प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में भारतीय समुदाय को संबोधित किया
प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम – समूचा विश्व एक परिवार है, का एक जीवंत उदाहरण पेश करने के लिए भारतीय समुदाय की तारीफ़ की
भारत सिंगापुर से बहुत कुछ सीख सकता है, स्वच्छता उनमें से एक है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में 49% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) की बात कही
आज पूरा विश्व भारत को पूरे विश्वास से देखता है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) पहले भारत के विकास के लिए आवश्यक: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार आने के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) में वृद्धि हुई है: प्रधानमंत्री
विश्व स्तर पर भारतीय मुद्रा को और अधिक मजबूत होना पड़ेगा: प्रधानमंत्री मोदी
हमने एक आंदोलन शुरू किया है; हम सिंगापुर, जर्मनी, अमेरीका के साथ कौशल विकास पर काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
हम भारत में हर किसी को 24x7 बिजली उपलब्ध कराना चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हम अक्षय ऊर्जा, पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमने 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है: प्रधानमंत्री मोदी
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा से पूरा विश्व समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक साथ आया: प्रधानमंत्री

नमस्‍ते, वणक्‍कम, दीपावली का पर्व अभी-अभी गया, लेकिन मुझे बताया गया कि Little India ने इस बार दीपावली की रोशनी एक हफ्ते तक उसको extend कर दिया। मैं इसके लिए सभी Singaporeans का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं सिंगापुर पहले भी आया हूं। पहले भी Indian Community के साथ मिलने का बातें करने का मुझे अवसर मिला है। लेकिन आज का ये नजारा हिन्‍दुस्‍तान में बैठ करके कोई सोच भी नहीं सकता है कि सिंगापुर का ये मूड है। मैं हृदय से आप सबका धन्‍यवाद करता हूं आज पूरे विश्‍व में भारत की जो छवि बनी है, पूरा विश्‍व भारत की तरफ एक विश्‍वास के भाव से देख रहा है उसका कारण, उसका कारण, उसका कारण मोदी नहीं है। उसका कारण विदेशों में बसे हुए आप मेरे भारतीय भाई-बहन हैं। आप लोगों ने दुनिया के जिस देश में गए, जिस धरती पर पहुंचे, जान-पहचान थी या नहीं थी, हालात अनुकूल थे या प्रतिकूल थे, आपने उस धरती को अपना बना लिया। आपने उस देश के लोगों के साथ आप ऐसे मिल गए ऐसे मिल गए, जैसे दूध में शक्‍कर मिल जाती है।

हम कभी सुना करते थे, पढ़ा करते थे इतिहास में कि पारसी कौम जब सबसे पहले हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर आए, गुजरात के किनारे पर आए और उस समय के हिन्‍दु राजा थे जदीराणा, ये विदेश से आए थे, कौन है क्‍या है जानते नहीं थे। क्‍यों आए थे पता नहीं था लेकिन उन्‍होंने समुंदर में से मैसेज भेजा तो राजा ने एक दूध का गिलास भरा हुआ उनको भेज दिया। और उसमें मैसेज ये था कि जैसे ये गिलास में दूध पूरी तरह भरा हुआ है और बिल्‍कुल जगह नहीं है, मैं आपको यहां कैसे समाऊंगा? ये Symbolic मैसेज था। तो पारसियों ने क्‍या किया, उस दूध में चीनी मिला दी, शक्‍कर मिला दी और वो दूध का कटोरा वापिस भेजा और उन्‍होंने राजा को संदेश दिया कि हम विदेश की धरती से आए हैं, संकटों के मारे आए हैं लेकिन जैसे इस भरे हुए दूध से भरे गिलास में जगह न होने के बावजूद भी चीनी जैसे उसमें मिल गई हम भी मिल जाएंगे और हम और मिठास भर देंगे। हिन्‍दुस्‍तानी भी जहां गया उसने वहां के जीवन के साथ अपने आचरण के द्वारा, अपने व्‍यवहार के द्वारा, उस समाज में वो ऐसे घु‍लमिल गया कि हर किसी को अपना लगने लगा, अपने लगने लगा। दुनिया के कई देशों से पता चलता है कि अगर अड़ौस-पड़ौस में कोई Indian आता है तो खुशी महसूस करते हैं। उनको लगता है अच्‍छा भई कोई Indian हमारे पड़ौस में आया है। और वो अपने बच्‍चों को प्रेरित करते हैं कि जरा तुम Indian बच्‍चों से दोस्‍ती करो।

ये, ये, इस, आपके इस व्‍यवहार के कारण और सदियों से हमारे देशवासी जहां गए, वहां वे एक अपनापन की महक ले करके गए, अपने बन करके रहे, हर किसी को गले लगा करके रहे और ये सदियों से परंपरा चली आ रही है। इसी के कारण भारत जब सोने की चिडि़या था तब भी किसी को भी आंख में खटकता नहीं था। और हमारे बुरे दिन आए तब भी किसी ने हमें हड़दूत नहीं किया था, अपमानित नहीं किया था क्‍योंकि सदियों से हमारे लोगों ने ये प्‍यार, ये अपनापन, इसी का मूलमंत्र ले करके और हमने सिर्फ शास्‍त्रों में पढ़ा था, ऐसा नहीं है। वसुधैव कुटुम्‍बकम् से वेदकाल से हमारे यहां उद्घोष चला आ रहा है। लेकिन भारतीयों ने सच्‍चे अर्थ में वसुधैव कुटुम्‍बकम् Whole world is one family, इस मंत्र को जी करके दिखाया है। और उसी के कारण आज विश्‍व में भारतीयों के प्रति, भारत के प्रति कहीं कोई आशंका का माहौल नहीं होता है, अपनेपन की श्‍वास होती है और इसलिए मैं विश्‍व भर में फैले हुए मेरे सभी भारतीय भाइयों-बहनों का आदरपूर्वक अभिनंदन करता हूं।

