रूस की अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'तास' के फर्स्ट डिप्टी जनरल डायरेक्टर मिखाइल गुस्मान को 'तास' और 'रोसिएस्काया गजेटा' के लिए एक विशेष साक्षात्कार दिया।
आपसे दोबारा मिलने के अवसर के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। सुदूर पूर्वी रूस में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की बैठक हेतु व्लादिवोस्तोक के लिए उड़ान भरने से कुछ घंटे पहले हम आपसे मिल रहे हैं। आप इस मंच से क्या उम्मीद करते हैं? वहां आप किन अपेक्षाओं के साथ जा रहे हैं?
नमस्ते! सबसे पहले, मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आप इतनी दूर से यहाँ आए। भारत में आपका स्वागत है! चूँकि रूस और भारत के लोग एक-दूसरे से कई मायनों में करीबी से जुड़े हैं इसलिए आपके माध्यम से मैं रूस के लोगों का हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहूँगा।
एक बार मैं द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए रूस आया था, उस शाम हमें एक सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाया गया था। मंच पर सभी वक्ता रूसी थे, किंतु उन्होंने जिस प्रकार भारत का चित्रण प्रस्तुत किया मैं स्तब्ध रह गया। मंच पर पूरा माहौल भारतीय था, वक्ताओं ने भारतीय परंपराओं, भारतीय परिधान व संस्कृति का प्रदर्शन किया और मुझे यह महसूस हुआ कि रूसी लोग भारत से कितना स्नेह करते हैं। इसलिए, मैं पूरी ईमानदारी से रूसियों को धन्यवाद और उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूँ।
जहां तक भारत और रूस के संबंधों का प्रश्न है, दो वर्ष पहले मैंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर सेंट पीटर्सबर्ग में एक इकोनॉमिक फोरम का दौरा किया था। पुनः उन्होंने मुझे एक साल पहले इस फोरम पर आमंत्रित किया और मुझे यह निमंत्रण चुनावों से पहले ही मिल गया था, जबकि आगामी चुनाव परिणाम प्रतीक्षित थे। परन्तु राष्ट्रपति ने आत्मविश्वास से मुझसे कहा, "नहीं, आप आइए।" ऐसा मित्रवत विश्वास, सम्मान और प्रेम होना अपने आप में बहुत मायने रखता है।
जहां तक भारत और रूस के बीच संबंधों का सवाल है, मुझे यकीन है कि वह केवल राजनेताओं या राजधानियों - दिल्ली और मास्को के बीच संबंधों तक ही सीमित नहीं हैं। भारत एक विशाल और विविध देश है। दुनिया के हर देश में अलग-अलग क्षेत्रों की अपनी-अपनी विशिष्टता है और अगर हमें संबंध विकसित करने हैं तो हमें पूरे देश को व्यापकता में समझना होगा। मेरा मानना है कि अगर हम सुदूर पूर्वी रूस से परिचित नहीं हुए, तो हम रूस को पूर्ण रूप से नहीं समझ पाएंगे। यह रूस का बहुत शक्तिशाली क्षेत्र है।
मुझे यह स्मरण है कि पिछली बार जब मैं सेंट पीटर्सबर्ग में था, तो लगभग आधे दिन तक रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्रों से पीटर्सबर्ग पहुँचे गवर्नर्स से बातचीत का अवसर मिला। बाद में, उन्हीं पूर्वी क्षेत्रों से कई प्रतिनिधि 'वाइब्रेंट गुजरात' - अंतर्राष्ट्रीय निवेश मंच पर पधारे।
यह सुदूर पूर्वी क्षेत्र; भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों को एक नई मजबूती, नया विस्तार और समावेशी बनाने में अपना योगदान दे, इस दिशा में मेरा पूरा प्रयास है। इसलिए मुझे लगता है कि यह मंच बहुत महत्वपूर्ण है।
लेकिन यह मंच सिर्फ मुलाकातों और विचारों के आदान-प्रदान तक ही सीमित नहीं है। हम छह महीने से इस फोरम की तैयारी कर रहे हैं। सुदूर पूर्वी रूस से एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल हमारे पास आया। हमारे राज्यों के मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्री, उद्यमी वहां गए, उन्होंने इस क्षेत्र को अपनी आंखों से देखा। और अब मैं जा रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा, नई ऊर्जा, नई गति देगी।
प्रधानमंत्री महोदय, आपने राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी पिछली बैठकों का उल्लेख किया, जिसमें सेंट पीटर्सबर्ग का फोरम शामिल है; आप व्लादिवोस्तोक में मिलेंगे। आपका व्यक्तिगत संवाद कैसा चल रहा है, जैसा कि कहा जाता है कि आपके विशिष्ट सम्बन्ध हैं, ख़ास किस्म का तालमेल है, आप इसे कैसे देखते हैं ?
