फ्लीट रिव्यू को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने में भारतीय नौसेना के अथक समर्पण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद: प्रधानमंत्री मोदी
भारत के दूसरे इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में विश्व के हर कोने से आईं 50 देशों की नौसेनाओं का स्वागत करके हमें अत्यंत खुशी हो रही है: पीएम
भारत इस साल अप्रैल में पहले वैश्विक समुद्री सम्मेलन की मेजबानी करेगा: प्रधानमंत्री मोदी
वसुधैव कुटुंबकम – पूरा विश्व एक परिवार है – यह विचार शायद सबसे ज्यादा समुद्रों में नजर आता है: प्रधानमंत्री
महासागर वैश्विक समृद्धि की जीवन रेखा है: प्रधानमंत्री मोदी
समुद्र से जुड़ा आतंकवाद, जिससे सीधे तौर पर भारत पीड़ित रहा है, की चुनौती क्षेत्र और विश्व शांति के लिए मुश्किलें पैदा करती रही है: पीएम
क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और स्थिर समुद्री पर्यावरण बेहद अहम: प्रधानमंत्री मोदी
भारत एक समुद्री राष्ट्र है और हमेशा से रहा है : प्रधानमंत्री मोदी
सागर अर्थात क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और सबका विकास: प्रधानमंत्री मोदी
समुद्रों के माध्यम से आर्थिक संपन्नता हासिल करने के भारत के प्रयास भारत में बदलाव लाने के हमारे प्रयासों का हिस्सा हैं: प्रधानमंत्री
‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत रक्षा विनिर्माण और जहाज निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है: प्रधानमंत्री
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में बना नीला चक्र ‘ब्लू इकॉनोमी’ की संभावनाओं को दिखाता है: प्रधानमंत्री मोदी
मैं तटीय क्षेत्रों के युवाओं को वास्तविक संपदा मानता हूं: प्रधानमंत्री मोदी

आंध्र प्रदेश के माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री,

मेरी कैबिनेट के साथियों;

विदेशी नौसेनाओं के प्रतिनिधियों;

भारतीय नौसेना के बहादुर जवानों और महिलाओं; और

इस महान शहर विशाखापट्टनम के साहसी लोगों,

मुझे विशाखापट्टनम की यात्रा का मौका मिला। यह शहर सभी भारतीयों के दिलों में अहम स्थान रखता है।

मैं पिछली बार अक्टूबर, 2014 में विशाखापट्टनम की यात्रा पर आया था। उस समय चक्रवात हुदहुद ने यहां खासी तबाही मचाई थी। लेकिन विपरीत हालात में भी विशाखापट्टनम के लोगों के चेहरे पर मुस्कान बनी रही। यह शहर के लिए सम्मान की बात है कि 14 महीनों के भीतर फिर उठ खड़ा हुआ और इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में सभी महाद्वीपों से आई नौसेनाओं का स्वागत कर रहा है। लगभग एक साल पहले हमने यहां समुद्र की भारी तबाही देखी थी। यह विशाखापट्टनम के लोगों का साहस ही है कि हम आज यह चर्चा कर रहे हैं कि कैसे समुद्र हमारी संपन्नता के स्रोत बन सकते हैं।

उनके उत्साह और संकल्प के लिए हम सभी विशाखापट्टनम शहर को सलाम करते हैं।

मैं इस फ्लीट रिव्यू को सफल बनाने की दिशा में दिखाए गए समर्पण के लिए भारतीय नौसेना बधाई देता हूं।

मैं इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को सहयोग देने के लिए मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू का भी आभारी हूं।

मैं व्यक्तिगत रूप से अंतरराष्ट्रीय नौसेनाओँ के बीच के सौहार्द्र को देख रहा हूं, जो एक शानदार अनुभव है।

महज तीन महीने पहले अक्टूबर में हमने दिल्ली में हुए तीसरे भारत-अफ्रीका समिट में पहली बार सभी 54 अफ्रीकी देशों का स्वागत किया था, जिसमें 40 देशों के प्रमुख भी शामिल थे।

