हमारे सामने चुनौतियां हैं, लेकिन हर चुनौती के लिए, हमारे पास उनका समाधान करने के लिए नवोन्मेषी समाधान खोजने के लिए युवा दिमाग हैं: प्रधानमंत्री मोदी
भारत कई सारे क्षेत्रों में ऐतिहासिक परिवर्तन का गवाह बन रहा है: पीएम मोदी
आपके पास असाधारण चीजें करने की शक्ति और क्षमता है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगी: छात्रों से प्रधानमंत्री

भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोटे त्शेरिंग, भूटान के नेशनल असेंबली और राष्ट्रीय परिषद के माननीय सदस्य, भूटान केरॉयल यूनिवर्सिटी के विशिष्ट कुलपति और संकाय सदस्य,

मेरे युवा मित्रों,

कूजो झंगपो ला। नमस्कार। आज सुबह आप सभी के साथ होना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभूति है। मुझे विश्वास है कि आप सोच रहे हैं- आज रविवार है और आपको एक व्याख्यान में भाग लेना है। लेकिन, मैं इसे संक्षिप्त और उन विषयों पर केन्द्रित रखूंगा जिनके साथ आप खुद को जोड़ सकें।

मित्रों,

भूटान की यात्रा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्राकृतिक सौंदर्य से उतना ही प्रभावित होता है जितना कि यहां लोगों की गर्मजोशी, करुणा और सादगी की भावना से। कल, मैं सूमोखा दज़ोंग में था, जो भूटान के अतीत की समृद्धि और आध्यात्मिक विरासत की महानता का सबसे प्रमुख उदाहरण था। इस यात्रा के दौरान, मुझे भूटान के वर्तमान नेतृत्व के साथ घनिष्ठता के साथ परस्पर बातचीत करने का अवसर मिला। मुझे एक बार फिर से भारत-भूटान संबंध, जिसे उनके करीबी और व्यक्तिगत ध्यान से हमेशा लाभ हुआ है, के लिए उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।

अब, आज, मैं यहां भूटान के भविष्य के साथ हूं। मैं उनकी गतिशीलता देख सकता हूं, और उनकी ऊर्जा को महसूस कर सकता हूं। मुझे विश्वास है कि ये इस महान राष्ट्र और इसके नागरिकों के भविष्य को आकार देंगे। चाहे मैं भूटान के अतीत, वर्तमान या भविष्य को देखता हूं, इसके सामान्य और निरंतर धागे - गहरी आध्यात्मिकता और युवा शक्ति के हैं।ये हमारे द्विपक्षीय संबंधों की ताकत भी हैं।

मित्रों,

यह स्वाभाविक ही है कि भूटान और भारत के लोग एक-दूसरे से बहुत लगाव का अनुभव करते हैं। आखिरकार, हम केवल अपने भूगोल के कारण ही इतने करीब नहीं हैं। हमारे इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं ने हमारे लोगों और राष्ट्रों के बीच अनूठे और गहरे बंधन स्थापित किये हैं। भारत सौभाग्यशाली है कि उसकी भूमि पर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बने। और जहां से उनके आध्यात्मिक संदेश का प्रकाश, बौद्ध धर्म का प्रकाश, पूरी दुनिया में फैला। संन्यासियों,आध्यात्मिक गुरूओं,

विद्वानों और साधकों की पीढ़ियों ने भूटान में उस ज्योति को प्रज्ज्वलित किया है। उन्होंने भारत और भूटान के बीच विशेष बंधन का भी पोषण किया है।

इसके परिणामस्वरूप, हमारे साझा मूल्यों ने एक आम विश्व-दृष्टिकोण को आकार दिया है। यह वाराणसी और बोधगया में दृष्टिगोचर होता है और डीजोंग और चोर्टेनमें भी। और नागरिकों के रूप में, हम इस महान विरासत के जीवित वाहक होने के लिए भाग्यशाली हैं। दुनिया के कोई भी अन्य दो देश एक-दूसरे को इतनी अच्छी तरह से नहीं समझते या इतने मूल्यों को साझा नहीं करते हैं। और कोई भी दो देश अपने लोगों के लिए समृद्धि लाने में ऐसे स्वाभाविक भागीदार नहीं हैं।