देखिए, पिछले 20 वर्षों में, भारत और रूस के बीच संबंधों ने काफी प्रगति की है। लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि विश्वास है, जो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे पहली बार 2001 में राष्ट्रपति पुतिन से मिलने का अवसर मिला। तब मैं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मास्को यात्रा पर गया था।
मैं गुजरात राज्य का मुख्यमंत्री था और यह हमारी पहली बैठक थी, लेकिन पुतिन ने बिल्कुल भी यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं कमतर हूँ, एक छोटे राज्य से हूं या कि मैं एक नया व्यक्ति हूं। उन्होंने मुझसे मित्रवत व्यवहार किया। नतीजा यह हुआ कि दोस्ती के दरवाजे खुल गए। हमने अपने देशों से संबंधित मुद्दों के अलावा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, अपने शौक के बारे में बात की, फिर शांति और विश्व की समस्याओं के बारे में बात की। हम अपनों की तरह खुलकर बात करते थे। उनके साथ बात करना बहुत दिलचस्प है और मैं साफ़ तौर पर स्वीकार करता हूं कि उनके साथ बातचीत करना बहुत ही ज्ञानवर्धक है।
आज, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिये, भारत में सस्ते सैन्य उपकरणों का उत्पादन संभव है और हम ऐसे हथियारों की आपूर्ति तीसरे देशों को बहुत कम कीमत पर कर सकते हैं। भारत और रूस प्रदत्त यह अवसर वैश्विक स्तर पर अन्य देशों द्वारा इस्तेमाल हो, ऐसा हमारा मानना है।
प्रधानमंत्री महोदय, अगर आप देखें कि अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में हमारे संबंध कैसे विकसित हो रहे हैं, तो अधिकांश आधुनिक विदेश नीति के मुद्दों पर मास्को और दिल्ली की स्थिति काफी हद तक समान है या पूरी तरह से मेल खाती है। विशेष रूप से, दोनों देश एक बहुध्रुवीय विश्व के पक्षधर हैं, जो सभी देशों और लोगों के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखता है। द्विपक्षीय सहयोग के अलावा, रूस और भारत संयुक्त राष्ट्र, जी20, ब्रिक्स, एससीओ जैसे अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के ढांचे के भीतर बहुत सक्रिय रूप से संबंध और संपर्क विकसित कर रहे हैं। आप इस क्षेत्र में हमारी बातचीत का मूल्यांकन कैसे करते हैं?
50-60 वर्षों में, विशेष रूप से पिछले 20 वर्षों में हमारे संबंधों को विभिन्न कसौटियों पर परखा गया है और सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत और रूस का स्टैंड कमोबेश समान रहा है। हमारी आम राय ने विश्व राजनीति को प्रभावित किया। देखिए, हम पड़ोसी नहीं हैं, हमारी कोई सामान्य सीमा नहीं है, लेकिन हमारे दिल जुड़े हुए हैं। इसलिए, हमारे सहयोग में कोई बाधा नहीं है। मुझे आश्चर्य है कि रूसी लोग भारतीय फिल्मों के गानों को मुझसे ज्यादा जानते हैं। वे सभी शब्दों को जानते हैं और उनका अर्थ भी जानते हैं।
महात्मा गांधी की आगामी 150वीं जयंती के अवसर पर; रूसी कलाकारों ने मेरे मूल राज्य की भाषा गुजराती में एक धार्मिक गीत गाया। उन्होंने इस गाने को बहुत अच्छा गाया है। मैंने राष्ट्रपति पुतिन को गाने का एक वीडियो भी दिखाया और कहा: "देखिए इन रूसी कलाकारों की प्रतिभा का स्तर कितना ऊँचा है।" आपने सही कहा कि बॉलीवुड की भारतीय फिल्मों ने रूसियों को प्रभावित किया। यहां मैं उन युवाओं से मिलता हूं जो भारतीय गाने भी जानते हैं। राज कपूर को हर कोई याद करता है। वे भारत से ज्यादा आपके यहां लोकप्रिय थे। वह हमारे देश के एक महान कलाकार थे और उनके परिवार की चार पीढ़ियों का भारतीय फिल्म जगत में शानदार योगदान रहा है।
आज पूरी दुनिया का ध्यान जटिल कश्मीर मुद्दे पर है। कश्मीर के हालात पर आप कैसे टिप्पणी करेंगे?