मैं गत मार्च महीने में एक दिन के लिए सिंगापुर आया था। जिस महापुरुष ने इस सिंगापुर को बनाया, अपने खून-पसीने से बनाया। अपने-आप को खपा दिया। एक छोटा सा मछुआरों का गांव आज विश्‍व के समृद्ध देशों की बराबरी कर रहा हो, ऐसा सिंगापौर बन गया। ऐसे महापुरुष स्‍वर्गीय Lee Kuan Yew, उनकी अंत्‍येष्टि के लिए, अंतिम दर्शन के लिए मैं आया था। जब सिंगापुर को याद करते हैं एक विश्‍वास पैदा होता है।

अगर कुछ करने का माजा है तो होके रहता है। अगर सपने है और सपनों के लिए समर्पण है तो सिद्धि आपके चरण चूमने के लिए तैयार रहती है। प्रसिद्धि और सिद्धि में बहुत बड़ा फर्क होता है। कुछ भी करने पर प्रसिद्धि तो मिल जाती है लेकिन सिद्धि के लिए तो सिर्फ तपस्‍या, यही एक मार्ग होता है और जिन्‍होंने प्रसिद्धि का रास्‍ता अपनाया है वो कभी कुछ सिद्धि नहीं कर पाए हैं। कुछ समय तक सुर्खियों में जगह बना सकते हैं लेकिन धरती पर बदलाव नहीं ला सकते हैं सिंगापुर वो एक उदाहरण है कि 50 साल के कार्यकाल में एक ही generation की आंखों के सामने एक देश को कहां से कहां पहुंचाया जा सकता है, इसका ये उत्‍तम उदाहरण है। भारत महान देश है, भारत विशाल देश है, सवा सौ करोड़ देशवासियों का देश है। सब कुछ है फिर भी सिंगापुर से बहुत कुछ सीखना भी है।

आज से 50 साल पहले, 60 साल पहले जिस महापुरुष को एक विचार आया – सिंगापुर की सफाई, स्‍वच्‍छता, cleanliness। अब क्‍या हमारा देश ये काम नहीं कर सकता क्‍या, करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? यहां के नागरिकों की भूमिका है कि नहीं है? और मुझे महात्‍मा गांधी जीवन भर एक बात के लिए बड़े आग्रही थे – स्‍वच्‍छता के लिए। और वो तो यहां तक कह दिया था कि मुझे आजादी और स्‍वच्‍छता दोनों में से पहले प्राथमिकता देनी है तो मैं स्‍वच्‍छता को दूंगा।

आज भारत में सबका एक मन बना है। हर किसी को लग रहा है कि हमारा देश ऐसा नहीं होना चाहिए। गंदगी में बहुत गुजारा कर लिया। दुनिया बदल रही है, हिन्‍दुस्‍तान को बदलना चाहिए कि नहीं बदलना चाहिए। और अच्‍छी बात यह है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बदलने का मन बना लिया है। कोई देश न सरकारों से बनते है न सरकारों से बढ़ते है, देश बनते है जन-जन की इच्‍छा से, जन-जन के संकल्‍प से, जन-जन के पुरुषार्थ से] जन-जन के त्‍याग और तपस्‍या से, पीढ़िया खप जाती है तब एक राष्‍ट्र का निर्माण होता है। आज भारत में वो मिजाज पैदा हुआ है। हर भारतीय को लगने लगा है हम देश को आगे बढ़ाएंगे, देश को आगे ले जाएंगे। हम उस युग में जी रहे हैं कि जिस युग में अगर कुछ मिला है तो छोड़ने का मन कभी नहीं करता है। हम travel करते हो और travel करते समय हमारी सीट reserve हो, हम सीट पर बैठे हो, बगल की सीट खाली हो, हमने अपने बैग वहां रख दिए हो, अखबार रख दिए हो, कुछ सामान रख दिया हो। वो सीट अपनी नहीं है, लेकिन किसी और को आने में देर हुई है, हमने सब रखा है और जब वो आ जाए तो ऐसा मन खट्टा हो जाता है। किसी और का.. ये मूलभूत प्रवृत्‍ति है, लेकिन मैंने मेरे देशवासियों का जो मिजाज देखा है, भारत के लोगों ने क्‍या मन बनाया है।

