सरकार डिजिटल पहुंच के माध्यम से जन सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री मोदी
मोबाइल पावर या एम-पावर से हम अपने नागरिकों को सशक्त बना रहे हैं: पीएम मोदी
सब्सिडी को इसके लक्षित लोगों तक पहुंचाते हुए जैम (जन-धन, आधार और मोबाइल) ट्रिनिटी से 10 बिलियन डॉलर बचाने में मदद मिली है: प्रधानमंत्री
भारत के नागरिक तेजी से नकद रहित लेन-देन की प्रक्रिया अपना रहे हैं; भीम ऐप नकदी के कम इस्तेमाल और भ्रष्टाचार मुक्त समाज की दिशा में आंदोलन के रूप में काम कर रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
लाल फीताशाही के कारण अरबों डॉलर की परियोजनाएं जो रूकी हुई थी वे उनमें दोबारा तेजी आई: पीएम मोदी
साइबर स्पेस नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र, हमारे स्टार्ट-अप रोजमर्रा की समस्याओं के जल्द समाधान और जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
राष्ट्रों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका डिजिटल स्पेस आतंकवाद और कट्टरता के लिए इस्तेमाल ना हो: प्रधानमंत्री मोदी

रीलंका के प्रधानमंत्री, श्रीमान रानिल विक्रमसिंघे,

भारत और विदेशों के मंत्री,

आईटीयू के महासचिव,

अन्य विशिष्ठगण,

120 से भी अधिक देशों के प्रतिभागी,

विद्य़ार्थी,

भाईयों और बहनों,

मैं आपका ग्लोबल कांफ्रेंस ऑन साइबर स्पेस के लिए नई दिल्ली में स्वागत करता हूं। मैं, विश्व भर के दूरदराज क्षेत्रों से इस कार्यक्रम में इंटरनेट के माध्यम से शामिल होने वाले सभी लोगों का भी स्वागत करता हूं।

मित्रों,

हम सभी यह जानते हैं कि पिछले कुछ दशकों में साइबरस्पेस ने किस प्रकार विश्व का रूप परिवर्तित कर दिया है। यहां बैठे लोगों में से वरिष्ठ पीढ़ी के लोगों को 70 और 80 के दशकों में बड़े-बड़े कंप्यूटर सिस्टमों के मेनफ्रेम याद होंगे। तब से काफी कुछ बदल गया है। 90 के दशक में ईमेल और पर्सनल कंप्यूटर ने एक नई क्रांति को जन्म दे दिया है। यह सोशल मीडिया के आगमन के कारण हुआ था और मोबाइल फोन के आगमन डाटा स्टोरेज और संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे शब्द आजकल आम बन गए हैं। यह उस निरंतर बदलाव के सूचक शब्द हैं जो शायद बहुत अधिक तेज गति से हो रहे हैं।

डिजिटल क्षेत्र में इन तीव्र विकासों ने भारत में भी बहुत बदलाव किया है और भारत की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतिभाओं को विश्व भर में पहचान मिली है। भारत की सूचना प्रौद्योगिकी की कंपनियों नेभी विश्व में अपना परचम लहराया है।

आज, डिजिटल प्रौद्योगिकी एक बहुत बड़े साधन के रूप में उभरी है। इसने कुशल सेवा सुपुर्दगी और गवर्नेंस के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया है। यह शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी पहुंच को सुगम बनाने के साथ-साथ उसमें सुधार कर रही हैऔर यह व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य को भी बदलने में सहायता कर रही है। इन सभी माध्यमों से, यह समाज के वंचित समूहों को अधिक अवसर प्रदान कर रही है।व्यष्टि स्तर पर, इसने एक ऐसे विश्व के प्रादुर्भाव में योगदान दिया है जहां भारत जैसे विकासशील देशभी विकसित देशों के साथ डटकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

