प्रश्न 1: आपसे पहले राजीव गांधी पूर्ण बहुमत वाली सरकार के मुखिया थे। उनसे जब पूछा गया कि आपसे लोगों को क्या उम्मीदें हैं, तो उनका जवाब था - उम्मीदें डरावनी हैं। आपको भी एक साल हो गया। आप क्या सोचते हैं?

उत्तर: मैंने संभावनाएं देखी हैं और बड़ी बारीकी से देखी हैं। मैं मानता हूं कि इस देश में गरीब रहने की कोई वजह ही नहीं है। पिछड़े रहने का कोई कारण नहीं है। हमारे बाद जो देश आजाद हुए, वे अगर हमसे आगे निकल सकते हैं तो हम भी निकल सकते थे। देश में कोई कमी नहीं है। अब कहां गलत गए, कौन गलत गया, मैं इन विवादों में नहीं जाना चाहता। लेकिन जब मैं 15 अगस्‍त को स्‍वच्‍छ भारत की बात बता रहा था तो जानता था कि मैं कितना बड़ा जोखिम ले रहा हूं। पर मेरी कल्‍पना से ज्‍यादा उसे पसंद किया गया। यहां तक कि जो मीडिया अपने स्‍वभाव के चलते व्‍यवस्‍था विरोधी रुख रखता है, इस मुद्दे को उस मीडिया ने भी आगे बढ़कर हाथों-हाथ लिया। हर चैनल स्‍वच्‍छता के अभियान को चला रहा है। सबसे बड़ी बात यह कि मीडिया इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करने के बजाय लोगों को शिक्षित कर रहा है। आज हर घर में बच्‍चा मां-बाप को कहता है- ऐसा मत करो। मैं सच बताता हूं कि मुझे गंदगी से पीड़ा है। स्‍वच्‍छता का माहौल मैं बना पाऊंगा या नहीं, इसमें मुझे शक था। लेकिन लोगों ने इसे खुलकर अपना लिया है। इससे हमें पता चलता है कि देश की असली शक्ति कहां है।

अब सरकारी मशीनरी की शक्ति की बात। जब मैंने कहा कि मैं 26 जनवरी से पहले बैंक खाते खोलना चाहता हूं, तो सब चौंक गए कि जो काम 60 साल में नहीं हुआ, उसके बारे में ये आदमी क्‍या कह रहा है। लेकिन दिये गए समय से पहले करीब 100 दिनों में 25 दिसंबर तक ही लक्ष्‍य पूरा कर दिया गया। इस काम को उन्‍हीं बैंक कर्मचारियों ने कर दिखाया। इससे पता चलता है कि अगर सरकारी कर्मचारियों को स्‍पष्‍ट रोडमैप दिया जाए तो वह परिणाम देने की ताकत रखते हैं।

प्रश्न 2: पहले साल में आप क्या करना चाहते थे?

उत्तर: मेरे मन में था कि इतने बुरे दिन हैं, इतना बुरा काम हुआ है, इतनी बुरी सोच है, सब ठप्‍प पड़ा हुआ है। मैं दिल्‍ली के लिये नया था। दिल्‍ली मेरे लिए नयी थी। दिल्‍ली की सरकार से मेरा कोई ज्‍यादा संबंध भी नहीं था। मैं अफसरों को भी नहीं जानता था। तो मैंने छोटी-छोटी चीजों से काम शुरू किया। बड़ी चीजों की टेस्टिंग नहीं की। उसी से पता चलता है कि हमारी फ्रीक्‍वेंसी मिल रही है या नहीं। इससे मेरा आत्‍मविश्‍वास बढ़ा। जैसे समय पर कार्यालय जाना। इस बार में मैंने कोई सर्कुलर नहीं निकाला, बस खुद समय पर अपने दफ्तर जाने लग गया। मैंने देखा कि सभी ने समय पर आना शुरू कर दिया। अभी तक किसी को लेट होने के लिए नोटिस मैंने नहीं दिया है। मानवीय नजरिये से देखता हूं। ठीक है, कभी परिवार में मुसीबत आई होगी, बच्‍ची को स्‍कूल छोड़ने गया होगा, क्‍या उसके लिए उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। तो एक तरफ खुद अपने जीवन में अनुशासन, दूसरी तरफ औरों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण। मुख्‍यमंत्री के रूप में 13 साल का अनुभव बहुत काम आ रहा है।

प्रश्न 3: एक राज्य और देश की सरकार चलाने में आप क्या फर्क महसूस करते हैं?

उत्तर: मूलभूत बातों में कोई फर्क नहीं होता, क्‍योंकि आपको आखिरकार एक प्रशासन चलाना होता है, मानव संसाधन के प्रबंधन का काम करना होता है। लेकिन यहां कुछ विषय नये होते हैं, जैसे रक्षा और विदेश मामले। एक और बात राज्‍य में एक तरह से चेतन टीम होती है, यहां दिल्‍ली में संकलित टीम होती है। राज्‍यों से अफसर यहां आते हैं, दो-चार साल रहते हैं और वापस चले जाते हैं। दिल्‍ली के लिए अफसरों की अलग टीम बनानी होगी, जो 30-35 साल यहीं बिताये। आखिरकार टीम ही तो काम करती है।

प्रश्न 4: लोग ‘अच्छे दिन’ की बात पर लगातार आपकी आलोचना करते रहते हैं। अच्छे दिनों की आपकी परिभाषा क्या है और आप इसे ला पाने में कितने सफ़ल हुए हैं?

