TOI: दो चरणों के मतदान के बाद आपका क्या अनुमान है? क्या आपको अभी भी 400 का आँकड़ा पार करने की उम्मीद है?
पीएम मोदी: चुनावों की घोषणा के बाद से अब तक मैंने 70 से ज़्यादा रैलियाँ और रोड शो किए हैं। मैं जहाँ भी गया, मैंने प्यार, स्नेह और समर्थन का अभूतपूर्व प्रदर्शन देखा है। लोगों का यह समर्थन ही हमें विश्वास दिलाता है कि हम 400 का आंकड़ा पार करने की राह पर हैं। लोगों ने देखा है कि हम क्या कर सकते हैं और हमारा मानना है कि लोग बेहतर कल चाहते हैं और वे जानते हैं कि भाजपा को वोट देने का मतलब विकास के लिए वोट देना है।
दो चरणों के मतदान के बाद विपक्ष पूरी तरह से हताश और निराश है। इन दो चरणों के बाद वह मुकाबले से बाहर हो गया है। हमारे लिए, 400 सीटें जीतने का एक बड़ा कारण, देश के एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के अधिकारों की रक्षा करना है। हम प्रचंड बहुमत चाहते हैं ताकि विपक्ष के आरक्षण और अधिकारों को छीनकर अपने वोट बैंक को देने के नापाक मंसूबों को नाकाम किया जा सके।
TOI: लेकिन विपक्ष का कहना है कि आप प्रचंड बहुमत का लक्ष्य इसलिए रख रहे हैं क्योंकि आप संविधान बदलना चाहते हैं?
पीएम मोदी: यह विडंबना है कि जिन लोगों ने सबसे ज़्यादा बार संविधान बदला है, वे कह रहे हैं कि हम संविधान बदल देंगे। लेकिन ऐसा सवाल पूछने से पहले आपको मेरा ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए। आपको मेरे काम और हरकतों का तब से अध्ययन करना चाहिए जब से मैं सीएम बना हूँ और देखना चाहिए कि मैंने ऐसा कुछ किया है या नहीं। अगर कोई आरोप लगाता है और आप उस आरोप को सच मानकर मुझसे सवाल पूछना शुरू कर देते हैं, तो यह मेरे साथ अन्याय है।
TOI: जब आपने भाजपा के लिए 370 और एनडीए के लिए 400 सीटें तय की थीं, तो क्या आप इसलिए चिंतित थे कि पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में आत्मसंतुष्टि की भावना पैदा हो सकती है? ऐसा लगता है कि आपने मतदाताओं को अपने साथ जोड़कर उनके लिए भी उतना ही लक्ष्य तय किया है, जितना अपने लिए। लेकिन ‘अबकी बार 400 पार’ का आशावादी नारा और भाजपा के लिए 370 सीटों का लक्ष्य भी कार्यकर्ताओं में आत्मसंतुष्टि पैदा करने का जोखिम रखता है। क्या आपने कभी सोचा कि इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है?
पीएम मोदी: पार्टी के नारे लोगों की भावनाओं को दर्शाते हैं। यह नागरिकों की सामूहिक आवाज़ है जो हमारे प्रयासों को पहचानते हैं और आगे भी बदलाव देखना चाहते हैं। लेकिन इस 'अबकी बार, 400 पार' नारे की उत्पत्ति बहुत ही रोचक और भावनात्मक है। अनुच्छेद 370 हमारे लिए, हमारे कार्यकर्ताओं और भारत के लोगों के लिए बहुत ही भावनात्मक मुद्दा रहा है। लोगों ने इसके होने का कई पीढ़ियों तक इंतज़ार किया है। अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण दशकों से हमारे कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरक शक्ति रहा है। जब लोगों ने देखा कि हमारी सरकार ने ऐसा किया है, तो वे बहुत भावुक हो गए और लोगों के बीच यह भावना थी कि हमें उस पार्टी को 370 सीटें देनी चाहिए जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया। और इसलिए, एनडीए के लिए 'अबकी बार, 400 पार' का नारा लोगों के बीच से निकला। यह एक स्वाभाविक और पहले कभी नहीं देखी गई घटना थी जहां लोग खुद हमारी जीत के लिए लक्ष्य निर्धारित कर रहे थे। एक कार्यकर्ता के रूप में, मैं यह प्रमाणित कर सकता हूं कि भाजपा के भीतर कोई आत्मसंतुष्टि नहीं है। हमारी पार्टी के सभी शीर्ष नेता लगातार लोगों के बीच में हैं। हमारे कार्यकर्ता बहुत मेहनत कर रहे हैं। वास्तव में, कई जगहों पर आपको बूथ पर सिर्फ़ भाजपा के कार्यकर्ता ही दिखेंगे। हम देख रहे हैं कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो देश के लिए समर्पित हैं और शहरों के साथ-साथ गांवों में भी भाजपा के लिए समय निकाल रहे हैं। समाज से मिल रहा यह समर्थन हमारी बहुत मदद कर रहा है। एक नई बात यह देखने को मिल रही है कि लाभार्थी न सिर्फ़ बड़ी संख्या में हमें वोट दे रहे हैं, बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
