प्रश्न 1: प्रधानमंत्री महोदय, एएनआई से बात करने के लिए धन्यवाद, सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर आपको बधाई। 1-10 के पैमाने में आप अपनी सरकार को कितने अंक देंगे?

उत्तर: यह अधिकार इस देश के लोगों का है और वे ही हमारा मूल्यांकन करेंगे। मैं उनके अधिकार कैसे छीन सकता हूँ? मैंने देश को अपना रिपोर्ट कार्ड दे दिया है। हाल ही में, मीडिया ने कुछ सर्वेक्षणों के निष्कर्ष प्रकाशित किये हैं। आपने पहले ही देख लिया होगा। मैं केवल इतना कह सकता हूँ कि हमने एक ठोस नींव रखी है जिस पर लोग हमारा मूल्यांकन कर सकते हैं।

प्रश्न 2: आप “अच्छे दिन” लाने के वादे के साथ आये थे। क्या आपकी सरकार उन लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हो पाई जो आपने अपने पहले साल में निर्धारित किये थे?

उत्तर: हां। हमने जितना काम किया है, उससे मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। सबसे संतोषजनक बात यह रही कि हमने जो वादे किये थे कि हम ईमानदारी से काम करेंगे, हमारे इरादे बिल्कुल स्पष्ट होंगे और हम जो भी कार्य करेंगे वो देश के हित में होगा और इससे देश को दीर्घकालीन लाभ मिलेगा, हम इन वादों पर खड़े उतरे। एक साल पहले की स्थिति को याद कीजिये। सरकार में विभिन्न स्तरों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ था और रोज नए-नए घोटाले सामने आते थे। कुछ व्यक्ति-विशेष हमारे कीमती प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके विपरीत, मेरी सरकार पर न ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा है और न ही कोई घोटाले की बात सामने आई है। भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या थी। हम एक साफ़-सुथरी, पारदर्शी और कुशल सरकार लेकर आए हैं। बुरे दिनों की विदाई हुई है। क्या यह देश के लिए “अच्छे दिन” नहीं है? 

प्रश्न 3: पिछले वर्ष आपकी सबसे बड़ी सफलता क्या रही?

उत्तर: मेरी सरकार की उपलब्धियां और सफलताएं अनेक हैं। हालांकि, मैं यह मानता हूँ कि एक सरकार की सफलता इस बात में निहित है कि दूरदराज के गाँव के लोगों तक उसकी पहुँच हो। इसलिए, हम गरीब और वंचितों के हितों के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमने देश के दूरस्थ गांवों में रहने वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया है। हमारा उद्देश्य जीवन, बुनियादी ढांचे और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। हमने सभी मोर्चों पर एक साथ काम किया है ताकि आम आदमी के चेहरे पर एक मुस्कान लाई जा सके। उदाहरण के तौर पर, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करना; सड़क एवं रेलवे में सुधार; बिजली उत्पादन एवं इसकी 24x7 उपलब्धता; आईआईटी, आईआईएम और एम्स की स्थापना; स्कूलों में शौचालयों का निर्माण; हेरिटेज सिटी का निर्माण; बेघर के लिए घरों का निर्माण; साफ़-सफाई; सबको डिजिटल रूप से जोड़ना, विश्व स्तर के उत्पाद बनाने से लेकर कौशल विकास एवं रोजगार सृजन; जिनके पास फण्ड नहीं है, उन्हें फण्ड देना; बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाना; आम आदमी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने से लेकर श्रम कल्याण सुनिश्चित करना; खेतों की सिंचाई से लेकर नदियों की स्थिति में सुधार लाना; राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाने से लेकर विदेशी संबंधों को मजबूत बनाना; हमने एक नई सोच और तेज गति से अपने सारे कार्य किये हैं।

प्रश्न 4: चुनाव के समय आपने काले धन को वापस लाने का वादा किया था, लेकिन फिर आपकी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने इसे ‘चुनावी जुमला’ कह दिया और अरुण शौरी ने भी वित्त मंत्रालय की प्रक्रियाओं की आलोचना की। काले धन को वापस लाने में आपकी सरकार कितनी प्रतिबद्ध है?

उत्तर: मेरी सरकार काले धन को वापस लाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। हमने कर चोरी और काले धन पर सख्त कदम उठाए हैं। मैंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के नेताओं के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था। अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में हमने एसआईटी का गठन किया। हमने संसद में एक नया एवं सख्त कानून पास कराया किया है। हम ऐसे उपाय करना चाहते हैं जिसके बाद कोई भी करों के भुगतान से बचने और विदेश में धन जमा करने की न सोचे। हम विदेशी बैंकों में अवैध रूप से धनराशि जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई कर रहे हैं। हाल ही में कुछ ऐसे व्यक्तियों के नामों का खुलासा भी हुआ है। हम नकदरहित लेनदेन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। हम अपने कर ढांचे में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करना चाहते हैं।

साथ-ही-साथ हम एकाधिकार को समाप्त करना चाहते हैं जो काला धन और भ्रष्टाचार का कारण है। इसलिए हम कोयला और खनन जैसे क्षेत्रों में अध्यादेश लेकर आए। यह एक अच्छा कदम साबित हुआ। कोयला खदानों की पारदर्शी नीलामी के माध्यम से अब तक 3.30 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। यही स्थिति स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी है। मैं तो यही मानता हूँ कि अगर आपके इरादे नेक हैं, तो आप आवश्यक सहयोग और सफलता अवश्य मिलेगी।

प्रश्न 5: भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे महत्वपूर्ण बिलों का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। वे सरकार की मंशा के बारे में लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है। इस पर आप को क्या कहना है?