मित्रों,

प्रौद्योगिकी विभिन्न अवरोधों को तोड़ती है। हमारा यह मानना है कि यह वसुधैव कुटुंबकम अर्थात विश्व एक परिवार है, के भारतीय दर्शन को सही सिद्ध करती है। यह अभिव्यक्ति हमारी प्राचीन समावेशी परंपराओं को भी प्रदर्शित करती है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से, हमइस अभिव्यक्ति का लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार अर्थ देने में सक्षम हो गए हैं। भारत में हम लोग प्रौद्योगिकी के मानवीय पक्ष को प्राथमिकता देते हैं और हम ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ को सुधारने के लिए प्रयोग में ला रहे हैं।‘डिजिटल इंडिया’ विश्व का सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी उन्मुख रूपपरिवर्तनकारी कार्यक्रम है,यह हमारे देश के नागरिकों को डिजिटल सेवाओं का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। हम मोबाइल पावर या एम-पावर का उपयोग हमारे देश के नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए कर रहे हैं।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप में से अधिकतर लोग आधार के बारे में जानते होंगे। आधार, किसी व्यक्ति की यूनिक बायोमेट्रिक पहचान है। हमने इस यूनिक पहचान को हमारे देश के लोगों को बड़ी-बड़ी लाइनों और भारी भरकम प्रक्रियाओं से मुक्त करने के लिए उपयोग किया है। तीन कारकों ने -  पहला, हमारे जन-धन बैंक खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन, दूसरा, आधार प्लेटफार्म और तीसरा मोबाइल फोन इन तीनों ने भ्रष्टाचार को कम करने में बहुत अधिक मदद की है। हम इस सेवा को JAM  या J.A.M trinity कहते हैं। सब्सिडियों के बेहतर लक्ष्य के माध्यम से,JAM  या J.A.M trinityने अभी तक लगभग 10 मिलियन डॉलर की लीकेज को रोका है।

मैं, आपके समक्ष कुछ उदाहरण पेश करता हूं कि कैसे डिजिटल प्रौद्योगिकी ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए बहुत अधिक सुविधाजनक बन रही है। आज एक किसान भी मृदा जांच परिणामों, विशेषज्ञ परामर्श और अपने उत्पाद की अच्छी कीमत की जानकारी आदि जैसी विभिन्न सुविधाओं का लाभ एक सिंगल क्लिक करके प्राप्त कर सकता है। इसलिए डिजिटल प्रौद्योगिकीकृषि उत्पादों एवं किसानों की बढ़ती आय में योगदान दे रही है।

एक छोटा व्यापारी भी सरकार के ई- बाजार में पंजीकरण कर सकता है और सरकार को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धात्मक बोली में भाग ले सकता है और जैसे ही वह अपने व्यापार को बढ़ाता है, वैसे ही वह सरकार के लिए खरीद की लागत को भी घटाने में योगदान देता है। इससे कार्यकुशलता और सार्वजनिक धन का मूल्य बढ़ता है।

पेंशनभोगियों को भी अब अपने जीवित होने का प्रमाण देने के लिए बैंक अधिकारी के समक्ष खुद को प्रस्तुत नहीं करना पड़ता। आज पेंशनभोगी भी न्यूनतम शारीरिक प्रयास से अपने जीवित होने का प्रमाण देने के लिए आधार बायोमैट्रिक मंच का लाभ उठा सकता है।

सूचना प्रौद्योगिकी कार्यबल में महिलाओं की पर्याप्त संख्या है। सूचना प्रौद्योगिकी ने महिलाओं के नेतृत्व में अनेक नए उद्यमों को सुविधा प्रदान की है। इस तरीके से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने लैंगिक सशक्तिकरण में भी योगदान दिया है।

भारत के नागरिक बहुत तेजी से नकदरहित लेन-देन की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी या भीम ऐप बनाई है। यह भीम ऐप कम नकद और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करने की दिशा में बहुत मदद कर रही है।

उपर्युक्‍त उदाहरणों के माध्यम से पता चलता है कि प्रौद्योगिकी की ताकत से गवर्नेंस में सुधार हो रहा है।

