प्रधानमंत्री मोदी ने समुद्री भारत शिखर सम्मेलन 2016 का उद्घाटन किया
समुद्री परिवहन परिवहन का सबसे व्यापक माध्यम बन सकता है। यह परिवहन का सबसे पर्यावरण के अनुकूल माध्यम भी है: प्रधानमंत्री
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भारत में पानी और नदी नेविगेशन नीति के जनक है: प्रधानमंत्री
मैं इस शुभ दिन पर डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को सम्मानपूर्वक नमन करता हूँ: प्रधानमंत्री
बाबासाहेब ने पानी, नेविगेशन और बिजली से संबंधित दो मजबूत संस्थानों का निर्माण किया: प्रधानमंत्री
सात प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर की जीडीपी के साथ भारत आज सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था: प्रधानमंत्री
हम भारतीय एक शानदार समुद्री विरासत के वारिस: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की स्थिति को फ़िर से मजबूत करने और इसे पुराना गौरव दिलाने के लिए हमारी सरकार प्रयासरत: प्रधानमंत्री
हमारा विजन है - 2025 तक बंदरगाह की क्षमता 1400 लाख टन से बढ़ाकर 3000 लाख टन करना: प्रधानमंत्री
भारत का एक शानदार समुद्री इतिहास रहा है। हम समुद्र तटीय क्षेत्र के भविष्य को और बेहतर करने की दिशा में अग्रसर हैं: प्रधानमंत्री

आदरणीय महाराष्ट्र के राज्यपाल महोदय;

आदरणीय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री;

कोरिया के महामहिम मंत्री श्री किम यंग-सक

हमारे केंद्रीय जहाजरानी मंत्री, श्री नितिन गडकरी

मंच पर विराजमान अन्य पदाधिकारीगण;

प्रतिनिधियों, देवियों और सज्जनों!

मेरीटाइम इण्डिया समिट में आपके साथ होकर एवं आपका स्वागत कर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है। यह प्रथम अवसर है जब भारतवर्ष द्वारा इतने बड़े स्तर पर एक वैश्विक आयोजन किया जा रहा है। भारत के समुद्रीय केंद्र में इस आयोजन में हि्सा ले रहे सभी सम्मानित अतिथियों का मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं। मैं आश्वस्त हूं कि सम्मेलनों एवं प्रदर्शनियों समेत यह आयोजन मेरीटाइम क्षेत्र में नये अवसरों एवं प्रचलनों को दिखाएगा।

हम सभी जानते हैं कि समुद्र पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत हिस्सा कवर करते हैं। हम यह भी जानते है कि पृथ्वी पर मौजूद पानी का सत्तानवे प्रतिशत समुद्रों में पाया जाता है। इसलिये समुद्री परिवहन आवागमन का सर्वाधिक विस्तृत साधन हो सकता है। पर्यावरण के लिहाज से भी यह सबसे अच्छा परिवहन है। हालांकि, इस तथ्य में एक पक्ष और है। वह यह है कि हमारे ग्रह पर रहने योग्य स्थानों का निन्यानवे प्रतिशत समुद्र में है। इसका अर्थ यह है कि हमारी जीवनचर्या, परिवहन के साधन एवं व्यापार का आचार समुद्रों के पारिस्थितिकी तंत्र को हानि न पहुंचाए। साथ ही समुद्री सुरक्षा, आवागमन की स्वतंत्रता एवं समुद्री रास्तों की संरक्षा एवं सुरक्षा भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों ने दर्शाया है कि समुद्रों एवं हिमनदों की पारिस्थितिकी में परिवर्तन मानव व्यवहार तक में बदलाव ला सकता है। द्वीप देशों एवं विशेषकर समुद्रवर्ती समाजों में यह पहले ही चिंता का कारण बना हुआ है। मैं आशा करता हूं कि इस समिट में समुद्र संबंधी आर्थिक मसलों पर चर्चा के दौरान इन बिंदुओं पर चर्चा होगी। समुद्र में होने वाली डकैती का खात्मा इसका अच्छा उदाहरण है कि समुद्रवर्ती देशों के संयुक्त प्रयासों से किस प्रकार उत्कृष्ट नतीजे पाए जा सकते हैं।

