फ्लीट रिव्यू को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने में भारतीय नौसेना के अथक समर्पण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद: प्रधानमंत्री मोदी
भारत के दूसरे इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में विश्व के हर कोने से आईं 50 देशों की नौसेनाओं का स्वागत करके हमें अत्यंत खुशी हो रही है: पीएम
भारत इस साल अप्रैल में पहले वैश्विक समुद्री सम्मेलन की मेजबानी करेगा: प्रधानमंत्री मोदी
वसुधैव कुटुंबकम – पूरा विश्व एक परिवार है – यह विचार शायद सबसे ज्यादा समुद्रों में नजर आता है: प्रधानमंत्री
महासागर वैश्विक समृद्धि की जीवन रेखा है: प्रधानमंत्री मोदी
समुद्र से जुड़ा आतंकवाद, जिससे सीधे तौर पर भारत पीड़ित रहा है, की चुनौती क्षेत्र और विश्व शांति के लिए मुश्किलें पैदा करती रही है: पीएम
क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और स्थिर समुद्री पर्यावरण बेहद अहम: प्रधानमंत्री मोदी
भारत एक समुद्री राष्ट्र है और हमेशा से रहा है : प्रधानमंत्री मोदी
सागर अर्थात क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और सबका विकास: प्रधानमंत्री मोदी
समुद्रों के माध्यम से आर्थिक संपन्नता हासिल करने के भारत के प्रयास भारत में बदलाव लाने के हमारे प्रयासों का हिस्सा हैं: प्रधानमंत्री
‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत रक्षा विनिर्माण और जहाज निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है: प्रधानमंत्री
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में बना नीला चक्र ‘ब्लू इकॉनोमी’ की संभावनाओं को दिखाता है: प्रधानमंत्री मोदी
मैं तटीय क्षेत्रों के युवाओं को वास्तविक संपदा मानता हूं: प्रधानमंत्री मोदी

आंध्र प्रदेश के माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री,

मेरी कैबिनेट के साथियों;

विदेशी नौसेनाओं के प्रतिनिधियों;

भारतीय नौसेना के बहादुर जवानों और महिलाओं; और

इस महान शहर विशाखापट्टनम के साहसी लोगों,

मुझे विशाखापट्टनम की यात्रा का मौका मिला। यह शहर सभी भारतीयों के दिलों में अहम स्थान रखता है।

मैं पिछली बार अक्टूबर, 2014 में विशाखापट्टनम की यात्रा पर आया था। उस समय चक्रवात हुदहुद ने यहां खासी तबाही मचाई थी। लेकिन विपरीत हालात में भी विशाखापट्टनम के लोगों के चेहरे पर मुस्कान बनी रही। यह शहर के लिए सम्मान की बात है कि 14 महीनों के भीतर फिर उठ खड़ा हुआ और इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में सभी महाद्वीपों से आई नौसेनाओं का स्वागत कर रहा है। लगभग एक साल पहले हमने यहां समुद्र की भारी तबाही देखी थी। यह विशाखापट्टनम के लोगों का साहस ही है कि हम आज यह चर्चा कर रहे हैं कि कैसे समुद्र हमारी संपन्नता के स्रोत बन सकते हैं।

उनके उत्साह और संकल्प के लिए हम सभी विशाखापट्टनम शहर को सलाम करते हैं।

मैं इस फ्लीट रिव्यू को सफल बनाने की दिशा में दिखाए गए समर्पण के लिए भारतीय नौसेना बधाई देता हूं।

मैं इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को सहयोग देने के लिए मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू का भी आभारी हूं।

मैं व्यक्तिगत रूप से अंतरराष्ट्रीय नौसेनाओँ के बीच के सौहार्द्र को देख रहा हूं, जो एक शानदार अनुभव है।

महज तीन महीने पहले अक्टूबर में हमने दिल्ली में हुए तीसरे भारत-अफ्रीका समिट में पहली बार सभी 54 अफ्रीकी देशों का स्वागत किया था, जिसमें 40 देशों के प्रमुख भी शामिल थे।

