मन की बात: पीएम मोदी ने शहीद उधम सिंह और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अन्य महानुभावों को श्रद्धांजलि दी।
मन की बात: देश के कई रेलवे स्टेशन स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हैं: पीएम मोदी
अमृत ​​महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक एक विशेष आंदोलन 'हर घर तिरंगा' का आयोजन किया जा रहा है: पीएम
दुनिया भर में आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा में रुचि बढ़ रही है: मन की बात के दौरान पीएम मोदी
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन जैसी पहलों से देश से शहद का निर्यात बढ़ा है: पीएम मोदी
मेले अपने आप में हमारे समाज के लिए ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत हैं: मन की बात के दौरान पीएम मोदी
खिलौनों के आयात में करीब 70% की कमी आई है, देश ने करीब 600 करोड़ रुपये के खिलौनों का निर्यात किया है : पीएम
कक्षा हो या खेल का मैदान, आज हमारे युवा हर क्षेत्र में देश को गौरवान्वित कर रहे हैं: मन की बात के दौरान पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ का ये 91वाँ episode है | हम लोगों ने पहले इतनी सारी बातें की हैं, अलग-अलग विषयों पर अपनी बात साझा की है, लेकिन, इस बार ‘मन की बात’ बहुत खास है | इसका कारण है, इस बार का स्वतंत्रता दिवस, जब भारत अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करेगा | हम सभी बहुत अद्भुत और ऐतिहासिक पल के गवाह बनने जा रहे हैं | ईश्वर ने ये हमें बहुत बड़ा सौभाग्य दिया है | आप भी सोचिए, अगर हम गुलामी के दौर में पैदा हुए होते, तो, इस दिन की कल्पना हमारे लिए कैसी होती ? गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आज़ादी की वो बेचैनी - कितनी बड़ी रही होगी | वो दिन, जब हम, हर दिन, लाखों-लाख देशवासियों को आज़ादी के लिए लड़ते, जूझते, बलिदान देते देख रहे होते | जब हम, हर सुबह इस सपने के साथ जग रहे होते, कि मेरा हिंदुस्तान कब आज़ाद होगा और हो सकता है हमारे जीवन में वो भी दिन आता जब वंदेमातरम और भारत माँ की जय बोलते हुए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए, अपना जीवन समर्पित कर देते, जवानी खपा देते |

साथियो, 31 जुलाई यानी आज ही के दिन, हम सभी देशवासी, शहीद उधम सिंह जी की शहादत को नमन करते हैं | मैं ऐसे अन्य सभी महान क्रांतिकारियों को अपनी विनम्र श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया |

साथियो, मुझे ये देखकर बहुत ख़ुशी होती है, कि, आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है | सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं | ऐसा ही एक कार्यक्रम इस महीने की शुरुआत में मेघालय में हुआ | मेघालय के बहादुर योद्धा, यू. टिरोत सिंह जी की पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया | टिरोत सिंह जी ने खासी हिल्स (Khasi Hills) पर नियंत्रण करने और वहाँ की संस्कृति पर प्रहार करने की अंग्रेजों की साजिश का जमकर विरोध किया था | इस कार्यक्रम में बहुत सारे कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुतियाँ दी | इतिहास को ज़िंदा कर दिया | इसमें एक carnival का आयोजन भी किया गया, जिसमें, मेघालय की महान संस्कृति को बड़े ही खूबसूरत तरीके से दर्शाया गया | अब से कुछ हफ्ते पहले, कर्नाटका में, अमृता भारती कन्नडार्थी नाम का एक अनूठा अभियान भी चलाया गया | इसमें राज्य की 75 जगहों पर आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े बड़े भव्य कार्यक्रम आयोजित किये गए | इनमें कर्नाटका के महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ ही स्थानीय साहित्यिक उपलब्धियों को भी सामने लाने की कोशिश की गई |

साथियो, इसी जुलाई में एक बहुत ही रोचक प्रयास हुआ है जिसका नाम है - आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन | इस प्रयास का लक्ष्य है कि लोग आज़ादी की लड़ाई में भारतीय रेल की भूमिका को जानें | देश में अनेक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जो, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं | आप भी, इन रेलवे स्टेशनों के बारे में जानकार हैरान होंगे | झारखंड के गोमो जंक्शन को, अब आधिकारिक रूप से, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है | जानते है क्यों? दरअसल इसी स्टेशन पर, कालका मेल में सवार होकर नेताजी सुभाष, ब्रिटिश अफसरों को चकमा देने में सफल रहे थे | आप सभी ने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम भी जरुर सुना होगा | इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबांजों का नाम जुड़ा है | यहाँ ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताक़त का परिचय करा दिया था | आप जब कभी तमिलनाडु के लोगों से बात करेंगे, तो आपको, थुथुकुडी जिले के वान्ची मणियाच्ची जंक्शन के बारे में जानने को मिलेगा | ये स्टेशन तमिल स्वतंत्रता सेनानी वान्चीनाथन जी के नाम पर है | ये वही स्थान है जहाँ 25 साल के युवा वान्ची ने ब्रिटिश कलेक्टर को उसके किये की सजा दी थी |