मित्रों! 14 अप्रेल 2016 को इस महत्वपूर्ण समिट को आयोजित करने का एक कारण है। आज भारत के एक महान पुत्र जो मुंबई में भी रहे थे एवं कार्य किया था, की 125 वीं जन्मशती है। मैं डॉक्टर बी आर अम्बेडकर की बात कर रहा हूं जो हमारे संविधान के शिल्पकार हैं। वह भारत में जलक्षेत्र एवं नदियों में होने वाली परिवहन नीति के निर्माता भी हैं। आज के शुभ दिन मैं डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को अगाध सम्मान देता हूं। मैं यह अभिलाषा भी रखता हूं एवं प्रार्थना करता हूं कि उनकी शिक्षाएं देश निर्माण हेतु हमारा मार्ग प्रशस्त करती रहें।

हम में से बहुत लोगों को यह पता नहीं है कि बाबासाहब ने पानी, नौपरिवहन एवं विद्युत संबंधी दो शक्तिशाली संस्थाओं की रचना की है। यह थेः केंद्रीय जलमार्ग, सिंचाई एवं नौपरिवहन आयोग एवं केंद्रीय तकनीकी वैद्युत बोर्ड। इन संस्थाओं का निर्माण करते समय उनके विचार उनकी ज़बरदस्त दूरदर्शिता का उदाहरण हैं।

3 जनवरी, 1945 को उनके संबोधन से मैं उद्वरण देता हूंः

"इन दो संस्थाओं की रचना हेतु निहित उद्देश्य इस पर सुझाव देना है कि जल संसाधन किस प्रकार बेहतर इस्तेमाल किये जा सकते हैं एवं एक परियोजना का सिंचाई के अतिरिक्त अन्य कार्य हेतु किस तरह उपयोग हो सकता है।"

डॉक्टर अम्बेडकर ने हमारे देश के लाखों निर्धनों की ख़ुशहाली के अध्याय की नींव के तौर पर नयी नौपरिवहन नीति की महत्ता पर ज़ोर दिया था। मैं यह बता कर प्रसन्न हूं कि बाबासाहब की दूरदर्शिता एवं अग्रदृष्टि के अनुरूप हमने राष्ट्रीय जलमार्गों की शुरुआत की है। सात प्रतिशत से अधिक की विकास दर के साथ भारत आज तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक ने आने वाले दिनों में और बेहतर संभावनाएं जताई हैं। हमारी विकास दर को तेज़ एवं समावेशी बनाना सुनिश्चित करने के लिये हम सक्रिय कदम उठा रहे हैं। यह समिट भारत को आर्थिक तौर पर शक्तिसम्पन्न, सामाजिक एवं तकनीकी तौर पर समृद्ध बनाने के बाबासाहब के सपनों को सच करने की दिशा में एक और कदम है। 

मेरी समझ में लगभग चालीस देशों से 4500 से भी अधिक पदाधिकारी एवं प्रतिनिधि इस समिट में हिस्सा ले रहे हैं। मैं विशेषकर प्रसन्न हूं कि कोरियाई गणतंत्र इस आयोजन में साझीदार देश है। मैं कोरिया के राष्ट्रपति को एवं यहां उपस्थित वरिष्ठ मंत्री श्री किम यंग-सक को धन्यवाद देता हूं।   

मित्रों! हम भारतीय शानदार समुद्री विरासत के उत्तराधिकारी हैं। लगभग 2500 ईस्वी पूर्व हड़प्पा सभ्यता के दौर में गुजरात के लोथल में विश्व का प्रथम बंदरगाह बनाया गया था। यह बंदरगाह जहाज़ों को जगह देने एवं उनकी देखभाल करने की सुविधाओं से युक्त था। इसका निर्माण ज्वारीय प्रवाहों के अध्ययन के बाद किया गया था।  

दो हज़ार वर्ष पहले लोथल के अतिरिक्त कुछ अन्य भारतीय बंदरगाह भी थे जो वैश्विक समुद्री व्यापार के प्रधान चालक थे। इनमें यह शामिल थेः  

. बैरिगज़ा- जो आज गुजरात में भरूच के तौर पर जाना जाता है;

. मुज़ीरिस- जो आज केरल में कोचीन के निकट कोडुंगालुर के तौर पर जाना जाता है।

. कोरकाई- जो आज तूतीकोरिन है;

. कावेरीपत्तिनम जो तमिलनाडु के नागपट्टिनम जनपद में स्थित है;

