'द असम ट्रिब्यून' के साथ पीएम मोदी के इंटरव्यू का पहला भाग

द असम ट्रिब्यून: चूंकि आप वर्षों से पूर्वोत्तर का दौरा कर रहे हैं, हम मानते हैं कि आप इस क्षेत्र की समस्याओं और चुनौतियों से भली-भांति परिचित हैं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आप अपने दस साल के कार्यकाल में किन समस्याओं का समाधान कर सके?

प्रधानमंत्री: आज़ादी के बाद दशकों तक पूर्वोत्तर राज्य हाशिए पर धकेल दिए गए थे। लगातार कांग्रेस सरकारों ने पूर्वोत्तर के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया क्योंकि उनके लिए इस क्षेत्र में संभावित चुनावी लाभ बहुत कम था। उनके लिए पूर्वोत्तर बहुत दूर था और इसके विकास के लिए काम करना भी मुश्किल था।

जब हमने सरकार बनाई तो पूर्वोत्तर में यथास्थिति बदलने की मेरी दृढ़ प्रतिबद्धता थी। हमने अलगाव और उदासीनता की नीति को एकीकरण की नीति से बदल दिया। पिछले 10 वर्षों में, यह दिखाई दे रहा है कि कैसे हमने पूर्वोत्तर के अलगाव को समाप्त किया है और इसे पूर्व में भारत के ‘प्रवेश द्वार’ के रूप में विकसित किया है। मैंने लगभग 70 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है, जो शायद मुझसे पहले के सभी प्रधानमंत्रियों की कुल यात्राओं से भी अधिक है। 2015 के बाद से केंद्रीय मंत्री 680 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। हमने लोगों के दरवाजे तक गवर्नेंस पहुंचाकर इस धारणा को बदल दिया है कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर ना दिल्ली से दूर है और ना दिल से दूर है!

आज पूर्वोत्तर, नए भारत की शानदार सक्सेस स्टोरी बनकर उभरा है। इसने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही होती है, तो नतीजे भी सही होते हैं।

पिछले पांच वर्षों में, हमने क्षेत्र के विकास के लिए जो निवेश किया है, वह कांग्रेस सरकार या पिछली किसी भी सरकार द्वारा आवंटित बजट से लगभग चार गुना अधिक है। पिछले दशक में हुए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने इस क्षेत्र को देश और दुनिया के बाकी हिस्सों से अभूतपूर्व स्तर पर जोड़ने का काम किया है।

हमने बोगीबील ब्रिज और भूपेन हजारिका सेतु जैसी लंबे समय से प्रतीक्षित महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं को पूरा किया, जिससे लोगों का जीवन आसान हो गया है। हाल ही में, मुझे सेला टनल का उद्घाटन करने का अवसर मिला, जो 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

हमारी सरकार ने ही 2019 में इसका शिलान्यास किया था। इसलिए, आप हमारे काम की स्पीड और स्केल को देख सकते हैं।

मुझे पूर्वोत्तर की युवा शक्ति, उनकी प्रतिभा, उनके कौशल और उनकी ऊर्जा पर भरोसा है। हमने शिक्षा, खेल, उद्यमिता और कई अन्य क्षेत्रों में उनके लिए दरवाजे खोले हैं।

2014 के बाद से पूर्वोत्तर में हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए 14,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं।

देश की पहली स्पोर्ट यूनिवर्सिटी मणिपुर में स्थापित की गई है। हम 8 राज्यों में 200 से अधिक ‘खेलो इंडिया सेंटर’ बना रहे हैं।

पिछले दशक में इस क्षेत्र से 4,000 से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं।

इस रीजन में कृषि क्षेत्र फल-फूल रहा है, फलों के निर्यात, जैविक खेती और मिशन ऑयल पाम से काफी समृद्धि आ रही है।

आज पूर्वोत्तर सभी क्षेत्रों में सबसे आगे है।

                                         Prime Minister Narendra Modi with The Assam Tribune scribe R Dutta Choudhary

द असम ट्रिब्यून: उग्रवाद, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है और प्रधानमंत्री के रूप में आपके कार्यकाल के दौरान, असम के अधिकांश उग्रवादी समूहों और क्षेत्र के अन्य राज्यों के कुछ उग्रवादी समूहों ने हथियार डाल दिए हैं। क्षेत्र से उग्रवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?


