत की करेंसी को भी उतना ही सम्‍मान दे, ये हम चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं? पहली बार लंदन के stock exchange में rupee bond के लिए हम लोग आगे बढ़े। रेलवे के लिए अब rupee bond दुनिया का कोई भी व्‍यक्‍ति रुपयों में invest कर सकता है और उसको रुपयों में वापिस मिल सकता है। ये रुपयों की इज्‍जत का कमाल है, वर्ना या तो गोल्‍ड चलता था, या डॉलर या पाउंड चलते थे। आज दुनिया के बाजार में हम रुपयों के रूप में enter कर रहे हैं। इसका कारण ये है कि पूरे विश्‍व में एक विश्‍वास पैदा हुआ है। ये जो rupee bond हमने लागू किया, अभी मैं जब UK गया था, अभी तक बहुत लोगों को पल्‍ले ही नहीं पड़ा है कि करके क्‍या आया है मोदी। अब आज मैं समझा रहा हूं तो शायद चर्चा शुरू होगी। rupee bond अपने आप में भारत की आर्थिक संपन्‍नता का एक महत्‍वपूर्ण मिसाल है और हिन्‍दुस्तान के हर नागरिक को इसे गौरव के रूप में देखना चाहिए और इसको उजागर करना चाहिए। तभी तो भारत की ताकत बढ़ती है। हम ही अपने आप को कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी तरफ क्‍यों देखेगी। इसलिए आत्‍मविश्‍वास के साथ एक समाज के रूप में विश्‍व के सामने हमारी एक पहचान बने, ताकत खड़ी हो, उस दिशा में हमारा प्रयास है।

आज हिन्‍दुस्‍तान में रक्षा के क्षेत्र में हमें सब चीजें import करनी पड़ती है, बाहर से लानी पड़ती है। अब आज के युग में क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासियों को हम असुरक्षित रख सकते हैं, उनके नसीब पर छोड़ सकते हैं? देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों को सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? अब उसके लिए हमारे सेना के जवान डंडा लेकर के खड़ा हो जाएगा तो काम चलेगा क्‍या? उसको भी शक्‍ति संपन्‍न औजारों से ताकतवर बनाना पड़ेगा कि नहीं बनाना पड़ेगा? लेकिन क्‍या हम आजादी के 70 साल के बावजूद भी हर चीज बाहर से लाएंगे क्‍या, हर चीज import करेंगे क्‍या ? क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासी बना नहीं सकते क्‍या? आपको हैरानी होगी, सुरक्षा के क्षेत्र में पुलिस वालों के पास एक साधन होता है – अश्रु गैस, tear gas. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वो tear gas छिड़कते हैं। आंसू निकलते हैं तो फिर आंदोलनकारी भागते है। हम रोने के लिए भी बाहर से लाते हैं। अब रोना कि हंसना मुझे समझ नहीं आता है। ये स्‍थिति बदलनी चाहिए। भारत का बहुत एक धन defence के लिए जो चीजें हम import करते हैं उसमें खर्च हो जाता है। भारत के पास नौजवान है, भारत के पास talent है, भारत के पास raw material है, भारत की आवश्‍यकता है। क्‍यों न हमारे defence equipment हिन्‍दुस्‍तान में क्‍यों नहीं बनने चाहिए और इसलिए मैंने बीड़ा उठाया है कि भारत में रक्षा क्षेत्र में भारत अपने कदमों पर खड़ा हो और इसके लिए हमने foreign direct investment को पहली बार 49% open up कर दिया है और हमने ये भी कहा है कि अगर उत्‍तम कक्षा की technology अगर उसमें involve है तो हम उसको 100% foreign direct investment के लिए open up कर देंगे। लोग आएंगे भारत में पूंजी लगाएंगे और भारत के नौजवान शस्‍त्रार्थ बनाएंगे, वो हमारी भी रक्षा करेंगे और कही भेजना है तो भेज भी पाएंगे और इसलिए दुनिया के देश आज हमारे साथ समझौता कर रहे हैं। एक समय ऐसा था कि defence में कुछ भी खरीददारी करनी है तो हर बार corruption के आरोप लग जाते थे। इसलिए या तो निर्णय नहीं होता था, या निर्णय होता था तो कहीं न कहीं से कोई बू आती थी। 18 महीने हो गए, हमने एक के बाद एक निर्णय किए, transparency के साथ निर्णय किए और अब तक कोई हमारे ऊपर उंगली नहीं उठा पा रहा है, देश की रक्षा के लिए आवश्‍यक है।

हमारा देश दुनिया में जिन देशों के पास समृद्धि है उनके सामने एक कठिनाई भी है। दुनिया के बहुत देश ऐसे भी है जो आर्थिक संपन्‍नता की ऊंचाइयों पर पहुंच चुके हैं। लेकिन उन देशों में बुढ़ापा घर कर गया है। जवानी नहीं बची है। भारत अकेला देश ऐसा है, जो दुनिया के जवान देशों में है। भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्‍या; 800 मिलियन लोग, 35 साल से कम उम्र के है। जो देश जवानी से लबालब भरा हुआ हो उसके सपने भी जवान होते हैं, संकल्‍प भी जवान होते हैं, इरादे भी जवान होते हैं और पुरुषार्थ भी जवान होता है। हमें demographic dividend मिला हुआ है, लेकिन ये ताकत में तब बदलेगा जब हमारे नौजवान के हाथों में हुनर होगा, skill हो, रोजगार के अवसर हो, अगर वो नहीं है तो ये 35 साल की उम्र का नौजवान लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता है और इसलिए देश को ये 65 प्रतिशत नौजवान है, उनकी शक्‍ति को भारत के निर्माण में लगाना है और इसलिए हमने अभियान चलाया है skill development और skill development में सिंगापुर का ITES, उसके साथ मिलकर के हम काम कर रहे हैं। हम जर्मनी जिसने skill development में काम किया है उसके साथ काम कर रहे हैं, हम USA के साथ काम कर रहे हैं। दुनिया के देशों से जिन्‍होंने skill development में महारत हासिल की है, उसके पास जो उत्‍तम है उसे हम लाना चाहते हैं। फिर उसमें जो, हमारे लोग उसमें तो ताकतवर है, जोड़ देंगे नया। हम बहुत तेजी से आगे निकल सकते हैं और इसलिए विश्‍व के साथ जब संबंध जोड़ते हैं तो ये ताकत हमारे काम आती है।

हमारे यहां बहुत बड़ी मात्रा में Universities, Colleges खुलते चले जा रहे हैं। private भी बहुत आ रहे हैं। लेकिन faculty नहीं मिलती है। खुल तो जाता है, student भी आ जाते हैं। हमने एक योजना बनाई ज्ञान। हमने विश्‍व भर में रहने वाले लोगों से कहा विशेषकर के भारतीय समुदाय को कहा कि आप जब आपके यहां मौसम खराब रहता हो, बड़ी कड़ाके की ठंड रहती हो, बर्फ रहता हो, तकलीफ से गुजारा करना पड़ता हो तो उस समय आप भारत चले आइए। 6 महीने हमारे यहां रहिए बच्‍चों को पढ़ाइए, 6 महीने उधर चले जाइए। जब हमारे यहां गर्मी शुरू हो तो वहां चले जाना। हमने USA के साथ समझौता किया और मुझे खुशी है कि बहुत बड़ी मात्रा में, सैंकड़ों की तादाद में बड़े-बड़े विद्वान भारतीय मूल के भी और विदेशी भी जो रिटायर्ड हुए हैं, वे आज भारत में आकर के पढ़ाने के लिए तैयार हुए हैं, हमारी नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए।

कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि मेरी कोशिश यह है कि दुनिया में जो श्रेष्‍ठ है हिन्‍दुस्‍तान में होना चाहिए और हमारा जो श्रेष्‍ठ है उसमें दुनिया का श्रेष्‍ठ जुड़ना चाहिए। इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हमारा देश, हमारे नौजवान उसकी शक्‍ति को जोड़कर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

अब आप में से यहां बहुत लोग होंगे जिनको शायद अपने गांव में बिजली का संकट रहता होगा, जिस गांव से 24 घंटे बिजली तो नसीब ही नहीं होती होगी। वो दिन याद है न कि सब भूल गए। आजादी के 70 साल के बाद क्‍या मेरा देशवासी उसे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए, 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? उसको मोबाइल फोन तो मिल जाता है कि लेकिन चार्जिंग के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है। ये स्‍थिति बदलनी है, बस बदलनी है और हम सच्‍चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते। ये हकीकत है कि आज भी मेरे देश के लाखों परिवार, करोड़ों परिवार, हजारों गांव बिजली के संकट से जूझ रहे हैं। अगर मुझे आधुनिक हिन्‍दुस्‍तान बनाना है, हमारे बच्‍चे स्‍कूलों में कंप्‍यूटर चलना, अगर उनको सीखाना है तो बिजली की जरूरत तो पड़ेगी। हमने बीड़ा उठाया है 2022, जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। देश आजादी के 75 साल मनाता होगा तब हिन्‍दुस्‍तान में हर परिवार को 24 घंटे बिजली, 365 दिन मिलेगी और एक तरफ दुनिया ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण परेशान है। दुनिया दबाव डाल रही है कि कोयले से बिजली पैदा मत करो। हम भी चाहते हैं कि दुनिया के सुख में हम भी जुड़े क्‍योंकि हम तो वो लोग है जिन्‍होंने सदियों से पर्यावरण की रक्षा की है। हम ही तो लोग है जिन्‍होंने पौधे में परमात्‍मा देखा था। हम ही तो लोग है जो जीव में शिव के दर्शन करते हैं। इस महान परंपरा से निकले हुए हम लोग हैं और इसलिए हमारे लिए तो पर्यावरण ये हमारी सांसों की तरह हमारे साथ जुड़ा हुआ है और इसलिए हम मानव जाति को नुकसान हो ऐसा कभी सोच नहीं सकते और महात्‍मा गांधी से बढ़कर के पर्यावरण का कोई ambassador नहीं हो सकता है। environment का कोई ambassador नहीं हो सकता है। शायद दुनिया में अपने जीवन काल में कम से कम कार्बन foot print वाला कोई इंसान होगा, मैं कहता हूं शायद महात्‍मा गांधी अकेले होंगे और इसलिए हम ऊर्जा तो चाहते हैं लेकिन दुनिया के लिए कोई संकट भी पैदा नहीं करना चाहते। भारत ने सपना देखा है 2030 तक 40% बिजली non fossil के माध्‍यम से होगी, कोयले के माध्‍यम से नहीं होगी। मतलब ये जो छोटे-छोटे टापू देश हैं न जिनको डर लग रहा है कि समंदर का अगर स्‍तर बढ़ गया तो डूब जाएंगे, हम आपको डूबने नहीं देंगे। हमसे जो हो सकता है वो हिन्‍दुस्‍तान करेगा क्‍योंकि हम वसुधैव कुटुम्‍बकम वाले हैं। और इसलिए nuclear energy चाहिए, renewal energy चाहिए, hydro चाहिए, solar चाहिए, wind चाहिए, biomass में से निकलना चाहिए। अब ये चीजें जो हैं खर्चीली है। हम अगर nuclear energy में जाना चाहते हैं, हमे यूरेनियम चाहिए। यूरेनियम इसलिए नहीं मिलता है कि आपको जरूरत है या आपके पास पैसे है। यूरेनियम आजकल जब मिलता है जब आप पर विश्‍व का भरोसा हो कि आप इसका शांति के लिए ही उपयोग करेंगे और किसी पाप को आप भाग नहीं करोगे तब जाकर के दुनिया यूरेनियम देती है। भारत ने ये विश्‍वास पैदा किया है। हमारी आवश्‍यकता के अुनसार दुनिया के नए-नए देश अब हमें यूरेनियम देने के लिए तैयार हो गए। पिछले 18 महीने में कजाखिस्‍तान कहो, कनाडा कहो, ऑस्‍ट्रेलिया कहो इन्‍होंने भारत को Civil nuclear energy के लिए, हमारे साथ करार किए और कुछ लोगों को डिलीवरी देना शुरू कर दिया।

हम भारत के लोग जब बिजली की बात करते हैं तो ज्‍यादा से ज्‍यादा पहले तो यूनिट पे चर्चा करते थे, कितने यूनिट बिजली, कितना दाम वगैरह। थोड़ा आगे बढ़े, तो हम मेगावाट पर सोचने लगे भई इतना मेगावाट, इतना मेगावाट। भारत ने कभी बिजली के क्षेत्र में मेगावाट से आगे सोचा ही नहीं। हमने पहली बार फैसला किया है hundred seventy five gigawatt, Hundred seventy five gigawatt renewable energy. बड़ी सामान्‍य बुद्धि का विषय होता है। हम लोग स्‍कूल में जब exam देते थे तो टीचर क्‍या सिखाते थे? टीचर सिखाते थे कि exam में जाते हो तो देखा भाई जो सरल सवाल है उसको पहले उठाओ। ये ही सिखाते थे ना? मेरे टीचर ने तो ये ही सिखाया था। आपको भी वैसे ही सिखाया होगा कि जो easy question है उसको पहले address करो और जो कठिन है तो बाद में समय बच जाये तब देख लेना। ये होता है ना? मुझे बताइए हमारे पास कितना सूरज तपता है, करीब-करीब 365 दिन सूरज तपता हो और हम बच्‍चों को भी environment बढि़या ढंग से सिखाते हैं। हर मां बच्‍चे को कहती है कि ये चांदा तेरा मामा है और सूरज तेरा दादा है। लेकिन हमने कभी उस दादा की उंगली पकड़कर के चलना सीखा नहीं। क्‍यों न सूर्य शक्‍ति हमारे जैसे देश की विकास का बड़ा स्‍तंभ बन सकता है और इसलिए solar energy पर हम बल दे रहे हैं। 100 gigawatt solar energy, wind energy, biomass. मेरा जो clean India movement है न, 500 शहरों का जो कूड़ा-कचरा है, गंदगी हैं उसमें से बिजली पैदा करना, भले ही महंगी पड़े, लेकिन मेरा साफ शहर बनना चाहिए।