. एवं अरिकमेडु जो पुद्दुचेरी के अरियाकुप्पम जनपद में स्थित है। 

रोम, ग्रीक, मिस्र एवं अरब देशों के साथ भारत के जोशपूर्ण समुद्री व्यापार के कई उद्वरण भारत के प्राचीन साहित्य में एवं ग्रीक और रोमन साहित्य में मिलते हैं। प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय व्यापारियों ने दक्षिणपूर्वी एवं पूर्वी एशियाई देशों, अफ्रीका, अरब एवं यूरोप के साथ संपर्क बनाया हुआ था।

मित्रों! जबसे मेरी सरकार ने कार्यभार संभाला है, अन्य कार्यों के साथ, हमने भविष्य की अवसंरचना पर भी ज़ोर दिया है। इसमें कई क्षेत्रों में आने वाले वक्त़ में होने वाला ढांचागत निर्माण सम्मिलित है। पोत, जहाज एवं समुद्र संबंधी अवसंरचना इनमें मुख्य है। यह मेरी सरकार की कोशिश है कि वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा पुनर्जीवित हो।

हमारी शानदार समुद्री विरासत पर कार्य करते हुए हम इस क्षेत्र में नयी ऊंचाइयां छूने के लिये प्रयासरत हैं। हमारी सरकार के शुरुआती दिनों में हमने सागरमाला कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य हमारी लंबी समुद्री सीमा एवं प्राकृतिक समुद्री अनुकूलता का फायदा उठाना था। इसमें पत्तन आधारित विकास को प्रोत्साहित करने, तटवर्ती अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना एवं इन क्षेत्रों में ढांचागत व्यवस्था के विकास पर भी ज़ोर दिया गया था। हम विशेषकर हमारे पत्तनों का विकास कर उनको विशेष आर्थिक क्षेत्रो, पत्तन आधारित छोटे शहरों, औद्योगिक पार्कों, भंडारगृहों, साज़ोसामान पार्कों एवं परिवहन गलियारों के साथ समेकित करना चाहते हैं।

यहां यह बताना दीगर होगा कि 7500 किलोमीटर लंबी हमारी विशाल समुद्री सीमा बहुत बड़े निवेश की संभावनाओं से भरी है। समुद्री सीमा की लम्बाई के अलावा समुद्र में भारत की संभावनाएं सभी समुद्री राजमार्गों पर इसकी रणनीतिक स्थिति पर टिकी है। इसके अतिरिक्त हमारे पास विशाल एवं उत्पादक भीतरी प्रदेश है जिससे होकर बड़ी नदियों की मंडली बहती है। हमारा समुद्री एजेण्डा भीतरी क्षेत्रों में समानांतर रूप से जारी महत्वाकांक्षी ढांचागत योजनाओं का पूरक होगा।

मैं विश्व के व्यवसाई समाज से आग्रह करता हूं कि हमारे पत्तन आधारित विकास की प्रक्रिया को आकार देने में हमारे साथ साझीदार बनें। मैं आश्वस्त हूं कि भारत की लंबी तटरेखा के साथ-साथ विविध तटवर्ती क्षेत्र एवं तटवर्ती क्षेेत्रों में रहने वाला श्रमवान समाज भारत के विकास का आधार बन सकता है।

पत्तनों एवं संबंधित क्षेत्रों के विकास को संभव कर दिखाने के लिये हमने कई नये क़दम उठाए हैं एवं सुधार किये हैं:

· हमारी मेक इन इण्डिया एप्रोच के तहत हमने भारत को एक विश्वस्तरीय निर्माण केंद्र बनाने के लिये कई कदम उठाए हैं।

·हाल ही में मूडी ने मेक इन इण्डिया पहल की प्रशंसा की है।

·हमने व्यापार को सुगम बनाने के मोर्चे पर कई सुधार किये हैं- हमने इस मामले में विश्व रैंकिंग में 12 अंकों का सुधार किया है।

·सीमा पार होने वाले व्यापार की प्रक्रियाओं में काफी सरलीकरण हुआ है।

·हमने लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को उदार बनाया है, जिसमें रक्षा क्षेत्र एवं जहाज निर्माण भी शामिल हैं।

·शिपिंग पर सेवा कर में मिलने वाली छूट 70 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई है।

·जहाज के निर्माण में हमने कस्टम ड्यूटी में छूट प्रदान की है।

· जहाजों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिये वित्तीय योजनाएं स्वीकृत की गई हैं।

· बंकर ईंधन हेतु भारतीय झंडा लगे कंटेनर जहाजों के लिये कस्टम एवं एक्साइज ड्यूटी में छूट दी जाती है।