अगस्त 2015 में भारत ने जयपुर में हुए भारत-प्रशांत द्वीपीय भागीदारी (इंडिया-पैसिफिक आइसलैंड कोऑपरेशन) के दूसरे फोरम के लिए 14 देशों के प्रमुखों की मेजबानी की थी।

उसे पहले हमने गुवाहाटी में 12वें दक्षिण एशियाई खेलों के लिए सार्क देशों की अगवानी की थी।

आज हमें भारत के दूसरे इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू जो भारत के पूर्वी तटरक्षक बल का पहला रिव्यू है, में हमें दुनिया के हर कोने से आईं 50 देशों की नौसेनाओं का स्वागत करके खासी खुशी हो रही है।

आपकी मौजूदगी भागीदारी और मित्रता का संदेश है, जिसे लेकर हम खासे उत्साहित हैं।

अपने देशवासियों की तरफ से मैं हमारा आमंत्रण स्वीकार करने और इसी भावना के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं।

आज की भीड़ को देखते हुए भारत इस साल अप्रैल में होने वाली पहली ग्लोबल मैरीटाइम समिट की पूरे उत्साह के साथ मेजबानी करेगा।

इसकी प्राथमिकता भारत और अन्य सामुद्रिक देशों के बीच कारोबार/निवेश/ प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक जुड़ाव को बढ़ाना और मजबूत बनाना है।

मित्रों,

समुद्र और दुनिया के जलमार्गों का वैश्विक स्तर पर समान इस्तेमाल होता है। वसुधैव कुटुंबकम् – विश्व एक परिवार की अवधारणा, काफी हद तक इस ग्रह के समुद्रों में नजर आता है। ये समुद्र हम सभी को जोड़ते हैं।

पिछली बार भारत ने वर्ष 2001 में मुंबई शहर में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू की मेजबानी की थी। 2016 में दुनिया खासी अलग हो चुकी है।

राजनीति में खासी उथलपुथल है और चुनौतियां जटिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही समुद्र वैश्विक संपन्नता की जीवनरेखा बन चुके हैं। वे हमारे राष्ट्रों के निर्माण के लए बड़े आर्थिक अवसर मुहैया कराते हैं। हमारा 90 फीसदी वैश्विक कारोबार समुद्रों के रास्ते ही होता है।

पिछले 15 साल में यह 6 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 20 लाख करोड़ डॉलर हो चुका है। वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए समुद्र खासे अहम हैं, क्योंकि वैश्विक तेल उत्पादन का 60 फीसदी समुद्री मार्गों से जाता है।

समुद्रों से आर्थिक फायदे लेना काफी हद तक हमारी उन क्षमताओं पर निर्भर करता है, जिनके सहारे हम सामुद्रिक चुनौतियों से पार पा सकते हैं। समुद्र आधारित आतंकवाद की चुनौती जिसका सीधे तौर पर भारत पीड़ित रहा है, क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए मुश्किलें पैदा करती रही है। पायरेसी भी एक बड़ी चुनौती रही है।

सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियां भी मौजूद हैं। तेल रिसाव, जलवायु परिवर्तन जैसी मानव जनित समस्याओं के चलते समुद्री क्षेत्र की स्थिरता के प्रति जोखिम बना रहता है।

इस प्रकार क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक शांतिपूर्वक और स्थिर समुद्री पर्यावरण बेहद अहम है। समुद्री पर्यावरण की संपन्नता को बढ़ाना भी जरूरी है।

आधुनिक दौर की चुनौतियों की व्यापकता और जटिलता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुद्री स्थिरता दुनिया के हर राष्ट्र के लिए जरूरी है।

सभी समुद्र तटीय राष्ट्रों का यह साझा लक्ष्य और जिम्मेदारी है।

इस लिहाज से दुनिया की नौसेनाओं और समुद्री एजेंसियों को मिलकर काम करने और एक एक व्यापक चक्रीय भागीदारी कायम करने की जरूरत है। इसके साथ ही जहां जरूरी है, वहां पर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में संचार व्यवस्थाओं की सुरक्षा के लिए काम करने की भी जरूरत है।