उत्तर: जब कोई बीमार होता है तो हम कहते हैं- चिंता मत करो, अच्‍छे हो जाओगे। यह बात हम उस ‘बुरे’ के संदर्भ में कहते हैं। अच्‍छे दिन की कल्‍पना उन बुराइयों से मुक्ति का पर्व है। मैं मानता हूं, इसे हमने सफलतापूर्वक किया है। हमारे आलोचकों ने पहले दिन से कमेंट करने शुरू कर दिए। रेल लेट आयी तो बोले- अच्‍छे दिन आए क्‍या। आपने टेलीफोन नहीं उठाया तो बोले- अच्‍छे दिन आए क्‍या। तो इस तरह हमारा मजाक बनाने की कोशिश हुई। उन्‍हें इसका अधिकार है। लेकिन अच्‍छा होता कि इन्‍होंने कभी कांग्रेस से पूछा होता कि आप तो 1970 से ‘गरीबी हटाओ’ कह रहे हो, बताओ उसका क्‍या हुआ? ईमानदारी तो इसी में है। अगर आप निष्‍पक्ष हैं, जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ कहा जाता है, उसे एक बार तो कांग्रेस से पूछना चाहिए था कि आप तो गरीबी हटाओ कह रहे थे, 415 लोग लेकर संसद में बैठे थे, एक परिवार के चार-चार लोग देश चला चुके हैं, क्‍या हुआ जी? मैं कोई बचाव नहीं कर रहा हूं, न ही यह चाहता हूं कि इसे विवाद में लाया जाए, लेकिन ‘अच्‍छे दिन’ सामान्‍य जीवन की परिभाषा है। मैंने यह बात तब के ‘बुरे दिनों’ के संदर्भ में कही थी। प्रधानमंत्री रहते मनमोहन सिंह जी ने भी कहा था, अच्‍छे दिन आएंगे। पर जब मैंने कहा तो वह लोकप्रिय हो गया। अच्‍छे दिनों की बात उन पुराने दिनों के संदर्भ में ही है। बुरे दिन- भ्रष्‍टाचार, घोटाले, नीतियों का अभाव, काला धन, कोयला घोटाला, 2जी स्‍पेक्‍ट्र्म; इन चीजों से देश परेशान था।

प्रश्न 5: और आपने पिछले एक साल में इसे बदला है?

उत्तर: अब इस तरह के कोई सवाल ही नहीं उठते। आज कोयले की नीलामी पर आपको क्या सुनने को मिलता है? कोयले की नीलामी से तीन लाख करोड़ सरकार के खजाने में आएंगे।

प्रश्न 6: आपने भ्रष्टाचार को कैसे साफ किया?

उत्तर: भ्रष्‍टाचार के मामले में सर्वोच्च स्‍तर पर ‘जीरो टालरेंस’ होना चाहिए लेकिन सिर्फ मेरा ईमानदार होना काफी नहीं है। ‘जीरो टालरेंस’ मेरी वाणी, व्‍यवहार, रीति-नीति सब में दिखना चाहिए और मैं अकेला पवित्र बनकर बैठूंगा तो देश नहीं चल सकता। आपको जो भी करना है, पहले उसकी नीति बनानी चाहिए। नीति को पारदर्शी होना चाहिए, ताकि ‘ग्रे एरिया’ कम से कम हो। मैं नहीं कह रहा कि वह जीरो हो। किसी भी इंसान के लिए ‘ग्रे एरिया’ जीरो करना संभव नहीं। पता नहीं कब कौन सी बात निकल आए। लेकिन जब गड़बड़ करने की संभावना कम होती है तो अफसर के पास भेदभाव करने के अवसर कम हो जाते हैं। जैसे हमने कोयले के लिए नीति बनायी। जिसे लेना है, वह नीलामी में हिस्‍सा ले। इसमें तकनीक का उपयोग किया, जिससे मीडिया के लोग भी सब जान-देख सकते हैं।

प्रश्न 7: भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या आप इस तरह के और उपाय करने जा रहे हैं?

उत्तर: एक उदाहरण एलईडी बल्‍ब का है। इसे 380 रुपये में खरीदा जाता था, हम 80 रुपये में खरीद रहे हैं। कहीं तो पैसे जाते होंगे। सीमेंट की बोरी पहले सरकार 360 रुपये में खरीदती थी, आज करीब 150 में खरीदी जा रही है। पैसा बचा या नहीं बचा। हो सकता है कि मेरे आंकड़े बिल्कुल न मिलते हों।

