भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के साथ भारत के बढ़ते संबंधों की “असीम संभावनाओं” की प्रशंसा की है जबकि वह दो दिवसीय यात्रा के लिए जेद्दा पहुंचे हैं, 2016 के बाद से किंगडम की उनकी यह तीसरी यात्रा है। अरब न्यूज के साथ एक खास बातचीत में, उन्होंने किंगडम को “एक विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक सहयोगी” बताया और इस बात पर जोर दिया कि 2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल के निर्माण के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में काफी विस्तार हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा, "हमारी साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं। अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, हमारा रिश्ता स्थिरता के स्तंभ के रूप में मजबूत है।" उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व की प्रशंसा की और उन्हें "हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक मजबूत समर्थक" और एक दूरदर्शी व्यक्ति बताया, जिन्होंने ‘विजन 2030’ के तहत सुधारों के माध्यम से वैश्विक प्रशंसा को प्रेरित किया है।

उन्होंने कहा, "हर बार जब मैं उनसे मिला हूं, तो महामहिम ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। उनकी अंतर्दृष्टि, उनकी दूरदर्शी दृष्टि और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का उनका जुनून वास्तव में उल्लेखनीय है।"

साझा आर्थिक महत्वाकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है, जिसमें ऊर्जा, कृषि और उर्वरक प्रमुख क्षेत्र हैं। उन्होंने सऊदी और भारतीय व्यवसायों के बीच गहन एकीकरण का स्वागत किया, विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन और टेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में। उन्होंने कहा, "भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है।"

पीएम मोदी ने वर्ल्ड एक्सपो 2030 और फीफा विश्व कप 2034 की मेज़बानी के लिए बिड्स जीतने पर सऊदी अरब को बधाई दी और इस दोहरी सफलता को "बहुत गर्व" की बात बताया। उन्होंने बढ़ते रक्षा सहयोग और ऐतिहासिक संयुक्त सैन्य अभ्यासों को बढ़ते सामरिक विश्वास के संकेत के रूप में भी बताया।

सितंबर 2023 में G20 समिट के दौरान शुरू किए गए India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) पर मोदी ने कहा कि यह परियोजना “संपूर्ण क्षेत्र में कॉमर्स, कनेक्टिविटी और ग्रोथ का एक प्रमुख कैटेलिस्ट होगी।”

एक बयान में भारत सरकार ने कहा कि यह यात्रा “भारत द्वारा सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय संबंधों को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है।”

प्रश्न: सऊदी-भारत संबंध बेहतर हो रहे हैं। 2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की स्थापना के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में हुई प्रगति का आप कैसे आकलन करते हैं?

उत्तर: सबसे पहले, मैं महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को उनके उदार निमंत्रण के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ। मैं अपनी तीसरी यात्रा पर यहाँ आकर बहुत प्रसन्न हूँ। मुझे सऊदी अरब के साथ हमारे संबंधों पर बहुत गर्व है। सऊदी अरब भारत के सबसे मूल्यवान भागीदारों में से एक है - एक समुद्री पड़ोसी, एक विश्वसनीय मित्र और एक रणनीतिक सहयोगी।

हमारा संबंध नया नहीं है। यह सदियों पुराने सभ्यतागत आदान-प्रदान में निहित है। विचारों से लेकर व्यापार तक, हमारे दो महान देशों के बीच निरंतर प्रवाह रहा है।

2014 से हमारे संबंध ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे याद है कि 2016 में, मुझे महामहिम किंग सलमान से Order of King Abdulaziz प्राप्त करने का सम्मान मिला था।

2019 में स्‍ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल का गठन एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ। तब से, हमारे बीच सहयोग कई क्षेत्रों में विस्तारित हुआ है। और मैं आपको बता दूं, यह तो बस शुरुआत है। हमारी साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं।

हमारे रिश्ते की नींव आपसी विश्वास और सद्भावना पर टिकी है। अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, हमारा रिश्ता स्थिरता के स्तंभ के रूप में मजबूत है। मेरा मानना है कि भारत-सऊदी अरब संबंधों के लिए यह आशाजनक समय है। और, मैं यह जरूर कहना चाहूँगा कि सऊदी नेतृत्व ने इस साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत और सऊदी अरब न केवल अपने लोगों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक साथ आगे बढ़ते रहेंगे।

प्रश्न: क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के साथ आपकी पिछली सात बैठकों को देखते हुए, आप दोनों देशों के नेतृत्व के बीच व्यक्तिगत तालमेल को किस तरह से परिभाषित करेंगे? क्या उनके तालमेल ने किसी भी तरह से द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है?