· समुद्र में लगने वाले करों से जुड़े मुद्दों का समाधान किया गया है।

· पत्तनों पर अंतिम दूरी तय करने के लिये इण्डियन पोर्ट रेल कॉर्पोरेशन नाम से एक नयी कम्पनी स्थापित की गई है।

· हमने 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के लिये एक क़ानून बनाया है।

· हमने कौशल विकास गतिविधियों को सक्रियतापूर्वक उठाया है।

हमारे शुरुआती प्रयासों के नतीजे स्पष्तः सामने हैः

· इस सरकार के आने के बाद एफडीआई में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वस्तुतः वर्ष 2015-16 में अब तक का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश हुआ है।

· भारत के बड़े पत्तनों द्वारा कार्गो संभालने की सर्वकालिक बड़ी मात्रा वर्ष 2015 में थी।

· पत्तनों की गुणवत्ता के मापदंडों में बहुत अच्छा सुधार हुआ है।

· पत्तनों में भारत का सबसे तेज़ औसत टर्नअराउंड समय 2015 में था।

· पिछले दो वर्षों में हमारे बड़े पत्तनों ने 165 मिलियन टन क्षमता हासिल की है जिसमें इस वर्ष रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

· अकेले वर्ष 2015-16 में इन पत्तनों द्वारा 94 मिलियन टन क्षमता जोड़ी गई जो अब तक सर्वाधिक है।

· वैश्विक मंदी के बावजूद पिछले दो सालों में बड़े बंदरगाहों पर ट्रेफिक में चार प्रतिशत से अधिक का विकास हुआ है।

· बड़े बंदरगाहों का पिछले दो सालों में प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा है।

· ऑपरेटिंग प्रोफिट मार्जिन, जो घट रहे थे, बढ़े हैं।

· अकेले वर्ष 2015-16 में 12 बड़े बंदरगाहों का ऑपरेटिंग प्रोफिट क़रीब 6.7 बिलियन रुपये बढ़ा है।

· वर्ष 2015-16 के दौरान गुजरात के कांडला बंदरगाह ने 100 मिलियन ट्रेफिक के पड़ाव को पार किया और क्षमता में 20 प्रतिशत की बेहतरी की।

· जवाहरलाल नेहरू पत्तन ट्रस्ट ने दस बिलियन रुपये का नेट प्रोफिट दर्ज किया साथ ही कार्यक्षमता में बारह प्रतिशत की बढ़ोतरी भी।

· बीते वर्षों के मुकाबले हमारी फ्लैगशिप कम्पनियों जैसे शिपिंग कॉर्पोरेशन, ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन एवं कोचीन शिपयार्ड ने अधिक मुनाफा कमाया।

हालांकि यह सिर्फ शुरुआत है। हम और अधिक करना चाहते हैं। हम क्रियान्वयन एवं अमलीजामे की हमारी अपनी क्षमताओं में इज़ाफा कर रहे हैं। सागरमाला परियोजना की राष्ट्रीय योजना आज जारी हो गई है। पिछले दो वर्षों के दौरान बड़े बंदरगाहों ने 250 बिलियन रुपये से अधिक की 56 नई परियोजनाएं शुरू की हैं। इससे वार्षिक तौर पर 317 मिलियन टन की अतिरिक्त पत्तन क्षमता जनित होगी। हमारे दृष्टिकोण में 2025 तक पत्तनों की क्षमता 1400 मिलियन टन से बढ़ाकर 3000 मिलियन टन करने की है। इस विकास को संभव करने के लिये हम चाहते हैं कि पत्तन क्षेत्र में एक लाख करोड़ का निवेश हो। भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुपात में बढ़ते एक्ज़िम ट्रेड की आवश्यकताओं को देखते हुए पांच नये पत्तनों की योजना है। भारत के बहुत से समुद्रवर्ती राज्य नये बंदरगाहों का विकास कर रहे हैं।

तटीय जहाजरानी को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए बहुपक्षीय कदम तथा घरेलू कोयला उत्पादन में वृद्धि की आशा से 2025 तक कोयले की तटीय आवाजाही बढ़ेगी। हम निकटतम और क्षेत्रीय पड़ोसियों के साथ शिपिंग तथा समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के बारे में काम कर रहे हैं। भारत ने हाल में बंग्लादेश के साथ तटीय शिपिंग समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते से दोनों देशों को लाभ होगा। भारत ईरान में चाहबहर बंदरगाह विकसित करने के काम में लगा है। विदेशों में समुद्री परियोजनाओं को देखने के लिए इंडिया पोट्स ग्लोबल लिमिटेड के नाम से स्पेशल परपस वेकिल स्थापित किया गया है।