प्रधानमंत्री: विद्रोह, घुसपैठ और संस्थागत उपेक्षा का एक लंबा इतिहास रहा है।

हां, हमने उग्रवाद से दृढ़ता से निपटने का फैसला किया, लेकिन साथ ही, हमने यह भी सुनिश्चित किया कि आम लोगों को बहुत सावधानी और सहानुभूति के साथ अपनाया जाए।

नतीजतन, जहां हमने उग्रवाद को काफी हद तक नियंत्रित किया है, वहीं हम अपने लोगों का विश्वास जीतने और शांति सुनिश्चित करने में भी सक्षम हुए हैं।

पिछले 10 वर्षों में कुल 11 शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह किसी भी पिछली सरकार की तुलना में एक अभूतपूर्व प्रगति है। 2014 से अब तक 9,500 से अधिक विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण किया है और समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। हमारी सरकार के अथक प्रयासों के कारण अब पूरे पूर्वोत्तर में 2014 के बाद से सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है। 2014 की तुलना में 2023 में उग्रवाद की घटनाओं में 71 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह, इस अवधि में सुरक्षा बल की हताहतों की संख्या में 60 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों की मौतों में 82 प्रतिशत की कमी आई है। बेहतर सुरक्षा स्थिति के कारण, पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों से AFSPA हटा लिया गया है। हमने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद निपटान समझौतों पर सफलतापूर्वक बातचीत की है, जिससे सीमा पर 123 गांवों से जुड़े, लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत हो गया है। हमने असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराने विवाद को सुलझा लिया है। बोडो समझौते और ब्रू-रियांग समझौते जैसे शांति समझौतों के कारण कई विद्रोहियों और आतंकवादियों ने अपने हथियार आत्मसमर्पण कर दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। हमने संवैधानिक संशोधन के जरिए, सत्ता के लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के माध्यम से अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए विकास प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वायत्त परिषदों को मजबूत किया है। हमने विद्रोहियों के पुनर्वास, वित्तीय सहायता और व्यापक पुनर्वास प्रक्रियाओं के माध्यम से मुख्यधारा के समाज में उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से योजनाएं शुरू की हैं। हमने पूर्वोत्तर में नाकाबंदी के युग को समाप्त कर दिया है, जिससे सभी को बड़ी असुविधा होती थी और क्षेत्र का विकास बाधित होता था। हमारे द्वारा किए गए सभी प्रयासों से क्षेत्र में शांति के युग की शुरुआत हुई है।

द असम ट्रिब्यून: कम्युनिकेशन से जुड़ी कठिनाइयां, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस समस्या से निपटने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं?