उत्तर: जब भी मैं उनसे मिला हूं, महामहिम ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। उनकी अंतर्दृष्टि, उनकी दूरदर्शी दृष्टि और अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का उनका जुनून वाकई उल्लेखनीय है।

उनके नेतृत्व में सऊदी अरब में जबरदस्त सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुए हैं। उनके द्वारा किए गए सुधारों ने न केवल इस क्षेत्र को प्रेरित किया है, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान भी खींचा है। विज़न 2030 के तहत बहुत ही कम समय में देश में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।

मैं हमारे बीच की व्यक्तिगत गर्मजोशी और विश्वास को महत्व देता हूँ। और हाँ, यह व्यक्तिगत तालमेल स्वाभाविक रूप से इस बात में भी दिखा है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को किस तरह प्राथमिकता देते हैं। वह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्रबल समर्थक हैं। वह सऊदी अरब में भारतीय प्रवासियों के बहुत बड़े समर्थक रहे हैं और सऊदी अरब में रहने वाले हमारे लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं।

जब हम बात करते हैं, तो हम इस साझेदारी को भविष्य के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जेद्दा का भारत के साथ एक विशेष संबंध रहा है। सदियों से यह प्रसिद्ध शहर हमारे व्यापार और लोगों के आपसी संपर्क का एक प्रमुख माध्यम रहा है। मक्का का प्रवेश द्वार होने के कारण, हमारे श्रद्धालु हज़ और उमरा की पवित्र यात्रा में वर्षों से जेद्दा की गलियों से होकर गुज़रे हैं।

प्रश्न: सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इस आर्थिक साझेदारी को और विविधतापूर्ण बनाने और विस्तारित करने के लिए किन पहलों पर विचार किया जा रहा है ताकि दोनों देश मिलकर चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकें?

उत्तर: हमारे आर्थिक संबंध मानसून की हवाओं जितने पुराने हैं। हमारे देशों की निकटता और हमारी अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता को देखते हुए, हमारे बीच स्वाभाविक जुड़ाव है। यही कारण है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भी हमारे व्यापारिक संबंध न केवल बचे रहे हैं, बल्कि उनमें वृद्धि भी हुई है।

ऊर्जा, कृषि और उर्वरक जैसे क्षेत्र हमारे व्यापार के मुख्य क्षेत्र हैं, लेकिन विविधीकरण के प्रयासों ने फल दिया है। भारतीय व्यवसाय और सऊदी उद्योग मजबूत संबंध बना रहे हैं।

हमारे व्यवसायों और उद्योग के बीच मजबूत संबंध बनाना और निवेश साझेदारी को बढ़ाना इस रिश्ते को और मजबूत बना रहा है। सऊदी अरब भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है। इसी तरह, भारत सऊदी अरब में खाद्य सुरक्षा में योगदान दे रहा है। मुझे बताया गया है कि सऊदी अरब के लोग भारतीय चावल पसंद करते हैं! भारत को भी सऊदी खजूर बहुत पसंद हैं।

मैं ‘सऊदी विजन 2030’ और भारत के ‘विकसित भारत 2047’ के बीच कई समानताएं भी देखता हूँ।

हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश भी बढ़ रहा है। आज, भारत की ग्रोथ स्टोरी सऊदी अरब की बड़ी कंपनियों को स्पेस इकोनॉमी से लेकर ग्लोबल सप्लाई चेन सहयोग तक निवेश और साझेदारी के लिए अपार अवसर प्रदान करती है।

भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में विभिन्न क्षेत्रों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है। वे सऊदी विजन 2030 को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

हमारा लक्ष्य इस जुड़ाव को बढ़ाना है।

भारत और सऊदी अरब द्विपक्षीय निवेश संधि पर काम कर रहे हैं। भारत और GCC के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में भारत और सऊदी अरब और सामान्य रूप से पूरे क्षेत्र के बीच आर्थिक संबंधों को बदलने की अपार क्षमता है।

प्रश्न: सऊदी अरब के विजन 2030 में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है, आप भारतीय कंपनियों के लिए रियाद एक्सपो 2030 और सऊदी फीफा वर्ल्ड कप 2034 सहित इन परियोजनाओं में योगदान करने और लाभ उठाने के क्या अवसर देखते हैं?

उत्तर: एक करीबी मित्र के रूप में, भारत सऊदी अरब की शानदार उपलब्धियों से खुश है। मैं सऊदी अरब के लोगों और उसके नेतृत्व को 2030 में वर्ल्ड एक्सपो और 2034 में फीफा वर्ल्ड कप की मेज़बानी के लिए चुने जाने पर बधाई देना चाहता हूँ।

किसी भी देश के लिए चार साल के भीतर दो बड़े वैश्विक आयोजनों की मेजबानी करना बहुत गर्व की बात है। यह महामहिम के नेतृत्व और उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।

ये मेगा इवेंट स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। ये भारतीय कंपनियों के लिए भी अवसर प्रदान करते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हमारी कंपनियों ने अपनी गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता के लिए वैश्विक प्रतिष्ठा बनाई है।

मैं समझता हूं कि भारतीय कंपनियों की सऊदी इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में पहले से ही मजबूत भागीदारी है। वे सऊदी अरब के विजन 2030 के हिस्से के रूप में विभिन्न मेगा और गीगा परियोजनाओं में वैल्यू भी बना रहे हैं।