उत्तर: हमारे भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध पूरी तरह से अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने निजी उद्योग के लिए कोई परिवर्तन नहीं किया है। इसके अलावा, अगर आपके पास पैसा है तो आपको जमीन खरीदने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून की जरूरत नहीं है। कुछ व्यक्तियों ने राजस्थान, हरियाणा, शिमला, दिल्ली आदि में ऐसा किया भी है। सरकार द्वारा संचालित सामरिक और विकास गतिविधियों, खासकर अविकसित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण आवश्यक हो जाता है। और यह भी ज्यादातर राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। हमने केवल वो बदलाव किये हैं जिनकी मांग राज्यों ने की थी। गाँव के गरीबों को इन परिवर्तनों का लाभ सिंचाई, आवास, विद्युतीकरण के रूप में मिलेगा और गाँवों के समस्त बुनियादी ढांचे में भी विकास होगा।

इस देश में भूमि अधिग्रहण अधिनियम लगभग 120 साल पुराना था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें आजादी के बाद उसी पुराने कानून का प्रयोग करती रही। अचानक पिछले संसदीय चुनावों से पहले कांग्रेस ने आनन-फानन में एक ऐसा कानून बना दिया जो न ही किसानों के हित में है और न ही देश के विकास के हित में। अब वे इस पर बैठ कर चर्चा भी नहीं करना चाहते हैं। हम सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत में विश्वास करते हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से संसद में अपील की है कि हम राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने और उनके सुझावों पर विचार करने के लिए तैयार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि विभिन्न पार्टियां राजनीतिक हित न देखते हुए देश के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर हमारा सहयोग करेंगे।

प्रश्न 6: आप किसानों को कैसे आश्वस्त करेंगे कि आप उनके हित में कार्य कर रहे हैं?

उत्तर: प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों के लाभ और राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है। दुनिया तेजी से बदल रही है। किसानों को सिंचाई के लिए नहरों और उत्पादों को खेतों से बाजार तक ले जाने के लिए सड़कों की जरूरत है। उन्हें अस्पतालों, स्कूलों और घरों की जरूरत है। किसान भी अपने क्षेत्र में आधुनिक सुविधाएं चाहते हैं और अपने बेटे-बेटियों के लिए औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर चाहते हैं। मैं हमेशा यह मानता हूँ कि अगर हम समावेशी विकास चाहते हैं, तो हमें सुख-सुविधाओं की जरूरत है। हमें कृषि के विकास के साथ-साथ इन सुविधाओं के विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस विधेयक में किसानों के हितों की रक्षा के साथ-साथ इन चीजों पर भी ध्यान दिया गया है। 2013 के कानून में जो नौकरशाही संबंधी बाधाएं हैं, हमने अपने संशोधन में उन्हें दूर करने का प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि हमारे देश के किसान यह समझ पाएंगे कि उनका वास्तविक कल्याण किसमें निहित है।

प्रश्न 7: देश में कृषि संकट है। बहुत हद तक यह समस्या स्थानिक है और दशकों से कुप्रबंधन इस वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है लेकिन किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या को रोकने और खेती के तनाव को दूर करने के लिए आपकी सरकार की क्या योजनाएं हैं?

उत्तर: इस समस्या का मूल कारण आपके अपने प्रश्न में ही निहित है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और सरकार इसे लेकर चिंतित है। हमने हाल के कृषि संकट को देखते हुए तत्परता से कई कदम उठाए हैं। हमने कई सुधार किये हैं। केंद्र सरकार ने फसल में हुई हानि के लिए दिये जाने वाले मुआवजे की रकम में 50% की बढ़ोतरी की है। मुआवजे के लिए फसल के नुकसान की न्यूनतम सीमा को भी 50% से घटाकर 33% कर दिया गया है। ख़राब हुए खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दरों पर खरीद के लिए मानदंड आसान बना दिए गए हैं। हमारे लगातार दो बजट में कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाया गया है।

लेकिन जैसा कि आपने कहा, कृषि क्षेत्र में समस्या स्थानिक है। पिछले छह दशकों से कुछ खास किया नहीं गया। लेकिन हमने कृषि क्षेत्र के लिए ऐसे कदम उठाए हैं जिससे दीर्घकालीन लाभ मिलेगा। हर खेत के लिए सिंचाई की समस्या को हल करने और पानी के कुशल उपयोग के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई है। मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नीली क्रांति भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हमने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है। खराब होने वाली वस्तुओं के लिए 500 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया गया है। स्वदेशी पशु के नस्लों के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत की गई है। हमने गांवों के विकास के लिए ईमानदारी से और गंभीरतापूर्वक प्रयास किये हैं। मैंने हाल ही में किसान चैनल का शुभारंभ किया है जिससे किसानों को कृषि संबंधी एवं बाजारों के बारे में समय पर जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दिनों में, मैं कृषि उत्पादकता बढ़ाने, ग्रामीण औद्योगिकीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और कोल्ड चेन सहित ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से निवेश आदि पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ।

प्रश्न 8: विपक्ष आपकी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहती है। इस आरोप पर आपको क्या कहना है?