प्रश्न 8: काले धन के बारे में बताइए, आपने इस बारे में बहुत कड़ा कानून बनाया है।

उत्तर: देखिए, अब तक जो भी सत्ता में रहा, उनमें से किसी को भी काले धन के बारे में मुझ से सवाल करने का अधिकार ही नहीं है। उन्‍हीं के कार्यकाल में काले धन का कारोबार हुआ है। उन्‍होंने उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया, तभी तो हुआ है। दूसरे, सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद भी 3 साल तक एसआईटी नहीं बनायी। इसका मतलब यह कि उस सरकार ने काले धन के मालिकों को 3 साल तक बचने का मौका दिया। पैसे इधर-उधर करने का उनको मौका दिया। जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर उसी दिन एक्‍शन ले लिया होता तो देश की तिजोरी में अरबों-खरबों रुपये आ जाते। मेरी सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में पहला निर्णय काले धन को रोकने के लिए किया। एसआईटी ने काम करना शुरू कर दिया। सरकार की ओर से सारी जानकारी एसआईटी को दी जाती है। एसआईटी बंद लिफाफे में वह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देती है। मीडिया को नहीं देती। दूसरी बात, अगर मुझे काला धन लाना है तो दूसरे देशों से मदद लेनी होगी। जी-20 सम्‍मेलन में मैं पहली बार गया। इससे पहले दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं को मैंने अखबारों व टीवी में ही देखा था। उस जी-20 सम्‍मेलन में मैंने काले धन के लिए अलग से 2 पैराग्राफ डलवाए। मुझे इस बात की खुशी है कि जी-20 में पहली बार काले धन के मामले में सहयोग देने का निर्णय हुआ।

प्रश्न 9: क्या आपको विश्‍वास है कि काले धन वालों को आप पकड़ लेंगे और उनके नाम उजागर होंगे?

उत्तर: नाम तो हम सुप्रीम कोर्ट को ही देंगे, क्‍योंकि कानूनन हम बंधे हुए हैं। पर यह पक्‍का है कि हम किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं। हमने बड़ा कठोर कानून बनाया। कोई हिम्‍मत कर सकता है ऐसी। इसीलिए मैं कहता हूं कि पहले सत्‍ता में रह चुके किसी भी शख्‍स को काले धन को लेकर मुझसे सवाल करने का नैतिक अधिकार नहीं है। काले धन का कारण भी वही हैं और काले धन वालों को बचाने के लिए जिम्‍मेदार भी वही हैं।

प्रश्न 10: विपक्ष कहता है कि यह सूट-बूटकी सरकार है, कॉर्पोरेट की सरकार है?

उत्तर: मैं चाहूंगा कि 8-10 वरिष्‍ठ पत्रकार एक दिन का वर्कशॉप करके मेरी सरकार की जो भी आलोचना हुई है, उसे संकलित करें। किसी ने मोदी की परिभाषा दी, किसी ने अहंकारी बता दिया, किसी ने सूट तो किसी ने बूट की चर्चा की। किसी ने कोट तो किसी ने बाल की। इनका दिवालियापन देखिए कि सरकार की आलोचना करने के लिए इन्‍हें एक ठोस मुद्दा तक नहीं मिला। ये सरकार की सबसे बड़ी सफलता है। घूम-फिरकर एक ही आरोप लगाया जा रहा है कि पीएमओ मजबूत हो गया। दूसरा आरोप लगाते हैं कि मोदी अहंकारी हैं। तीसरा, मोदी क्‍या कपड़े पहनता है।

प्रश्न 11: पंजाब-हरियाणा के किसानों की समस्या को लेकर यह धारणा बनी है कि केंद्र व राज्य सरकारों ने फुर्ती नहीं दिखाई। यह चर्चा भी है कि आप किसानों से मिलकर उनके हाल-चाल जानने नहीं गये। इस बारे में क्या कहेंगे?

उत्तर: इस बारे में रिकार्ड देख लिया जाये। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री रहा हूं। गुजरात में तो हम हर वर्ष प्राकृतिक आपदा का सामना करते हैं। भारत सरकार को हम ज्ञापन दे-देकर थक गये, मेरी तरफ भारत सरकार ने कभी देखा नहीं। इस बार ओले गिरने के बाद भाजपा सरकार के मुख्‍यमंत्री किसानों से मिलने गये, पहली बार तुरंत अफसरों की टोलियां सर्वे करने के लिए भेजी गईं। कई वर्षों से एक विषय रहता था कि 50 प्रतिशत नुकसान हो तभी मुआवजा मिलता है। हम उसे 33 प्रतिशत पर ले आए हैं। यह किसान के जीवन से जुड़ा सबसे बड़ा निर्णय है। दूसरा, मुआवजा हमने डेढ़ गुना कर दिया। तीसरा, प्राकृतिक आपदा की वजह से जो अनाज खराब हो जाता था, उसे एमएसपी में नहीं खरीदा जाता था। हमने तय किया कि इस बार सब लेंगे और बिना किसी कटौती के लेंगे। ये वो निर्णय हैं, जिनका इंतजार किसान पिछले 60 साल से कर रहा था। मुझे बताइए, पिछले 10 साल में क्‍या कांग्रेस का कोई नेता किसानों के पास गया है? क्या तब कृषि संकट नहीं था? जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था तो जाता था। यहां मेरा काम है-जानकारी जुटाना, निर्णय करना, सरकारी तंत्र को हरकत में लाना, वह मैंने किया। मेरे मंत्री किसानों के पास गये। मैं नेपाल भी नहीं गया, लेकिन वहां मदद के लिए मैंने काम किया। फिर भी अगर मेरे देश को लगता है कि मैंने कुछ गलत किया तो मुझे इसे मानने में कोई संकोच नहीं। देश का किसान दुखी हो तो मैं कैसे सुखी हो सकता हूं।