अब इन चीजों के लिए विदेशों से धन चाहिए, विदेशों से technology चाहिए, विदेशों से manufacturing करने वाले लोग चाहिए, जिन लोगों की इन चीजों में मास्‍टरी है वो लोग चाहिए, और मैं बड़े आनंद से कह सकता हूं कि आज दुनिया को भारत के hundred seventy five gigawatt renewable energy में इतना आकर्षण पैदा हुआ है, विश्‍व के राजनेताओं को ताज्‍जुब हो रहा है और विश्‍व के पूंजी निवेशकों को एक नया अवसर नजर आ रहा है कि वो भारत में आकर के बिजली के उत्‍पादन के अंदर हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं।

दुनिया के साथ संबंध होते हैं, वो संबंध goody-goody बातों से नहीं होते हैं। विश्‍व या तो आपका लोहा मानता है, या विश्‍व अपनेपन की भाषा समझता है। आज मैं संतोष के साथ कहता हूं कि विश्‍व के साथ भारत ने ऐसे संबंधों को बनाने का रूप लिया है। आप मुझे बताइए, पश्चिम एशिया के देशों में जो तूफान चल रहा है, निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है। उन देशों में 70 लाख हिन्‍दस्‍तानी रहते हैं, 70 लाख, seven million. आप मुझे बताइए आप सिंगापुर में रहते हैं इसलिए बहुत जल्‍द बात को समझोगे। क्‍या उनको उनके नसीब पे छोड़ देना चाहिए क्‍या? उन पर संकट आएगा तो किसी तरफ देखेंगे? किसकी तरफ देखेंगे? वे मुसीबत में होंगे तो किसकी तरफ देखेंगे? और तब भारत ये कहे के बेटे तुम तो चले गए थे अब क्‍या याद कर रहे हो, चलेगा क्‍या? अगर कहीं से आवाज उठती है, कहीं से एक भी सिसकी सुनाई देती है तो दूसरे ही पल उसको ये ही आवाज सुनाई देनी चाहिए कि चिंता मत करो, भारत है ना। कहीं पर भी सिसकी सुनाई दे, उसको ये ही आवाज सुनाई देनी चाहिए, हां भारत है ना। और एक बार उसके कान में स्‍वर गूंजता है तो वो निश्चिंत हो जाता है, ठीक है संकट के बादल आए हैं लेकिन मेरा देश मुझे बचा लेगा। और तब, ये विश्‍व के रिश्‍ते काम आते हैं, संबंध काम आते हैं। यमन हो, ईराक हो, हजारों की तादाद में हमारे भारतीय भाई-बहन फंसे थे, even हमारी केरल की Nurses बहनें, जीवन और मौत के बीच वो पल उन्‍होंने कैसे बिताए होंगे हम कल्‍पना कर सकते हैं।

लेकिन विश्‍व के साथ जो संबंध जुड़े हैं दुनिया के कुछ देशों से प्रार्थना की कि देखिए इसमें क्‍या मदद कर सकते हैं और मैं आज संतोष के साथ कह सकता हूं उन देशों ने हमारी इन बच्चियों को ला करके केरल तक पहुंचाने में हमारी भरपूर मदद की है। यमन में हमारे हजारों लोग फंसे थे, हम तीन महीने से उनको कह रहे थे कि भई निकलो, निकलो, निकलो। लेकिन कोई निकलने को तैयार नहीं था। ये बाहर जो रहते हैं इतनी बात ध्‍यान रखें भई। कितना हम समझाऐं वो, नहीं नहीं साहब वो तो देखा जाएगा। क्‍योंकि इतने प्‍यार से रहते थे, इतनी निकटता थी, उनको शक ही नहीं था कि कभी कोई मुसीबत आ सकती है? लेकिन चारों तरफ Bombarding शुरू हुआ। हमने दुनिया के कुछ देशों के लोगों के साथ मैंने फोन पर बात की। और आज मैं संतोष के साथ कहना हूं दुनिया के उन देशों ने हमारी मदद की और हम हजारों की तादाद में हमारे सभी यमन में फंसे हुए नागरिकों को ले करके वापिस आए। ईराक हो, लीबिया हो, यमन हो, विश्‍व के साथ संबंध आज के युग में हर पल, हर समय आवश्‍यकता होती है। अरे कभी-कभार नेपाल में हमारे यात्री चले जाएं और एक बस गड्ढे में पड़ जाए, अगर नेपाल सरकार के साथ नाता नहीं होगा तो उन बेचारों का कौन देखेगा? विश्‍व के साथ संबंध बनाने का प्रयास और formality से नहीं चलता, आज युग बदल चुका है, जीवंत नाता होना अनिवार्य होता है और तब जा करके हमारे देशवासियों की जिंदगी दांव पर लगी हो तब वो संबंध काम आ जाते हैं और उनकी जिंदगी बच जाती है।

दुनिया के किसी एक देश में कोई एक भारतीय की जान चली जाए तो पूरा हिंदुस्‍तान बेचैन हो जाता है, हजारों की जान बच जाएं तो खुशी कितनी हो सकती है इसका आप अंदाज लगा सकते हो भाई। और इसलिए हमारी ये कोशिश रही है कि भारत विकास की नई ऊंचाइयों को पार करे और आज वो जमाना नहीं है कि आपने चार देशों के साथ दोस्‍ती बना ली तो गाड़ी चल जाएगी। पहले तो दुनिया दो गुटों में बंटी हुई थी, आप किसी गुट के साथ दोस्‍ती कर लो तो वो गुट आपकी रखवाली कर लेता था। आज वो युग नहीं है। आज पूरा विश्‍व Inter-dependent हो गया है। कोई भी दुनिया का देश Isolated नहीं रह सकता है और कोई भी दुनिया का देश अकेला ही सब कर लूंगा, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश होगा, ताकतवर से ताकतवर देश होगा, लेकिन छोटे से छोटे देश पर भी वो dependent होता है। पूरी दुनिया Inter-dependent है। भारत ने अगर दुनिया में आगे बढ़ना है, भारत ने अपनी जगह बनानी है तो Inter-dependent इस दुनिया के अंदर हमने भी अपने संबंधों को ताजगी देनी पड़ती है। देश छोटा, कितना ही छोटा क्‍यों न हो, लेकिन union में उसकी ताकत होती है। आप कल्‍पना कर सकते हैं, मैं हिंदुस्‍तान के वासियों को कहूं कि गैस की Subsidy छोड़ दो, 40 लाख लोग Gas Subsidy छोड़ दें, भारत का वक्‍त कैसा बदला है।