देखिए, कश्मीर का अपना एक लंबा इतिहास है। 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब उसका विभाजन हुआ, पाकिस्तान का निर्माण हुआ। लेकिन पाकिस्तान ने अपने निर्माण से ही भारत को तबाह करने का सपना देखा और उसकी शुरुआत कश्मीर से हुई। उसने कश्मीर का विभाजन किया, इसके एक बड़े हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है और आज भी पाकिस्तान की सेना कश्मीर के इस हिस्से में लोगों को मार रही है। वहीं भारत अपने हिस्से में कश्मीरी जनता के हित के लिए लगातार काम कर रहा है। हमने कश्मीर में शांति और सुशासन स्थापित किया है - राज कपूर की फिल्मों में भी आप कश्मीर में फिल्माए गए दृश्यों को देख सकते हैं।
और यही बात पाकिस्तान को पसंद नहीं थी, इसलिए उसने हमारे ऊपर युद्ध थोपे, लेकिन जीत नहीं सके और फिर उसने छद्म युद्ध का रास्ता अपनाया। 40 वर्षों से, उन्होंने कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को आतंकवादी अड्डे में बदल दिया है।
पिछले 20-25 सालों में 43,000 निर्दोष लोगों की मौत हुई है। हमने हजारों किलोग्राम विस्फोटक, हजारों एके-47 असॉल्ट राइफलें बरामद कीं। पाकिस्तान लगातार आतंकवादी कार्रवाइयों को अंजाम दे रहा है, आतंकवाद पाकिस्तान के लिए एक उद्योग बन गया है। वह कश्मीरियों को भारत के प्रति भड़काने का काम करता है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही हमने इस समस्या को हल करने का प्रयास किया है। लेकिन पाकिस्तान का यह इरादा कभी नहीं रहा। भारत अब कश्मीर में अपने नागरिकों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। आपको आश्चर्य होगा कि कश्मीर की महिलाओं को पूरे भारत की अन्य महिलाओं के समान अधिकार नहीं थे। सामान्य कश्मीरियों के पास वे अधिकार नहीं थे जो पूरे भारत में आम नागरिकों के पास हैं। 1947 में जिन लोगों को पाकिस्तान से भारत आना पड़ा, उन्हें वे सभी अधिकार मिल गए हैं। लेकिन जो लोग दूसरी तरफ वाले कश्मीर चले गए, उन्हें समान अधिकार नहीं मिले। वोट देने का अधिकार भी नहीं है। कश्मीर में पहले भ्रष्टाचार विरोधी कानून लागू नहीं होते थे।
कश्मीरी इस स्थिति से खुश नहीं थे, उन्होंने अपने वाजिब हक पाने के लिए लम्बा इंतजार किया। हमारा मानना है कि उन्हें भी विकास के अधिकार, अवसर मिलने चाहिए। उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार होना चाहिए। इसलिए हम कश्मीर के लोगों की भलाई के व्यापक स्तर पर कार्य कर रहे हैं।
चुनावों का जहाँ तक सवाल है, भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी सभी को भरोसा था कि हमारी सरकार सत्ता में वापस आएगी, लोगों को संदेह केवल संसद में हमारे बहुमत को लेकर था, कुछ लोग सोच रहे थे कि हमें पूर्ण बहुमत नहीं होगा, लेकिन देश की जनता ने मन बना लिया था और हमें भारी बहुमत देकर इतिहास रचने का काम किया। मैं इसके लिए भारत की महान जनता का आभारी हूं।
और राष्ट्रपति पुतिन भारत से विशिष्ट लगाव रखते हैं। भारत और रूस का मानना है कि हम एक साथ विकास कर सकते हैं, इस तथ्य पर मुझे और राष्ट्रपति पुतिन को पूरा भरोसा है। और हमें विश्वास है कि हमारे देशों की जनता का सामर्थ्य मिलकर दुनिया को बहुत कुछ दे सकते है।
रूस, भारत को ऊर्जा संसाधनों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। ऊर्जा क्षेत्र में रूस और भारत के बीच सहयोग की संभावना और संभावनाओं पर आपकी क्या राय है?