प्रश्न 12: आपकी पार्टी ने पहले भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सहमति जतायी अब आप इसमें संशोधन करना चाहते हैं क्यों? लोग कहते हैं कि यह किसान विरोधी है और कॉर्पोरेट के हित में है

उत्तर: पहली बात यह कि अगर कोई कानून किसान विरोधी है जो 1896 से लागू है, उसे 60 साल तक इन लोगों ने क्‍यों चलाया? ऐसे लोग किसान विरोधी होने की बात कैसे कह सकते हैं। जिन्‍होंने देश के तीन लाख किसानों को आत्‍महत्‍या करने के लिए मजबूर किया है, उन्‍हें इस पर बोलने का जरा सा भी नैतिक अधिकार नहीं है। 120 साल पुराना कानून आपने चलने दिया। फिर राजनीति करने के लिए जल्‍दबाजी में कानून लाए। संसद में हमारी पार्टी ने जो सुझाव दिए, आपने मौखिक रूप में कहा कि उन्‍हें स्‍वीकार करेंगे। खासतौर से किसानों को सिंचाई की सुविधा के लिए। पर जब कानून बनाया तो इस सुझाव को निकाल दिया। जब हमारी सरकार बनी तो हमें लगा कि हम अध्‍यादेश नहीं लाते तो किसान और मर जाता। तो पिछली सरकार यह मजबूरी हमारे लिए छोड़कर गयी थी। दूसरी बात, सभी राज्‍यों के सभी दलों के मुख्‍यमंत्री हमसे मिले, केरल के भी। सबने कहा कि इस भूमि विधेयक से हमें बचाओ। हमारा संघीय ढांचा है। राज्‍यों की बात हमें सुननी होगी। हमारे विधेयक में एक भी ऐसी बात नहीं है जो किसानों के हित में न हो। पिछले विधेयक में सिंचाई के लिए जमीनें लेने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी। गांव के गरीब लोगों के लिए मकान बनाने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी। गांवों में सड़क बनाने की व्‍यवस्‍था नहीं थी। हमने इन्‍हीं बातों को शामिल किया है। आप देखेंगे कि विधेयक की मेरिट पर कोई बात नहीं कर रहा, सिर्फ छवि बिगाड़ने के लिए हल्‍ला किया जा रहा है।

प्रश्न 13: क्या आपको विश्वास है कि अपना संशोधित विधेयक पारित करवा लेंगे?

उत्तर: मेरे लिए यह जीवन-मरण का विषय नहीं है। प्रतिष्‍ठा का सवाल भी नहीं। यह मेरी पार्टी या सरकार का एजेंडा भी नहीं था। किसान का भला हो, यही मेरा एजेंडा है। राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने बदलाव का आग्रह किया और मुख्‍यमंत्री रहने के नाते संघीय ढांचे में मेरा विश्‍वास है। मुझे लगा कि राज्‍यों की चिंताओं को देखते हुए कुछ करना चाहिए। तो मैं जो बेहतर कर सकता था, मैंने किया। अभी भी मैं किसी के भी सुझाव लेने के लिए तैयार हूं।

प्रश्न 14: क्या किसानों के लिए आपके पास कोई नई योजना है?

उत्तर: किसान हमारे देश की रीढ़ हैं; आबादी का 60 फीसदी हिस्सा कृषि से संबंधित कार्य करता है। हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान केवल 15 फीसदी है। उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कृषि के आधुनिकीकरण की जरूरत है। हम मृदा स्वास्थ्य कार्ड लेकर आए जिससे किसानों को लागत कम करने में मदद मिलेगी और उत्पादकता में वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से सिंचाई क्षमता में सुधार होगा। किसानों को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए हमने जन-धन योजना की सफलतापूर्वक शुरुआत की जिसमें ओवरड्राफ्ट की भी सुविधा उपलब्ध है।

प्रश्न 15: पिछले एक साल में आपकी क्या-क्या उपलब्धियां रहीं?

उत्तर: मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ कि भ्रष्टाचार का एक भी मामला अभी तक नहीं आया है। हम देश की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं और यही हमारा मिशन है। हमारी नीतियों में पारदर्शिता, दक्षता और प्रभावशीलता है। आम आदमी के लिए आय एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और हाल ही में बड़े पैमाने पर सामाजिक सुरक्षा योजनाएं शुरू की गई हैं।

