प्रश्न 1: प्रधानमंत्री महोदय, एएनआई से बात करने के लिए धन्यवाद, सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर आपको बधाई। 1-10 के पैमाने में आप अपनी सरकार को कितने अंक देंगे?

उत्तर: यह अधिकार इस देश के लोगों का है और वे ही हमारा मूल्यांकन करेंगे। मैं उनके अधिकार कैसे छीन सकता हूँ? मैंने देश को अपना रिपोर्ट कार्ड दे दिया है। हाल ही में, मीडिया ने कुछ सर्वेक्षणों के निष्कर्ष प्रकाशित किये हैं। आपने पहले ही देख लिया होगा। मैं केवल इतना कह सकता हूँ कि हमने एक ठोस नींव रखी है जिस पर लोग हमारा मूल्यांकन कर सकते हैं।

प्रश्न 2: आप “अच्छे दिन” लाने के वादे के साथ आये थे। क्या आपकी सरकार उन लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हो पाई जो आपने अपने पहले साल में निर्धारित किये थे?

उत्तर: हां। हमने जितना काम किया है, उससे मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। सबसे संतोषजनक बात यह रही कि हमने जो वादे किये थे कि हम ईमानदारी से काम करेंगे, हमारे इरादे बिल्कुल स्पष्ट होंगे और हम जो भी कार्य करेंगे वो देश के हित में होगा और इससे देश को दीर्घकालीन लाभ मिलेगा, हम इन वादों पर खड़े उतरे। एक साल पहले की स्थिति को याद कीजिये। सरकार में विभिन्न स्तरों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ था और रोज नए-नए घोटाले सामने आते थे। कुछ व्यक्ति-विशेष हमारे कीमती प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके विपरीत, मेरी सरकार पर न ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा है और न ही कोई घोटाले की बात सामने आई है। भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या थी। हम एक साफ़-सुथरी, पारदर्शी और कुशल सरकार लेकर आए हैं। बुरे दिनों की विदाई हुई है। क्या यह देश के लिए “अच्छे दिन” नहीं है? 

प्रश्न 3: पिछले वर्ष आपकी सबसे बड़ी सफलता क्या रही?

उत्तर: मेरी सरकार की उपलब्धियां और सफलताएं अनेक हैं। हालांकि, मैं यह मानता हूँ कि एक सरकार की सफलता इस बात में निहित है कि दूरदराज के गाँव के लोगों तक उसकी पहुँच हो। इसलिए, हम गरीब और वंचितों के हितों के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमने देश के दूरस्थ गांवों में रहने वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया है। हमारा उद्देश्य जीवन, बुनियादी ढांचे और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। हमने सभी मोर्चों पर एक साथ काम किया है ताकि आम आदमी के चेहरे पर एक मुस्कान लाई जा सके। उदाहरण के तौर पर, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करना; सड़क एवं रेलवे में सुधार; बिजली उत्पादन एवं इसकी 24x7 उपलब्धता; आईआईटी, आईआईएम और एम्स की स्थापना; स्कूलों में शौचालयों का निर्माण; हेरिटेज सिटी का निर्माण; बेघर के लिए घरों का निर्माण; साफ़-सफाई; सबको डिजिटल रूप से जोड़ना, विश्व स्तर के उत्पाद बनाने से लेकर कौशल विकास एवं रोजगार सृजन; जिनके पास फण्ड नहीं है, उन्हें फण्ड देना; बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाना; आम आदमी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने से लेकर श्रम कल्याण सुनिश्चित करना; खेतों की सिंचाई से लेकर नदियों की स्थिति में सुधार लाना; राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाने से लेकर विदेशी संबंधों को मजबूत बनाना; हमने एक नई सोच और तेज गति से अपने सारे कार्य किये हैं।

प्रश्न 4: चुनाव के समय आपने काले धन को वापस लाने का वादा किया था, लेकिन फिर आपकी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने इसे ‘चुनावी जुमला’ कह दिया और अरुण शौरी ने भी वित्त मंत्रालय की प्रक्रियाओं की आलोचना की। काले धन को वापस लाने में आपकी सरकार कितनी प्रतिबद्ध है?

