प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में सूखे और पानी की कमी की स्थिति के बारे में आज एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव मौजूद थे। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया। चर्चा प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सूखे के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं का निवारण करने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने सूखे से बचाव के लिए मध्य और दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और जलाशयों को दोबारा भरने की योजना बनाने के लिए रिमोट सेंसिंग और उपग्रह से चित्र लेने जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने पर बल दिया। वैज्ञानिक परामर्श के आधार पर फसल की पद्धतियों में बदलाव की आवश्यकता, बूँद और छिड़काव सिंचाई (ड्रिप एंड स्प्रिंकलर इरिगैशन) और जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए फर्टिगेशन और बेहतर जल प्रबंधन के लिए विशेषकर महिलाओं सहित समुदाय की भागीदारी पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने शहरी अपशिष्ट जल को उपचारित करके आसपास के इलाकों में खेती बाड़ी में उसका उपयोग करने का भी आह्वान किया। उन्होंने जीपीएस जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए प्रभावित इलाकों में टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाए जाने की स्थिति पर नज़र रखने की जरूरत का उल्लेख किया।
बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि जल संरक्षण और जल भरने के प्रयासों के लिए आगामी मॉनसून से पहले की अवधि का किस प्रकार बेहतर उपयोग किया जाए। इन प्रयासों में गाद निकालने, नदियों में दोबारा जल भरने, चैक डैम और जल भंडारण के अन्य तरीके शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने सूखे के हालात के कारण लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं के निवारण के लिए किए गए प्रयासों की प्रधानमंत्री को जानकारी दी। इनमें पेयजल का प्रावधान, बुंदेलखंड में जरूरतमंदों के लिए भोजन, रोजगार, मवेशियों के लिए जल और चारा तथा दीर्घ और मध्य कालिक समाधानों के लिए प्रयास शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सच्चे मायनों में लागू करने के लिए भी आरंभिक कदम उठाए हैं।
राज्य ने टैंकों, तालाबों और खेत तालाबों सहित 78,000 जलाशयों को फिर चालू करने और बहाल करने, एक लाख नए जलाशयों तथा रिचार्ज स्ट्रक्चर्स के लिए कार्ययोजना साझा की। यह कार्य मनरेगा और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाओं में उपलब्ध धन का उपयोग करते हुए संपन्न किया जाएगा।
एनडीआरएफ के अंतर्गत राज्य की देय राशि के समायोजन के बाद उसको 934.32 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। यह राशि वर्ष 2015-16 के लिए एसडीआरएफ में केन्द्र के अंश के रूप में जारी 506.25 करोड़ रुपये की राशि के अतिरिक्त है। इसके अलावा वर्ष 2016-17 के लिए एसडीआरएफ की 265.87 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है।
राज्य ने 5 मई, 2016 को रबी 2015-16 सीज़न के लिए सहायता हेतु नया ज्ञापन सौंपा है। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रक्रिया पूरी करके सहायता अविलंब मुहैया कराई जाएगी।
नीति आयोग ने भी बुंदेलखंड पैकेज के लिए धनराशि जारी करने हेतु पहले से उठाए जा चुके कदमों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विशेषकर बुंदेलखंड क्षेत्र में जल की कमी के कारण लोगों के समक्ष आ रही भीषण समस्याओं को देखते हुए यह एक स्वागत योग्य कदम है।
यह बैठक केन्द्र और राज्य द्वारा मिलकर कार्य करने के संकल्प के साथ संपन्न हुई।