मैं सऊदी कंपनियों को भी आमंत्रित करता हूँ कि वे हमारे ‘विकसित भारत’ अभियान के तहत भारत में मौजूद उल्लेखनीय अवसरों का लाभ उठाएँ। वे भारत के अगली पीढ़ी के इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, रिन्यूएबल-एनर्जी, हेल्थकेयर, यूटिलिटीज, इनोवेशन, स्टार्ट-अप और "ब्लू इकोनॉमी" सेक्टर्स के ग्रोथ में भाग ले सकते हैं।

दोनों देशों की कंपनियों के बीच गहन जुड़ाव और दो-तरफ़ा सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने में काफ़ी मददगार साबित होगा।

प्रश्न: भारत को कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के प्रमुख सप्लायर के रूप में सऊदी अरब की भूमिका को देखते हुए, आप दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग के भविष्य को किस तरह देखते हैं, खासकर ट्रैवल एनर्जी ट्रांजिशंस के संदर्भ में?

उत्तर: ऊर्जा हमारी आर्थिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। सऊदी अरब हमारे लिए एक मजबूत और विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार रहा है। यह कच्चे तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के हमारे शीर्ष सप्लायर्स में से एक है। जैसे-जैसे भारत एक विकसित देश बनने की कोशिश कर रहा है, हमारी ऊर्जा मांग बढ़ती रहेगी। और सऊदी अरब हमारी ऊर्जा सुरक्षा में एक करीबी भागीदार बना रहेगा। रणनीतिक साझेदारों के रूप में हम इस बात पर सहमत हैं कि हमारा ऊर्जा सहयोग केवल खरीदार-विक्रेता संबंधों तक सीमित नहीं है। हम रिफाइनरियों और पेट्रोकेमिकल्स में संयुक्त परियोजनाओं की भी खोज कर रहे हैं।

दुनिया भी क्लीनर और अधिक सस्टेनेबल ऊर्जा संसाधनों की ओर धीरे-धीरे बदलाव देख रही है। भारत ग्रीन-ट्रांजिशन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल-एनर्जी लक्ष्य हासिल करने का भरोसा है।

इस यात्रा में भी, सऊदी अरब के साथ सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। इसमें सप्लाई-चेन, सर्कुलर इकोनॉमी, एनर्जी एफिशिएंसी और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र शामिल हैं। इंटरनेशनल सोलर अलायंस में भागीदार के रूप में, दोनों देश भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशंस की दिशा में काम कर सकते हैं।

2023 में नई दिल्ली G20 समिट के दौरान, महामहिम के साथ, हमने India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) पहल शुरू की। अब हम भारत और सऊदी अरब तथा व्यापक क्षेत्र के बीच इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी के लिए फीजीबिलिटी स्टडीज पर काम कर रहे हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, हम अपने दोनों देशों के बीच एक व्यापक ऊर्जा साझेदारी के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

प्रश्न: सऊदी-भारत रक्षा सहयोग और संयुक्त अभ्यास लगातार बढ़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में रक्षा और सुरक्षा सहयोग के लिए किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा?

उत्तर: हम सऊदी अरब को क्षेत्र में सकारात्मकता और स्थिरता की ताकत मानते हैं। समुद्री पड़ोसी होने के नाते, भारत और सऊदी अरब क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने में स्वाभाविक रुचि रखते हैं।

दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी और सहयोग गहरे आपसी विश्वास का प्रतिबिंब है। यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता और हमारे विस्तारित पड़ोस में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के हमारे आपसी संकल्प का भी प्रमाण है।

हमने सुरक्षा सहयोग में लगातार प्रगति देखी है। इसमें काउंटर-टेररिज्म, उग्रवाद का मुकाबला करना, टेरर फाइनेंसिंग को रोकना और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटना जैसे क्षेत्र शामिल हैं। हम आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में इसके बढ़ते महत्व को पहचानते हुए साइबर सुरक्षा में सहयोग के नए मोर्चे भी तलाश रहे हैं।

पिछले साल, हमने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की: दोनों थल सेनाओं के बीच पहली बार संयुक्त अभ्यास हुआ। इसके साथ ही 2021 और 2023 में दो सफल संयुक्त नौसैनिक अभ्यास — अल-मोहद अल-हिन्दी — भी आयोजित किए गए।

हम दोनों ही रक्षा-उद्योग के बीच गहन सहयोग का समर्थन करते हैं। पिछले एक दशक में, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग ने भारत में गहरी जड़ें जमा ली हैं। आज, एक मजबूत सैन्य औद्योगिक परिसर है जिसमें गुणवत्तापूर्ण गोला-बारूद, छोटे हथियार, टैंक, बख्तरबंद वाहक बनाने की क्षमता है। वायु सेना के लिए, हम ड्रोन, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और लड़ाकू जेट बना रहे हैं। नौसेना के लिए, हमारे पास गश्ती नौकाएँ, पनडुब्बियाँ और यहाँ तक कि विमान वाहक बनाने की क्षमता है।

