असम के 1 लाख से अधिक मूल परिवारों को भूमि का अधिकार मिलने से शिवसागर में लोगों के जीवन से एक बड़ी चिंता दूर हो गई है: प्रधानमंत्री
सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र पर चल रही हमारी सरकार असम के हर हिस्से में, हर वर्ग को तेजी से विकास का लाभ पहुंचाने में जुटी है: प्रधानमंत्री
आत्मनिर्भर भारत के लिए असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट का तेज विकास आवश्यक है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने असम के शिवसागर में देशी भूमिहीनों को भूमि आवंटन प्रमाण - पत्र वितरित किये।इस अवसर परअसम सरकार के मुख्यमंत्री एवंकई मंत्रीगण और केन्द्रीय मंत्रीश्री रामेश्वर तेली भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि असम के 1 लाख से अधिक मूल निवासी परिवारों को भूमि का अधिकार मिलने के साथ हीशिवसागर के लोगों के जीवन की एक बड़ी चिंता दूर हो गई है।उन्होंने कहा किआज का यह कार्यक्रम असम के मूल निवासियों के आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और सुरक्षा से जुड़ा है।उन्होंने शिवसागर के महत्व की ओर ध्यान दिलाया, जो देश के लिए किये गये बलिदानों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि असम के इतिहास में शिवसागर के महत्व को ध्यान में रखते हुए,सरकार देश के 5 सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में शिवसागर को शामिल करने के लिए कदम उठा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र नेताजी को उनकी 125वीं जयंती पर याद कर रहा है और23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है।आज नये भारत के निर्माण की प्रेरणा को याद करते हुए पराक्रम दिवस पर देशभर में कई कार्यक्रमभी आयोजित किये जा रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि नेताजी की वीरता और बलिदान अभी भी हमें प्रेरित करते हैं।उन्होंने भारत रत्न भूपेन हजारिका की कविता की इन पंक्तियों को उद्धृत करके भूमि के महत्व पर बल दिया

 

“ओ मुर धरित्री आई,

चोरोनोटे डिबा थाई,

खेतियोकोर निस्तार नाई,

माटी बिने ओहोहाई।”

जिसका अर्थ है हे धरती माता, मुझे अपने चरणों में स्थान दो। आपके बिना एक किसान क्या करेगा? भूमि के बिना वह असहाय रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी, असम में ऐसे लाखों परिवार थे जो पहले भूमि से वंचित थे।उन्होंने आगे कहा कि जब सोनोवाल सरकार सत्ता में आई थी, तो 6 लाख से अधिक आदिवासियों के पास अपनी जमीन का दावा करने के लिए कोई कागजात नहीं थे।उन्होंने नई भूमि नीति और असम के लोगों के हितों के प्रति समर्पित रहने के लिए सोनोवाल सरकार की सराहना की।उन्होंने कहा कि भूमि के इस पट्टे के कारण, असम के मूल निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई है।इससे लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।उन्होंने कहा कि भूमि का अधिकार मिलने के साथ अब इन लाभार्थियों को पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा पॉलिसी जैसी कई अन्य योजनाओं का लाभ,जिनसे वे वंचित थे,मिलना सुनिश्चित किया जा सकता है।यही नहीं, वे बैंकों से कर्ज भी ले सकेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में आदिवासियों केत्वरित विकास एवं सामाजिक संरक्षण के प्रति सरकार की वचनबद्धता रही है।उन्होंने कहा कि असमिया भाषा और इसके साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए भी कई कदम उठाये गये हैं।इसी तरह, हर समुदाय की महान हस्तियों को सम्मानित किया गया है। पिछले साढ़े चार वर्षों में, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की ऐतिहासिक वस्तुओं के संरक्षण के लिए कई प्रयास किये गये हैं।उन्होंने आगे कहा कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को अतिक्रमण से मुक्त करने और उसे बेहतर बनाने के लिए तेजी से कदम उठाये जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत के लिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र और असम का तेजी से विकास जरूरी है।आत्मनिर्भर असम की राह असम के लोगों के विश्वास से होकर गुजरती है।आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों और बुनियादी ढांचा बेहतर हो।असम में इन दोनों मोर्चों पर हाल के वर्षों से अभूतपूर्व काम हुआ है।असम मेंलगभग 1.75 करोड़ गरीबों के लिए जन धन बैंक खाते खोले गए हैं।इन खातों की वजह सेकोरोना के समय में हजारों परिवारों के बैंक खातों में सीधे पैसा भेजा गया था।असम में लगभग 40 प्रतिशत आबादी को आयुष्मान भारत योजना के दायरे मेंशामिल किया गया है।जिसमें से करीब डेढ़ लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है।असम में शौचालय संबंधी कवरेज पिछले 6 वर्षों में 38 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो गया है।पांच साल पहले 50 प्रतिशत से भी कम घरों में बिजली का उपयोग होता था, जो अब बढ़कर लगभग 100 प्रतिशत घरों तक पहुंच गया है।जल जीवन मिशन के तहत असम मेंपिछले 1.5 वर्षों में 2.5 लाख से अधिक घरों में पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति के कनेक्शन प्रदान किये गये हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुविधाओं सेसबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होता है। उज्ज्वला योजना ने 35 लाख परिवारों की रसोई में गैस कनेक्शन पहुंचाया है, जिनमें से 4 लाख परिवारअनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। एलपीजीगैस का कवरेज 2014 में 40 प्रतिशत था,जोबढ़कर 99 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2014 में एलपीजीवितरकों की संख्या 330 थी, जो बढ़कर 576 हो गई है। कोरोना की अवधि के दौरान 50 लाख से अधिक मुफ्त सिलेंडर वितरित किये गये। उज्ज्वला योजना ने इस क्षेत्र की महिलाओं काजीवनयापन आसानबनाया है और नए वितरण केंद्रों ने रोजगार के नए अवसर प्रदान किये हैं।