मैंने एक बार एक छोटी-सी बात कही, देशवासियों के सामने। मैंने कहा कि आप जो घर में गैस का चूल्‍हा जलाते हैं, वो जो गैस का सिलेंडर आता है, उस पर करीब 500 रुपए सरकार सब्‍सिडी के रुप में देती है। आप ऐसे परिवार के हो जिनमें 500 रुपए तो चाय-पानी पर खर्च कर देते हैं। आप से सब्‍सिडी क्‍यों लेते हो, क्‍या आप ये सब्‍सिडी छोड़ नहीं सकते। इतना सा मैंने कहा था और आज मैं गर्व के साथ कहता हूं मेरे देश के 40 लाख परिवारों ने गैस सब्‍सिडी छोड़ दी। बगल की कुर्सी न छोड़ने का जो मन रहता था वो आज सब्‍सिडी छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है और वो भी महात्‍मा गांधी कुछ कहे, लाल बहादुर शास्‍त्री कुछ कहे और देश कर ले, ये तो हमारे गले उतरता है, लेकिन मुझ जैसा एक सामान्‍य मानवीय, एक चाय बेचने वाला, ये देश के सामने एक बात रखे और मेरा देश इस बात को सर-आँखों पर उठा ले तब मेरा मन कहता है, ये देश नई ऊंचाइयों पर जाकर के रहेगा, ये देश स्‍वामी विवेकानंद जी ने जो सपना देखा था कि मैं मेरी भारत माता को विश्‍व गुरु के रूप में देख रहा हूं। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि अब हिन्‍दुस्‍तान विवेकानंद जी के सपनों को साकार करने के लिए सज हो चुका है। जितनी विविधताएं, जितनी विशेषताएं, जितने किंतु परंतु हिन्‍दुस्‍तान में है, उतने ही सिंगापुर में है, उसके बावजूद भी हर कोई सिंगापोरियन है। हर कोई सिंगापुर बनाने में लगा हुआ है, हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर के काम कर रहा है। हम भी इस बात में सिंगापुर से बहुत कुछ सीखना चाहते हैं। वसुधैव कुटुम्‍बकम, जिस धरती से मंत्र निकला, वहां भी जन-जन मेरे परिवार का है, हर कोई मेरा अपना है। वही भाव देश को आगे बढ़ाने की ताकत बनता है और उसी को आगे बढ़ाने की दिशा में हम लगातार कोशिश कर रहे हैं। सारी दुनिया को किस प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान की तरफ, मैं पिछले दिनों विश्‍व के बहुत सारे नेताओं से मिला हूं। मैं जब चुनाव के मैदान में था तो मुझे पत्रकारों ने पूछा था कि आपकी विदेश नीति कैसी होगी? और मैं देख रहा था चुनाव के समय, पत्रकार बहुत बुद्धिमान होते हैं और बड़े चतुर भी होते हैं। तो जब मैं चुनाव अभियान करता था तो उनको मालूम था कि मोदी की weaknesses क्‍या है। वो बराबर लेकर के आते थे। तो उनको लगता था कि ये गुजरात जैसे छोटे राज्‍य में काम करता है, इसे हिन्‍दुस्‍तान का कोई अनुभव नहीं है, विदेश का तो सवाल ही नहीं होता। तो मुझे वो हर दूसरा-तीसरा सवाल घुमाकर के विदेश नीति पर ले आते थे। अब उस समय मैं चुनाव के कैम्‍पेन में था मैं उनको विदेश नीति क्‍या समझाऊ? लेकिन वो बराबर पकड़ लेते थे और उनको ये समझ आता था कि इसमें ये बंदा weak है और वो घुमा फिराकर मुझे वहीं ले जाते थे। तो फिर मैं इतना ही कहता था कि देखिए भाई जब हमें इस जिम्‍मेवारी को निर्वाह करने की नौबत आएगी तब क्‍या करना है वो देखेंगे, लेकिन मैं इतना विश्‍वास देता हूं, न हम आंख झुकाकर के बात करेंगे और न ही हम आंख दिखाकर के बात करेंगे, हम दुनिया से आंख मिलाकर बात करेंगे। आज 18 महीने के बाद मेरे प्‍यारे देशवासियों मैंने जो वादा किया था, वो निभाया है, न हिन्‍दुस्‍तान आंख झुकाकर के बात करता है, न कभी हिन्‍दुस्‍तान किसी को आंख दिखाने की कोशिश करता है, लेकिन हिन्‍दुस्‍तान आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ है, वो आंख मिलाकर के बात करता है। बराबरी से बात करता है और उसका एक परिणाम भी है। आज पूरा विश्‍व भारत के साथ बराबरी का व्‍यवहार कर रहा है। सारे विश्‍व को सवा सौ करोड़ देशवासियों वाला देश क्‍या होता है, उसकी ताकत क्‍या होती है, अब विश्‍व पहचानने भी लगा है, अनुभव भी करने लगा है। अब विश्‍व ये नहीं सोचता है कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, हम अपना माल बेचने के लिए पहुंच जाएंगे, वो सोच बदल चुकी है। अब उसको लगता है, मौका मिल जाए तो हिन्‍दुस्‍तान के साथ पार्टनरशिप कर ले, भागीदारी कर ले। और ये अुनभव अब आ रहा है। इन दिनों हर क्षेत्र में ये अनुभव आ रहा है। 

भारत में विदेश का पूंजी निवेश एक बात निश्‍चित है। यहां बैठा हुआ कोई व्‍यक्‍ति ऐसा चाहता है कि हिन्‍दुस्‍तान जैसा है वैसा ही रहे, कोई चाहता है। हर कोई चाहता है न देश में बदलाव आए, हर कोई चाहता है देश आगे बढ़े, हर कोई चाहता है देश आधुनिक बने, हर कोई चाहता है देश से गरीबी मिटे, हर कोई चाहता है देश में नौजवान को रोजगार मिले। इस काम को पूरा करना है तो जहा से जो शक्‍ति मिले वो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए। अगर परिवार में कोई बीमार है और विेदेश की दवाई से काम चलने वाला है तो लानी चाहिए कि नहीं लानी चाहिए, बीमारी ठीक करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए।

भारत में भी बहुत बड़ी मात्रा में विदेश पूंजी की जरूरत है। Foreign direct investment की आवश्‍यकता है और जब मैं FDI कहता हूं तो मेरे दिमाग में FDI एक साथ दो विषय लेकर चलती है। दुनिया की नजरों में FDI है foreign direct investment। लेकिन उस समय मेरे दिमाग में है – first develop India. और इसलिए FDI to FDI, foreign direct investment to first develop India. अब मुझे बताइए आप कितने ही सालों से पड़ोसी के बराबर-बराबर रहते हो और कभी अचानक 5-10 हजार की जरूरत पड़ गई और गए तो दे देगा क्‍या? वो कहेगा हां-हां बिलकुल, मैं तो मदद जरूर करूंगा। आप लोग ऐसा करो, आपके भाईसाहब बाहर गए है Monday को आएंगे, फिर मैं कुछ करूंगा। ऐसा ही करते हैं न, 10 हजार रुपया भी कोई बगल में देने के लिए तैयार नहीं होता। आज foreign direct investment में मैं जब सत्‍ता पर आया उसके पहले जो स्‍थिति थी, उसकी तुलना में 40% growth हुआ है 40%। हमें ये रुपयों की क्‍यों जरूरत है, कागज पर दिखाने के लिए नहीं। हमें बदलाव लाना है।

आज हमारे देश की रेलवे, मुझे बताइए रेलवे का इतना बड़ा नेटवर्क है, इतना बढ़िया नेटवर्क। दुनिया के कई देश जिसकी जनसंख्‍या है उससे ज्‍यादा लोग हमारे यहां एक समय रेल के डिब्‍बे में होते हैं। लेकिन समय रहते रेल आधुनिक होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए, स्‍पीड बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए। रेल की लंबाई बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए, सेवाएं सुधरनी चाहिए कि नहीं सुधरनी चाहिए। अगर दुनिया के पास technology है, दुनिया के पास पैसे हैं, दुनिया के पास भारत एक अवसर है तो हमें मौका देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। मैं आज दुनिया में जो-जो देश रेलवे के लिए काम कर रहे हैं, उन सबसे मिला हूं, मैं कहा रहा हूं आइए। आधुनिक से आधुनिक technology लाइए और मेरे लिए रेलवे ये सिर्फ transportation नहीं है, मेरे लिए रेलवे transformation का engine है, हिन्‍दुस्‍तान के transformation का engine है। मैंने उसकी ताकत को जाना है, पहचाना है और आज विश्‍व भर के लोग। इसलिए हमने पहली बार देश में रेलवे को 100% foreign direct investment के लिए open up कर दिया है। नई technology आएगी, नई स्‍पीड आएगी, परिवर्तन आएगा और सबसे बड़ी बात।

