आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री ई. एस. एल. नरसिम्हन,
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू,
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन,
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री श्री वाई. एस. चैधरी,
इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के जनरल प्रेसिडेंट प्रोफेसर डी. नारायण राव,
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए. दामोदरन,
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
देवियो एवं संज्जनो,
पवित्र शहर तिरुपति में देश एवं विदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ नए साल की शुरुआत करते हुए मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है।
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के मनोरम परिसर में इंडियन साइंस कांग्रेस के इस 104वें सत्र का उद्घाटन करते हुए मुझे खुशी हो रही है।
और इस साल के सत्र के लिए उपयुक्त विषय ‘राष्ट्रीय विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ चुनने के लिए मैं इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन की सराहना करता हूं।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
राष्ट्र हमेशा उन वैज्ञानिकों का आभारी रहेगा जिन्होंने अपनी दृष्टि, श्रम और नेतृत्व के जरिये हमारे समाज को सशक्त करने के लिए अथक परिश्रम किया है।
नवंबर 2016 में देश ने ऐसे ही एक जानेमाने वैज्ञानिक एवं संस्था निर्माता डॉ. एम. जी. के. मेनन को खो दिया। मैं उन्हें श्रद्धांजलि देने में आपके साथ हूं।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
आज हम बदलावों की जिस गति और परिमाण सामना कर रहे हैं वे अभूतपूर्व हैं।
हम इन चुनौतियों का मुकाबला कैसे करेंगे क्योंकि हम यह भी नहीं जानते हैं कि वे उत्पन्न हो सकती हैं? यह जिज्ञासा से संचालित वैज्ञानिक परंपरा की गहरी जड़ें हैं जो नई वास्तविकताओं को तत्काल अनुकूल बना देती हैं।
आज हम अपने लोगों और बुनियादी ढांचे पर जो निवेश कर रहे हैं उन्हीं निवेश से कल के लिए विशेषज्ञ तैयार होंगे। मेरी सरकार नवाचार पर जोर देते हुए मौलिक विज्ञान से लेकर व्यावहारिक विज्ञान तक वैज्ञानिक ज्ञान की विभिन्न धाराओं का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
साइंस कांग्रेस के पिछले दो सत्रों के दौरान मैंने आपके सामने देश की कई प्रमुख चुनौतियों और अवसरों को प्रस्तुत किया था। इन प्रमुख चुनौतियों में से कुछ स्वच्छ जल एवं ऊर्जा, खाद्य, पर्यावरण, जलवायु, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे प्रमुख क्षेत्रों से जुड़ी हैं।
साथ ही हमें विध्वंसक प्रौद्योगिकियों के उभरने पर बराबर नजर रखने और विकास के लिए उनका फायदा उठाने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। हमें अपनी प्रौद्योगिकी तत्परता और प्रतिस्पर्धा के लिए चुनौतियों एवं अवसरों का स्पष्ट तौर पर आकलन करने की जरूरत है।
मुझे बताया गया है कि पिछले साल के साइंस कांग्रेस में जारी टेक्नोलॉजी विजन 2035 के दस्तावेज से अब बारह प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए विस्तृत मार्गनिर्देश के तौर पर तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा नीति आयोग देश के लिए एक समग्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी दृष्टि तैयार कर रहा है।
साइबर-फिजिकल सिस्टम्स का तेजी से वैश्विक उभार एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। यह हमारे जनसांख्यिकीय विभाजन के लिए अभूतपूर्व चुनौतियां और दबाव पैदा कर सकता है। लेकिन अनुसंधान, रोबोटिक्स में प्रशिक्षण एवं कौशल, कृत्रिम बौद्धिकता, डिजिटल विनिर्माण, बिग डेटा एनालिसिस, डीप लर्निंग, क्वांटम कम्युनिकेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिये हम इसे अपार अवसर में तब्दील कर सकते हैं।