"आपने ठीक कहा" भारत के लिए ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक रूस है। हमारी कंपनियों ने रूस में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया है, मुझे इसकी प्रसन्नता है। मैं जानता हूं कि तेल का उत्पादन और उसका परिवहन महंगा है। लेकिन एक सच्चे मित्र के रूप में हम रूस से प्रेम करते हैं और जब हम साथ मिलकर काम करते हैं तो यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होता है। हम ऊर्जा क्षेत्र में और भी सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहेंगे।
पिछले साल न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में, आपको पर्यावरण संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन अर्थ चैंपियन द्वारा सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हम जानते हैं कि आप इस दिशा में काफी प्रयास कर रहे हैं। आपकी कौन सी पर्यावरणीय गतिविधियाँ आपके लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं?
सबसे पहले तो हमें अपने बारे में, अपने लिए मिलने वाले पुरस्कारों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। हमें लोगों की भलाई के लिए, उनके विकास के लिए, अपने देश के नागरिकों के हित में पूरे विश्व के हित में काम करना चाहिए। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित ग्रह, एक सुरक्षित दुनिया के निर्माण की दिशा में कार्य करना चाहिए।
और भारत उसी दिशा में काम कर रहा है - प्रकृति और वातावरण को संरक्षित करने के लिए। शायद इसलिए मुझे सम्मानित किया गया। लेकिन जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब भी किसी अवार्ड या मान्यता की परवाह से दूर इस क्षेत्र में काम कर रहा था। मैंने प्रकृति के रक्षक के रूप में, मेरे राज्य में बाघों के संरक्षण के लिए कार्य किया। मैं इस दिशा में किए गए अपने कार्यों से संतुष्ट हूँ और यह सब हमारी संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा भी है।
हमें प्रकृति को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, उसका संरक्षण करना चाहिए, उसकी पूजा करनी चाहिए, यह सब हमारी संस्कृति का हिस्सा है। यह अच्छा है कि पूरी दुनिया अब इसके बारे में सोच रही है।
भारत समृद्ध परंपराओं के साथ एक प्राचीन संस्कृति और सभ्यता है। आज प्राचीन परंपराएं और आधुनिक भारतीय समाज आपस में किस प्रकार से जुड़े हुए हैं?
भारत ने विकास का अपना रास्ता खुद चुना है, जहां पुराने और नए के बीच संघर्ष के लिए कोई जगह नहीं है। कोई विवाद क्यों नहीं है? क्योंकि भारत का मूल मंत्र क्रांति नहीं है, जहाँ पुराने को त्यागने और उसे नष्ट करने की बात होती है।
भारत क्रमागत उन्नति की बात करता है, क्रांति की नहीं।
हम शाश्वत आत्मा में विश्वास करते हैं, इस तथ्य में कि शरीर परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है, लेकिन आत्मा अपरिवर्तित रहती है। सर्वशक्तिमान ने इसे इसलिए बनाया है ताकि हमारा शरीर एक निश्चित समय के बाद नष्ट हो जाए और एक नया शरीर प्रकट हो। तो हम उसी सूत्र के अनुसार कार्य करते हैं: एक नए शरीर में हम नई ऊर्जा के साथ कार्य करते हैं।
जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा, जैसा कि बुद्ध ने कहा, हम प्राणियों की एकता में विश्वास करते हैं: सभी पशु, पक्षी, मनुष्य, गोरे और काले, पूर्व या पश्चिम से एक हैं। हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं और इसलिए हम संघर्षहीनता का रास्ता चुनते हैं - समझौते का रास्ता, आपसी बातचीत, और परस्पर समझदारी का रास्ता। यह भारत का मुख्य मंत्र या विचार है!