जो लोगों विदेशों में जाते हैं उनको तो बराबर मालूम है आपकी जेब में लाखों रुपए पड़े हो, लेकिन कहीं एक चाय भी पीनी है तो मिलती है क्‍या? जब तक डॉलर नहीं होगा, चाय नहीं मिलती है। रुपया का डॉलर करना पड़ता है, रुपया का पाउंड करना पड़ता है, करना पड़ता है कि नहीं करना पड़ता है? अरे वो टैक्‍सी वाला भी कहेगा यार रुपया मेरे काम का क्‍या है भाई ये तो कागज है, मेरे काम का क्‍या है। तुम डॉलर में लाओ। भारत की करेंसी उसकी इज्‍जत बढ़नी चाहिए कि नहीं बढ़नी चाहिए, विश्‍व भारत की करेंसी को भी उतना ही सम्‍मान दे, ये हम चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं? पहली बार लंदन के stock exchange में rupee bond के लिए हम लोग आगे बढ़े। रेलवे के लिए अब rupee bond दुनिया का कोई भी व्‍यक्‍ति रुपयों में invest कर सकता है और उसको रुपयों में वापिस मिल सकता है। ये रुपयों की इज्‍जत का कमाल है, वर्ना या तो गोल्‍ड चलता था, या डॉलर या पाउंड चलते थे। आज दुनिया के बाजार में हम रुपयों के रूप में enter कर रहे हैं। इसका कारण ये है कि पूरे विश्‍व में एक विश्‍वास पैदा हुआ है। ये जो rupee bond हमने लागू किया, अभी मैं जब UK गया था, अभी तक बहुत लोगों को पल्‍ले ही नहीं पड़ा है कि करके क्‍या आया है मोदी। अब आज मैं समझा रहा हूं तो शायद चर्चा शुरू होगी। rupee bond अपने आप में भारत की आर्थिक संपन्‍नता का एक महत्‍वपूर्ण मिसाल है और हिन्‍दुस्तान के हर नागरिक को इसे गौरव के रूप में देखना चाहिए और इसको उजागर करना चाहिए। तभी तो भारत की ताकत बढ़ती है। हम ही अपने आप को कोसते रहेंगे तो दुनिया हमारी तरफ क्‍यों देखेगी। इसलिए आत्‍मविश्‍वास के साथ एक समाज के रूप में विश्‍व के सामने हमारी एक पहचान बने, ताकत खड़ी हो, उस दिशा में हमारा प्रयास है।

आज हिन्‍दुस्‍तान में रक्षा के क्षेत्र में हमें सब चीजें import करनी पड़ती है, बाहर से लानी पड़ती है। अब आज के युग में क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासियों को हम असुरक्षित रख सकते हैं, उनके नसीब पर छोड़ सकते हैं? देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों को सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? अब उसके लिए हमारे सेना के जवान डंडा लेकर के खड़ा हो जाएगा तो काम चलेगा क्‍या? उसको भी शक्‍ति संपन्‍न औजारों से ताकतवर बनाना पड़ेगा कि नहीं बनाना पड़ेगा? लेकिन क्‍या हम आजादी के 70 साल के बावजूद भी हर चीज बाहर से लाएंगे क्‍या, हर चीज import करेंगे क्‍या ? क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासी बना नहीं सकते क्‍या? आपको हैरानी होगी, सुरक्षा के क्षेत्र में पुलिस वालों के पास एक साधन होता है – अश्रु गैस, tear gas. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वो tear gas छिड़कते हैं। आंसू निकलते हैं तो फिर आंदोलनकारी भागते है। हम रोने के लिए भी बाहर से लाते हैं। अब रोना कि हंसना मुझे समझ नहीं आता है। ये स्‍थिति बदलनी चाहिए। भारत का बहुत एक धन defence के लिए जो चीजें हम import करते हैं उसमें खर्च हो जाता है। भारत के पास नौजवान है, भारत के पास talent है, भारत के पास raw material है, भारत की आवश्‍यकता है। क्‍यों न हमारे defence equipment हिन्‍दुस्‍तान में क्‍यों नहीं बनने चाहिए और इसलिए मैंने बीड़ा उठाया है कि भारत में रक्षा क्षेत्र में भारत अपने कदमों पर खड़ा हो और इसके लिए हमने foreign direct investment को पहली बार 49% open up कर दिया है और हमने ये भी कहा है कि अगर उत्‍तम कक्षा की technology अगर उसमें involve है तो हम उसको 100% foreign direct investment के लिए open up कर देंगे। लोग आएंगे भारत में पूंजी लगाएंगे और भारत के नौजवान शस्‍त्रार्थ बनाएंगे, वो हमारी भी रक्षा करेंगे और कही भेजना है तो भेज भी पाएंगे और इसलिए दुनिया के देश आज हमारे साथ समझौता कर रहे हैं। एक समय ऐसा था कि defence में कुछ भी खरीददारी करनी है तो हर बार corruption के आरोप लग जाते थे। इसलिए या तो निर्णय नहीं होता था, या निर्णय होता था तो कहीं न कहीं से कोई बू आती थी। 18 महीने हो गए, हमने एक के बाद एक निर्णय किए, transparency के साथ निर्णय किए और अब तक कोई हमारे ऊपर उंगली नहीं उठा पा रहा है, देश की रक्षा के लिए आवश्‍यक है।

