प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने #मन_की_बात के माध्यम से देश को संबोधित किया, जल संरक्षण पर विस्तार से बात की
शुद्ध पीने का पानी बेहतर स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था में वृद्धि का कारण बन जाता है: #मन_की_बात के दौरान पीएम मोदी
गंगा की सफाई और स्वच्छता आंदोलन को आगे ले जाने के लिए हमें “एजेंट ऑफ़ चेंज” बनना होगा: #मन_की_बात में प्रधानमंत्री मोदी
भारत सरकार और राज्य सरकारों ने साथ मिलकर दस दिवसीय ‘ग्राम उदय से भारत उदय’ अभियान चलाया: #मन_की_बात में प्रधानमंत्री
शिक्षा क्षेत्र में केवल विस्तार नहीं बल्कि सुधार करना महत्वपूर्ण; बच्चों को बेहतर शिक्षा की जरूरत: #मन_की_बात कार्यक्रम में पीएम मोदी
हमें अब ‘स्कूलिंग’से ज्यादा ‘लर्निंग’पर बल देना होगा: प्रधानमंत्री मोदी #मन_की_बात
टेक्नोलॉजी हमारी शिक्षा को सरल बनाएगी और निकट भविष्य में इसके परिणाम नज़र आएँगे: #मन_की_बात में पीएम मोदी
#मन_की_बात: पीएम मोदी ने लोगों से ‘नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप’ पर युवा नेतृत्व वाले विकास पर अपने विचार एवं सुझाव भेजने का आग्रह किया
मैं गरीबों के लिए एलपीजी सब्सिडी छोड़ने वाले 1 करोड़ परिवारों को धन्यवाद देता हूँ। यह एक बहुत बड़ी मिसाल है: #मन_की_बात में प्रधानमंत्री
#GiveItUp अभियान: पीएम मोदी ने #मन_की_बात कार्यक्रम में स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने वाले लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कुंभ मेले पर अपने विचार शेयर किए, मेले को पर्यटकों को आकर्षित करने का एक अवसर बताया

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। छुट्टियों में कई कार्यक्रम हर कोई बनाता है। और छुट्टियों में आम का season होता है, तो ये भी मन करता है कि आम का मज़ा लें और कभी ये भी मन करता है कि कुछ पल दोपहर को सोने का मौका मिल जाए, तो अच्छा होगा। लेकिन इस बार की भयंकर गर्मी ने चारों तरफ सारा मज़ा किरकिरा कर दिया है। देश में चिंता होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें भी, जब लगातार सूखा पड़ता है, तो पानी-संग्रह के जो स्थान होते हैं, वो भी कम पड़ जाते हैं। कभी-कभार encroachment के कारण, silting के कारण, पानी आने के जो प्रवाह हैं, उसमें रुकावटों के कारण, जलाशय भी अपनी क्षमता से काफी कम पानी संग्रहीत करते हैं और सालों के क्रम के कारण उसकी संग्रह-क्षमता भी कम हो जाती है। सूखे से निपटने के लिए पानी के संकट से राहत के लिए सरकारें अपना प्रयास करें, वो तो है, लेकिन मैंने देखा है कि नागरिक भी बहुत ही अच्छे प्रयास करते हैं। कई गाँवों में जागरूकता देखी जाती है और पानी का मूल्य क्या है, वो तो वही जानते हैं, जिन्होनें पानी की तकलीफ़ झेली है। और इसलिए ऐसी जगह पर, पानी के संबंध में एक संवेदनशीलता भी होती है और कुछ-न-कुछ करने की सक्रियता भी होती है। मुझे कुछ दिन पहले कोई बता रहा था कि महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के हिवरे बाज़ार ग्राम पंचायत और वहाँ के गाँव वालों ने पानी को गाँव के एक बहुत बड़े संवेदनशील Issue के रूप में address किया। जल संचय करने की इच्छा करने वाले तो कई गाँव मिल जाते हैं, लेकिन इन्होंने तो किसानों के साथ बातचीत करके पूरी cropping pattern बदल दी। ऐसी फसल, जो सबसे ज्यादा पानी उपयोग करती थी, चाहे गन्ना हो, केला हो, ऐसी फसलों को छोड़ने का निर्णय कर लिया। सुनने में बात बहुत सरल लगती है, लेकिन इतनी सरल नहीं है। सबने मिल करके कितना बड़ा संकल्प किया होगा? किसी कारख़ाना वाला पानी का उपयोग करता हो, कहोगे, तुम कारख़ाना बंद करो, क्योंकि पानी ज्यादा लेते हो, तो क्या परिणाम आएगा, आप जानते हैं। लेकिन ये मेरे किसान भाई, देखिए, उनको लगा कि भाई, गन्ना बहुत पानी लेता है, तो गन्ना छोड़ो, उन्होंने छोड़ दिया। और पूरा उन्होंने fruit और vegetable, जिसमें कम-से-कम पानी की ज़रूरत पड़ती है, ऐसी फसलों पर चले गए। उन्होंने sprinkler, drip Irrigation, टपक सिंचाई, water harvesting, water recharging - इतने सारे Initiative लिये कि आज गाँव पानी के संकट के सामने जूझने के लिए अपनी ताकत पर खड़ा हो गया। ठीक है, मैं एक छोटे से गाँव हिवरे बाज़ार की चर्चा भले करता हूँ, लेकिन ऐसे कई गाँव होंगे। मैं ऐसे सभी गाँववासियों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ आपके इस उत्तम काम के लिए।