साथियो, ये लिस्ट काफी लम्बी है | देशभर के 24 राज्यों में फैले ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है | इन 75 स्टेशनों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जा रहा है | इनमें कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है | आपको भी समय निकालकर अपने पास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन पर जरुर जाना चाहिए | आपको, स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे इतिहास के बारे में विस्तार से पता चलेगा जिनसे आप अनजान रहे हैं | मैं आसपास के स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह करूँगा, टीचर्स से आग्रह करूँगा कि अपने स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को ले करके जरुर स्टेशन पर जाएँ और पूरा घटनाक्रम उन बच्चों को सुनाएँ, समझाएँ |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत, 13 से 15 अगस्त तक, एक Special Movement – ‘हर घर तिरंगा- हर घर तिरंगा’ का आयोजन किया जा रहा है | इस movement का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक, आप, अपने घर पर तिरंगा जरुर फहराएं, या उसे, अपने घर पर लगायें | तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है | मेरा एक सुझाव ये भी है, कि 2 अगस्त से 15 अगस्त तक, हम सभी, अपनी Social Media Profile Pictures में तिरंगा लगा सकते हैं | वैसे क्या आप जानते हैं, 2 अगस्त का हमारे तिरंगे से एक विशेष संबंध भी है | इसी दिन पिंगली वेंकैया जी की जन्म-जयंती होती है जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को design किया था | मैं उन्हें, आदरपूर्वक श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ | अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बात करते हुए मैं, महान क्रांतिकारी Madam Cama को भी याद करूँगा | तिरंगे को आकार देने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है |

साथियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव में हो रहे इन सारे आयोजनों का सबसे बड़ा सन्देश यही है कि हम सभी देशवासी अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करें | तभी हम उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा कर पायेंगे | उनके सपनों का भारत बना पाएंगे | इसीलिए हमारे अगले 25 साल का ये अमृतकाल हर देशवासी के लिए कर्तव्यकाल की तरह है | देश को आज़ाद कराने, हमारे वीर सेनानी, हमें, ये जिम्मेदारी देकर गए हैं, और हमें, इसे पूरी तरह निभाना है |

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के खिलाफ हम देशवासियों की लड़ाई अब भी जारी है | पूरी दुनिया आज भी जूझ रही है | Holistic Healthcare में लोगों की बढ़ती रुचि ने इसमें सभी की बहुत मदद की है | हम सभी जानते हैं कि इसमें भारतीय पारम्परिक पद्धतियाँ कितनी उपयोगी हैं | कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, आयुष ने तो, वैश्विक स्तर पर, अहम भूमिका निभाई है | दुनियाभर में आयुर्वेद और भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है | ये एक बड़ी वजह है कि Ayush Exports में record तेजी आई है और ये भी बहुत सुखद है कि इस क्षेत्र में कई नए Start-Ups भी सामने आ रहे हैं | हाल ही में, एक Global Ayush Investment और Innovation Summit हुई थी | आप जानकर हैरान होंगे, कि इसमें, करीब दस हज़ार करोड़ रूपए के Investment Proposals मिले हैं | एक और बड़ी अहम बात ये हुई है, कि कोरोना काल में, औषधीय पौधों पर research में भी बहुत वृद्धि हुई है | इस बारे में बहुत सी Research Studies Publish हो रही हैं | निश्चित रूप से एक अच्छी शुरुआत है |

साथियो, देश में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों को लेकर एक और बेहतरीन प्रयास हुआ है | अभी-अभी जुलाई महीने में Indian Virtual Herbarium को launch किया गया | यह इस बात का भी उदाहरण है, कि कैसे हम, Digital World का इस्तेमाल अपनी जड़ों से जुड़ने में कर सकते हैं | Indian Virtual Herbarium, Preserved Plants या plant parts की Digital Images का एक रोचक संग्रह है, जो कि, Web पर, Freely Available है | इस Virtual Herbarium पर अभी लाख से अधिक Specimens और उनसे जुड़ी Scientific Information उपलब्ध है | Virtual Herbarium में, भारत की , Botanical Diversity की समृद्ध तस्वीर भी दिखाई देती है | मुझे विश्वास है Indian Virtual Herbarium, भारतीय वनस्पतियों पर research के लिए एक important resource बनेगा |