उत्तर: मेरी सरकार काले धन को वापस लाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। हमने कर चोरी और काले धन पर सख्त कदम उठाए हैं। मैंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के नेताओं के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था। अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में हमने एसआईटी का गठन किया। हमने संसद में एक नया एवं सख्त कानून पास कराया किया है। हम ऐसे उपाय करना चाहते हैं जिसके बाद कोई भी करों के भुगतान से बचने और विदेश में धन जमा करने की न सोचे। हम विदेशी बैंकों में अवैध रूप से धनराशि जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई कर रहे हैं। हाल ही में कुछ ऐसे व्यक्तियों के नामों का खुलासा भी हुआ है। हम नकदरहित लेनदेन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। हम अपने कर ढांचे में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करना चाहते हैं।

साथ-ही-साथ हम एकाधिकार को समाप्त करना चाहते हैं जो काला धन और भ्रष्टाचार का कारण है। इसलिए हम कोयला और खनन जैसे क्षेत्रों में अध्यादेश लेकर आए। यह एक अच्छा कदम साबित हुआ। कोयला खदानों की पारदर्शी नीलामी के माध्यम से अब तक 3.30 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। यही स्थिति स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी है। मैं तो यही मानता हूँ कि अगर आपके इरादे नेक हैं, तो आप आवश्यक सहयोग और सफलता अवश्य मिलेगी।

प्रश्न 5: भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे महत्वपूर्ण बिलों का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। वे सरकार की मंशा के बारे में लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है। इस पर आप को क्या कहना है?

उत्तर: हमारे भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध पूरी तरह से अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने निजी उद्योग के लिए कोई परिवर्तन नहीं किया है। इसके अलावा, अगर आपके पास पैसा है तो आपको जमीन खरीदने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून की जरूरत नहीं है। कुछ व्यक्तियों ने राजस्थान, हरियाणा, शिमला, दिल्ली आदि में ऐसा किया भी है। सरकार द्वारा संचालित सामरिक और विकास गतिविधियों, खासकर अविकसित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण आवश्यक हो जाता है। और यह भी ज्यादातर राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। हमने केवल वो बदलाव किये हैं जिनकी मांग राज्यों ने की थी। गाँव के गरीबों को इन परिवर्तनों का लाभ सिंचाई, आवास, विद्युतीकरण के रूप में मिलेगा और गाँवों के समस्त बुनियादी ढांचे में भी विकास होगा।

इस देश में भूमि अधिग्रहण अधिनियम लगभग 120 साल पुराना था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें आजादी के बाद उसी पुराने कानून का प्रयोग करती रही। अचानक पिछले संसदीय चुनावों से पहले कांग्रेस ने आनन-फानन में एक ऐसा कानून बना दिया जो न ही किसानों के हित में है और न ही देश के विकास के हित में। अब वे इस पर बैठ कर चर्चा भी नहीं करना चाहते हैं। हम सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत में विश्वास करते हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से संसद में अपील की है कि हम राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने और उनके सुझावों पर विचार करने के लिए तैयार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि विभिन्न पार्टियां राजनीतिक हित न देखते हुए देश के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर हमारा सहयोग करेंगे।

प्रश्न 6: आप किसानों को कैसे आश्वस्त करेंगे कि आप उनके हित में कार्य कर रहे हैं?

उत्तर: प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों के लाभ और राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है। दुनिया तेजी से बदल रही है। किसानों को सिंचाई के लिए नहरों और उत्पादों को खेतों से बाजार तक ले जाने के लिए सड़कों की जरूरत है। उन्हें अस्पतालों, स्कूलों और घरों की जरूरत है। किसान भी अपने क्षेत्र में आधुनिक सुविधाएं चाहते हैं और अपने बेटे-बेटियों के लिए औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर चाहते हैं। मैं हमेशा यह मानता हूँ कि अगर हम समावेशी विकास चाहते हैं, तो हमें सुख-सुविधाओं की जरूरत है। हमें कृषि के विकास के साथ-साथ इन सुविधाओं के विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस विधेयक में किसानों के हितों की रक्षा के साथ-साथ इन चीजों पर भी ध्यान दिया गया है। 2013 के कानून में जो नौकरशाही संबंधी बाधाएं हैं, हमने अपने संशोधन में उन्हें दूर करने का प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि हमारे देश के किसान यह समझ पाएंगे कि उनका वास्तविक कल्याण किसमें निहित है।

प्रश्न 7: देश में कृषि संकट है। बहुत हद तक यह समस्या स्थानिक है और दशकों से कुप्रबंधन इस वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है लेकिन किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या को रोकने और खेती के तनाव को दूर करने के लिए आपकी सरकार की क्या योजनाएं हैं?