हम सिर्फ़ अपनी ज़रूरतें ही पूरी नहीं कर रहे हैं। भारत, दुनिया भर के 100 से ज़्यादा देशों को डिफेंस इक्विपमेंट का एक अहम सप्लायर बनकर उभरा है।

मुझे खुशी है कि हम सऊदी अरब के सशस्त्र बलों की कुछ ज़रूरतें पूरी करने में सफल रहे हैं। हम दोनों देशों के निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों के बीच गहरी भागीदारी का समर्थन करते हैं। हम भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सऊदी निवेश का स्वागत करेंगे जिसे निजी निवेश के लिए खोल दिया गया है।

प्रश्न: सितंबर 2023 में नई दिल्ली में घोषित IMEEC पहल मिडिल-ईस्ट के माध्यम से भारत और यूरोप को जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। IMEEC के प्रमुख तत्व क्या हैं, और इस पहल के तहत परिकल्पित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत सऊदी अरब के साथ कैसे काम कर रहा है?

उत्तर: भारत और सऊदी अरब ने यूरोपियन यूनियन, यूएई, फ्रांस, जर्मनी, इटली और अमेरिका के साथ मिलकर सितंबर 2023 में नई दिल्ली में India Middle East Europe Economic Corridor पहल की संयुक्त रूप से शुरुआत की।

यह कॉरिडोर आने वाली सदियों के लिए सभी रूपों में कनेक्टिविटी के फ्यूचर को परिभाषित करेगा। यह पूरे क्षेत्र में कॉमर्स, कनेक्टिविटी और ग्रोथ का प्रमुख कैटेलिस्ट बन जाएगा। यह कॉरिडोर सभी रूपों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा, चाहे वह फिजिकल हो या डिजिटल।

यह जुझारू और भरोसेमंद सप्लाई-चेन के डेवलपमेंट की सुविधा प्रदान करेगा, व्यापार सुलभता बढ़ाएगा और व्यापार सुविधा में सुधार करेगा। यह कॉरिडोर एफिशिएंसी बढ़ाएगा, लागत कम करेगा, आर्थिक एकता को बढ़ाएगा, रोजगार पैदा करेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा, जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का ट्रांसफॉर्मेटिव इंटीग्रेशन होगा।

इस कॉरिडोर की सफलता में भारत और सऊदी अरब दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी, डेटा कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिकल ग्रिड कनेक्टिविटी सहित कनेक्टिविटी के विजन को साकार करने के लिए अपने सऊदी भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पहल के तहत स्वच्छ और ग्रीन हाइड्रोजन और संबंधित सप्लाई-चेन पर काम कर रहे हैं।

मुझे लगता है कि इस पहल में मानवता के लिए परिवर्तनकारी क्षमता है। यह 21वीं सदी का नया सिल्क रूट हो सकता है जो आने वाली पीढ़ियों को लाभ पहुंचाएगा.

प्रश्न: आपने सऊदी अरब में 2.7 मिलियन के भारतीय समुदाय की द्विपक्षीय संबंधों में एक मजबूत ताकत के रूप में प्रशंसा की है। आपकी सरकार सऊदी अरब में भारतीय प्रवासियों को आगे बढ़ाने और उनके साथ जुड़ने की किस तरह की योजना बना रही है?

उत्तर: सबसे पहले, मैं यह बताना चाहता हूँ कि हम सऊदी अरब में भारतीय समुदाय को दिए गए संरक्षण के लिए उनके रॉयल हाइनेस, किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बहुत आभारी हैं। हम यह कभी नहीं भूल सकते कि उन्होंने कोविड महामारी के कठिन समय में भारतीयों का अपने जैसे ही ख्याल रखा।

भारतीयों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरित्र है - वे जिस भी देश में जाते हैं, उसे अपना घर बना लेते हैं। वे कानून का पालन करने वाले, समर्पित और पूरी तरह से पेशेवर होते हैं। वे अपने साथ सहानुभूति, करुणा और देखभाल के मूल्यों को लेकर चलते हैं।

यही स्वभाव उन्हें अपने मेजबान देश का सम्मान दिलाता है। सऊदी अरब इसका अपवाद नहीं है। जब भी मैं महामहिम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिला हूं, उन्होंने भारतीय समुदाय की प्रशंसा की है और राज्य के आर्थिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की है। उन्होंने यहां तक कहा है कि वे सऊदी परिवार का हिस्सा हैं। प्रशंसा के ये शब्द हमेशा मेरे दिल को गर्व और खुशी से भर देते हैं।

मेरी सरकार के लिए, भारतीय प्रवासी सदस्य "राष्ट्रदूत" हैं। 4Cs - Care, Connect, Celebrate और Contribute - हमारे प्रवासी समुदाय के साथ हमारे जुड़ाव का आदर्श वाक्य है। उनकी सुरक्षा, कल्याण और भलाई हमारे लिए सर्वोपरि है।

