'द असम ट्रिब्यून' के साथ पीएम मोदी के इंटरव्यू का पहला भाग

द असम ट्रिब्यून: चूंकि आप वर्षों से पूर्वोत्तर का दौरा कर रहे हैं, हम मानते हैं कि आप इस क्षेत्र की समस्याओं और चुनौतियों से भली-भांति परिचित हैं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आप अपने दस साल के कार्यकाल में किन समस्याओं का समाधान कर सके?

प्रधानमंत्री: आज़ादी के बाद दशकों तक पूर्वोत्तर राज्य हाशिए पर धकेल दिए गए थे। लगातार कांग्रेस सरकारों ने पूर्वोत्तर के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया क्योंकि उनके लिए इस क्षेत्र में संभावित चुनावी लाभ बहुत कम था। उनके लिए पूर्वोत्तर बहुत दूर था और इसके विकास के लिए काम करना भी मुश्किल था।

जब हमने सरकार बनाई तो पूर्वोत्तर में यथास्थिति बदलने की मेरी दृढ़ प्रतिबद्धता थी। हमने अलगाव और उदासीनता की नीति को एकीकरण की नीति से बदल दिया। पिछले 10 वर्षों में, यह दिखाई दे रहा है कि कैसे हमने पूर्वोत्तर के अलगाव को समाप्त किया है और इसे पूर्व में भारत के ‘प्रवेश द्वार’ के रूप में विकसित किया है। मैंने लगभग 70 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है, जो शायद मुझसे पहले के सभी प्रधानमंत्रियों की कुल यात्राओं से भी अधिक है। 2015 के बाद से केंद्रीय मंत्री 680 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। हमने लोगों के दरवाजे तक गवर्नेंस पहुंचाकर इस धारणा को बदल दिया है कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर ना दिल्ली से दूर है और ना दिल से दूर है!

आज पूर्वोत्तर, नए भारत की शानदार सक्सेस स्टोरी बनकर उभरा है। इसने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही होती है, तो नतीजे भी सही होते हैं।

पिछले पांच वर्षों में, हमने क्षेत्र के विकास के लिए जो निवेश किया है, वह कांग्रेस सरकार या पिछली किसी भी सरकार द्वारा आवंटित बजट से लगभग चार गुना अधिक है। पिछले दशक में हुए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने इस क्षेत्र को देश और दुनिया के बाकी हिस्सों से अभूतपूर्व स्तर पर जोड़ने का काम किया है।

हमने बोगीबील ब्रिज और भूपेन हजारिका सेतु जैसी लंबे समय से प्रतीक्षित महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं को पूरा किया, जिससे लोगों का जीवन आसान हो गया है। हाल ही में, मुझे सेला टनल का उद्घाटन करने का अवसर मिला, जो 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

हमारी सरकार ने ही 2019 में इसका शिलान्यास किया था। इसलिए, आप हमारे काम की स्पीड और स्केल को देख सकते हैं।

मुझे पूर्वोत्तर की युवा शक्ति, उनकी प्रतिभा, उनके कौशल और उनकी ऊर्जा पर भरोसा है। हमने शिक्षा, खेल, उद्यमिता और कई अन्य क्षेत्रों में उनके लिए दरवाजे खोले हैं।

2014 के बाद से पूर्वोत्तर में हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए 14,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं।

देश की पहली स्पोर्ट यूनिवर्सिटी मणिपुर में स्थापित की गई है। हम 8 राज्यों में 200 से अधिक ‘खेलो इंडिया सेंटर’ बना रहे हैं।

पिछले दशक में इस क्षेत्र से 4,000 से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं।

इस रीजन में कृषि क्षेत्र फल-फूल रहा है, फलों के निर्यात, जैविक खेती और मिशन ऑयल पाम से काफी समृद्धि आ रही है।

आज पूर्वोत्तर सभी क्षेत्रों में सबसे आगे है।

                                         Prime Minister Narendra Modi with The Assam Tribune scribe R Dutta Choudhary

द असम ट्रिब्यून: उग्रवाद, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है और प्रधानमंत्री के रूप में आपके कार्यकाल के दौरान, असम के अधिकांश उग्रवादी समूहों और क्षेत्र के अन्य राज्यों के कुछ उग्रवादी समूहों ने हथियार डाल दिए हैं। क्षेत्र से उग्रवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?