मित्रों,

आज, भारत कई सारे क्षेत्रों में ऐतिहासिक परिवर्तन का गवाह बन रहा है।

भारत पहले से कहीं ज्यादा तेजी से गरीबी को खत्म कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे के निर्माण की गति दोगुनी हो गई है। हमने अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के लिए लगभग 15 बिलियन डॉलर का संकल्प किया है। भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम, आयुष्मान भारत का स्थान है जो 500 मिलियन भारतीयों को स्वास्थ्य आश्वासन देता है।

भारत दुनिया की सबसे सस्ती डेटा कनेक्टिविटी वाले देशों में है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को सशक्त बना रही है। भारत दुनिया के सबसे बड़े स्टार्ट-अप इको-सिस्टम का भी स्थान है। यह वास्तव में भारत में नवोन्मेषण का बहुत अनुकूल समय है।ऐसे और कई अन्य रूपांतरणों के मूल में भारत के युवाओं के सपने और आकांक्षाएं हैं।

मित्रों,

आजमैं भूटान के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली युवाओं के बीच उपस्थित हूं। महामहिम ने कल मुझे बताया कि वह आपसे नियमित रूप से परस्पर बातचीत करते हैं और उन्होंने पिछले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था। आप सभी लोगों के बीच से ही भूटान के भावी नेता, नवप्रवर्तक, व्यावसायिक व्यक्ति, खिलाड़ी, कलाकार और वैज्ञानिक निकलकर सामने आएंगे।

कुछ दिन पहले, मेरे अच्छे मित्र, प्रधानमंत्री डॉक्टर टीशरिंग ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा जो मेरे दिल को छू गया। उस पोस्ट में उन्होंने एग्जाम वॉरियर्स का उल्लेख किया, और अभी-अभी एक छात्र ने भीउस पुस्तक का उल्लेख किया। बिना तनाव के परीक्षा का सामना कैसे किया जाए, इस पर मैंने एक पुस्तक एग्जाम वॉरियर्सलिखी थी। हर कोई स्कूल और कॉलेजों में परीक्षा का सामना करता है और जीवन से संबंधित बड़ी कक्षा में भी इस परीक्षा का सामना करता है। क्या मैं आपको कुछ बताऊँ? मैंने एग्जाम वारियर्स में जो कुछ लिखा है, वह भगवान बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित है। विशेष रूप से, सकारात्मकता का महत्व, भय से मुक्ति और एकात्मकता में रहना, चाहे यह वर्तमान क्षण के साथ हो या माँ प्रकृति के साथ। आप इस महान भूमि में पैदा हुए हैं।

इसलिए, ये गुण आप में स्वाभाविक रूप से आ जाते हैं और आपके व्यक्तित्व को आकार देते हैं। जब मैं छोटा था, तो इन गुणों की खोज मुझे हिमालय तक ले गई। इस धन्य धरा के पुत्रों के रूप में, मुझे विश्वास है कि आप हमारी दुनिया की समस्याओं का समाधान खोजने में योगदान करेंगे।

हां, हमारे सामने चुनौतियां हैं। लेकिन हर चुनौती के लिए, हमारे पास उनका समाधान करने के लिए नवोन्मेषी समाधान खोजने के लिए युवा दिमाग हैं। आप किसी भी बाधा से विवश न हो।

मैं आप सभी को बताना चाहता हूं- युवा होने के लिए अभी से बेहतर कोई समय नहीं है। आज विश्व पहले से कहीं अधिक अवसर प्रदान करता है। आपके पास असाधारण चीजें करने की शक्ति और क्षमता है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगी। आप अपनी वास्तविक जीवन-वृत्ति ढूंढें और पूर्ण उत्साह के साथ उसका अनुसरण करें।

मित्रों,

पन-बिजली और ऊर्जा में भारत-भूटान का सहयोग अनुकरणीय है। लेकिन इस रिश्ते की शक्ति और ऊर्जा का वास्तविक स्रोत हमारे लोग हैं। इसलिए, सबसे पहले लोग हैं, और लोग ही हमेशा इस रिश्ते के केंद्र में रहेंगे। इस यात्रा के परिणामों में यह भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों से परे जाकर, हम नए मोर्चे पर स्कूलों से लेकरअंतरिक्ष तक, डिजिटल भुगतानों से लेकरआपदा प्रबंधन तकबड़े पैमाने पर सहयोग करना चाहते हैं। इन सभी क्षेत्रों में हमारे सहयोग का आपके जैसे युवा मित्रों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं। आज के युग में, सीमा पार के विद्वानों और शिक्षाविदों से जुड़ना महत्वपूर्ण है, जिससे कि हमारे छात्रों की रचनात्मकता और प्रतिभा उन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ लोगों के समकक्ष बनाए। भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क और भूटान के ड्रुक्ररेन के बीच सहयोग, जो कल एक वास्तविकता बन गया, इस उद्देश्य को पूरा करेगा।

