Quoteविजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है और आतंकवाद मानवता का दुश्मन है: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया भर के मानवतावादी ताकतों को तुरंत आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा: प्रधानमंत्री
Quote'मानवता के दुश्मन', आतंकवाद के खात्में के लिए वैश्विक समुदाय को एकजुट होना पड़ेगा: प्रधानमंत्री
Quoteभारत वह देश है जो भगवान बुद्ध के दिखाए शांति के मार्ग पर चलता है: प्रधानमंत्री
Quoteमहिलाएं चाहें किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से क्यों न जुड़ी हों उन्हें समान अधिकार और सम्मान देने की जरूरत है: प्रधानमंत्री

जय श्री राम, विशाल संख्या में पधारे प्यारे भाईयों और बहनों,

आप सबको विजयादशमी की अनेक-अनेक शुभकामनाएं। मुझे आज अति प्राचीन रामलीला, उस समारोह में सम्मिलित होने का सौभाग्‍य मिला है। हिन्‍दुस्‍तान की धरती का ये वो भू-भाग है, जिस भू-भाग ने दो ऐसे तीर्थरूप जीवन हमें दिए हैं- एक प्रभु राम और दूसरे श्री कृष्‍ण, इसी धरती से मिले। और ऐसी धरती पर विजयादशमी के पर्व पर आ करके नमन करना, इससे बड़ा जीवन का सौभाग्‍य क्‍या हो सकता है?

विजयादशमी का पर्व असत्‍य पर सत्‍य की विजय का पर्व है। आताताई को परास्‍त करने का पर्व है। हम रावण को तो हर वर्ष जलाते हैं, आखिरकार इस परम्‍परा से हमें क्‍या सबक लेना है? रावण को जलाते समय हमारा एक ही संकल्‍प होना चाहिए कि हम भी हमारे भीतर, हमारी सामाजिक रचना में, हमारे राष्‍ट्रीय जीवन में जो-जो बुराइयां हैं, उन बुराइयों को भी ऐसे ही खत्‍म करके रहेंगे। और हर वर्ष रावण जलाते समय हमने हमारी बुराइयों को खत्‍म करने के संकल्‍प को भी मजबूत बनाना चाहिए, और उसमें विजयादशमी के समय हिसाब-किताब भी करना चाहिए कि हमने कितनी बुराइयों को खत्‍म किया।

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आज शायद उस समय का रावण का रूप नहीं होगा; आज शायद उस समय के जैसी राम और रावण की लड़ाई भी नहीं होगी, लेकिन हमारे भीतर अंतरद्वंध एक अविरल चलने वाली प्रक्रिया है, और इसलिए हमारे भीतर भी ये दशहरा जो शब्‍द है, उसका एक संदेश तो ये भी है कि हम हमारे भीतर की दस कमियों को हरें, उसको खत्‍म करें - दशहरा, उसको खत्‍म करें, जीवन को पतन लाने वाली जितनी-जितनी चीजें हैं, उस पर विजय प्राप्‍त किए बिना जीवन कभी सफल नहीं होता है। हर एक के अंदर सब कुछ समाप्‍त करने का सामर्थ्‍य नहीं होता है, लेकिन हर एक में ऐसी बुराइ्यों को समाप्‍त करने के प्रयास करने का सामर्थ्‍य तो ईश्‍वर ने दिया होता है, और इसमें समाज के नाते, व्‍यक्ति के नाते, राष्‍ट्र के नाते हमारे भीतर विचार के रूप में; आचार के रूप में; ग्रन्थियों के रूप में; बुरी सोच के रूप में; जो रावण बस रहा है, उसे भी हम लोगों ने समाप्‍त करके ही इस राष्‍ट्र को गौरवशाली बनाना होगा। 