प्रधानमंत्री: विद्रोह, घुसपैठ और संस्थागत उपेक्षा का एक लंबा इतिहास रहा है।

हां, हमने उग्रवाद से दृढ़ता से निपटने का फैसला किया, लेकिन साथ ही, हमने यह भी सुनिश्चित किया कि आम लोगों को बहुत सावधानी और सहानुभूति के साथ अपनाया जाए।

नतीजतन, जहां हमने उग्रवाद को काफी हद तक नियंत्रित किया है, वहीं हम अपने लोगों का विश्वास जीतने और शांति सुनिश्चित करने में भी सक्षम हुए हैं।

पिछले 10 वर्षों में कुल 11 शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह किसी भी पिछली सरकार की तुलना में एक अभूतपूर्व प्रगति है। 2014 से अब तक 9,500 से अधिक विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण किया है और समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। हमारी सरकार के अथक प्रयासों के कारण अब पूरे पूर्वोत्तर में 2014 के बाद से सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है। 2014 की तुलना में 2023 में उग्रवाद की घटनाओं में 71 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह, इस अवधि में सुरक्षा बल की हताहतों की संख्या में 60 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों की मौतों में 82 प्रतिशत की कमी आई है। बेहतर सुरक्षा स्थिति के कारण, पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों से AFSPA हटा लिया गया है। हमने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद निपटान समझौतों पर सफलतापूर्वक बातचीत की है, जिससे सीमा पर 123 गांवों से जुड़े, लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत हो गया है। हमने असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराने विवाद को सुलझा लिया है। बोडो समझौते और ब्रू-रियांग समझौते जैसे शांति समझौतों के कारण कई विद्रोहियों और आतंकवादियों ने अपने हथियार आत्मसमर्पण कर दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। हमने संवैधानिक संशोधन के जरिए, सत्ता के लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के माध्यम से अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए विकास प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वायत्त परिषदों को मजबूत किया है। हमने विद्रोहियों के पुनर्वास, वित्तीय सहायता और व्यापक पुनर्वास प्रक्रियाओं के माध्यम से मुख्यधारा के समाज में उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से योजनाएं शुरू की हैं। हमने पूर्वोत्तर में नाकाबंदी के युग को समाप्त कर दिया है, जिससे सभी को बड़ी असुविधा होती थी और क्षेत्र का विकास बाधित होता था। हमारे द्वारा किए गए सभी प्रयासों से क्षेत्र में शांति के युग की शुरुआत हुई है।

द असम ट्रिब्यून: कम्युनिकेशन से जुड़ी कठिनाइयां, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस समस्या से निपटने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?