बुनियादी ढांचे के मामले में देखें तो पिछले साल हमने प्रति दिन 20 किमी से अधिक सड़कों के निर्माण के लिए परियोजनाएं शुरू की और प्रति दिन 11 किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाईं। बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष के मुकाबले 2014-15 में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अक्षय ऊर्जा पर जोर इस बात को दिखाता है कि हम न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। हाल ही में केंद्रीय बजट में सार्वजनिक निवेश के माध्यम से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1 लाख रुपये करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। ठप विद्युत परियोजनाओं और उर्वरक इकाइयों को फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाये गए हैं जो देश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हमने हर स्कूल में शौचालयों के निर्माण का कार्य शुरू किया। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के लगभग 68 साल बाद भी हमारे स्कूलों में शौचालय नहीं है। हमने सीधे बैंक हस्तांतरण के माध्यम से लाभार्थी के खातों में एलपीजी सब्सिडी और छात्रवृत्ति का वितरण शुरू किया ताकि गरीबों और जरूरतमंदों को आसानी हो। गंगा की सफ़ाई, कौशल विकास, सभी गांवों में मोबाइल और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, और ‘मेक इन इंडिया’ से विकास के नए रास्ते खुलेंगे। और यह तो सिर्फ शुरुआत है।

प्रश्न 16: महंगाई, रोजगार, उत्पादन में वृद्धि, निवेश एवं निर्यात आदि क्षेत्रों में हुई अब तक की प्रगति से क्या आप संतुष्ट हैं? अर्थव्यवस्था को आप कैसे गति देंगे और उसकी दिशा क्या रहेगी?

उत्तर: पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में कीमतें बढ़ी हुई थी और महंगाई भी अपने उच्चतम स्तर पर थी। हमने यह सुनिश्चित किया कि मांग और आपूर्ति दोनों क्षेत्र में महंगाई पर नियंत्रण हो। अभी महंगाई दर 5 प्रतिशत से भी नीचे है। आर्थिक मोर्चे पर हमारे प्रयासों को न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और ओईसीडी जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी सराहा गया है। हम जैसे ही सत्ता में आए, हमने जमाखोरी के खिलाफ सक्रिय कदम उठाए, बाजार में अतिरिक्त खाद्यान्न और उन आयातित वस्तुओं की आपूर्ति की जिनकी देश में कमी थी। इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और जो महंगाई दर 10-12 फीसदी थी, वो अब घटकर 5 प्रतिशत पर आ गई है।

हम जब सत्ता में आए थे तो अर्थव्यवस्था में कई समस्याएं थीं और स्थिति अत्यंत ख़राब थी। हमने सुधार के लिए कदम उठाए। पिछले वर्ष राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य निर्धारित था जिसे हमने घटाकर 4 प्रतिशत तक सीमित रखा। 39 प्रतिशत विदेशी निवेश बढ़ा है। एफआईआई 800 प्रतिशत बढ़ा है। विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है जो अब तक सबसे ज्यादा है। यह हमारी अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों के जबर्दस्त विश्वास को दिखाता है। पिछले साल सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7.4 फीसदी थी। चालू वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर दुनिया के सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे ज्यादा होने की उम्मीद है।

हमने इस बजट में और अधिक कदम उठाए हैं। मुद्रा बैंक से 6 करोड़ से अधिक छोटे दुकानदारों और व्यवसायों को मदद मिलेगी जिसमें से 61 फीसदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, धार्मिक अल्पसंख्यक या अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। हम संसद में जीएसटी विधेयक पेश किया है और 1 अप्रैल 2016 से इसे शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ‘व्यापार कार्य में आसानी’ के क्षेत्र में भी हमने पर्याप्त प्रगति की है। इन उपायों से हमारे विकास को बल मिलेगा। हमने अपनी प्रक्रियाओं और प्रपत्रों को युक्तिसंगत बनाने में काफी प्रगति की है। हमने अनुमोदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन करना शुरू कर दिया है। हमने बीमा क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आसान बनाया है।

प्रश्न 17: महंगाई कुछ कम हुई है, लेकिन लोग कहते हैं यह तेल के दाम कम होने की वजह से है व इस मामले में आपकी किस्मत अच्छी रही है। आपकी राय?

उत्तर: जब मैं कहता हूँ कि मेरी किस्‍मत अच्‍छी है तो मुझे गालियां पड़ती हैं। आप कहें तो ठीक। दरअसल इस दिशा में हमने जो कदम उठाए हैं, यह उसका परिणाम है। इस मामले में लगातार काम करते रहने की जरूरत है। हम इसे नसीब पर छोड़ना नहीं चाहते।

प्रश्न 18: आपका “मेक इन इंडिया” अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभी तक इस पर क्या प्रतिक्रिया रही है?

उत्तर: इस पहल की काफी सराहना की गई है न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी। मैं पिछले एक साल में जहाँ भी गया, उन देशों में उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और वे सब हमारे “मेक इन इंडिया” योजना को लेकर बहुत उत्साहित थे। हमने न केवल नीतिगत सुधार किये बल्कि प्रशासनिक सुधारों पर भी ध्यान दिया। हमने ‘व्यापार कार्य में आसानी’, सरकार को अधिक जवाबदेह बनाने, सभी स्तरों पर प्रशासन में सुधार लाने और शासन में प्रौद्योगिकी पर जोर दिया है। हमने बिल्कुल अलग स्तर पर सुधार की प्रक्रिया शुरू की जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों एक नीति-आधारित प्रणाली के माध्यम से काम करेंगे न कि निजी स्तर पर या भाई-भतीजावाद के माध्यम से। इसी तरह हम इस पर ध्यान दे रहे हैं कि जो कंपनियां हमें रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करती हैं, वे उसका विनिर्माण भारत में भी करें।

प्रश्न 19: अब डिफेंस के बारे में, आपने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का बोल्ड निर्णय लिया। क्या हर रक्षा खरीद की नयी नीति है -अब सरकार सीधे सरकार से शस्त्र खरीदेगी?

