Quoteखेल समाज के मानव संसाधन विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण निवेश: प्रधानमंत्री मोदी 
QuoteSPORTS अर्थात Skill  (कौशल); Perseverance (धैर्य); Optimism (आशावाद); Resilience (लचीलापन); Tenacity (दृढ़ता); Stamina (ताकत): पीएम  मोदी 
Quoteदेश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, बस सही अवसर उपलब्ध कराने और प्रतिभाओं का पोषण करने के लिए एक पारिस्थितिक तंत्र बनाने की जरूरत: पीएम मोदी
Quoteहमारे देश में महिलाओं ने खेल सहित सभी क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से हमें गौरवान्वित किया है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteखेल से टीम वर्क बढ़ता है। यह हममें दूसरों के योगदान को स्वीकार करने की भावना विकसित करता है: पीएम मोदी

'उषा स्‍कूल ऑफ एथलेटिक्‍स' में सिंथेटिक ट्रैक के उद्घाटन अवसर पर सभी खेल प्रेमियों को बधाई।

यह ट्रैक उषा स्‍कूल के विकास में एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव है और यह प्रशिक्षुओं को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा। मैं इस स्‍कूल के विकास में हमारी अपनी भारत की पायोली एक्‍सप्रेस, 'उड़न परी' और 'गोल्‍डन गर्ल' पीटी उषा जी के योगदान के बारे में बताना चाहूंगा।

पीटी उषा भारत में खेल की एक चमकती रोशनी रही हैं।

उन्‍होंने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया और ओलंपिक के अंतिम मुकाबले तक पहुंचने में सफल रहीं। लेकिन महज एक मामूली अंतर से वह पदक हासिल करने से चूक गईं।

भारतीय एथलेटिक्‍स के इतिहास में कुछ ही खिलाडि़यों ने उनके जैसा ट्रैक रिकॉर्ड हासिल किए हैं।

उषा जी, राष्‍ट्र को आप पर गर्व है। लेकिन इससे भी अच्‍छी बात यह है कि उषा जी ने खेल के साथ अपना लगाव लगातार जारी रखा है। उनके व्‍यक्तिगत ध्‍यान और केंद्रित दृष्टिकोण ने अच्‍छे परिणाम लाने शुरू कर दिए हैं और अब मिस टिंटू लुका एवं मिस जिस्‍ना मैथ्‍यू जैसी उनकी प्रशिक्षु अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी छाप पहले ही छोड़ चुकी हैं।

उषा जी की ही तरह 'उषा स्‍कूल' भी सरल और सीमित संसाधनों के इस्‍तेमाल के जरिये हर अवसर का बेहतरीन उपयोग कर रहा है।

मैं इस अवसर पर खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण और सीपीडब्‍ल्‍यूडी को भी इस परियोजना को पूरा करने के लिए बधाई देता हूं। हालांकि तमाम बाधाओं के कारण इस परियोजना को पूरा होने में थोड़ी देरी हो गई। लेकिन फिर भी, देर आए दुरुस्त आए।

परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तेजी लाना और उन्‍हें निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है।

वास्‍तव में इस परियोजना को 2011 में स्‍वी‍कृति दी गई थी लेकिन सिंथेटिक ट्रैक के लिए वर्क ऑर्डर 2015 में ही दिया जा सका। मुझे बताया गया है कि यह ट्रैक पूरी तरह पीयूआर ट्रैक है।

इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ताकि चोट लगने की संभावना को काफी कम किया जा सके और यह अंतरराष्‍ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।

समाज के मानव संसाधन के विकास से खेल का काफी निकट संबंध है।

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मैं हमेशा से यह मानता रहा हूं कि खेल शरीर को स्‍वस्‍थ बनाए रखने के अलावा हमारे व्‍यक्तित्‍व को भी संवारता है और समग्र विकास को बढ़ावा देता है। यह कठिन परिश्रम और अनुशासन का संस्‍कार पैदा करता है।
यह जीवन के लिए शिक्षा प्रदान करता है जो हमारी सोचने की प्रक्रिया को समृद्ध करती है। खेल का मैदान एक उत्‍कृष्‍ट शिक्षक है। खेल के मैदान में हम जो एक सबसे अच्‍छी बात सीखते हैं, वह है समभाव- यानी हार और जीत दोनों को जीवन के एक हिस्‍से के रूप में स्‍वीकार करना।