प्रधानमंत्री: पूर्वोत्तर की स्ट्रेटेजिक लोकेशन को देखते हुए, हमारा विजन यह है कि इस क्षेत्र को भारत के बढ़ते आर्थिक संबंधों के आधार के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की आकांक्षाएं पूरी हों। हां, समस्याएं थीं। लेकिन हमने समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया। आज, पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी में सुधार देखा जा रहा है, चाहे वह सड़कें हो या रेलवे, एयरवेज हो या वाटरवेज। यहां तक कि क्षेत्र के सुदूर कोनों में भी 5G कनेक्टिविटी स्थापित की जा रही है। सीमावर्ती गांव अब वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो दर्शाता है कि अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी कैसे वंचितों तक पहुंच रही है। हमने पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार के मंत्रालयों द्वारा 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके पूर्वोत्तर को एक "परित्यक्त क्षेत्र" से "संपन्न क्षेत्र" में बदल दिया है। पिछले 10 वर्षों में, पूर्वोत्तर में कई चीजें पहली बार हुई हैं: पूर्वोत्तर के कई हिस्से पहली बार रेल सेवा से जुड़ रहे हैं। आजादी के 67 साल बाद मेघालय भारत के रेल नेटवर्क पर आया। नागालैंड को 100 साल बाद अब अपना दूसरा रेलवे स्टेशन मिल गया है। पहली मालगाड़ी मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पहुंची। पूर्वोत्तर को पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन मिल गई। सिक्किम को पहला हवाई अड्डा मिला। जरा कल्पना कीजिए कि पिछली सरकारों ने कैसा अभाव पैदा किया था और किस पैमाने पर उपेक्षा की थी। UDAN योजना के तहत 74 रूट्स ऑपरेशनलाइज करते हुए एयरपोर्ट्स की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गई है। 2014 से पहले पूर्वोत्तर में केवल एक नेशनल वाटरवेज था। अब 5 वाटरवेज चालू हैं। मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए सैकड़ों टावर गांवों को कवर कर रहे हैं। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि अगरतला में एक अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे (IIG) है। मुंबई और चेन्नई के बाद इस तरह के गेटवे वाला यह देश का तीसरा केंद्र है। पूर्वोत्तर का विकास, हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का भी अभिन्न अंग है। हम प्रमुख परियोजनाओं के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया को पूर्वोत्तर से जोड़ने पर लगातार काम कर रहे हैं, चाहे वह भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग हो या कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट हो। मेरा दृढ़ विश्वास है कि विकसित भारत का रास्ता हमारे पूर्वोत्तर के अष्टलक्ष्मी राज्यों के विकास से होकर गुजरता है।

द असम ट्रिब्यून: चीन वर्षों से अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करता रहा है और समय-समय पर चीनी इस मुद्दे को उठाते रहते हैं। क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है? यह सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं कि राज्य का हर इंच भारत के भीतर रहे?

प्रधानमंत्री: मुझे समझ नहीं आता कि ‘असम ट्रिब्यून’ को इस बारे में कोई संदेह क्यों होना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, था और रहेगा। आज सूरज की पहली किरण की तरह अरुणाचल और नॉर्थईस्ट तक विकास के काम पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से पहुंच रहे हैं। पिछले महीने, मैंने ‘विकसित भारत, विकसित नॉर्थ-ईस्ट’ कार्यक्रम के लिए ईटानगर का दौरा किया था। मुझे 55,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का अनावरण करने का सौभाग्य मिला, जो विकसित नॉर्थ ईस्ट के लिए गारंटी प्रदान कर रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में लगभग 35,000 परिवारों को उनके पक्के घर मिले, और 45,000 परिवारों को पेयजल आपूर्ति परियोजना से लाभ हुआ। मैंने सेला सुरंग का उद्घाटन किया जो तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक रियल स्ट्रेटेजिक गेम-चेंजर है। 2022 में, हमने देश के बाकी हिस्सों से बेहतर एयर कनेक्टिविटी के लिए डोनी पोलो एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। एनर्जी के फ्रंट पर, दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना रोजगार, ऊर्जा और जल संसाधन प्रबंधन में योगदान देगी। हमने लगभग 125 गांवों के लिए नई सड़क परियोजनाएं और 150 गांवों में पर्यटन और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाएं शुरू की हैं। सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की UNNATI स्कीम भी शुरू की है जो नॉर्थ-ईस्ट में निवेश और नौकरियों के लिए नई संभावनाएं लाएगी।

द असम ट्रिब्यून: आप मणिपुर की स्थिति को कैसे आंकते हैं और राज्य में जातीय सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम प्रस्तावित हैं? मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष ने आपकी आलोचना की थी। क्या आप उस पर टिप्पणी करना चाहेंगे?