मुझे बताया गया है कि शिपिंग मंत्रालय समुद्री क्षेत्र में निवेश अवसर वाली 250 परियोजनाएं की प्रदर्शनी लगा रहा है। इन परियोजनाओं में 12 बड़े बंदरगाह परियोजनाएं, 08 समुद्री राज्यों में परियोजनाएं और एजेंसियां शामिल हैं। इनमें 100 से अधिक परियोजनाओं की पहचान सागर माला कार्यक्रम के अंतर्गत की गई है। देश में 14,000 किलोमीटर समुद्री मार्ग है और इसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं। मेरी सरकार अवसंरचना एकीकरण के लिए संकल्पबद्ध है। हम निवेशकों के लिए सहज और सहायक वातावरण बनाने और खुले मन से निवेश में सहायता पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

मित्रों, यह सब कुछ सामान्य लोगों के लाभ के लिए किया जा रहा है। यह युवाओं को रोजगार देने के लिए किया जा रहा है और विशेषकर तटीय समुदाय के लोगों को सशक्त बनाने के लिए किया जा रहा है। भारत की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत 72 तटीय जिलों में रहती है और यह समुदाय भारत के भू-क्षेत्र के 12 प्रतिशत हिस्से में बसा है। इसलिए तटीय क्षेत्रों तथा तटीय समुदायों का समग्र विकास आवश्यक है। तटीय समुदाय विशेषकर मुछआरा समुदाय के विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सागरमाला कार्यक्रम के हिस्से के रूप में हम व्यापक दृष्टिकोण अपनाएंगे जिसका बल क्षमता सृजन तथा प्रशिक्षण, टेक्नोलॉजी उन्नयन तथा भौतिक और सामाजिक अवसंरचना में सुधार पर होगा। यह काम तटीय राज्यों के साथ मिलकर किया जाएगा।

इन कार्यक्रमों से अगले 10 वर्षों में लगभग 10 मिलियन रोजगार सृजन होगा। इसमें 04 मिलियन प्रत्यक्ष तथा 06 मिलियन अप्रत्यक्ष रोजगार होंगे। आजीविका के अवसरों को और व्यापक बनाने के लिए हम मछली मारने के लिए आधुनिक जहाज विकसित करने की योजना बना रहे हैं। इससे मछुवारा समुदाय को भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के संसाधनों के उपयोग का अवसर मिलेगा। इसके अतिरिक्त हम मछली पालन, जल संस्कृति तथा शीत भंडार चेन विकसित करने पर भी बल दे रहे हैं। भारत के बंदरगाह क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक बंदरगाह हैं और दोनों समुद्री क्षेत्र के विकास में योगदान कर रहे हैं। इस क्षेत्र में विकास का पीपीपी मॉडल काफी सफल रहा है और इससे आधुनिक टेक्नोलॉजी और श्रेष्ठ व्यवहारों को अपनाने में मदद मिली है। निजी क्षेत्र के बंदरगाह काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और उनकी क्षमता पिछले पांच वर्षो में दोगुनी हो गई है। कुल कार्गों का 45 प्रतिशत काम वही करते हैं।  अधिकतर बंदरगाह नए हैं और उनमें आधुनिक सुविधाएं हैं। ये बंदरगाह कार्य प्रदर्शन और अवसंरचना के मामले में अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों के स्तर के हैं।

मित्रों, भारत का समुद्री इतिहास गौरवशाली रहा है। हम और बेहतर समुद्री भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। समुद्री क्षेत्र से न केवल आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं बल्कि इससे देश और सभ्यताएं एक दूसरे से जुड़ती हैं। यह ग्रह तथा आने वाली पीढ़ियों का भविष्य है। लेकिन इस क्षेत्र में कोई भी देश अलग रहकर वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर सकता। राष्ट्रों को इस क्षमता का लाभ उठाने के लिए एक दूसरे से सहयोग करना होगा और इस क्षेत्र की चुनौतियों से निपटना होगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य ऐसे सहयोग के लिए मंच प्रदान करना है।