उत्तर: इस समस्या का मूल कारण आपके अपने प्रश्न में ही निहित है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और सरकार इसे लेकर चिंतित है। हमने हाल के कृषि संकट को देखते हुए तत्परता से कई कदम उठाए हैं। हमने कई सुधार किये हैं। केंद्र सरकार ने फसल में हुई हानि के लिए दिये जाने वाले मुआवजे की रकम में 50% की बढ़ोतरी की है। मुआवजे के लिए फसल के नुकसान की न्यूनतम सीमा को भी 50% से घटाकर 33% कर दिया गया है। ख़राब हुए खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दरों पर खरीद के लिए मानदंड आसान बना दिए गए हैं। हमारे लगातार दो बजट में कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाया गया है।

लेकिन जैसा कि आपने कहा, कृषि क्षेत्र में समस्या स्थानिक है। पिछले छह दशकों से कुछ खास किया नहीं गया। लेकिन हमने कृषि क्षेत्र के लिए ऐसे कदम उठाए हैं जिससे दीर्घकालीन लाभ मिलेगा। हर खेत के लिए सिंचाई की समस्या को हल करने और पानी के कुशल उपयोग के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई है। मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नीली क्रांति भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हमने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है। खराब होने वाली वस्तुओं के लिए 500 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया गया है। स्वदेशी पशु के नस्लों के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत की गई है। हमने गांवों के विकास के लिए ईमानदारी से और गंभीरतापूर्वक प्रयास किये हैं। मैंने हाल ही में किसान चैनल का शुभारंभ किया है जिससे किसानों को कृषि संबंधी एवं बाजारों के बारे में समय पर जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दिनों में, मैं कृषि उत्पादकता बढ़ाने, ग्रामीण औद्योगिकीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और कोल्ड चेन सहित ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से निवेश आदि पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ।

प्रश्न 8: विपक्ष आपकी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहती है। इस आरोप पर आपको क्या कहना है?

उत्तर: सूट-बूट कम-से-कम सूटकेस से तो बेहतर है। साठ साल शासन करने के बाद अचानक कांग्रेस को गरीबों की याद आ गई। कांग्रेस की अल्पकालीन एवं अदूरदर्शी नीतियों के कारण इस देश के लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा और गरीब तो गरीब ही रह गए। दुनिया के कई देश गरीबी उन्मूलन सहित कई क्षेत्रों में हमसे आगे बढ़ गए। कांग्रेस ने सारे काम ऐसे किये जिससे कि अगले चुनाव तक प्रासंगिक मुद्दे वैसे के वैसे ही रहें। क्या कोयला और स्पेक्ट्रम घोटालों या सीडब्ल्यूजी की असफलता से गरीबों को लाभ मिला? हर कोई जानता है कि इसका लाभ किसे मिला - कुछ चुने हुए उद्योगपतियों और ठेकेदारों को। कांग्रेस की राजनीति और साठ साल के उनके शासन का परिणाम यह रहा कि गरीबी अभी भी हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। एक-चौथाई परिवार बिना घरों के रह रहे हैं। अभी भी इस देश के बहुत सारे लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली और सड़क आदि मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आपको उनसे पूछना चाहिए – “अगर आप गरीबों के समर्थक थे तो आज भी भारत में गरीबी क्यों है?”

प्रश्न 9: विपक्ष कहता है कि आपकी सरकार उद्योगपतियों के हित के लिए कार्य करती है?

उत्तर: जिन लोगों ने कोयला जैसे कीमती प्राकृतिक संसाधनों और स्पेक्ट्रम को अपने पसंदीदा उद्योगपतियों को दे दिया हो, उन्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है। हम देश के आम आदमी के लिए काम कर रहे हैं।

हमारी सरकार ने अपने शुरूआती महीनों में ही सभी स्कूलों में शौचालय उपलब्ध कराने का कार्य शुरू किया। क्या गरीबों के बच्चे इन पब्लिक स्कूलों में नहीं पढ़ते हैं क्या?

हमने जन-धन योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन के लिए 14 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले। पहले भी बैंक थे और लोगों के पास बैंक खाता भी नहीं था। उन्होंने इतने वर्षों से क्या किया?

तथाकथित गरीब समर्थक सिर्फ यह दोहराते रहे कि सब्सिडी संबंधी समस्याएं हैं। हमने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित किया कि एलपीजी सब्सिडी सीधे संबंधित व्यक्ति के पास पहुंचे।

हमने मुद्रा बैंक की शुरुआत की ताकि 6 करोड़ छोटे दुकानदारों और व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके जिनमें से 61% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक हैं।

हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की जिसके बारे में कांग्रेस ने साठ साल में नहीं सोचा।

हमने 2022 तक सभी बेघर परिवारों को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों के खर्च को कम करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई। इसके फलस्वरूप उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

हम गरीबों और वंचितों, वृद्ध नागरिकों एवं कम आय वाले लोगों के लिए  व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना लेकर आए।

हमने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की ताकि गरीब स्वस्थ रहें और उनके आस-पास का वातावरण स्वच्छ रहे जिससे गरीब और श्रमिक पूरी कार्य क्षमता से अपना कार्य कर सकें।

यात्रा के लिए आम जनों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भारतीय रेल की सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है।

युवाओं में रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया है ताकि ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराये जा सकें। अतीत में, देश में ऐसी अर्थव्यवस्था थी जिसमें रोजगार नहीं था।

