प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की प्रगति की कुंजी के रूप में बुद्धि (सरस्वती) और समृद्धि (लक्ष्मी) के संयोग पर बल दिया। प्रोफेसर भालचंद्र नेमाडे को 50वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि रचनात्मक लेखन में अनेक पीढि़यों के जीवन का स्पर्श करने की क्षमता है। उन्होंने दुहराया कि आज विश्व के समक्ष ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का समाधान वेदों में ढूंढा जा सकता है। प्रोफेसर भालचंद्र नेमाडे के लेखन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने श्री अरविंदो से उनके दृष्टिकोण की तुलना की। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर नेमाडे का लेखन अनेक पीढि़यों को प्रेरित करेगा। प्रधानमंत्री ने बल दिया कि साहित्य प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में बेहद महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने पुस्तकों और पढ़ने में घट रही रूचि पर खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने घरों में पुस्तकों के लिए खास जगह रखनी चाहिए। उन्होंने वान्चे गुजरात (पढ़े गुजरात) पहल का उल्लेख किया जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आरंभ की थी।