मित्रों,

हम जनभागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल क्षेत्र का प्रयोग कर रहे हैं। जब हमने मई 2014 में सरकार का कार्यभार संभाला था तब, अधिकांश लोग विशेष रुप से युवा लोगों ने अपने विचार साझा करने के लिए और देश के लिए काम करने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। यह हमारा पूर्ण विश्वास है कि ऐसे लाखों भारतीय हैं जिनके रूप परिवर्तनकारी एवं नवाचारी विचार भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल होंगे।

इसलिए, हमने नागरिक सहभागिता पोर्टलMy Govशुरु किया। यह प्लेटफार्म महत्वपूर्ण विषयों पर देश के नागरिकों को अपने विचार और मत साझा करनेका अवसर प्रदान करता है।हमने अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस प्लेटफार्म से मूल्यवान सुझावों को प्राप्त किए हैं। आज सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और पहलों के लिए LOGO और Emblem के डिजाइन क्राउड सोर्सिंग और My Gov पर आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं का परिणाम हैं।वास्तव में, प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक ऐप भी My Gov पर शुरू की गई प्रतियोगिता का ही परिणाम है। इस पर युवाओं से बहुत महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं आती हैं।My Gov प्लेटफार्म इस बात का प्रमुख उदाहरण है कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी लोकतंत्र को मजबूत कर रही है।

मैं, आपको एक और उदाहरण देता हूं।जब मैंने अपना कार्यालय संभाला था। तब मैंने यह महसूस किया कि सरकार की ऐसी अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं और पहलें हैं जो अनावश्यक रूप से सरकार की सुस्त कार्यप्रणाली और निर्णय लेने के अभाव में पीछे रह जाती हैं। इसलिए, हमनेसाइबर स्पेस आधारित प्लेटफार्म प्रगति अर्थात् समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए अति सक्रिय गवर्नेंस को लॉन्च किया।

प्रत्येक माह के अंतिम बुधवार को, मैं प्रगति सत्र के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करता हूं। प्रौद्योगिकी सुस्तीतोड़ती है। हम अपने कार्यालय में बैठे-बैठे साईबर संसार की सहायता से गवर्नेंस संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समाधान करते हैं। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रगति सत्रों का परिणाम देश के व्यापक हित में, सहमति के माध्यम से तीव्र निर्णय हुए हैं। प्रगति ने लालफीताशाही में अटके हुए करोड़ों डॉलरों की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तीव्र गति प्रदान कर दी है।

मैंने भीअक्सर नरेंद्र मोदी मोबाइल एप्प के माध्यम से स्वयं कुछ करने का प्रयास किया है। यह ऐप देश के नागरिकों के साथ मेरे संपर्क को मजबूत करती है। इस ऐप के माध्यम से प्राप्त होने वाले सुझाव बहुत उपयोगी होते हैं।

आज हमने उमंग मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया है । यह ऐप अनेक नागरिक केंद्रित सुविधाएं प्रदान करेगी और अंत में यह सेवाएं केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों की जरूरतों को पूरा करेगी। यह एकीकृत दृष्टिकोण इन विभागों में कार्य प्रणाली पर ‘समकक्ष कार्यप्रदर्शन दबाव’ की स्वचालित लेयर भी बनाएगा।

मित्रों,

हमें वैश्विक समुदाय के साथ अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा करते हुए प्रसन्नता होगी। एक ओर तो भारत डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्तरीय मॉडल और नवोन्मेषी समाधानों को खोजने के लिए उत्सुक है। हम साइबर स्पेस को विभिन्न योग्यजनों के लिए भी उपयोगी बनाना चाहते हैं। हाल ही में, 36 घंटे की हैक्थॉन के दौरान, कॉलेज के विद्यार्थियों ने ऐसी चिरकालिक समस्याओं के समाधान बताए, जिन्हें मंत्रालयों द्वारा पेश किया गया था। हम वैश्विक अनुभवों और सुव्यवस्थाओं से सीखने की इच्छा रखते हैं। हमारा यह मानना है कि विकास तभी हो पाएगा, जब हम सभी मिलकर एक साथ विकास करेंगे।