हम विजयी होने पर विनम्र होना सीखते हैं और ठीक उसी समय हम यह भी सीखते हैं कि हमें हार में ही नहीं फंस जाना चाहिए। हार कोई अंत नहीं है, बल्कि यह नए सिरे से ऊपर उठने और वांछित परिणाम हासिल करने की शुरुआत है।

खेल हमारी टीमवर्क यानी साथ मिलकर काम करने की क्षमता को समृद्ध करता है। साथ ही खुलेपन की भावना भी लाता है और हमें दूसरों को स्‍वीकार करने की क्षमता प्रदान करता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने देश में युवाओं के जीवन के एक हिस्‍से के तौर पर खेल को अपनाएं।

मेरे लिए खेल में निम्‍नलिखित विशेषताएं समाहित होती हैं।

मैं इसे समझाने के लिए खेल यानी स्‍पोर्ट्स शब्‍द को विस्‍तारित करना चाहूंगा:
एस यानी स्किल अर्थात कौशल,
पी यानी पर्सविरन्‍स अर्थात धीरज,
ओ यानी ऑप्टिमीज्‍म अर्थात आशावादिता,
आर यानी रिजिलीयन्‍स अर्थात लचीलापन,
टी यानी टिनैसिटी अर्थात दृढ़ता,
एस यानी स्‍टैमिना अर्थात सहन शक्ति।

खेल हमारे भीतर खेलकूद की भावना पैदा करता है जो मैदान पर और मैदान के बाहर दोनों जगह काफी मायने रखती है।

इसलिए मैं अक्‍सर कहता हूं- जो खेले, वो खिले- यानी जो खेलता है वही चमकता है।

आपस में एक-दूसरे से जुड़े और एक-दूसरे पर निर्भर इस दुनिया में एक देश की नरम ताकत काफी मायने रखती है। किसी देश की आर्थिक एवं सैन्‍य शक्ति के अलावा नरम ताकत को उसकी प्रमुख पहचान के तौर पर देखा जाता है। खेल उसी नरम ताकत का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बन चुका है।

विभिन्‍न खेल एवं खिलाडि़यों की वैश्विक पहुंच एवं प्रशंसकों को देखते हुए एक देश खेल के माध्‍यम से दुनिया में अपनी एक विशेष पहचान बना सकता है।

किसी भी खेल में उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ी प्रेरणा के वैश्विक स्रोत हैं। युवाओं को उनकी सफलता और संघर्ष से प्रेरणा मिलती है। हरेक प्रमुख अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धा के दौरान, चाहे ओलंपिक हो अथवा विश्‍व कप या कोई अन्‍य इस प्रकार का मंच, पूरा विश्‍व अन्‍य देशों की उपलब्धियों का जश्‍न मनाता है चाहे वे छोटे हों अथवा बड़े।

यह खेल की एकजुटता की ताकत है। खेल एवं संस्‍कृति में परिवर्तन करने की क्षमता होती है जो लोगों के बीच संबंधों को और गहराई देती है। यहां तक कि भारत में घर पर भी एक खिलाड़ी पूरे देश की कल्‍पना करता है। उनका प्रदर्शन एकजुटता की ताकत को दर्शाता है- जब वह मैदान पर होता है तो हर कोई उसके लिए प्रार्थना करता है।

इन एथलीटों की लोकप्रियता उनके समय के गुजरने के बाद भी बरकरार रहती है। वर्षों से खेल ज्ञान की खोज की तरह भारतीय संस्‍कृति एवं परंपरा का हिस्‍सा रहा है।

तीरंदाजी, तलवारवाजी, कुश्‍ती, मालखम्‍ब और नौकायन जैसी खेल गतिविधियां सदियों से अस्तित्‍व में हैं।

केरल में कुट्टीयुमक्‍लुम, कलारी जैसे खेल लोकप्रिय रहे हैं।

मुझे यह भी पता है कि कीचड़ फुटबॉल कितना लोकप्रिय है। मुझे यकीन है कि आप में से कई लोगों को सागोल कांगजी के बारे में पता होगा जो मूल रूप से मणिपुर से है। इसे पोलो से भी पुराना खेल कहा जाता है और इसने भी समाज को जोड़ने में एक बड़ी भूमिका निभाई है।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पारंपरिक खेलों की लोकप्रियता कम न होने पाए। स्‍वदेशी खेलों को भी निश्चित तौर पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्‍योंकि वे हमारी खुद की जीवनशैली से विकसित हुए हैं।