प्रधानमंत्री: हमारा मानना है कि स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बारे में मैं पहले ही संसद में बोल चुका हूं। हमने संघर्ष को सुलझाने के लिए अपने सर्वोत्तम संसाधन और प्रशासनिक मशीनरी लगाई है। भारत सरकार के समय पर हस्तक्षेप और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जब संघर्ष अपने चरम पर था तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में रहे और संघर्ष को सुलझाने में मदद के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ 15 से अधिक बैठकें कीं। राज्य सरकार की आवश्यकता के अनुसार केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन दे रही है। राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है। राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया निरंतर जारी है। राज्य में शिविरों में रहने वाले लोगों की सहायता के लिए वित्तीय पैकेज सहित राहत और पुनर्वास के लिए उपचारात्मक उपाय किए गए हैं।

द असम ट्रिब्यून: NSCN(IM) के साथ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर 2015 में आपकी उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे। हम अंतिम समाधान की उम्मीद कब कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री: हमारी सरकार द्वारा की गई पहल के परिणामस्वरूप, दशकों पुरानी नागा राजनीतिक समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए 3 अगस्त 2015 को नागालैंड के NSCN/इसाक मुइवा समूह के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता व्यापक सिद्धांतों को निर्धारित करता है जिसके तहत अंतिम समझौते पर काम किया जाएगा। भारत सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधि NSCN(IM) और अन्य नागा समूहों के साथ बातचीत कर रहे हैं। भारत सरकार, नागा समूहों के साथ शांति वार्ता को जल्द से जल्द सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।


द असम ट्रिब्यून: पिछले कुछ समय से मिजोरम, म्यांमार से घुसपैठ के कारण परेशानी का सामना कर रहा है। सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है?

प्रधानमंत्री: जैसा कि आप जानते हैं, म्यांमार के नागरिकों का भारत में यह आगमन काफी हद तक म्यांमार में हो रहे आंतरिक घटनाक्रमों के कारण है। हम म्यांमार के अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाते रहे हैं क्योंकि यह सीधे भारत, विशेष रूप से हमारे पूर्वोत्तर राज्यों को प्रभावित करता है। घुसपैठ को रोकने और अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए, सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में भारत और म्यांमार के बीच स्वतंत्र आवागमन व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय, भारत-म्यांमार सीमा पर सीमा रक्षक बलों की बढ़ी हुई और प्रभावी तैनाती, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच घनिष्ठ समन्वय आदि शामिल हैं। भारत सरकार ने भारत-म्यांमार सीमा पर संभावित स्थानों पर बाड़ लगाने का निर्माण शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने मिजोरम सरकार से राज्य में अवैध प्रवासियों के बायोमेट्रिक डेटा को इकट्ठा करने के लिए एक अभियान चलाने का आग्रह किया है। भारत सरकार बायोमेट्रिक कैप्चर योजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को उपकरण और आवश्यक सहायता भी प्रदान कर रही है। हम ज़मीनी स्तर पर बदलती वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए नीतिगत बदलाव ला रहे हैं। हम म्यांमार में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता लौटते देखना चाहते हैं ताकि ये लोग शांतिपूर्वक अपने देश लौट सकें।

स्रोत: The Assam Tribune

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी अन्नपूर्णा देवी जी, सावित्री ठाकुर जी, सुकांता मजूमदार जी, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां आए सभी अतिथि, और सभी प्यारे बच्चों,

आज हम तीसरे ‘वीर बाल दिवस’ के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बन गया है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है! आज देश के 17 बच्चों को वीरता, इनोवेशन, साइंस और टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में सम्मानित किया गया है। इन सबने ये दिखाया है कि भारत के बच्चे, भारत के युवा क्या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। मैं इस अवसर पर हमारे गुरुओं के चरणों में, वीर साहबजादों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मैं अवार्ड जीतने वाले सभी बच्चों को बधाई भी देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं और उन्हें देश की तरफ से शुभकामनाएं भी देता हूं।