पिछले एक दशक में हमने बीमा योजनाओं, उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और कौशल कार्यक्रमों सहित कई पहल शुरू की हैं। हमने सुरक्षित और कानूनी प्रवास के लिए तंत्र स्थापित किए हैं। सऊदी अरब में 2.7 मिलियन लोगों का जीवंत भारतीय समुदाय हमारे दोनों देशों को जोड़ने वाला एक जीवंत पुल है। मैं न केवल अपने मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करने, बल्कि उन्हें बढ़ावा देने के लिए भी उनकी सराहना करता हूँ।

मैं इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रवासियों के साथ पुनः जुड़ने का उत्सुकतापूर्वक इंतजार कर रहा हूँ।

प्रश्न: आप धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को सऊदी-भारत द्विपक्षीय संबंधों के एक कंपोनेंट के रूप में कैसे विकसित होते हुए देखते हैं? क्या आपको लगता है कि भारत के IITs और IIMs; IIT दिल्ली, अबू धाबी कैंपस की तर्ज पर सऊदी अरब में भी कैंपस खोलेंगे?

उत्तर: हमारे लोग “कलिला वा दिमना” के दिनों से ही एक-दूसरे के साथ बातचीत करते रहे हैं। हमारे देशों के बीच बढ़ता सांस्कृतिक जुड़ाव एक-दूसरे के प्रति समझ और प्रशंसा का संकेत है।

जहाँ तक धार्मिक पर्यटन का सवाल है, जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे यहाँ बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है और वे हर साल उमराह और हज यात्रा के लिए आपके खूबसूरत देश में आते हैं। हम भारतीय तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली निरंतर सहायता के लिए सऊदी नेतृत्व के आभारी हैं। सऊदी सरकार के प्रोत्साहन और समर्थन की बदौलत हाल के वर्षों में सऊदी अरब में योग ने काफी लोकप्रियता हासिल की है। हम क्रिकेट में भी बढ़ती रुचि देख रहे हैं।

मुझे बताया गया है कि अरब ब्रॉडकास्टर्स भारतीय कंटेंट वाले डेडिकेटेड चैनल चलाते हैं जो किंगडम में बहुत लोकप्रिय हैं। भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं के भी बहुत से प्रशंसक हैं। भारत 1-4 मई के दौरान मुंबई में वर्ल्ड ऑडियो विजुअल और एंटरटेनमेंट समिट के पहले एडिशन की मेजबानी कर रहा है। हम समिट में सऊदी अरब से मजबूत भागीदारी की उम्मीद करते हैं ताकि हम अपने सांस्कृतिक और मनोरंजन सहयोग को नए आयाम दे सकें।

शैक्षिक सहयोग एक और आशाजनक क्षेत्र है। भारतीय हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। वे सऊदी अरब में भी अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।

अंत में, मैं अरब न्यूज को बधाई देना चाहता हूँ क्योंकि इस वर्ष इसके पब्लिकेशन के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं जानता हूँ कि अरब न्यूज का सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के साथ एक विशेष संबंध है। आपका मीडिया आउटलेट हमारे लोगों के बीच संबंधों का एक मजबूत प्रतीक है। भारत-सऊदी अरब की दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए मेरी शुभकामनाएँ।

इंटरव्यू की क्लिपिंग्स:

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स्रोत: अरब न्यूज़

  • Ramesh yadav District General secretary obc morcha bjp May 12, 2025

    जयहिंद
  • ram Sagar pandey May 12, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीराम 🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माता दी 🚩🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹
  • mukesh kumar May 12, 2025

    जय हिंद
  • Yogendra Singh Tomar May 12, 2025

    89
  • ram Sagar pandey May 12, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय माता दी 🚩🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीराम 🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माता दी 🚩🙏🙏
  • Chitlal prasad May 12, 2025

    पु
  • Gaurav munday May 12, 2025

    🧘🙄
  • Dalbir Chopra EX Jila Vistark BJP May 12, 2025

    op
  • sandhya rawat May 12, 2025

    Modi ji Hain sab Mumkin hai 🙏🙏🌹🙏
  • Vishal kumar May 12, 2025

    Jay ho
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MUDRA NPA रेट दुनिया में सबसे कम: पीएम मोदी
April 08, 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को ऋण देने तथा मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज, रिटेल, कृषि और संबद्ध गतिविधियों में रोजगार व आय सृजित करने के उद्देश्य से माइक्रोफाइनेंस और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को कम लागत पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का शुभारंभ किया था।

इस एक्सरसाइज के एक हिस्से के रूप में माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) की स्थापना की गई थी। पीएम मोदी ने ET को दिए एक लिखित साक्षात्कार में कहा कि अब अपने 10वें वर्ष में, इस योजना ने सरकार को fund the unfunded की अनुमति दी है। प्रस्तुत हैं चुनिंदा अंश:

मुद्रा योजना से आपकी क्या अपेक्षाएं थीं और क्या यह पूरी हुईं?