मुझे किसी ने बताया कि मध्य प्रदेश में देवास ज़िले में गोरवा गाँव पंचायत। पंचायत ने प्रयत्न करके farm pond बनाने का अभियान चलाया। करीब 27 farm ponds बनाए और उसके कारण ground water level में बढ़ोत्तरी हुई, पानी ऊपर आया। जब भी पानी की ज़रूरत पड़ी फ़सल को, पानी मिला और वो मोटा-मोटा हिसाब बताते थे, करीब उनकी कृषि उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई। तो पानी तो बचा ही बचा और जब पानी का water table ऊपर आता है, तो पानी की quality में भी बहुत सुधार होता है। और दुनिया में ऐसा कहते हैं, शुद्ध पीने का पानी GDP growth का कारण बन जाता है, स्वास्थ्य का तो बनता ही बनता है। कभी-कभार तो लगता है कि जब भारत सरकार रेलवे से पानी लातूर पहुँचाती है, तो दुनिया के लिए वो एक ख़बर बन जाती है। ये बात सही है कि जिस तेज़ी से railway ने काम किया, वो बधाई की पात्र तो है, लेकिन वो गाँव वाले भी उतने ही बधाई के पात्र हैं। मैं तो कहूँगा, उससे भी ज्यादा बधाई के पात्र हैं। लेकिन ऐसी अनेक योजनाएँ, नागरिकों के द्वारा चलती हैं, वो कभी सामने नहीं आती हैं। सरकार की अच्छी बात तो कभी-कभी सामने आ भी जाती है, लेकिन कभी हम अपने अगल-बगल में देखेंगे, तो ध्यान में आएगा कि सूखे के खिलाफ़ किस-किस प्रकार से लोग, नये-नये तौर-तरीके से, समस्या के समाधान के लिए प्रयास करते रहते हैं।

मनुष्य का स्वभाव है, कितने ही संकट से गुजरता हो, लेकिन कहीं से कोई अच्छी ख़बर आ जाए, तो जैसे पूरा संकट दूर हो गया, ऐसा feel होता है। जब से ये जानकारी सार्वजनिक हुई कि इस बार वर्षा 106 प्रतिशत से 110 प्रतिशत तक होने की संभावना है, जैसे मानो एक बहुत बड़ा शान्ति का सन्देश आ गया हो। अभी तो वर्षा आने में समय है, लेकिन अच्छी वर्षा की ख़बर भी एक नयी चेतना ले आयी।

लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, अच्छी वर्षा होगी, ये समाचार जितना आनंद देता है, उतना ही हम सबके लिए एक अवसर भी देता है, चुनौती भी देता है। क्या हम गाँव-गाँव पानी बचाने के लिये, एक अभी से अभियान चला सकते हैं! किसानों को मिट्टी की जरुरत पड़ती है, खेत में वो फसल के नाते काम आती है। क्यों न हम इस बार गाँव के तालाबों से मिट्टी उठा-उठा करके खेतों में ले जाएँ, तो खेत की ज़मीन भी ठीक होगी, तो उसकी जल-संचय की ताकत भी बढ़ जायेगी। कभी सीमेंट के बोरे में, कभी fertilizer के खाली बोरे में, पत्थर और मिट्टी भरके जहाँ से पानी जाने के रास्ते हैं, उस पानी को रोका जा सकता है क्या? पाँच दिन पानी रुकेगा, सात दिन पानी रुकेगा, तो पानी ज़मीन में जाएगा। तो ज़मीन में पानी के level ऊपर आयेंगे। हमारे कुओं में पानी आएगा। जितना पानी हो सकता है, रोकना चाहिए। वर्षा का पानी, गाँव का पानी गाँव में रहेगा, ये अगर हम संकल्प करके कुछ न कुछ करें और ये सामूहिक प्रयत्नों से संभव है। तो आज भले पानी का संकट है, सूखे की स्थिति है, लेकिन आने वाला महीना – डेढ़ महीने का हमारे पास समय है और मैं तो हमेशा कहता हूँ, कभी हम पोरबंदर महात्मा गाँधी के जन्म-स्थान पर जाएँ, तो जो वहाँ अलग-अलग स्थान हम देखते हैं, तो उसमें एक जगह वो भी देखने जैसी है कि वर्षा के पानी को बचाने के लिए, घर के नीचे किस प्रकार के tank दो सौ-दो सौ साल पुराने बने हुए हैं और वो पानी कितना शुद्ध रहता था।

कोई श्रीमान कुमार कृष्णा, उन्होंने MyGov पर लिखा है और एक प्रकार से जिज्ञासा भी व्यक्त की है। वो कहते हैं कि हमारे रहते हुए कभी गंगा सफाई का अभियान संभव होगा क्या! उनकी चिंता बहुत स्वाभाविक है, क्योंकि करीब-करीब 30 साल से ये काम चल रहा है। कई सरकारें आईं, कई योजनायें बनीं, ढेर सारा खर्चा भी हुआ और इसके कारण, भाई कुमार कृष्णा जैसे देश के करोड़ों लोगों के मन में ये सवाल होना बहुत स्वाभाविक है। जो लोग धार्मिक आस्था में रहते हैं, उनके लिए गंगा मोक्षदायिनी है। लेकिन मैं उस माहात्म्य को तो स्वीकार करूंगा ही, पर इससे ज्यादा मुझे लगता है कि गंगा ये जीवनदायिनी है। गंगा से हमें रोटी मिलती है। गंगा से हमें रोज़ी मिलती है। गंगा से हमें जीने की एक नयी ताक़त मिलती है। गंगा जैसे बहती है, देश की आर्थिक गतिविधि को भी एक नयी गति देती है। एक भगीरथ ने गंगा तो हमें ला कर दे दी, लेकिन बचाने के लिए करोड़ों-करोड़ों भगीरथों की ज़रूरत है। जन भागीदारी के बिना ये काम कभी सफल हो ही नहीं सकता है और इसलिए हम सबने सफाई के लिए, स्वच्छता के लिए, एक change agent बनना पड़ेगा। बार-बार बात को दोहराना पड़ेगा, कहना पड़ेगा। सरकार की तरफ़ से कई सारे प्रयास चल रहे हैं। गंगा तट पर जो-जो राज्य हैं, उन राज्यों का भी भरपूर सहयोग लेने का प्रयास हो रहा है। सामाजिक, स्वैच्छिक संगठनों को भी जोड़ने का प्रयास हो रहा है। surface cleaning और Industrial प्रदूषण पर रोकने के लिए काफी कदम उठाए हैं। हर दिन गंगा में बड़ी मात्रा में, नालों के रास्ते से ठोस कचरा बह करके अन्दर आता है। ऐसे कचरे को साफ़ करने के लिए वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, पटना - ऐसे स्थानों पर trash skimmer पानी में तैरते-तैरते कचरा साफ़ करने का काम करते हैं। सभी local bodies को ये मुहैया कराया गया है और उनसे आग्रह किया गया है कि इसको लगातार चलाएँ और वहीं से कचरा साफ़ करते चलें। और पिछले दिनों मुझे जो बताया गया कि जहाँ बड़े अच्छे ढंग से प्रयास होता है, वहाँ तो तीन टन से ग्यारह टन तक प्रतिदिन कचरा निकाला जाता है। तो ये तो बात सही है कि इतनी मात्रा में गंदगी बढ़ने से रुक ही रही है। आने वाले दिनों में और भी स्थानों पर trash skimmer लगाने की योजना है और उसका लाभ गंगा और यमुना तट के लोगों को तुरंत अनुभव भी होगा। Industrial प्रदूषण पर नियन्त्रण के लिए pulp and paper, distillery एवं sugar Industry के साथ एक action plan प्लान बन गया है। कुछ मात्रा में लागू होना शुरू भी हुआ है। उसके भी अच्छे परिणाम निकलेंगे, ऐसा अभी तो मुझे लग रहा है।

मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मुझे बताया गया कि उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश, वहाँ जो distillery का जो discharge होता था, तो पिछले दिनों कुछ अफसर मुझे बता रहे थे कि zero liquid discharge की ओर उन्होंने सफलता पा ली है। Pulp and Paper Industry या Black liquor की निकासी लगभग पूरी तरह ख़त्म हो रही है। ये सारे इस बात के संकेत हैं कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं और एक जागरूकता भी बढ़ी है। और मैंने देखा है कि सिर्फ़ गंगा के तट के नहीं, दूर-सुदूर दक्षिण का भी कोई व्यक्ति मिलता है, तो ज़रूर कहता है कि साहब, गंगा सफ़ाई तो होगी न! तो यही एक जो जन-सामान्य की आस्था है, वो गंगा सफ़ाई में ज़रूर सफलता दिलाएगी। गंगा स्वच्छता के लिये लोग donation भी दे रहे हैं। एक काफ़ी अच्छे ढंग से इस व्यवस्था को चलाया जा रहा है।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज 24 अप्रैल है। भारत में इसे ‘पंचायती राज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन पंचायती राज व्यवस्था का हमारे देश में आरम्भ हुआ था और आज धीरे-धीरे पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था हमारी लोकतांत्रिक राजव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है।

14 अप्रैल बाबा साहब आंबेडकर की 125वीं जयंती हम मना रहे थे और आज 24 अप्रैल, ‘पंचायती राज दिवस’ मना रहे हैं। ये ऐसा सुभग संयोग था, जिस महापुरुष ने हमें भारत का संविधान दिया, उस दिन से लेकर के 24 तारीख़, जो कि संविधान की सबसे बड़ी मजबूत कड़ी है, वो हमारा गाँव - दोनों को जोड़ने की प्रेरणा और इसलिए भारत सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग के साथ 14 अप्रैल से 24 अप्रैल, 10 दिन ग्रामोदय से भारतोदय अभियान चलाया। ये मेरा सौभाग्य था कि 14 अप्रैल को बाबा साहब आंबेडकर जी के जन्मदिन मुझे बाबा साहब आंबेडकर का जन्म स्थान महू, वहाँ जाने का अवसर मिला। उस पवित्र धरती को नमन करने का अवसर मिला। और आज 24 तारीख़ को मैं झारखण्ड में, जहाँ हमारे अधिकतम आदिवासी भाई-बहन रहते हैं, उस प्रदेश में आज जा करके ‘पंचायती राज दिवस’ मनाने वाला हूँ और दोपहर को 3 बजे फिर एक बार ‘पंचायती राज दिवस’ पर मैं देश की सभी पंचायतों से बातचीत करने वाला हूँ। इस अभियान ने एक बहुत बड़ा जागरूकता का काम किया है। हिन्दुस्तान के हर कोने में गाँव के स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएँ कैसे मजबूत बनें? गाँव स्वयं आत्मनिर्भर कैसे बनें? ग्राम स्वयं अपने विकास की योजना कैसे बनाएँ? Infrastructure का भी महत्व हो, social Infrastructure का भी महत्व हो। गाँव में dropout न हों, बच्चे स्कूल न छोड़ दें, ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ अभियान सफलता पूर्वक चले। बेटी का जन्मदिन गाँव का महोत्सव बनना चाहिये, कई ऐसी योजनायें, कुछ गाँव में तो food donation का कार्यक्रम हुआ। शायद ही एक साथ हिन्दुस्तान के इतने गाँवों में इतने विविध कार्यक्रम 10 दिन चले हों, ये बहुत कम होता है। मैं, सभी राज्य सरकारों को, ग्राम प्रधानों को इस बात के लिए बधाई देता हूँ कि आपने बहुत ही मौलिक तरीक़े से नवीनता के साथ, इस पूरे अवसर को गाँव की भलाई के लिये, गाँव के विकास के लिये, लोकतंत्र की मज़बूती के लिये, एक अवसर में परिवर्तित किया। गाँवों में जो जागरूकता आयी है, वही तो भारत-उदय की गारंटी है। भारत-उदय का आधार ग्राम-उदय ही है और इसलिए ग्राम-उदय पर हम सब बल देते रहेंगे, तो इच्छित परिणाम प्राप्त करके ही रहेंगे।

मुम्बई से शर्मिला धारपुरे, आपने मुझे फ़ोन कॉल पर अपनी चिंता जतायी है: -

“प्रधानमंत्री जी नमस्कार, मैं, शर्मिला धारपुरे बोल रही हूँ, मुम्बई से। मेरा आपसे, स्कूल और college education के बारे में सवाल है। जैसे education sector में पिछले बहुत वर्षों से सुधार की जरुरत पाई गयी है। पर्याप्त स्कूलों का या colleges का न होना या फिर शिक्षा में education की quality न होना। ऐसा पाया गया है कि बच्चे अपना education पूरा भी कर लेते हैं, उन्हें फिर भी अक्सर basic चीज़ों के बारे में पता नहीं होता है। उससे हमारे बच्चे दुनिया की दौड़ में पीछे पड़ जाते हैं। इस बारे में आपके क्या विचार हैं और आप इस sector को किस तरह से इसमें सुधार लाना चाहते हैं? इसके बारे में कृपया हमें बताइए। धन्यवाद!”