लोग इन खेलों को स्‍वाभाविक तौर पर लेते हैं और उन्‍हें खेलने से व्‍यक्तित्‍व और विकसित हो रहे दिमाग के आत्‍मसम्‍मान पर काफी सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।

उनकी जड़ें मजबूत होंगी। आज योग में दुनिया फिर से दिलचस्‍पी ले रही है। योग को चुस्‍ती और तंदुरुस्‍ती के एक साधन के रूप में देखा जा रहा है जो तनाव को कम करने का एक तरीका है। हमारे एथलीटों को भी योग को अपने दिनचर्या और प्रशिक्षण का एक हिस्‍सा बनाने पर विचार करना चाहिए। उसका जबरदस्‍त नतीजा हम सब के सामने होगा।

योग की जन्‍मभूमि होने के कारण, दुनियाभर में इसे कहीं अधिक लोकप्रिय बनाना हमारी अतिरिक्‍त जिम्‍मेदारी है। और, जिस प्रकार योग लोकप्रिय हो गया है, उसी प्रकार हमें अपने पारंपरिक खेलों को भी दुनियाभर में लोकप्रिय बनाने के तरीके पर जरूर सोचना चाहिए।

हाल के वर्षों में आपने देखा है कि कबड्डी जैसा खेल किस प्रकार अंतरराष्‍ट्रीय प्रतियोगिताओं का हिस्‍सा बन गया और अब देश में भी बड़े स्‍तर पर कबड्डी टूर्नामेंटों का आयोजन किया जा रहा है। कंपनियां इन प्रतियोगिताओं को प्रायोजित कर रही हैं और मुझे बताया गया है कि इन टूर्नामेंटों को व्‍यापक तौर पर देखा जा रहा है।

कबड्डी की ही तरह हमें देश के विभिन्‍न कोनों से स्‍थानीय एवं स्‍वदेशी खेलों को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लाना होगा। इसमें सरकार के साथ-साथ खेल से जुड़ी अन्‍य संस्‍थाओं और समाज की भी प्रमुख भूमिका होगी।

हमारा देश एक समृद्ध एवं विविध संस्‍कृति वाला देश है जहां लगभग 100 भाषाएं और 1,600 से अधिक बोलियां बोली जाती हैं, लोगों के खानपान, पहनावे और त्‍योहारों में भी विविधता है। लेकिन खेल हमें एकजुट करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लगातार बातचीत, प्रतियोगिता, मैच, प्रशिक्षण आदि के लिए की जाने वाली यात्रा से हमें देश के अन्‍य क्षेत्रों की संस्‍कृति एवं परंपरा को समझने का अवसर मिलता है।

इससे एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की भावना मजबूत होती है और राष्‍ट्रीय एकता को काफी बल मिलता है।

हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन हमें उन प्रतिभाओं को निखारने के लिए उचित अवसर प्रदान करने और एक माहौल बनाने की जरूरत है। हमने एक कार्यक्रम 'खेलो इंडिया' की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत स्‍कूल एवं कॉलेज स्‍तर से लेकर राष्‍ट्रीय स्‍तर तक विभिन्‍न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसके जरिये प्रतिभाओं को पहचानने और उसके बाद उचित मदद मुहैया कराते हुए उसके पोषण पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा।

खेलो इंडिया खेल बुनियादी ढांचे का भी समर्थन करता है। हमारे देश की महिलाओं ने सभी क्षेत्रों में- खेल में कहीं अधिक- अपनी उपलब्धियों से हमें गौरवान्वित किया है।

हमें विशेष तौर पर हमारी बेटियों को अवश्‍य प्रोत्‍साहित करना चाहिए और उन्‍हें खेल में आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करना चाहिए। सबसे अधिक प्रसन्‍नता की बात यह है कि पिछले पैरालिंपिक्‍स में हमारे खिलाडि़यों ने अपना सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया।

इन खेल उपलब्धियों से इतर, इन पैरालिंपिक्‍स और हमारे एथलीटों के प्रदर्शन ने हमारे दिव्‍यांग बहनों और भाइयों के प्रति हमारा नजरिया बदल दिया है। मैं यह कभी नहीं भूल सकता कि दीपा मलिक ने पदक से सम्‍मानित होते समय क्‍या कहा था।

उन्‍होंने कहा था- 'वास्‍तव में इस पदक के माध्‍यम से मैंने विकलांगता को हरा दिया है।'

इस टिप्‍पणी में बड़ी ताकत है। हमें खेल के लिए एक जन आधार तैयार करने के लिए लगातार काम करना होगा।