साइबर स्पेस नवाचार के लिए मुख्य क्षेत्र रहता है। आज हमारे स्टार्ट-अप रोजमर्रा की सामान्य समस्याओं के समाधान प्रदान करने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि वैश्विक निवेशक समुदाय भारत के स्टार्ट अप समूह की अपार क्षमताओं की पहचान करेगा। मैं आपको इसमें निवेश करने और भारतीय स्टार्ट-अपों की अभूतपूर्व सफलता की कहानी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।

मित्रों,

इंटरनेट की प्रकृति समावेशी है, न कि एकांतिक। यह पहुंच की साम्यता और अवसरों की समानता प्रदान करता है। आज के युग में facebookयूजर, twitter यूजर और इंस्टाग्राम के यूजर विचार-विमर्श को नया रूप दे रहे हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म साईबर स्पेस में सभी को सहभागिता का अवसर प्रदान कर रहे हैं। स्टूडियो से विशेषज्ञ जो भी समाचार हमें बताते हैं, उनमें

अब सोशल मीडिया से प्राप्त अनुभव भी शामिल होते हैं।विशेषज्ञता और अनुभव के इस मिश्रण के साथ यह अंतरण साइबर जगत का योगदान है। इंटरनेट युवाओं के लिए उनकी सर्जनात्मकता, क्षमता और सामर्थ्य चाहे वह गंभीर ब्लॉग हो या सुंदर संगीतात्मक प्रस्तुति, चाहे कला हो या रंगमंच... वह सभी क्षेत्रों में उनको अपनी प्रतिभाओं को दिखाने का एक आदर्श मंच बन गया है। यह एक असीमित आकाश है।

मित्रों,

‘संतुलित विकास के लिए सुरक्षित और समावेशी साइबर स्पेस’ कॉन्फ्रेंस का यह विषय भी मानवता के लिए इस महत्वपूर्ण परिसंपत्ति को सुरक्षित करने की महत्‍ता को रेखांकित करता है। वैश्विक समुदाय को साइबर सुरक्षा के मुद्दे को पूर्ण संकल्प के साथ अच्‍छे दृष्टिकोण से देखने की जरुरत है। साइबरस्पेस प्रौद्योगिकी से जुड़े लोगों के लिए सक्षम बनी रहनी चाहिए।

मुक्त एवं सुगम्य इंटरनेट की खोज हमें अक्सर असुरक्षा की ओर भी ले जाती है। वेबसाइट की हैकिंग और विरूपण के समाचार मामूली बात बन गए हैं। ऐसे समाचार यह सुझाव देते हैं कि साइबर हमले महत्वपूर्ण खतरे हैं, विशेष रुप से लोकतांत्रिक विश्व के लिए। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे समाज के सुभेद्य वर्ग साइबर अपराधियों के बुरे जाल का शिकार न बन पाएं। हमें साइबर सुरक्षा से संबंधित चिंताओं के प्रति सजग रहना चाहिए।

साइबर हमलों से निपटने के लिए हमें सुसज्जित एवं कुशल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने की जरुरत है। साइबर योद्धा साइबर हमलों के विरुद्ध सचेत रहेंगे। हैकिंग शब्द ने चाहे आकर्षक रुप ले लिया हो, लेकिन फिर भी इनमें जालीपन की झलक भी मिलती है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि साइबर सुरक्षा का क्षेत्र युवाओं के लिए एक आकर्षक और व्यवहार्य रोजगार का विकल्प बन जाए।

इसी विषय पर, सभी देशों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि डिजिटल स्पेस आतंकवाद और कट्टरवाद का अड्डा न बन जाए। सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचना साझा करना और समन्वय इस निरंतर बदलते हुए साइबरखतरे से निपटने के लिए जरुरी है।

निश्चित रुप से, हम निजता और मुक्तता के बीच में स्पष्ट संतुलन बना सकते हैं, दूसरी ओर हम राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर सकते हैं। एक साथ मिलकर, हम एक ओर तो वैश्विक और मुक्त प्रणालियों के बीच अंतर को समाप्त कर सकते हैं और दूसरी ओर हम किसी देश विशिष्ट की कानूनी जरुरतों को भी पूरा कर सकते हैं। 

