प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑल इंडिया रेडियो पर अपनी 13वीं मन की बात के माध्यम से देश को संबोधित किया #मनकीबात
क्रिकेट कनेक्ट: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रही गांधी-मंडेला श्रृंखला के बारे में बात की #मनकीबात
अंगदान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। देशभर में किडनी, हृदय एवं लीवर की बहुत ज्यादा आवश्यकता लेकिन काफ़ी कम प्रत्यारोपण सफल: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने अंगदान के क्षेत्र में तमिलनाडु के अग्रिम प्रयासों की सराहना की #मनकीबात
प्रधानमंत्री मोदी ने 26 से 29 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले ‘भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन’ के बारे में बात की #मनकीबात
भारत और अफ्रीका में कई समानताएं हैं। भारतीय मूल के कई लोग अफ्रीका में रह रहे हैं: प्रधानमंत्री #मनकीबात
पोरबंदर से निकली ‘मेमोरीज ऑफ़ महात्मा’ नामक एक मोबाइल प्रदर्शनी कई राज्यों से होते हुए 29 अक्टूबर को नई दिल्ली पहुंचेगी: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में सांसद आदर्श ग्राम योजना में सक्रिय भागीदारी के लिए विभिन्न सांसदों की प्रशंसा की #मनकीबात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में स्वच्छ भारत का जिक्र किया #मनकीबात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत में अपना योगदान देने के लिए मीडिया हब की प्रशंसा की #मेरास्वच्छभारत
केंद्र सरकार में निचले स्तर की नौकरियों के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया गया है; यह 1 जनवरी 2016 से लागू होगा: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात में राष्ट्र के लिए सरदार पटेल के योगदान को याद किया #मनकीबात
भारत विविधताओं से भरा देश है और यह हमारा गौरव है। शांति, सद्भावना और एकता प्रगति के लिए महत्वपूर्ण: प्रधानमंत्री #मनकीबात

 

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। फिर एक बार मन की बात से आप सबके साथ जुड़ने का सौभाग्य मुझे मिला है। आज भारत - दक्षिण अफ्रीका के बीच पाँचवा One-day मैच मुम्बई में खेलने जा रहा है। ये सीरीज है जिसका नाम ‘गांधी मंडेला’ सीरीज दिया गया है। अभी तक सीरीज रोमांचक मोड़ पर है। दोनों टीम दो-दो मैच जीत चुकी हैं। और इसीलिये आखिरी मैच का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। मेरी सभी खिलाडियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

आज मैं आकाशवाणी के कन्नूर केंद्र के मित्रों को बधाई देना चाहता हूँ। बधाई इसलिए देनी है कि जब मैंने ‘मन की बात’ प्रारंभ की तो कई लोग उससे जुड़ते चले गए। उसमें केरल की एक 12वीं की छात्रा श्रद्धा थामबन जुड़ी थीं। कन्नूर केंद्र ने बाद में उसको बुलाया, और एक समारोह आयोजित किया और काफी कुछ feedback का माहौल बना। एक अपनापन का भाव बना। और एक 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली श्रद्धा की इस जागरूकता को कन्नूर के आकाशवाणी केंद्र ने सराहा। उसको पुरुस्कृत किया। कन्नूर आकाशवाणी केंद्र की इस बात से मुझे ही प्रेरणा मिल गयी। और मैं चाहूँगा कि देशभर में ऐसे आकाशवाणी केंद्र अगर अपने-अपने इलाके में इस प्रकार से जागरूक और सक्रिय लोगों की तरफ उनका ध्यान जायेगा तो जन-भागीदारी से देश चलाने का हमारा जो मकसद है उसको एक नई ताकत मिलेगी। और इसलिये मैं कन्नूर आकाशवाणी केंद्र के सभी साथियों को ह्रदय से बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ, बधाई देता हूँ। मुझे फिर से एक बार आज केरल की बात करनी है। केरल के कोच्चि के चित्तूर के Saint Mary Upper-primary School की छात्राओं ने मुझे एक पत्र भेजा है। पत्र अनेक रूप से विशेष है। एक तो इन बालिकाओं ने अपने अंगूठे के निशान से भारत-माता का एक चित्र बनाया है, बहुत बड़े कपड़े पर। वो भारत-माता का, भारत के नक़्शे का वो चित्र मुझे भेजा है। पहले मैं हैरान था कि उन्होंनें अपने अंगूठे के निशान से भारत का नक्शा क्यों बनाया। लेकिन मैंने जब उनका पत्र पढ़ा तो मुझे समझ आया कि कितना बढ़िया symbolic सन्देश उन्होनें दिया है। ये वो बालिकायें हैं जिन्होंने सिर्फ प्रधानमंत्री को जागृत करने का प्रयास किया है, ऐसा नहीं है। वो, अपने क्षेत्र में भी, लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही हैं और उनका मिशन है ‘अंगदान’। Organ donation के लिए वे जन-जागरूकता अभियान चला रही हैं। उन्होंने अनेक स्थानों पर जा करके नाट्य मंचन भी किये हैं, ताकि लोगों में अंगदान की समझ फैले। अंगदान एक वृति और प्रवृति बने। इन बालिकाओं ने मुझे चिट्ठी में लिखा है, कि आप अपने मन की बात में organ donation के विषय में लोगों से अपील कीजिये। महाराष्ट्र के क़रीब 80 वर्षीय वसंतराव सुड़के गुरूजी। वो तो हमेशा एक movement चलाते रहते हैं। वो कहते हैं अंगदान को एक उत्सव बनाना चाहिये। इन दिनों मुझे phone call पर भी काफ़ी सन्देश आते हैं। दिल्ली के देवेश ने भी ऐसा ही एक सन्देश मुझे दिया है। ‘I am very happy with the government initiative on the organ donation and steps towards creating a policy on the same. The country really needs support in these tongues where people need to go out and help each other and the ambitious target of one per million organ donation in a very productive steps taken by the government. यह विषय काफी महत्वपूर्ण है ऐसा मुझे लगता है। देश में प्रतिवर्ष ढाई लाख से भी अधिक kidney, heart और liver donation की ज़रूरत है। लेकिन सवा-सौ करोड़ के देश में हम सिर्फ पाँच हज़ार transplant को ही सफल कर पाते हैं। हर साल एक लाख आँखों की रोशनी की ज़रूरत होती है। और हम सिर्फ़ पच्चीस हज़ार तक पहुँच पाते हैं। चार आँखों की जरूरत हो, हम सिर्फ एक दे पाते हैं। सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने पर शरीर के organ को donate किया जा सकता है। कुछ क़ानूनी उलझनें भी बहुत हैं। राज्यों को भी इस दिशा में मार्गदर्शन करने का प्रयास हुआ है।