हमारा देश दुनिया में जिन देशों के पास समृद्धि है उनके सामने एक कठिनाई भी है। दुनिया के बहुत देश ऐसे भी है जो आर्थिक संपन्‍नता की ऊंचाइयों पर पहुंच चुके हैं। लेकिन उन देशों में बुढ़ापा घर कर गया है। जवानी नहीं बची है। भारत अकेला देश ऐसा है, जो दुनिया के जवान देशों में है। भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्‍या; 800 मिलियन लोग, 35 साल से कम उम्र के है। जो देश जवानी से लबालब भरा हुआ हो उसके सपने भी जवान होते हैं, संकल्‍प भी जवान होते हैं, इरादे भी जवान होते हैं और पुरुषार्थ भी जवान होता है। हमें demographic dividend मिला हुआ है, लेकिन ये ताकत में तब बदलेगा जब हमारे नौजवान के हाथों में हुनर होगा, skill हो, रोजगार के अवसर हो, अगर वो नहीं है तो ये 35 साल की उम्र का नौजवान लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता है और इसलिए देश को ये 65 प्रतिशत नौजवान है, उनकी शक्‍ति को भारत के निर्माण में लगाना है और इसलिए हमने अभियान चलाया है skill development और skill development में सिंगापुर का ITES, उसके साथ मिलकर के हम काम कर रहे हैं। हम जर्मनी जिसने skill development में काम किया है उसके साथ काम कर रहे हैं, हम USA के साथ काम कर रहे हैं। दुनिया के देशों से जिन्‍होंने skill development में महारत हासिल की है, उसके पास जो उत्‍तम है उसे हम लाना चाहते हैं। फिर उसमें जो, हमारे लोग उसमें तो ताकतवर है, जोड़ देंगे नया। हम बहुत तेजी से आगे निकल सकते हैं और इसलिए विश्‍व के साथ जब संबंध जोड़ते हैं तो ये ताकत हमारे काम आती है।

हमारे यहां बहुत बड़ी मात्रा में Universities, Colleges खुलते चले जा रहे हैं। private भी बहुत आ रहे हैं। लेकिन faculty नहीं मिलती है। खुल तो जाता है, student भी आ जाते हैं। हमने एक योजना बनाई ज्ञान। हमने विश्‍व भर में रहने वाले लोगों से कहा विशेषकर के भारतीय समुदाय को कहा कि आप जब आपके यहां मौसम खराब रहता हो, बड़ी कड़ाके की ठंड रहती हो, बर्फ रहता हो, तकलीफ से गुजारा करना पड़ता हो तो उस समय आप भारत चले आइए। 6 महीने हमारे यहां रहिए बच्‍चों को पढ़ाइए, 6 महीने उधर चले जाइए। जब हमारे यहां गर्मी शुरू हो तो वहां चले जाना। हमने USA के साथ समझौता किया और मुझे खुशी है कि बहुत बड़ी मात्रा में, सैंकड़ों की तादाद में बड़े-बड़े विद्वान भारतीय मूल के भी और विदेशी भी जो रिटायर्ड हुए हैं, वे आज भारत में आकर के पढ़ाने के लिए तैयार हुए हैं, हमारी नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए।

कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि मेरी कोशिश यह है कि दुनिया में जो श्रेष्‍ठ है हिन्‍दुस्‍तान में होना चाहिए और हमारा जो श्रेष्‍ठ है उसमें दुनिया का श्रेष्‍ठ जुड़ना चाहिए। इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हमारा देश, हमारे नौजवान उसकी शक्‍ति को जोड़कर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

अब आप में से यहां बहुत लोग होंगे जिनको शायद अपने गांव में बिजली का संकट रहता होगा, जिस गांव से 24 घंटे बिजली तो नसीब ही नहीं होती होगी। वो दिन याद है न कि सब भूल गए। आजादी के 70 साल के बाद क्‍या मेरा देशवासी उसे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए, 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? उसको मोबाइल फोन तो मिल जाता है कि लेकिन चार्जिंग के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है। ये स्‍थिति बदलनी है, बस बदलनी है और हम सच्‍चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते। ये हकीकत है कि आज भी मेरे देश के लाखों परिवार, करोड़ों परिवार, हजारों गांव बिजली के संकट से जूझ रहे हैं। अगर मुझे आधुनिक हिन्‍दुस्‍तान बनाना है, हमारे बच्‍चे स्‍कूलों में कंप्‍यूटर चलना, अगर उनको सीखाना है तो बिजली की जरूरत तो पड़ेगी। हमने बीड़ा उठाया है 2022, जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। देश आजादी के 75 साल मनाता होगा तब हिन्‍दुस्‍तान में हर परिवार को 24 घंटे बिजली, 365 दिन मिलेगी और एक तरफ दुनिया ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण परेशान है। दुनिया दबाव डाल रही है कि कोयले से बिजली पैदा मत करो। हम भी चाहते हैं कि दुनिया के सुख में हम भी जुड़े क्‍योंकि हम तो वो लोग है जिन्‍होंने सदियों से पर्यावरण की रक्षा की है। हम ही तो लोग है जिन्‍होंने पौधे में परमात्‍मा देखा था। हम ही तो लोग है जो जीव में शिव के दर्शन करते हैं। इस महान परंपरा से निकले हुए हम लोग हैं और इसलिए हमारे लिए तो पर्यावरण ये हमारी सांसों की तरह हमारे साथ जुड़ा हुआ है और इसलिए हम मानव जाति को नुकसान हो ऐसा कभी सोच नहीं सकते और महात्‍मा गांधी से बढ़कर के पर्यावरण का कोई ambassador नहीं हो सकता है। environment का कोई ambassador नहीं हो सकता है। शायद दुनिया में अपने जीवन काल में कम से कम कार्बन foot print वाला कोई इंसान होगा, मैं कहता हूं शायद महात्‍मा गांधी अकेले होंगे और इसलिए हम ऊर्जा तो चाहते हैं लेकिन दुनिया के लिए कोई संकट भी पैदा नहीं करना चाहते। भारत ने सपना देखा है 2030 तक 40% बिजली non fossil के माध्‍यम से होगी, कोयले के माध्‍यम से नहीं होगी। मतलब ये जो छोटे-छोटे टापू देश हैं न जिनको डर लग रहा है कि समंदर का अगर स्‍तर बढ़ गया तो डूब जाएंगे, हम आपको डूबने नहीं देंगे। हमसे जो हो सकता है वो हिन्‍दुस्‍तान करेगा क्‍योंकि हम वसुधैव कुटुम्‍बकम वाले हैं। और इसलिए nuclear energy चाहिए, renewal energy चाहिए, hydro चाहिए, solar चाहिए, wind चाहिए, biomass में से निकलना चाहिए। अब ये चीजें जो हैं खर्चीली है। हम अगर nuclear energy में जाना चाहते हैं, हमे यूरेनियम चाहिए। यूरेनियम इसलिए नहीं मिलता है कि आपको जरूरत है या आपके पास पैसे है। यूरेनियम आजकल जब मिलता है जब आप पर विश्‍व का भरोसा हो कि आप इसका शांति के लिए ही उपयोग करेंगे और किसी पाप को आप भाग नहीं करोगे तब जाकर के दुनिया यूरेनियम देती है। भारत ने ये विश्‍वास पैदा किया है। हमारी आवश्‍यकता के अुनसार दुनिया के नए-नए देश अब हमें यूरेनियम देने के लिए तैयार हो गए। पिछले 18 महीने में कजाखिस्‍तान कहो, कनाडा कहो, ऑस्‍ट्रेलिया कहो इन्‍होंने भारत को Civil nuclear energy के लिए, हमारे साथ करार किए और कुछ लोगों को डिलीवरी देना शुरू कर दिया।