अगस्त 2015 में भारत ने जयपुर में हुए भारत-प्रशांत द्वीपीय भागीदारी (इंडिया-पैसिफिक आइसलैंड कोऑपरेशन) के दूसरे फोरम के लिए 14 देशों के प्रमुखों की मेजबानी की थी।

उसे पहले हमने गुवाहाटी में 12वें दक्षिण एशियाई खेलों के लिए सार्क देशों की अगवानी की थी।

आज हमें भारत के दूसरे इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू जो भारत के पूर्वी तटरक्षक बल का पहला रिव्यू है, में हमें दुनिया के हर कोने से आईं 50 देशों की नौसेनाओं का स्वागत करके खासी खुशी हो रही है।

आपकी मौजूदगी भागीदारी और मित्रता का संदेश है, जिसे लेकर हम खासे उत्साहित हैं।

अपने देशवासियों की तरफ से मैं हमारा आमंत्रण स्वीकार करने और इसी भावना के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं।

आज की भीड़ को देखते हुए भारत इस साल अप्रैल में होने वाली पहली ग्लोबल मैरीटाइम समिट की पूरे उत्साह के साथ मेजबानी करेगा।

इसकी प्राथमिकता भारत और अन्य सामुद्रिक देशों के बीच कारोबार/निवेश/ प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक जुड़ाव को बढ़ाना और मजबूत बनाना है।

मित्रों,

समुद्र और दुनिया के जलमार्गों का वैश्विक स्तर पर समान इस्तेमाल होता है। वसुधैव कुटुंबकम् – विश्व एक परिवार की अवधारणा, काफी हद तक इस ग्रह के समुद्रों में नजर आता है। ये समुद्र हम सभी को जोड़ते हैं।

पिछली बार भारत ने वर्ष 2001 में मुंबई शहर में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू की मेजबानी की थी। 2016 में दुनिया खासी अलग हो चुकी है।

राजनीति में खासी उथलपुथल है और चुनौतियां जटिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही समुद्र वैश्विक संपन्नता की जीवनरेखा बन चुके हैं। वे हमारे राष्ट्रों के निर्माण के लए बड़े आर्थिक अवसर मुहैया कराते हैं। हमारा 90 फीसदी वैश्विक कारोबार समुद्रों के रास्ते ही होता है।

पिछले 15 साल में यह 6 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 20 लाख करोड़ डॉलर हो चुका है। वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए समुद्र खासे अहम हैं, क्योंकि वैश्विक तेल उत्पादन का 60 फीसदी समुद्री मार्गों से जाता है।

समुद्रों से आर्थिक फायदे लेना काफी हद तक हमारी उन क्षमताओं पर निर्भर करता है, जिनके सहारे हम सामुद्रिक चुनौतियों से पार पा सकते हैं। समुद्र आधारित आतंकवाद की चुनौती जिसका सीधे तौर पर भारत पीड़ित रहा है, क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए मुश्किलें पैदा करती रही है। पायरेसी भी एक बड़ी चुनौती रही है।

सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियां भी मौजूद हैं। तेल रिसाव, जलवायु परिवर्तन जैसी मानव जनित समस्याओं के चलते समुद्री क्षेत्र की स्थिरता के प्रति जोखिम बना रहता है।

इस प्रकार क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक शांतिपूर्वक और स्थिर समुद्री पर्यावरण बेहद अहम है। समुद्री पर्यावरण की संपन्नता को बढ़ाना भी जरूरी है।

आधुनिक दौर की चुनौतियों की व्यापकता और जटिलता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुद्री स्थिरता दुनिया के हर राष्ट्र के लिए जरूरी है।

सभी समुद्र तटीय राष्ट्रों का यह साझा लक्ष्य और जिम्मेदारी है।

इस लिहाज से दुनिया की नौसेनाओं और समुद्री एजेंसियों को मिलकर काम करने और एक एक व्यापक चक्रीय भागीदारी कायम करने की जरूरत है। इसके साथ ही जहां जरूरी है, वहां पर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में संचार व्यवस्थाओं की सुरक्षा के लिए काम करने की भी जरूरत है।