यह हमारे विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, पुस्तकालयों, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि संस्थानों के बीच सुरक्षित और तेज़ संपर्क प्रदान करेगा। मैं आप सभी से इस सुविधा का पूरा उपयोग करने का आग्रह करता हूं।

मित्रों, अंतरिक्ष की सीमाएंएक अन्य उदाहरण है इस समय, भारत का दूसरा मून मिशन, चंद्रयान -2 चंद्रमा के रास्ते पर है। 2022 तक, हम एक भारतीय अंतरिक्ष-यान पर, अंतरिक्ष में एक भारतीय को रखने का इरादा रखते हैं। ये सभी भारत की अपनी उपलब्धियों के परिणाम हैं। हमारे लिए, अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल राष्ट्रीय गौरव का विषय नहीं है। यह राष्ट्रीय विकास और वैश्विक सहयोग का एक महत्वपूर्ण साधन है।

मित्रों,

कल, प्रधान मंत्री टीशरिंग और मैंने दक्षिण एशिया उपग्रह के थिम्पू ग्राउंड स्टेशन का उद्घाटन किया और अपने अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार किया। उपग्रहों के माध्यम से, टेली-मेडिसिन, दूरस्थ शिक्षा, संसाधन मानचित्रण, मौसम संबंधी पूर्वानुमान और यहां तक ​​कि प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी भी दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच जाएगी। यह और प्रसन्नता की बात है कि भूटान के अपने खुद के छोटे उपग्रह को डिजाइन करने और लॉन्च करने के लिए युवा भूटानी वैज्ञानिक भारत की यात्रा करेंगे। मुझे उम्मीद है कि किसी दिन जल्द ही, आप में से कई वैज्ञानिक, इंजीनियर और नवोन्मेषक होंगे।

मित्रों,

सदियों से, शिक्षा और अध्ययन भारत और भूटान के बीच संबंधों के केंद्र रहे हैं। प्राचीन काल में, बौद्ध शिक्षकों और विद्वानों ने हमारे लोगों के बीच अध्ययन के सेतु का निर्माण किया था। यह एक अमूल्य विरासत है, जिसे हम संरक्षित करना और बढ़ावा देना चाहते हैं। इसलिए, हम भूटान से नालंदा विश्वविद्यालय –जो अध्ययन और बौद्ध परंपराओं का एक ऐतिहासिक वैश्विक स्थान है,जिसका उसी स्थान पर जीर्णोद्वार किया गया है, जहां यह पंद्रह सौ साल पहले अस्तित्व में था- जैसे संस्थानों मेंभूटान के बौद्ध धर्म के अधिक छात्रों का स्वागत करते हैं। हमारे बीच अध्ययन का बंधन उतना ही आधुनिक है जितना कि प्राचीन। 20 वीं शताब्दी में, कई भारतीय गुरूओं के रूप में भूटान आए। पुरानी पीढ़ी के अधिकांश भूटानी नागरिकों की शिक्षा के दौरान उनके कम से कम एक भारतीय शिक्षक होते थे। उनमें से कुछ को महामहिम ने पिछले साल सम्मानित किया था। और हम इस उदार और दयापूर्ण भावभंगिमा के लिए कृतज्ञ हैं।

मित्रों,

भूटान के चार हजार से अधिक छात्र हर क्षण भारत में अध्ययन से जुड़े हुए हैं। यह संख्या बढ़ सकती है और बढ़नी चाहिए। जब हम अपने देशों को विकसित करने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो हमें बदलते तकनीकी परिदृश्य के साथ भीतालमेल बनाए रखना होगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम उभरती प्रौद्योगिकियों और शिक्षा के सभी क्षेत्रों में सहयोग करें।