मैं इस समिति का इसलिए आभारी हूं कि जैसे लोकमान्‍य तिलक जी ने गणेश-उत्‍सव को सार्वजनिक उत्‍सव बना करके सामाजिक चेतना जगाने के लिए एक अवसर के रूप में परिवर्तित किया था, आपने भी इस रामलीला के मंचन को सिर्फ पुरानी चीजों को भक्ति भाव से याद करने तक सीमित नहीं रखा, एक कौतुहलवश नई पीढ़ी देखने के लिए आ जाए, कलाकारों को अवसर मिल जाए, इसलिए नहीं किया। लेकिन आपने हर रामलीला के समय समाज के अंदर जो बुराइयां हैं, ऐसी कोई न कोई बुराइयां, या समाज में जो कोई अच्‍छाई उभारनी है, उस अच्‍छाई के ऊपर केन्द्रित करते हुए आपने इस रामलीला के मंचन की परम्‍परा खड़ी की है। मैं समझता हूं कि अद्भुत और पूरे देश के लोगों ने प्रेरणा प्राप्‍त करने जैसा ये काम यहां की रामलीला के द्वारा हो रहा है। और उस रामायण के पात्रों के माध्‍यम से भी हम आधुनिक जीवन के लिए संदेश दे सकते हैं, सामर्थ्‍य है उसमें। और ये देश की विशेषता यही है कि हजारों साल से हमारे यहां हमारी सांस्‍कृतिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने की यही तो सबसे बड़ी व्‍यवस्‍था रही है कि कथा के द्वारा, कला के द्वारा हमने इस परम्‍परा को जीवित रखा है, और उसका अपना एक समाज जीवन में महामूल्‍य होता है।

इस बार का मंचन का विषय रहा है आतंकवाद। आतंकवाद ये मानवता का दुश्‍मन है, और प्रभु राम मानवता का प्रतिनिधित्‍व करते हैं; मानवता के उच्‍च मूल्‍यों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं; मानवता के आदर्शों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं; मर्यादाओं को रेखांकित करते हैं; और विवेक, त्‍याग, तपस्‍या, उसकी एक मिसाल हमारे बीच छोड़ करके गए हैं। और इसलिए और आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले कौन लड़ा था? कोई फौजी था क्‍या? कोई नेता था क्‍या?

रामायण गवाह है कि आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले लड़ाई किसी ने लड़ी थी तो वो जटायु ने लड़ी थी। एक नारी के सम्‍मान के लिए रावण जैसी सामर्थ्‍यवान शक्ति के खिलाफ एक जटायु जूझता रहा, लड़ता रहा। आज भी अभय का संदेश कोई देता है तो जटायु देता है। और इसलिए सवा सौ करोड़ देशवासी- हम राम तो नहीं बन पाते हैं, लेकिन अनाचार, अत्‍याचार, दुराचार के सामने हम जटायु के रूप में तो कोई भूमिका अदा कर सकते हैं। अगर सवा सौ करोड़ देशवासी एक बन करके आतंकवादियों की हर हरकत पर अगर ध्‍यान रखें, चौकन्‍ने रहें तो आतंकवादियों का सफल होना बहुत मुश्किल होता है।

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आज से 30-40 साल पहले जब हिन्‍दुस्‍तान दुनिया को हमारी आतंकवाद के कारण जो परेशानियां हैं, उसकी चर्चा करता था तो विश्‍व के गले नहीं उतरता था। 92-93 की घटना मुझे याद है, मैं अमेरिका के State Department के State Secretary से बात कर रहा था और जब मैं आतंकवाद की चर्चा करता था तो वो मुझे कह रहे थे ये तो आपका Law & Order problem है। मैं उनको समझा रहा था कि Law & Order problem नहीं है, आतंकवाद कोई और चीज है, उनके गले नहीं उतरता था। लेकिन 26/11 के बाद सारी दुनिया के गले उतर गया है आतंकवाद कितना भयंकर होता है। और कोई माने कि हम तो आतंकवाद से बचे हुए हैं तो गलतफहमी में न रहें, आतंकवाद को कोई सीमा नहीं है, आतंकवाद को कोई मर्यादा नहीं है, वो कहीं पर जा करके किसी भी मानवतावादी चीजों को नष्‍ट करने पर तुला हुआ है। और इसलिए विश्‍व की मानवतावादी शक्तियों का आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना अनिवार्य हो गया है। जो आतंकवाद करते हैं उनको जड़ से खत्‍म करने की जरूरत पैदा हुई है। जो आतंकवाद को पनाह देते हैं, जो आतंकवाद को मदद करते हैं, अब तो उनको भी बख्‍शा नहीं जा सकता है। पूरा विश्‍व तबाह हो रहा है, दो दिन से हम टीवी पर सीरिया की एक छोटी बालिका का चित्र देख रहे हैं; दो दिन से हम सीरिया की एक छोटी बालिका का चित्र देख रहे हैं टीवी पर, आंख में आंसू आ जाते हैं। किस प्रकार से निर्दोषों की जान ली जा रही है। और इसलिए आज जब हम रावण वध और रावण को जला रहे हैं, तब पूरे विश्‍व ने, सिर्फ भारत ने नहीं, सिर्फ मुझे और आपने नहीं, पूरे विश्‍व की मानवतावादी शक्तियों ने आतंकवाद के खिलाफ एक बन करके लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी। आतंकवाद को खत्‍म किए बिना मानवता की रक्षा संभव नहीं होगी।