और अंत में मैं कहना चाहूंगा किः

  • यह भारत आने का सही समय है।
  • समुद्री मार्ग से आना और बेहतर है।
  • भारतीय जहाज लंबी दौड़ के लिए सुसज्जित हैं।
  • मत खोईए यह अवसर
  • इसे खोने का अर्थ है शानदार यात्रा और बड़े गंतव्य को खोना

आपके यहां आ जाने के बाद मैं व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करूंगा कि आपका यहां रहना सुरक्षित और संतोषजनक हो।

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Text of PM’s address at Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 23, 2024
It is a moment of pride that His Holiness Pope Francis has made His Eminence George Koovakad a Cardinal of the Holy Roman Catholic Church: PM
No matter where they are or what crisis they face, today's India sees it as its duty to bring its citizens to safety: PM
India prioritizes both national interest and human interest in its foreign policy: PM
Our youth have given us the confidence that the dream of a Viksit Bharat will surely be fulfilled: PM
Each one of us has an important role to play in the nation's future: PM

Respected Dignitaries…!

आप सभी को, सभी देशवासियों को और विशेषकर दुनिया भर में उपस्थित ईसाई समुदाय को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ‘Merry Christmas’ !!!

अभी तीन-चार दिन पहले मैं अपने साथी भारत सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन जी के यहां क्रिसमस सेलीब्रेशन में गया था। अब आज आपके बीच उपस्थित होने का आनंद मिल रहा है। Catholic Bishops Conference of India- CBCI का ये आयोजन क्रिसमस की खुशियों में आप सबके साथ जुड़ने का ये अवसर, ये दिन हम सबके लिए यादगार रहने वाला है। ये अवसर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी वर्ष CBCI की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं इस अवसर पर CBCI और उससे जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

पिछली बार आप सभी के साथ मुझे प्रधानमंत्री निवास पर क्रिसमस मनाने का अवसर मिला था। अब आज हम सभी CBCI के परिसर में इकट्ठा हुए हैं। मैं पहले भी ईस्टर के दौरान यहाँ Sacred Heart Cathedral Church आ चुका हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबसे इतना अपनापन मिला है। इतना ही स्नेह मुझे His Holiness Pope Francis से भी मिलता है। इसी साल इटली में G7 समिट के दौरान मुझे His Holiness Pope Francis से मिलने का अवसर मिला था। पिछले 3 वर्षों में ये हमारी दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। इसी तरह, सितंबर में न्यूयॉर्क दौरे पर कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन से भी मेरी मुलाकात हुई थी। ये आध्यात्मिक मुलाक़ात, ये spiritual talks, इनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो सेवा के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाती है।

साथियों,

अभी मुझे His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड से मिलने का और उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला है। कुछ ही हफ्ते पहले, His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को His Holiness Pope Francis ने कार्डिनल की उपाधि से सम्मानित किया है। इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक हाई लेवल डेलिगेशन भी वहां भेजा था। जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वभाविक है। मैं Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को फिर एक बार बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज आपके बीच आया हूं तो कितना कुछ याद आ रहा है। मेरे लिए वो बहुत संतोष के क्षण थे, जब हम एक दशक पहले फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्ध-ग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित बचाकर वापस लाए थे। वो 8 महीने तक वहां बड़ी विपत्ति में फंसे हुए थे, बंधक बने हुए थे। हमारी सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। अफ़ग़ानिस्तान के उन हालातों में ये कितना मुश्किल रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन, हमें इसमें सफलता मिली। उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी। उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता। इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बना दिए गए थे। हमारी सरकार ने वहाँ भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए। मैंने उन्हें भी अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब गल्फ देशों में हमारी नर्स बहनें संकट से घिर गई थीं, तो भी पूरा देश उनकी चिंता कर रहा था। उन्हें भी घर वापस लाने का हमारा अथक प्रयास रंग लाया। हमारे लिए ये प्रयास केवल diplomatic missions नहीं थे। ये हमारे लिए एक इमोशनल कमिटमेंट था, ये अपने परिवार के किसी सदस्य को बचाकर लाने का मिशन था। भारत की संतान, दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी विपत्ति में हो, आज का भारत, उन्हें हर संकट से बचाकर लाता है, इसे अपना कर्तव्य समझता है।