अगर हिंदुस्‍तान ये कहे कि दुनिया नाक पकड़ ले, योगा करे, हमने किसी को कान पकड़ने के लिए नहीं कहा है। 21 जून को पूरा विश्‍व अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस मनाए। कौन भारतीय होगा जिसको इस बात का गर्व नहीं हुआ होगा भाइयो, बहनों। जिस दिन Neil Armstrong ने चन्‍द्रमा पर पग रखा होगा, सिर्फ American नहीं, विश्‍व की मानव जात ने गौरव अनुभव किया होगा। आज जब 21 जून को पूरा विश्‍व Holistic Health Care को ले करके योगा दिवस बनाने के लिए आगे आ जाए, कोई बंधन नहीं, कोई रंग नहीं, कोई रूप नहीं, कोई परंपरा नहीं, कोई सम्‍प्रदाय नहीं, कोई बाधाएं नहीं, एक मन से योगा के लिए विश्‍व तैयार हो गया। और दुनिया की पहली घटना है कि इतने कम समय में, United Nation में ये प्रस्‍ताव पारित हुआ, इतने देशों ने इसको Co-sponsor किया, और दुनिया के इतने देशों ने इसको बनाया। सिगापुर ने भी बड़े धूमधाम से योगा दिवस बनाया। अब ये कोई, मोदी कोई योगा लाया है क्‍या? ये तो था ही था। लेकिन हमें हमारे पर भरोसा नहीं था क्‍योंकि हम संकोच करते थे, यार किसी को कहेंगे तो पता नहीं वो नाक चढ़ा देगा, और पता नहीं इंकार कर देगा तो, अगर हमारा अपने-आप में विश्‍वास हो तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती है। दुनिया भी, दुनिया भी शांति की तलाश में है, दुनिया भी संतोष की तलाश में है, कोई तो आएं जो अंगुली पकड़ करके चलाएं, दुनिया चलने के लिए तैयार है और भारत, भारत आज तैयार हुआ है विश्‍व के साथ कंधे से कंधा मिला करके तैयार हुआ है, चल सकता है भारत।

भाइयों, बहनों मेरा एक ही काम लेकर के मैं निकला हूं और उस काम को पूरा करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद के साथ-साथ विश्‍व में फैले हुए मेरे भारत के प्‍यारे भाइयों-बहनों, आपके आशीर्वाद चाहिए। और वो काम है, एक ही काम करना है मुझे, विकास, विकास, विकास। और वो विकास जो गरीब के आंसू पोंछने की ताकत रखता हो, वो विकास जो नौजवान को रोजगार देता हो, वो विकास जो किसान की जिंदगी में खुशहाली लाता हो, वो विकास जो हमारी माताओं-बहनों को empower करता हो, वो विकास जो एकता और अखंडता के मंत्र को ले करके विश्‍व के अंदर सिर ऊंचा करके खड़ा रह सकता हो, वैसा विकास करने का सपना ले करके मैं चला हूं। भारत आगे बढ़े इतना काफी नहीं है, भारत आधुनिक बने ये भी उतना ही आवश्‍यक है। हम सिर्फ, कभी-कभी क्‍या होता है, आप देखा होगा, किसी senior citizen को आप मिलोगे, 70 साल की उम्र हो गई होगी, 80 साल की उम्र हो गई होगी, पोते-पोतियां नमस्‍ते करने जाएंगे तो वो क्‍या करता है, आओ बैठो, देखो मैं जब 30 साल का था ना ऐसा करता था और बच्‍चों ने ये बात दस बार सुनी होगी, तो जब दादा बुलाते हैं तो बच्‍चे भाग जाते हैं। उनको लगता है कि ये दादा अब फिर कुछ कथा सुनाएंगे। ऐसा हम देखते हैं, परिवार के जीवन में हम देखते हैं। बालक भी लंबे समय तक पुराने पराक्रमों को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं।

मैं देशवासियों को ये कहने की हिम्‍मत करता हूं आज, हमारे पूर्वजों ने जो परा‍क्रम किए हैं, वो हमारी प्रेरणा के कारण बन सकते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों के पराक्रम पर गीत गाते-गाते हम गुजारा नहीं कर सकते हैं। हमने अपने युग में, हमने पूर्वजों के पराक्रम से प्ररेणा ले करके अपने वर्तमान को भी उज्‍जवल करना है, और भविष्‍य की मजबूत नींव डालना ये हमारा दायित्‍व बनता है। सिर्फ महान संस्‍कृति, महान परंपरा, पांच हजार साल का उज्‍ज्‍वल इतिहास, इसी के गीत गाते रहें और पड़ोसी को कभी पानी भी पिलाने को तैयार न हों, ऐसा कभी मेरा देश नहीं हो सकता है। और इसलिए पूवर्जों के पराक्रम, महान संस्‍कृति, महान परंपरा, उसकी जो उत्‍तम चीजें हैं, उसको हमें प्रेरणा लेनी है लेकिन अपने पसीने से वर्तमान को भरना है। अपनी इच्‍छाशक्ति से इसकी मजबूत नींव डालनी है ताकि आने वाली पीढ़ी ये न कहे कि आपने पूर्वजों ने तो बहुत कर के गये, तुम बताओ बेटे तुमने क्‍या किया? ये सवाल का जवाब देने का हमारे में हौसला होना चाहिए ऐसा हिंदुस्‍तान बनाना है। अपने सामर्थ्‍य से, अपने पराक्रम से, अपने पुरुषार्थ से, अपने त्‍याग से, अपनी तपस्‍या से, हमने हमारे देश को बनाना चाहिए, हमने हमारे देश को आगे बढ़ाना चाहिए और हमारे जो मूल्‍य हैं, सांस्‍कृतिक विरासतें हैं उसको विश्‍व को परिचित कराना चाहिए, ये जब तक हम संतुलन नहीं करते, दुनिया हमें स्‍वीकार नहीं करेगी।

मुझे विश्‍वास है कि विकास के इन सपनों को ले करके जो हम चल रहे हैं, उसमें आपका पूरा-पूरा योगदान रहेगा। भारत का गौरव बढ़ाने के लिए हम जहां हों, जहां भी हों हम जरूर अपनी तरफ से प्रयास करते रहें। दुनिया को देने के लिए इस देश के पास बहुत कुछ है। अनेक संकटों के बाद भी आज भी सीना तान करके खड़े रहने की हम में हिम्‍मत है। लेकिन सीना सीना तानना पड़े, दिन आने नहीं चाहिए। और वो तब होता है, जब हम अपने वर्तमान को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पुरुषार्थ करते हैं, सामूहिक पुरुषार्थ करते हैं, सामर्थ्‍य के साथ चलते हैं, तब जा करके परिणाम मिलता है।

सिंगापुर को हर किसी ने बनाया है, हर कोई बना रहा है, और सिंगापुर भी अगल-बगल के मुल्‍कों को बनाने की ताकत रखता है। मैं सिंगापुर को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, इस सिंगापुर की विकास यात्रा को मैं नमन करता हूं। इस सिंगापुर ने, सिंगापुर सचमुच में सौ-सौ सलाम करने वाला देश बन गया है, मैं उसको मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई देता हूं और सवा सौ करोड़ का देश हिंदुस्‍तान वो भी उमंग और उत्‍साह के साथ आगे बढ़ेगा इसी एक संकल्‍प के साथ मैं फिर एक बार सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। धन्‍यवाद। Thank You.

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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आप-दा वालों की लुटिया, यमुना जी में ही डूबेगी: दिल्ली के करतार नगर में पीएम मोदी
January 29, 2025
करतार नगर की रैली में पीएम मोदी ने कहा, 'दिल्ली में भाजपा आएगी, आप-दा की लूट खत्म होगी।'
करतार नगर में पीएम मोदी ने कहा, 25 साल में कांग्रेस और AAP ने आपकी दो पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया।
8 फरवरी के बाद, दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद, हम तय समय सीमा के भीतर, सभी वादों को पूरा करेंगे: पीएम
आप-दा के लोग कहते हैं कि हरियाणा के लोग दिल्ली भेजे जाने वाले पानी में जहर मिलाते हैं। यह सिर्फ हरियाणा का ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों का अपमान है: पीएम मोदी

भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!