अपनी सरकार केमंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारविकास से जुड़ेलाभों को सभी वर्गों तक पहुंचा रही है।उन्होंने लंबे समय से उपेक्षा का दंश भोग रहे चई जनजाति के उत्थान के लिए उठाये गए कई कदमों का उल्लेख किया। इस जनजाति के लोगों के घरों में शौचालय की सुविधा दी जा रही है, उनके बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं एवं रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। चई जनजाति के लोगों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है और विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे उनके खाते में मिल रहा है।प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि श्रमिक नेता संतोष टोपनो जैसे इस जनजाति के नेताओं की मूर्तियांस्थापित करकेइस समुदाय के योगदानों को स्वीकारकिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा किहर जनजाति को साथ लेकर चलने की नीति के कारण असम का हर इलाका शांति और प्रगति के पथ पर अग्रसर है।ऐतिहासिक बोडो समझौते के साथअसम का एक बड़ा हिस्सा अब शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया है। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस समझौते के मद्देनजर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के प्रतिनिधियों के हाल के चुनाव से विकास के नए प्रतिमान स्थापित होंगे।

प्रधानमंत्री ने संपर्क और अन्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में पिछले छह वर्षों के दौरान उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी दी। पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत कासंपर्क बढ़ाने में असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र बेहदअहम हैं। असम अपने बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण आत्मनिर्भर भारत के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है।प्रधानमंत्री ने असम के ग्रामीण इलाकों में 11 हजार किलोमीटर सड़क,डॉ. भूपेन हजारिका सेतु, बोगीबिल पुल, सरायघाट पुल और कई अन्य पुल, जो बनाए जा चुके हैं या बनाए जा रहे हैं, की चर्चा की जिन्होंने असम की संपर्क सुविधाओं को मजबूत किया है। इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ जलमार्ग के जरिए संपर्क पर भी ध्यानदिया जा रहा है।रेल और वायु संपर्क में वृद्धि असम में औद्योगिक और रोजगार के बेहतर अवसरों को ला रही है। लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नया आधुनिक टर्मिनल और कस्टम क्लीयरेंस केंद्र, कोकराझार के रूपसी हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण, बोंगाईगांव का मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स हबअसम के औद्योगिक विकास को एक नई दिशा देगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को गैस - आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जाने में असम एक प्रमुख भागीदार है। असम में तेल और गैस से जुड़े बुनियादी ढांचे पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये हैं।गुवाहाटी-बरौनी गैस पाइपलाइन पूर्वोत्तर क्षेत्र और पूर्वी भारत के बीच संपर्क को मजबूत करेगी। नुमालीगढ़ रिफाइनरी को जैव-रिफाइनरी सुविधा के साथ संवर्धित किया गया है, जो असम को इथेनॉल जैसे जैव ईंधन का एक प्रमुख उत्पादक बना देगा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि प्रस्तावित एम्स और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान इस इलाके के युवाओं को नए विकल्प प्रदान करेंगे और असम को स्वास्थ्य और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केन्द्रबनायेंगे। 

 

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.