भाइयो, बहनों जब मैं समाज के भीतर हमारे यहां जो बुराइयां हैं, उसको भी हमें नष्‍ट करना होगा, और यही विजयादशमी से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। रावण रूपी वो बातें छोटी होंगी, लेकिन वो भी एक प्रकार की रावण रूप ही है। दुराचार, भ्रष्‍टाचार, हमारे समाज को तबाह करने वाले ये रावण नहीं हैं तो क्‍या हैं? इसको भी हमें खत्‍म करने के लिए देश के नागरिकों को संकल्‍पबद्ध होना पड़ेगा।

गंदगी, ये भी रावण का ही एक छोटा सा रूप ही है। ये गंदगी है जो हमारे गरीब बच्‍चों की जान ले लेती है। बीमारी गरीब परिवारों को तबाह कर देती है। अगर हम गंदगी से मुक्ति पाएं, गंदगी रूपी रावण से मुक्ति पाएं, तो देश के करोड़ों-करोड़ों परिवार जो अल्पायु में मौत के शरण हो जाते हैं; बीमारी के शिकार हो जाते हैं; उनको हम बचा सकते हैं। अशिक्षा, अंधश्रद्धा, ये भी तो समाज को नष्‍ट करने वाली हमारी कमियां हैं। और उससे भी मुक्ति पाने के लिए हमें संकल्‍प करना होगा।

आज एक तरफ हम विजयादशमी का पर्व मना रहे हैं, तो उसी समय पूरा विश्‍व आज Girl Child Day भी मना रहा है। आज Girl Child Day भी है। मैं जरा अपने-आप से पूछना चाहता हूं, मैं देशवासियों से पूछना चाहता हूं, कि एक सीता माता के ऊपर अत्‍याचार करने वाले रावण को तो हमने हर वर्ष जलाने का संकल्‍प किया हुआ है, और जब तक पीढि़यां जीती रहेंगी रावण को जलाते रहेंगे क्‍योंकि सीता माता का अपहरण किया था; लेकिन कभी हमने सोचा है कि जब पूरा विश्‍व आज Girl Child Day मना रहा है तब हम बेटे और बेटी में फर्क करके मां के गर्भ में कितनी सीताओं को मौत के घाट उतार देते हैं। ये हमारे भीतर के रावण को खत्‍म कौन करेगा? क्‍या आज भी 21वीं शताब्‍दी में मां के गर्भ में बेटियों को मारा जाएगा? अरे एक सीता के लिए जटायु बलि चढ़ सकता है, तो हमारे घर में पैदा होने वाली सीता को बचाना हम सबका दायित्‍व होना चाहिए। घर में बेटा पैदा हो, जितना स्‍वागत-सम्‍मान हो, बेटी पैदा हो उससे भी बड़ा स्‍वागत-सम्‍मान हो, ये हमें स्‍वभाव बनाना होगा।

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इस बार ओलंपिक में देखिए, हमारे देश की बेटियों ने नाम को रोशन कर दिया। अब ये बेटी-बेटे का फर्क हमारे यहां रावण रूपी मानसिकता का ही अंश है। शिक्षित हो; अशिक्षित हो, गरीब हो; अमीर हो, शहरी हो; ग्रामीण हो, हिन्‍दू हो; मुसलमान हो, सिख हो; इसाई हो, बौद्ध हो; किसी भी सम्‍प्रदाय के क्‍यों न हो; किसी भी आर्थिक पार्श्‍वभूमि के क्‍यों न हो; किसी भी सामाजिक पार्श्‍वभूमि के क्‍यों न हो, लेकिन बेटियां समान होनी चाहिए; महिलाओं के अधिकार समान होने चाहिए, महिलाओं को 21वीं सदी में न्‍याय मिलना चाहिए कि किसी भी परम्‍परा से जुड़े क्‍यों न हों; किसी भी समाज से जुड़े क्‍यों न हों, महिलाओं का गौरव करने का ये युग हमें स्‍वीकारना होगा। बेटियों का गौरव करना होगा; बेटियों को बचाना होगा। हमारे भीतर ऐसे जो रावण के रूप बिखरे पड़े हैं उससे इस देश को हमें मुक्ति दिलानी है। और इसलिए जब लक्ष्‍मण की नगरी में आया हूं, गोस्‍वामी तुलसीदास की धरती पर आया हूं। श्रीकृष्‍ण के जीवन में भी युद्ध था, राम के जीवन में भी युद्ध था, लेकिन हम वो लोग हैं जो युद्ध से बुद्ध की ओर चले जाते हैं। समय के बंधनों से, परिस्थिति की आवश्‍यकताओं से युद्ध कभी-कभी अनिवार्य हो जाते हैं, लेकिन ये धरती का मार्ग युद्ध का नहीं, ये धरती का मार्ग बुद्ध का है। और ये देश; ये देश सुदर्शन चक्‍करधारी मोहन को युगपुरुष मानता है, जिसने युद्ध के मैदान में गीता कही; यही देश चरखाधारी मोहन, जिसने अहिंसा का संदेश‍ दिया, उसको भी युगपुरुष मानता है। यही इस देश की विशेषता है कि दोनों तराजु पर हम संतुलन ले करके चलने वाले लोग हैं। और इसलिए हम युद्ध से बुद्ध की यात्रा वाले लोग हैं। हम हमारे भीतर के रावण को खत्‍म करने का संकल्‍प करने वाले लोग हैं। हमारे देश को सुजलाम-सुफलाम बनाने का संकल्‍प करके निकले हुए लोग हैं।

