भारत सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और यह 2030 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो सकती है: प्रधानमंत्री मोदी
ऊर्जा, सामाजिक-आर्थिक वृद्धि का प्रमुख चालक है, ऊर्जा न्याय मेरे लिए भी एक प्रमुख उद्देश्य है और भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है: पीएम मोदी
सौभाग्य योजना के तहत इस साल देश में 100 प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाई जानी है, एलईडी बल्बों के वितरण से एक साल में 17,000 करोड़ रुपए यानी 2.5 अरब डॉलर की बचत हुई: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नोएडा में पेट्रोटेक-2019 सम्‍मेलन में उद्घाटन भाषण दिया।

नमस्ते।

सबसे पहले, मैं लॉजिस्‍टकल कारणों से देरी के लिए माफी माँगता हूं।

भारत के प्रमुख हाइड्रोकार्बन सम्मेलन के तेरहवें संस्करण, पेट्रोटेक-2019 में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे प्रसन्‍नता हो रही है।

मैं महामहिम डॉ. सुल्तान अल जबेर को ऊर्जा क्षेत्र में उनके योगदान तथा भावी विजन के लिए बधाई देता हूं।

पिछली सदी की अंतिम तिमाही के दौरान, पेट्रोटेक ने ऊर्जा क्षेत्र में उन चुनौतियों के समाधान पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया है, जिनका सामना हमें ऊर्जा क्षेत्र में करना पड़ता है।

हमारे प्रत्येक संबंधित देश में, हम अपने नागरिकों को सस्ती, दक्ष, स्वच्छ और आश्‍वस्‍त ऊर्जा आपूर्ति प्रदान करना चाहते हैं।

यहां साठ से अधिक देशों और सात हजार प्रतिनिधियों की उपस्थिति, उस कॉमन प्रयास का सूचक है।

कई दशकों के सार्वजनिक जीवन ने मुझे विश्‍वास दिलाया है कि ऊर्जा सामाजिक-आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है। अर्थव्यवस्था की त्‍वरित वृद्धि के लिए उपयुक्त मूल्य-निर्धारित, स्थिर और स्थायी ऊर्जा आपूर्ति आवश्यक है। इससे समाज के गरीब और वंचित वर्गों को आर्थिक लाभ हासिल करने में भी मदद मिलती है।

माइक्रो लेवल पर, ऊर्जा क्षेत्र विकास का मुख्‍य आधार और महत्वपूर्ण केंद्र-बिंदु है।

दोस्तों,

जैसा कि हम वैश्विक ऊर्जा के वर्तमान और भविष्य पर चर्चा करने के लिए यहां एकजुट हुए हैं, वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में हम व्‍यापक परिवर्तन को देख रहे हैं।

ऊर्जा आपूर्ति, ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा उपभोग पैटर्न बदल रहे हैं। शायद, यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन हो सकता है।

ऊर्जा की खपत में पश्चिम से पूर्व तक बदलाव देखा जा रहा है।

संयुक्त राज्य अमेरिका शेल क्रांति के बाद दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक बन गया है।

सौर ऊर्जा और ऊर्जा के अन्य नवीकरणीय स्रोत अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं। वे पारंपरिक ऊर्जा रूपों के स्थायी विकल्प के रूप में उभर रहे हैं।

प्राकृतिक गैस वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में तेजी से सबसे बड़ा ईंधन बनकर उभर रहा है।

सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकियों और डिजिटल अनुप्रयोगों के बीच कन्‍वर्जेंस के संकेत दिखाई दे रहे हैं। इससे कई सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्‍त किया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई राष्ट्र एक साथ आ रहे हैं। इसका प्रमाण भारत और फ्रांस द्वारा संवर्धित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक साझेदारी में स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई देता है।

हम अधिक ऊर्जा उपलब्धता के युग में प्रवेश कर रहे हैं।

लेकिन दुनियाभर में एक अरब से अधिक लोगों के पास अभी भी बिजली की सुविधा नहीं है। कई और लोगों के पास खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन तक नहीं है।

भारत ने ऊर्जा पहुंच से संबंधित इन मुद्दों का समाधान करने का बीड़ा उठाया है। हमारी सफलता में, मैं दुनिया के लिए आशा करता हूं कि ऊर्जा उपलब्धता की समस्याओं का समाधान उपयुक्‍त रूप से किया जा सकता है।

लोगों के पास स्वच्छ, सस्ती, स्‍थायी और समान ऊर्जा आपूर्ति के लिए सार्वभौमिक पहुंच होनी चाहिए।

ऊर्जा न्याय पर आधारित युग के आगमन में भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी अग्रणी एजेंसियों ने ​​आने वाले वर्षों में इस बढ़ती प्रवृत्ति के जारी रहने का अनुमान लगाया है।

अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल में, भारत ने विश्व अर्थव्यवस्था के एक एंकर के रूप में जबरदस्त लचीलापन दिखाया है।

भारत हाल ही में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक, भारत दूसरी सबसे बड़ी विश्व अर्थव्यवस्था बन सकता है।

हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भी हैं, जहाँ ऊर्जा मांग सालाना पांच प्रतिशत से अधिक बढ़ रही है।

2040 तक ऊर्जा मांग दोगुनी से भी अधिक होने की उम्मीद है जिसके कारण भारत ऊर्जा कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार बना रहेगा।

हमने ऊर्जा नियोजन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है। दिसंबर 2016 में पिछले पेट्रोटेक सम्मेलन के दौरान, मैंने भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए चार स्तंभों का उल्लेख किया था। ये हैं : ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा।

दोस्तों,

मेरे लिए ऊर्जा न्याय भी एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे भारत द्वारा उच्‍च प्राथमिकता दी जा रही है। इस दिशा में, हमने कई नीतियों को विकसित कर कार्यान्वित किया है। इन प्रयासों के परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।

हमारे सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंच गई है।

इस वर्ष हमने सौभाग्य नामक लक्षित कार्यक्रम के माध्यम से भारत में शत-प्रतिशत परिवारों को बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

बिजली उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ, हमारा उद्देश्य ट्रांसमिशन और वितरण में नुकसान को कम करना भी है। हमारी उदय योजना के तहत, हम इस उद्देश्य की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

भारत की वर्ल्‍ड बैंक ईज ऑफ गेटिंग इलेक्ट्रिसिटी रैंकिंग में सुधार आया है, जो 2014 में एक सौ ग्यारह से बढ़कर 2018 में इक्कीस है।

उजाला योजना के तहत देशभर में वितरित एलईडी बल्बों के परिणामस्वरूप, सत्रह हजार करोड़ रुपये या लगभग 2.5 बिलियन डॉलर की वार्षिक बचत हुई है।

खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन तक पहुंच के कई लाभ मिलते हैं, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को जिन्‍हें धुएं के प्रदूषण के जोखिम का सामना करना पड़ता है।

उज्ज्वला योजना के तहत केवल तीन वर्षों में चौसठ मिलियन या 6.4 करोड़ से अधिक परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। 'ब्लू फ्लेम रिवॉल्यूशन' पर काम चल रहा है। एलपीजी कवरेज नब्बे प्रतिशत से अधिक पहुंच गया है, जो पांच साल पहले पचपन प्रतिशत थी।

स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हम अप्रैल 2020 तक बीएस चार से बीएस छह ईंधन में सीधे परिवर्तित हो जाएंगे। यह यूरो छह मानक वाले ईंधन के के बराबर है।

सौ प्रतिशत विद्युतीकरण, और बढ़ती एलपीजी कवरेज जैसी उपलब्धियां लोगों की भागीदारी से ही संभव हुई हैं। ऊर्जा न्याय तभी हो सकता है, जब लोग अपनी सामूहिक शक्ति पर विश्वास करें। सरकार उस विश्वास को एक वास्तविकता में बदलने में केवल एक सुविधाकारक है।

पिछले पांच वर्षों में भारत ने तेल और गैस क्षेत्र में बड़े सुधार किए हैं। हमने अपनी अपस्ट्रीम नीतियों और नियमों को नया रूप दिया है। हमने इस क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा लाने के लिए हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति शुरू की है।

बोली मानदंड को राजस्व साझेदारी में बदल दिया गया है। इससे सरकारी मध्‍यस्‍ता कम करने में मदद मिली है। भारतीय तेल क्षेत्रों में अन्वेषण के प्रति रुचि बढ़ाने में एक ओपन एक्रेज लाइसेंसिंग पॉलिसी और एक नेशनल डेटा रिपॉजिटरी सहायता कर रही है।

गैस मूल्य-निर्धारण सुधार भी शुरू किए गए हैं। द इन्‍हांस्‍ड ऑयल रिकवरी पॉलिसी का उद्देश्य अपस्ट्रीम फील्‍ड्स की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है।

हमारे डाउनस्‍ट्रीम सेक्‍टर का पूरी तरह से उदारीकरण किया गया है। बाजार संचालित पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के मूल्य में परिवर्तन को स्‍पष्‍ट रूप से परिलक्षित करती हैं। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता है। इसमें 2030 तक लगभग 200 मिलियन मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी होगी।