साथियों,

आज आप सभी से बात करते हुए मैं उन परिस्थितियों को भी याद करूंगा, जब वीर साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया था। ये आज की युवा पीढ़ी के लिए भी जानना उतना ही जरूरी है। और इसलिए उन घटनाओं को बार-बार याद किया जाना ये भी जरूरी है। सवा तीन सौ साल पहले के वो हालात 26 दिसंबर का वो दिन जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, आयु कम थी लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा, जब वजीर खान ने उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने उन्हें गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह की वीरता याद दिलाई। ये वीरता हमारी आस्था का आत्मबल था। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से वो कभी विचलित नहीं हुए। वीर बाल दिवस का ये दिन, हमें ये सिखाता है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं। कितना भी विपरीत समय क्यों ना हो, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। इसलिए देश के लिए किया गया हर काम वीरता है, देश के लिए जीने वाला हर बच्चा, हर युवा, वीर बालक है।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये वर्ष और भी खास है। ये वर्ष भारतीय गणतंत्र की स्थापना का, हमारे संविधान का 75वां वर्ष है। इस 75वें वर्ष में देश का हर नागरिक, वीर साहबजादों से राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए काम करने की प्रेरणा ले रहा है। आज भारत जिस सशक्त लोकतंत्र पर गर्व करता है, उसकी नींव में साहबजादों की वीरता है, उनका बलिदान है। हमारा लोकतंत्र हमें अंत्योदय की प्रेरणा देता है। संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। और ये नीति, ये प्रेरणा हमारे गुरुओं के सरबत दा भला के उस मंत्र को भी सिखाती हैं, जिसमें सभी के समान कल्याण की बात कही गई है। गुरु परंपरा ने हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इसी विचार की प्रेरणा देता है। वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता न करने की सीख देता है। और संविधान भी हमें भारत की प्रभुता और अखंडता को सर्वोपरि रखने का सिद्धांत देता है। एक तरह से हमारे लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है और देश की एकता का मूल मंत्र है।

साथियों,

इतिहास ने और इतिहास से वर्तमान तक, भारत की प्रगति में हमेशा युवा ऊर्जा की बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई से लेकर के 21वीं सदी के जनांदोलनों तक, भारत के युवा ने हर क्रांति में अपना योगदान दिया है। आप जैसे युवाओं की शक्ति के कारण ही आज पूरा विश्व भारत को आशा और अपेक्षाओं के साथ देख रहा है। आज भारत में startups से science तक, sports से entrepreneurship तक, युवा शक्ति नई क्रांति कर रही है। और इसलिए हमारी पॉलिसी में भी, युवाओं को शक्ति देना सरकार का सबसे बड़ा फोकस है। स्टार्टअप का इकोसिस्टम हो, स्पेस इकॉनमी का भविष्य हो, स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर हो, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग की इंडस्ट्री हो, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप की योजना हो, सारी नीतियां यूथ सेंट्रिक हैं, युवा केंद्रिय हैं, नौजवानों के हित से जुड़ी हुई हैं। आज देश के विकास से जुड़े हर सेक्टर में नौजवानों को नए मौके मिल रहे हैं। उनकी प्रतिभा को, उनके आत्मबल को सरकार का साथ मिल रहा है।

मेरे युवा दोस्तों,

आज तेजी से बदलते विश्व में आवश्यकताएँ भी नई हैं, अपेक्षाएँ भी नई हैं, और भविष्य की दिशाएँ भी नई हैं। ये युग अब मशीनों से आगे बढ़कर मशीन लर्निंग की दिशा में बढ़ चुका है। सामान्य सॉफ्टवेयर की जगह AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम हर फ़ील्ड नए changes और challenges को महसूस कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमारे युवाओं को futuristic बनाना होगा। आप देख रहे हैं, देश ने इसकी तैयारी कितनी पहले से शुरू कर दी है। हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, national education policy लाये। हमने शिक्षा को आधुनिक कलेवर में ढाला, उसे खुला आसमान बनाया। हमारे युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे बच्चों को इनोवेटिव बनाने के लिए देश में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब शुरू की गई हैं। हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में व्यावहारिक अवसर मिले, युवाओं में समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की भावना बढ़े, इसके लिए ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया गया है।

भाइयों बहनों,

आज देश की एक और बड़ी प्राथमिकता है- फिट रहना! देश का युवा स्वस्थ होगा, तभी देश सक्षम बनेगा। इसीलिए, हम फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे मूवमेंट चला रहे हैं। इन सभी से देश की युवा पीढ़ी में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। एक स्वस्थ युवा पीढ़ी ही, स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी। इसी सोच के साथ आज सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की जा रही है। ये अभियान पूरी तरह से जनभागीदारी से आगे बढ़ेगा। कुपोषण मुक्त भारत के लिए ग्राम पंचायतों के बीच एक healthy competition, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो, सुपोषित ग्राम पंचायत, विकसित भारत का आधार बने, ये हमारा लक्ष्य है।