पहले के दशकों के दौरान एक ऐसा वातावरण था जिसमें खेल को एक करियर के तौर पर नहीं अपनाया गया था। अब यह सोच बदलने लगा है। जल्‍द ही इसके परिणाम खले के मैदान पर स्‍पष्‍ट रूप से दिखेंगे। एक मजबूत खेल संस्‍कृति खेल अर्थव्‍यवस्‍था के विकास में मदद कर सकती है।
एक पूर्ण विकसित पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में खेल रोजगार के काफी अवसर सृजित करने के अलावा हमारी अर्थव्‍यवस्‍था में व्‍यापक योगदान कर सकता है। खेल उद्योग पेशेवर लीग, खेल उपकरण एवं जगह, खेल विज्ञान, चिकित्‍सा सहायता खल कर्मी, परिधान, पोषण, कौशल विकास, खेल प्रबंधन आदि विभिन्‍न क्षेत्रों में अवसर प्रदान करता है।

खेल अरबों डॉलर का एक वैश्विक उद्योग है जो अपार उपभोक्‍ता मांग से प्रेरित है। वैश्विक खेल उद्योग का आकार करीब 600‍ बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। भारत में पूरे खेल उद्योग का आकार महज 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।

हालांकि, भारत में खेल की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। भारत एक खेल प्रेमी देश है। यहां हमारे युवा दोस्‍त जिस जुनून के साथ इन दिनों चल रहे क्रिकेट चैम्पियंस ट्रॉफी को देखते हैं, वे उसी जुनून के साथ ईपीएल फुटबॉल अथवा एनबीए बास्‍केटबॉल फिक्‍सचर्स और एफ1 रेस को भी देखेंगे।

और, जैसा कि मैंने पहले कहा था, वे कबड्डी जैसे खेल पर भी आकर्षित हो रहे हैं। हमारे खेल के मैदान और स्‍टेडियम का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। छुट्टियों में भी बाहर जाकर खेलना चाहिए। इसके लिए स्‍कूल और कॉलेज के मैदान अथवा जिले में आधुनिक सुविधाओं से लैस स्‍टेडियम का उपयोग किया जा सकता है।

अपने भाषण के समापन से पहले मैं खेल के क्षेत्र में केरल के योगदान की अवश्‍य सराहना करना चाहता हूं। मैं भारत के लिए खेलने वाले हरेक खिलाड़ी को बधाई देता हूं। मैं उन खिलाडि़यों का अभिनंदन करता हूं जो उत्‍कृष्‍टता हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं।

मैं उषा स्‍कूल के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए भी कामना करता हूं और उम्‍मीद करता हूं कि यह नया सिंथेटिक ट्रैक उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करेगा। और उम्‍मीद है‍ कि यह 2020 में टोक्‍यो ओलंपिक सहित प्रमुख अंतरराष्‍ट्रीय खेल आयोजन के लिए हमारी तैयारी में योगदान करेगा।

मैं खेल समुदाय से भी आग्रह करता हूं कि वे 2022 में हमारे देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के लिए खेल के क्षेत्र में लक्ष्‍य निर्धारित करें और उन्‍हें एहसास करने का प्रण लें।

मुझे विश्‍वास है कि उषा स्‍कूल ओलंपिक एवं विश्‍व स्‍पर्धाओं में ट्रैक एंड फील्‍ड प्रतियोगिताओं के लिए और अधिक चैम्पियन तैयार करेगा। भारत सरकार पूरी तरह आपकी सहायता करेगी और एथलेटिक्‍स में उत्‍कृष्‍टता हासिल करने के लिए हरसंभव मदद करेगी।

धन्‍यवाद,
बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 

  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • Laxman singh Rana June 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷🌹
  • Laxman singh Rana June 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷
  • Laxman singh Rana June 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
  • Manda krishna BJP Telangana Mahabubabad District mahabubabad June 17, 2022

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We remain committed to deepening the unique and historical partnership between India and Bhutan: Prime Minister
February 21, 2025

Appreciating the address of Prime Minister of Bhutan, H.E. Tshering Tobgay at SOUL Leadership Conclave in New Delhi, Shri Modi said that we remain committed to deepening the unique and historical partnership between India and Bhutan.

The Prime Minister posted on X;

“Pleasure to once again meet my friend PM Tshering Tobgay. Appreciate his address at the Leadership Conclave @LeadWithSOUL. We remain committed to deepening the unique and historical partnership between India and Bhutan.

@tsheringtobgay”