ये चिंता बहुत स्वाभाविक है। आज हर परिवार में माँ-बाप का अगर पहला कोई सपना रहता है, तो वो रहता है बच्चों की अच्छी शिक्षा। घर-गाड़ी, सब बाद में विचार आता है और भारत जैसे देश के लिए जन-मन की ये भावना है, वो बहुत बड़ी ताक़त है। बच्चों को पढ़ाना और अच्छा पढ़ाना। अच्छी शिक्षा मिले, उसकी चिंता होना - ये और अधिक बढ़ना चाहिये, और अधिक जागरूकता आनी चाहिए। और मैं मानता हूँ, जिन परिवारों में ये जागरूकता होती है, उसका असर स्कूलों पर भी आता है, शिक्षकों पर भी आता है और बच्चा भी जागरूक होता जाता है कि मैं स्कूल में इस काम के लिए जा रहा हूँ। और इसलिये, मैं, सभी अभिभावकों से, माँ-बाप से सबसे पहले यह आग्रह करूँगा कि बच्चे के साथ, स्कूल की हो रही गतिविधियों से विस्तार से समय देकर के बातें करें। और कुछ बात ध्यान में आए, तो खुद स्कूल में जा करके शिक्षकों से बात करें। ये जो vigilance है, ये भी हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई बुराइयों को कम कर सकता है और जन भागीदारी से तो ये होना ही होना है। हमारे देश में सभी सरकारों ने शिक्षा पर बल दिया है और हर कोई सरकार ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास भी किया है। और ये भी सच्चाई है कि काफ़ी अरसे तक हम लोगों का ध्यान इसी बात पर रहा कि शिक्षा संस्थान खड़े हों, शिक्षा व्यवस्था का विस्तार हो, स्कूल बनें, colleges बनें, teachers की भर्ती हो, अधिकतम बच्चे स्कूल आएँ। तो, एक प्रकार से, शिक्षा को चारों तरफ़ फ़ैलाने का प्रयास, ये प्राथमिकता रही और ज़रूरी भी था, लेकिन अब जितना महत्व विस्तार का है, उससे भी ज़्यादा महत्व हमारी शिक्षा में सुधार का है। विस्तार का एक बहुत बड़ा काम हम कर चुके हैं। अब हमें, quality education पर focus करना ही होगा। साक्षरता अभियान से अब अच्छी शिक्षा, ये हमारी प्राथमिकता बनानी पड़ेगी। अब तक हिसाब-किताब outlay का होता था, अब हमें outcome पर ही focus करना पड़ेगा। अब तक स्कूल में कितने आये, उस पर बल था, अब schooling से ज़्यादा learning की ओर हमें बल देना होगा। Enrollment, enrollment, enrollment - ये मंत्र लगातार गूँजता रहा, लेकिन अब, जो बच्चे स्कूल में पहुंचे हैं, उनको अच्छी शिक्षा, योग्य शिक्षा, इसी पर हमने ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान सरकार का बजट भी आपने देखा होगा। अच्छी शिक्षा पर बल देने का प्रयास हो रहा है। ये बात सही है कि बहुत बड़ी लम्बी सफ़र काटनी है। लेकिन अगर हम सवा-सौ करोड़ देशवासी तय करें, तो, लम्बी सफ़र भी कट सकती है। लेकिन शर्मिला जी की बात सही है कि हम में आमूलचूल सुधार लाने की ज़रूरत है।

इस बार बजट में आपने देखा होगा कि लीक से हटकर के काम किया गया है। बजट के अन्दर, दस सरकारी University और दस Private University - उनको सरकारी बंधनों से मुक्ति देने का और challenge route पर उनको आने के लिए कहा है कि आइये, आप top most University बनने के लिए क्या करना चाहते हैं, बताइये। उनको खुली छूट देने के इरादे से ये योजना रखी गयी है। भारत की Universities भी वैश्विक स्पर्धा करने वाली University बन सकती है, बनानी भी चाहिए। इसके साथ-साथ जितना महत्व शिक्षा का है, उतना ही महत्व skill का है, उसी प्रकार से शिक्षा में technology बहुत बड़ा role play करेगी। Long Distance Education, technology - ये हमारी शिक्षा को सरल भी बनाएगी और ये बहुत ही निकट भविष्य में इसके परिणाम नज़र आएँगे, ऐसा मुझे विश्वास है।

बड़े लम्बे समय से एक विषय पर लोग मुझे पूछते रहते हैं, कुछ लोग web portal MyGov पर लिखते हैं, कुछ लोग मुझे NarendraModiApp पर लिखते हैं, और ज़्यादातर ये नौजवान लिखते हैं।

“प्रधानमंत्री जी नमस्कार! मैं मोना कर्णवाल बोल रही हूँ, बिजनौर से। आज के जमाने में युवाओं के लिए पढ़ाई के साथ-साथ sports का भी बहुत महत्व है। उनमें team spirit की भावना भी होनी चाहिए और अच्छे leader होने के गुण भी होने चाहिए, जिससे कि उनका overall holistic development हो। ये मैं अपने experience से कह रही हूँ, क्योंकि, मैं, खुद भी Bharat Scouts and Guides में रह चुकी हूँ और इसका मेरे जीवन में बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा। मैं चाहती हूँ कि आप ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को motivate करें। मैं चाहती हूँ कि सरकार भी ज़्यादा से ज़्यादा NCC, NSS और Bharat Scouts and Guides को promote करे।”