मित्रों,

उभरती हुई डिजिटल प्रौद्योगिकी हमारे भविष्य की जरूरतों को अभूतपूर्व और अकल्पनीय रूप से प्रभावित कर सकती है। पारदर्शिता, निजता, विश्वास और सुरक्षा के महत्वपूर्ण प्रश्नों को सुलझाया जाना जरूरी है। डिजिटल प्रौद्योगिकी मानवता को सशक्त बनाने में मदद करती है। हमें यह जरूर सुनिश्चित करना होगा कि यह इसी तरह मानवता को सशक्त बनाने का कार्य करती रहे।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अनेक क्षेत्र के हितधारकों की प्रतिभागिता, इस मंच को प्राप्त हुई सहमति का प्रमाण है। सभी देशों, उद्योग जगत, शिक्षा जगत और सिविल सोसाइटी सभी कोसहयोगात्मक ढ़ाचे की दिशा में काम करने की जरूरत है। इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाले सुरक्षित साइबर स्पेस का निर्माण हो सकेगा।

मित्रों,

संख्या के मामले में शायद यह सम्मेलन इस प्रकार के कार्यक्रमों में सबसे बड़ा है। मुझे बताया गया कि इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि और लॉजिस्टिक्स को डिजिटल रुप से संचालित किया गया है। मुझे आशा है कि विश्वभर के प्रतिभागियों को इससे सुचारू और बाधारहित अनुभव प्राप्त हुआ होगा।

मैं आप सभी को उपयोगी एवं लाभकारी विचारों एवं परिणाम प्राप्त करने की बधाई देते हुए अपना वक्तव्य समाप्त करता हूँ। मैं एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हूँ और इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूँ।

धन्यवाद

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प्रधानमंत्री ने 45वें प्रगति संवाद की अध्यक्षता की
December 26, 2024
प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की नौ प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की
परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि जनता भी परियोजना के अपेक्षित लाभों से वंचित हो जाती है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान प्रभावित परिवारों के समय पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया
प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की समीक्षा की और राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया
प्रधानमंत्री ने उन शहरों में अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां मेट्रो परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं या पाइपलाइन में हैं ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं महत्वपूर्ण सीखों को समझा जा सके
प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की समीक्षा की और शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रगति, जो केन्द्र एवं राज्य सरकारों को शामिल करते हुए सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन से संबंधित आईसीटी-आधारित बहु-स्तरीय प्लेटफॉर्म है, के 45वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में, आठ महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें शहरी परिवहन की छह मेट्रो परियोजनाएं और सड़क कनेक्टिविटी तथा थर्मल पावर से संबंधित एक-एक परियोजना शामिल है। विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में फैली इन परियोजनाओं की संयुक्त लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्य, दोनों स्तरों पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि परियोजना में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता को भी अपेक्षित लाभ प्राप्त करने में बाधा आती है।

संवाद के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने जहां निपटान में लगने वाले समय में कमी लाने का उल्लेख किया, वहीं उन्होंने शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।

यह देखते हुए कि अधिक से अधिक शहरों में पसंदीदा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक के रूप में मेट्रो परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है, प्रधानमंत्री ने उन शहरों के लिए अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां ऐसी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रहीं हैं या पाइपलाइन में हैं, ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों से सीख ली जा सके।

समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के समय पर पुनर्वास और पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नई जगह पर गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करके ऐसे परिवारों के लिए जीवनयापन में आसानी को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की भी समीक्षा की। उन्होंने एक गुणवत्तापूर्ण विक्रेता इकोसिस्टम विकसित करके राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में रूफटॉप की स्थापना की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने मांग के सृजन से लेकर रूफटॉप सोलर के संचालन तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया।

प्रगति बैठकों के 45वें संस्करण तक, लगभग 19.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत की 363 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।