साथियों,

आज की चुनाव सभा को संबोधन करने से पहले मैं महाकुंभ में जो दुखद हादसा हुआ है, उस हादसे में हमें कुछ पुण्यात्माओं को खोना पड़ा है। कई लोगों को चोटें भी आई हैं। मैं प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं यूपी सरकार के साथ निरंतर संपर्क में हूं। मौनी अमावस्या की वजह से करोड़ों श्रद्धालु आज वहां पहुंचे हुए हैं। कुछ समय के लिए स्नान की प्रक्रिया में रूकावटें आईं थीं। लेकिन अब कई घंटों से सुचारू रूप से यात्री स्नान कर रहे हैं। मैं फिर एक बार उन परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

साथियों,

दिल्ली का ये क्षेत्र यमुना जी के तट पर बसा है। और इस इलाके में तो बाबा श्यामगिरी भी विराजते हैं। मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए, आप सभी जनता-जनार्दन को भी प्रणाम करता हूं। आप यहां वर्किंग डे होने के बावजूद भी इतनी विशाल संख्या में, और वो भी दोपहर के समय हम सबको आशीर्वाद देने आए हैं। मैं आप का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन ये जो दृश्य है, ये दिल्ली का मूड बता रहा है। ये दिल्ली के जनादेश के दर्शन करा रहा है।

दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा के बहाने नहीं चलेंगे।
दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा के फर्जी वादे नहीं चलेंगे।
दिल्ली कह रही है- अब ‘आप’दा की लूट और झूठ नहीं चलेगा।

दिल्ली भाजपा की यहां के लोग भाजपा की ऐसी डबल इंजन सरकार चाहते है- जो गरीबों के कल्याण और दिल्ली के विकास, दोनों पर एक साथ काम करे। दिल्ली एक ऐसी सरकार चाहती है, जो गरीबों के लिए घर बनाए, जो दिल्ली को आधुनिक बनाए। दिल्ली एक ऐसी सरकार चाहती है, जो हर घर नल से जल पहुंचाए। टैंकर माफिया से मुक्ति दिलाए! इसलिए, पूरी दिल्ली आज कह रही है- 5 फरवरी आएगी.... ‘आप’दा जाएगी— भाजपा आएगी।

मैं दिल्ली भाजपा को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दिल्ली भाजपा ने एक शानदार संकल्प पत्र दिल्ली की जनता के चरणों में समर्पित किया है। इस संकल्प पत्र में दिल्ली की महिलाओं के लिए, युवाओं के लिए, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए, दिल्ली के मध्यम वर्ग के लिए, ऑटो चलाने वालों के लिए, दुकानदारों के लिए, झुग्गी-झौपड़ी में रहने वालों के लिए...हर वर्ग के लिए अच्छी योजनाएं लाने का दिल्ली की जनता को सार्वजनिक रूप से वादा किया है। दिल्ली में बनने वाली भाजपा सरकार अपने वायदे पूरे करेगी। मैं फिर दोहराता हूं, 8 तारीख के बाद जब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी, जो भी वादे आपको किये गए हैं, वो सारे के सारे वादे समय सीमा में पूरे किए जाएंगे। ये मोदी की गारंटी है। और मोदी की गारंटी मतलब, गारंटी पूरा होने की गारंटी।

साथियों,

भारत के करोड़ों नागरिक, विकसित भारत के संकल्प को लेकर के दिन-रात जुटे हुए हैं। ये बहुत जरूरी है कि विकसित भारत की राजधानी भी, एक विकसित देश का मॉडल शहर बने। क्या आज हमारी दिल्ली को लेकर जो बदहाली देखने को मिल रही है। क्या हम ये कह सकते हैं क्या? क्या दिल्ली, एक आधुनिक देश की राजधानी, क्या उसका रंग-रूप ऐसा नजर आ रहा है क्या?

साथियों,

मुझे जवाब देने की जरूरत नहीं है। दिल्ली के करोड़ों नागरिक सुबह-शाम अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं और उसमें सब कुछ आ जाता है।

साथियों,

ये 21वीं सदी है। 21वीं सदी के 25 साल बीत चुके। आपने 21वीं सदी के पहले 14 साल देखे हैं। उसमें कांग्रेस का कार्यकाल भी देखा है। फिर 11 साल इस ‘आप’दा सरकार को दिए। लेकिन दिल्ली की समस्या तो वहीं की वहीं है। 25 साल इन दोनों ने आप की दो-दो पीढ़ी को बर्बाद कर दिया है। जब दिल्ली की बात आती है तो किसी ने 14 साल राज किया, किसी ने 11 साल राज किया। फिर भी वही जाम, वही गंदगी, वही टूटी-फूटी सड़कें, गलियों में बहता गंदा पानी, वही जलभराव, वही प्रदूषण, पीने के पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। हाहाकार हो रहा है। कुछ नहीं बदला। इन हालातों से दिल्ली को बाहर निकालना है कि नहीं निकालना है। इन हालातों से दिल्ली को बाहर निकालना है कि नहीं निकालना है। कौन निकाल सकता है? कौन निकाल सकता है? कौन निकाल सकता है? मोदी नहीं, आपका एक वोट इन मुसीबतों से मुक्ति दिला सकता है। आपके वोट की ताकत है। हमें 11 साल के पेंडिंग काम भी पूरे करने हैं और आने वाले 25-30 साल की तैयारियां भी करनी हैं। और इसलिए, मैं दिल्लीवासियों से आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूं, मोदी को दिल्ली की सेवा करने का कुछ मौका दीजिए। देशभर में मैं बहुत कुछ कर पाया हूं। दिल्ली में आपने मुझे सेवा करने का अवसर नहीं दिया है। आपने 25 साल कांग्रेस भी देखी, ‘आप’दा भी देखी। अब एक बार कमल को भी देख लीजिए। मुझे सेवा करने का अवसर दीजिए। और मैं दिल्लीवासियों को कहता हूं जैसे परिवार का मुखिया अपने परिवार का ख्याल रखता है। मैं दिल्लीवासियों एक परिवार के सदस्य के नाते आपका ख्याल रखूंगा। आपके सपने मेरे सपने होंगे। आपके सपनों को पूरा करने के लिए मैं अपना समय, शक्ति, बुद्धि जो कुछ भी है, आपके लिए खपा दूंगा।