उत्तर: सूट-बूट कम-से-कम सूटकेस से तो बेहतर है। साठ साल शासन करने के बाद अचानक कांग्रेस को गरीबों की याद आ गई। कांग्रेस की अल्पकालीन एवं अदूरदर्शी नीतियों के कारण इस देश के लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा और गरीब तो गरीब ही रह गए। दुनिया के कई देश गरीबी उन्मूलन सहित कई क्षेत्रों में हमसे आगे बढ़ गए। कांग्रेस ने सारे काम ऐसे किये जिससे कि अगले चुनाव तक प्रासंगिक मुद्दे वैसे के वैसे ही रहें। क्या कोयला और स्पेक्ट्रम घोटालों या सीडब्ल्यूजी की असफलता से गरीबों को लाभ मिला? हर कोई जानता है कि इसका लाभ किसे मिला - कुछ चुने हुए उद्योगपतियों और ठेकेदारों को। कांग्रेस की राजनीति और साठ साल के उनके शासन का परिणाम यह रहा कि गरीबी अभी भी हमारी सबसे बड़ी चुनौती है। एक-चौथाई परिवार बिना घरों के रह रहे हैं। अभी भी इस देश के बहुत सारे लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली और सड़क आदि मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आपको उनसे पूछना चाहिए – “अगर आप गरीबों के समर्थक थे तो आज भी भारत में गरीबी क्यों है?”

प्रश्न 9: विपक्ष कहता है कि आपकी सरकार उद्योगपतियों के हित के लिए कार्य करती है?

उत्तर: जिन लोगों ने कोयला जैसे कीमती प्राकृतिक संसाधनों और स्पेक्ट्रम को अपने पसंदीदा उद्योगपतियों को दे दिया हो, उन्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है। हम देश के आम आदमी के लिए काम कर रहे हैं।

हमारी सरकार ने अपने शुरूआती महीनों में ही सभी स्कूलों में शौचालय उपलब्ध कराने का कार्य शुरू किया। क्या गरीबों के बच्चे इन पब्लिक स्कूलों में नहीं पढ़ते हैं क्या?

हमने जन-धन योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन के लिए 14 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले। पहले भी बैंक थे और लोगों के पास बैंक खाता भी नहीं था। उन्होंने इतने वर्षों से क्या किया?

तथाकथित गरीब समर्थक सिर्फ यह दोहराते रहे कि सब्सिडी संबंधी समस्याएं हैं। हमने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित किया कि एलपीजी सब्सिडी सीधे संबंधित व्यक्ति के पास पहुंचे।

हमने मुद्रा बैंक की शुरुआत की ताकि 6 करोड़ छोटे दुकानदारों और व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके जिनमें से 61% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक हैं।

हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की जिसके बारे में कांग्रेस ने साठ साल में नहीं सोचा।

हमने 2022 तक सभी बेघर परिवारों को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों के खर्च को कम करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई। इसके फलस्वरूप उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

हम गरीबों और वंचितों, वृद्ध नागरिकों एवं कम आय वाले लोगों के लिए  व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना लेकर आए।

हमने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की ताकि गरीब स्वस्थ रहें और उनके आस-पास का वातावरण स्वच्छ रहे जिससे गरीब और श्रमिक पूरी कार्य क्षमता से अपना कार्य कर सकें।

यात्रा के लिए आम जनों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भारतीय रेल की सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है।

युवाओं में रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया है ताकि ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराये जा सकें। अतीत में, देश में ऐसी अर्थव्यवस्था थी जिसमें रोजगार नहीं था।

हमने केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों में महिलाओं को आरक्षण दिया है। और यह तब किया है जब फ़िलहाल कोई चुनाव नहीं हैं।

हमारे आने से पहले कोयले नीलामी की कितनी बदतर स्थिति थी, यह सबको पता है, हमने इसके बावजूद भारत के कम विकसित राज्यों से तीन लाख करोड़ रुपये जमा किये हैं। यह पैसा उन राज्यों के गरीबों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

ये तो सिर्फ़ कुछ उदाहरण भर हैं। पिछले साठ सालों में यह सब चीजें क्यों नहीं की गईं? किसने उन्हें रोका? उनकी चिंता यह नहीं है कि हम गरीब समर्थक नहीं हैं। उनकी चिंता यह है कि वे गरीब समर्थक नहीं हैं और अब यह बात सबको पता चल रही है। लोग उन्हें पूछ रहे हैं: “अगर मोदी सरकार ऐसा सोच सकती है और छह से नौ महीने में ये सब कर सकती है तो आप क्यों नहीं सोच सके और साठ साल में ऐसा क्यों नहीं कर सके।”

प्रश्न 10: आपने 12 महीनों में 17 देशों की यात्रा की...इसके बारे में किसी ने आपसे अपेक्षा नहीं की थी क्योंकि आपको विदेश नीति मामलों में एक नौसिखिये के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा है कि देश की विदेश नीति को आगे बढ़ाने में आपको काफी आनंद आ रहा है। कोई टिप्पणी?