कुछ राज्यों ने कागज़ी कार्रवाई को कम करके इसमें गति लाने का काफी अच्छा प्रयास किया है। आज मैं कह सकता हूँ, कि organ donation अंगदान के क्षेत्र में तमिलनाडु अग्रिम पंक्ति में है। कई सामाजिक संस्थाएँ, कई NGOs बहुत ही अच्छा काम इस दिशा में कर रहे हैं। organ transplant को बढ़ावा देने के लिए Nation Organ and Tissue Transplant Organization (NOTO) की स्थापना की गई है। एक 24x7 Helpline 1800114770 ये भी सेवा उपलब्ध है। और हमारे यहाँ तो यह कहा गया है ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ त्याग करने का जो आनंद होता है, उसका बहुत उत्तम वर्णन ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ इस मंत्र में है। पिछले दिनों हम सबने टीवी पर देखा था कि दिल्ली के जी.बी. पन्त हॉस्पिटल में एक गरीब ठेलेवाला, हॉकर, उसकी पत्नी का Liver Transplant किया गया। और ये Liver विशेष इंतज़ाम करके लखनऊ से दिल्ली लाया गया था। और वो ऑपरेशन सफ़ल रहा। एक ज़िंदगी बच गयी। ‘अंगदान महादान’। ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ इस भाव को हम चरितार्थ करें और इस बात को हम अवश्य बल दें।

प्यारे देशवासियो, अभी-अभी हमने नवरात्रि और विजयदशमी का पर्व मनाया। और कुछ दिनों के बाद दीपावली का पर्व भी मनाएँगे। ईद भी मनाई, गणेश-चतुर्थी भी मनाई है। लेकिन इस बीच, देश एक बड़ा उत्सव मनाने जा रहा है। हम सभी देशवासियों को गौरव हो, अभिमान हो। आने वाले 26 से 29 अक्टूबर, भारत की राजधानी नई दिल्ली में ‘India-Africa Foreign Summit’ का आयोजन हो रहा है। भारत की धरती पर पहली बार इतने बड़े scale पर आयोजन हो रहा है। चव्वन अफ्रीकी देशों और यूनियनों के लीडर्स को आमंत्रित किया गया है। अफ्रीका के बाहर अफ्रीकन देशों का सबसे बड़ा एक सम्मलेन हो रहा है। भारत और अफ्रीका के सम्बन्ध गहरे हैं। जितनी जनसंख्या भारत की है उतनी ही जनसंख्या अफ्रीकन देशों की है। और दोनों की मिला दें तो हम दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या हैं। और कहते हैं लाखों वर्ष पहले, यह एक ही भू-भाग था। बाद में हिंदमहासागर से ये दो टुकड़े विभाजित हुए। हमारे बीच बहुत साम्यता है। भारत की जीव-सृष्टि और अफ्रीका की जीव-सृष्टि बहुत प्रकार से मिलती-जुलती हैं। प्राकृतिक संसाधनों में भी हमारी काफ़ी निकटता है। और भारत के क़रीब 27 लाख लोग, इन देशों में बहुत लम्बे काल से बसे हुए हैं। भारत के अफ्रीकन देशों के साथ आर्थिक सम्बन्ध हैं, सांस्कृतिक सम्बन्ध हैं, राजनयिक सम्बन्ध हैं, लेकिन सबसे ज्यादा अफ्रीकन देशों की युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित करने में भारत बहुत बड़ी, अहम् भूमिका निभाता है। Human Resource Development, Capacity Building 25 हज़ार से ज्यादा अफ्रीकन student भारत में पढ़े हैं। और आज अफ्रीका के कई देश के नेता हैं, भारत में पढ़कर गए हैं। तो हमारा कितना गहरा नाता है। और उस दृष्टि से यह Summit बड़ा महत्वपूर्ण है। आम तौर पर जब सम्मिट होती है तब भिन्न-भिन्न देशों के मुखिया मिलते हैं। वैसे ही एक Summit में मुखियाओं की मीटिंग होने वाली है। देखिये ये हमारी कोशिश है कि ये जनता का भी मिलन होना चाहिये।