साथियों,

भाजपा सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है कि वो जो कहती है, वो करके दिखाती है। आजादी के अनेक दशकों बाद भी, देश में करोड़ों लोग टॉयलेट, बिजली, गैस कनेक्शन, बैंक खाते ऐसी सुविधाओं से वंचित थे। यहां उत्तराखंड से आए काफी सारे परिवार बसे हुए हैं। उत्तराखंड, हिमालय की गोद, पहाड़ी इलाका, पैदल जाना हो तो भी दम उखड़ जाए। वहां भाजपा सरकार है। हमने दूर-दराज के गांवों पर सड़कें पहुंचाई हैं। नौजवान अब वापस गांव की तरफ रुख कर रहे हैं। 2014 में देश में सिर्फ, ये आंकड़ा चौंकाने वाला है, 2014 आपने मुझे बैठाया, उसके पहले, 2014 के पहले 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल का कनेक्शन था। कितने 3 करोड़, कितने 3 करोड़, कितने 3 करोड़, ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि ये याद रहे आपको। कितने घरों के पास 3 करोड़। बीते 5 साल में 12 करोड़ नए परिवारों को नल से जल की सुविधा पहुंचाई है। आप मुझे बताइये, पहले की सरकार में नल से जल की योजना थी कि नहीं। थी...कांग्रेस के जमाने में ये योजना थी। क्या हमने आकर के बंद कर दी क्या? नहीं बंद कर दी। हमने ऊपर से उसको मजबूत किया। उनका काम तो नहीं होता था। वो तो 3 करोड़ घरों पर अटक चुके थे। जो काम देश की आजादी के बाद इतने दिनों नहीं कर पाए। हमने पांच साल में करके दिखाया कि नहीं। हम योजनाओं को बंद करने वालों में से नहीं है, हम योजनाओं को बल देने वाले लोगों में से हैं। और आज इन घरों में नल से साफ पानी आता है। अगर हिंदुस्तान के दूरदराज के गांवों में, गरीब से गरीब घर में, नल से जल पहुंच सकता है, तो मेरे दिल्ली के भाई-बहन मुझे बताएं देश की राजधानी दिल्ली में ना नल से जल आता है और जहां आता भी है...वो बताने लायक भी नहीं है, पीने की तो बात छोड़ो, साफ नहीं होता है। अगर भाजपा, दुर्गम गांवों में पानी का नल पहुंचा सकती है। नल से जल पहुंचा सकती है, तो दिल्ली के हर घर को भी नल से साफ-साफ जल ये भाजपा दे सकती है।

साथियों,

‘आप’दा वालों ने दिल्ली को पानी माफिया के भरोसे छोड़ दिया है। इन लोगों ने तीन चुनावों में यमुना जी की सफाई के नाम पर वोट मांगे। आज कह रहे हैं, और बेशर्मी देखिए, अब कहां तक पहुंच गए हैं। अरे भई यमुना जी वोट थोड़े मिलता है। हम यमुना जी की सफाई नहीं करेंगे। बेशर्मी से ये कहने की इनकी हिम्मत। ये चौंकाने वाला चरित्र है जी। बेशर्मी है, बेईमानी है, बदनीयती है। ये दिल्ली वालों को पानी के लिए तरसाना चाहते हैं। ये चाहते हैं कि हमारे पूर्वांचली साथी हर साल गंदगी में ही छठी मैया की पूजा करें।

साथियों,

अपने राजनीतिक स्वार्थ में ‘आप’दा वालों ने एक और घोर पाप किया है। और ये पाप कभी भी माफ नहीं हो सकता है। इतिहास भी कभी माफ नहीं करेगा। आज भले आपके चेले-चपाटे बात को दबा देने की कोशिश करते हों, भले आज आप की इकोसिस्टम आप के इस पाप पर कपड़ा ढकने की कोशिश कर रही हो। लेकिन देश नहीं भूल सकता, दिल्ली नहीं भूल सकता, हरियाणा का एक-एक बच्चा नहीं भूल सकता। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने हरियाणा के लोगों पर घिनौने आरोप लगा दिए हैं। हार के डर से ‘आप’दा वाले बौखला गए हैं। आप बताइए, हरियाणा के लोग दिल्ली से अलग हैं क्या। क्या हरियाणा वालों के परिवार बाल-बच्चे नाते-रिश्तेदार दिल्ली में नहीं रहते क्या। क्या हरियाणा के लोग अपने ही बच्चों के पानी में जहर मिला सकते हैं क्या। हरियाणा का भेजा यही पानी दिल्ली में रहने वाला हर कोई पीता है। पिछले 11 साल से ये प्रधानमंत्री भी वो ही पानी पीता है। हरियाणा का भेजा यही पानी दिल्ली में रहने वाले हमारे सारे न्यायाधीश, सारे न्यायमूर्ति, सभी हमारे सम्मानित सदस्य भी पीते हैं। जो विदेश की एंबेसिया हैं, दुनियाभर की एंबेसियां हैं वो भी वही पानी पीते हैं। गरीब के घर के आसपास भी वो ही पानी होता है। क्या कोई ये सोच सकता है क्या...कि मोदी को जहर देने के लिए हरियाणा बीजेपी की सरकार ने पानी में जहर डाल दिया। क्या बोल रहे हो। क्या देश के न्यायाधीशों को जहर पिला करके मारने का षडयंत्र कर रहा था क्या, क्या बोल रहे हो। मेरे दिल्लीवासियों, गलती माफ करना वो भारत के नागरिकों का उदार चरित्र है। लेकिन जानबूझ करके, बद इरादे से पाप करने वालों को ना दिल्ली कभी माफ करता है ना देश कभी माफ करता है।

साथियों,
मैंने हरियाणा की रोटी खाई है। हरियाणा ने मुझे राजनीति में ऊंगली पकड़कर के चलाया है। मैं हरियाणा को भली-भांति जानता हूं। वहां का एक-एक नागरिक धर्म परायण है। अनेक घरों में सुबह यज्ञ होता है, ऐसा सात्विक जीवन मैंने हरियाणा में देखा है। ये देशभक्ति से भरे हुए लोग हैं, कोई परिवार ऐसा नहीं होगा, जिसका बेटा सीमा पर मां भारती की रक्षा ना करता हो। क्या ऐसे लोगों को जहर पिलाने वाले, ऐसा आरोप लगा दो आप। और ये देश तो ऐसा है पशु-पक्षियों तक को पानी पिलाता है। कभी उनको नुकसान नहीं पहुंचाता है। और ये ‘आप’दा वाले कह रहे हैं कि हरियाणा वाले दिल्ली के पानी में जहर मिलाते हैं। ये सिर्फ हरियाणा का अपमान नहीं है, ये भारतीयों का अपमान है। हमारे संस्कारों का अपमान है हमारे चरित्र का अपमान है। ये वो देश है, जो पानी पिलाना धर्म माना जाता है...जहां पियाऊ रखने की परंपरा है। इस देश में ऐसे लोग हो गए, जिन्होंने खुद का घर नहीं बनवाया. लेकिन गांववालों के लिए कुंआ खोदा या बावड़ी बना दी। इस देश में देशवासियों को ऐसा झूठा आरोप लगाते हो। चुनाव हारने का ऐसा डर कि कुछ भी बोलो। मुझे पक्का विश्वास है...ऐसी ओछी बातें करने वालों को दिल्ली इस बार जरूर सबक सिखाएगी। इन ‘आप’दा वालों की लुटिया...यमुना जी में ही डूबेगी।

साथियों,

‘आप’दा वालों की नीयत ही काम करने की नहीं है। पिछले 5 साल में दिल्ली विधानसभा सिर्फ 70-75 दिन चली है। ये दिल्ली विधानसभा के इतिहास का सबसे कम कामकाज रहा। इस दौरान दिल्ली में समस्याएं बढ़ीं, लेकिन कानून सिर्फ 14 पास हुए। 5 साल में 14 कानून इनमें से भी पांच कानून उनके जो विधायक हैं ना, उनकी सैलरी और पेंशन तो तय करने के लिए रहे पांच। यानी ‘आप’दा वालों को दिल्ली की आम जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। दिल्ली की समस्याओं के समाधान ढूंढने के बजाय इन्होंने विधानसभा के पवित्र मंच को, लोकतंत्र के मंदिर को गाली-गलोज के लिए इस्तेमाल किया।