आप लोग मुझे इतने सुझाव भेजते रहते थे, तो एक दिन मुझे भी लगा कि मैं आप लोगों से बात करूँ कि इससे पहले मैं इन सबसे से बातचीत करूँ। तो आप ही लोगों का दबाव था, आप ही लोगों के सुझाव थे, उसका परिणाम ये हुआ कि मैंने ऐसी एक अभी meeting बुलायी, जिसमें NCC के मुखिया थे, NSS के थे, Scout and Guide के थे, Red Cross के थे, नेहरु युवा केंद्र के थे। और जब मैंने उनको पूछा कि पहले कब मिले थे, तो उन्होंने कहा, नहीं-नहीं भाई, हम तो देश आज़ाद होने के बाद इस प्रकार की meeting ये पहली हुई है। तो मैं सबसे पहले तो उन युवा-मित्रों का अभिनन्दन करता हूँ कि जिन्होंने मुझ पर दबाव डाला इन सारे कामों के संबंध में। और उसी का परिणाम है कि मैंने meeting की और मुझे लगा कि अच्छा हुआ कि मैं मिला। बहुत co-ordination की आवश्यकता लगी मुझे। अपने–अपने तरीक़े से बहुत-कुछ हो रहा है, लेकिन अगर सामूहिक रूप से, संगठित रूप से हमारे भिन्न-भिन्न प्रकार के संगठन काम करें, तो कितना बड़ा परिणाम दे सकते हैं। और कितना बड़ा फैलाव है उनका, कितने परिवारों तक ये पहुँचे हुए हैं। तो मुझे इनका व्याप देखकर के तो बड़ा ही समाधान हुआ। और उनका उमंग भी बहुत था, कुछ-न-कुछ करना था। और ये तो बात सही है कि मैं तो स्वयं ही NCC का Cadet रहा हूँ, तो मुझे मालूम है कि ऐसे संगठनों से एक नई दृष्टि मिलती है, प्रेरणा मिलती है, एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण पनपता है। तो मुझे तो बचपन में वो लाभ मिला ही मिला है और मैं भी मानता हूँ कि इन संगठनों में एक नया प्राण भरना चाहिये, नई ताक़त भरनी चाहिये। इस बार अब मैंने उनके सामने कुछ रखे हैं विषय। मैंने उनको कहा है कि भाई, इस season में जल-संचय का बड़ा काम हमारे युवा, सारे संगठन क्यों न करें। हम लोग प्रयास करके कितने block, कितने जिले, खुले में शौच जाना बंद करवा सकते हैं। Open defecation free कैसे कर सकते हैं? देश को जोड़ने के लिए ऐसे कौन से कार्यकर्मों की रचना कर सकते हैं, हम सभी संगठनों के common युवा-गीत क्या हो सकता है? कई बातें उनके साथ हुई हैं।

मैं आज आपसे भी आग्रह करता हूँ, आप भी मुझे बताइए, बहुत perfect सुझाव बताइए कि हमारे अनेक-अनेक युवा संगठन चलते हैं। उनकी कार्यशैली, कार्यक्रम में क्या नई चीज़ें जोड़ सकते हैं? मेरे NarendraModiApp पर आप लिखोगे, तो मैं उचित जगह पर पहुँचा दूँगा और मैं मानता हूँ कि इस meeting के बाद काफ़ी कुछ उन में गति आएगी, ऐसा तो मुझे लग रहा है और आपको भी उसके साथ जुड़ने का मन करेगा, ऐसी स्थिति तो बन ही जाएगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम सब को सोचने के लिए मज़बूर करने वाली बात मुझे करनी है। मैं इसे हम लोगों को झकझोरने वाली बात के रूप में भी देखता हूँ। आपने देखा होगा कि हमारे देश की राजनैतिक अवस्था ऐसी है कि पिछले कई चुनावों में इस बात की चर्चा हुआ करती थी कि कौन पार्टी कितने गैस के cylinder देगी? 12 cylinder कि 9 cylinder? ये चुनाव का बड़ा मुद्दा हुआ करता था। और हर राजनैतिक दल को लगता था कि मध्यमवर्गीय समाज को चुनाव की दृष्टि से पहुँचना है, तो Gas Cylinder एक बहुत बड़ाIssue है। दूसरी तरफ़, अर्थशास्त्रियों का दबाव रहता था कि subsidy कम करो और उसके कारण कई कमेटियाँ बैठती थीं, जिसमें गैस की subsidy कम करने पर बहुत बड़े प्रस्ताव आते थे, सुझाव आते थे। इन कमेटियों के पीछे करोड़ों रुपए के खर्च होते थे। लेकिन बात वहीं की वहीं रह जाती थी। यह अनुभव सबका है। लेकिन इसके बाहर कभी सोचा नहीं गया। आज मेरे देशवासियो, आप सब को मेरा हिसाब देते हुए मुझे आनंद होता है कि मैंने तीसरा रास्ता चुना और वो रास्ता था जनता-जनार्दन पर भरोसा करने का। कभी-कभी हम राजनेताओं को भी अपने से ज़्यादा अपनों पर भरोसा करना चाहिये। मैंने जनता-जनार्दन पर भरोसा करके ऐसे ही बातों-बातों में कहा था कि अगर आप साल भर के पंद्रह सौ, दो हज़ार रुपया खर्च का बोझ सहन कर सकते हैं, तो आप gas subsidy क्यों नहीं छोड़ देते, किसी ग़रीब के काम आएगी। ऐसे ही मैंने बात कही थी, लेकिन आज मैं बड़े गर्व के साथ कह सकता हूँ, मुझे नाज़ हो रहा है मेरे देशवासियों पर।