और इस बार, भारत सरकार ने, खासकर के HRD Ministry ने एक बड़ा ही अच्छा कार्यक्रम किया। CBSE के जितने भी affiliated स्कूल हैं, उनके बच्चों के बीच एक ‘Essay Competition’ का कार्यक्रम किया गया, कवितायें लिखने का कार्यक्रम किया गया, उनकी भागीदारी बढ़ाने का कार्यक्रम किया गया। क़रीब 16 सौ स्कूलों ने उसमें भाग लिया। भारत और भारत के बाहर के भी स्कूल थे। और हज़ारों-हजारों स्कूली बच्चों ने भारत-अफ्रीका संबंधों को बल देने वाली बातें लिखीं। दूसरी तरफ़, महात्मा गाँधी की जन्म भूमि पोरबंदर से ‘Memories of Mahatma’ एक प्रदर्शनी, मोबाइल प्रदर्शनी पोरबंदर से उत्तरी राज्यों का भ्रमण करते-करते 29 अक्टूबर को दिल्ली पहुँच रही है। लाखों स्कूली बच्चों ने इस प्रदर्शनी को देखा, गाँव-गाँव लोगों ने देखा। और अफ्रीका और भारत के संबंधों में महात्मा गाँधी की कैसी महान भूमिका रही थी, महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का असर इन दोनों भू-भाग पर कितना रहा था, इसको लोगों ने जाना, पहचाना। ये जो प्रतियोगिता हुई, उसमें बहुत उत्तम प्रकार की रचनायें आईं। एक रचना की तरफ़ मेरा ध्यान जाता है, मुझे अच्छा लगा, इसलिए मैं आपको सुनाना चाहता हूँ। हमारे छोटे-छोटे स्थान पर स्कूलों के बच्चे भी कितने होनहार हैं, इनकी दृष्टि कितनी व्यापक है, और कितनी गहराई से सोचते हैं, इसका उसमें दर्शन होता है। मुज़फ्फरनगर, उत्तरप्रदेश, वहाँ से गरिमा गुप्ता ने स्पर्धा में एक कविता लिखी है। और बढ़िया लिखा है उसने। उसने लिखा है –



अफ्रीका में नील नदी, सागर का नाम है ‘लाल’।
महाद्वीप विशाल है, प्रवासी भारतीय ख़ुशहाल।।



जैसे सिन्धु घाटी की सभ्यता, है भारत की पहचान।
नील नदी और कार्थेज हैं, अफ्रीकी सभ्यता में महान।।



गाँधी जी ने शुरू किया, अफ्रीका से आन्दोलन।
ऐसा चलाया जादू सब पर, जीत लिया सबका मन।।

जोहान्सबर्ग हो या किंग्स्टन, जिम्बाब्वे हो या चाड।
सब अफ्रीकी देशों में, मिलती है हमारी आलू-चाट।।

लिखने को तो लिख डालूँ, पंक्ति कई हज़ार।
अफ्रीका के जंगलों से, करती हूँ मैं प्यार।।



वैसे कविता तो बहुत लम्बी है, लेकिन मैंने कुछ ही चीज़ों को आपको सुनाया है। वैसे तो ये Summit Indo-Africa है। लेकिन जन-जन को जोड़ने का कैसा अवसर बनता है, ये साफ़-साफ़ हमें दिखाई देता है। मैं गरिमा को, इसमें हिस्सा लेने वाले सभी बालकों को, 1600 से अधिक स्कूलों को और HRD Ministry को बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ।