मुद्रा योजना को एक अलग योजना के रूप में नहीं, बल्कि एक विशेष संदर्भ में देखा जाना चाहिए। किसी भी सरकारी पद पर आने से पहले भी, मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में कई दशकों तक पूरे देश में व्यापक यात्रा की थी। मैंने हर जगह एक समान बात देखी। हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा, जैसे कि गरीब, किसान, महिलाएं और हाशिए पर पड़े वर्ग, विकास की आकांक्षा रखते हैं, उद्यम की प्रबल भावना रखते हैं, ऊर्जा और जुझारूपन रखते हैं - ये सभी गुण एक सफल उद्यमी बनने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन ये वही वर्ग थे जिन्हें औपचारिक बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से पूरी तरह से बाहर रखा गया था। मुझे बताइए, अगर आपके पास बैंक खाता नहीं है, तो क्या आप कभी बैंक जाएंगे? जब लोगों के पास बुनियादी बैंकिंग तक पहुंच नहीं थी, तो उद्यमिता के लिए धन जुटाना एक दूर का सपना लगता था। इसलिए, जब लोगों ने 2014 में हमें वोट दिया, तो हमने पूरे वित्तीय ढांचे को लोगों पर केंद्रित और समावेशी बनाने का फैसला किया, ताकि हम उनकी आकांक्षाओं को पंख दे सकें। हमने वित्तीय प्रणाली का लोकतंत्रीकरण किया। इसकी शुरुआत जन धन योजना के साथ 'बैंकिंग से वंचित लोगों को बैंकिंग' से हुई। एक बार जब वे लोग जो छूट गए थे, इस योजना के माध्यम से औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनने लगे, तो हमने मुद्रा योजना के माध्यम से 'funding the unfunded' और जन सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से 'insuring the uninsured' प्रदान करना शुरू किया। इसलिए, मुद्रा एक बड़े दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि जमीनी स्तर पर लोगों की उद्यमशीलता क्षमता, इनोवेशन, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता का सम्मान, जश्न और समर्थन किया जाए। मुद्रा योजना के माध्यम से, हम हर भारतीय को यह संदेश देना चाहते थे कि हमें उनकी क्षमताओं पर भरोसा है और हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की उनकी यात्रा में गारंटी के रूप में खड़े होंगे। विश्वास से ही विश्वास पैदा होता है। लोगों ने भी बड़े उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी और आज 33 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 52 करोड़ से अधिक ऋण देकर उन्होंने मुद्रा योजना को बड़ी सफलता बना दिया है।

इस योजना को लेकर एक चिंता यह है कि NPAs बहुत अधिक है और इसके परिणामस्वरूप सरकार पर अंडरराइटिंग का बोझ बढ़ रहा है। क्या इन पर ध्यान देने की आवश्यकता है या आप कहेंगे कि इस योजना के प्रभाव के लिए यह उचित लागत है?

NPAs की समस्या पर दो दृष्टिकोण हैं। एक ओर, हमारे पास कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA) के कार्यकाल का अनुभव है। तब बैंकिंग क्षेत्र एक ऐसी प्रणाली के तहत काम करता था जिसे 'फोन बैंकिंग' के नाम से जाना जाता था। ऋण राजनीतिक संपर्कों के आधार पर स्वीकृत किए जाते थे, न कि योग्यता या सख्त वित्तीय जांच के आधार पर। हम सभी जानते हैं कि इससे दोहरी बैलेंस शीट की समस्या कैसे पैदा हुई। पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी से चिह्नित इस अवधि ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को stressed assets की विरासत से जूझने के लिए छोड़ दिया, जिससे व्यापक आर्थिक विकास का समर्थन करने की उनकी क्षमता कम हो गई। दूसरी ओर, हमने मुद्रा योजना के माध्यम से गरीबों और मध्यम वर्ग को पैसा उधार दिया। इसे छोटे और मध्यम उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिनके पास कोई कनेक्शन नहीं था, लेकिन क्षमता और दृढ़ विश्वास था। UPA के top-heavy लोन मॉडल के विपरीत, मुद्रा ने जमीनी स्तर की आर्थिक गतिविधि पर ध्यान केंद्रित किया। आज, 52 करोड़ से अधिक ऋण खातों के साथ, मुद्रा उस विशाल पैमाने और हमारी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। जब हमने इस पहल को लॉन्च किया, तो उनके इकोसिस्टम के कई प्रमुख कांग्रेस नेताओं और टिप्पणीकारों ने कहा कि करोड़ों छोटे पैमाने के उधारकर्ताओं को ऋण देने से NPAs की समस्या पैदा होगी। उन्हें हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर कोई भरोसा नहीं था। लेकिन परिणामों ने इन भविष्यवाणियों को झुठला दिया है। जो बात सामने आई है वह है इन ऋणों का प्रदर्शन-केवल 3.5% NPAs में बदल गए हैं। यह दुनिया भर में इस क्षेत्र में एक असाधारण रूप से कम डिफॉल्ट दर है। जबकि UPA के 'फोन बैंकिंग' दौर ने बैंकों को खराब कर्ज (toxic assets) के बोझ तले दबा दिया था और सत्ता के करीबी चुनिंदा खास लोगों को लाभ पहुंचाया गया था, वहीं मुद्रा योजना ने संसाधनों को जमीनी स्तर तक पहुंचाया है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिला है बिना वित्तीय स्थिरता से समझौता किए।