उत्तर: प्रधानमंत्री का यह अंतरराष्ट्रीय दायित्व होता है कि वह विदेशी गतिविधियों से जुड़ा रहे। सभी प्रधानमंत्रियों को यह करना होता है। यह एक एकीकृत दुनिया है। हमें अंतरराष्ट्रीय, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सम्मेलनों में भाग लेना होता है और अपने पड़ोसियों और अन्य देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाना होता है। हमारी विदेश नीति परिपक्व है और इसे आगे बढ़ाने के लिए एक पूर्ण व्यवस्था है। मैं केवल इसमें गतिशीलता प्रदान की है। हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हमारे आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रयासरत हैं। हम नए-नए आर्थिक भागीदारी बनाने और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से ऊर्जा, खनिज, प्रौद्योगिकी और वित्त से जुड़े सहयोग प्राप्त करने और इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं।

प्रश्न 11: वास्तविक रूप में देखा जाए तो क्या आपको लगता है कि वित्तीय मामले में चीन ने जो वादा किया है, वो उसे पूरा करेगा, क्या अमेरिकी बाजार में भारत को जगह मिलेगी और क्या पाकिस्तान अपना भारत विरोधी रूख छोड़ेगा? क्या हमारे छोटे-छोटे पड़ोसी देश हमें एक ऐसे देश के रूप में देखेंगे जो उनके साथ खड़ा हो न कि उनका दमन करता हो?

उत्तर: हाँ, मुझे विश्वास है कि जो भी वादे और समझौते हुए हैं, वे पूरे होंगे। जापान सरकार ने अगले पांच वर्षों में सार्वजनिक और निजी वित्त पोषण हेतु 3.5 ट्रिलियन येन अर्थात लगभग 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सहयोग देने का वादा किया है; दो औद्योगिक पार्कों और 20 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवेश के लिए चीन के साथ हमारा समझौता हुआ है; अगले पांच वर्षों में अमेरिकी कंपनियों से लगभग 42 अरब अमरीकी डॉलर के निवेश की योजना है। रूस ने भारत में हेलीकॉप्टर का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौते और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अन्य समझौते हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हम असैन्य परमाणु समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़े हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से ऊर्जा के विस्तार के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने हेतु दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। कोरिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से पेंशन फंड के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने हमारे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का जबर्दस्त समर्थन किया है।

पड़ोसी देशों की बात की जाए तो पिछले 25 साल से अटकी हुई नेपाल में 5600 मेगावाट की पंचेश्वर परियोजना आगे बढ़ी है। इसी तरह बांग्लादेश के साथ हमने भूमि सीमा विवाद सुलझाया है। हम आपसी लाभ की भावना के साथ काम कर रहे हैं। किसी का भी दमन करने का कोई सवाल ही नहीं है। हाल ही में नेपाल में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान हमने वहां हरसंभव मदद पहुंचाई जो हमारे भाईचारे के दृष्टिकोण को दिखाता है। पाकिस्तान के साथ भी हम अपने दीर्घकालीन दृष्टिकोण को जारी रखेंगे। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना सहयोग और कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

प्रश्न 12: अगर हम घरेलू मुद्दों पर लौटें तो कईयों ने आपकी इस बात के लिए आलोचना की है कि आप अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले अपनी पार्टी के लोगों पर ही लगाम लगाने में सक्षम नहीं हैं। आपका क्या कहना है?

उत्तर: हमारे संविधान में हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और उसमें कोई समझौता नहीं होगा। सभी धर्मों का स्वागत करने और उनका सम्मान करने की परंपरा यहाँ उतनी ही पुरानी है जितना पुराना हमारा देश है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था: हम न केवल सार्वभौमिक सहनशीलता में विश्वास करते हैं, लेकिन हम सभी धर्मों को दिल से स्वीकार करते हैं। सभी धर्मों के लिए समान सम्मान का सिद्धांत हजारों साल से भारत के लोकाचार का एक अंग रहा है। और इसी कारण यह भारत के संविधान का अभिन्न अंग है। हमारा संविधान यूँ ही नहीं बना है। यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित है। मैं उम्मीद करता हूँ कि हर कोई इसे समझेगा और इसका सम्मान करेगा।

प्रश्न 13: आपकी पार्टी में क्यों कुछ लोग ऐसी अपमानजनक बातें बोलने में गौरवान्वित महसूस करते हैं जबकि वे जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल में किसी धर्मांध का समर्थन नहीं कर सकते हैं?

उत्तर: जैसा कि मैंने पहले भी कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूँ: किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव या हिंसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पर मेरी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है: सबका साथ, सबका विकास। हम बिना किसी जातिगत या धार्मिक भेदभाव के 1.25 अरब भारतीयों के साथ खड़े हैं और हम उनमें से प्रत्येक की प्रगति के लिए काम करेंगे। हमारे देश में सभी धर्मों के पास समान अधिकार है; और सभी धर्म न सिर्फ़ कानून की नजर में बल्कि समाज की नजर में भी समान हैं।

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पीएम मोदी का अरब न्यूज़ के साथ इंटरव्यू
April 22, 2025

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के साथ भारत के बढ़ते संबंधों की “असीम संभावनाओं” की प्रशंसा की है जबकि वह दो दिवसीय यात्रा के लिए जेद्दा पहुंचे हैं, 2016 के बाद से किंगडम की उनकी यह तीसरी यात्रा है। अरब न्यूज के साथ एक खास बातचीत में, उन्होंने किंगडम को “एक विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक सहयोगी” बताया और इस बात पर जोर दिया कि 2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल के निर्माण के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में काफी विस्तार हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा, "हमारी साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं। अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, हमारा रिश्ता स्थिरता के स्तंभ के रूप में मजबूत है।" उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व की प्रशंसा की और उन्हें "हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक मजबूत समर्थक" और एक दूरदर्शी व्यक्ति बताया, जिन्होंने ‘विजन 2030’ के तहत सुधारों के माध्यम से वैश्विक प्रशंसा को प्रेरित किया है।

