प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश के विभिन्न भागों को केवड़िया से जोड़ने वाली 8 रेलगाड़ियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इन रेल गाड़ियों के चलने के बाद देश के विभिन्न क्षेत्रों से केवड़िया का निरंतर संपर्क स्थापित हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने दाभोई-चंदोद गेज लाइन के ब्रॉड गेज में बदले जाने, चंदोद- केवड़िया नई ब्रॉड गेज रेलवे लाइन, प्रतापनगर-केवड़िया के नए विद्युतीकरण खंड और दाभोई, चंदोद तथा केवड़िया स्टेशनों के नए भवन का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री भी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि रेलवे के इतिहास में यह पहला अवसर है जब एक गंतव्य के लिए देश के विभिन्न भागों से रेलगाड़ियों की एक साथ शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि यह केवड़िया के महत्व को दर्शाता है, जो कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर का केंद्र है। आज का यह आयोजन रेलवे के विजन और सरदार पटेल के मिशन का दृष्टांत बनेगा।
पुरुचि थालिआइवर डॉ एमजी रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन से केवड़िया जाने वाली नई रेल गाड़ी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत रत्न एमजीआर को उनकी जयंती पर नमन किया। श्री मोदी ने फिल्म जगत और राजनीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि एमजीआर की राजनीतिक सेवा गरीबों को समर्पित थी और उन्होंने निचले तबकों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने में अनाथक प्रयत्न किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उनके आदर्शों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने याद किया कि देश ने उनको सम्मान देने के लिए चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर एमजीआर किया।
प्रधानमंत्री ने केवड़िया के सीधे चेन्नई, वाराणसी, रीवा, दादर और दिल्ली से जुड़ने तथा केवड़िया और प्रतापनगर के बीच मेमू सेवाओं के शुरू होने, दाभोई-चंदोद के ब्रॉड गेज होने और चंदोद-केवड़िया के बीच नई रेल लाइन शुरू होने से केवड़िया में विकास का नया अध्याय शुरू होगा। यह पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय आदिवासियों को लाभ पहुंचाएगा। साथ ही इससे रोजगार के नए-नए अवसर पैदा होंगे। रेलवे लाइन नर्मदा पर पड़ने वाले धार्मिक विश्वास के पूजनीय स्थलों करनाली, पोईचा और गरुणेश्वर को जोड़ेगी।
केवड़िया में विकास यात्रा के जारी रहने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवड़िया अब किसी सुदूरवर्ती इलाके में बसा महज़ एक छोटा सा स्थान नहीं रह गया बल्कि यह अब दुनिया के सबसे बड़े पर्यटक स्थलों में स्थान रखता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि स्टेच्यू ऑफ यूनिटी अब स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की स्थापना से लेकर अब तक 50 लाख से अभी अधिक पर्यटक इसे देखने के लिए आ चुके हैं। कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के खुलने के बाद इसमें अब फिर से वृद्धि देखने को मिल रही है। एक अनुमान के अनुसार केवड़िया के देश के नए क्षेत्रों से सीधे जुड़ जाने के बाद प्रतिदिन केवड़िया आने वालों की संख्या बढ़ते हुए एक लाख तक पहुँच सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केवड़िया अर्थव्यवस्था और परिस्थितिकी के सुनियोजित विकास का सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसके विकास में पर्यावरण के संरक्षण को भी महत्व दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शुरुआत में जब केवड़िया को प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव आया तब यह मन में फूटने वाला का लड्डू लगता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि कार्यप्रणाली पुरानी थी, सड़क संपर्क नहीं था, गलियां नहीं थीं, प्रकाश की व्यवस्था नहीं थी, रेल संपर्क नहीं था और पर्यटकों के लिए ठहरने या अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। और अब केवड़िया पूरी तरह से बदल चुका है, जहां पर्यटकों को सभी सुविधाएं मिल रही हैं। केवड़िया में शानदार स्टेचू ऑफ यूनिटी है, सरदार सरोवर है, सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क है, आरोग्य वन है, और जंगल सफारी तथा पोषण पार्क है। इन सबके अलावा यहां ग्लो गार्डन और एकता क्रूज और वाटर स्पोर्ट्स का विकल्प भी पर्यटकों को मिलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन के पढ़ने से आदिवासी युवाओं को रोजगार मिल रहा है और स्थानीय लोगों को आधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं। स्थानीय कारीगरों को एकता मॉल में हस्तशिल्प से जुड़े उत्पादों की आपूर्ति के रूप में नए अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में 200 कमरे विकसित किए जा रहे हैं जहां पर्यटक होम स्टे की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने केवड़िया स्टेशन के बारे में भी चर्चा की जिसका विकास पर्यटकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। इसमें आदिवासी कला दीर्घा और दर्शक दीर्घा भी बनाई गई है जहां आने वाले यात्री और पर्यटक स्टेच्यु ऑफ यूनिटी की झलकी ले सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने लक्ष्य आधारित प्रयासों से रेलवे के कायाकल्प किए जाने पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि यात्री और माल ढुलाई की पारंपरिक व्यवस्था से अलग रेलवे अब पर्यटन और धार्मिक महत्व के स्थानों को सीधे रेलवे नेटवर्क से जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद-केवड़िया समेत विभिन्न मार्गों पर चलने वाली ‘विस्टा डोम कोच’ वाली जन शताब्दी यात्रियों को आकर्षित करेगी।
प्रधानमंत्री ने रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास की परंपरा में बदलाव को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इससे पहले मौजूद बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करते हुए पुरानी व्यवस्था को बनाए रखने तक ही ध्यान केन्द्रित किया जाता था जबकि नए विचारों और नई प्रौद्योगिकियों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता था। इस सोच में बदलाव अपरिहार्य हो गया था। हाल के वर्षों में संपूर्ण रेलवे सिस्टम के कायाकल्प पर काम किया गया है और यह बजट में बढ़ोतरी तथा नई रेलगाड़ियां शुरू करने की घोषणा तक ही सीमित नहीं। बदलाव विभिन्न मोर्चों पर आए हैं। उन्होंने केवड़िया को देश के विभिन्न स्थानों से जोड़े जाने की वर्तमान में परियोजनाओं का उल्लेख किया जिन्हें रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।
प्रधानमंत्री ने समर्पित माल गलियारे को पहले से जारी व्यवस्था में बदलाव की सोच का एक ताज़ा उदाहरण बताया। प्रधानमंत्री ने पूर्वी-पश्चिमी माल गलियारे को हाल ही में राष्ट्र को समर्पित किया था। इस परियोजना के अंतर्गत 2006 से 2014 तक कार्य की प्रगति मात्र कागजों पर हुई थी और इस दौरान 1 किलोमीटर का भी नया ट्रैक नहीं बिछाया जा सका था। अब अगले कुछ दिनों में कुल 1100 किलोमीटर पर निर्माण कार्य पूर्ण होने वाला है।
प्रधानमंत्री ने नए संपर्कों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब देश के उन भागों को भी संपर्क उपलब्ध कराया जा रह है जो अब तक देश से कटे हुए थे। ब्रॉडगेज लाइनों को बिछाने और गैर विद्युतीकरण वाले रेल मार्गों पर विद्युतीकरण परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। साथ ही तेज रफ्तार वाली गाड़ियों के लिए ट्रैक तैयार किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके चलते अब हम सेमी हाई स्पीड की रेलगाड़ियां चलाने में सक्षम हुए हैं और धीरे-धीरे उच्च गति वाली रेलगाड़ियां चलाने की क्षमता भी विकसित कर ली जाएगी। इसके लिए बजट में कई गुना की वृद्धि की गई है।
प्रधानमंत्री रेखांकित किया कि विकास के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि रेलवे पर्यावरण अनुकूल बना रहेगा। केवड़िया स्टेशन भारत का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन है जो हरित भवन प्रमाणन के साथ शुरू हो रहा है।
उन्होंने रेलवे से जुड़े उत्पादन और प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के महत्व पर ज़ोर दिया, जिसके अब अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। यह स्थानीय उच्च हॉर्स पावर क्षमता के विद्युत लोकोमोटिव निर्माण के चलते ही संभव हुआ है कि भारत दुनिया की पहली लंबी दूरी वाली डबल डेकर की माल गाड़ियों को शुरू कर पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अनेक स्वदेश निर्मित आधुनिक रेलगाड़ियां भारतीय रेल का हिस्सा बन गई हैं।
प्रधानमंत्री ने रेलवे के कायाकल्प की आवश्यकताओं की पूर्वी के लिए कुशल और विशेषज्ञ मानव संसाधन के महत्व पर ज़ोर दिया। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बड़ौदा में डीम्ड रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। भारत दुनिया के कुछ उन देशों में है जहां ऐसे महत्वपूर्ण संस्थान हैं। रेल परिवहन के लिए आधुनिक सुविधाएं, बहु स्तरीय शोध आदि में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। रेलवे को बेहतर करने के लिए 20 राज्यों के प्रतिभाशाली युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन के समापन में कहा कि यह नवाचार और शोध के माध्यम से रेलवे के आधुनिकीकरण में सहायक होगा।