उत्तर: एक अच्छी सरकार को अलग-अलग प्राथमिकताओं के बीच सही संतुलन कायम करना होता है। “मेक इन इंडिया” मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना भी मेरे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। मैं दोनों में से किसी पर कोई समझौता नहीं कर सकता। देखिए रेफरल की बात तो पहले से चल रही थी। मेरी सरकार ने इसे शुरू नहीं किया है। लेकिन निर्णय नहीं हो रहा था। इधर हमारे देश में वायुसेना के पास जहाजों की कमी पड़ रही थी। इस बारे में कभी न कभी तो निर्णय लेना ही था। हमने यहां इस बारे में सबसे चर्चा की और यही निर्णय लिया कि सरकार को सरकार से डील करनी चाहिए। इसमें पारदर्शिता रहेगी, कोई सवाल नहीं करेगा। इसकी सबने तारीफ की है। जल्द ही इस मामले पर आगे विचार-विमर्श किया जाएगा। हाल में, फ्रांस की मेरी यात्रा के दौरान वहां के रक्षा उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हमारे “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बहुत उत्साह दिखाया है।

प्रश्न 20: तो क्या भविष्य में रक्षा खरीद का रास्ता यही होगा - सरकार सीधे सरकार से खरीदेगी?

उत्तर: देखिए इसे केस-टू-केस देखना होगा।

प्रश्न 21: एक रैंक एक पेंशन के मसले पर आपकी सरकार क्‍या कर रही है?

उत्तर: एक रैंक एक पेंशन को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं और रक्षा कर्मियों के साथ परामर्श कर रहे हैं। हमारी सरकार पांच वर्षों के लिए है और हम संबंधित अधिकारियों से बिना परामर्श लिए कुछ भी नहीं कर सकते। मेरी जिम्‍मेदारी है कि सेना को विश्‍वास में लेकर इसे लागू करें। इस बारे में बात चल रही है। सबको पसंद आए, ऐसा करने की कोशिश है। बहुत सारे रक्षा कर्मी ट्रिब्‍यून को पढ़ते हैं और आपके माध्‍यम से मैं यह कहना चाहता हूं कि इस बारे में किसी को भी आशंका रखने की जरूरत नहीं है। बहुत सारे लोग इसको लेकर अपनी बात कह रहे हैं और हम वैसे विकल्प को देख रहे हैं जिस पर सभी सहमत हों। मेरे लिए यह राजनीतिक मामला नहीं है।

प्रश्न 22: स्किल इंडिया पर आपने बहुत जोर दिया है भारत को विश्व का ‘स्किल कैपिटल’ बनाने के लिए आपकी क्या-क्या योजनाएं हैं?

उत्तर: हमारे यहाँ एक बड़ी युवा आबादी है और उन्हें उपयुक्त रोजगार दिलाने के लिए आवश्यक शिक्षा और कौशल उपलब्ध कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस पर विशेष जोर दिया है और कौशल विकास और उद्यमिता का एक नया मंत्रालय बनाया गया है। हमारे लोगों को आधुनिक कौशल प्रदान करने के लिए नए संस्थान बनाने और पुराने संस्थानों को नया रूप देने की नीति बनाई गई है। मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ परामर्श कर प्रत्येक जिले में उपलब्ध कौशल की रूपरेखा तैयार कर रहा है। कौशल पाठ्यक्रम को संशोधित किया जा रहा है, प्रशिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जा रहा है और निजी क्षेत्र के सहयोग की प्रक्रिया शुरू की गई है। मुझे पूरा भरोसा है कि इन प्रयासों के साथ कुशल लोगों का एक बड़ा पूल तैयार करने में सक्षम हो पाएंगे जो “मेक इन इंडिया” के लिए काफी अहम होगा। यह अन्य देशों के लिए भी लाभकारी होगा जहाँ कुशल मानव शक्ति की कमी है।

प्रश्न 23: विदेश नीति आपका एक सफल पहलू रहा है। आपकी विदेश नीति का मुख्य बिंदु क्या है? इतने सारे देशों की यात्रा करने के पीछे आपका मिशन क्या है?

उत्तर: अलग-अलग। पहली बात, पहले के प्रधानमंत्रियों ने विदेशों के उतने ही दौरे किए हैं, जितने मैंने किये। मीडिया को इस संबंध में मेरे साथ ईमानदारी दिखानी चाहिए। मीडिया को पूरा हिसाब देश की जनता को बताना चाहिए। अगर मैंने ज्‍यादा विदेश यात्राएं की हैं तो देश को जवाब देने को तैयार हूं। यह भी देखना चाहिए कि पहले के प्रधानमंत्री जब जाते थे तो कितनी गतिविधियों से जुड़ते थे, कितने नेताओं से मिलते थे और मोदी ने क्‍या किया। अगर पहले 10 गतिविधियां होती थीं तो आज 30 होती हैं। अब तक हम संतुलित शक्ति के रूप में हर किसी की कृपा पाने की कोशिश में रहते थे। मेरा मत है कि कब तक हम संतुलन बनाने में लगे रहें। अपने आपको एक विश्‍व शक्ति क्‍यों न बनाएं। मेरे दिमाग में साफ है - हम अब संतुलन बनाये रखने वाली शक्ति नहीं, एक विश्‍व शक्ति हैं। हम चीन और अमेरिका दोनों से बराबर की बात करेंगे। जहां तक पड़ोसी देशों का सवाल है, वहां मानवता हमारा केंद्र बिंदु है। सार्क देशों के साथ संबंधों में हमारा केंद्रीय बिंदु मानवता है। मालदीव में पानी का संकट आया। हवाई जहाज और स्‍टीमरों से पानी पहुंचाया। श्रीलंका में पांच मछुआरों को फांसी की सजा दी गई, तारीख तय हो गई, हम उन्‍हें जिंदा वापस ले आये। एक सरबजीत को हम पाकिस्‍तान से वापस नहीं ला पाये थे। अफगानिस्‍तान में फादर प्रेम को तालिबानी उठा ले गये थे, वह नौ महीने उनके कब्‍जे में थे। हम उन्‍हें वापस ले आए। नेपाल में संकट आया, हमारे पड़ोसी हैं, हम तुरंत पहुंचे। यमन में हमने 48 देशों के लोगों को बचाया। पाकिस्‍तान के कुछ लोगों को हमने और हमारे कुछ लोगों को पाकिस्‍तान ने बचाया।

प्रश्न 24: इराक में पंजाबियों को लेकर कुछ समस्या है क्या?

उत्तर: ईराक में नर्सों को हमने बचा लिया। लेकिन घटना शुरू होने से पहले जो हुआ, जो मिसिंग लोग हैं, हम उनकी तलाश कर रहे हैं। मैं खुलकर कह नहीं सकता, पर इसके लिए दुनिया के कई देशों की मदद ले रहे हैं। हमें बेहतर नतीजे की उम्‍मीद है।

प्रश्न 25: आप सीमा विवाद सुलझाने के लिए अगले सप्ताह बांग्लादेश जाने वाले हैं क्या वहां तीस्ता जल विवाद से भी संबंधित कोई समझौता होगा?

उत्तर: हमने सभी दलों को विश्वास में लेकर बांग्लादेश के साथ लंबे समय से लंबित भूमि सीमा विवाद को निपटाया। मीडिया को इसका एहसास नहीं हुआ कि यह एक विशाल उपलब्धि थी और वह अन्य मुद्दों पर बात कर रही है। अगर यही चीज़ दुनिया में कहीं और हुई होती तो ऐसे समझा जाता मानो जैसे बर्लिन की दीवार गिर गई हो। जमीनी स्तर पर साझा समृद्धि को लागू करने के लिए हमारे संदेश से हमारे पड़ोसियों की सोच में बदलाव आया है। मेरी कूटनीति व्यावहारिक और परिणाम-आधारित है।

प्रश्न 26: चीन में सीमा विवाद को लेकर क्या बात हुई? क्या आपको लगता है कि बांग्लादेश की तरह ही चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाया जा सकता है?

उत्तर: मैं चीन के लोगों से मिलकर आया हूं। सीमा मसले पर 15-16 साल से वह बात ही नहीं करते थे, अब बात तो शुरू हुई है। विश्‍वास का मार्ग तो अभी खुला है। अब आगे देखते हैं, क्‍या होता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण रिश्ता है जिसमें काफी जटिलताएं और चुनौतियां हैं। मैं हमारे संबंधों में सुधार लाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूँ। राष्ट्रपति शी ने भी मेरे साथ अपनी बातचीत के दौरान यही बात कही थी। अभी हमारा लक्ष्य है, आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करना और सीमा से जुड़े विवादों को सुलझाना। और यह तभी हो सकता है जब हम नियंत्रण रेखा पर शांति और सौहार्द सुनिश्चित करें। हम एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। साथ-ही-साथ हमारे सहयोगी प्रयासों में पारस्परिक हित पर ध्यान होना चाहिए और मैं इसको लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हूँ। चीन के साथ हमारे व्यापार में संतुलन नहीं है और इसी अंतर को समाप्त करने के लिए हम आर्थिक मोर्चे पर उनके साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दे रहे हैं और चीन के कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

प्रश्न 27: कहीं वे दोहरा खेल तो नहीं खेल रहे, आपको क्या लगता है?

उत्तर: भारत को अपने पर विश्‍वास रखना चाहिए। आशंकाओं को लेकर दुनिया से संबंध नहीं बनते। 

प्रश्न 28: आपने अपने शपथ ग्रहण समारोह में नवाज़ शरीफ़ को आमंत्रित किया था लेकिन इसके बाद आगे कुछ नहीं हुआ? पाकिस्तान के मामले में आपने अपनी ओर से बेहतर किया। क्या आपको लगता है कि बात सुधरेगी?