TOI: राहुल गांधी ने कहा है भाजपा 2004 के ‘इंडिया शाइनिंग’ मोड़ की ओर बढ़ रही है, जब उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। आपकी क्या कहेंगे? 2004 के विपरीत, जब भाजपा ने सहयोगियों को किनारे कर दिया था, पार्टी ने इस बार नए सहयोगियों को शामिल किया है।
पीएम मोदी: कांग्रेस पार्टी के युवराज को अहंकार की बात करने वाला आखिरी व्यक्ति होना चाहिए। लेकिन यह सच है कि अब कांग्रेस पार्टी केवल झटके और आश्चर्य पर निर्भर है। उनकी एकमात्र उम्मीद यह है कि कोई चमत्कार होगा जिससे वे चुनाव जीत जाएंगे। यहां तक कि उनके सबसे दिग्गज और महत्वपूर्ण नेताओं ने भी हार मान ली है और चुनाव हार गए हैं। हर चुनाव समसामयिक मुद्दों पर आधारित होता है, इसलिए उनकी तुलना करना सही नहीं है। 2024 में हमें न केवल नए सहयोगी मिले हैं, बल्कि हमारे पास लोगों का अभूतपूर्व समर्थन भी है, जो हमें शानदार जीत का विश्वास दिलाता है।
TOI: दक्षिण भारत में अपनी संभावनाओं का आकलन आप कैसे करते हैं? आपने तमिलनाडु और केरल में जोर लगाया है।
पीएम मोदी: संभावनाएं बहुत अच्छी हैं। मैंने नहीं, बल्कि इसके उलट, दक्षिण भारत के लोगों ने बीजेपी के लिए जगह बनाने के लिए बहुत प्रयास किया है। दक्षिण में आप जहां भी जाएं, लोगों ने जिस तरह से अपनापन और स्नेह दिखाया है, वह अभूतपूर्व है। दक्षिण भारत के लोगों ने सिर्फ़ कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों की सरकारें देखी हैं। लोगों ने देख लिया है कि कैसे इन पार्टियों ने सिर्फ भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, कुशासन, फूट, वोट बैंक की राजनीति और बहुत पिछड़ी हुई शासन व्यवस्था को बढ़ावा दिया है। लोगों ने इनका भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए द्वेष भी देखा है। इन सब कारणों से लोग कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों से तंग आ चुके हैं।
दूसरी ओर, लोगों ने केंद्र में हमारे शासन को देखा है और हमारी कल्याणकारी योजनाओं का उन तक पहुंचने का प्रभाव भी देखा है। उन्हें भाजपा में उम्मीद की किरण दिखाई देती है और वे भाजपा को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में देख रहे हैं। 2019 में दक्षिण भारत में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी और इस बार भी वह बहुत बड़े अंतर से सबसे बड़ी पार्टी बनेगी। दक्षिण के नतीजों से इस बार कई मिथक टूटेंगे। हमारा माइंड-शेयर पहले से ही बढ़ा है और आप देखेंगे कि हमारा वोट शेयर और सीट शेयर भी बहुत बड़ा होगा।
TOI: पिछली बार कर्नाटक में बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे बड़ा झटका लगा था। चर्चा है कि राज्य में आपकी सीटें कम होंगी। आपका क्या आकलन है?
पीएम मोदी: हम हर चुनाव में यही बात सुनते आ रहे हैं। जो लोग हमारी सीटों के घटने की बात कर रहे हैं, वे खुद 50 सीटों पर सिमट गए हैं। कर्नाटक के लोगों और भाजपा के बीच एक खास रिश्ता है। 2019 में भाजपा के समर्थन में भारी वृद्धि देखी गई और इस बार, मजबूत आर्थिक विकास, मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत कल्याणकारी कार्यक्रम देने का हमारा 10 साल का रिकॉर्ड सुनिश्चित करेगा कि एनडीए कर्नाटक में सभी 28 सीटें जीतेगा। जेडी(एस) के जुड़ने से एनडीए और मजबूत हुआ है।
कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री बनने की होड़ में व्यस्त हैं, जबकि राज्य में हालात खराब हैं। कांग्रेस सरकार ने अपने वादों को गलत और आधे-अधूरे तरीके से लागू करके राज्य की जनता को धोखा दिया है। कर्नाटक के लोग राज्य में बढ़ती अराजकता और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में रुकावट से तंग आ चुके हैं। वे लगातार बढ़ती बिजली कटौती और पानी की कमी से तंग आ चुके हैं। कर्नाटक के लोग राज्य चुनाव में कांग्रेस को वोट देने के लिए पछता रहे हैं। वे एक बार फिर मोदी की प्रमाणित गारंटी पर अपना भरोसा जताएंगे।
TOI: कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत में उसकी गारंटी ने बड़ी भूमिका निभाई। क्या आपको लगता है कि ‘मोदी की गारंटी’ उन्हें मात दे सकती है?