हमने केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों में महिलाओं को आरक्षण दिया है। और यह तब किया है जब फ़िलहाल कोई चुनाव नहीं हैं।

हमारे आने से पहले कोयले नीलामी की कितनी बदतर स्थिति थी, यह सबको पता है, हमने इसके बावजूद भारत के कम विकसित राज्यों से तीन लाख करोड़ रुपये जमा किये हैं। यह पैसा उन राज्यों के गरीबों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

ये तो सिर्फ़ कुछ उदाहरण भर हैं। पिछले साठ सालों में यह सब चीजें क्यों नहीं की गईं? किसने उन्हें रोका? उनकी चिंता यह नहीं है कि हम गरीब समर्थक नहीं हैं। उनकी चिंता यह है कि वे गरीब समर्थक नहीं हैं और अब यह बात सबको पता चल रही है। लोग उन्हें पूछ रहे हैं: “अगर मोदी सरकार ऐसा सोच सकती है और छह से नौ महीने में ये सब कर सकती है तो आप क्यों नहीं सोच सके और साठ साल में ऐसा क्यों नहीं कर सके।”

प्रश्न 10: आपने 12 महीनों में 17 देशों की यात्रा की...इसके बारे में किसी ने आपसे अपेक्षा नहीं की थी क्योंकि आपको विदेश नीति मामलों में एक नौसिखिये के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा है कि देश की विदेश नीति को आगे बढ़ाने में आपको काफी आनंद आ रहा है। कोई टिप्पणी?

उत्तर: प्रधानमंत्री का यह अंतरराष्ट्रीय दायित्व होता है कि वह विदेशी गतिविधियों से जुड़ा रहे। सभी प्रधानमंत्रियों को यह करना होता है। यह एक एकीकृत दुनिया है। हमें अंतरराष्ट्रीय, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सम्मेलनों में भाग लेना होता है और अपने पड़ोसियों और अन्य देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाना होता है। हमारी विदेश नीति परिपक्व है और इसे आगे बढ़ाने के लिए एक पूर्ण व्यवस्था है। मैं केवल इसमें गतिशीलता प्रदान की है। हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हमारे आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रयासरत हैं। हम नए-नए आर्थिक भागीदारी बनाने और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से ऊर्जा, खनिज, प्रौद्योगिकी और वित्त से जुड़े सहयोग प्राप्त करने और इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं।

प्रश्न 11: वास्तविक रूप में देखा जाए तो क्या आपको लगता है कि वित्तीय मामले में चीन ने जो वादा किया है, वो उसे पूरा करेगा, क्या अमेरिकी बाजार में भारत को जगह मिलेगी और क्या पाकिस्तान अपना भारत विरोधी रूख छोड़ेगा? क्या हमारे छोटे-छोटे पड़ोसी देश हमें एक ऐसे देश के रूप में देखेंगे जो उनके साथ खड़ा हो न कि उनका दमन करता हो?

उत्तर: हाँ, मुझे विश्वास है कि जो भी वादे और समझौते हुए हैं, वे पूरे होंगे। जापान सरकार ने अगले पांच वर्षों में सार्वजनिक और निजी वित्त पोषण हेतु 3.5 ट्रिलियन येन अर्थात लगभग 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सहयोग देने का वादा किया है; दो औद्योगिक पार्कों और 20 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवेश के लिए चीन के साथ हमारा समझौता हुआ है; अगले पांच वर्षों में अमेरिकी कंपनियों से लगभग 42 अरब अमरीकी डॉलर के निवेश की योजना है। रूस ने भारत में हेलीकॉप्टर का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौते और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अन्य समझौते हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हम असैन्य परमाणु समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़े हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से ऊर्जा के विस्तार के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने हेतु दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। कोरिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से पेंशन फंड के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने हमारे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का जबर्दस्त समर्थन किया है।

पड़ोसी देशों की बात की जाए तो पिछले 25 साल से अटकी हुई नेपाल में 5600 मेगावाट की पंचेश्वर परियोजना आगे बढ़ी है। इसी तरह बांग्लादेश के साथ हमने भूमि सीमा विवाद सुलझाया है। हम आपसी लाभ की भावना के साथ काम कर रहे हैं। किसी का भी दमन करने का कोई सवाल ही नहीं है। हाल ही में नेपाल में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान हमने वहां हरसंभव मदद पहुंचाई जो हमारे भाईचारे के दृष्टिकोण को दिखाता है। पाकिस्तान के साथ भी हम अपने दीर्घकालीन दृष्टिकोण को जारी रखेंगे। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना सहयोग और कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

प्रश्न 12: अगर हम घरेलू मुद्दों पर लौटें तो कईयों ने आपकी इस बात के लिए आलोचना की है कि आप अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले अपनी पार्टी के लोगों पर ही लगाम लगाने में सक्षम नहीं हैं। आपका क्या कहना है?