बैंकिंग क्षेत्र आज अच्छी स्थिति में है। क्या आपको लगता है कि यह अधिक जोखिम उठा सकता है और मुद्रा जैसी योजनाओं के माध्यम से उन लोगों को फंड कर सकता है जिनके पास औपचारिक ऋण तक पहुंच नहीं है, जबकि कॉर्पोरेट उधारकर्ता, बॉन्ड बाजार के माध्यम से धन प्राप्त करते हैं?

हमारे निरंतर बैंकिंग सुधारों और NPA संकट से कुशलतापूर्वक निपटने के कारण, आज हमारे बैंक फिर से अच्छी स्थिति में हैं। उनमें से कई ने रिकॉर्ड मुनाफ़ा कमाया है। पिछले एक दशक में, मुद्रा, पीएम-स्वनिधि और स्टैंडअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने हमारे बैंकों की बेहतर होती सेहत का लाभ उठाया है। इसके अलावा, इन योजनाओं के कारण, हमारी बैंकिंग प्रणाली छोटे उद्यमियों की ज़रूरतों के प्रति भी अधिक संवेदनशील हो गई है। परिणामस्वरूप, ग़रीब और मध्यम वर्ग ने अनौपचारिक ऋण पर अपनी निर्भरता काफी हद तक कम कर दी है। मुझे विश्वास है कि हमारा बैंकिंग क्षेत्र वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने और जमीनी स्तर पर उद्यमिता को समर्थन देने की यात्रा में एक मजबूत भागीदार बना रहेगा। जब छोटे उद्यमियों या कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को फंड करने का सवाल आता है, तो हमारे बैंक दोनों क्षेत्रों का समर्थन करने में सक्षम हैं और यह कोई zero-sum game नहीं है। इस वर्ष हमारे कॉरपोरेट्स ने बॉन्ड मार्केट के ज़रिए ₹1 ट्रिलियन से अधिक जुटाए। यह बढ़ता रहेगा क्योंकि बॉन्ड मार्केट भी परिपक्व हो रहे हैं। इसी तरह, MSMEs ने IPO के ज़रिए पैसा जुटाना शुरू कर दिया है और लोग इसकी भी सराहना कर रहे हैं। भारतीय बैंक प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण देने के साथ-साथ कॉर्पोरेट ऋण देने के मामले में संतुलन बनाए रखेंगे। यह संतुलित रणनीति वित्तीय स्थिरता और न्यायसंगत विकास दोनों को मजबूत करती है, जिससे सिस्टम के परिपक्व होने के साथ-साथ आगे बढ़ने का एक स्थायी मार्ग तय होता है।

यह योजना विशेष रूप से वंचितों और महिलाओं पर केंद्रित है।

वंचितों तक पहुंचना इस योजना की पहचान रही है। वंचितों को विविधता, हाशिए पर पड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना-यह हमारा आदर्श वाक्य रहा है। दशकों से, किफायती ऋण केवल अमीरों और अच्छी तरह से जुड़े लोगों के लिए उपलब्ध हुआ करता था। दुर्भाग्य से, वंचितों के उद्यमशीलता के प्रयास अक्सर उच्च चक्रवृद्धि ब्याज दरों के चक्रव्यूह में फंस जाते थे। मुद्रा योजना के माध्यम से, वंचितों को भी बिना किसी जमानत के ऋण मिल पाता है। इसलिए जब हम उद्यमिता को बढ़ावा देने में मुद्रा योजना की सफलता का जश्न मनाते हैं, तो खुशी की बात यह है कि इनमें से बड़ी संख्या में सफलता की कहानियाँ महिलाओं और वंचित समूहों से हैं। 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत होने के साथ, यह गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि क्षेत्र-क्षेत्रों में छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए एक जीवन रेखा साबित हुई है - जहाँ एससी, एसटी समुदाय और महिलाएँ अक्सर काम करती हैं। सभी ऋणों में से आधे एससी, एसटी, ओबीसी समुदायों के लोगों को दिए गए हैं। इनमें से लगभग 70% ऋण महिलाओं को दिए गए, जो दर्शाता है कि यह महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले किसी व्यक्ति या किसी महिला के पास व्यवसायिक विचार- जैसे कि एक छोटी सी दुकान या MSME जैसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना- के लिए इस योजना ने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए वास्तविक सहायता प्रदान की है। यह वंचित आबादी के लिए केवल एक उद्यमशीलता का अवसर नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ है जहाँ उनका दृढ़ विश्वास और विचार सभी प्रकार की शंकाओं और चुनौतियों पर विजय प्राप्त करते हैं, जिसमें सरकार उनके ऋणों के लिए गारंटर के रूप में खड़ी होती है।