पीएम मोदी: मेरे लिए गारंटी एक शब्द से कहीं बढ़कर है। यह मेरी कड़ी मेहनत और मेरी विश्वसनीयता से जुड़ी है। यह जनसेवा में मेरे पूरे जीवन का हासिल है। जब मैं गारंटी के बारे में बोलता हूं, तो यह मुझे लोगों के लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। जब मैं अपनी गारंटी को इतना महत्व देता हूं, तो स्वाभाविक रूप से लोग भी इसे महसूस करते हैं। लोग देखते हैं कि मोदी जो भी गारंटी देता है, उसे पूरा करता है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। नल के पानी के कनेक्शन से लेकर राशन तक, गरीबों के लिए घर बनाने से लेकर एक्सप्रेसवे तक, मोदी लोगों से की गई गारंटियों को पूरा कर रहा है। मोदी की गारंटियों में कोई किंतु-परंतु नहीं है। कांग्रेस पार्टी के लिए, उनके वादे लोगों को मूर्ख बनाकर वोट हासिल करने का एक तरीका मात्र हैं। उनके पास न तो विश्वसनीयता है और न ही अपने वादों को पूरा करने का इरादा है। उन्होंने आजादी के बाद से कई गारंटियां दी थीं। उनकी सबसे बड़ी नेता द्वारा 1971 में गरीबी हटाने के लिए दी गई गारंटी को देखिए, क्या हुआ ! कांग्रेस के लगातार पीएम गरीबी हटाने की बात करते रहे लेकिन दशकों तक कुछ नहीं हुआ। गरीब लोग घर, शौचालय, पानी के कनेक्शन जैसी बुनियादी जरूरतों के बिना जी रहे थे। भ्रष्टाचार बेरोकटोक जारी रहा। भारत के साथ ही आजाद हुए देश अपनी अर्थव्यवस्था के मामले में हमसे बहुत आगे निकल गए। हमारे सत्ता में आने से पहले भारत को ‘कमजोर पाँच’ देशों में से एक माना जाता था। इसलिए, लोगों के लिए मोदी की गारंटी और कांग्रेस के टूटे वादों के बीच कोई तुलना ही नहीं है।
TOI: कांग्रेस ने भाजपा पर कर्नाटक और अन्य जगहों पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने उस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया है। यह सब कैसे हो रहा है?
पीएम मोदी: मीडिया को आरोपों की बजाय कार्रवाई पर ध्यान देना चाहिए। देखिए कर्नाटक में क्या-क्या हुआ। बम धमाके, एक बेटी की नृशंस हत्या, भजन-कीर्तन कर रहे लोगों पर हमला... बम धमाकों के दौरान राज्य सरकार ने लोगों को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। बेटी की हत्या के मामले में मीडिया दिखा रहा है कि कैसे पिता न्याय के लिए भटक रहा है। वह कांग्रेस पार्टी से है, लेकिन फिर भी उसे न्याय नहीं मिल रहा है। यह तुष्टिकरण नहीं तो और क्या है? यह ध्रुवीकरण नहीं है कि कांग्रेस ने संविधान का उल्लंघन किया है और धर्म के आधार पर आरक्षण देने वाले कानून बनाए हैं। हमारा संविधान स्पष्ट रूप से धर्म के आधार पर आरक्षण देने पर रोक लगाता है, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने भाजपा द्वारा पारित ओबीसी को आरक्षण देने वाले कानून को पलट दिया और इसे मुसलमानों को दे दिया, सभी मुसलमानों को ओबीसी में वर्गीकृत कर दिया। यहां तक कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, जो एक संवैधानिक संस्था है, ने भी इसे 'सामाजिक न्याय' के सिद्धांतों के खिलाफ बताया।
तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने हाल ही में कहा है कि वह इस कदम को दोहराएगी। इससे साबित होता है कि कांग्रेस देश भर में एससी, एसटी और ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण को कम करके अल्पसंख्यकों को देना चाहती है। जिस पार्टी के प्रधानमंत्री ने कहा हो कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है, उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है?
TOI: क्या तीसरे कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव का विषय, आपकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर होगा? समान नागरिक संहिता के बारे में आपका क्या कहना है? क्या केंद्र सरकार इसे लागू करने में आगे रहेगी या इसे राज्यों पर छोड़ देगी?
पीएम मोदी: लंबे समय से सरकारें राष्ट्रीय हितों के बजाय चुनावी विचारों से प्रेरित रही हैं। हर साल कोई न कोई चुनाव होता रहता है और प्राथमिकता हमेशा अगला चुनाव जीतने की होती है, भले ही इसका मतलब भारत के लोगों के दीर्घकालिक हितों से समझौता करना हो। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। एक राष्ट्र, एक चुनाव यह सुनिश्चित करने जा रहा है कि एक राष्ट्र के रूप में हमारा समय, प्रयास और संसाधन राष्ट्र निर्माण की दिशा में अधिक उत्पादक रूप से निवेश किए जाएं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने पहले ही राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) को एक रिपोर्ट सौंप दी है, जो हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने पर शोध के बाद तैयार की गई है। हमारे तीसरे कार्यकाल में, इस मामले पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।
समान नागरिक संहिता भी हमारी पार्टी के मुख्य एजेंडे में से एक है। पहले से ही राज्यों में भाजपा सरकारें इसे लागू करने पर विचार कर रही हैं। उत्तराखंड, इसे लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। यह स्पष्ट है कि समुदायों के लिए अलग-अलग कानून समाज के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हम ऐसा राष्ट्र नहीं बन सकते जहाँ एक समुदाय संवैधानिक मानदंडों के सहारे आगे बढ़ रहा हो जबकि दूसरा समुदाय तुष्टिकरण के कारण समय के चक्रव्यूह में फंसा हुआ हो। हम भारत में समान नागरिक संहिता को वास्तविकता बनाने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास करेंगे।
TOI: कर्नाटक और अन्य जगहों पर आपके विरोधियों ने उत्तर-दक्षिण विभाजन का मुद्दा उठाया है, उनका दावा है कि केंद्र दक्षिणी राज्यों के साथ भेदभाव करता है। क्या आपको इसमें कोई दम नज़र आता है या यह उनकी गारंटी के लिए धन जुटाने की ज़रूरत से प्रेरित है?