हम भारत के लोग जब बिजली की बात करते हैं तो ज्‍यादा से ज्‍यादा पहले तो यूनिट पे चर्चा करते थे, कितने यूनिट बिजली, कितना दाम वगैरह। थोड़ा आगे बढ़े, तो हम मेगावाट पर सोचने लगे भई इतना मेगावाट, इतना मेगावाट। भारत ने कभी बिजली के क्षेत्र में मेगावाट से आगे सोचा ही नहीं। हमने पहली बार फैसला किया है hundred seventy five gigawatt, Hundred seventy five gigawatt renewable energy. बड़ी सामान्‍य बुद्धि का विषय होता है। हम लोग स्‍कूल में जब exam देते थे तो टीचर क्‍या सिखाते थे? टीचर सिखाते थे कि exam में जाते हो तो देखा भाई जो सरल सवाल है उसको पहले उठाओ। ये ही सिखाते थे ना? मेरे टीचर ने तो ये ही सिखाया था। आपको भी वैसे ही सिखाया होगा कि जो easy question है उसको पहले address करो और जो कठिन है तो बाद में समय बच जाये तब देख लेना। ये होता है ना? मुझे बताइए हमारे पास कितना सूरज तपता है, करीब-करीब 365 दिन सूरज तपता हो और हम बच्‍चों को भी environment बढि़या ढंग से सिखाते हैं। हर मां बच्‍चे को कहती है कि ये चांदा तेरा मामा है और सूरज तेरा दादा है। लेकिन हमने कभी उस दादा की उंगली पकड़कर के चलना सीखा नहीं। क्‍यों न सूर्य शक्‍ति हमारे जैसे देश की विकास का बड़ा स्‍तंभ बन सकता है और इसलिए solar energy पर हम बल दे रहे हैं। 100 gigawatt solar energy, wind energy, biomass. मेरा जो clean India movement है न, 500 शहरों का जो कूड़ा-कचरा है, गंदगी हैं उसमें से बिजली पैदा करना, भले ही महंगी पड़े, लेकिन मेरा साफ शहर बनना चाहिए।

अब इन चीजों के लिए विदेशों से धन चाहिए, विदेशों से technology चाहिए, विदेशों से manufacturing करने वाले लोग चाहिए, जिन लोगों की इन चीजों में मास्‍टरी है वो लोग चाहिए, और मैं बड़े आनंद से कह सकता हूं कि आज दुनिया को भारत के hundred seventy five gigawatt renewable energy में इतना आकर्षण पैदा हुआ है, विश्‍व के राजनेताओं को ताज्‍जुब हो रहा है और विश्‍व के पूंजी निवेशकों को एक नया अवसर नजर आ रहा है कि वो भारत में आकर के बिजली के उत्‍पादन के अंदर हमारे साथ जुड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं।

दुनिया के साथ संबंध होते हैं, वो संबंध goody-goody बातों से नहीं होते हैं। विश्‍व या तो आपका लोहा मानता है, या विश्‍व अपनेपन की भाषा समझता है। आज मैं संतोष के साथ कहता हूं कि विश्‍व के साथ भारत ने ऐसे संबंधों को बनाने का रूप लिया है। आप मुझे बताइए, पश्चिम एशिया के देशों में जो तूफान चल रहा है, निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है। उन देशों में 70 लाख हिन्‍दस्‍तानी रहते हैं, 70 लाख, seven million. आप मुझे बताइए आप सिंगापुर में रहते हैं इसलिए बहुत जल्‍द बात को समझोगे। क्‍या उनको उनके नसीब पे छोड़ देना चाहिए क्‍या? उन पर संकट आएगा तो किसी तरफ देखेंगे? किसकी तरफ देखेंगे? वे मुसीबत में होंगे तो किसकी तरफ देखेंगे? और तब भारत ये कहे के बेटे तुम तो चले गए थे अब क्‍या याद कर रहे हो, चलेगा क्‍या? अगर कहीं से आवाज उठती है, कहीं से एक भी सिसकी सुनाई देती है तो दूसरे ही पल उसको ये ही आवाज सुनाई देनी चाहिए कि चिंता मत करो, भारत है ना। कहीं पर भी सिसकी सुनाई दे, उसको ये ही आवाज सुनाई देनी चाहिए, हां भारत है ना। और एक बार उसके कान में स्‍वर गूंजता है तो वो निश्चिंत हो जाता है, ठीक है संकट के बादल आए हैं लेकिन मेरा देश मुझे बचा लेगा। और तब, ये विश्‍व के रिश्‍ते काम आते हैं, संबंध काम आते हैं। यमन हो, ईराक हो, हजारों की तादाद में हमारे भारतीय भाई-बहन फंसे थे, even हमारी केरल की Nurses बहनें, जीवन और मौत के बीच वो पल उन्‍होंने कैसे बिताए होंगे हम कल्‍पना कर सकते हैं।