मुद्रा का एक लक्ष्य उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना तथा रोजगार सृजन करना था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ताकि पलायन को हतोत्साहित किया जा सके।

मुद्रा योजना ने आज समाज में एक बुनियादी सोच परिवर्तन लाया है। उद्यमिता, जिसे कुछ हद तक अभिजात वर्ग का काम माना जाता था, अब लोकतांत्रिक हो गई है। आज उद्यमिता में प्रवेश की बाधाएं, वास्तविक और कथित, काफी कम हो गई हैं और मुद्रा योजना इस बदलाव के पीछे की ताकत रही है। आज हमारे समाज का हर तबका उद्यमिता और विकास के बारे में सोच रहा है। छोटे-छोटे विचार MSMEs में, MSMEs सफल स्टार्टअप में और स्टार्टअप यूनिकॉर्न में बदल रहे हैं। मुद्रा के तहत दिए गए 52 करोड़ लोन में से 10.6 करोड़ से अधिक लोन पहली बार के उद्यमियों को दिए गए हैं! आपको यह समझना होगा कि देश के हर हिस्से में मुद्रा योजना द्वारा सशक्त सफल उद्यमी हैं, जिसका मतलब है कि देश के हर हिस्से में सफलता है। इन नए उद्यमियों ने स्थानीय विकास चक्र शुरू किया है। ये नए उद्यमी ज़्यादा लोगों को काम पर रख रहे हैं, बड़े दफ़्तर बना रहे हैं, स्थानीय स्तर पर दूसरे व्यवसायों को सहयोग और सहयोग दे रहे हैं। आज, टियर 2 या टियर 3 शहरों में रहने वाले कई युवा मेट्रो शहरों में जाने के बजाय घर के नज़दीक रहना पसंद करते हैं। आवास की कम लागत, अच्छी शिक्षा, यात्रा में आसानी, कम्युनिकेशन में आसानी और उद्यमिता के लिए बढ़े हुए अवसर उन्हें आकर्षक सौदा प्रदान करते हैं। इन उद्यमियों का मूल्य संवर्धन हमारे राष्ट्रीय विकास में देखा जा रहा है।

पिछले दशक में यह योजना किस प्रकार विकसित हुई है और आगे क्या होगा?

आइए हम मुद्रा योजना के तहत दिए गए ऋणों और वितरित राशि के पैमाने पर नजर डालें। 33 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से अधिक ऋण वितरित किए गए हैं। इसका मतलब है कि हर सेकंड 1.6 ऋण दिए गए हैं, जो एक दिल की धड़कन से भी तेज है। मंजूर की गई कुल राशि 100 देशों की जीडीपी से भी अधिक है। आपको यह अंदाजा देने के लिए कि योजना कैसे आगे बढ़ी है, योजना के तहत मंजूर/वितरित कुल ऋणों का विश्लेषण दिखाता है कि इसके लॉन्च के बाद से ऋणों का औसत टिकट आकार लगभग तिगुना हो गया है-वित्त वर्ष 2016 में 39,000 रुपये से वित्त वर्ष 23 में 73,000 रुपये और वित्त वर्ष 25 में 1.05 लाख रुपये हो गया है। इस वर्ष के बजट में हमने ऋण के लिए ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया है। मुद्रा के इर्द-गिर्द हमने अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर भी काम किया है ऋण और ऋण की आसानी के साथ, हम डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करना चाहते थे, और इसलिए, हमारे पास ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) है। इसे ऑनलाइन कॉमर्स के लिए UPI के रूप में सोचें, जहाँ उद्यमी, विशेष रूप से दूसरे दर्जे के शहरों और गाँवों में रहने वाले, अब बड़े प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर नहीं रहेंगे, जिनके साथ उन्हें अपना मुनाफ़ा साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। AA फ्रेमवर्क और ONDC के साथ MUDRA का भविष्य पहले से ही हमारे सामने है, और एक दशक पहले पहली बार बैंक खाता खोलने वाले अब अर्थव्यवस्था के साथ विकसित हो रहे हैं, एक समृद्ध क्रेडिट इतिहास बना रहे हैं, जो कल उनके लिए अपने बिजनेस ऑपरेशंस को आगे बढ़ाने में फायदेमंद होगा।

उन्होंने भारत की अगुवाई में चल रहे ग्रीन इनिशिएटिव्स को ऐसा प्लेटफॉर्म माना जहाँ सभी देश मिलकर क्लाइमेट-चेंज से निपट सकते हैं, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दे सकते हैं, डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर सकते हैं और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को गति दे सकते हैं।

सोर्स: द इकोनॉमिक टाइम्स