मैंने 15 अगस्त को पिछली बार सांसद आदर्श ग्राम योजना के संबंध में एक प्रस्ताव रखा था। उसके बाद बहुत सारे सांसद मित्रों ने इस काम को साकार किया। बड़े मन से लगे रहे। पिछले महीने भोपाल में एक कार्यशाला हुई। जिसमें जहाँ ये आदर्श ग्राम हो रहे हैं, वहाँ के प्रधान, वहाँ के कलेक्टर, वहाँ के कुछ सांसद, भारत-सरकार, राज्य-सरकार सबने मिल कर के आदर्श ग्राम योजना के विषय पर गहरी चर्चा की। किस प्रकार की नई-नई चीज़ें ध्यान में आईं और बड़ी ही उत्साहवर्धक ध्यान में आईं। कुछ चीजें ज़रूर मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ... झारखण्ड, एक प्रकार से काफ़ी बड़ा प्रदेश, आदिवासी क्षेत्र है। दुर्भाग्य से माओवाद, उग्रपंथ, बम-बन्दूक, लहू-लुहान धरती झारखण्ड की जब बात आती है तो ये सारी बात सुनाई देती हैं। इन वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव के तहत वहाँ के कई इलाके बर्बाद हुए हैं।लेकिन वहाँ के हमारे सांसद, वैसे बहुत बड़े वरिष्ठ हैं, कभी संसद में डिप्टी-स्पीकर भी रहे हैं, श्रीमान करिया मुंडा जी, आदिवासियों के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी खपाई हुई है। उन्होंने झारखण्ड के कुंती ज़िला के परसी ग्राम पंचायत को आदर्श ग्राम बनाने के लिए चुना। उग्रवादी, वामपंथी का राज जहाँ चलता था वहाँ सरकारी मुलाज़िमों के लिए जाना भी मुश्किल था। डॉक्टर तक जा नहीं पाते थे। उन्होंने खुद जाना-आना शुरू किया, लोगों में विश्वास पैदा किया, सरकारी व्यवस्थाओं में प्राण भरने की कोशिश की। आधिकारियों को आने के लिए प्रोत्साहित किया और एक लम्बे अरसे से उदासीनता का जो माहौल था, उसमें कुछ कर गुजरने की इच्छा पैदा की। आदर्श ग्राम में Infrastructure के और व्यवस्थाओं के साथ-साथ ये जन-चेतना जगाने का एक बड़ा ही सफल प्रयास, झारखण्ड के इस परसी गाँव में हुआ। मैं आदरणीय सांसद श्रीमान करिया मुंडा जी को बधाई देता हूँ।

वैसी ही मुझे एक ख़बर मिली आंध्र से। आंध्र के सांसद अशोक गजपति राजू जी आदर्श ग्राम की योजना में वो खुद खप गए और उन्होंने आंध्र-प्रदेश के विजयानगरम ज़िले के द्वारापुड़ी ग्राम पंचायत को आदर्श ग्राम के लिए चुना। बाकी व्यवस्था तो हो रही है, लेकिन, उन्होंने एक बड़ा विशेष innovative काम किया। उन्होंने वहाँ के स्कूलों में जो विद्यार्थी पढ़ते हैं उनको एक काम दिया क्योंकि गाँव में नई पीढ़ी तो शिक्षा के लिए भाग्यशाली बनी है लेकिन गाँव की पुरानी पीढ़ी निरक्षर है तो उन्होंने जो बड़ी आयु के बच्चे थे उनको कहा कि अब हर दिन आपको अपने माँ-बाप को इस क्लास में पढ़ाना है और वो स्कूल एक प्रकार से सुबह बच्चों के लिए शिक्षा, और शाम को बच्चों को शिक्षक बनाने वाली शिक्षा देता है। और क़रीब-क़रीब पांच सौ पचास प्रौढ़ निरक्षर को इन्हीं बच्चों ने पढ़ाया, उनको साक्षर किया। देखिये, समाज में कोई बजट नहीं, कोई Circular नहीं, कोई ख़ास व्यवस्था नहीं, लेकिन, इच्छा-शक्ति से कितना बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है वे द्वारापुड़ी ग्राम पंचायत से देखने को मिल रहा है।

वैसे ही एक हमारे आदरणीय सांसद श्रीमान सी. एल. रुवाला, ये मिज़ोरम के सांसद है, नॉर्थ-ईस्ट... उन्होंने ख्वालाहीलंग गाँव को आदर्श ग्राम के लिए चुना और उन्होंने एक विशेष काम किया।ये गाँव, सुगरकेन, गन्ने के उत्पादन के लिए तथा राज्य में कुर्तायी गुड़ के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है। श्रीमान रुवाला जी ने गाँव में 11 मार्च को कुर्तायी कुट Sugarcane Festival शुरू किया।सभी क्षेत्र के लोग उसमें एकजुट हो गये। पुराने सार्वजनिक जीवन के लोग भी आये, वहाँ से निकले हुए सरकारी अधिकारी भी आये और गन्ने के उत्पादन की बिक्री बढ़े उसके लिए एक प्रदर्शनी भी लगाई गयी।गाँव को आर्थिक गतिविधि का केंद्र कैसे बनाया जा सकता है, गाँव के ही उत्पादन का market कैसे किया जा सकता है। आदर्श गाँव के साथ-साथ एक आत्मनिर्भर गाँव बनाने का उनका प्रयास सचमुच में श्रीमान रुवाला जी अभिनन्दन के अधिकारी हैं।