साथियों

भारतीय गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का जोश पूरे देश में है। 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर देशभक्ति की झांकी देश ने देखी। भारतीय सेना की दहाड़ आसमान तक गूंज रही थी। आज भी शाम को बीटिंग रिट्रीट में हमारी सेनाओं का कौशल दिखाई देगा। लेकिन हमें नहीं भूलना है, इसी दिल्ली में ‘आप’दा पार्टी ने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाए थे। इन लोगों ने विधानसभा सत्र बुलाकर हमारी बहादुर सेना से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। ‘आप’दा वालों ने हमारे सैनिकों की वीरता का अपमान किया था। आज दिल्ली के लोगों से मैं कहना चाहता हूं। मां भारती से विश्वासघात करने वाले ऐसे लोगों को सजा देने का मौका है- 5 फरवरी। आपका एक वोट उनको सजा दे सकता है। ‘आप’दा वालों को इस चुनाव में जरूर सबक सिखाना है।

साथियों,

आज अगर कोई दिल्ली का नाम लेता है, तो सिर्फ यही कहता है कि ये देश की राजधानी है। दिल्ली शहर की अपनी कोई विशेष पहचान नहीं बन पाई। आप पड़ोस में देखिए...गुड़गांव और नोएडा। आज इनकी पहचान आईटी सेक्टर से है। स्टार्ट अप्स से है। मैन्यूफैक्चरिंग से है। बेंगलुरु की आईटी से पहचान है। मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री से पहचान है। साफ-सफाई की बात आती है, तो देश के 5 टॉप शहरों में इंदौर, सूरत, नवी मुंबई, विशाखापट्टनम और भोपाल के नाम लिए जाते हैं।

साथियों,

21वीं सदी की दिल्ली को भी हमें एक अलग, विशेष पहचान दिलवानी है। दुनिया, दिल्ली को सिर्फ भारत की राजधानी के रूप में जाने, इतना नहीं है, बल्कि विकसित भारत के मॉडल सिटी के रूप में भी जाने। भाजपा ये लक्ष्य लेकर काम कर रही है। जो दिल्ली को दुनिया का सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क वाला शहर बना रही है- वो और कोई नहीं, भाजपा है। जो दिल्ली को- देश का पहला नमो रेल कनेक्टिविटी वाला शहर बना रही है- वो है भाजपा। जो दिल्ली को सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे से कनेक्टेड शहर बना रही है- तो वो है भाजपा। वो है भाजपा। वो है भाजपा। और जिसने सूरजमल विहार में डीयू के पूर्वी कैंपस पर काम शुरू किया है- वो है भाजपा। वो है भाजपा।

साथियों,

भाजपा का संकल्प दिल्ली को एक ऐसा शहर बनाने का है, जो रहने के लिए बेस्ट हो, कारोबार के लिए बेस्ट हो। ये जो दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे है। ईस्टर्न पेरीफरल एक्सप्रेसवे है। ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित दिल्ली की पहचान बनेगा।

साथियों,

दिल्ली को शानदार शहर बनाने के लिए ही, हमने दिल्ली की सैकड़ों अनाधिकृत कॉलोनियों को रेगुलर करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए स्पेशल कैंप चल रहे हैं। लेकिन ‘आप’दा सरकार, इन कॉलोनियों को भी पानी और सीवर के लिए तरसा रही है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं भाजपा सरकार आते ही, पाइपलाइन और सीवर बिछाने का काम तेजी से पूरा होगा।

साथियों,

जब तक झुग्गियों में रहने वालों का जीवन बेहतर नहीं होगा, तब तक भाजपा चैन से नहीं बैठ सकती। और इसलिए भाजपा सरकार, हजारों झुग्गीवासियों के लिए पक्के घर बना रही है। जहां झुग्गी है, वहां अच्छे घर दे रही है। हजारों झुग्गीवासियों को उनके घर की चाबी मिल चुकी है। और आज आप मेरा एक काम और करना। जो झुग्गियों में रहने वाले लोग हैं...उनसे कहना आप जब मिलने के लिए जाइए ना, झुग्गी वालों से, तो उनको कहना कि अब तक आपका घर नहीं बना है, ये हमने नोट कर लिया है। और मेरी तरफ से एक काम करना आप लोग, करोगे...जरा हाथ ऊपर करके बताइए, मेरा काम करोगे। आप उन सब झुग्गी-झोंपड़ी वालों को बता देना। देखिए मेरे लिए आप ही मोदी हैं। आप उनको बता देना, मेरी तरफ से बता देना, हिम्मत के साथ। जो भी झुग्गी-झोंपड़ी वाले हैं, उनको बता देना। मोदी की गारंटी है, आपका पक्का घर बनके रहेगा। ये बताएंगे, बताएंगे।

साथियों,

मोदी के पास अपना कोई घर नहीं है। लेकिन मोदी का सपना है, हर गरीब के पास अपना पक्का घर हो। ये शीशमहल बनाने वाले, जनता के करोड़ों रुपए लुटाने वाले, ऐशो-आराम करने वाले, कभी गरीब के घर के बारे में नहीं सोच सकते। इसलिए ये ‘आप’दा वाले झुग्गियों में जाकर के झूठी बातें फैला रहे हैं।

साथियों,

इनकी झूठ बोलने की ताकत इतनी है कि आपको मेहनत जरा ज्यादा करनी होगी। क्योंकि चेहरा इतना भोला-भाला करके झूठ बोलते हैं। आपने वो चार्ल्स शोभराज का नाम सुना होगा। वो जाना-माना ठगी था, लेकिन ठगी करने में ऐसा एक्सपर्ट था कि हर बार लोग गलती कर बैठते थे। हर बार लोग फंस जाते थे। और इसलिए ऐसे लोगों से संभलके रहना बहुत जरूरी होता है।

साथियों,

घरों में साफ-सफाई, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल, ड्राइविंग का काम करना ऐसे अनेक कामों से जुड़े हजारों लोग दिल्ली में रहते हैं। इनके लिए भी दिल्ली भाजपा ने कल्याण बोर्ड बनाने और 10 लाख तक का बीमा देने की घोषणा की है। हर परिवार में ऐसे जो काम करने वाले हैं, उनको बताने की जिम्मेवारी हम सबकी है। उनको पता होना चाहिए कि मोदी गारंटी क्या है। आपको बच्चों की पढ़ाई की फीस की चिंता भी नहीं करनी है। दिल्ली भाजपा ने केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का संकल्प लिया है।