पिछले साल एक राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति लागू की गई थी। दूसरी और तीसरी पीढ़ी के जैव ईंधन पर शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है। बारहवीं पीढ़ी की जैव-रिफाइनरियों की स्थापना ग्यारह राज्यों में की जा रही है। इथेनॉल सम्मिश्रण और बायोडीजल कार्यक्रम कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहा है, और इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है। बायो एविएशन टरबाइन फ्यूल हमारे नागरिक उड्डयन क्षेत्र में पहले ही आजमाया जा चुका है।

हमारी सरकार ने संपूर्ण तेल और गैस मूल्य श्रृंखला में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया है। भारत एक आकर्षक एफडीआई स्‍थल बन रहा है। सऊदी अरामको, एडीएनओसी, टोटल, एक्सॉन-मोबिल, बीपी और शेल जैसी कंपनियां मूल्य श्रृंखला में अपने निवेश को बढ़ाना चाह रही हैं।

भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। सोलह हजार किलोमीटर से अधिक गैस पाइपलाइन का निर्माण किया गया है और ग्यारह हजार किलोमीटर अतिरिक्त निर्माणाधीन है।

पूर्वी भारत में तीन हजार दो सौ किलोमीटर गैस पाइपलाइन का कार्यान्‍वयन शुरू हो गया है। यह नॉर्थ ईस्ट इंडिया को नेशनल गैस ग्रिड से जोड़ेगा।

सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दसवीं दौर की बोली प्रक्रिया एक महीने में पूरी हो जाएगी। यह चार सौ से अधिक जिलों को कवर करेगा। यह हमारी आबादी के सत्तर प्रतिशत तक सिटी गैस वितरण की कवरेज का विस्तार करेगा।

हम उद्योग 4.0 के लिए कमर कस रहे हैं। नई प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं के साथ यह उद्योग के संचालन के तरीके को बदल देगा। हमारी कंपनियां दक्षता में सुधार लाने, सुरक्षा बढ़ाने और लागत कम करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों को अपना रही हैं। ऐसा ही डाउनस्ट्रीम रिटेल और तथा अपस्ट्रीम ऑयल एंड गैस प्रोडक्शन, एसेट मेंटेनेंस और रिमोट मॉनिटरिंग में किया जा रहा है।

हाल के वर्षों में, हमने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी और ओपेक जैसे संगठनों के साथ अपने अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव को गहरा किया है। हमने 2016 से 2018 तक अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम की अध्यक्षता की। हम अपने पारंपरिक बायर-सेलर अनुबंधनों को द्विपक्षीय निवेशों के माध्‍यम से रणनीतिक साझेदारियों में परिवर्तित करने में सफल हुए हैं। हमने नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और म्यांमार के साथ ऊर्जा संबंध को मजबूत कर अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को भी बढ़ावा दिया है।

मैं तेल और गैस क्षेत्र के वैश्विक सीईओ के साथ नियमित रूप से जुड़ा रहा हूं। विश्व के नेताओं और मुख्य कार्यकारी अधिकारों के साथ मेरी बातचीत में, मैंने हमेशा इस बात पर बल दिया है कि तेल और गैस न केवल व्यापार करने की कमोडिटी है, बल्कि यह एक आवश्यकता भी है। चाहे यह आम आदमी की रसोई के लिए हो या एयरक्राफ्ट के लिए, ऊर्जा आवश्यक है।

बहुत लंबे समय तक, दुनिया ने कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा है। हमें एक जिम्मेदार मूल्य-निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत है, जो उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के हितों को संतुलित करता है। हमें तेल और गैस दोनों के लिए पारदर्शी और उदारवादी बाजारों की ओर बढ़ने की भी जरूरत है। तभी हम मानवता की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति उपयुक्‍त रूप से कर सकते हैं।

एक और प्रमुख मुद्दा है जलवायु परिवर्तन जिस पर दुनिया को एक साथ आने की जरूरत है। एक साथ आकर, हम उन लक्ष्‍यों को हासिल कर सकते हैं जिन्‍हें हमने स्‍वयं के लिए पेरिस में सीओपी-21 में निर्धारित किया था। भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए तेजी से प्रगति की है। हम लक्ष्य तक पहुंचने की राह पर हैं।

पेट्रोटेक ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य पर विचार-विमर्श करने के लिए एक उपयुक्‍त मंच प्रदान कराता है। यह इस बात पर विचार करने के लिए एक अच्छा मंच है, जहाँ वैश्विक बदलाव, परिवर्तन, नीतियां और नई प्रौद्योगिकियां ऊर्जा क्षेत्र में बाजार की स्थिरता और भविष्य के निवेश को कैसे प्रभावित करेंगी।

मैं आप सभी को सफल और सकारात्‍मक सम्मेलन की शुभकामना देता हूं।

धन्यवाद।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।