मेरा मानना है कि यदि समुद्रों से हमारी अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहन मिलता है, तो हमें यह जरूर करना चाहिएः

- समुद्रों का शांति, मित्रता और विश्वास बढ़ाने व टकराव रोकने में इस्तेमाल हो;
- नौवहन की स्वतंत्रता और सम्मान को सुनिश्चित करना; और
- समुद्री चुनौतियों से निबटने के लिए भागीदारी करें, न कि प्रतिस्पर्धा

इस फ्लीट रिव्यू में बड़ी संख्या में विदेशी नौसेनाओं की मौजूदगी से इस बात की पुष्टि होती है कि समुद्री क्षेत्रों को सुक्षित रखना वैश्विक शांति के लिए साझा जरूरत है।

मित्रों,

भारत एक समुद्री राष्ट्र है और हमेशा से रहा है।

भारत के प्राचीन संस्कृत साहित्य में समुद्रों को चतुर्दशानम रत्नानम, 14 रत्नों का भंडारगृह कहा गया है।

तीन तरफ से समुद्र से घिरे भारत का समुद्र तट 7,500 किलोमीटर लंबा है।

हम लंबे समय से समुद्री धरोहर के लिहाज से संपन्न रहे हैं। गुजरात का लोथल बंदरगाह दुनिया में सबसे पहले बने बंदरगाहों में से एक रहा है।

हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति हमें दूसरी संस्कृतियों से जोड़ती है, हमारे समुद्री व्यापार मार्गों को आकार देती है, भारत की सामरिक स्थिति को प्रभावित करती है और हमारे समुद्री महत्व को दर्शाती है।

घाटी सभ्यता के दिनों से भारत ने अफ्रीका, पश्चिम एशिया, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, पश्चिम, दक्षिण-पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व के देशों के साथ समुद्री संबंधों के व्यापक नेटवर्क को कायम रखा है।

हम खुश हैं कि इन सभी क्षेत्रों की नौसेनाओं ने इस फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लिया।

‘मैरीटाइम हेरिटेज ऑफ इंडिया’ पर फोटो एस्से बुक जिसका मैंने हाल में विमोचन किया है, से संपन्न समुद्री परंपरा का प्रदर्शन होता है।

मित्रों,

आधुनिक दौर में भी समुद्र विशेषकर हिंद महासागर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक संपन्नता में अहम स्थान रखता है। हिंद महासागर का पानी 40 से ज्यादा देशों के तटों को स्पर्श करता है।

दुनिया के कंटेनर यातायात का लगभग आधा और दुनिया के कार्गो ट्रैफिक का लगभग एक-तिहाई इसी क्षेत्र से गुजरता है।

हमारे ट्रेड का 90 फीसदी और तेल आयात का 90 फीसदी समुद्रों के माध्यम से ही होता है।

भारत के 1,200 द्वीपीय क्षेत्र और हमारे 24 लाख वर्ग किलोमीटर के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन से हिंद महासागर के आर्थिक महत्व का पता चलता है।

हमारे लिए यह हमारे तात्कालिक और हाल के समुद्री पड़ोसियों के साथ सामरिक रिश्तों को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है।

बीते साल मार्च में मॉरिशस में मैंने हिंद महासागर के लिए अपने विजन के बारे में बताया था।

हिंद महासागर क्षेत्र मेरी नीतिगत प्राथमिकताओं में अहम है। हमारी सोच हमारे विजन ‘सागर’ से भी जाहिर होती है, जिसका मतलब है ‘समुद्र’ और ‘सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन।’

हम समुद्रों विशेषकर हिंद महासागर में अपने भू-राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक हितों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाते रहेंगे।

इस लिहाज से भारत की आधुनिक और बहु-पक्षीय नौसेना आगे बढ़कर अगुआई करती है। यह शांति और बेहतरी के लिए काम करने वाला बल है।

राजनीतिक और आर्थिक समुद्री साझेदारी के बढ़ते नेटवर्क और क्षेत्रीय फ्रेमर्क को मजबूत बनाने से हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलती है।

मित्रों,

भारत के समुद्रों के माध्यम से आर्थिक संपन्नता हासिल करने के प्रयास हमारी परिवर्तित भारत की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।

हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में महज बेहतर स्थान नहीं हैं। क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम एक स्थिर और विकास के एक अहम केंद्र भी हैं।

भारत क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व सुरक्षा को बरकरार रखने के लक्ष्य के साथ समरसता से आगे बढ़ता है।

देश के भीतर खासा आशावाद, उत्साह और ‘कर सकते हैं’ की सोच है।

यह आशावाद हमारे आत्म-विश्वासी युवाओं की ऊर्जा और उद्यम से आता है।

यह हमारे देश के बदलाव की दिशा में साहसी और टिकाऊ कदमों, कानूनों, प्रक्रियाओं और संस्थानों में सुधार से आता है।

हम नई योजनाओं को लॉन्च कर रहे हैं और लोगों को सशक्त बनाने के लिए अवसर पैदा कर कर रहे हैं और राष्ट्र की प्रगति के लिए उनके भीतर अपनेपन की भावना पैदा कर रहे हैं।

‘मेक इन इंडिया’ ऐसी ही एक पहल है, जिसने हमारे विनिर्माण क्षेत्र को रफ्तार दी है। रक्षा विनिर्माण और जहाज निर्माण पर हमारा खासा जोर है।

13 फरवरी तक सात दिनों में हम मुंबई में ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत वैश्विक संवाद करेंगे।

इस दौरान वैश्विक उद्योग के सर्वश्रेष्ठ लोगों को भारत में नवाचार, डिजाइन और विनिर्माण के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।

हम मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड में दुनिया का स्वागत करना चाहते हैं।

यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इस फ्लीट रिव्यू में भारतीय नौसेना के सभी जहाज भाग ले रहे हैं और इनमें से कम से कम 37 भारत निर्मित हैं। आने वाले वर्षों में यह संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी।

हमारा ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम ऐसे संस्थानों का निर्माण कर रहा है, जो हमारे 80 करोड़ युवाओं को उद्यमशीलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षण, सहयोग, प्रोत्साहन और गाइडेंस देगा।

हमारे कुशल युवा 21वीं सदी की राष्ट्रीय और वैश्विक कार्यबल की मांग को पूरा करने के लिए तैयार हैं।

मेरे ‘ब्लू इकोनॉमी’ के विजन में भारत का बदलाव बेहद अहम है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में नीला चक्र है, जो ब्लू इकोनॉमी में मौजूद संभावनाओं को जाहिर करता है।

इस मुहिम का अहम भाग भारत के तटों और द्वीपीय क्षेत्रों का विकास है, जिसका मतलब सिर्फ पर्यटन नहीं है।

हम तटीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के नए केंद्र बनाना चाहते हैं और समुद्री संसाधनों को भुनाया जा सके। हमारे लक्ष्यों में समुद्री अनुसंधान को बढ़ावा देना, पर्यावरण अनुकूल विकास, समुद्री औद्योगिक और प्रौद्योगिकी बेस और मछली पालन आदि शामिल हैं।

इस प्रयास में मैं तटीय क्षेत्रों के युवाओं को वास्तविक संपदा मानता हूं। वे समुद्र की स्वाभाविक और गहरी समझ रखते हैं।

वे भारत में ब्लू इकोनॉमी के विकास की अगुआई कर सकते हैं। भारत के सभी तटीय राज्यों की भागीदारी से मैं देश के तटीय इलाकों के युवाओं के विशेष स्किलिंग इंडिया कार्यक्रम को आकार देना चाहता हूं।

मित्रों

अंत में मैं एक बार फिर से इस भव्य आयोजन के लिए भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं।

धन्यवाद।

जय हिंद!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।