उत्तर: हमारे संविधान में हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और उसमें कोई समझौता नहीं होगा। सभी धर्मों का स्वागत करने और उनका सम्मान करने की परंपरा यहाँ उतनी ही पुरानी है जितना पुराना हमारा देश है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था: हम न केवल सार्वभौमिक सहनशीलता में विश्वास करते हैं, लेकिन हम सभी धर्मों को दिल से स्वीकार करते हैं। सभी धर्मों के लिए समान सम्मान का सिद्धांत हजारों साल से भारत के लोकाचार का एक अंग रहा है। और इसी कारण यह भारत के संविधान का अभिन्न अंग है। हमारा संविधान यूँ ही नहीं बना है। यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित है। मैं उम्मीद करता हूँ कि हर कोई इसे समझेगा और इसका सम्मान करेगा।

प्रश्न 13: आपकी पार्टी में क्यों कुछ लोग ऐसी अपमानजनक बातें बोलने में गौरवान्वित महसूस करते हैं जबकि वे जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल में किसी धर्मांध का समर्थन नहीं कर सकते हैं?

उत्तर: जैसा कि मैंने पहले भी कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूँ: किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव या हिंसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पर मेरी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है: सबका साथ, सबका विकास। हम बिना किसी जातिगत या धार्मिक भेदभाव के 1.25 अरब भारतीयों के साथ खड़े हैं और हम उनमें से प्रत्येक की प्रगति के लिए काम करेंगे। हमारे देश में सभी धर्मों के पास समान अधिकार है; और सभी धर्म न सिर्फ़ कानून की नजर में बल्कि समाज की नजर में भी समान हैं।

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ट्रेड और कॉमर्स; कुवैत और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं तथा दोनों तरफ से व्यापार बढ़ रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने KUNA को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ट्रेड और कॉमर्स हमारे द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है। हमारी एनर्जी पार्टनरशिप हमारे द्विपक्षीय व्यापार में यूनिक वैल्यू जोड़ती है।"

भारतीय प्रधानमंत्री शनिवार को कुवैत पहुंचे। यह चार दशक से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।

उन्होंने कहा, "हमें 'मेड इन इंडिया' उत्पादों, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी तथा टेलिकॉम क्षेत्रों में कुवैत में नई पैठ बनाते हुए देखकर खुशी हो रही है। भारत आज सबसे किफायती लागत पर विश्व स्तरीय उत्पादों का निर्माण कर रहा है। गैर-तेल व्यापार में विविधता लाना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की कुंजी है।"

उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल, हेल्थ, टेक्नोलॉजी, डिजिटल, इनोवेशन और टेक्सटाइल क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने व्यापार मंडलों, उद्यमियों और इनोवेटर्स से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक जुड़ें और बातचीत करें।

कुवैत की अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा: "मुझे कुवैत आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं महामहिम कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा को उनके सम्मानजनक निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं। यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।" उन्होंने कहा, "अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन में भाग लेने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं महामहिम को धन्यवाद देता हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं टूर्नामेंट की सफल मेजबानी के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कुवैत के बीच गहरा और ऐतिहासिक संबंध है तथा दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा गर्मजोशी से भरे और मैत्रीपूर्ण रहे हैं तथा इतिहास की धाराओं और विचारों एवं व्यापार के माध्यम से आदान-प्रदान ने लोगों को करीब और एक साथ लाया है।

मोदी ने कहा, "हम अनादि काल से एक-दूसरे के साथ व्यापार करते आ रहे हैं। फ़ैलाका द्वीप में हुई खोजें हमारे साझा अतीत की कहानी बयां करती हैं। भारतीय रुपया 1961 तक एक सदी से भी अधिक समय तक कुवैत में वैध मुद्रा था। यह दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं कितनी घनिष्ठ रूप से जुड़ी थीं।"

उन्होंने कहा कि भारत; कुवैत का स्वाभाविक व्यापारिक साझेदार रहा है और समकालीन समय में भी ऐसा ही बना हुआ है तथा सदियों से लोगों के बीच संबंधों ने दोनों देशों के बीच मित्रता के विशेष बंधन को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने कहा: "कुल मिलाकर, द्विपक्षीय संबंध अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और अगर मैं कहूँ तो, नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। मैं रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को बढ़ाने के लिए महामहिम अमीर के साथ अपनी बातचीत के लिए उत्सुक हूँ।" "हमारे ऐतिहासिक संबंधों की मजबूत जड़ें हमारी 21वीं सदी की साझेदारी के परिणामों से मेल खानी चाहिए - गतिशील, मजबूत और बहुआयामी। हमने साथ मिलकर बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारी साझेदारी के लिए संभावनाएं असीम हैं। मुझे यकीन है कि यह यात्रा इसे नए पंख देगी," मोदी ने जोर दिया।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिनकी संख्या दस लाख से अधिक है तथा भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है तथा कई भारतीय कंपनियां कुवैत में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कुवैत इंवेस्टमेंट अथॉरिटी ने भारत में पर्याप्त निवेश किया है और अब भारत में निवेश करने में रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर एक दूसरे के हितों के प्रति अच्छी समझ विकसित हुई है।

मोदी ने दावा किया कि उनका देश वर्तमान में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, क्योंकि एक दशक से भी कम समय में यह विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तथा शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

उनका मानना था कि यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए अपार अवसर पैदा करती है और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की गति असाधारण है, चाहे वह एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, एनर्जी ग्रिड हो या डिजिटल कनेक्टिविटी हो।

उन्होंने कहा, "पिछले दशक में, हमने अपने एयरपोर्ट्स की संख्या 2014 के 70 से बढ़ाकर 2024 में 150 से अधिक कर दी है। अगले पांच वर्षों में, 31 भारतीय शहरों में मेट्रो ट्रांसपोर्ट सिस्टम की सुविधा होगी। एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट संस्थानों की संख्या भी 2014 से दोगुनी हो गई है, जो ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट पर मजबूत ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है। यह एक फेवरेबल डेमोग्राफी और अत्यधिक स्किल्ड वर्कफोर्स द्वारा समर्थित है।"

उन्होंने कहा, "डिजिटल अर्थव्यवस्था और सेवाएं उत्पादकता बढ़ा रही हैं, दक्षता ला रही हैं और नई उपभोक्ता मांग पैदा कर रही हैं। वैश्विक डिजिटल भुगतानों में से लगभग पचास प्रतिशत भारत में हो रहे हैं। ड्रोन से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, टेक्नोलॉजी भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल रही है।"

उन्होंने कहा, "हमारी राजनीतिक स्थिरता, पॉलिसी प्रेडिक्टेबिलिटी और रिफॉर्म-ओरिएंटेड बिज़नेस अप्रोच ने भारत को वैश्विक निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई-चेन के लिए एक आकर्षण बना दिया है। भारत की ग्रोथ स्टोरी; सेमीकंडक्टर, विमान, ड्रोन से लेकर ई-व्हीकल तक वैश्विक निर्माताओं को देश में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रही है।"

उन्होंने कहा कि भारत का डायनमिक इकोनॉमिक एनवायर्नमेंट; इनोवेशन और उद्यमशीलता पर आधारित है, जिसमें स्टार्ट-अप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिससे घरेलू विकास और निर्यात विस्तार दोनों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग द्वारा प्रेरित बढ़ती उपभोक्ता मांग भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता को और अधिक रेखांकित करती है।

उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अगर कोई ऐसा देश है जो तेजी से विकास कर रहा है, जहां कारोबार करना आसान हो रहा है, तथा जहां अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए स्थिरता और पारदर्शिता है, तो वह भारत है।"

परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है और यह कुवैती निवेशकों के लिए कोई नया बाजार नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "कई कुवैती कारोबार हैं जो भारतीय बिजनेस इकोसिस्टम में गहराई से जुड़े हुए हैं और अपने संबंधित उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति का आनंद ले रहे हैं। हमारी निवेशक-अनुकूल व्यवस्था और उच्च-विकास अर्थव्यवस्था कई और लोगों का स्वागत करने के लिए तत्पर है।" 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने के अपने सरकार के विजन के बारे में उन्होंने कहा: "हमारा और 140 करोड़ भारतीयों का विजन 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखना है, जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होंगे। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सभी क्षेत्रों में विकास को गति देने का प्रयास कर रहे हैं।" हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां फिजिकल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर विश्व स्तर का हो और सभी नागरिकों को उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिले।" उन्होंने कहा, "हम हर भारतीय को तेज विकास की राह पर ले जाने के लिए अपने डेवलपमेंट साइकिल में छलांग लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके परिणाम सभी के सामने हैं। पिछले दस वर्षों में, हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सभी नियम और कानून वैश्विक मानकों के अनुसार हों, ताकि निवेशकों को घर जैसा महसूस हो।"

मोदी ने आगे कहा: "इसी तरह, मुझे बताया गया है कि कुवैत विजन 2035 देश को इकोनॉमिक और कनेक्टिविटी हब बनाकर देश के परिवर्तन पर केंद्रित है। मैं यह भी समझता हूं कि एयरपोर्ट टर्मिनल से लेकर बंदरगाह, रेल लिंक, बिजली ट्रांसमिशन, रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।" हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के विजन में बहुत तालमेल है जो कई मोर्चों पर संरेखित है क्योंकि दोनों देशों में आर्थिक गतिविधि की जबरदस्त गति दोनों सरकारों और कंपनियों के लिए सहयोग और सहभागिता के बड़े अवसर खोलती है।