उत्तर: हमारा निरंतर प्रयास है कि भारत-पाकिस्‍तान की मित्रता बने और बढ़े। इतना ही कहना है कि बम और बंदूक के माहौल से फायदा नहीं होगा। मेरा पाकिस्‍तान को यही कहना है कि बहुत लड़ लिया हमने, 1947 से लड़ रहे हैं। आतंकवाद देख लिया। जरा सोचो कि क्‍या इस लड़ाई से हमें कुछ मिला है। क्‍या यह समय की मांग नहीं है कि अब हम दोनों मिलकर गरीबी से लड़ें। इससे दोनों देशों की जनता खुश होगी। मैंने पड़ोसी देशों के नेताओं के समक्ष सहयोग, कनेक्टिविटी और संपर्क बनाने के लिए अपना विज़न रखा है जिसपर काम हो रहा है। पाकिस्तान के साथ, जाहिर है कि हम केवल आतंक से मुक्त माहौल में ही प्रगति कर सकते हैं। वे जानते हैं कि शिमला समझौता और लाहौर घोषणा ही मुख्य आधार हैं जिसके बाद हम आगे बढ़ सकते हैं। अगर वे एक कदम आगे बढ़ाएंगे तो मैं दो कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार हूँ। लेकिन हमें हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता मंजूर नहीं है।

प्रश्न 29: जम्मू-कश्मीर में आपने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। यह एक ऐतिहासिक कदम था। आपको लगता है कि यह सरकार स्थायी रहेगी?

उत्तर: यह एक व्यापक क्षेत्र है। हमें जनता के जनादेश का सम्मान करना होगा। कोई एक ही बात हो सकती थी, या तो वहां सरकार बनाओ या राज्‍यपाल शासन चलाओ। राज्‍यपाल शासन चलाते तो वहां हमारा 100 प्रतिशत राज रहता। लेकिन हमें वह मंजूर नहीं। हमें वहां की जनता पर भरोसा करना चाहिए। यह भी सच है कि दोनों पार्टियों की विचारधारा एकदम अलग है। मेरा संदेश है कि श्रीनगर घाटी और जम्‍मू दोनों मिलकर काम करें। यही लोगों ने भी कहा है। राजनीति के परिदृश्य से देखा जाए तो यह गठबंधन काफी महत्वपूर्ण है। इस गठबंधन में लोगों की भागीदारी और अच्छे प्रशासन के माध्यम से इस जटिल राष्ट्रीय समस्या को हल करने की क्षमता है। इसलिए हमने एक न्‍यूनतम साझा कार्यक्रम बना दिया। अब यह सरकार में शामिल दोनों पार्टियों की जिम्‍मेदारी है कि उस पर चलें और वहां सर्व जन कल्याण के लिए कार्य करें।

प्रश्न 30: एएफ़एसपीए को हटाने की मांग पर आप क्या कहेंगे?

उत्तर: जैसा कि मैंने कहा कि न्यूनतम कार्यक्रम में जिन चीजों पर सहमति हुई है, उसका सख्ती से पालन करें।

प्रश्न 31: आप विकास के एजेंडे को लेकर बढ़ रहे हैं, पर आपकी ही पार्टी के लोग, खासकर कुछ मंत्री ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे अल्पसंख्यकों में आशंकाएं बन रही हैं। आपको क्या कहना है?

उत्तर: हमारे एक मंत्री ने ऐसा कुछ कह दिया। उसने सदन में इसकी माफी मांगी। मैंने और मेरी पार्टी ने उसकी बात की आलोचना की। इसके बावजूद मुद्दा गरम रखना है तो उसे माफी मांगने की जरूरत क्‍या थी। जिसने गलती की, वह तो चुप हो गया, पर हम उसके बारे में बोले जा रहे हैं। इसे कभी तो बंद करना होगा। इन मुद्दों पर बहस जारी रखकर कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह 1.25 अरब आबादी वाला देश है, अगर यहाँ कोई कुछ बोलता है तो हर उस चीज को आप सरकार से नहीं जोड़ सकते। आप बताईये कि पिछले एक साल में देश में कौन सा संकट आया है।

प्रश्न 32: तो अल्पसंख्यक समुदायों को असुरक्षित महसूस करने की कोई जरुरत नहीं है?

उत्तर: जहां तक आशंकाओं की बात है तो मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर से कह रहा हूँ कि हमें भारत के संविधान पर पूरा विश्वास है और देश की एकता-अखण्डता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी धर्मों और समुदायों के समान अधिकार हैं और सभी भारतीयों के समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है।

प्रश्न 33: दूसरे वर्ष में हम सरकार से क्या उम्मीद करें?

उत्तर: विकास, विकास और विकास। रोजगार, रोजगार और रोजगार।

 

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May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

प्रिय देशवासियों,

नमस्कार!

हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं। हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।

साथियों,

22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

साथियों,

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

साथियों,

भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

साथियों,

भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।

पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा।

तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

साथियों,

युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

साथियों,

हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

साथियों,

पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।

मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।

प्रिय देशवासियों,

आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है, और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।

मैं एक बार फिर भारत की सेना और सशस्त्र बलों को सैल्यूट करता हूं। हम भारतवासी के हौसले, हर भारतवासी की एकजुटता का शपथ, संकल्प, मैं उसे नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!

भारत माता की जय !!!