साथियों,

भारत अपनी विदेश नीति में भी National-interest के साथ-साथ Human-interest को प्राथमिकता देता है। कोरोना के समय पूरी दुनिया ने इसे देखा भी, और महसूस भी किया। कोरोना जैसी इतनी बड़ी pandemic आई, दुनिया के कई देश, जो human rights और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो इन बातों को diplomatic weapon के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए। उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की। लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की। हमने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयाँ पहुंचाईं, कई देशों को वैक्सीन भेजी। इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा। अभी हाल ही में, मैं गयाना दौरे पर गया था, कल मैं कुवैत में था। वहां ज्यादातर लोग भारत की बहुत प्रशंसा कर रहे थे। भारत ने वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, और वो इसका बहुत आभार जता रहे थे। भारत के लिए ऐसी भावना रखने वाला गयाना अकेला देश नहीं है। कई island nations, Pacific nations, Caribbean nations भारत की प्रशंसा करते हैं। भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

Friends,

The teachings of Lord Christ celebrate love, harmony and brotherhood. It is important that we all work to make this spirit stronger. But, it pains my heart when there are attempts to spread violence and cause disruption in society. Just a few days ago, we saw what happened at a Christmas Market in Germany. During Easter in 2019, Churches in Sri Lanka were attacked. I went to Colombo to pay homage to those we lost in the Bombings. It is important to come together and fight such challenges.

Friends,

This Christmas is even more special as you begin the Jubilee Year, which you all know holds special significance. I wish all of you the very best for the various initiatives for the Jubilee Year. This time, for the Jubilee Year, you have picked a theme which revolves around hope. The Holy Bible sees hope as a source of strength and peace. It says: "There is surely a future hope for you, and your hope will not be cut off." We are also guided by hope and positivity. Hope for humanity, Hope for a better world and Hope for peace, progress and prosperity.

साथियों,

बीते 10 साल में हमारे देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। ये इसलिए हुआ क्योंकि गरीबों में एक उम्मीद जगी, की हां, गरीबी से जंग जीती जा सकती है। बीते 10 साल में भारत 10वें नंबर की इकोनॉमी से 5वें नंबर की इकोनॉमी बन गया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने खुद पर भरोसा किया, हमने उम्मीद नहीं हारी और इस लक्ष्य को प्राप्त करके दिखाया। भारत की 10 साल की विकास यात्रा ने हमें आने वाले साल और हमारे भविष्य के लिए नई Hope दी है, ढेर सारी नई उम्मीदें दी हैं। 10 साल में हमारे यूथ को वो opportunities मिली हैं, जिनके कारण उनके लिए सफलता का नया रास्ता खुला है। Start-ups से लेकर science तक, sports से entrepreneurship तक आत्मविश्वास से भरे हमारे नौजवान देश को प्रगति के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। हमारे नौजवानों ने हमें ये Confidence दिया है, य़े Hope दी है कि विकसित भारत का सपना पूरा होकर रहेगा। बीते दस सालों में, देश की महिलाओं ने Empowerment की नई गाथाएं लिखी हैं। Entrepreneurship से drones तक, एरो-प्लेन उड़ाने से लेकर Armed Forces की जिम्मेदारियों तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपना परचम ना लहराया हो। दुनिया का कोई भी देश, महिलाओं की तरक्की के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। और इसलिए, आज जब हमारी श्रमशक्ति में, Labour Force में, वर्किंग प्रोफेशनल्स में Women Participation बढ़ रहा है, तो इससे भी हमें हमारे भविष्य को लेकर बहुत उम्मीदें मिलती हैं, नई Hope जगती है।

बीते 10 सालों में देश बहुत सारे unexplored या under-explored sectors में आगे बढ़ा है। Mobile Manufacturing हो या semiconductor manufacturing हो, भारत तेजी से पूरे Manufacturing Landscape में अपनी जगह बना रहा है। चाहे टेक्लोलॉजी हो, या फिनटेक हो भारत ना सिर्फ इनसे गरीब को नई शक्ति दे रहा है, बल्कि खुद को दुनिया के Tech Hub के रूप में स्थापित भी कर रहा है। हमारा Infrastructure Building Pace भी अभूतपूर्व है। हम ना सिर्फ हजारों किलोमीटर एक्सप्रेसवे बना रहे हैं, बल्कि अपने गांवों को भी ग्रामीण सड़कों से जोड़ रहे हैं। अच्छे ट्रांसपोर्टेशन के लिए सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो रूट्स बन रहे हैं। भारत की ये सारी उपलब्धियां हमें ये Hope और Optimism देती हैं कि भारत अपने लक्ष्यों को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है। और सिर्फ हम ही अपनी उपलब्धियों में इस आशा और विश्वास को नहीं देख रहे हैं, पूरा विश्व भी भारत को इसी Hope और Optimism के साथ देख रहा है।