एक-करोड़ परिवारों ने स्वेच्छा से अपनी gas subsidy surrender कर दीI और ये एक करोड़ परिवार अमीर नहीं हैंI मैं देख रहा हूँ, कोई retired Teacher, retired Clerk, कोई किसान, कोई छोटा-सा दुकान चलाने वाला - ऐसे मध्यम-वर्ग, निम्न मध्यम-वर्ग के परिवार हैं, जिन्होंने छोड़ाI दूसरी विशेषता देखिए कि subsidy छोड़ने के लिए mobile phone की app से कर सकते थे, online कर सकते थे, telephone पर missed call करके कर सकते थे, बहुत तरीके थेI लेकिन, हिसाब लगाया गया तो पता चला कि इन एक-करोड़ परिवारों में 80 percent से ज्यादा लोग वो थे, जो स्वयं distributor के यहाँ ख़ुद गए, कतार में खड़े रहे और लिखित में देकर के उन्होंने अपनी subsidy surrender कर दीI

मेरे प्यारे देशवासियो, ये छोटी बात नहीं है। सरकार अगर कोई एक tax में थोड़ी-सी भी रियायत दे दे, छूट दे दे, तो हफ़्ते भर टी.वी. और अखबारों में उस सरकार की वाहवाही सुनाई देती हैI एक-करोड़ परिवारों ने subsidy छोड़ दी और हमारे देश में subsidy एक प्रकार से हक़ बन गया है, उसे छोड़ दियाI मैं सबसे पहले उन एक-करोड़ परिवारों को शत-शत नमन करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँI क्योंकि उन्होंने राजनेताओं को नये तरीके से सोचने के लिए मजबूर कर दिया हैI इस एक घटना ने देश के अर्थशास्त्रियों को भी नये तरीके से सोचने के लिए मजबूर कर दिया हैI और दुनिया के अर्थवेत्ता भी ऐसा होगा तो ऐसा होगा, ऐसा करेंगे तो वैसा निकलेगा, इस प्रकार जो आर्थिक समीकरण बनाते हैं, उनके लिये भी उनकी सोच की मर्यादाओं से बाहर की ये घटना है। इस पर कभी-न-कभी सोचना पड़ेगाI एक-करोड़ परिवारों का सब्सिडी छोड़ना, बदले में करोड़ों ग़रीब परिवारों को गैस सिलिंडर मिलनाI एक करोड़ परिवारों का सब्सिडी छोड़ने से रुपयों का बचत होना, ये बाहरी दृष्टि से बहुत सामान्य बातें हैं। असामान्य बात ये है कि जनता पर भरोसा रखकर के काम करें, तो कितनी बड़ी सिद्धि मिलती हैI मैं ख़ासकर के पूरे political class को आज आग्रह से कहना चाहूँगा कि हम हर जगह पर जनता पर भरोसा रखने वाली एक बात ज़रूर करें। आपने कभी सोचा नहीं होगा, वैसा परिणाम हमें मिलेगाI और हमें इस दिशा में जाना चाहिएI और मुझे तो लगातार लगता है कि जैसे मेरे मन में आया कि ये वर्ग 3 और 4 के Interview क्यों करें भईI जो अपना exam देकर के marks भेज रहा है, उस पर भरोसा करेंI कभी तो मुझे ऐसा भी लगता है कि हम कभी घोषित करें कि आज रेलवे की वो जो route है, उसमें कोई ticket checker नहीं रहेगाI देखिये तो, देश की जनता पर हम भरोसा करेंI बहुत सारे प्रयोग कर सकते हैंI एक बार देश की जनता पर हम भरोसा करें, तो अप्रतिम परिणाम मिल सकते हैंI खैर, ये तो मेरे मन के विचार हैं, इसको कोई सरकार का नियम तो नहीं बना सकते, लेकिन माहौल तो बना सकते हैंI और ये माहौल कोई राजनेता नहीं बना रहा हैI देश के एक करोड़ परिवारों ने बना दिया हैI

रवि करके किसी सज्जन ने मुझे पत्र लिखा है - “Good news every day”. वो लिख रहे हैं कि कृपया अपने अधिकारियों से कहिए कि हर दिन कोई एक अच्छी घटना के बारे में post करेंI प्रत्येक newspaper और news channel में हर breaking news, बुरी news ही होती हैI क्या सवा-सौ करोड़ आबादी वाले देश में हमारे आस-पास कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है? कृपया इस हालत को बदलिएI रवि जी ने बड़ा गुस्सा व्यक्त किया हैI लेकिन मैं मानता हूँ कि शायद वो मुझ पर गुस्सा नहीं कर रहे हैं, हालात पर गुस्सा कर रहे हैंI आप को याद होगा, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमेशा ये बात कहते थे कि अख़बार के पहले पन्ने पर सिर्फ़ positive ख़बरें छापिएI वे लगातार इस बात को कहते रहते थेI कुछ दिन पहले मुझे एक अख़बार ने चिट्ठी भी लिखी थीI उन्होंने कहा था कि हमने तय किया है कि सोमवार को हम एक भी negative ख़बर नहीं देंगे, positive ख़बर ही देंगेI इन दिनों मैंने देखा है, कुछ T.V. Channel positive ख़बरों का समय specially तय करके दे रहे हैंI तो ये तो सही है कि इन दिनों अब माहौल बना है positive ख़बरों काI और हर किसी को लग रहा है कि सही ख़बरें, अच्छी ख़बरें लोगों को मिलती रहेंI एक बात सही है कि बड़े-से-बड़ा व्यक्ति भी उत्तम-से-उत्तम बात बताए, अच्छे-से-अच्छे शब्दों में बताए, बढ़िया-से-बढ़िया तरीके से बताए, उसका जितना प्रभाव होता है, उससे ज्यादा कोई अच्छी ख़बर का होता हैI अच्छी ख़बर अच्छा करने की प्रेरणा का सबसे बड़ा कारण बनती हैI तो ये तो सही है कि जितना हम अच्छाई को बल देंगे, तो अपने आप में बुराइयों के लिए जगह कम रहेगीI अगर दिया जलायेंगे, तो अंधेरा छंटेगा ही - छंटेगा ही - छंटेगा हीI और इसलिए आप को शायद मालूम होगा, सरकार की तरफ़ से एक website चलाई जा रही है ‘Transforming India’. इस पर सकरात्मक ख़बरें होती हैंI और सिर्फ सरकार की नहीं, जनता की भी होती हैं और ये एक ऐसा portal है कि आप भी अपनी कोई अच्छी ख़बर है, तो उसमें आप भेज सकते हैंI आप भी उसमें contribute कर सकते हैं। अच्छा सुझाव रवि जी आपने दिया है, लेकिन कृपा करके मुझ पर गुस्सा मत कीजिएI हम सब मिल करके positive करने का प्रयास करें, positive बोलने का प्रयास करें, positive पहुँचाने का प्रयास करेंI

