2014 में पदभार संभालने के बाद से, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे भारत में विकास और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू की है। उनके नेतृत्व की विशेषता, क्षेत्रीय असमानताओं और उत्तर एवं दक्षिण के बीच पारंपरिक विभाजन को पाटते हुए समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दृढ़ प्रतिबद्धता है। कई पहलों और विकास परियोजनाओं के माध्यम से, पीएम मोदी ने लंबे समय से रुकी हुई योजनाओं को पुनर्जीवित किया है, नए कॉरिडोर्स की शुरुआत की है और भाषाई विविधता पर जोर दिया है, जिससे एक अधिक एकजुट और समृद्ध राष्ट्र की नींव रखी जा रही है। पीएम मोदी ने न केवल पूरे देश में कनेक्टिविटी बल्कि सांस्कृतिक विविधता को भी पुनर्जीवित किया है जो भारत को एकजुट करती है। पिछले दशक में पीएम मोदी ने भारत की विविधता को उजागर करते हुए विश्व नेताओं को भारत के विभिन्न हिस्सों में ले जाना सुनिश्चित किया। भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 सम्मेलन में विश्व के गणमान्य अतिथियों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से कश्मीर तक की यात्रा की।
सांस्कृतिक जुड़ाव
वाणारसी हिंदू विश्वविद्यालय में तमिल अध्ययन पीठ की स्थापना, काशी तमिल संगम के माध्यम से उनका ऐतिहासिक जनसंपर्क, तमिल और उसकी शास्त्रीय संस्कृति का उनका निरंतर समर्थन, लंदन के लैम्बेथ में प्रतिष्ठित दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि बसवन्ना की प्रतिमा का अनावरण, तिरुक्कुरल के बार-बार संदर्भ, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संगम युग के प्रतिष्ठित तमिल कवि कानियन पोंगुंद्रनार की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए सभ्यतागत संकट से निपटने के लिए एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने यह प्रदर्शित किया है कि भारत का सांस्कृतिक, धार्मिक और सभ्यतागत लोकाचार कितना परस्पर जुड़ा हुआ और अभिन्न है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को उजागर करने के लिए कई पहलें शुरू की गई हैं। इनमें से उल्लेखनीय है काशी-तमिल संगम का पुनरुद्धार, जो वाराणसी (काशी) के ऐतिहासिक शहर में तमिल भाषा और साहित्य की समृद्ध विरासत का उत्सव मनाने वाला एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है। यह पहल न केवल भाषाई विविधता का सम्मान करती है बल्कि उत्तर और दक्षिण के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ को भी बढ़ावा देती है।
इसी तरह, सौराष्ट्र-तमिल संगम, जो सौराष्ट्र और तमिल भाषाओं के बोलने वालों को एक साथ लाता है, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पारस्परिक सराहना के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। मोदी सरकार इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करने और भाषाई सद्भाव को बढ़ावा देकर विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के लोगों में अपनेपन और एकता की भावना को बढ़ावा देती है।
सांस्कृतिक जुड़ाव तब और उजागर हुआ जब पीएम मोदी ने भारत के नवनिर्मित संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया, जो प्राचीन भारत का हिस्सा रहे निष्पक्ष और न्यायसंगत शासन के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। आज, भारत के नागरिक न केवल विभिन्न संस्कृतियों को साझा करने, बल्कि उनसे सीखने के लिए भी एकजुट हो रहे हैं जो आज भी प्रचलित हैं।
इसके अतिरिक्त, लैंग्वेज लर्निंग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग पर सरकार के जोर देने से यह सुनिश्चित होता है कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को बहुभाषी दक्षता प्राप्त करने के लिए संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो। चाहे वह उत्तर प्रदेश में तमिल हो या गुजरात में बंगाली, AI-संचालित लैंग्वेज लर्निंग प्लेटफॉर्म व्यक्तियों को विभिन्न भाषाई समुदायों से जुड़ने, समावेशिता और समझ की भावना को बढ़ावा देने में सक्षम बनाते हैं।
राज्यों को सशक्त बनाना और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना
गवर्नेंस के प्रति पीएम मोदी का अप्रोच, सहकारी संघवाद पर जोर देता है, जो राज्यों को केंद्र से समर्थन प्राप्त करते हुए अपने स्वयं के डेवलपमेंट एजेंडे को चलाने के लिए सशक्त बनाता है। नीति आयोग जैसी पहल राज्यों को भाषाई और सांस्कृतिक संरक्षण सहित विकास रणनीतियों पर सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। राज्यों को अपनी भाषाई विरासत का उत्सव मनाने और संरक्षित करने का अधिकार देकर, सरकार क्षेत्रीय विविधता का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय एकता के ताने-बाने को मजबूत करती है।
इसके अलावा, स्मार्ट सिटीज़ मिशन जैसी पहल, शहरी आबादी की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के विकास को प्राथमिकता देती है। समावेशी और सुलभ शहरी स्थानों के निर्माण में निवेश करके, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के लोग आगे बढ़ सकें और देश की प्रगति में योगदान कर सकें।
राजनीतिक जुड़ाव
आम चुनाव 2024 में विपक्ष ने दावा किया है कि विभिन्न विकास परियोजनाओं के शुरू होने और समय सीमा के भीतर पूरा होने के बावजूद दक्षिण में पीएम मोदी का प्रभाव कम हो गया है, जो एक निरर्थक तर्क है। 2023 में भारत के दक्षिण के कई राज्यों में न केवल भाजपा के वोट शेयर में बल्कि सीटों में भी वृद्धि देखी गई। बीजेपी ने तेलंगाना में अपना वोट शेयर 2018 के 6.98 फीसदी से बढ़ाकर 2023 के विधानसभा चुनाव में 13.90 फीसदी कर लिया है। निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास तीन सीटें थीं और इस बार उसने आठ सीटें जीती हैं, जो उसकी संख्या से दोगुनी से भी अधिक है। भाजपा उम्मीदवार कटियापल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए मौजूदा मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को उनके गढ़ कामारेड्डी में हरा दिया।
उदाहरण के लिए, मिजोरम में अपनी स्थिति में सुधार करते हुए, भाजपा ने सैहा और पलक निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की। सैहा की साक्षरता दर 90.1 प्रतिशत है और वह 97.1 प्रतिशत ईसाई हैं। पलक की साक्षरता दर 93.6 प्रतिशत है और वह 98.2 प्रतिशत ईसाई हैं। भाजपा ने बार-बार अपनी अखिल भारतीय उपस्थिति और स्वीकार्यता साबित की है। दशकों के लोकतांत्रिक संघर्ष और दृढ़ता के बाद यह पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत-श्रेष्ठ भारत के विजन में आर्थिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, भाषाई सामंजस्य और सांस्कृतिक सद्भाव शामिल है। काशी तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करके और भाषाई विविधता का उत्सव मनाने वाली पहलों को बढ़ावा देकर, मोदी सरकार विविध भाषाई पृष्ठभूमि के लोगों के बीच अपनेपन और एकता की भावना को बढ़ावा देती है। कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और AI-संचालित लैंग्वेज लर्निंग में निवेश के साथ, ये प्रयास एक अधिक समावेशी और समृद्ध राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करते हैं जहां हर कोई भारत की विकास गाथा में योगदान दे सकता है और उससे लाभ उठा सकता है।