साथियों,

बाइबल कहती है- Carry each other’s burdens. यानी, हम एक दूसरे की चिंता करें, एक दूसरे के कल्याण की भावना रखें। इसी सोच के साथ हमारे संस्थान और संगठन, समाज सेवा में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए स्कूलों की स्थापना हो, हर वर्ग, हर समाज को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के प्रयास हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामान्य मानवी की सेवा के संकल्प हों, हम सब इन्हें अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं।

साथियों,

Jesus Christ ने दुनिया को करुणा और निस्वार्थ सेवा का रास्ता दिखाया है। हम क्रिसमस को सेलिब्रेट करते हैं और जीसस को याद करते हैं, ताकि हम इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें, अपने कर्तव्यों को हमेशा प्राथमिकता दें। मैं मानता हूँ, ये हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है, सामाजिक दायित्व भी है, और as a nation भी हमारी duty है। आज देश इसी भावना को, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ऐसे कितने ही विषय थे, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया, लेकिन वो मानवीय दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरूरी थे। हमने उन्हें हमारी प्राथमिकता बनाया। हमने सरकार को नियमों और औपचारिकताओं से बाहर निकाला। हमने संवेदनशीलता को एक पैरामीटर के रूप में सेट किया। हर गरीब को पक्का घर मिले, हर गाँव में बिजली पहुंचे, लोगों के जीवन से अंधेरा दूर हो, लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले, पैसे के अभाव में कोई इलाज से वंचित न रहे, हमने एक ऐसी संवेदनशील व्यवस्था बनाई जो इस तरह की सर्विस की, इस तरह की गवर्नेंस की गारंटी दे सके।

आप कल्पना कर सकते हैं, जब एक गरीब परिवार को ये गारंटी मिलती हैं तो उसके ऊपर से कितनी बड़ी चिंता का बोझ उतरता है। पीएम आवास योजना का घर जब परिवार की महिला के नाम पर बनाया जाता है, तो उससे महिलाओं को कितनी ताकत मिलती है। हमने तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम लाकर संसद में भी उनकी ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की है। इसी तरह, आपने देखा होगा, पहले हमारे यहाँ दिव्यांग समाज को कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें ऐसे नाम से बुलाया जाता था, जो हर तरह से मानवीय गरिमा के खिलाफ था। ये एक समाज के रूप में हमारे लिए अफसोस की बात थी। हमारी सरकार ने उस गलती को सुधारा। हमने उन्हें दिव्यांग, ये पहचान देकर के सम्मान का भाव प्रकट किया। आज देश पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में दिव्यांगों को प्राथमिकता दे रहा है।

साथियों,

सरकार में संवेदनशीलता देश के आर्थिक विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी होती है। जैसे कि, हमारे देश में करीब 3 करोड़ fishermen हैं और fish farmers हैं। लेकिन, इन करोड़ों लोगों के बारे में पहले कभी उस तरह से नहीं सोचा गया। हमने fisheries के लिए अलग से ministry बनाई। मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं देना शुरू किया। हमने मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की। समंदर में मछलीपालकों की सुरक्षा के लिए कई आधुनिक प्रयास किए गए। इन प्रयासों से करोड़ों लोगों का जीवन भी बदला, और देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

Friends,

From the ramparts of the Red Fort, I had spoken of Sabka Prayas. It means collective effort. Each one of us has an important role to play in the nation’s future. When people come together, we can do wonders. Today, socially conscious Indians are powering many mass movements. Swachh Bharat helped build a cleaner India. It also impacted health outcomes of women and children. Millets or Shree Anna grown by our farmers are being welcomed across our country and the world. People are becoming Vocal for Local, encouraging artisans and industries. एक पेड़ माँ के नाम, meaning ‘A Tree for Mother’ has also become popular among the people. This celebrates Mother Nature as well as our Mother. Many people from the Christian community are also active in these initiatives. I congratulate our youth, including those from the Christian community, for taking the lead in such initiatives. Such collective efforts are important to fulfil the goal of building a Developed India.

साथियों,

मुझे विश्वास है, हम सबके सामूहिक प्रयास हमारे देश को आगे बढ़ाएँगे। विकसित भारत, हम सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है। ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं। मैं एक बार फिर आप सभी को क्रिसमस और जुबली ईयर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।