उन्होंने कहा, "हर बार जब मैं उनसे मिला हूं, तो महामहिम ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। उनकी अंतर्दृष्टि, उनकी दूरदर्शी दृष्टि और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का उनका जुनून वास्तव में उल्लेखनीय है।"

साझा आर्थिक महत्वाकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है, जिसमें ऊर्जा, कृषि और उर्वरक प्रमुख क्षेत्र हैं। उन्होंने सऊदी और भारतीय व्यवसायों के बीच गहन एकीकरण का स्वागत किया, विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन और टेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में। उन्होंने कहा, "भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है।"

पीएम मोदी ने वर्ल्ड एक्सपो 2030 और फीफा विश्व कप 2034 की मेज़बानी के लिए बिड्स जीतने पर सऊदी अरब को बधाई दी और इस दोहरी सफलता को "बहुत गर्व" की बात बताया। उन्होंने बढ़ते रक्षा सहयोग और ऐतिहासिक संयुक्त सैन्य अभ्यासों को बढ़ते सामरिक विश्वास के संकेत के रूप में भी बताया।

सितंबर 2023 में G20 समिट के दौरान शुरू किए गए India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) पर मोदी ने कहा कि यह परियोजना “संपूर्ण क्षेत्र में कॉमर्स, कनेक्टिविटी और ग्रोथ का एक प्रमुख कैटेलिस्ट होगी।”

एक बयान में भारत सरकार ने कहा कि यह यात्रा “भारत द्वारा सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय संबंधों को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है।”

प्रश्न: सऊदी-भारत संबंध बेहतर हो रहे हैं। 2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की स्थापना के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में हुई प्रगति का आप कैसे आकलन करते हैं?

उत्तर: सबसे पहले, मैं महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को उनके उदार निमंत्रण के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ। मैं अपनी तीसरी यात्रा पर यहाँ आकर बहुत प्रसन्न हूँ। मुझे सऊदी अरब के साथ हमारे संबंधों पर बहुत गर्व है। सऊदी अरब भारत के सबसे मूल्यवान भागीदारों में से एक है - एक समुद्री पड़ोसी, एक विश्वसनीय मित्र और एक रणनीतिक सहयोगी।

हमारा संबंध नया नहीं है। यह सदियों पुराने सभ्यतागत आदान-प्रदान में निहित है। विचारों से लेकर व्यापार तक, हमारे दो महान देशों के बीच निरंतर प्रवाह रहा है।

2014 से हमारे संबंध ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे याद है कि 2016 में, मुझे महामहिम किंग सलमान से Order of King Abdulaziz प्राप्त करने का सम्मान मिला था।

2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल का गठन एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ। तब से, हमारे बीच सहयोग कई क्षेत्रों में विस्तारित हुआ है। और मैं आपको बता दूं, यह तो बस शुरुआत है। हमारी साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं।

हमारे रिश्ते की नींव आपसी विश्वास और सद्भावना पर टिकी है। अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, हमारा रिश्ता स्थिरता के स्तंभ के रूप में मजबूत है। मेरा मानना है कि भारत-सऊदी अरब संबंधों के लिए यह आशाजनक समय है। और, मैं यह जरूर कहना चाहूँगा कि सऊदी नेतृत्व ने इस साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत और सऊदी अरब न केवल अपने लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक साथ आगे बढ़ते रहेंगे।

प्रश्न: क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के साथ आपकी पिछली सात बैठकों को देखते हुए, आप दोनों देशों के नेतृत्व के बीच व्यक्तिगत तालमेल को किस तरह से परिभाषित करेंगे? क्या उनके तालमेल ने किसी भी तरह से द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है?

उत्तर: जब भी मैं उनसे मिला हूं, महामहिम ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। उनकी अंतर्दृष्टि, उनकी दूरदर्शी दृष्टि और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का उनका जुनून वाकई उल्लेखनीय है।

उनके नेतृत्व में सऊदी अरब में जबरदस्त सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुए हैं। उनके द्वारा किए गए सुधारों ने न केवल इस क्षेत्र को प्रेरित किया है, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान भी खींचा है। विज़न 2030 के तहत बहुत ही कम समय में देश में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।

मैं हमारे बीच की व्यक्तिगत गर्मजोशी और विश्वास को महत्व देता हूँ। और हाँ, यह व्यक्तिगत तालमेल स्वाभाविक रूप से इस बात में भी दिखा है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को किस तरह प्राथमिकता देते हैं। वह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्रबल समर्थक हैं। वह सऊदी अरब में भारतीय प्रवासियों के बहुत बड़े समर्थक रहे हैं और सऊदी अरब में रहने वाले हमारे लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं।

जब हम बात करते हैं, तो हम इस साझेदारी को भविष्य के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जेद्दा का भारत के साथ एक विशेष संबंध रहा है। सदियों से यह प्रसिद्ध शहर हमारे व्यापार और लोगों के आपसी संपर्क का एक प्रमुख माध्यम रहा है। मक्का का प्रवेश द्वार होने के कारण, हमारे श्रद्धालु हज़ और उमरा की पवित्र यात्रा में वर्षों से जेद्दा की गलियों से होकर गुज़रे हैं।

प्रश्न: सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इस आर्थिक साझेदारी को और विविधतापूर्ण बनाने और विस्तारित करने के लिए किन पहलों पर विचार किया जा रहा है ताकि दोनों देश मिलकर चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकें?