ऐसे समय अति प्राचीन ये रंगमंच जहां रामलीला होती हैं, अनेक पीढि़यों के बालक कभी राम और लक्ष्‍मण के रूप में, मां सीता के रूप मे इसी स्‍थान पर उनकी चरण-रज पड़ी होगी और वो पल वो इन्‍सान नहीं रहते; वो भक्ति में लीन हुए होते हैं, वो पात्र नहीं होते हैं; वो परमात्‍मा का रूप बन जाते हैं। उसी मंच पर आ करके आज इन सब रावणों के खिलाफ जो हमारे भीतर हैं, चाहे जातिवाद हो, चाहे वंशवाद हो, चाहे ऊंच-नीच की बुराई हो, चाहे सम्‍प्रदायवाद का जनून हो, ये सारी बुराइयां किसी न किसी रूप में बिखरा पड़ा रावण का ही रूप है। और इससे मुक्ति पाना, इसे खत्‍म करना, और एकात्‍म हिन्‍दुस्‍तान; एकरस हिन्‍दुस्‍तान; समरस हिन्‍दुस्‍तान इसी सपने को पार करने का संकल्‍प करके इस विजयादशमी के पावन पर्व पर हम बस प्रभु रामजी के हम पर आशीर्वाद बने रहें, मानवता के मार्ग पर चलने की हमें ताकत मिले, बुद्ध का मार्ग हमारा अन्तिम मार्ग बना रहे।

इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको विजयादशमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए जय श्रीराम। आवाज दूर-दूर तक जानी चाहिए। जय श्रीराम, जय श्रीराम, जय जय श्रीराम, जय जय श्रीराम।

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परिणामों की सूची: प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद & टोबैगो की राजकीय यात्रा
July 04, 2025

A) MoUs / Agreement signed:

i. MoU on Indian Pharmacopoeia
ii. Agreement on Indian Grant Assistance for Implementation of Quick Impact Projects (QIPs)
iii. Programme of Cultural Exchanges for the period 2025-2028
iv. MoU on Cooperation in Sports
v. MoU on Co-operation in Diplomatic Training
vi. MoU on the re-establishment of two ICCR Chairs of Hindi and Indian Studies at the University of West Indies (UWI), Trinidad and Tobago.

B) Announcements made by Hon’ble PM:

i. Extension of OCI card facility upto 6th generation of Indian Diaspora members in Trinidad and Tobago (T&T): Earlier, this facility was available upto 4th generation of Indian Diaspora members in T&T
ii. Gifting of 2000 laptops to school students in T&T
iii. Formal handing over of agro-processing machinery (USD 1 million) to NAMDEVCO
iv. Holding of Artificial Limb Fitment Camp (poster-launch) in T&T for 50 days for 800 people
v. Under ‘Heal in India’ program specialized medical treatment will be offered in India
vi. Gift of twenty (20) Hemodialysis Units and two (02) Sea ambulances to T&T to assist in the provision of healthcare
vii. Solarisation of the headquarters of T&T’s Ministry of Foreign and Caricom Affairs by providing rooftop photovoltaic solar panels
viii. Celebration of Geeta Mahotsav at Mahatma Gandhi Institute for Cultural Cooperation in Port of Spain, coinciding with the Geeta Mahotsav celebrations in India
ix. Training of Pandits of T&T and Caribbean region in India

C) Other Outcomes:

T&T announced that it is joining India’s global initiatives: the Coalition of Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) and Global Biofuel Alliance (GBA).