मैं प्रसन्न हूं कि कल हमने भारत के प्रमुख आईआईटी और इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के बीच संबंधों के नए अध्याय शुरू किए हैं। हम आशा करते हैं कि इससे अधिक सहयोगी शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

मित्रों,

विश्व के किसी भी हिस्से में, अगर हम सवाल पूछते हैं कि आप भूटान के साथ कैसे जुड़ाव महसूस करते हैं, तो इसका जवाब होगा-वहां की सकल खुशियों की राष्ट्रीय अवधारणा से। मुझे आश्चर्य नहीं है। भूटान ने खुशी के सारतत्व को समझा है। भूटान ने सद्भाव, एकजुटता और करुणा की भावना को समझा है। यही भावना उन प्यारे बच्चों से प्रस्फुटित होती है जो कल मेरा स्वागत करने के लिए सड़कों पर पंक्तिबद्ध होकर खड़े थे। मैं हमेशा उनकी मुस्कुराहटों को याद रखूंगा।

मित्रों,

स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "हर देश के पास देने के लिए एक संदेश होता है, पूरा करने के लिएएक मिशन होता है, पहुँचने के लिएएक नियति होती है"। मानवता के लिए भूटान का संदेश प्रसन्नता है। प्रसन्नता जो सद्भाव से उत्पन्न होती है। दुनिया बहुत अधिक प्रसन्नता के साथ बहुत कुछ कर सकती है। प्रसन्नताजो विचारहीन घृणा पर हावी होगी। अगर लोग खुश हैं, तो सद्भाव होगा, जहां सद्भाव है, वहां शांति होगी। और यह शांति है जो समाजों को सतत विकास के माध्यम से प्रगति हासिल करने में मदद करेगी। ऐसे समय में जहां विकास को अक्सर परंपराओं और पर्यावरण के साथ संघर्ष में उलझते देखा जाता है, दुनिया को भूटान से बहुत कुछ सीखना है। यहां, विकास, पर्यावरण और संस्कृति आपस में विरोधी नहीं हैं बल्कि उनका आपस में तालमेल हैं। हमारे युवाओं की रचनात्मकता, ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ, हमारे राष्ट्र एक संधारणीय भविष्य के लिए आवश्यक सभी कुछ हासिल कर सकते हैं - चाहे वह जल संरक्षण हो या टिकाऊ कृषि या हमारे समाजों को एकल- उपयोग प्लास्टिक से मुक्त करना।

मित्रों,

भूटान की अपनी पिछली यात्रा के दौरान, मुझे लोकतंत्र के मंदिर,भूटान की संसदका दौरा करने का सौभाग्य मिला। आज, मुझे शिक्षा के इस मंदिर में जाने का सम्मान प्राप्त हुआ है। आज, श्रोताओं में भूटान की संसद के माननीय सदस्य भी उपस्थित हैं। मैं विशेष रूप से उनकी विशिष्ट उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र और शिक्षा दोनों का उद्देश्य हमें मुक्ति प्रदान करना है। एक दूसरे के बिना कुछ भी पूरा नहीं हो सकता है। और दोनों हमें अपनी पूरी क्षमता को हासिल करने में मदद करते हैं, और हम सर्वश्रेष्ठ बन सकते हैं। अध्ययन का यह केन्द्र एक बार फिर से हमारी अनुसंधान की भावना को मुक्त करेगी और हमारे भीतर के छात्र को जीवित रखेगी।

जैसा कि भूटान अपने इन प्रयासों में श्रेष्ठता हासिल कर रहा है, आपके 1.3 बिलियन भारतीय मित्र आपको केवल गौरव और प्रसन्नता के साथ ही नहीं देखेंगे,बल्कि इसके साथ साथ वे आपको भागीदार भी बनाएंगे, आपसे इन्हें साझा करेंगे और आपसे सीखेंगे। इन शब्दों के साथ, मैं भूटान के रॉयल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपतिमहामहिम राजा और यूनिवर्सिटी के कुलपति, और आप सभी - मेरे युवा मित्रों को धन्यवाद देना चाहूंगा।

आप सभी ने मुझे अपने निमंत्रण से सम्मानित किया है और मुझे इतना समय, ध्यान और इतना अधिक स्नेह दिया है। मैं आप सभी से ढेर सारी प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा लेकर वापस जाता हूं।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

ताशी डेलेक

 

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।