पीएम मोदी: भेदभाव का झूठा हौवा खड़ा करना उनके भ्रष्टाचार और कुशासन से ध्यान हटाने का तरीका है। कर्नाटक के लोग गर्व से जय भारत जननीया तनुजते, जय हे कर्नाटक माते (भारत माता की बेटी, माँ कर्नाटक की जय) गाते हैं। क्या कांग्रेस वास्तव में सोचती है कि भारत को और विभाजित करने के उसके कदम को कर्नाटक के अत्यंत देशभक्त लोग स्वीकार करेंगे? हर देशभक्त भारतीय इस बनावटी और झूठे विभाजन को अस्वीकार करेगा जिसे कांग्रेस बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने वामपंथियों के साथ मिलकर केरल को लगभग दिवालिया बना दिया है और अब कर्नाटक और तेलंगाना में भी ऐसा ही करने की कोशिश कर रही है। कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता में आए अभी एक साल ही हुआ है और उन्होंने पहले ही इसकी समृद्ध अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। राज्य सरकार द्वारा लिया गया कर्ज बहुत बढ़ गया है और उनके खोखले वादों से लोगों को कोई लाभ नहीं मिला है। वास्तव में, उनके कुशासन ने निवेशकों को डरा दिया है और यह कर्नाटक से पूंजी पलायन का कारण बना है। राज्य में पिछले साल की तुलना में एफडीआई में 46% और स्टार्टअप के लिए फंड में 80% की कमी आई है।
TOI: परिसंपत्तियों के पुनर्वितरण के लिए मौजूदा प्रयास के बारे में आपकी चिंता क्या है? आपने कहा है कि सरकार को लोगों की संपत्ति और परिसंपत्तियों को जब्त नहीं करना चाहिए और ऐसा करने की योजना माओवादी सोच का प्रतीक है, जिसने कई देशों में तबाही मचाई है। क्या आप इसे वास्तविक खतरे के रूप में देखते हैं?
पीएम मोदी: हमें कांग्रेस पार्टी की इस खतरनाक योजना को, सिर्फ एक धमकी भर नहीं समझना चाहिए, यह धमकी बहुत वास्तविक है और हमारे देश को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकती है। यह माओवादी सोच और विचारधारा का स्पष्ट उदाहरण है। यह देखकर दुख होता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके युवराज ऐसी माओवादी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं जो विनाश का नुस्खा है। आपने युवराज को यह कहते हुए देखा होगा कि हम एक्स-रे करेंगे। यह एक्स-रे कुछ और नहीं बल्कि हर घर में छापेमारी है। वे किसानों पर छापेमारी करेंगे कि उनके पास कितनी जमीन है। वे आम आदमी पर छापेमारी करेंगे कि उसने कितनी मेहनत से संपत्ति अर्जित की है। वे हमारी महिलाओं के गहनों पर छापेमारी करेंगे। हमारा संविधान सभी अल्पसंख्यकों की संपत्ति की रक्षा करता है। इसका मतलब यह है कि जब कांग्रेस पुनर्वितरण की बात करती है, तो वह अल्पसंख्यकों की संपत्ति को नहीं छू सकती है, वह पुनर्वितरण के लिए वक्फ संपत्तियों पर विचार नहीं कर सकती है, लेकिन वह अन्य समुदायों की संपत्तियों पर नजर रखेगी। यह पूरी तरह से और अपरिवर्तनीय साम्प्रदायिक वैमनस्य पैदा करेगा।
यह एक ऐसी चीज है जिसके बारे में हमें बहुत सावधान रहना होगा, हम किसी को भी देश और उसके लोगों को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दे सकते, चाहे उनके पास कोई भी कारण हो। हमारा राष्ट्र, हमारे प्रत्येक नागरिक का कल्याण हमारी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हमारी सरकार बहुसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतियां नहीं बनाती है, हम ऐसी नीतियां नहीं बनाते हैं जो अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाएं; हम ऐसी नीतियां बनाते हैं जो बिना किसी भेदभाव के हमारे देश और उसके 140 करोड़ नागरिकों को लाभ पहुंचाएं।
TOI: जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ता जा रहा है, समानता और असमानता के बारे में चर्चा हो रही है। आपको लगता है कि संपत्ति कर और विरासत कर समाधान के तौर पर नहीं हैं!
पीएम मोदी: मुझे नहीं लगता कि ये किसी भी तरह से समाधान हैं। ये वास्तव में समाधान के रूप में छिपी हुई खतरनाक समस्याएं हैं। अगर सरकार पुनर्वितरण के नाम पर आपका पैसा छीन लेगी तो क्या आप दिन-रात काम करेंगे? आज हम 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनने के लिए सशक्त बना रहे हैं। ऐसी नीतियों से यह सुनिश्चित होगा कि महिलाएं लखपति न बनें और उनकी आकांक्षाएं आगे न बढ़ें। अगर किसी ने मुद्रा लोन लिया है और वह आगे बढ़ रहा है, तो उसका विकास रुक जाएगा। हमारे स्ट्रीट वेंडर जो अब हमारी नीतियों के कारण आगे बढ़ रहे हैं, वे भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। आज हम दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं। ऐसी नीतियां हमारे युवाओं द्वारा स्टार्टअप क्रांति को खत्म कर देंगी। यह नीति उनके वोट बैंक को खुश करने का एक तरीका है।
अगर हम वाकई लोगों की तरक्की सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो हमें बस बाधाओं को दूर करने और उन्हें सशक्त बनाने की जरूरत है। इससे उनकी उद्यमशीलता की क्षमता को बढ़ावा मिलता है, जैसा कि हमने अपने देश में देखा है; यहां तक कि टियर 2 और 3 शहरों में भी, जहां बहुत सारे स्टार्टअप और स्पोर्ट्स स्टार उभर रहे हैं। यही कारण हैं कि धन पुनर्वितरण, धन कर आदि कभी सफल नहीं हुए: उन्होंने कभी गरीबी को नहीं हटाया, उन्होंने इसे बस इस तरह वितरित किया कि हर कोई समान रूप से गरीब हो। गरीब गरीबी से त्रस्त रहते हैं, धन सृजन रुक जाता है और गरीबी एक समान हो जाती है। ये नीतियां कलह पैदा करती हैं और समानता के हर रास्ते को अवरुद्ध करती हैं, वे नफरत पैदा करती हैं और एक राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को अस्थिर करती हैं।
TOI: राम मंदिर को छोड़कर, इस बार कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं रहा। आप आशावादी लग रहे हैं कि लोग अपने जीवन और संभावनाओं में सुधार पर विचार करेंगे और आपको ‘सकारात्मक’ वोट देंगे। काशी और मथुरा के मंदिरों से संबंधित मामले अदालत में हैं। लंबी कानूनी प्रक्रिया का इंतजार करने के बजाय, क्या इन मुद्दों को दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत से सुलझाया जा सकता है?
पीएम मोदी: हां, राम मंदिर हमारे देश के लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। यह 500 वर्षों का सभ्यतागत संघर्ष है जिसका समाधान हो चुका है और भारतीयों की पीढ़ियों की प्रार्थनाएं सुनी गई हैं। लेकिन आप यह कहने में गलत हैं कि कोई और भावनात्मक मुद्दा नहीं है। एक महिला को नल का पानी का कनेक्शन, LPG कनेक्शन, शौचालय मिलना और लखपति दीदी बनना और बेहतर भविष्य के सपने देखने की शक्ति मिलना उसके और उसके पूरे परिवार के लिए एक भावनात्मक क्षण है। एक युवा जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहता है और अपने परिवार का भरण-पोषण करना चाहता है और अपने कारोबार को और आगे बढ़ाना चाहता है, उसके लिए बिना किसी गारंटी के मुद्रा ऋण मिलना भी एक बड़ा भावनात्मक क्षण है। एक किसान को उसका सम्मान मिलना, एक पिता को आयुष्मान भारत योजना के कारण अपने बच्चे को बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराना, एक रेहड़ी-पटरी वाला व्यक्ति पीएम-स्वनिधि के कारण दूसरी ठेला खोलना और पूरी तरह से UPI पर लेन-देन करना: ये सभी पूरे देश के लिए भावनात्मक क्षण हैं। जीवन स्तर में सुधार एक भावनात्मक मुद्दा है जो इस चुनाव में मजबूती से गूंज रहा है। इस देश के बहुत से लोग पहली बार देख रहे हैं कि उनका भविष्य बेहतर हो सकता है और वे अपने सपने साकार कर सकते हैं, जो उनके लिए एक भावनात्मक मुद्दा है।
जहाँ तक काशी और मथुरा का सवाल है, मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करूँगा क्योंकि मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। लेकिन हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे घोषणापत्र में देश भर में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने और भारत में सभी धर्मों के मंदिर स्थलों और सांस्कृतिक स्थलों को तीर्थयात्रा और पर्यटन के लिए विश्व स्तरीय स्थलों के रूप में विकसित करने के उद्देश्य की बात कही गई है। हमारे मंदिर वाले नगरों में हो रहे बड़े पैमाने पर विकास से न केवल तीर्थयात्रियों को बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलेगी।
TOI: 2019 में उज्ज्वला से लेकर पीएम-आवास योजना तक की कल्याणकारी योजनाएं पहली बार बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचीं। मतदाताओं ने योजनाओं का समर्थन किया और भाजपा को वोट दिया। इस बार, योजनाएं इतनी नई या अनोखी नहीं हैं। क्या योजनाओं की पहुंच, अभी भी एक ऐसा कारक होगा जो मतदाता की पसंद को उसी तरह प्रभावित करेगा?
पीएम मोदी: अगर आप इस बार हमारे घोषणापत्र को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि हमने न केवल अपनी योजनाओं का विस्तार किया है बल्कि गरीबों की मौजूदा आकांक्षाओं के अनुसार उन्हें नया रूप भी दिया है। उदाहरण के लिए मुद्रा योजना को ही लें। हमने इस योजना के माध्यम से उद्यमिता क्रांति ला दी और अब हम अपने उद्यमियों की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप ऋण राशि को दोगुना कर देंगे। उदाहरण के लिए बिजली को लें। हमने सुनिश्चित किया कि पहली बार 3 करोड़ से अधिक घरों और 18,000 गांवों तक बिजली पहुंचे। अब हम लोगों को मुफ्त बिजली मिले यह सुनिश्चित करने के लिए पीएम-सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना लेकर आए हैं। उदाहरण के लिए स्टार्टअप को लें। हमने सक्रिय नीतियां बनाईं और सुनिश्चित किया कि स्टार्टअप को पूरा समर्थन मिले। अब हम भारत को स्टार्टअप हब बनाना चाहते हैं।
तो आप देख सकते हैं कि निरंतरता है क्योंकि हम सफल होने के बाद अपनी दिशा बदलना नहीं चाहते। लेकिन हम योजनाओं के पैमाने और दायरे को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। जो गरीब गरीबी से बाहर निकल रहे हैं, उन्हें फिर से गरीबी में नहीं जाना चाहिए। जो प्रगति हुई है, उसे जारी रखना चाहिए। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा कि लोगों की आकांक्षाएँ भी पूरी हों और विकसित भारत को प्राप्त करने में भी मदद मिले। हमारे घोषणापत्र में केवल वही चीजें हैं जो प्राप्त की जा सकती हैं। हम झूठे और अवास्तविक वादे करने में विश्वास नहीं करते जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता।
TOI: विपक्ष के कुछ धड़े जैसे कि इंडी अलायंस लगातार ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने 2014 में और फिर 2019 में भी छेड़छाड़ का आरोप लगाया था...
पीएम मोदी: मुझे लगता है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ईवीएम के महत्व और इससे होने वाली पारदर्शिता के बारे में विस्तार से बताया गया है। विपक्ष हमेशा देश को बूथ कैप्चरिंग के दौर की ओर ले जाना चाहता है, जो केवल पेपर बैलेट के ज़रिए ही संभव है। मुझे नहीं लगता कि इंडी अलायंस के लोगों ने कभी ईवीएम के मामले में तर्क और कारण की परवाह की है। उनके लिए, ईवीएम हमेशा हार के बाद बलि का बकरा रही है। देखते हैं कि इस बार कुछ अलग होता है या नहीं।
TOI: विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि लोकतंत्र को खतरा है और यह भी कि देश ‘चुनावी निरंकुशता’ की ओर बढ़ रहा है। इस आरोप को कई विदेशी राजधानियों में समर्थन मिला है। क्या आप इसे चुनौती के रूप में देखते हैं?
पीएम मोदी: विपक्ष को सत्ता नहीं मिलने के कारण, वे विश्व मंच पर भारत को बदनाम करना शुरू कर देते हैं। वे हमारे लोगों, हमारे लोकतंत्र और हमारी संस्थाओं के बारे में झूठी अफवाहें फैलाते हैं। अगर युवराज को अपने आप सत्ता नहीं मिल सकती तो इसका मतलब यह नहीं है कि भारत कम लोकतांत्रिक है। मुझे नहीं लगता कि विदेशी राजधानियों में ऐसे आरोपों को मानने वाले ज़्यादा हैं। वे अक्सर अपने देशों में 'सर्टिफिकेट शॉप' की तुलना में वास्तविकता से ज़्यादा जुड़े होते हैं। जब मैं विश्व नेताओं से मिलता हूँ, तो मैं हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और हमारी संस्थाओं के लिए सच्ची प्रशंसा देखता हूँ। जब वे हमारी चुनावी प्रक्रिया के स्केल और स्पीड में गहराई से उतरते हैं, तो वे हमारी दक्षता से चकित हो जाते हैं।
TOI: सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों, खासकर ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि भाजपा में शामिल होते ही ‘दागी’ राजनेता बेदाग हो जाते हैं।
पीएम मोदी: मेरा मीडिया से अनुरोध है कि पहले इन आरोपों पर रिसर्च करें। कांग्रेस इस बात पर आत्मचिंतन करने के बजाय कि उसके लोग इतनी बड़ी संख्या में क्यों पार्टी छोड़ रहे हैं, ऐसे बहाने बना रही है। ऐसे कई नेता हैं, जिनके खिलाफ ईडी या सीबीआई में कोई मामला दर्ज नहीं है, लेकिन वे कांग्रेस छोड़कर हमारे साथ आ गए हैं। सच तो यह है कि एजेंसियों के पास जितने भी मामले हैं, उनमें से बहुत कम मामले राजनीतिक लोगों से जुड़े हैं। ईडी द्वारा जांचे गए भ्रष्टाचार के मामलों में से केवल 3% में ही राजनेता शामिल हैं। बाकी 97% मामले अधिकारियों और अपराधियों से जुड़े हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। पिछले 11 वर्षों में सीबीआई द्वारा जांचे जा रहे 10,622 प्रारंभिक जांच और नियमित मामलों में से केवल 1-1.5% मामलों में ही राजनेता शामिल थे। यह राजनीति से प्रेरित कार्यप्रणाली के दावे को खारिज करता है। एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि 2014 से पहले ईडी ने केवल 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी, जबकि पिछले 10 वर्षों में यह राशि बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी जांच सिर्फ़ इसलिए बंद नहीं की गई है क्योंकि इसमें शामिल व्यक्ति किसी ख़ास पार्टी में शामिल हो गया है। भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है और हम इससे गंभीरता से निपट रहे हैं। पिछले 10 सालों में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अपनी लड़ाई में हम काफ़ी आगे बढ़ चुके हैं और यह अब एक निर्णायक मोड़ पर हैं। हमारी केंद्रीय एजेंसियों की जांच हाई-प्रोफाइल नौकरशाहों तक भी फैली हुई है, जिसके परिणामस्वरूप 16,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की आय की पहचान और जब्ती हुई है। ये संख्याएँ आर्थिक अपराधों से निपटने में निष्पक्ष और प्रभावी होने के लिए एजेंसियों की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
TOI: दिल्ली में मौजूदा मुख्यमंत्री जेल में है। हालांकि कानून इस पर चुप है, लेकिन यह परंपरा के खिलाफ है। क्या आपको लगता है कि यह एक मिसाल बन जाएगा?
पीएम मोदी: मुझे लगता है कि मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को इस मुद्दे पर पूरा परिदृश्य दिखाए, दिल्ली के लोग किस तरह से पीड़ित हैं और अदालतों ने इस मामले में क्या कहा है। मुझे उम्मीद है कि यह एक मिसाल नहीं बनेगा। मुझे लगता है कि अन्य राजनेताओं में नैतिकता की इतनी कमी नहीं होगी और वे इस हद तक नहीं जाएंगे।
TOI: एनडीए द्वारा नियुक्त राज्यपालों का कुछ विपक्षी शासित राज्य सरकारों के साथ टकराव चल रहा है, जिन्होंने राजभवन पर उनके काम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। आप इन आरोपों का जवाब कैसे देंगे?
पीएम मोदी: राजभवनों को कांग्रेस भवन में बदलने वाली कांग्रेस पार्टी को राज्यपाल पद की शुचिता के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री बनने से पहले मैं एक दशक से भी ज़्यादा समय तक एक राज्य का मुख्यमंत्री था। उन सालों में मैंने कांग्रेस के राज्यपालों के अधीन काम किया। मैं उनका सम्मान करता था और वे भी मेरा सम्मान करते थे, हमारे मतभेदों के बावजूद, और यह कई सालों तक चलता रहा। शायद भारत की आज़ादी के बाद पहली बार हम विभिन्न राज्यों में अपने राज्यपालों पर इस तरह के अभूतपूर्व हमले देख रहे हैं। हमें यह समझना चाहिए कि राज्यपाल संघ और राज्य सरकार के बीच एक सेतु का काम करते हैं, जिससे एक विविधतापूर्ण और विशाल राष्ट्र में प्रशासन में बहुत ज़रूरी संतुलन आता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्यों में हम राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा राज्यपाल के काफिले को रोकने और कुछ राज्यों में राजभवन पर पेट्रोल बम फेंकने की घटना सुन रहे हैं। इस तरह का व्यवहार चिंताजनक और अस्वीकार्य है। जब ऐसी घटनाएँ होती हैं, तो वे राज्य में समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा करती हैं। यह अधिकार और कानून के शासन के प्रति सम्मान के टूटने का संकेत देता है।
जहां तक राज्य के मामलों में राजभवन के हस्तक्षेप की बात है, तो हमें इतिहास पर नजर डालने की जरूरत है। किस पार्टी और सत्ता में बैठे लोगों ने राज्य की मशीनरी को पंगु बनाने के लिए अनुच्छेद 356 का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया, जिससे वे असहमत थे? किस प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकारों को गिराने के लिए पचास बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया? और यह सवाल उठता है: 2014 से अब तक कितनी निर्वाचित राज्य सरकारों को अनैतिक तरीके से गिराया गया है? एक भी नहीं। इसके बजाय, केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ सहकारी संघवाद में वृद्धि हुई है। राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्राधिकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, और राजनीतिक मतभेदों की परवाह किए बिना सभी दलों द्वारा उनकी स्थिति का सम्मान किया जाना चाहिए।
TOI: आपने रोजगार की अवधारणा को सरकारी नौकरियों से आगे बढ़ाकर स्वरोजगार तक विस्तारित करने का प्रयास किया है। क्या आपको लगता है कि सरकारी नौकरियों के प्रति पूर्वाग्रह को देखते हुए आपका प्रयास सफल होगा?
पीएम मोदी: हमारा प्रयास युवाओं के लिए अवसरों के दायरे का विस्तार करना रहा है, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो, निजी क्षेत्र हो या उद्यमिता हो। हमारे 10 साल, तीनों क्षेत्रों में अधिकतम अवसर पैदा करने के लिए याद किए जाएंगे। यह तर्क देने के बजाय कि एक तरह की नौकरी बेहतर है या दूसरी, हमने युवाओं के लिए उपलब्ध अवसरों के समग्र पूल को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। परिणाम दिखाई दे रहे हैं। वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़े हमें दिखाते हैं कि 2017 और 2023 के बीच श्रम बल भागीदारी दर 49.8% से बढ़कर 57.9% हो गई है। बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% हो गई है। 2017 और 2024 के बीच 7 करोड़ से अधिक नए लोग EPFO से जुड़े हैं। अकेले मुद्रा योजना के साथ 8 करोड़ से अधिक नए व्यवसाय शुरू किए गए हैं और प्रत्येक व्यवसाय ने 1-2 लोगों का समर्थन किया है। इसका मतलब है कि 15 करोड़ से अधिक अवसर पैदा हुए हैं। अब इसमें स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया लोन और स्वनिधि लोन जोड़ दें तो उद्यमी क्षेत्र पूरी तरह से बदल गया है। हमने युवाओं के लिए अनेक नए रास्ते खोले हैं। स्पेस सेक्टर, जिसके बारे में कुछ वर्ष पहले तक कोई सोचता भी नहीं था, आज फल-फूल रहा है।
हमारी गिग इकोनॉमी फल-फूल रही है और लाखों लोगों को रोजगार दे रही है, जिनमें से 20% से ज़्यादा लोग हाई स्किल्ड नौकरियों में लगे हुए हैं। हमारी डिजिटल इकोनॉमी भी तेज़ी से बढ़ रही है और 2019 तक 6 करोड़ से ज़्यादा नौकरियाँ पैदा हो चुकी हैं; यह संख्या अगले कुछ सालों में दोगुनी हो सकती है। एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में रियल एस्टेट सेक्टर में 3 करोड़ से ज़्यादा नई नौकरियाँ पैदा हुई हैं। मैं रोज़गार मेलों में नियमित रूप से जाता हूँ जो सरकारी नौकरियाँ देने का अब तक का सबसे बड़ा अभियान है जहाँ हमने लाखों युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए हैं।
TOI: 2047 में ‘विकसित भारत’ का आपका सपना हकीकत बनने में अभी 23 साल दूर है। जब तक यह साकार होगा, तब तक आपकी उम्र 95 साल के करीब होगी। फिर भी, आपके समर्थकों और कई अन्य लोगों के लिए, आप उस सपने के केंद्र में हैं।
पीएम मोदी: भारत का विकसित भारत बनना मोदी का विजन नहीं है। यह 140 करोड़ भारतीयों की विजन और इच्छा है कि जब देश आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाए, तो यह एक विकसित राष्ट्र हो। मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानता हूं कि मैं अपने देशवासियों के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने का माध्यम रहा हूं। हमारे काम की स्पीड और स्केल, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की हमारी उत्सुकता को दर्शाता है। हमारा सैचुरेशन मॉडल हर परिवार के लिए समृद्धि के द्वार खोलने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। टेक्नोलॉजी और नए अवसरों की ओर हमारा जोर यह सुनिश्चित कर रहा है कि हमारी युवा शक्ति अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचे। आज हमारी सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं, हमारी नारी शक्ति सामाजिक बदलाव का नेतृत्व कर रही है, हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्लोबल स्टैंडर्ड्स को प्राप्त कर रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक आत्मनिर्भर बन रही है। पिछले 10 वर्षों में, हमने देश के विकास को उड़ान भरने के लिए एक ठोस आधार तैयार किया है। इसलिए मैं कहता हूं कि आपने अब तक जो देखा है वह केवल एक ट्रेलर है। बहुत कुछ है जो मैं करना चाहता हूं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मोदी को 140 करोड़ भारतीयों का आशीर्वाद प्राप्त है। वह तब तक नहीं रुकेगा, जब तक विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो जाता।
TOI: आपको अधिक मुखर और महत्वाकांक्षी विदेश नीति के साथ भारत के वैश्विक कद को बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। एक संघर्ष ग्रस्त दुनिया में भारत का नेतृत्व करने के अपने अनुभव के बारे में बताइए, जिसमें हमारे राष्ट्रीय हितों की खोज, कम से कम पश्चिम में हमारे कुछ भागीदारों को, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के नियमों के विपरीत लगती थी?
पीएम मोदी: क्या हमारी विदेश नीति का लक्ष्य, हमारे राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना नहीं होना चाहिए? विदेश नीति के प्रति हमारा दृष्टिकोण ‘नेशन फर्स्ट’ है। और जब हम ‘नेशन फर्स्ट’ अप्रोच के माध्यम से अपने उत्थान की बात करते हैं, तो इससे दुनिया को कोई खतरा नहीं होता। दुनिया को लगता है कि भारत का उत्थान, दुनिया के लिए अच्छा है। दुनिया केवल उन्हीं का सम्मान करती है जो अपने लिए खड़े होते हैं। कोई भी उनका सम्मान नहीं करता जो अपने राष्ट्रीय हितों के लिए खड़े भी नहीं हो सकते। इसलिए जब हमने अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपनी विदेश नीति का संचालन किया, तो शुरू में यह कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात रही होगी। उदाहरण के लिए, जब हमने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए व्यापार सौदे पर चर्चा की, तो हमारे साझेदार और यहां तक कि मीडिया भी हमें ऐसा करते देखकर हैरान रह गए। हमारे साझेदारों ने महसूस किया है कि देशों के लिए अपने राष्ट्रीय हितों के लिए खड़ा होना सामान्य बात है। ऐसा करने से, वास्तव में, भारत के प्रति उनका सम्मान बढ़ा है। वे एक नई वास्तविकता से रूबरू हुए हैं जहां भारत इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि उसके लोगों के लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं। आज, दुनिया भारत का सम्मान करती है क्योंकि वैश्विक संघर्षों के बावजूद यह सुनिश्चित करने में सक्षम है कि उसके नागरिकों के लिए ईंधन और ऊर्जा की कीमतें नियंत्रण में रहें।
जब भी मैं विश्व नेताओं से मिलता हूँ, तो मैं देखता हूँ कि भारत के प्रति उनकी रुचि और आकर्षण बढ़ रहा है। वे अपने देशों की स्थिति को देखते हैं और इसकी तुलना भारत से करते हैं कि कैसे यह आशावाद और अवसरों से भरा हुआ देश है। मैं भारत और भारतीयों के प्रति वास्तविक सम्मान देखता हूँ। हाँ, आज दुनिया संघर्ष और अराजकता से भरी हुई है, लेकिन भारत जैसे शांत और विकास के द्वीप भी हैं। दुनिया में आज भारत की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
TOI: अगर आपका अनुमान सही साबित होता है, तो आप लगातार तीन जीत हासिल कर पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। आप दोनों की इतनी अलग पृष्ठभूमि होने के बावजूद इस खास उपलब्धि पर आपका क्या कहना है?
पीएम मोदी: सच कहूं तो मुझे इन रिकॉर्ड्स के बारे में नहीं पता। ऐसे ट्रेंड्स का विश्लेषण करना आपका काम है। मैं तो बस अपना काम करता रहता हूं। लेकिन चूंकि आपने यह सवाल पूछा है, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप इसका विश्लेषण करें। आप उस समय की राजनीतिक स्थिति को देखें, विपक्षी दलों और उनके नेताओं को देखें। आप लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के स्तर को देखें, उनकी शिक्षा के स्तर को देखें। आप मीडिया की मौजूदगी को देखें। नेहरू जी के 10 साल और हमारे 10 साल में देश ने कितनी तरक्की की, इसका विश्लेषण किया जाना चाहिए। हम बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं क्योंकि देश अगले 25 साल के लिए रोडमैप तैयार कर रहा है और उससे लोगों को जानकारी मिलेगी।
पब्लिश्ड इंटरव्यू की क्लिपिंग्स:
स्रोत: द टाइम्स ऑफ इंडिया