हमारे देश की विशेषता है - कुंभ मेलाI कुंभ मेला tourism के आकर्षण का भी केंद्र बन सकता हैI दुनिया के बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि इतने लंबे समय तक नदी के तट पर करोड़ों-करोड़ों लोग आएI शांतचित्त शांतिपूर्ण वातावरण में अवसर संपन्न होI ये घटनायें अपने आप में organisation की दृष्टि से, event management की दृष्टि से, जन भागीदारी की दृष्टि से बहुत बड़े नए मानक सिद्ध करने वाली होती हैंI पिछले दो दिन से मैं देख रहा हूँ कि कई लोग ‘सिंहस्थ कुंभ’ की तस्वीरें upload कर रहे हैंI मैं चाहूँगा कि भारत सरकार का tourism department, राज्य सरकार का tourism department इसकी competition करे ‘photo competition’. और लोगों को कहे कि बढ़िया से बढ़िया photo निकाल करके आप upload कीजिएI कैसा एक दम से माहौल बन जायेगा और लोगों को भी पता चलेगा कि कुंभ मेले के हर कोने में कितनी विविधताओं से भरी हुई चीज़ें चल रही हैं। तो ज़रूर इसको किया जा सकता हैI देखिये, ये बात सही है। मुझे बीच में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी मिले थे, वो बता रहे थे कि हमने स्वच्छता पर विशेष बल दिया है और स्वच्छता वहीं रहे, ऐसा नहीं, वहाँ से लोग स्वच्छता का संदेश भी ले के जाएँI मैं मानता हूँ, ये ‘कुंभ मेला’ भले धार्मिक-आध्यात्मिक मेला हो, लेकिन हम उसको एक सामाजिक अवसर भी बना सकते हैं। संस्कार का अवसर भी बना सकते हैंI वहाँ से अच्छे संकल्प, अच्छी आदतें लेकर के गाँव-गाँव पहुँचाने का एक कारण भी बन सकता हैI हम कुंभ मेले से पानी के प्रति प्यार कैसे बढ़े, जल के प्रति आस्था कैसे बढ़े, जल-संचय का संदेश देने में कैसे इस ‘कुंभ मेले’ का भी उपयोग कर सकते हैं, हमें करना चाहिएI

मेरे प्यारे देशवासियो, पंचायत-राज के इस महत्वपूर्ण दिवस पर, शाम को तो मैं आपको फिर से एक बार मिलूँगा ही मिलूँगा, आप सब का बहुत-बहुत धन्यवादI और हर-हमेश की तरह आपके मन की बात ने मेरे मन की बात के साथ एक अटूट नाता जोड़ा है, इसका मुझे आनंद हैI फिर एक बार बहुत-बहुत धन्यवादI

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Text of PM Modi's address to the Indian Community in Guyana
November 22, 2024
The Indian diaspora in Guyana has made an impact across many sectors and contributed to Guyana’s development: PM
You can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian: PM
Three things, in particular, connect India and Guyana deeply,Culture, cuisine and cricket: PM
India's journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability: PM
India’s growth has not only been inspirational but also inclusive: PM
I always call our diaspora the Rashtradoots,They are Ambassadors of Indian culture and values: PM

Your Excellency President Irfan Ali,
Prime Minister Mark Philips,
Vice President Bharrat Jagdeo,
Former President Donald Ramotar,
Members of the Guyanese Cabinet,
Members of the Indo-Guyanese Community,

Ladies and Gentlemen,

Namaskar!

Seetaram !

I am delighted to be with all of you today.First of all, I want to thank President Irfan Ali for joining us.I am deeply touched by the love and affection given to me since my arrival.I thank President Ali for opening the doors of his home to me.

I thank his family for their warmth and kindness. The spirit of hospitality is at the heart of our culture. I could feel that, over the last two days. With President Ali and his grandmother, we also planted a tree. It is part of our initiative, "Ek Ped Maa Ke Naam", that is, "a tree for mother”. It was an emotional moment that I will always remember.

Friends,

I was deeply honoured to receive the ‘Order of Excellence’, the highest national award of Guyana. I thank the people of Guyana for this gesture. This is an honour of 1.4 billion Indians. It is the recognition of the 3 lakh strong Indo-Guyanese community and their contributions to the development of Guyana.

Friends,

I have great memories of visiting your wonderful country over two decades ago. At that time, I held no official position. I came to Guyana as a traveller, full of curiosity. Now, I have returned to this land of many rivers as the Prime Minister of India. A lot of things have changed between then and now. But the love and affection of my Guyanese brothers and sisters remains the same! My experience has reaffirmed - you can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian.

Friends,

Today, I visited the India Arrival Monument. It brings to life, the long and difficult journey of your ancestors nearly two centuries ago. They came from different parts of India. They brought with them different cultures, languages and traditions. Over time, they made this new land their home. Today, these languages, stories and traditions are part of the rich culture of Guyana.

I salute the spirit of the Indo-Guyanese community. You fought for freedom and democracy. You have worked to make Guyana one of the fastest growing economies. From humble beginnings you have risen to the top. Shri Cheddi Jagan used to say: "It matters not what a person is born, but who they choose to be.”He also lived these words. The son of a family of labourers, he went on to become a leader of global stature.

President Irfan Ali, Vice President Bharrat Jagdeo, former President Donald Ramotar, they are all Ambassadors of the Indo Guyanese community. Joseph Ruhomon, one of the earliest Indo-Guyanese intellectuals, Ramcharitar Lalla, one of the first Indo-Guyanese poets, Shana Yardan, the renowned woman poet, Many such Indo-Guyanese made an impact on academics and arts, music and medicine.

Friends,

Our commonalities provide a strong foundation to our friendship. Three things, in particular, connect India and Guyana deeply. Culture, cuisine and cricket! Just a couple of weeks ago, I am sure you all celebrated Diwali. And in a few months, when India celebrates Holi, Guyana will celebrate Phagwa.

This year, the Diwali was special as Ram Lalla returned to Ayodhya after 500 years. People in India remember that the holy water and shilas from Guyana were also sent to build the Ram Mandir in Ayodhya. Despite being oceans apart, your cultural connection with Mother India is strong.

I could feel this when I visited the Arya Samaj Monument and Saraswati Vidya Niketan School earlier today. Both India and Guyana are proud of our rich and diverse culture. We see diversity as something to be celebrated, not just accommodated. Our countries are showing how cultural diversity is our strength.

Friends,

Wherever people of India go, they take one important thing along with them. The food! The Indo-Guyanese community also has a unique food tradition which has both Indian and Guyanese elements. I am aware that Dhal Puri is popular here! The seven-curry meal that I had at President Ali’s home was delicious. It will remain a fond memory for me.

Friends,

The love for cricket also binds our nations strongly. It is not just a sport. It is a way of life, deeply embedded in our national identity. The Providence National Cricket Stadium in Guyana stands as a symbol of our friendship.

Kanhai, Kalicharan, Chanderpaul are all well-known names in India. Clive Lloyd and his team have been a favourite of many generations. Young players from this region also have a huge fan base in India. Some of these great cricketers are here with us today. Many of our cricket fans enjoyed the T-20 World Cup that you hosted this year.

Your cheers for the ‘Team in Blue’ at their match in Guyana could be heard even back home in India!

Friends,

This morning, I had the honour of addressing the Guyanese Parliament. Coming from the Mother of Democracy, I felt the spiritual connect with one of the most vibrant democracies in the Caribbean region. We have a shared history that binds us together. Common struggle against colonial rule, love for democratic values, And, respect for diversity.

We have a shared future that we want to create. Aspirations for growth and development, Commitment towards economy and ecology, And, belief in a just and inclusive world order.

Friends,

I know the people of Guyana are well-wishers of India. You would be closely watching the progress being made in India. India’s journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability.

In just 10 years, India has grown from the tenth largest economy to the fifth largest. And, soon, we will become the third-largest. Our youth have made us the third largest start-up ecosystem in the world. India is a global hub for e-commerce, AI, fintech, agriculture, technology and more.

We have reached Mars and the Moon. From highways to i-ways, airways to railways, we are building state of art infrastructure. We have a strong service sector. Now, we are also becoming stronger in manufacturing. India has become the second largest mobile manufacturer in the world.

Friends,

India’s growth has not only been inspirational but also inclusive. Our digital public infrastructure is empowering the poor. We opened over 500 million bank accounts for the people. We connected these bank accounts with digital identity and mobiles. Due to this, people receive assistance directly in their bank accounts. Ayushman Bharat is the world’s largest free health insurance scheme. It is benefiting over 500 million people.

We have built over 30 million homes for those in need. In just one decade, we have lifted 250 million people out of poverty. Even among the poor, our initiatives have benefited women the most. Millions of women are becoming grassroots entrepreneurs, generating jobs and opportunities.

Friends,

While all this massive growth was happening, we also focused on sustainability. In just a decade, our solar energy capacity grew 30-fold ! Can you imagine ?We have moved towards green mobility, with 20 percent ethanol blending in petrol.

At the international level too, we have played a central role in many initiatives to combat climate change. The International Solar Alliance, The Global Biofuels Alliance, The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Many of these initiatives have a special focus on empowering the Global South.

We have also championed the International Big Cat Alliance. Guyana, with its majestic Jaguars, also stands to benefit from this.

Friends,

Last year, we had hosted President Irfaan Ali as the Chief Guest of the Pravasi Bhartiya Divas. We also received Prime Minister Mark Phillips and Vice President Bharrat Jagdeo in India. Together, we have worked to strengthen bilateral cooperation in many areas.

Today, we have agreed to widen the scope of our collaboration -from energy to enterprise,Ayurveda to agriculture, infrastructure to innovation, healthcare to human resources, anddata to development. Our partnership also holds significant value for the wider region. The second India-CARICOM summit held yesterday is testament to the same.

As members of the United Nations, we both believe in reformed multilateralism. As developing countries, we understand the power of the Global South. We seek strategic autonomy and support inclusive development. We prioritize sustainable development and climate justice. And, we continue to call for dialogue and diplomacy to address global crises.

Friends,

I always call our diaspora the Rashtradoots. An Ambassador is a Rajdoot, but for me you are all Rashtradoots. They are Ambassadors of Indian culture and values. It is said that no worldly pleasure can compare to the comfort of a mother’s lap.

You, the Indo-Guyanese community, are doubly blessed. You have Guyana as your motherland and Bharat Mata as your ancestral land. Today, when India is a land of opportunities, each one of you can play a bigger role in connecting our two countries.

Friends,

Bharat Ko Janiye Quiz has been launched. I call upon you to participate. Also encourage your friends from Guyana. It will be a good opportunity to understand India, its values, culture and diversity.

Friends,

Next year, from 13 January to 26 February, Maha Kumbh will be held at Prayagraj. I invite you to attend this gathering with families and friends. You can travel to Basti or Gonda, from where many of you came. You can also visit the Ram Temple at Ayodhya. There is another invite.

It is for the Pravasi Bharatiya Divas that will be held in Bhubaneshwar in January. If you come, you can also take the blessings of Mahaprabhu Jagannath in Puri. Now with so many events and invitations, I hope to see many of you in India soon. Once again, thank you all for the love and affection you have shown me.

Thank you.
Thank you very much.

And special thanks to my friend Ali. Thanks a lot.