उत्तर: हमारे आर्थिक संबंध मानसून की हवाओं जितने पुराने हैं। हमारे देशों की निकटता और हमारी अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता को देखते हुए, हमारे बीच स्वाभाविक जुड़ाव है। यही कारण है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भी हमारे व्यापारिक संबंध न केवल बचे रहे हैं, बल्कि उनमें वृद्धि भी हुई है।

ऊर्जा, कृषि और उर्वरक जैसे क्षेत्र हमारे व्यापार के मुख्य क्षेत्र हैं, लेकिन विविधीकरण के प्रयासों ने फल दिया है। भारतीय व्यवसाय और सऊदी उद्योग मजबूत संबंध बना रहे हैं।

हमारे व्यवसायों और उद्योग के बीच मजबूत संबंध बनाना और निवेश साझेदारी को बढ़ाना इस रिश्ते को और मजबूत बना रहा है। सऊदी अरब भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है। इसी तरह, भारत सऊदी अरब में खाद्य सुरक्षा में योगदान दे रहा है। मुझे बताया गया है कि सऊदी अरब के लोग भारतीय चावल पसंद करते हैं! भारत को भी सऊदी खजूर बहुत पसंद हैं।

मैं ‘सऊदी विजन 2030’ और भारत के ‘विकसित भारत 2047’ के बीच कई समानताएं भी देखता हूँ।

हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश भी बढ़ रहा है। आज, भारत की ग्रोथ स्टोरी सऊदी अरब की बड़ी कंपनियों को स्पेस इकोनॉमी से लेकर ग्लोबल सप्लाई चेन सहयोग तक निवेश और साझेदारी के लिए अपार अवसर प्रदान करती है।

भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में विभिन्न क्षेत्रों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है। वे सऊदी विजन 2030 को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

हमारा लक्ष्य इस जुड़ाव को बढ़ाना है।

भारत और सऊदी अरब द्विपक्षीय निवेश संधि पर काम कर रहे हैं। भारत और GCC के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में भारत और सऊदी अरब और सामान्य रूप से पूरे क्षेत्र के बीच आर्थिक संबंधों को बदलने की अपार क्षमता है।

प्रश्न: सऊदी अरब के विजन 2030 में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है, आप भारतीय कंपनियों के लिए रियाद एक्सपो 2030 और सऊदी फीफा वर्ल्ड कप 2034 सहित इन परियोजनाओं में योगदान करने और लाभ उठाने के क्या अवसर देखते हैं?

उत्तर: एक करीबी मित्र के रूप में, भारत सऊदी अरब की शानदार उपलब्धियों से खुश है। मैं सऊदी अरब के लोगों और उसके नेतृत्व को 2030 में वर्ल्ड एक्सपो और 2034 में फीफा वर्ल्ड कप की मेज़बानी के लिए चुने जाने पर बधाई देना चाहता हूँ।

किसी भी देश के लिए चार साल के भीतर दो बड़े वैश्विक आयोजनों की मेजबानी करना बहुत गर्व की बात है। यह महामहिम के नेतृत्व और उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।

ये मेगा इवेंट स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। ये भारतीय कंपनियों के लिए भी अवसर प्रदान करते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमारी कंपनियों ने अपनी गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा बनाई है।

मैं समझता हूं कि भारतीय कंपनियों की सऊदी इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में पहले से ही मजबूत भागीदारी है। वे सऊदी अरब के विजन 2030 के हिस्से के रूप में विभिन्न मेगा और गीगा परियोजनाओं में वैल्यू भी बना रहे हैं।

मैं सऊदी कंपनियों को भी आमंत्रित करता हूँ कि वे हमारे ‘विकसित भारत’ अभियान के तहत भारत में मौजूद उल्लेखनीय अवसरों का लाभ उठाएँ। वे भारत के अगली पीढ़ी के इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, रिन्यूएबल-एनर्जी, हेल्थकेयर, यूटिलिटीज, इनोवेशन, स्टार्ट-अप और "ब्लू इकोनॉमी" सेक्टर्स के ग्रोथ में भाग ले सकते हैं।

दोनों देशों की कंपनियों के बीच गहन जुड़ाव और दो-तरफ़ा सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने में काफ़ी मददगार साबित होगा।

प्रश्न: भारत को कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के प्रमुख सप्लायर के रूप में सऊदी अरब की भूमिका को देखते हुए, आप दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग के भविष्य को किस तरह देखते हैं, खासकर ट्रैवल एनर्जी ट्रांजिशंस के संदर्भ में?

उत्तर: ऊर्जा हमारी आर्थिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। सऊदी अरब हमारे लिए एक मजबूत और विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार रहा है। यह कच्चे तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के हमारे शीर्ष सप्लायर्स में से एक है। जैसे-जैसे भारत एक विकसित देश बनने की कोशिश कर रहा है, हमारी ऊर्जा मांग बढ़ती रहेगी। और सऊदी अरब हमारी ऊर्जा सुरक्षा में एक करीबी भागीदार बना रहेगा। रणनीतिक साझेदारों के रूप में हम इस बात पर सहमत हैं कि हमारा ऊर्जा सहयोग केवल खरीदार-विक्रेता संबंधों तक सीमित नहीं है। हम रिफाइनरियों और पेट्रोकेमिकल्स में संयुक्त परियोजनाओं की भी खोज कर रहे हैं।

दुनिया भी क्लीनर और अधिक सस्टेनेबल ऊर्जा संसाधनों की ओर धीरे-धीरे बदलाव देख रही है। भारत ग्रीन-ट्रांजिशन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल-एनर्जी लक्ष्य हासिल करने का भरोसा है।