अब हम वर्तमान में जा रहे हैं। हमारे बच्चे सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जाते हैं, लेकिन हम सिर्फ भविष्य का इंतजार नहीं करते रहेंगे। हम मानव जाति द्वारा बनाई गई हर चीज का उपयोग करने के लिए तैयार हैं, ज्ञान का मार्ग सभे के लिए खुला है। हम जो भी करें, वह सबके हित में होना चाहिए।
रूस में, भारत के पर्यटन के लिए अत्यंत उत्साह है। लोग दिल्ली, बॉम्बे और गोवा के रिसॉर्ट्स में जाते हैं। आप व्यक्तिगत रूप से पर्यटकों को भारत जाने की सलाह कहां देंगे, वे क्या देखें, क्या नया करें? और अपने अद्भुत देश में, आपका पसंदीदा स्थान कौन सा है?
यदि आप गोवा राज्य में आते हैं, तो आप पाएँगे कि वहां के विक्रेता रूसी भी बोलते हैं, क्योंकि रूस से कई अतिथि वहां आते हैं। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत एक विशाल देश है, जिसे देखने के लिए आपको प्रत्येक राज्य में साल में कम से कम एक महीना रहने के लिए 20 साल पहले से एक कार्यक्रम तैयार करना होगा और यह महीना भी आपके लिए पर्याप्त नहीं होगा।
यदि आप बर्फ, रेगिस्तान की रेत, पहाड़ों, समुद्र तटों, समुद्र, नदियों, मैदानों, जंगलों को देखना चाहते हैं, तो हमारे पास यह सब है। यहां आप वह सब कुछ देख सकते हैं जो आपका दिल चाहता है। मोहनजोदड़ो युग का दुनिया का सबसे पुराना बंदरगाह भी यहां देखा जा सकता है - यह गुजरात में स्थित है।
एक भारतीय कहावत के अनुसार एक हजार लोगों को सम्भालना उतना ही मुश्किल है जितना तीन लोगों को। आप एक अरब से ज्यादा आबादी वाले देश के प्रधानमंत्री हैं। आप अपने काम में किन बुनियादी सिद्धांतों का पालन करते हैं? आप निर्णय कैसे लेते हैं? आप एक अरब से अधिक लोगों के संपर्क में कैसे रहते हैं?
मैं आपसे सहमत हूं कि यह बाहर के लोगों को 1.3 बिलियन लोगों वाला एक अजीब देश लगता है, जिसमें 100 भाषाएं, 1700 बोलियां, एक अलग ही दुनिया है अपने आप में...यह सब एक सूत्र में कैसे जुड़ता है?
पहले तो, भारत एक सांस्कृतिक रूप से एकजुट समुदाय है और हम इसे स्वीकार करते हैं।
दूसरी बात, हम दूसरे देशों के लोगों की इस धारणा के बारे में जानते हैं कि सब कुछ किसी एक इकाई के अंतर्गत नियंत्रित और निर्देशित होना चाहिए, लेकिन भारत जैसे देश पर शासन करने का यह सिद्धांत कारगर नहीं है। इसलिए कोशिश भी नहीं की जाती है। भारत स्वतंत्रता और विविधता को स्वीकार करता है। हम एक दूसरे की स्वतंत्रता और विविधता का सम्मान करते हैं।
हम प्रत्यक्ष नियंत्रण करने की बजाय निर्णय लेने के लिए क्या आवश्यक है यह समझते हैं और इसकी रिपोर्टिंग पर शर्त लगाई। संदेश का प्रसार इस प्रकार हो कि कोई व्यक्ति अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार आपके संदेश का प्रतिउत्तर दे। इसलिए, मैं देश पर शासन नहीं करता, बल्कि हम देश को निर्देशित करते हैं।
Thank!