भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद ने आज दिल्ली में प्रवासी भारतीय केन्द्र में 188 देशों के शिष्टमंडलों, जिन्होंने प्रयागराज में कुंभ मेला में प्रतिभागिता की, का स्वागत करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज 188 शिष्टमंडलों के साथ एक ऐतिहासिक समूह फोटो का हिस्सा बने।
प्रधानमंत्री ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि वह शिष्टमंडलों से मिलकर प्रसन्न हैं जो प्रयागराज में कुंभ मेले से अभी तुरंत लौटे हैं।उन्होंने कहा कि जबतक वास्तव में कोई कुंभ मेला नहीं जाता वह इसकी पूरी तरह सराहना नहीं कर सकता कि यह कितनी बड़ी विरासत है।
उन्होंने कहा कि यह परंपरा हजारों वर्षों से अबाधित चली आ रही है। उन्होंने कहा कि कुंभ जितना समाज सुधार से संबंधित है उतना ही आध्यात्मिकता से भी जुड़ा है।उन्होंने कहा कि कुंभ भविष्य के लिए एक रोडमैप की रुपरेखा बनाने तथा प्रगति की निगरानी करने के लिए आध्यात्मिक गुरुओं एवं समाज सुधारकों के बीच चर्चा का एक मंच बना हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब कुंभ मेला में आधुनिकता और प्रौद्योगिकी को विश्वास, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक चेतना के साथ मिश्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व भारत का इसकी आधुनिकता एवं इसकी समृद्धि विरासत के लिए सम्मान करेगा। उन्होंने दुनिया भर से आए शिष्टमंडलों को धन्यवाद दिया एवं कहा कि उनकी सहभागिता कुंभ की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय संसदीय चुनावों को ‘लोकतंत्र के कुंभ’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की ही तरह भारतीय संसदीय चुनाव अपने विशाल स्तर एवं पूर्ण निष्पक्षता के साथ कुल मिलाकर पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बन सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर से लोगों को निश्चित रुप से भारत आकर उसके संसदीय चुनाव के संचालन को देखना चाहिए।