उन्होंने बताया कि कुवैत और भारत के बीच पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र साझेदारी के अलावा एजुकेशन, स्किल, टेक्नोलॉजी और रक्षा सहयोग सहित कई क्षेत्रों में व्यापक साझेदारी है।

उन्होंने कहा, "कई भारतीय कंपनियां पहले से ही कुवैत में विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगी हुई हैं। इसी तरह, हम भारत में कुवैती कंपनियों से निवेश देख रहे हैं। यह सही मायनों में पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी है।"

भारत की सॉफ्ट पावर किस प्रकार उसके वैश्विक विस्तार को प्रभावित कर सकती है, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के सभ्यतागत लोकाचार और विरासत इसकी सॉफ्ट पावर की नींव हैं, तथा इसकी सॉफ्ट पावर, विशेष रूप से पिछले दशक में, इसकी विस्तारित वैश्विक उपस्थिति के साथ-साथ काफी बढ़ी है।

उन्होंने कहा, "कुवैत और खाड़ी में भारतीय फिल्में इस सांस्कृतिक संबंध का एक प्रमुख उदाहरण हैं। हमने देखा है कि कुवैत के लोगों में भारतीय सिनेमा के प्रति विशेष लगाव है। मुझे बताया गया है कि कुवैत टेलीविजन पर भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं पर तीन साप्ताहिक शो प्रसारित होते हैं।"

मोदी ने जोर देते हुए कहा, "इसी तरह, हम अपने भोजन और खान-पान परंपराओं में कई विशेषताएं साझा करते हैं। सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण भाषाई समानताएं और साझा शब्दावली भी विकसित हुई है। भारत की विविधता और शांति, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व पर जोर कुवैत के बहुसांस्कृतिक समाज के मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। हाल ही में, एक कुवैती विद्वान ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच जीवंत सेतु का काम करता है तथा भारतीय दर्शन, संगीत और प्रदर्शन कलाओं के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देता है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष कुवैत के नेशनल रेडियो द्वारा 'नमस्ते कुवैत' शीर्षक से साप्ताहिक हिंदी भाषा का कार्यक्रम शुरू किया गया है।

भारत का पर्यटन क्षेत्र सॉफ्ट पावर का एक और आयाम प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ आगंतुक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों के साथ, भारत इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि कुवैत जैसे समाज के लिए, जिसके साथ भारत का समृद्ध ऐतिहासिक संबंध है, भारत के पर्यटन अवसर साझा सांस्कृतिक संबंधों को तलाशने और उन्हें गहरा करने का निमंत्रण हैं।

उन्होंने भारतीय समुदाय के संरक्षण और उनके कल्याण और भलाई का ध्यान रखने के लिए महामहिम अमीर और कुवैत सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि कुवैत में रहने वाले भारतीय, जो सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं, ने डॉक्टर, व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, इंजीनियर, नर्स और अन्य पेशेवरों के रूप में कुवैत के विकास में बहुत योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम कुवैत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाएंगे, मेरा मानना है कि भारतीय समुदाय की भूमिका का महत्व और बढ़ेगा। मुझे विश्वास है कि कुवैती अधिकारी इस जीवंत समुदाय के अपार योगदान को पहचानेंगे और प्रोत्साहन तथा समर्थन प्रदान करना जारी रखेंगे।"

कुवैती-भारतीय ऊर्जा संबंधों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा द्विपक्षीय साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने अनुमान लगाया कि पिछले वर्ष व्यापार आदान-प्रदान 10 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जो इस साझेदारी के गहरे विश्वास और पारस्परिक लाभ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "दोनों देश लगातार ऊर्जा क्षेत्र में शीर्ष दस व्यापारिक साझेदारों में शुमार हैं। भारतीय कंपनियां कुवैत से कच्चे तेल, एलपीजी और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जबकि कुवैत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करती हैं। वर्तमान में, कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा क्रूड ऑइल सप्लायर और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी सप्लायर है।"

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तेल उपभोक्ता और एलपीजी उपभोक्ता बनकर उभर रहा है तथा कुवैत के पास वैश्विक तेल भंडार का लगभग 6.5 प्रतिशत है, इसलिए आगे सहयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश संपूर्ण तेल और गैस वैल्यू चेन में अवसरों की खोज करके अपने पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक हाइड्रोकार्बन व्यापार के अलावा, सहयोग के लिए अनेक नए क्षेत्र मौजूद हैं, जिनमें तेल और गैस की संपूर्ण वैल्यू चेन, साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजीज जैसे लो-कार्बन सॉल्यूशंस में संयुक्त प्रयास शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि पेट्रोकेमिकल क्षेत्र सहयोग के लिए एक और आशाजनक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग 2025 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि कुवैत के पेट्रोकेमिकल विजन के तहत 2040 की रणनीति, सह-निवेश, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और म्युचुअल ग्रोथ के लिए द्वार खोल सकती है।