साथियों,

ये एक और अफवाह फैला रहे हैं कि भाजपा योजनाएं बंद करेगी। ये कुछ लोगों की ऐसी आदत होती है झूठ बोलने की। 2014 में जब में चुनाव लड़ रहा था लोकसभा का। तो ये कांग्रेस वाले गांव-गांव, गली-गली जाकर कहते थे कि मोदी आएगा, भाजपा आएगी तो मनरेगा बंद हो जाएगा। आपकी रोजी-रोटी खत्म हो जाएगी। भड़का रहे थे। आज 11 साल हो गए। मैंने उस दिन भी कहा था, मैं योजनाओं को बंद नहीं करूंगा, मैं योजनाओं को बल दूंगा और हमने बल दिया। उसमें जो बेइमानी थी। मनरेगा में से बेइमानी को हटाया और मजबूती देने का काम किया। हमारे देश में परंपरा है, किसी भी सरकार कितनी ही बुरी क्यों ना हो, कितने ही बदनाम क्यों ना हो। लेकिन अगर उसके कार्यकाल में कोई अच्छी चीज शुरू हुई हो, तो हर सरकार उसको आगे चलाती है। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी। उसके बाद कांग्रेस आई। तो अखबार वाले लिखते थे कि अटल जी की ये पीएम ग्राम सड़क योजना चालू रहेगी क्या। मनमोहन सिंह जी के समय भी चालू रही और बाद में मोदी के आने के बाद भी चालू रही। इतना ही नहीं गति बढ़ा दी गई। सरकारें, ये झूठ बोलने वालों को पता नहीं है कि सरकारें ऐसे नहीं चलती हैं। और इसलिए जो भी अच्छा है, जो दिल्ली के कल्याण के लिए है। दिल्लीवासियों की भलाई के लिए है। उसको आगे चलाया जाएगा। उसे और मजबूती दी जाएगी। उसे बल दिया जाएगा। हां, बेइमानों को जाना पड़ेगा। जिस काम के लिए पैसे हैं, टैक्सपेयर के पैसे, गरीब के लिए जो काम हो रहा हैं, उनके लिए ही जाएंगे। भाजपा सरकार इन योजनाओं में पारदर्शिता लाएगी। इनमें भ्रष्टाचार को बंद किया जाएगा।

साथियों,

आप याद कीजिए, CAG की रिपोर्ट...1860 से ये व्यवस्था चल रही है। CAG का जन्म हुआ, अंग्रेज गए, योजना चलती रही। अनेक सरकारें आईं, CAG योजना चलती रही। ये पहला ऐसा व्यक्ति आया, जिसने इतनी पुरानी CAG जैसी संस्था, इतनी क्रेडिबल इंस्टीट्यूट और सरकार में चैक और बैलेंस के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यवस्था, उसको उसने कागज का टुकड़ा बनाकर के फेंक दिया।

साथियों,

‘आप’दा सरकार CAG की रिपोर्ट को दबाकर बैठ गई है। इन्हें शराब घोटाले, शीशमहल घोटाले, शिक्षा घोटाले, अस्पताल घोटाले...ऐसी हर चीज से पर्दा उठने का डर है। आप भाजपा-NDA के उम्मीदवारों को जिताइए। विधानसभा के ये दूसरी मोदी की गारंटी भी लिख लीजिए, विधानसभा के पहले सत्र में ही CAG रिपोर्ट टेबल पे कर दी जाएगी।

साथियों,

ये ‘आप’दा वाले इतने अहंकार में डूबे हैं कि खुद को दिल्ली के मालिक समझ बैठे हैं। इनका ये अहंकार दिल्ली की जनता इस चुनाव में तोड़ने वाली है। ये लोग खुद को दिल्ली की माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच कहते हैं। बेशर्मी तो देखो, खुद को। दिल्ली की माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच कहने की हिम्मत। मेरे प्यारे देशवासियों, मेरे प्यारे दिल्लीवासियों, नेता कितना ही बड़ा क्यों ना हो। नेता किसी का सुरक्षा कवच नहीं होता है। नेता तो सिर्फ और सिर्फ सेवक होता है। ये मेरा सौभाग्य है कि देशभर की माताएं-बहनें मोदी का सुरक्षा कवच हैं। माताएं-बहनें-बेटियां मोदी का सुरक्षा कवच इसलिए बनी हैं, क्योंकि मोदी मन से, समर्पण भाव से उनकी सेवा कर रहा है। जिनको पहली बार टॉयलेट मिला, गैस कनेक्शन मिला, पीने का पानी नल से मिला, कोविड के कठिन कालखंड से आज तक मुफ्त अनाज मिला, वो सारी बहनें मोदी का सुरक्षा कवच हैं। बहनें कह रही हैं कि भाजपा सरकार ने मुफ्त गैस कनेक्शन दिया, तो सस्ता गैस सिलेंडर भी वही देगी। सामान्य मानवी कहता है भाजपा सरकार ने बैंक खाता खोला, तो पैसा भी उसमें वही भेजेगी।

साथियों,

दिल्ली की महिलाओं का ‘आप’दा पार्टी से भरोसा उठ चुका है। ‘आप’दा की बड़ी-बड़ी घोषणाओं पर दिल्ली की बहनें भरोसा ही नहीं कर रहीं। वो पूछ रही हैं कि 11 साल राज करने के बाद आज घोषणा क्यों कर रहे हो। ये घोषणाएं पहले लागू क्यों नहीं कीं। दिल्ली में महिलाओं के लिए जो 11 सौ रूपये देने की घोषणा की थी, वो पैसे किसके जेब में गए। महिलाओं के खाते में तो नहीं गए। पंजाब में तीन साल पहले 11 सौ रुपये देने का वादा किया था। आज तक वो पूरा क्यों नहीं किया। दिल्ली की बहनें भाजपा की राज्य सरकारों का भी काम देख रही हैं। दिल्ली में हर राज्य के लोग रहते हैं। वो अपने-अपने राज्य की बातें बताते हैं। मध्य प्रदेश हो, महाराष्ट्र हो, छत्तीसगढ़ हो, ओडिशा हो, जहां भी बीते एक-डेढ़ साल में चुनाव हुए हैं, वहां सरकार बनते ही बहनों के खाते में पैसा भेजना शुरू हो गया। दिल्ली भाजपा ने भी घोषणा की है कि सरकार बनते ही हर महीने ढाई हजार रुपये, कितने, कितने, कितने ढाई हजार रुपए बहनों के खातों में जमा किए जाएंगे। गर्भावस्था के दौरान 21000 रुपए बहनों को दिए जाएंगे। ताकि वे अच्छा और पोषक खाना खा सकें। और उसके पेट में जो बच्चा है, वो भी तंदुरुस्त बच्चा देश को मिले।

साथियों,

आप सभी को इनकी, ‘आप’दा वालों की एक और चाल से सावधान रहना है। ‘आप’दा को हार का अहसास हो चुका है। इनके हर विधायक को लेकर जनता में बहुत गुस्सा है। इसलिए ‘आप’दा और कांग्रेस ने पर्दे के पीछे एक-दूसरे से गठबंधन कर लिया है। ‘आप’दा वाले कोशिश कर रहे हैं कि उसका नहीं तो कांग्रेस का विधायक जीत जाए। ताकि बाद में मिलकर के सत्ता हथियाने का काम हो जाए। ऐसे तो दिल्ली पर डबल आपदा आ जाएगी। इसलिए आपको घर-घर जाना है। सबको कहना है कि कमल निशान पर ही वोट दें। और बुराड़ी वाले तीर निशान पर वोट डालें। पांच फरवरी को दिल्ली में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। आप याद रखना, ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। ‘आप’दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। आप इतनी विशाल संख्या में हमें आशीर्वाद देने आए, मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।