इस यात्रा में भी, सऊदी अरब के साथ सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। इसमें सप्लाई-चेन, सर्कुलर इकोनॉमी, एनर्जी एफिशिएंसी और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र शामिल हैं। इंटरनेशनल सोलर अलायंस में भागीदार के रूप में, दोनों देश भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशंस की दिशा में काम कर सकते हैं।

2023 में नई दिल्ली G20 समिट के दौरान, महामहिम के साथ, हमने India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) पहल शुरू की। अब हम भारत और सऊदी अरब तथा व्यापक क्षेत्र के बीच इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी के लिए फीजीबिलिटी स्टडीज पर काम कर रहे हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, हम अपने दोनों देशों के बीच एक व्यापक ऊर्जा साझेदारी के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

प्रश्न: सऊदी-भारत रक्षा सहयोग और संयुक्त अभ्यास लगातार बढ़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में रक्षा और सुरक्षा सहयोग के लिए किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा?

उत्तर: हम सऊदी अरब को क्षेत्र में सकारात्मकता और स्थिरता की ताकत मानते हैं। समुद्री पड़ोसी होने के नाते, भारत और सऊदी अरब क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने में स्वाभाविक रुचि रखते हैं।

दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी और सहयोग गहरे आपसी विश्वास का प्रतिबिंब है। यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता और हमारे विस्तारित पड़ोस में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के हमारे आपसी संकल्प का भी प्रमाण है।

हमने सुरक्षा सहयोग में लगातार प्रगति देखी है। इसमें काउंटर-टेररिज्म, उग्रवाद का मुकाबला करना, टेरर फाइनेंसिंग को रोकना और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटना जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हम आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में इसके बढ़ते महत्व को पहचानते हुए साइबर सुरक्षा में सहयोग के नए मोर्चे भी तलाश रहे हैं।

पिछले साल, हमने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की: दोनों थल सेनाओं के बीच पहली बार संयुक्त अभ्यास हुआ। इसके साथ ही 2021 और 2023 में दो सफल संयुक्त नौसैनिक अभ्यास — अल-मोहद अल-हिन्दी — भी आयोजित किए गए।

हम दोनों ही रक्षा-उद्योग के बीच गहन सहयोग का समर्थन करते हैं। पिछले एक दशक में, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग ने भारत में गहरी जड़ें जमा ली हैं। आज, एक मजबूत सैन्य औद्योगिक परिसर है जिसमें गुणवत्तापूर्ण गोला-बारूद, छोटे हथियार, टैंक, बख्तरबंद वाहक बनाने की क्षमता है। वायु सेना के लिए, हम ड्रोन, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और लड़ाकू जेट बना रहे हैं। नौसेना के लिए, हमारे पास गश्ती नौकाएँ, पनडुब्बियाँ और यहाँ तक कि विमान वाहक बनाने की क्षमता है।

हम सिर्फ़ अपनी ज़रूरतें ही पूरी नहीं कर रहे हैं। भारत, दुनिया भर के 100 से ज़्यादा देशों को डिफेंस इक्विपमेंट का एक अहम सप्लायर बनकर उभरा है।

मुझे खुशी है कि हम सऊदी अरब के सशस्त्र बलों की कुछ ज़रूरतें पूरी करने में सफल रहे हैं। हम दोनों देशों के निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों के बीच गहरी भागीदारी का समर्थन करते हैं। हम भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सऊदी निवेश का स्वागत करेंगे जिसे निजी निवेश के लिए खोल दिया गया है।

प्रश्न: सितंबर 2023 में नई दिल्ली में घोषित IMEEC पहल मिडिल-ईस्ट के माध्यम से भारत और यूरोप को जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। IMEEC के प्रमुख तत्व क्या हैं, और इस पहल के तहत परिकल्पित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत सऊदी अरब के साथ कैसे काम कर रहा है?

उत्तर: भारत और सऊदी अरब ने यूरोपियन यूनियन, यूएई, फ्रांस, जर्मनी, इटली और अमेरिका के साथ मिलकर सितंबर 2023 में नई दिल्ली में India Middle East Europe Economic Corridor पहल की संयुक्त रूप से शुरुआत की।

यह कॉरिडोर आने वाली सदियों के लिए सभी रूपों में कनेक्टिविटी के फ्यूचर को परिभाषित करेगा। यह पूरे क्षेत्र में कॉमर्स, कनेक्टिविटी और ग्रोथ का प्रमुख कैटेलिस्ट बन जाएगा। यह कॉरिडोर सभी रूपों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा, चाहे वह फिजिकल हो या डिजिटल।

यह जुझारू और भरोसेमंद सप्लाई-चेन के डेवलपमेंट की सुविधा प्रदान करेगा, व्यापार सुलभता बढ़ाएगा और व्यापार सुविधा में सुधार करेगा। यह कॉरिडोर एफिशिएंसी बढ़ाएगा, लागत कम करेगा, आर्थिक एकता को बढ़ाएगा, रोजगार पैदा करेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा, जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का ट्रांसफॉर्मेटिव इंटीग्रेशन होगा।

इस कॉरिडोर की सफलता में भारत और सऊदी अरब दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी, डेटा कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिकल ग्रिड कनेक्टिविटी सहित कनेक्टिविटी के विजन को साकार करने के लिए अपने सऊदी भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पहल के तहत स्वच्छ और ग्रीन हाइड्रोजन और संबंधित सप्लाई-चेन पर काम कर रहे हैं।

मुझे लगता है कि इस पहल में मानवता के लिए परिवर्तनकारी क्षमता है। यह 21वीं सदी का नया सिल्क रूट हो सकता है जो आने वाली पीढ़ियों को लाभ पहुंचाएगा.

प्रश्न: आपने सऊदी अरब में 2.7 मिलियन के भारतीय समुदाय की द्विपक्षीय संबंधों में एक मजबूत ताकत के रूप में प्रशंसा की है। आपकी सरकार सऊदी अरब में भारतीय प्रवासियों को आगे बढ़ाने और उनके साथ जुड़ने की किस तरह की योजना बना रही है?

उत्तर: सबसे पहले, मैं यह बताना चाहता हूँ कि हम सऊदी अरब में भारतीय समुदाय को दिए गए संरक्षण के लिए उनके रॉयल हाइनेस, किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बहुत आभारी हैं। हम यह कभी नहीं भूल सकते कि उन्होंने कोविड महामारी के कठिन समय में भारतीयों का अपने जैसे ही ख्याल रखा।

भारतीयों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरित्र है - वे जिस भी देश में जाते हैं, उसे अपना घर बना लेते हैं। वे कानून का पालन करने वाले, समर्पित और पूरी तरह से पेशेवर होते हैं। वे अपने साथ सहानुभूति, करुणा और देखभाल के मूल्यों को लेकर चलते हैं।

यही स्वभाव उन्हें अपने मेजबान देश का सम्मान दिलाता है। सऊदी अरब इसका अपवाद नहीं है। जब भी मैं महामहिम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिला हूं, उन्होंने भारतीय समुदाय की प्रशंसा की है और राज्य के आर्थिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की है। उन्होंने यहां तक कहा है कि वे सऊदी परिवार का हिस्सा हैं। प्रशंसा के ये शब्द हमेशा मेरे दिल को गर्व और खुशी से भर देते हैं।

मेरी सरकार के लिए, भारतीय प्रवासी सदस्य "राष्ट्रदूत" हैं। 4Cs - Care, Connect, Celebrate और Contribute - हमारे प्रवासी समुदाय के साथ हमारे जुड़ाव का आदर्श वाक्य है। उनकी सुरक्षा, कल्याण और भलाई हमारे लिए सर्वोपरि है।

पिछले एक दशक में हमने बीमा योजनाओं, उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और कौशल कार्यक्रमों सहित कई पहल शुरू की हैं। हमने सुरक्षित और कानूनी प्रवास के लिए तंत्र स्थापित किए हैं। सऊदी अरब में 2.7 मिलियन लोगों का जीवंत भारतीय समुदाय हमारे दोनों देशों को जोड़ने वाला एक जीवंत पुल है। मैं न केवल अपने मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करने, बल्कि उन्हें बढ़ावा देने के लिए भी उनकी सराहना करता हूँ।

मैं इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रवासियों के साथ पुनः जुड़ने का उत्सुकतापूर्वक इंतजार कर रहा हूँ।

प्रश्न: आप धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को सऊदी-भारत द्विपक्षीय संबंधों के एक कंपोनेंट के रूप में कैसे विकसित होते हुए देखते हैं? क्या आपको लगता है कि भारत के IITs और IIMs; IIT दिल्ली, अबू धाबी कैंपस की तर्ज पर सऊदी अरब में भी कैंपस खोलेंगे?

उत्तर: हमारे लोग “कलिला वा दिमना” के दिनों से ही एक-दूसरे के साथ बातचीत करते रहे हैं। हमारे देशों के बीच बढ़ता सांस्कृतिक जुड़ाव एक-दूसरे के प्रति समझ और प्रशंसा का संकेत है।

जहाँ तक धार्मिक पर्यटन का सवाल है, जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे यहाँ बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है और वे हर साल उमराह और हज यात्रा के लिए आपके खूबसूरत देश में आते हैं। हम भारतीय तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली निरंतर सहायता के लिए सऊदी नेतृत्व के आभारी हैं। सऊदी सरकार के प्रोत्साहन और समर्थन की बदौलत हाल के वर्षों में सऊदी अरब में योग ने काफी लोकप्रियता हासिल की है। हम क्रिकेट में भी बढ़ती रुचि देख रहे हैं।

मुझे बताया गया है कि अरब ब्रॉडकास्टर्स भारतीय कंटेंट वाले डेडिकेटेड चैनल चलाते हैं जो किंगडम में बहुत लोकप्रिय हैं। भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं के भी बहुत से प्रशंसक हैं। भारत 1-4 मई के दौरान मुंबई में वर्ल्ड ऑडियो विजुअल और एंटरटेनमेंट समिट के पहले एडिशन की मेजबानी कर रहा है। हम समिट में सऊदी अरब से मजबूत भागीदारी की उम्मीद करते हैं ताकि हम अपने सांस्कृतिक और मनोरंजन सहयोग को नए आयाम दे सकें।

शैक्षिक सहयोग एक और आशाजनक क्षेत्र है। भारतीय हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। वे सऊदी अरब में भी अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।

अंत में, मैं अरब न्यूज को बधाई देना चाहता हूँ क्योंकि इस वर्ष इसके पब्लिकेशन के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं जानता हूँ कि अरब न्यूज का सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के साथ एक विशेष संबंध है। आपका मीडिया आउटलेट हमारे लोगों के बीच संबंधों का एक मजबूत प्रतीक है। भारत-सऊदी अरब की दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए मेरी शुभकामनाएँ।

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स्रोत: अरब न्यूज़