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में हम हर बार देशवासियों की ऐसी सफलताओं की चर्चा करते हैं जो हमारे चेहरे पर मीठी मुस्कान बिखेर देती हैं | अगर कोई success story, मीठी मुस्कान भी बिखेरे, और स्वाद में भी मिठास भरे, तब तो आप इसे जरुर सोने पर सुहागा कहेंगे | हमारे किसान इन दिनों शहद के उत्पादन में ऐसा ही कमाल कर रहे हैं | शहद की मिठास हमारे किसानों का जीवन भी बदल रही है, उनकी आय भी बढ़ा रही है | हरियाणा में, यमुनानगर में, एक मधुमक्खी पालक साथी रहते हैं - सुभाष कंबोज जी | सुभाष जी ने वैज्ञानिक तरीक़े से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया | इसके बाद उन्होंने केवल छःह बॉक्स के साथ अपना काम शुरू किया था | आज वो करीब दो हज़ार बॉक्सेस में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं | उनका शहद कई राज्यों में supply होता है | जम्मू के पल्ली गाँव में विनोद कुमार जी भी डेढ़ हज़ार से ज्यादा कॉलोनियों में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं | उन्होंने पिछले साल, रानी मक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया है | इस काम से, वो, सालाना 15 से 20 लाख रूपए कमा रहे हैं | कर्नाटक के एक और किसान हैं - मधुकेश्वर हेगड़े जी | मधुकेश्वर जी ने बताया कि उन्होंने, भारत सरकार से 50 मधुमक्खी कॉलोनियों के लिए subsidy ली थी | आज उनके पास 800 से ज्यादा कॉलोनियां हैं, और वो कई टन शहद बेचते हैं | उन्होंने अपने काम में innovation किया, और वो जामुन शहद, तुलसी शहद, आंवला शहद जैसे वानस्पतिक शहद भी बना रहे हैं | मधुकेश्वर जी, मधु उत्पादन में आपके innovation और सफलता, आपके नाम को भी सार्थक करती है |
साथियो, आप सब जानते हैं कि, शहद को, हमारे पारंपरिक स्वास्थ्य विज्ञान में कितना महत्व दिया गया है | आयुर्वेद ग्रंथों में तो शहद को अमृत बताया गया है | शहद, न केवल हमें स्वाद देता है, बल्कि आरोग्य भी देता है | शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि professional पढ़ाई करने वाले युवा भी, इसे, अपना स्वरोजगार बना रहे हैं | ऐसे ही एक युवा हैं – यू.पी. में गोरखपुर के निमित सिंह | निमित जी ने बी.टेक किया है | उनके पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन, पढाई के बाद नौकरी की जगह निमित जी ने स्वरोजगार का फैसला लिया | उन्होंने शहद उत्पादन का काम शुरू किया | Quality Check के लिए लखनऊ में अपनी एक लैब भी बनवाई | निमित जी अब शहद और Bee Wax से अच्छी कमाई कर रहे हैं, और अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं | ऐसे युवाओं की मेहनत से ही आज देश इतना बड़ा शहद उत्पादक बन रहा है | आपको जानकार ख़ुशी होगी कि देश से शहद का निर्यात भी बढ़ गया है | देश ने National Beekeeping and Honey Mission जैसे अभियान चलाए, किसानों ने पूरा परिश्रम किया, और हमारे शहद की मिठास, दुनिया तक पहुँचने लगी | अभी इस क्षेत्र में और भी बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं | मैं चाहूँगा कि हमारे युवा इन अवसरों से जुड़कर उनका लाभ लें और नई संभावनाओं को साकार करें |

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता, श्रीमान आशीष बहल जी का एक पत्र मिला है I उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है I दरअसल, मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं I जब मक्के में मिंजर आते हैं, तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है और इस मेले में, देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं | संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है I आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं I चंबा तो इतना ख़ूबसूरत है, कि यहाँ के लोक-गीतों में बार-बार कहा जाता है –
“चंबे इक दिन ओणा कने महीना रैणा” |

यानि, जो लोग एक दिन के लिए चंबा आते हैं, वे इसकी खूबसूरती देखकर महीने भर यहां रह जाते हैं I

साथियो, हमारे देश में मेलों का भी बड़ा सांस्कृतिक महत्व रहा है I मेले, जन-मन दोनों को जोड़ते हैं I हिमाचल में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब, सितम्बर में, शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी या सैर भी मनाया जाता है I सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है | जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वाहन करके बीसू गीत गाए जाते हैं | महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है |

साथियो, हमारे देश में अलग- अलग राज्यों में आदिवासी समाज के भी कई पारंपरिक मेले होते हैं | इनमें से कुछ मेले आदिवासी संस्कृति से जुड़े हैं, तो कुछ का आयोजन, आदिवासी इतिहास और विरासत से जुड़ा है, जैसे कि, आपको, अगर मौका मिले तो तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने जरुर जाईये | इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है | सरलम्मा जातरा मेला, दो आदिवासी महिला नायिकाओं - समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है | ये तेलंगाना ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है | आँध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है | मारीदम्मा मेला जयेष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है और यहाँ का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है | यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में, मरिदम्मा मंदिर भी है | इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं |

छत्तीसगढ़ में बस्तर के नारायणपुर का ‘मावली मेला’ भी बहुत खास होता है | पास ही, मध्य प्रदेश का ‘भगोरिया मेला’ भी खूब प्रसिद्ध है | कहते हैं कि, भगोरिया मेले की शुरूआत, राजा भोज के समय में हुई है | तब भील राजा, कासूमरा और बालून ने अपनी-अपनी राजधानी में पहली बार ये आयोजन किए थे | तब से आज तक, ये मेले, उतने ही उत्साह से मनाये जा रहे हैं | इसी तरह, गुजरात में तरणेतर और माधोपुर जैसे कई मेले बहुत मशहूर हैं | ‘मेले’, अपने आप में, हमारे समाज, जीवन की ऊर्जा का बहुत बड़ा स्त्रोत होते हैं | आपके आस-पास भी ऐसे ही कई मेले होते होंगे | आधुनिक समय में समाज की ये पुरानी कड़ियाँ ‘एक भारत–श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं | हमारे युवाओं को इनसे जरुर जुड़ना चाहिए और आप जब भी ऐसे मेलों में जाएं, वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर करें | आप चाहें तो किसी खास हैशटैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं | इससे उन मेलों के बारे में दूसरे लोग भी जानेंगे | आप Culture Ministry की website पर भी तस्वीरें upload कर सकते हैं | अगले कुछ दिन में Culture Ministry एक competition भी शुरू करने जा रही है, जहाँ, मेलों की सबसे अच्छी तस्वीरें भेजने वालों को इनाम भी दिया जाएगा तो फिर देर नहीं कीजिए, मेलों में घूमियें, उनकी तस्वीरें साझा करिए, और हो सकता है आपको इसका ईनाम भी मिल जाए |

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको ध्यान होगा, ‘मन की बात’ के एक Episode में मैंने कहा था कि भारत के पास Toys Exports में Powerhouse बनने की पूरी क्षमता है | मैंने Sports और Games में भारत की समृद्ध विरासत की खासतौर पर चर्चा की थी | भारत के स्थानीय खिलौने - परंपरा और प्रकृति, दोनों के अनुरूप होते हैं, Eco-friendly होते हैं | मैं आज आपके साथ भारतीय खिलौनों की सफलता को share करना चाहता हूँ | हमारे Youngsters, Start-ups और Entrepreneurs के बूते हमारी Toy Industry ने जो कर दिखाया है, जो सफलताएँ हासिल की हैं, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी | आज, जब भारतीय खिलौनों की बात होती है, तो हर तरफ, Vocal for Local की ही गूंज सुनाई दे रही है | आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा, कि भारत में अब, विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या, लगातार कम हो रही है | पहले जहाँ 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के खिलौने बाहर से आते थे, वहीँ अब इनका आयात 70 प्रतिशत तक घट गया है और खुशी की बात ये, कि इसी दौरान, भारत ने, दो हज़ार छःह सौ करोड़ रुपए से अधिक के खिलौनों को विदेशों में निर्यात किया है, जबकि पहले, 300-400 करोड़ रुपए के खिलौने ही भारत से बाहर जाते थे और आप तो जानते ही हैं कि ये सब, कोरोना काल में हुआ है | भारत के Toy सेक्टर ने खुद को Transform करके दिखा दिया है | Indian Manufacturers, अब, Indian Mythology, History और Culture पर आधारित खिलौने बना रहे हैं | देश में जगह-जगह खिलौनों के जो Clusters हैं, खिलौने बनाने वाले जो छोटे-छोटे उद्यमी हैं, उन्हें, इसका बहुत लाभ हो रहा है | इन छोटे उद्यमियों के बनाए खिलौने, अब, दुनियाभर में जा रहे हैं | भारत के खिलौना निर्माता, विश्व के प्रमुख Global Toy Brands के साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं | मुझे ये भी बड़ा अच्छा लगा, कि, हमारा Start-Up Sector भी खिलौनों की दुनिया पर पूरा ध्यान दे रहा है | वे इस क्षेत्र में कई मजेदार चीजें भी कर रहे हैं | बेंगलुरु में, Shumme (शूमी) Toys नाम का Start-Up Eco-friendly खिलौनों पर focus कर रहा है | गुजरात में Arkidzoo (आर्किड्जू) Company AR-based Flash Cards और AR-based Storybooks बना रही हैं | पुणे की Company, Funvention (फन्वेंशन) Learning, खिलौने और Activity Puzzles (पजल्स) के जरिये Science, Technology और Maths में बच्चों की दिलचस्पी बढ़ाने में जुटी है | मैं खिलौनों की दुनिया में शानदार काम कर रहे ऐसे सभी Manufacturers को, Start-Ups को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | आईये, हम सब मिलकर, भारतीय खिलौनों को, दुनियाभर में, और अधिक लोकप्रिय बनायें | इसके साथ ही, मैं, अभिभावकों से भी आग्रह करना चाहूँगा कि वे अधिक से अधिक भारतीय खिलौने, Puzzles और Games खरीदें |

साथियो, Classroom हो या खेल का मैदान, आज हमारे युवा, हर क्षेत्र में, देश को गौरवान्वित कर रहे हैं | इसी महीने, PV Sindhu ने Singapore Open का अपना पहला ख़िताब जीता है | Neeraj Chopra ने भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन को जारी रखते हुए World Athletics Championship में देश के लिए Silver Medal जीता है | Ireland Para Badminton International में भी हमारे खिलाड़ियों ने 11 पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है | Rome में हुए World Cadet Wrestling Championship में भी भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया | हमारे एथलीट सूरज ने तो Greco-Roman Event में कमाल ही कर दिया | उन्होंने 32 साल के लंबे अंतराल के बाद इस Event में Wrestling का Gold Medal जीता है | खिलाड़ियों के लिए तो ये पूरा महीना ही action से भरपूर रहा है | Chennai में 44वें Chess Olympiad की मेजबानी करना भी भारत के लिए बड़े ही सम्मान की बात है | 28 जुलाई को ही इस Tournament का शुभारंभ हुआ है और मुझे इसकी Opening Ceremony में शामिल होने का सौभाग्य मिला | उसी दिन UK में Commonwealth Games की भी शुरुआत हुई | युवा जोश से भरा भारतीय दल वहाँ देश को Represent कर रहा है | मैं सभी खिलाड़ियों और Athletes को देशवासियों की ओर से शुभकामनाएँ देता हूँ | मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारत FIFA Under 17 Women’s World Cup उसकी भी मेजबानी करने जा रहा है | यह Tournament अक्तूबर के आस-पास होगा, जो खेलों के प्रति देश की बेटियों का उत्साह बढ़ाएगा |

साथियो, कुछ दिन पहले ही देशभर में 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम भी घोषित हुए हैं | मैं उन सभी Students को बधाई देता हूँ जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से सफलता अर्जित की है | महामारी के चलते, पिछले दो साल, बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं | इन परिस्थितियों में भी हमारे युवाओं ने जिस साहस और संयम का परिचय दिया, वह अत्यंत सराहनीय है | मैं, सभी के सुनहरे भविष्य की कामना करता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने आजादी के 75 साल पर, देश की यात्रा के साथ, अपनी चर्चा शुरू की थी | अगली बार, जब हम मिलेंगे, तब, हमारे अगले 25 साल की यात्रा भी शुरू हो चुकी होगी | अपने घर और अपनों के घर पर, हमारा प्यारा तिरंगा फहरे, इसके लिए हम सबको जुटना है | आपने इस बार, स्वतंत्रता दिवस को कैसे मनाया, क्या कुछ खास किया, ये भी, मुझसे, जरुर साझा करिएगा | अगली बार, हम, अपने इस अमृतपर्व के अलग-अलग रंगों पर फिर से बात करेंगे, तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए | बहुत-बहुत धन्यवाद |

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।