प्रधानमंत्री: पूर्वोत्तर की स्ट्रेटेजिक लोकेशन को देखते हुए, हमारा विजन यह है कि इस क्षेत्र को भारत के बढ़ते आर्थिक संबंधों के आधार के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की आकांक्षाएं पूरी हों। हां, समस्याएं थीं। लेकिन हमने समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया। आज, पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी में सुधार देखा जा रहा है, चाहे वह सड़कें हो या रेलवे, एयरवेज हो या वाटरवेज। यहां तक कि क्षेत्र के सुदूर कोनों में भी 5G कनेक्टिविटी स्थापित की जा रही है। सीमावर्ती गांव अब वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो दर्शाता है कि अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी कैसे वंचितों तक पहुंच रही है। हमने पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार के मंत्रालयों द्वारा 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके पूर्वोत्तर को एक "परित्यक्त क्षेत्र" से "संपन्न क्षेत्र" में बदल दिया है। पिछले 10 वर्षों में, पूर्वोत्तर में कई चीजें पहली बार हुई हैं: पूर्वोत्तर के कई हिस्से पहली बार रेल सेवा से जुड़ रहे हैं। आजादी के 67 साल बाद मेघालय भारत के रेल नेटवर्क पर आया। नागालैंड को 100 साल बाद अब अपना दूसरा रेलवे स्टेशन मिल गया है। पहली मालगाड़ी मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पहुंची। पूर्वोत्तर को पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन मिल गई। सिक्किम को पहला हवाई अड्डा मिला। जरा कल्पना कीजिए कि पिछली सरकारों ने कैसा अभाव पैदा किया था और किस पैमाने पर उपेक्षा की थी। UDAN योजना के तहत 74 रूट्स ऑपरेशनलाइज करते हुए एयरपोर्ट्स की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गई है। 2014 से पहले पूर्वोत्तर में केवल एक नेशनल वाटरवेज था। अब 5 वाटरवेज चालू हैं। मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए सैकड़ों टावर गांवों को कवर कर रहे हैं। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि अगरतला में एक अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे (IIG) है। मुंबई और चेन्नई के बाद इस तरह के गेटवे वाला यह देश का तीसरा केंद्र है। पूर्वोत्तर का विकास, हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का भी अभिन्न अंग है। हम प्रमुख परियोजनाओं के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया को पूर्वोत्तर से जोड़ने पर लगातार काम कर रहे हैं, चाहे वह भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग हो या कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट हो। मेरा दृढ़ विश्वास है कि विकसित भारत का रास्ता हमारे पूर्वोत्तर के अष्टलक्ष्मी राज्यों के विकास से होकर गुजरता है।

द असम ट्रिब्यून: चीन वर्षों से अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करता रहा है और समय-समय पर चीनी इस मुद्दे को उठाते रहते हैं। क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है? यह सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं कि राज्य का हर इंच भारत के भीतर रहे?

प्रधानमंत्री: मुझे समझ नहीं आता कि ‘असम ट्रिब्यून’ को इस बारे में कोई संदेह क्यों होना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, था और रहेगा। आज सूरज की पहली किरण की तरह अरुणाचल और नॉर्थईस्ट तक विकास के काम पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से पहुंच रहे हैं। पिछले महीने, मैंने ‘विकसित भारत, विकसित नॉर्थ-ईस्ट’ कार्यक्रम के लिए ईटानगर का दौरा किया था। मुझे 55,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का अनावरण करने का सौभाग्य मिला, जो विकसित नॉर्थ ईस्ट के लिए गारंटी प्रदान कर रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में लगभग 35,000 परिवारों को उनके पक्के घर मिले, और 45,000 परिवारों को पेयजल आपूर्ति परियोजना से लाभ हुआ। मैंने सेला सुरंग का उद्घाटन किया जो तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक रियल स्ट्रेटेजिक गेम-चेंजर है। 2022 में, हमने देश के बाकी हिस्सों से बेहतर एयर कनेक्टिविटी के लिए डोनी पोलो एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। एनर्जी के फ्रंट पर, दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना रोजगार, ऊर्जा और जल संसाधन प्रबंधन में योगदान देगी। हमने लगभग 125 गांवों के लिए नई सड़क परियोजनाएं और 150 गांवों में पर्यटन और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाएं शुरू की हैं। सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की UNNATI स्कीम भी शुरू की है जो नॉर्थ-ईस्ट में निवेश और नौकरियों के लिए नई संभावनाएं लाएगी।

द असम ट्रिब्यून: आप मणिपुर की स्थिति को कैसे आंकते हैं और राज्य में जातीय सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम प्रस्तावित हैं? मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष ने आपकी आलोचना की थी। क्या आप उस पर टिप्पणी करना चाहेंगे?

