मिस्र अपने आप में ही एक प्राकृतिक पुल है जो एशिया को अफ्रीका से जोड़ता हैः प्रधानमंत्री
मजबूत व्यापार एवं निवेश संबंध हमारे समाज की आर्थिक समृद्धि के लिए आवश्यक हैं: मिस्र के राष्ट्रपति से बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
बढ़ता कट्टरपंथ, हिंसा और आतंकवाद का प्रसार हमारे क्षेत्र के देशों और समुदायों के लिए एक गंभीर खतरा है: प्रधानमंत्री
आज की वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए हमे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन की आवश्यकता हैः प्रधानमंत्री

मैं भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर आए महामहिम श्री अब्देल फतह अल सीसी का स्वागत कर खुश हूं। महामहिम आप देश और विदेश में अनेक उपलब्धियों को हासिल करने वाले शख्स हैं। भारत के 1.25 अरब लोग आपको यहां देखकर बेहद खुश हैं। मिस्र एशिया और अफ्रीका को नैसर्गिक रूप से जोड़ने वाला पुल है। आपके लोग नरमपंथी इस्लाम की आवाज हैं। आपका देश अफ्रीका और अरब में क्षेत्रीय शांति, स्थायित्व के कारक के रूप में काम करता है। यह कारण है कि मिस्र विकासशील देशों का चैंपियन है।

दोस्तों,

राष्ट्रपति और मैंने अपनी साझेदारी को ठोस आकार देने को लेकर व्यापक विचार-विमर्श किया। हम एक दिशा में बढ़ने को लेकर तैयार एजेंडा पर सहमत हो गए हैं।

यह एजेंडा हैः

• हम अपनी सामाजिक-आर्थिक प्रथामिकताओं के लिए उत्तरदायी होंगे

• व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देना

• अपने समाज की सुरक्षा

• अपने क्षेत्र में शांति और सद्भाव बनाने में मदद करना

• क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर संबंधों में आगे बढ़ना

दोस्तों,

हम लोग सहयोग के विभिन्न पहलुओं को लेकर सहमत हो गए हैं। हम उच्च स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान की गति को मजबूत बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। हम यह स्वीकार करते हैं कि मजबूत व्यापार एवं निवेश संबंध हमारे समाज की आर्थिक समृद्धि के लिए आवश्यक हैं। हम दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच मॉल, सेवाओं और पूंजी के प्रवाह को लेकर भी राजी हुए हैं। समुद्री परिवहन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता को लेकर हुए हस्ताक्षर महत्वपूर्ण साबित होंगे। मैं निजी क्षेत्र से आग्रह करता हूं कि दोनों देशों के बीच नए कारोबार और वाणिज्यिक भागीदारी के निर्माण में वे नेतृत्व प्रदान करें।

आर्थिक संबंधों के विविधता के लिए हम कृषि, कौशल विकास, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने सहयोग को बढ़ाएंगे।

दोस्तों,

मेरा और राष्ट्रपति का मानना है कि बढ़ रही कट्टरता, हिंसा और आतंक से न सिर्फ हमारे दोनों देशों को असली खतरा बल्कि इस क्षेत्र के देशों और समुदायों को भी खतरा है।

इस संदर्भ में हम रक्षा और सुरक्षा समझौतों को लेकर भी सहमत हुए हैं। इसका मकसद है-

• रक्षा व्यापार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण क्षेत्र में विस्तार

• आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सूचना और कार्रवाई का आदान-प्रदान

• साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग

• नशीले पदार्थों की तस्करी, अंतरराष्ट्रीय अपराध और मनी लांड्रिंग रोकने के लिए साथ काम करेंगे

दो प्राचीन सभ्याताओं के तौर पर हमारे पास समृद्ध विरासत है। इसके मद्देनजर हमने सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए लोगों के बीच संबंध बढ़ाने का फैसला किया है।

मान्यवर,

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान मिस्र के अच्छे काम की सराहना करता है। हमने संयुक्त राष्ट्र और बाहर क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर और अधिक बारीकी से परामर्श करने का फैसला किया है जिससे दोनों देशों के हितों को साधा जा सके। हम इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किए जाने की जरूरत है। हम अगले सप्ताह होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में मिस्र के शामिल होने का स्वागत करते हैं।

महामहिम राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी, हम एक बार और आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं। मेरी कामना है कि आप और मिस्रवासी सफलता के शिखर को चुमे। भारत आपके विकास, आर्थिक और सुरक्षा के लक्ष्यों की पूर्ति में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए हमेशा तैयार खड़ा है।

शुक्रिया

आपका बहुत बहुत शुक्रिया

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।