उन्होंने भारत और कुवैत के बीच ऊर्जा साझेदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल आर्थिक संबंधों का एक स्तंभ है, बल्कि डायवर्सिफायड और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक इंजन भी है, जो साझा समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।

GCC-भारत संबंधों के संबंध में उन्होंने GCC की सराहना करते हुए कहा कि एक सामूहिक इकाई के रूप में भारत के लिए इसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों तथा साझा मूल्यों पर आधारित हैं तथा ये संबंध मजबूत हुए हैं एवं विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि GCC क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का लगभग छठा हिस्सा है तथा यहां लगभग एक तिहाई भारतीय रहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 90 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रह रहे हैं, जो सभी छह GCC देशों में एक महत्वपूर्ण समुदाय का गठन करते हैं तथा उनके आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सितम्बर में विदेश मंत्रियों के स्तर पर सामरिक वार्ता के लिए पहली भारत-GCC जॉइंट मिनिस्टिरियल मीटिंग रियाद में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में राजनीतिक वार्ता, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा, परिवहन तथा संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-GCC जॉइंट एक्शन प्लान को अपनाया गया था।

भारत की वैश्विक भूमिका, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: "भारत को ग्लोबल साउथ की ओर से बोलने का सौभाग्य प्राप्त है। हम अपने साथी विकासशील देशों के साथ बहुत कुछ साझा करते हैं - इतिहास से लेकर हमारे लोगों की आकांक्षाओं तक। इसलिए हम न केवल उनकी चिंताओं को समझते हैं, बल्कि उन्हें महसूस भी करते हैं। जारी संघर्षों और खाद्य, ईंधन और उर्वरक की परिणामी चुनौतियों ने ग्लोबल साउथ को बुरी तरह प्रभावित किया है। वे क्लाइमेट-चेंज का भी असमान रूप से खामियाजा भुगत रहे हैं।

उन्होंने अपने देश को ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय विकास साझेदार, उनके और अन्य लोगों के लिए संकट के समय फर्स्ट रिस्पोंडर, क्लाइमेट-एक्शन में अग्रणी तथा समावेशी ग्रोथ एवं डेवलपमेंट का समर्थक बताया।

उन्होंने आगे कहा: "जब हमने G20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज दी। हमने लोगों की जरूरतों को बढ़ाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए 3 वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट्स की मेजबानी की। हमें गर्व है कि नई दिल्ली समिट में अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थायी सदस्य बना। यह ग्लोबल साउथ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, और हमारे लिए गौरव का क्षण है।" क्षेत्रीय और वैश्विक संघर्षों, मुख्य रूप से गाजा और यूक्रेन के संबंध में, मोदी ने कहा कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है, उन्होंने मतभेदों को दूर करने और बातचीत के माध्यम से समाधान प्राप्त करने के लिए हितधारकों के बीच ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव के महत्व पर बल दिया।

इस संदर्भ में, उन्होंने उन गंभीर प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे शांति की शीघ्र बहाली हो सके, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन में।

मानवीय पक्ष पर, उन्होंने कहा कि उनके देश ने पिछले महीने गाजा को 70 टन मानवीय सहायता, लगभग 65 टन दवाइयाँ भेजीं, इसके अलावा पिछले दो वर्षों में UNRWA को 10 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई।

मोदी ने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की दिशा में बातचीत के माध्यम से टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।

एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी पहल पर मोदी ने कहा: "हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट-चेंज से अधिक गंभीर कोई चुनौती नहीं है। हमारी पृथ्वी पर दबाव है। हमें तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है और ऐसी कार्रवाई जिसमें संपूर्ण वैश्विक समुदाय शामिल हो। कोई भी इसे अकेले नहीं कर सकता। हमें एक साथ आना होगा।"

उन्होंने कहा, "भारत सभी देशों को साथ लाकर प्रो-प्लेनेट एक्शन को बढ़ावा देना चाहता है। तमाम ग्रीन ग्लोबल इनीशिएटिव्स को आगे बढ़ाने के पीछे यही विचार है।"

उन्होंने भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन इनीशिएटिव्स को सभी देशों के लिए क्लाइमेट-चेंज से सामूहिक रूप से निपटने, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने, आपदा प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने के लिए मंच के रूप में माना।

स्रोत: KUNA