लेकिन विश्‍व के साथ जो संबंध जुड़े हैं दुनिया के कुछ देशों से प्रार्थना की कि देखिए इसमें क्‍या मदद कर सकते हैं और मैं आज संतोष के साथ कह सकता हूं उन देशों ने हमारी इन बच्चियों को ला करके केरल तक पहुंचाने में हमारी भरपूर मदद की है। यमन में हमारे हजारों लोग फंसे थे, हम तीन महीने से उनको कह रहे थे कि भई निकलो, निकलो, निकलो। लेकिन कोई निकलने को तैयार नहीं था। ये बाहर जो रहते हैं इतनी बात ध्‍यान रखें भई। कितना हम समझाऐं वो, नहीं नहीं साहब वो तो देखा जाएगा। क्‍योंकि इतने प्‍यार से रहते थे, इतनी निकटता थी, उनको शक ही नहीं था कि कभी कोई मुसीबत आ सकती है? लेकिन चारों तरफ Bombarding शुरू हुआ। हमने दुनिया के कुछ देशों के लोगों के साथ मैंने फोन पर बात की। और आज मैं संतोष के साथ कहना हूं दुनिया के उन देशों ने हमारी मदद की और हम हजारों की तादाद में हमारे सभी यमन में फंसे हुए नागरिकों को ले करके वापिस आए। ईराक हो, लीबिया हो, यमन हो, विश्‍व के साथ संबंध आज के युग में हर पल, हर समय आवश्‍यकता होती है। अरे कभी-कभार नेपाल में हमारे यात्री चले जाएं और एक बस गड्ढे में पड़ जाए, अगर नेपाल सरकार के साथ नाता नहीं होगा तो उन बेचारों का कौन देखेगा? विश्‍व के साथ संबंध बनाने का प्रयास और formality से नहीं चलता, आज युग बदल चुका है, जीवंत नाता होना अनिवार्य होता है और तब जा करके हमारे देशवासियों की जिंदगी दांव पर लगी हो तब वो संबंध काम आ जाते हैं और उनकी जिंदगी बच जाती है।

दुनिया के किसी एक देश में कोई एक भारतीय की जान चली जाए तो पूरा हिंदुस्‍तान बेचैन हो जाता है, हजारों की जान बच जाएं तो खुशी कितनी हो सकती है इसका आप अंदाज लगा सकते हो भाई। और इसलिए हमारी ये कोशिश रही है कि भारत विकास की नई ऊंचाइयों को पार करे और आज वो जमाना नहीं है कि आपने चार देशों के साथ दोस्‍ती बना ली तो गाड़ी चल जाएगी। पहले तो दुनिया दो गुटों में बंटी हुई थी, आप किसी गुट के साथ दोस्‍ती कर लो तो वो गुट आपकी रखवाली कर लेता था। आज वो युग नहीं है। आज पूरा विश्‍व Inter-dependent हो गया है। कोई भी दुनिया का देश Isolated नहीं रह सकता है और कोई भी दुनिया का देश अकेला ही सब कर लूंगा, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश होगा, ताकतवर से ताकतवर देश होगा, लेकिन छोटे से छोटे देश पर भी वो dependent होता है। पूरी दुनिया Inter-dependent है। भारत ने अगर दुनिया में आगे बढ़ना है, भारत ने अपनी जगह बनानी है तो Inter-dependent इस दुनिया के अंदर हमने भी अपने संबंधों को ताजगी देनी पड़ती है। देश छोटा, कितना ही छोटा क्‍यों न हो, लेकिन union में उसकी ताकत होती है। आप कल्‍पना कर सकते हैं, मैं हिंदुस्‍तान के वासियों को कहूं कि गैस की Subsidy छोड़ दो, 40 लाख लोग Gas Subsidy छोड़ दें, भारत का वक्‍त कैसा बदला है।

अगर हिंदुस्‍तान ये कहे कि दुनिया नाक पकड़ ले, योगा करे, हमने किसी को कान पकड़ने के लिए नहीं कहा है। 21 जून को पूरा विश्‍व अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस मनाए। कौन भारतीय होगा जिसको इस बात का गर्व नहीं हुआ होगा भाइयो, बहनों। जिस दिन Neil Armstrong ने चन्‍द्रमा पर पग रखा होगा, सिर्फ American नहीं, विश्‍व की मानव जात ने गौरव अनुभव किया होगा। आज जब 21 जून को पूरा विश्‍व Holistic Health Care को ले करके योगा दिवस बनाने के लिए आगे आ जाए, कोई बंधन नहीं, कोई रंग नहीं, कोई रूप नहीं, कोई परंपरा नहीं, कोई सम्‍प्रदाय नहीं, कोई बाधाएं नहीं, एक मन से योगा के लिए विश्‍व तैयार हो गया। और दुनिया की पहली घटना है कि इतने कम समय में, United Nation में ये प्रस्‍ताव पारित हुआ, इतने देशों ने इसको Co-sponsor किया, और दुनिया के इतने देशों ने इसको बनाया। सिगापुर ने भी बड़े धूमधाम से योगा दिवस बनाया। अब ये कोई, मोदी कोई योगा लाया है क्‍या? ये तो था ही था। लेकिन हमें हमारे पर भरोसा नहीं था क्‍योंकि हम संकोच करते थे, यार किसी को कहेंगे तो पता नहीं वो नाक चढ़ा देगा, और पता नहीं इंकार कर देगा तो, अगर हमारा अपने-आप में विश्‍वास हो तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती है। दुनिया भी, दुनिया भी शांति की तलाश में है, दुनिया भी संतोष की तलाश में है, कोई तो आएं जो अंगुली पकड़ करके चलाएं, दुनिया चलने के लिए तैयार है और भारत, भारत आज तैयार हुआ है विश्‍व के साथ कंधे से कंधा मिला करके तैयार हुआ है, चल सकता है भारत।

