क्या हम तय कर सकते हैं कि 2022 में जब आजदी के 75 वर्ष होंगे तो मैं और मेरा परिवार जो भी खरीदेंगे वो Make In India ही खरीदेंगे: प्रधानमंत्री मोदी
अधिकार और कर्त्तव्य जब साथ साथ बोले जाते हैं, तभी सब गड़बड़ हो जाता हैं, जबकि हमारे कर्त्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं, जब मैं एक अध्यापक के रूप में अपना कर्त्तव्य निभाता हूं, तो उससे विद्यार्थियों के अधिकारों की रक्षा होती है: पीएम मोदी
इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें इस समय 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी हैं, उनका बहुत योगदान रहेगा: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली स्थित तालकटोरा स्‍टे‍डियम में ‘परीक्षा पे चर्चा 2020’ के दौरान विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। 50 दिव्‍यांग विद्यार्थियों ने भी इस पारस्‍परिक संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। 90 मिनट से भी अधिक अवधि तक चले इस संवाद कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने ऐसे अनेक विषयों पर प्रधानमंत्री से मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया जो उनकी दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण थे। इस वर्ष भी देशभर के विद्यार्थियों के साथ-साथ विदेश में रहने वाले भारतीय विद्यार्थियों ने भी इस आयोजन में भाग लिया।

यह कार्यक्रम शुरू होने पर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले सभी विद्यार्थियों के लिए मंगलमय नव वर्ष और नए दशक की कामना की। इस दशक के विशेष महत्‍व के बारे में विस्‍तार से बताते हुए उन्‍होंने कहा कि वर्तमान दशक की उम्‍मीदें एवं आकांक्षाएं उन बच्‍चों पर निर्भर हैं जो देशभर के स्‍कूलों में अपने अंतिम वर्ष की शिक्षा पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा देश इस दशक में जो भी हासिल करेगा उसमें 10वीं, 11वीं एवं 12वीं कक्षाओं के मौजूदा विद्यार्थियों को अत्‍यंत अहम भूमिका निभानी हैं। देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना और नई उम्‍मीदों को पूरा करना, यह सब नई पीढ़ी पर ही निर्भर है।’

संवाद शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही वह विभिन्‍न आयोजनों एवं कार्यक्रमों में भाग लेते हों, लेकिन जो कार्यक्रम उन्‍हें दिल से प्रिय है वह ‘परीक्षा पे चर्चा’ ही है।

 उन्‍होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री होने के नाते मुझे विभिन्‍न प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेना पड़ता है। इस तरह के संवाद के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इनमें से प्रत्‍येक संवाद के दौरान नए-नए अनुभव होते हैं। लेकिन यदि कोई मुझसे किसी एक ऐसे कार्यक्रम के बारे में पूछता है जो मेरे दिल को सर्वाधिक प्रिय है तो मैं यही कहूंगा कि यह कोई और नहीं, बल्कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ ही है। मुझे हैकाथॉन में भाग लेना भी प्रिय है। इस तरह के आयोजन भारत के युवाओं की अद्भुत क्षमता एवं प्रतिभा को पूरी दुनिया के सामने लाते हैं।’’

उत्‍साह घटने और बार-बार मूड खराब होने से निपटना:

जब एक विद्यार्थी ने अध्‍ययन या पढ़ाई में रुचि घट जाने से संबंधित सवाल पूछा तो प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्‍सर कई ऐसे कारणों से विद्यार्थियों का उत्‍साह घट जाता है जो उनके वश में नहीं होता है। इसका एक कारण यह भी है कि वे अपनी-अपनी अपेक्षाओं को बहुत अधिक महत्‍व देने की कोशिश करने लगते हैं।

प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से उत्‍साह घट जाने के कारण का पता लगाने को कहा और इसके साथ ही इस बात पर मंथन करने को कहा कि आखिरकार इन परिस्थितियों से कैसे निपटा जाना चाहिए। उन्‍होंने चंद्रयान एवं इसरो की अपनी यात्रा से जुड़े हालिया वृतांत का उदाहरण दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘प्रेरणा और उत्‍साह घट जाना अत्‍यंत सामान्‍य बात है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति को इन भावनाओं से गुजरना पड़ता है। इस संबंध में, मैं चंद्रयान के दौरान इसरो की अपनी यात्रा और हमारे अत्‍यंत मेहनती वैज्ञानिकों के साथ बिताए गए समय को कभी भी नहीं भूल सकता।’

उन्‍होंने कहा, ‘हमें विफलताओं को गहरे झटकों अथवा बड़े अवरोधों के रूप में नहीं देखना चाहिए। हम जीवन के प्रत्‍येक पहलू में उत्‍साह को शामिल कर सकते हैं। किसी भी तरह का अस्‍थायी झटका लगने का मतलब यह नहीं है कि हम जीवन में सफल नहीं हो सकते हैं। दरअसल, कोई भी झटका लगने का मतलब यही है कि अभी सर्वोत्‍तम हासिल करना बाकी है। हमें अपनी व्यथित परिस्थितियों को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने के रूप में बदलने की कोशिश करनी चाहिए।’