मेरा मानना है कि यदि समुद्रों से हमारी अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहन मिलता है, तो हमें यह जरूर करना चाहिएः

- समुद्रों का शांति, मित्रता और विश्वास बढ़ाने व टकराव रोकने में इस्तेमाल हो;
- नौवहन की स्वतंत्रता और सम्मान को सुनिश्चित करना; और
- समुद्री चुनौतियों से निबटने के लिए भागीदारी करें, न कि प्रतिस्पर्धा

इस फ्लीट रिव्यू में बड़ी संख्या में विदेशी नौसेनाओं की मौजूदगी से इस बात की पुष्टि होती है कि समुद्री क्षेत्रों को सुक्षित रखना वैश्विक शांति के लिए साझा जरूरत है।

मित्रों,

भारत एक समुद्री राष्ट्र है और हमेशा से रहा है।

भारत के प्राचीन संस्कृत साहित्य में समुद्रों को चतुर्दशानम रत्नानम, 14 रत्नों का भंडारगृह कहा गया है।

तीन तरफ से समुद्र से घिरे भारत का समुद्र तट 7,500 किलोमीटर लंबा है।

हम लंबे समय से समुद्री धरोहर के लिहाज से संपन्न रहे हैं। गुजरात का लोथल बंदरगाह दुनिया में सबसे पहले बने बंदरगाहों में से एक रहा है।

हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति हमें दूसरी संस्कृतियों से जोड़ती है, हमारे समुद्री व्यापार मार्गों को आकार देती है, भारत की सामरिक स्थिति को प्रभावित करती है और हमारे समुद्री महत्व को दर्शाती है।

घाटी सभ्यता के दिनों से भारत ने अफ्रीका, पश्चिम एशिया, भूमध्यसागरीय क्षेत्र, पश्चिम, दक्षिण-पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व के देशों के साथ समुद्री संबंधों के व्यापक नेटवर्क को कायम रखा है।

हम खुश हैं कि इन सभी क्षेत्रों की नौसेनाओं ने इस फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लिया।

‘मैरीटाइम हेरिटेज ऑफ इंडिया’ पर फोटो एस्से बुक जिसका मैंने हाल में विमोचन किया है, से संपन्न समुद्री परंपरा का प्रदर्शन होता है।

मित्रों,

आधुनिक दौर में भी समुद्र विशेषकर हिंद महासागर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक संपन्नता में अहम स्थान रखता है। हिंद महासागर का पानी 40 से ज्यादा देशों के तटों को स्पर्श करता है।

दुनिया के कंटेनर यातायात का लगभग आधा और दुनिया के कार्गो ट्रैफिक का लगभग एक-तिहाई इसी क्षेत्र से गुजरता है।

हमारे ट्रेड का 90 फीसदी और तेल आयात का 90 फीसदी समुद्रों के माध्यम से ही होता है।

भारत के 1,200 द्वीपीय क्षेत्र और हमारे 24 लाख वर्ग किलोमीटर के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन से हिंद महासागर के आर्थिक महत्व का पता चलता है।

हमारे लिए यह हमारे तात्कालिक और हाल के समुद्री पड़ोसियों के साथ सामरिक रिश्तों को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है।

बीते साल मार्च में मॉरिशस में मैंने हिंद महासागर के लिए अपने विजन के बारे में बताया था।

हिंद महासागर क्षेत्र मेरी नीतिगत प्राथमिकताओं में अहम है। हमारी सोच हमारे विजन ‘सागर’ से भी जाहिर होती है, जिसका मतलब है ‘समुद्र’ और ‘सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन।’

हम समुद्रों विशेषकर हिंद महासागर में अपने भू-राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक हितों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाते रहेंगे।

इस लिहाज से भारत की आधुनिक और बहु-पक्षीय नौसेना आगे बढ़कर अगुआई करती है। यह शांति और बेहतरी के लिए काम करने वाला बल है।

राजनीतिक और आर्थिक समुद्री साझेदारी के बढ़ते नेटवर्क और क्षेत्रीय फ्रेमर्क को मजबूत बनाने से हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलती है।

मित्रों,

भारत के समुद्रों के माध्यम से आर्थिक संपन्नता हासिल करने के प्रयास हमारी परिवर्तित भारत की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है।

हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में महज बेहतर स्थान नहीं हैं। क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम एक स्थिर और विकास के एक अहम केंद्र भी हैं।

भारत क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व सुरक्षा को बरकरार रखने के लक्ष्य के साथ समरसता से आगे बढ़ता है।

देश के भीतर खासा आशावाद, उत्साह और ‘कर सकते हैं’ की सोच है।

यह आशावाद हमारे आत्म-विश्वासी युवाओं की ऊर्जा और उद्यम से आता है।

यह हमारे देश के बदलाव की दिशा में साहसी और टिकाऊ कदमों, कानूनों, प्रक्रियाओं और संस्थानों में सुधार से आता है।

हम नई योजनाओं को लॉन्च कर रहे हैं और लोगों को सशक्त बनाने के लिए अवसर पैदा कर कर रहे हैं और राष्ट्र की प्रगति के लिए उनके भीतर अपनेपन की भावना पैदा कर रहे हैं।

‘मेक इन इंडिया’ ऐसी ही एक पहल है, जिसने हमारे विनिर्माण क्षेत्र को रफ्तार दी है। रक्षा विनिर्माण और जहाज निर्माण पर हमारा खासा जोर है।

13 फरवरी तक सात दिनों में हम मुंबई में ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत वैश्विक संवाद करेंगे।

इस दौरान वैश्विक उद्योग के सर्वश्रेष्ठ लोगों को भारत में नवाचार, डिजाइन और विनिर्माण के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।

हम मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड में दुनिया का स्वागत करना चाहते हैं।

यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इस फ्लीट रिव्यू में भारतीय नौसेना के सभी जहाज भाग ले रहे हैं और इनमें से कम से कम 37 भारत निर्मित हैं। आने वाले वर्षों में यह संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी।

हमारा ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम ऐसे संस्थानों का निर्माण कर रहा है, जो हमारे 80 करोड़ युवाओं को उद्यमशीलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षण, सहयोग, प्रोत्साहन और गाइडेंस देगा।

हमारे कुशल युवा 21वीं सदी की राष्ट्रीय और वैश्विक कार्यबल की मांग को पूरा करने के लिए तैयार हैं।

मेरे ‘ब्लू इकोनॉमी’ के विजन में भारत का बदलाव बेहद अहम है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में नीला चक्र है, जो ब्लू इकोनॉमी में मौजूद संभावनाओं को जाहिर करता है।

इस मुहिम का अहम भाग भारत के तटों और द्वीपीय क्षेत्रों का विकास है, जिसका मतलब सिर्फ पर्यटन नहीं है।

हम तटीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के नए केंद्र बनाना चाहते हैं और समुद्री संसाधनों को भुनाया जा सके। हमारे लक्ष्यों में समुद्री अनुसंधान को बढ़ावा देना, पर्यावरण अनुकूल विकास, समुद्री औद्योगिक और प्रौद्योगिकी बेस और मछली पालन आदि शामिल हैं।

इस प्रयास में मैं तटीय क्षेत्रों के युवाओं को वास्तविक संपदा मानता हूं। वे समुद्र की स्वाभाविक और गहरी समझ रखते हैं।

वे भारत में ब्लू इकोनॉमी के विकास की अगुआई कर सकते हैं। भारत के सभी तटीय राज्यों की भागीदारी से मैं देश के तटीय इलाकों के युवाओं के विशेष स्किलिंग इंडिया कार्यक्रम को आकार देना चाहता हूं।

मित्रों

अंत में मैं एक बार फिर से इस भव्य आयोजन के लिए भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं।

धन्यवाद।

जय हिंद!

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।