प्रधानमंत्री: हमारा मानना है कि स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बारे में मैं पहले ही संसद में बोल चुका हूं। हमने संघर्ष को सुलझाने के लिए अपने सर्वोत्तम संसाधन और प्रशासनिक मशीनरी लगाई है। भारत सरकार के समय पर हस्तक्षेप और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जब संघर्ष अपने चरम पर था तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में रहे और संघर्ष को सुलझाने में मदद के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ 15 से अधिक बैठकें कीं। राज्य सरकार की आवश्यकता के अनुसार केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन दे रही है। राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है। राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया निरंतर जारी है। राज्य में शिविरों में रहने वाले लोगों की सहायता के लिए वित्तीय पैकेज सहित राहत और पुनर्वास के लिए उपचारात्मक उपाय किए गए हैं।

द असम ट्रिब्यून: NSCN(IM) के साथ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर 2015 में आपकी उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे। हम अंतिम समाधान की उम्मीद कब कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री: हमारी सरकार द्वारा की गई पहल के परिणामस्वरूप, दशकों पुरानी नागा राजनीतिक समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए 3 अगस्त 2015 को नागालैंड के NSCN/इसाक मुइवा समूह के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता व्यापक सिद्धांतों को निर्धारित करता है जिसके तहत अंतिम समझौते पर काम किया जाएगा। भारत सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधि NSCN(IM) और अन्य नागा समूहों के साथ बातचीत कर रहे हैं। भारत सरकार, नागा समूहों के साथ शांति वार्ता को जल्द से जल्द सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।


द असम ट्रिब्यून: पिछले कुछ समय से मिजोरम, म्यांमार से घुसपैठ के कारण परेशानी का सामना कर रहा है। सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है?

प्रधानमंत्री: जैसा कि आप जानते हैं, म्यांमार के नागरिकों का भारत में यह आगमन काफी हद तक म्यांमार में हो रहे आंतरिक घटनाक्रमों के कारण है। हम म्यांमार के अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाते रहे हैं क्योंकि यह सीधे भारत, विशेष रूप से हमारे पूर्वोत्तर राज्यों को प्रभावित करता है। घुसपैठ को रोकने और अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए, सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में भारत और म्यांमार के बीच स्वतंत्र आवागमन व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय, भारत-म्यांमार सीमा पर सीमा रक्षक बलों की बढ़ी हुई और प्रभावी तैनाती, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच घनिष्ठ समन्वय आदि शामिल हैं। भारत सरकार ने भारत-म्यांमार सीमा पर संभावित स्थानों पर बाड़ लगाने का निर्माण शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने मिजोरम सरकार से राज्य में अवैध प्रवासियों के बायोमेट्रिक डेटा को इकट्ठा करने के लिए एक अभियान चलाने का आग्रह किया है। भारत सरकार बायोमेट्रिक कैप्चर योजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को उपकरण और आवश्यक सहायता भी प्रदान कर रही है। हम ज़मीनी स्तर पर बदलती वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए नीतिगत बदलाव ला रहे हैं। हम म्यांमार में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता लौटते देखना चाहते हैं ताकि ये लोग शांतिपूर्वक अपने देश लौट सकें।

स्रोत: The Assam Tribune

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PM to distribute over 50 lakh property cards to property owners under SVAMITVA Scheme
December 26, 2024
Drone survey already completed in 92% of targeted villages
Around 2.2 crore property cards prepared

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute over 50 lakh property cards under SVAMITVA Scheme to property owners in over 46,000 villages in 200 districts across 10 States and 2 Union territories on 27th December at around 12:30 PM through video conferencing.

SVAMITVA scheme was launched by Prime Minister with a vision to enhance the economic progress of rural India by providing ‘Record of Rights’ to households possessing houses in inhabited areas in villages through the latest surveying drone technology.

The scheme also helps facilitate monetization of properties and enabling institutional credit through bank loans; reducing property-related disputes; facilitating better assessment of properties and property tax in rural areas and enabling comprehensive village-level planning.

Drone survey has been completed in over 3.1 lakh villages, which covers 92% of the targeted villages. So far, around 2.2 crore property cards have been prepared for nearly 1.5 lakh villages.

The scheme has reached full saturation in Tripura, Goa, Uttarakhand and Haryana. Drone survey has been completed in the states of Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, and Chhattisgarh and also in several Union Territories.