प्रधानमंत्री ने यह भी उदाहरण दिया कि वर्ष 2001 में भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच हुए क्रिकेट मैच के दौरान राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्‍मण ने किस तरह से अत्‍यंत कठिन परिस्थितियों में जुझारू बैटिंग कर भारत को हार के खतरे से बाहर कर शानदार जीत दिलाई थी।

प्रधानमंत्री ने एक और उदाहरण दिया कि किस तरह से भारतीय गेंदबाज अनिल कुंबले ने स्‍वयं को लगी गहरी चोट के बावजूद शानदार प्रदर्शन कर भारत का गौरव बढ़ाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यही सकारात्‍मक प्रेरणा की अद्भुत ताकत है।’

पाठ्येतर गतिविधियों और अध्‍ययन में संतुलन स्‍थापित करना:

पाठ्येतर गतिविधियों और अध्‍ययन में संतुलन स्‍थापित करने से संबंधित एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी के जीवन में पाठ्यक्रम के साथ-साथ अन्‍य गतिविधियों के विशेष महत्‍व को कमतर नहीं आंका जा सकता है।

उन्‍होंने कहा, ‘पाठ्येतर गतिविधियां न करना किसी भी विद्यार्थी को एक रोबोट की तरह बना सकता है।’

लेकिन प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पाठ्येतर गतिविधियों और अध्‍ययन में संतुलन स्‍थापित करने के लिए विद्यार्थियों को समय का बेहतर एवं इष्‍टतम प्रबंधन करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज तरह-तरह के अवसर उपलब्‍ध हैं और मैं उम्‍मीद करता हूं कि युवा इनका सही ढंग से इस्‍तेमाल करेंगे और पूरे जोश के साथ अपने शौक अथवा अपनी रुचि के कार्य को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’

हालांकि, उन्‍होंने अभिभावकों को आगाह करते हुए कहा कि वे अपने बच्‍चों की पाठ्येतर गतिविधियों को फैशन स्टेटमेंट अथवा विशिष्‍टता न बनने दें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह अच्‍छा नहीं होता है जब बच्‍चों का जुनून अभिभावकों के लिए फैशन स्टेटमेंट बन जाता है। पाठ्येतर गतिविधियां तड़क-भड़क से प्रेरित नहीं होनी चाहिए। हर बच्‍चे को वही करने देना चाहिए जो वह करना चाहता/चाहती है।’  

क्या अंक ही सब कुछ है

परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने तथा क्या अंक ही निर्णायक होते हैं, सम्बंधी प्रश्न पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी शिक्षा प्रणाली विभिन्न परीक्षाओं में हमारे प्रदर्शन के आधार पर सफलता तय करती है। हमारा और हमारे माता-पिता का सारा ध्यान अच्छे अंक प्राप्त करने पर लगा रहता है, इसलिए हम इस दिशा में प्रयास करते हैं।’

उन्होंने कहा कि आज अनेक अवसर मौजूद हैं। इस सम्बंध में उन्होंने छात्रों से कहा कि वे इस भावना से बाहर निकलें कि परीक्षाओं में सफलता या असफलता ही सबकुछ तय करती है।

उन्होंने कहा, ‘अंक ही जीवन नहीं हैं। इसी तरह हमारे पूरे जीवन का निर्णय परीक्षा नहीं कर सकती। यह आगे बढ़ने का कदम है, अपने जीवन में आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं सभी माता-पिताओं से आग्रह करता हूं कि वे अपने बच्चों से यह न कहें कि अंक ही सबकुछ हैं। अगर अच्छे अंक नहीं मिलते तो ऐसा व्यवहार न करें कि आप सबकुछ खो चुके हैं। आप किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं। हमारे यहां अपार अवसर मौजूद हैं।’

उन्होंने कहा कि परीक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन वह पूरा जीवन नहीं है। आपको इस मानसिकता से बाहर आना होगा।

शिक्षा में प्रौद्योगिकी का महत्व

प्रौद्योगिकी के महत्व और शिक्षा में उसकी उपयोगिता के प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को प्रौद्योगिकी में आधुनिक चीजों के प्रति खुद को परिचित करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के खतरों के प्रति सावधान रहें।

उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी का भय अच्छा नहीं होता। प्रौद्योगिकी एक मित्र है। केवल प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना पर्याप्त नहीं है। उसका उपयोग भी महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है, लेकिन अगर हम उसका दुरुपयोग करेंगे तो उससे हमारे अमूल समय और संसाधनों को नुकसान पहुंचेगा।’  

अधिकार बनाम कर्तव्य

छात्रों के अधिकारों और अपने कर्तव्यों के प्रति नागरिकों को जागरूक करने सम्बंधी प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति के अधिकार उनके कर्तव्यों में निहित होते हैं।

अध्यापक का उदाहरण देते हुए उन्होंने यह कहा कि अध्यापक जब अपने कर्तव्यों का पालन करता है तो वह छात्रों के अधिकारों को पूरा करता है।

इस विषय पर राष्ट्र पिता के विचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘महात्मा गांधी ने कहा था कि कोई मौलिक अधिकार नहीं होता, बल्कि मौलिक कर्तव्य होते हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज मैं छात्रों से बात कर रहा हूं, जो 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, उस समय छात्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मैं आशा करता हूं कि यह पीढ़ी हमारे संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों के आधार पर अपने जीवन में काम करेगी।’

दबाव एवं माता-पिता तथा शिक्षकों की उम्‍मीदों से कैसे निपटें ?

दबाव एवं माता-पिता तथा शिक्षकों की उम्‍मीदों से कैसे निपटा जाए, इसके बारे में प्रधानमंत्री ने माता-पिता से मांग करते हुए कहा कि छात्रों पर दबाव न बनाएं, बल्कि उनका साथ दें।

‘बच्‍चों पर दबाव बनाने की बजाय उनका साथ देने से आगे का रास्‍ता मिलता है। बच्‍चों को ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित करें, जिससे उनकी आंतरिक क्षमता मजबूत होती हो।’

अध्‍ययन का सबसे अच्‍छा समय एवं परीक्षा के दौरान दिमाग खाली पड़ना एवं बोर्ड परीक्षाओं का भय

अध्‍ययन के लिए सबसे अच्‍छे समय के बारे में पूछे गये एक सवाल पर प्रधानमंत्री ने सलाह दी कि पर्याप्‍त आराम करना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है, जितना कि अध्‍ययन करना।

उन्‍होंने कहा, ‘सुबह में दिमाग उतना ही साफ रहता है, जितना कि वर्षा के बाद आकाश साफ रहता है, किसी छात्र को उसी समय-सारणी का अनुसरण करना चाहिए, जो उसके लिए सहज हो।’

परीक्षा के दौरान एकाएक दिमाग खाली पड़ने के बारे में, प्रधानमंत्री ने छात्रों को बताया कि वे अपनी तैयारी पूरी तरह करें।

उन्‍होंने कहा, ‘मैं छात्रों से कहूगां कि वे तैयारी के बारे में आश्‍वस्‍त रहें। वे किसी तरह के दबाव के साथ परीक्षा भवन में प्रवेश न करें। दूसरे लोग क्‍या कर रहे हैं, इससे परेशान न हों। अपने आप में विश्‍वास रखें और आपने जो तैयारी की है, उस पर ध्‍यान दें।’

 

भविष्‍य में कैरियर के विकल्‍प

भविष्‍य में कैरियर के विकल्‍प के बारे में, प्रधानमंत्री ने छात्रों को बताया कि अपने दिल की बात सुनें तथा राष्‍ट्र तथा इसके विकास के प्रति उत्‍साह से कार्य करें।

उन्‍होंने कहा, ‘कैरियर काफी महत्‍वपूर्ण है, प्रत्‍येक व्‍यक्ति को कुछ जिम्‍मेदारी लेनी होती है। हम अपने उत्‍तरदायित्‍वों का निर्वहन करके भी राष्‍ट्र के प्रति हमेशा योगदान कर सकते हैं।’

प्रधानमंत्री के वार्ता कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा-2020’ के तीसरे संस्‍करण के लिए कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए ‘लघु निबंध’ में ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरू की गई। 02 दिसम्‍बर, 2019 से 23 दिसम्‍बर, 2019 तक www.mygov.in के माध्‍यम से प्रतियोगिता के लिए प्रवि‍ष्टियां ऑनलाइन आमंत्रित की गई थीं। इसमें 3 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से 2.6 लाख से अधिक छात्र प्रतियोगिता में शामिल हुए। इस प्रतियोगिता में 2019 में 1.03 लाख छात्रों ने भाग लिया था। चयनित विजेताओं ने ‘परीक्षा पे चर्चा-2020’ में भाग लिया तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी से बातचीत की।

केन्‍द्रीय माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) एवं केन्‍द्रीय विद्यालय संगठन के स्‍कूलों के छात्रों से संबंधित मुद्दों पर एक पेंटिंग एवं पोस्‍टर बनाने की प्रतियोगिता आयोजित की गई तथा लगभग 725 पोस्‍टर एवं पेंटिंग प्राप्‍त किये गये। लगभग 50 पोस्‍टरों एवं पेंटिगों का चयन किया गया तथा परीक्षा पे चर्चा-2020 के दौरान प्रधानमंत्री को दिखाया गया।

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."