प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को ग्रामीण विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान प्रधानमंत्री के समक्ष नीति आयोग द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और दीनदयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई) की प्रगति पर एक प्रस्तुति दी गई।
वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान हर दिन औसतन 91 किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है। इस तरह कुल मिलाकर 30,500 किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है। इसके परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष के दौरान 6500 बस्तियों को जोड़ा गया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री को ग्रामीण सड़कों के निर्माण कार्य में और ज्यादा तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अपनाए जा रहे अभिनव सर्वोत्तम तौर-तरीकों के उपयोग के बारे में सूचित किया गया। नियोजन और निगरानी के लिए जीआईएस एवं अंतरिक्ष संबंधी चित्रों का उपयोग, विभिन्न स्तरों की संख्या न्यूनतम करके धनराशि का कारगर प्रवाह सुनिश्चित करना और ‘मेरी सड़क’ नामक एप के जरिए नागरिक शिकायतों का निवारण इन अभिनव सर्वोत्तम तौर-तरीकों में शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इस योजना के तहत बनाई जा रही सड़कों की गुणवत्ता संबंधी कठोर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावशाली तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सामग्री की खरीद, निर्माण और रख-रखाव जैसे चरणों में गुणवत्ता की निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए।
दीनदयाल अंत्योदय योजना का लक्ष्य टिकाऊ आजीविका के जरिये गरीबी उन्मूलन सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री को यह भी जानकारी दी गई कि अब तक 3 करोड़ परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री ने ‘आधार’ के जरिये एसएचजी को दिये जा रहे ऋणों पर समुचित ढंग से नजर रखने को कहा। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि इस योजना को कामयाब बनाने के लिए लक्षित लाभार्थियों तक ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और दीनदयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई) की प्रगति की समीक्षा की
सरकार ने 2015-16 के दौरान हर दिन औसतन 91 किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया; 6500 बस्तियों को जोड़ा गया
दीनदयाल अंत्योदय योजना का लक्ष्य सतत आजीविका के माध्यम से गरीबी उन्मूलन सुनिश्चित करना
सरकार ने 3 करोड़ परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ा; एसएचजी को दिये जा रहे ऋणों की निगरानी ‘आधार’ के माध्यम से होगी