भाइयों, बहनों मेरा एक ही काम लेकर के मैं निकला हूं और उस काम को पूरा करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद के साथ-साथ विश्‍व में फैले हुए मेरे भारत के प्‍यारे भाइयों-बहनों, आपके आशीर्वाद चाहिए। और वो काम है, एक ही काम करना है मुझे, विकास, विकास, विकास। और वो विकास जो गरीब के आंसू पोंछने की ताकत रखता हो, वो विकास जो नौजवान को रोजगार देता हो, वो विकास जो किसान की जिंदगी में खुशहाली लाता हो, वो विकास जो हमारी माताओं-बहनों को empower करता हो, वो विकास जो एकता और अखंडता के मंत्र को ले करके विश्‍व के अंदर सिर ऊंचा करके खड़ा रह सकता हो, वैसा विकास करने का सपना ले करके मैं चला हूं। भारत आगे बढ़े इतना काफी नहीं है, भारत आधुनिक बने ये भी उतना ही आवश्‍यक है। हम सिर्फ, कभी-कभी क्‍या होता है, आप देखा होगा, किसी senior citizen को आप मिलोगे, 70 साल की उम्र हो गई होगी, 80 साल की उम्र हो गई होगी, पोते-पोतियां नमस्‍ते करने जाएंगे तो वो क्‍या करता है, आओ बैठो, देखो मैं जब 30 साल का था ना ऐसा करता था और बच्‍चों ने ये बात दस बार सुनी होगी, तो जब दादा बुलाते हैं तो बच्‍चे भाग जाते हैं। उनको लगता है कि ये दादा अब फिर कुछ कथा सुनाएंगे। ऐसा हम देखते हैं, परिवार के जीवन में हम देखते हैं। बालक भी लंबे समय तक पुराने पराक्रमों को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं।

मैं देशवासियों को ये कहने की हिम्‍मत करता हूं आज, हमारे पूर्वजों ने जो परा‍क्रम किए हैं, वो हमारी प्रेरणा के कारण बन सकते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों के पराक्रम पर गीत गाते-गाते हम गुजारा नहीं कर सकते हैं। हमने अपने युग में, हमने पूर्वजों के पराक्रम से प्ररेणा ले करके अपने वर्तमान को भी उज्‍जवल करना है, और भविष्‍य की मजबूत नींव डालना ये हमारा दायित्‍व बनता है। सिर्फ महान संस्‍कृति, महान परंपरा, पांच हजार साल का उज्‍ज्‍वल इतिहास, इसी के गीत गाते रहें और पड़ोसी को कभी पानी भी पिलाने को तैयार न हों, ऐसा कभी मेरा देश नहीं हो सकता है। और इसलिए पूवर्जों के पराक्रम, महान संस्‍कृति, महान परंपरा, उसकी जो उत्‍तम चीजें हैं, उसको हमें प्रेरणा लेनी है लेकिन अपने पसीने से वर्तमान को भरना है। अपनी इच्‍छाशक्ति से इसकी मजबूत नींव डालनी है ताकि आने वाली पीढ़ी ये न कहे कि आपने पूर्वजों ने तो बहुत कर के गये, तुम बताओ बेटे तुमने क्‍या किया? ये सवाल का जवाब देने का हमारे में हौसला होना चाहिए ऐसा हिंदुस्‍तान बनाना है। अपने सामर्थ्‍य से, अपने पराक्रम से, अपने पुरुषार्थ से, अपने त्‍याग से, अपनी तपस्‍या से, हमने हमारे देश को बनाना चाहिए, हमने हमारे देश को आगे बढ़ाना चाहिए और हमारे जो मूल्‍य हैं, सांस्‍कृतिक विरासतें हैं उसको विश्‍व को परिचित कराना चाहिए, ये जब तक हम संतुलन नहीं करते, दुनिया हमें स्‍वीकार नहीं करेगी।

मुझे विश्‍वास है कि विकास के इन सपनों को ले करके जो हम चल रहे हैं, उसमें आपका पूरा-पूरा योगदान रहेगा। भारत का गौरव बढ़ाने के लिए हम जहां हों, जहां भी हों हम जरूर अपनी तरफ से प्रयास करते रहें। दुनिया को देने के लिए इस देश के पास बहुत कुछ है। अनेक संकटों के बाद भी आज भी सीना तान करके खड़े रहने की हम में हिम्‍मत है। लेकिन सीना सीना तानना पड़े, दिन आने नहीं चाहिए। और वो तब होता है, जब हम अपने वर्तमान को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पुरुषार्थ करते हैं, सामूहिक पुरुषार्थ करते हैं, सामर्थ्‍य के साथ चलते हैं, तब जा करके परिणाम मिलता है।

सिंगापुर को हर किसी ने बनाया है, हर कोई बना रहा है, और सिंगापुर भी अगल-बगल के मुल्‍कों को बनाने की ताकत रखता है। मैं सिंगापुर को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, इस सिंगापुर की विकास यात्रा को मैं नमन करता हूं। इस सिंगापुर ने, सिंगापुर सचमुच में सौ-सौ सलाम करने वाला देश बन गया है, मैं उसको मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई देता हूं और सवा सौ करोड़ का देश हिंदुस्‍तान वो भी उमंग और उत्‍साह के साथ आगे बढ़ेगा इसी एक संकल्‍प के साथ मैं फिर एक बार सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। धन्‍यवाद। Thank You.

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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संविधान हमारा मार्गदर्शक है: पीएम मोदी
देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास वेबसाइट बनाई गई है: पीएम
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
हमारे फिल्म और मनोरंजन उद्योग ने 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूत किया है: पीएम
राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया: पीएम मोदी
रफी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में महान गायक को याद किया
कैंसर से लड़ने का एक ही मंत्र है - जागरूकता, कार्रवाई और भरोसा: पीएम मोदी
आयुष्मान भारत योजना ने कैंसर के इलाज में होने वाली वित्तीय समस्याओं को काफी हद तक कम कर दिया है: पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |

साथियो,

अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!

साथियो,

महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

साथियो,

इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |

साथियो,

‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |

साथियो,

हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |

साथियो,

वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |

साथियो,

मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |

साथियो,

Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |

साथियो,

दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |

साथियो,

ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |

साथियो,

ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |

साथियो,

सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |

साथियो,

अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |

साथियो,

बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :

अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें

#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें

स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें

याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |

मेरे प्यारे देशवासियो,

भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I

साथियो,

अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I

Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |

साथियो,

कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-

अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |

याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |

साथियो,

आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |