प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के बोध गया में महाबोधि पेड़ के नीचे ध्यान लगाया

प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बुद्ध की शिक्षा की सार्वभौमिकता पर व्यापक रूप से बात की और बताया कि कैसे उनकी शिक्षाओं ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर की दिव्यता की तलाश करने के लिए मार्गदर्शन दिया है।

श्रीलंका के कोलंबो में 14वें अंतर्राष्ट्रीय वेसाक दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी

भगवान बुद्ध के ज्ञान ने भारत के मूल सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत किया है और विश्व को अहिंसा, करुणा और त्याग का मार्ग दिखाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर के दीक्षाभूमि पर भगवान बुद्ध से प्रार्थना की

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं और लोगों को भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए संदेशों का पालन करने का आग्रह करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने की प्रतिज्ञा लेने की बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ अम्बेडकर की जन्मस्थली, महू में भगवान बुद्ध से प्रार्थना की

बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माता ने बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरणा ली। पीएम मोदी ने कहा, “बाबा साहेब ने भारत के संविधान के माध्यम से शोषित, पीड़ित, वंचित, ऐसे करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया। करुणा का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता है। लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए करुणा का यह रूप भगवान बुद्ध के सबसे महान गुणों में से एक था।”

बौद्ध भिक्षुओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी

यह प्रधानमंत्री मोदी का दृढ़ विश्वास है कि सेवा और बलिदान के बौद्धिक मूल्यों और करुणा में वर्तमान समय की कई समस्याओं से दुनिया को मुक्त कराने की शक्ति है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जापान में तोजी मंदिर में प्रार्थना की

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कई बौद्ध स्थलों का दौरा किया है। पीएम मोदी की यात्राओं ने चीन, म्यांमार, जापान, थाईलैंड, कंबोडिया और अन्य देशों के साथ भारत की प्राचीन चिरकालीक सभ्यतागत संपर्क को दर्शाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम के क्वानम पगोडा में बौद्ध भिक्षुओं को धन्यवाद दिया

जब भी प्रधानमंत्री मोदी ने पवित्र बौद्ध स्थलों का दौरा किया है, राष्ट्र के प्रमुखों, बौद्ध भिक्षुओं और वहां के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया है।

पवित्र बौद्ध स्थल दलादा मलिगावा मंदिर में श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मोदी

बौद्ध धर्म कई एशियाई देशों की सांस्कृतिक विरासत के मूल में है। और बुद्ध की भूमि होने के नाते भारत को उन देशों के स्वभाविक सहयोगी के रूप में देखा जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के अनुराधापुर में महाबोधि वृक्ष के नीचे प्रार्थना की

विश्व बौद्ध मंचों के साथ-साथ महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों का दौरा कर प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न राष्ट्रों के साथ दोस्ती और विश्वास का एक नया युग शुरू किया है।

प्रधानमंत्री मोदी की म्यांमार के बागान में प्रसिद्ध बौद्ध स्थल आनंद मंदिर की यात्रा

बौद्ध शिक्षाओं से प्रेरित दुनिया के साथ भारत के बंधन को और मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने बौद्ध पर्यटन के लिए आधारभूत संरचना विकसित की है जो दक्षिण पूर्व एशिया को भारत की महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों से जोड़ने का काम कर रही है। भारत का पुरातात्विक सर्वेक्षण कई बौद्ध मंदिरों के जीर्णोद्धार की दिशा में एक सहयोगी के रूप में काम कर रहा है जिसमें म्यांमार के बागान में सदियों पुराना भव्य आनंद मंदिर भी शामिल है।

चीन के प्राचीन Da Xingshan बौद्ध मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी

“मैं भगवान बुद्ध को 21वीं सदी में सभी देशों, हर धर्म के लोगों, विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं को मानने वाले लोगों के बीच एक पुल की भूमिका निभाते हुए हममें धैर्य का भाव विकसित करने और हमें पुनर्जागरित करने के प्रणेता के रूप में देखता हूं।”

~ नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री ने 45वें प्रगति संवाद की अध्यक्षता की
December 26, 2024
प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की नौ प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की
परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि जनता भी परियोजना के अपेक्षित लाभों से वंचित हो जाती है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान प्रभावित परिवारों के समय पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया
प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की समीक्षा की और राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया
प्रधानमंत्री ने उन शहरों में अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां मेट्रो परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं या पाइपलाइन में हैं ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं महत्वपूर्ण सीखों को समझा जा सके
प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की समीक्षा की और शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रगति, जो केन्द्र एवं राज्य सरकारों को शामिल करते हुए सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन से संबंधित आईसीटी-आधारित बहु-स्तरीय प्लेटफॉर्म है, के 45वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में, आठ महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें शहरी परिवहन की छह मेट्रो परियोजनाएं और सड़क कनेक्टिविटी तथा थर्मल पावर से संबंधित एक-एक परियोजना शामिल है। विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में फैली इन परियोजनाओं की संयुक्त लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्य, दोनों स्तरों पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि परियोजना में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता को भी अपेक्षित लाभ प्राप्त करने में बाधा आती है।

संवाद के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने जहां निपटान में लगने वाले समय में कमी लाने का उल्लेख किया, वहीं उन्होंने शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।

यह देखते हुए कि अधिक से अधिक शहरों में पसंदीदा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक के रूप में मेट्रो परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है, प्रधानमंत्री ने उन शहरों के लिए अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां ऐसी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रहीं हैं या पाइपलाइन में हैं, ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों से सीख ली जा सके।

समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के समय पर पुनर्वास और पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नई जगह पर गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करके ऐसे परिवारों के लिए जीवनयापन में आसानी को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की भी समीक्षा की। उन्होंने एक गुणवत्तापूर्ण विक्रेता इकोसिस्टम विकसित करके राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में रूफटॉप की स्थापना की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने मांग के सृजन से लेकर रूफटॉप सोलर के संचालन तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया।

प्रगति बैठकों के 45वें संस्करण तक, लगभग 19.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत की 363 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।