मेरे प्यारे भाइयो-बहनों, मन की बात हो और स्वच्छता की बात न आये ऐसा कैसे हो सकता है। मुझे मुंबई से सविता राय ने एक टेलीफ़ोन के द्वारा सन्देश भेजा है “दिवाली की तैयारी के लिए हर साल हम अपने घरों को साफ़ करते हैं। इस दिवाली को हम अपने घरों के साथ-साथ अपने बाहर के वातावरण को भी स्वच्छ बनायें और उसे दिवाली के बाद भी स्वच्छ बनाये रखें।” उन्होंने सही बात पर ध्यान आकर्षित किया है। मैं आपको याद कराना चाहता हूँ मेरे प्यारे देशवासियो, गत वर्ष दिवाली के त्योहार के बाद हमारे देश के विशेष करके मीडिया ने एक बड़ी मुहिम चलायी और दिवाली के बाद जहाँ-जहाँ पटाखे पड़े थे वो सारी चीजें दिखाईं और उन्होंने कहा कि ये ठीक नहीं है।एक जागृति का अभियान चला लिया था सभी मीडिया वालों ने। और उसका परिणाम ये आया कि दिवाली के तुरंत बाद एक सफ़ाई का अभियान चल पड़ा था, अपने आप चल पड़ा था।तो आपकी बात सही है कि हम त्योहार के पहले जितनी चिंता करते हैं त्योहार के बाद भी करनी चाहिये।हर सार्वजनिक कार्यक्रम में करनी चाहिए। और मैं आज विशेष रूप से हिन्दुस्तान के सारे मीडिया जगत को अभिनन्दन करना चाहता हूँ। गत 2 अक्टूबर को महात्मा गाँधी जी की जन्म-जयंती पर और स्वच्छ-भारत अभियान के एक साल पर मुझे इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा ‘सफ़ाईगिरी सम्मलेन’ में शरीक़ होने का सौभाग्य मिला। उन्होंने Clean India Awards दिए और मैं भी देख रहा था कितने प्रकार की गतिविधि चल रही है। कैसे-कैसे लोग इसके लिए अपने आप को ‘वन लाइक वन मिशन’ की तरह काम कर रहे हैं। हमारे देश में कैसे-कैसे स्थान हैं जो इतना स्वच्छ रखे गये हैं।ये सारी बातें उजागर हुईं और मैंने उस समय इंडिया टी.वी. ग्रुप के उस सराहनीय काम को ह्रदय से बधाई दी थी। वैसे जब से स्वच्छता अभियान का मिशन चला है मैंने देखा है कि आंध्र, तेलंगाना से ETV Eenadu और ख़ास करके श्रीमान रामुजी राव उनकी आयु तो बहुत है लेकिन उनका जो उत्साह है वो किसी नौजवान से भी कम नहीं है। और उन्होंने स्वच्छता को अपना एक पर्सनल प्रोग्राम बना दिया है, मिशन बना दिया है। ETV के माध्यम से लगातार पिछले एक साल से उस स्वच्छता के काम को promote कर रहे हैं, उनके अखबारों में उसकी ख़बरें रहती हैं और सकारात्मक ख़बरों पर ही वो बल दे रहे हैं स्वच्छता के संबंध में। और उन्होंने क़रीब-क़रीब 55-56 हज़ार स्कूलों के लगभग 51 लाख बच्चों को आंध्र और तेलंगाना के अन्दर इस काम में जोड़ा।सार्वजनिक स्थल हो, स्टेशन हो, धार्मिक स्थान हो, हॉस्पिटल हो, पार्क हो, कई जगह पर स्वच्छता का बड़ा अभियान चलाया।अब ये ख़बरें अपने आप में स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने की ताकत के दर्शन देती है।

ABP News ने ‘ये भारत देश है मेरा’ नाम से प्रोग्राम शुरू किया और उन्होंने लोगों में सफ़ाई के प्रति कैसी जागरूकता आई है इसको highlight कर के देशवासियों को प्रशिक्षित करने का काम किया। NDTV ने ‘बनेगा स्वच्छ इंडिया’ नाम से मुहिम चलायी। दैनिक जागरण, उन्होंने भी लगातार इस अभियान को आगे बढ़ाया है।ज़ी परिवार ने India TV का ‘मिशन क्लीन इंडिया’। हमारे देश के सैकड़ों चैनल हैं, हजारों अख़बार हैं। हर एक ने, मैं सब के नाम नहीं ले पा रहा हूँ समय के अभाव से, लेकिन इस अभियान को चलाया है।और इसलिए सविता राय जी आपने जो सुझाव दिया है आज पूरा देश इस काम को अपना मान रहा है और उसे आगे बढ़ा रहा है। मेघालय से, वहाँ के हमारे राज्यपाल श्रीमान शंमुगनाथन, उन्होंने मुझे एक चिट्टी लिखी है और चिट्टी लिख कर के मुझे मेघालय के मावल्यन्न्नोंग गाँव का ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि पिछले कई वर्षों से इस गाँव ने स्वच्छता का एक बीड़ा उठा करके रखा हुआ है। और क़रीब-क़रीब हर पीढ़ी इस स्वच्छता के विषय में पूरी तरह समर्पित है। और कहते हैं कि आज से कुछ वर्ष पहले उनको एशिया के ‘Cleanest Village’ के रूप में अवार्ड मिला था। ये सुन करके मुझे ख़ुशी हुई कि हमारे देश में दूर-सुदूर नॉर्थ-ईस्ट में, मेघालय में भी कोई गाँव है जो सफ़ाई के क्षेत्र में कई वर्षों से लगा हुआ है।वहाँ के नागरिकों का ये स्वाभाव बन गया है, गाँव का ये संस्कार बन गया है।यही तो है, हम सब को विश्वास पैदा करता है कि हमारा देश ज़रूर स्वच्छ होगा।देशवासियों के प्रयत्नों से होगा और 2019 में जब हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाएँगे तब हम सीना तान करके गौरव से सवा सौ करोड़ देशवासी कह पाएँगे, देखिये हमने हमारी भारत माता को गंदगी से मुक्त कर दिया।

मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने 15 अगस्त को लाल किले से ये कहा था कि कुछ बातें हैं जहाँ भ्रष्टाचार घर कर गया है।ग़रीब व्यक्ति जब छोटी-छोटी नौकरी के लिए जाता है, किसी की सिफ़ारिश के लिए पता नहीं क्या-क्या उसको कष्ट झेलने पड़ते हैं और दलालों की टोली कैसे-कैसे उनसे रूपये हड़प लेती है।नौकरी मिले तो भी रुपये जाते हैं, नौकरी न मिले तो भी रुपये जाते हैं।सारी ख़बरें हम सुनते थे।और उसी में से मेरे मन में एक विचार आया था कि छोटी-छोटी नौकरियों के लिए interview की क्या ज़रूरत है।मैंने तो कभी सुना नहीं है कि दुनिया में कोई ऐसा मनोवैज्ञानिक है जो एक मिनट, दो मिनट के interview में किसी व्यक्ति को पूरी तरह जाँच लेता है।और इसी विचार से मैंने घोषणा की थी कि क्यों न हम ये छोटी पायरी की नौकरियाँ है, वहाँ पर, interview की परम्परा ख़त्म करें।

मेरे प्यारे युवा मित्रो, मैं आज गर्व से कहना चाहता हूँ कि सरकार ने सारी प्रक्रिया पूर्ण कर ली और केंद्र सरकार के ग्रुप ‘डी’, ग्रुप ‘सी’ और ग्रुप ‘बी’ के Non-Gazetted पदों में अब भर्ती के लिए साक्षात्कार नहीं होगा, interview नहीं होगाI 1 जनवरी, 2016 ये लागू हो जायेगाI अभी जहाँ प्रक्रिया चल रही है उसमें कोई रुकावट हम नहीं करेंगे, लेकिन, 1 जनवरी, 2016 से ये लागू हो जायेगा।तो सभी युवा मित्रों को मेरी शुभकामना हैI

वैसे ही, पिछले बज़ट में हमने एक महत्वपूर्ण योजना घोषित की थी। हमारे देश में सोना एक प्रकार से सामाजिक जीवन का हिस्सा बन गया है। गोल्ड आर्थिक सुरक्षा का माध्यम माना गया है। संकट समय की चाबी गोल्ड माना गया है। अब ये समाज-जीवन में सदियों से आ रही परंपरा है। सोने का प्यार, मैं नहीं मानता हूँ उसको कोई कम कर सकता है। लेकिन, सोने को dead-money के रूप में पड़े रखना ये तो आज के युग में शोभा नहीं देता है। सोना शक्ति बन सकता है। सोना आर्थिक शक्ति बन सकता है। सोना देश की आर्थिक संपत्ति बन सकता है।और हर भारतवासी को इसमें योगदान देना चाहिए। आज मुझे खुशी है कि बजट में जो हमने वायदा किया था, इस दीवाली के त्योहार में और जबकि धनतेरस और लोग उस दिन खासरूप से सोना खरीदते हैं, तो, उसके पूर्व ही हम महत्वपूर्ण योजनाओं को लॉन्च करने जा रहे हैं। ‘Gold Monetisation Scheme’ हम लाए हैं। इसके अंतर्गत आप अपना गोल्ड बैंक में जमा कर सकते हैं और बैंक उस पर आपको ब्याज देगी जैसे कि आप अपने पैसे जमा करें और ब्याज मिलता है। पहले गोल्ड लॉकर में रखते थे और लॉकर का किराया हमें देना पड़ता था। अब गोल्ड बैंक में रखेंगे और पैसा बैंक आपको ब्याज के रूप में देगा। कहिये देशवासियो अब सोना संपत्ति बन सकता है कि नहीं बन सकता है? सोना Dead-Money से एक जीवंत ताकत के रूप में परिवर्तित हो सकता है कि नहीं हो सकता है? बस... यही तो काम हमें करना है आप मेरा साथ दीजिये। अब घर में गोल्ड मत रखिए। उसकी सुरक्षा और उसका ब्याज दो-दो फायदे। ज़रूर लाभ उठाइये। दूसरी एक बात है Sovereign gold Bonds में आप के हाथ में सोने की लगड़ी तो नहीं आती है। एक कागज़ आता है, लेकिन उस कागज़ का मूल्य उतना ही है, जितना कि सोने का है। और जिस दिन वो आप काग़ज वापस करोगे, वापिस करने के दिन सोने का जितना मूल्य होगा, उतना ही पैसा आपको वापिस दिया जायेगा। यानि मान लीजिये आज आपने 1000 रूपये के सोने के दाम के हिसाब से ये स्वर्णिम बांड लिया और पांच साल के बाद आप बांड वापिस करने गए और उस समय सोने का दाम ढाई हज़ार रूपये है। तो उस काग़ज के बदले में आपको ढाई हज़ार रूपये मिलेंगे। तो ये इसका हम प्रारंभ कर रहे हैं। इसके कारण अब हमें सोना खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सोना संभालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सोना कहाँ रखें उसकी चिंता हट जाएगी, और काग़ज को तो चोरी करने कोई आएगा भी नहीं। तो मैं सुरक्षा की गारंटी वाली ये स्कीम आने वाले हफ़्ते में ज़रूर देशवासियों के सामने रखूँगा। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम ‘गोल्ड क्वाईन’ भी ला रहे हैं। अशोक चक्र वाला Gold Coin. आज़ादी को करीब-करीब 70 साल हुए, लेकिन अब तक हम Foreign Gold Coin का ही उपयोग करते रहे हैं या Gold Bullion Bars ये भी विदेशी उपयोग करते रहे हैं। हमारे देश का स्वदेशी मार्का क्यों नहीं होना चाहिए और इसीलिए आने वाले वाले हफ्ते में और धनतेरस के पूर्व जो धनतेरस से सामान्य नागरिकों को उपलब्ध हो जाएगा। पांच ग्राम और दस ग्राम का अशोक चक्र वाला भारतीय सोने का सिक्का शुरू किया जा रहा है। इसके साथ ही बीस ग्राम का Gold Gunion भी लोगों के लिए उपलब्ध होगा। मुझे विश्वास है कि नई स्कीम एक आर्थिक विकास की दिशा में नया परिवर्तन लाएगी और मुझे आपका सहयोग मिलेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो 31 अक्टूबर को लौह-पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म-जयंती है। “एक भारत श्रेष्ठ भारत”। सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करते ही पूरा भारत का मानचित्र सामने आता है। भारत की एकता के लिए इस महापुरुष ने बहुत बड़ा योगदान किया है। लौह-पुरुष के रूप में अपने सामर्थ्य का परिचय दिलाया है। सरदार साहब को तो हम श्रद्धांजलि देंगे ही देंगे, लेकिन भारत को एक करने का उनका जो सपना था। भौगोलिक रूप से उन्होंने कर के दिखाया, लेकिन एकता का मंत्र ये निरंतर हमारे चिंतन का, व्यवहार का, अभिव्यक्ति का, माध्यम होना चाहिए। भारत विविधताओं से भरा हुआ है। अनेक पंथ, अनेक संप्रदाय, अनेक बोली, अनेक जाति, अनेक परिवेश, कितनी विविधताओं से भरा हुआ अपना भारत देश और ये विविधता ही तो है, जिसके कारण हमारी शोभा है। ये विविधता न होती तो शायद जिस शोभा के लिए हम गर्व करते हैं वो नहीं कर पाते। और इसलिये, विविधता ही एकता का मंत्र है।शान्ति, सद्भावना, एकता यही तो विकास की जड़ी-बूटी हैं। पिछले कई वर्षों से 31 अक्टूबर को देश के कई कोने में ‘Run for Unity’ के कार्यक्रम होते हैं। “एकता की दौड़”। मुझे भी पहले उसमें शरीक होने का सौभाग्य मिला है। मैंने सुना है इस बार भी चारों तरफ इसकी योजनाएँ बन रही हैं, लोग उत्साह से “एकता की दौड़” की तैयारी कर रहे हैं। “एकता की दौड़” ही सच्चे अर्थ में विकास की दौड़ है। दूसरे अर्थ में कहूँ तो विकास की दौड़ की गारंटी भी एकता की दौड़ है। आइये, सरदार साहब को श्रद्धांजलि दें। एकता के मंत्र को आगे बढ़ाएँ।

प्यारे भाई-बहनों, अब तो आप सब लोग दीवाली की तैयारियों में लगे होंगे, घर में सफाई होती होंगी। नई चीज़ें खरीदी जाती होंगी। दीपावाली का पर्व हमारे देश के हर कोने में अलग-अलग रूप से मनाया जाता है। दीपावली के पावन पर्व के लिए मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। लेकिन, दीवाली के दिनों में कुछ हादसे भी ध्यान में आते हैं। पटाखे फोड़ने के कारण या दीप के कारण आगजनी होती है। पटाखों के कारण बच्चों को बहुत नुकसान हो जाता है। मैं हर माँ-बाप से कहूँगा कि दीपावली का आनंद तो मनाएँ लेकिन ऐसा कोई अकस्मात् न हो जाये, हमारे परिवार की संतान का कोई नुकसान न हो जाये। आप ज़रूर इसकी भी चिंता करेंगे और सफाई तो करनी ही करनी है।