साथियों,

वीर बाल दिवस, हमें प्रेरणाओं से भरता है और नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। मैंने लाल किले से कहा है- अब बेस्ट ही हमारा स्टैंडर्ड होना चाहिए, मैं अपनी युवा शक्ति से कहूंगा, कि वो जिस सेक्टर में हों उसे बेस्ट बनाने के लिए काम करें। अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारी सड़कें, हमारा रेल नेटवर्क, हमारा एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम मैन्युफैक्चरिंग पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारे सेमीकंडक्टर, हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स, हमारे ऑटो व्हीकल दुनिया में बेस्ट हों। अगर हम टूरिज्म में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशन, हमारी ट्रैवल अमेनिटी, हमारी Hospitality दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम स्पेस सेक्टर में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारी सैटलाइट्स, हमारी नैविगेशन टेक्नॉलजी, हमारी Astronomy Research दुनिया में बेस्ट हो। इतने बड़े लक्ष्य तय करने के लिए जो मनोबल चाहिए होता है, उसकी प्रेरणा भी हमें वीर साहिबजादों से ही मिलती है। अब बड़े लक्ष्य ही हमारे संकल्प हैं। देश को आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूँ, भारत का जो युवा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान संभाल सकता है, भारत का जो युवा अपने इनोवेशन्स से आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है, जो युवा दुनिया के हर बड़े देश में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है, वो युवा, जब उसे आज नए अवसर मिल रहे हैं, तो वो अपने देश के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए, विकसित भारत का लक्ष्य सुनिश्चित है। आत्मनिर्भर भारत की सफलता सुनिश्चित है।

साथियों,

समय, हर देश के युवा को, अपने देश का भाग्य बदलने का मौका देता है। एक ऐसा कालखंड जब देश के युवा अपने साहस से, अपने सामर्थ्य से देश का कायाकल्प कर सकते हैं। देश ने आजादी की लड़ाई के समय ये देखा है। भारत के युवाओं ने तब विदेशी सत्ता का घमंड तोड़ दिया था। जो लक्ष्य तब के युवाओं ने तय किया, वो उसे प्राप्त करके ही रहे। अब आज के युवाओं के सामने भी विकसित भारत का लक्ष्य है। इस दशक में हमें अगले 25 वर्षों के तेज विकास की नींव रखनी है। इसलिए भारत के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा इस समय का लाभ उठाना है, हर सेक्टर में खुद भी आगे बढ़ना है, देश को भी आगे बढ़ाना है। मैंने इसी साल लालकिले की प्राचीर से कहा है, मैं देश में एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिसके परिवार का कोई भी सक्रिय राजनीति में ना रहा हो। अगले 25 साल के लिए ये शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमारे युवाओं से कहूंगा, कि वो इस अभियान का हिस्सा बनें ताकि देश की राजनीति में एक नवीन पीढ़ी का उदय हो। इसी सोच के साथ अगले साल की शुरुआत में, माने 2025 में, स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर, 'विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग’ का आयोजन भी हो रहा है। पूरे देश, गाँव-गाँव से, शहर और कस्बों से लाखों युवा इसका हिस्सा बन रहे हैं। इसमें विकसित भारत के विज़न पर चर्चा होगी, उसके रोडमैप पर बात होगी।

साथियों,

अमृतकाल के 25 वर्षों के संकल्पों को पूरा करने के लिए ये दशक, अगले 5 वर्ष बहुत अहम होने वाले हैं। इसमें हमें देश की सम्पूर्ण युवा शक्ति का प्रयोग करना है। मुझे विश्वास है, आप सब दोस्तों का साथ, आपका सहयोग और आपकी ऊर्जा भारत को असीम ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी। इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर हमारे गुरुओं को, वीर साहबजादों को, माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर के प्रणाम करता हूँ।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !