Published By : Admin |
January 23, 2021 | 11:56 IST
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असम के 1 लाख से अधिक मूल परिवारों को भूमि का अधिकार मिलने से शिवसागर में लोगों के जीवन से एक बड़ी चिंता दूर हो गई है: प्रधानमंत्री
सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र पर चल रही हमारी सरकार असम के हर हिस्से में, हर वर्ग को तेजी से विकास का लाभ पहुंचाने में जुटी है: प्रधानमंत्री
आत्मनिर्भर भारत के लिए असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट का तेज विकास आवश्यक है : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने असम के शिवसागर में देशी भूमिहीनों को भूमि आवंटन प्रमाण - पत्र वितरित किये।इस अवसर परअसम सरकार के मुख्यमंत्री एवंकई मंत्रीगण और केन्द्रीय मंत्रीश्री रामेश्वर तेली भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि असम के 1 लाख से अधिक मूल निवासी परिवारों को भूमि का अधिकार मिलने के साथ हीशिवसागर के लोगों के जीवन की एक बड़ी चिंता दूर हो गई है।उन्होंने कहा किआज का यह कार्यक्रम असम के मूल निवासियों के आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और सुरक्षा से जुड़ा है।उन्होंने शिवसागर के महत्व की ओर ध्यान दिलाया, जो देश के लिए किये गये बलिदानों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि असम के इतिहास में शिवसागर के महत्व को ध्यान में रखते हुए,सरकार देश के 5 सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में शिवसागर को शामिल करने के लिए कदम उठा रही है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र नेताजी को उनकी 125वीं जयंती पर याद कर रहा है और23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है।आज नये भारत के निर्माण की प्रेरणा को याद करते हुए पराक्रम दिवस पर देशभर में कई कार्यक्रमभी आयोजित किये जा रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि नेताजी की वीरता और बलिदान अभी भी हमें प्रेरित करते हैं।उन्होंने भारत रत्न भूपेन हजारिका की कविता की इन पंक्तियों को उद्धृत करके भूमि के महत्व पर बल दिया
“ओ मुर धरित्री आई,
चोरोनोटे डिबा थाई,
खेतियोकोर निस्तार नाई,
माटी बिने ओहोहाई।”
जिसका अर्थ है हे धरती माता, मुझे अपने चरणों में स्थान दो। आपके बिना एक किसान क्या करेगा? भूमि के बिना वह असहाय रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी, असम में ऐसे लाखों परिवार थे जो पहले भूमि से वंचित थे।उन्होंने आगे कहा कि जब सोनोवाल सरकार सत्ता में आई थी, तो 6 लाख से अधिक आदिवासियों के पास अपनी जमीन का दावा करने के लिए कोई कागजात नहीं थे।उन्होंने नई भूमि नीति और असम के लोगों के हितों के प्रति समर्पित रहने के लिए सोनोवाल सरकार की सराहना की।उन्होंने कहा कि भूमि के इस पट्टे के कारण, असम के मूल निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई है।इससे लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।उन्होंने कहा कि भूमि का अधिकार मिलने के साथ अब इन लाभार्थियों को पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा पॉलिसी जैसी कई अन्य योजनाओं का लाभ,जिनसे वे वंचित थे,मिलना सुनिश्चित किया जा सकता है।यही नहीं, वे बैंकों से कर्ज भी ले सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में आदिवासियों केत्वरित विकास एवं सामाजिक संरक्षण के प्रति सरकार की वचनबद्धता रही है।उन्होंने कहा कि असमिया भाषा और इसके साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए भी कई कदम उठाये गये हैं।इसी तरह, हर समुदाय की महान हस्तियों को सम्मानित किया गया है। पिछले साढ़े चार वर्षों में, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण के लिए कई प्रयास किये गये हैं।उन्होंने आगे कहा कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को अतिक्रमण से मुक्त करने और उसे बेहतर बनाने के लिए तेजी से कदम उठाये जा रहे हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत के लिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र और असम का तेजी से विकास जरूरी है।आत्मनिर्भर असम की राह असम के लोगों के विश्वास से होकर गुजरती है।आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों और बुनियादी ढांचा बेहतर हो।असम में इन दोनों मोर्चों पर हाल के वर्षों से अभूतपूर्व काम हुआ है।असम मेंलगभग 1.75 करोड़ गरीबों के लिए जन धन बैंक खाते खोले गए हैं।इन खातों की वजह सेकोरोना के समय में हजारों परिवारों के बैंक खातों में सीधे पैसा भेजा गया था।असम में लगभग 40 प्रतिशत आबादी को आयुष्मान भारत योजना के दायरे मेंशामिल किया गया है।जिसमें से करीब डेढ़ लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है।असम में शौचालय संबंधी कवरेज पिछले 6 वर्षों में 38 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो गया है।पांच साल पहले 50 प्रतिशत से भी कम घरों में बिजली का उपयोग होता था, जो अब बढ़कर लगभग 100 प्रतिशत घरों तक पहुंच गया है।जल जीवन मिशन के तहत असम मेंपिछले 1.5 वर्षों में 2.5 लाख से अधिक घरों में पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति के कनेक्शन प्रदान किये गये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुविधाओं सेसबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होता है। उज्ज्वला योजना ने 35 लाख परिवारों की रसोई में गैस कनेक्शन पहुंचाया है, जिनमें से 4 लाख परिवारअनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। एलपीजीगैस का कवरेज 2014 में 40 प्रतिशत था,जोबढ़कर 99 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2014 में एलपीजीवितरकों की संख्या 330 थी, जो बढ़कर 576 हो गई है। कोरोना की अवधि के दौरान 50 लाख से अधिक मुफ्त सिलेंडर वितरित किये गये। उज्ज्वला योजना ने इस क्षेत्र की महिलाओं काजीवनयापन आसानबनाया है और नए वितरण केंद्रों ने रोजगार के नए अवसर प्रदान किये हैं।
अपनी सरकार केमंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारविकास से जुड़ेलाभों को सभी वर्गों तक पहुंचा रही है।उन्होंने लंबे समय से उपेक्षा का दंश भोग रहे चई जनजाति के उत्थान के लिए उठाये गए कई कदमों का उल्लेख किया। इस जनजाति के लोगों के घरों में शौचालय की सुविधा दी जा रही है, उनके बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं एवं रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। चई जनजाति के लोगों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है और विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे उनके खाते में मिल रहा है।प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि श्रमिक नेता संतोष टोपनो जैसे इस जनजाति के नेताओं की मूर्तियांस्थापित करकेइस समुदाय के योगदानों को स्वीकारकिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा किहर जनजाति को साथ लेकर चलने की नीति के कारण असम का हर इलाका शांति और प्रगति के पथ पर अग्रसर है।ऐतिहासिक बोडो समझौते के साथअसम का एक बड़ा हिस्सा अब शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया है। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस समझौते के मद्देनजर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के प्रतिनिधियों के हाल के चुनाव से विकास के नए प्रतिमान स्थापित होंगे।
प्रधानमंत्री ने संपर्क और अन्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में पिछले छह वर्षों के दौरान उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी दी। पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत कासंपर्क बढ़ाने में असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र बेहदअहम हैं। असम अपने बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण आत्मनिर्भर भारत के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है।प्रधानमंत्री ने असम के ग्रामीण इलाकों में 11 हजार किलोमीटर सड़क,डॉ. भूपेन हजारिका सेतु, बोगीबिल पुल, सरायघाट पुल और कई अन्य पुल, जो बनाए जा चुके हैं या बनाए जा रहे हैं, की चर्चा की जिन्होंने असम की संपर्क सुविधाओं को मजबूत किया है। इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ जलमार्ग के जरिए संपर्क पर भी ध्यानदिया जा रहा है।रेल और वायु संपर्क में वृद्धि असम में औद्योगिक और रोजगार के बेहतर अवसरों को ला रही है। लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नया आधुनिक टर्मिनल और कस्टम क्लीयरेंस केंद्र, कोकराझार के रूपसी हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण, बोंगाईगांव का मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स हबअसम के औद्योगिक विकास को एक नई दिशा देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को गैस - आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जाने में असम एक प्रमुख भागीदार है। असम में तेल और गैस से जुड़े बुनियादी ढांचे पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये हैं।गुवाहाटी-बरौनी गैस पाइपलाइन पूर्वोत्तर क्षेत्र और पूर्वी भारत के बीच संपर्क को मजबूत करेगी। नुमालीगढ़ रिफाइनरी को जैव-रिफाइनरी सुविधा के साथ संवर्धित किया गया है, जो असम को इथेनॉल जैसे जैव ईंधन का एक प्रमुख उत्पादक बना देगा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि प्रस्तावित एम्स और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान इस इलाके के युवाओं को नए विकल्प प्रदान करेंगे और असम को स्वास्थ्य और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केन्द्रबनायेंगे।
आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
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Today, the world's eyes are on India: PM
India's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
Today, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
India has given Priority to humanity over monopoly: PM
Today, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM
श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।
TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।
साथियों,
आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.
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साथियों,
भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।
साथियों,
अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।
साथियों,
भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।
साथियों,
बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।
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साथियों,
ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।
साथियों,
21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।
साथियों,
जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।
साथियों,
ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।
साथियों,
Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।
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साथियों,
अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।
साथियों,
हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।
साथियों,
सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।
साथियों,
हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।
साथियों,
पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?
साथियों,
आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।
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साथियों,
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।
साथियों,
TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।
मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।