मेरे प्यारे देशवासियो, दीपावली के दूसरे दिन मुझे ब्रिटेन की यात्रा पर जाना है। मैं इस बार ब्रिटेन की मेरी यात्रा के लिए बहुत रोमांचित हूँ। और उसका एक विशेष कारण है।कुछ सप्ताह पूर्व मैं मुंबई में बाबा साहेब अम्बेडकर के ‘चैत्य-भूमि’ के पास एक भव्य स्मारक का शिलान्यास करने गया था और अब मैं लंदन में, जहाँ डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर रहते थे वो घर अब भारत की संपत्ति बन गया है, सवा-सौ करोड़ देशवासियों का प्रेरणा स्थान बन गया है, उसको विधिवत रूप से उदघाटन करने के लिए जा रहा हूँ। दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, पिछड़े हो, कठिनाइयों से जिंदगी गुजारा करने वाले किसी भी भारतीय के लिए बाबा साहेब अम्बेडकर का ये भवन इस बात की प्रेरणा देता है कि अगर इच्छा-शक्ति प्रबल हो तो संकटों को पार करके भी अपने जीवन को आगे बढ़ाया जा सकता है, शिक्षा प्राप्त की जा सकती है और यही जगह है, जिस जगह पर बैठ के बाबा साहेब अम्बेडकर ने तपस्या की थी। भारत सरकार भी और राज्य सरकारें भी समाज के इस प्रकार के वर्गों को दलित हो, आदिवासी हो, पिछड़े हो, ऐसे होनहार बच्चों को स्कालरशिप देती है जो विदेश पढ़ने जाते हैं। भारत सरकार भी होनहार दलित युवक-युवतियों को प्रोत्साहन देती है। मुझे विश्वास है कि जब ब्रिटेन में भारत के ऐसे हमारे बालक पढ़ने जाएँगे तो बाबा साहेब अम्बेडकर का ये स्थान उनके लिए तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा, प्रेरणा भूमि बन जाएगा और जीवन में कुछ सीखना लेकिन बाद में देश के लिए जीना, यही सन्देश तो बाबा साहेब अम्बेडकर ने दिया, जी कर के दिया। और इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि मेरी ब्रिटेन की यात्रा में, मैं विशेष रोमांचित हूँ, कई वर्षों से विषय उलझा पड़ा था और अब वो भवन सवा-सौ करोड़ देशवासियों की संपत्ति बनता हो, बाबा साहेब अम्बेडकर का नाम जुड़ा हो तो मेरे जैसे लोगों को कितना आनंद होगा, इसका आप अंदाज लगा सकते हैं। मुझे लंदन में एक और अवसर भी मिलने वाला है, भगवान विश्वेश्वर की प्रतिमा का अनावरण।अनेक वर्षों पहले भगवान विश्वेश्वर ने लोकतंत्र के लिए, empowerment of women के लिए जो काम किये थे वो दुनिया का एक सचमुच में अध्ययन करने वाला पहलू है। लंदन की धरती पर भगवान विश्वेश्वर की प्रतिमा का लोकार्पण ये अपने आप में सदियों पहले भारत के महापुरुष कैसा सोचते थे कितना लम्बा सोचते थे उसका एक उत्तम उदहारण है। तो आप जानते हैं कि जब ऐसी घटनाएँ जुड़ी हों तो हम सभी देशवासियों का मन रोमांचित हो उठता है I

मेरे प्यारे देशवासियों “मन की बात” के साथ आप जुड़े रहते हैं। टेलीफोन के द्वारा, MyGov.in के द्वारा आपके सुझाव मुझे मिलते रहते हैं। आपके पत्रों की बात में आकाशवाणी पर चर्चा भी होती है। सरकारी अधिकारियों को बुलाकर के चर्चा होती है। कुछ लोग अपनी समस्याएँ लिखते हैं, समस्याओं का समाधान करने का भी प्रयास होता है। भारत जैसे देश में हमें अनेक भाषाओं को सीखना चाहिये। कुछ भाषाएं तो मुझे सीखने का सौभाग्य मिला है लेकिन फिर भी इतनी भाषाएं हैं कि मैं कहां सीख पाया?नहीं। लेकिन फिर भी मैं आकाशवाणी का आभारी हूँ कि इस “मन की बात” को रात को 8 बजे हरेक राज्य की प्रादेशिक भाषा में वो प्रसारित करते हैं। भले ही वो आवाज़ किसी और की हो, लेकिन बात तो मेरे मन की होती है। आपकी भाषा में आप तक पहुँचने का भी रात को 8 बजे ज़रूर प्रयास करूँगा। तो एक अच्छा हम लोगों का नाता जुड़ गया है। पिछले समय मैं एक वर्ष पूर्ण कर रहा था आज हम नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। मेरे प्यारे देशवासियों को एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

जय हिंद।

 

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।