प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कर्नाटक के कई हिस्सों में सूखे और पानी की कमी की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धरमैया भी बैठक में उपस्थित थे। भारत सरकार और कर्नाटक राज्य के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।
विचार-विमर्श की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सूखे द्वारा उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए संभावित कदमों तथा दीर्घकालिक कदमों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी सूखे से प्रभावित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अलग से बैठकों का आयोजन कर रहे हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने भारत सरकार को खरीफ ज्ञापन के लिए 1540.20 करोड़ रुपये की सहायता देने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि किसानों की सहायता करने के लिए इस राशि का पूर्ण रूप से उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि इस राशि को किसानों को रियल-टाइम ग्रौस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिए हस्तांतरित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि रबी फसल ज्ञापन के लिए हाल ही में 723.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसे शीघ्रता से जारी कर दिया जाना चाहिए।
जानकारी दी गई कि यह वित्त वर्ष 2015-16 के लिए एसडीआरएफ के केन्द्रीय हिस्से के रूप में जारी किये गए 207 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। इसके अतिरिक्त, 2016-17 के लिए एसडीआरएफ की पहली किस्त के रूप में 108.75 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए गए हैं।
यह भी जानकारी दी गई कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत जल संरक्षण और सूखे से निपटने के लिए कर्नाटक को 603 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी प्रकार विभिन्न कृषि योजनाओं के तहत, 830 करोड़ रुपये भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने भीषण सूखे की वजह से लोगों के सामने आने वाली समस्याओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य की बड़ी नदियां एवं जलाशय पानी की भीषण कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने गाद हटाने, कृषि तालाबों का निर्माण करने, टपक सिंचाई एवं पीने के पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने समेत राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का विवरण दिया।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के साथ गाद निकालने, जल संरक्षण एवं भूजल के पुनर्भरण के लिए विभिन्न कदमों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने राज्य सरकार से मॉनसून की शुरूआत से पहले, अगले 30 से 40 दिनों में गाद निकालने, कृषि झीलों एवं रोधक बांधों पर सर्वाधिक ध्यान देने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए कनार्टक द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इन प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि शहरों एवं नगरों में इसे व्यापक स्तर पर शुरू किया जाना चाहिए।
श्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन की दिशा में उठाए गए तैयारी संबंधी कदमों की जानकारी दी। राज्य सरकार ने फसल बीमा के बारे में भी कुछ सुझाव दिए।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया तथा प्रधानमंत्री ने उन्हें हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र और राज्य को सूखे की समस्या, जिसे उन्होंने ‘हमारी’ समस्या कहकर उल्लेखित किया, के समाधान के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि समय आ गया है कि राज्यों के बीच जल संरक्षण एवं प्रबंधन, जीएसपीडी एवं निवेश बढ़ाने के प्रयासों को लेकर आपस में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की चर्चा की जाए। प्रधानमंत्री ने नीति आयोग को भी जल संरक्षण एवं प्रबंधन के माप के लिए एक सूचकांक विकसित करने को कहा।