इन प्रौद्योगिकी को विकसित करने और इनका फायदा सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्रों, कृषि, जल, ऊर्जा एवं यातायात प्रबंधन, स्वास्थ्य, पर्यावरण, बुनियादी ढांचा एवं भू सूचना प्रणाली, सुरक्षा, वित्तीय प्रणाली और अपराध से निपटने जैसे क्षेत्रों में उठाने की जरूरत है।
हमें साइबर-फिजिकल सिस्टम्स में एक अंतर-मंत्रालयी राष्ट्रीय मिशन विकसित करने की जरूरत है ताकि हम बुनियादी तौर पर अनुसंधान एवं विकास के बुनियादी ढांचे, श्रमशक्ति और कौशल के निर्माण के जरिये हम अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
भारतीय प्रायद्वीप के चारों ओर महासागरों में हमारे तेरह सौ से अधिक द्वीप हैं। उससे हमें साढे सात हजार किलोमीटर समुद्र तट और 24 लाख वर्ग किलोमीटर विशेष आर्थिक क्षेत्र मिला है।
उनमें ऊर्जा, खाद्य, दवा और तमाम अन्य प्राकृतिक संसाधनों की अपार सभावनाएं मौजूद हैं। महासागरीय अर्थव्यवस्था को हमारे टिकाऊ भविष्य का एक महत्वपूर्ण आयाम होना चाहिए।
मुझे बताया गया है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एक गहरे महासागर मिशन शुरू करने के लिए काम कर रहा है ताकि जिम्मेदार तरीके से इन संसाधनों को तलाशा, समझा और दोहन किया जा सके। यह देश की समृद्धि और सुरक्षा के लिए एक सुधार योग्य कदम हो सकता है।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
हमारे बेहतरीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों को प्रमुख वैश्विक मानकों के अनुरूप बुनियादी अनुसंधान को और भी अधिक मजबूत करने पर जोर देना चाहिए। इन बुनियादी ज्ञान को नवाचार में परिवर्तित करने के साथ ही स्टार्टअप और उद्योग हमें समावेशी और टिकाऊ विकास हासिल करने में मदद करेंगे।
स्कोपअस (एससीओपीयूएस) डेटाबेस से पता चलता है कि वैज्ञानिक प्रकाशन के लिहाज से भारत अब विश्व में छठे पायदान पर पहुंच गया है। भारत इस ओर करीब 14 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है जबकि विश्व का औसत वृद्धि दर करीब 4 प्रतिशत है। मुझे विश्वास है कि हमारे वैज्ञानिक बुनियादी अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने, उसे प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करने और उसे समाज से जोड़ने की चुनौतियों को पूरा करेंगे।
भारत 2030 तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के शीर्ष तीन देशों में शामिल होगा और यह बेहतरीन प्रतिभा के लिए विश्व के सबसे आकर्षक जगहों में शुमार होगा। हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आज अपनी रफ्तार निर्धारित करनी है।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
विज्ञान को निश्चित तौर पर हमारे लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए। भारत सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जबरदस्त भूमिका की सराहना करता है। हमें शहरी-ग्रामीण विभाजन की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और हमें समावेशी विकास, आर्थिक वृद्धि एवं रोजगार सृजन के लिए काम करना चाहिए। इसके लिए एक व्यापक संरचना की जरूरत है जो सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करेगा।
बड़े, परिवर्तनकारी राष्ट्रीय मिशन को लागू करने और उन्हें आगे बढ़ाने में समर्थ होने के लिए हमें प्रभावी भागीदारी की जरूरत है जोे विभिन्न हितधारकों के व्यापक आधार को एकीकृत करेगी। इन अभियानों के प्रभाव को हम अपनी गहरी जड़ों और सहयोगी दृष्टिकोण को अपनाने से ही सुनिश्चित कर सकते हैं जो हमारी विविध विकास चुनौतियों को तेजी से और प्रभावी तरीके से दूर करने के लिए आवश्यक है। हमारे मंत्रालय, हमारे वैज्ञानिक, अनुसंधान और विकास संस्थान, उद्योग, स्टार्टअप, विश्वविद्यालय और आईआईटी संस्थान, सभी को साथ मिलकर निर्वाध तरीके से काम करना चाहिए। खासकर हमारे बुनियादी ढांचा और सामाजिक-आर्थिक मंत्रालयों को निश्चित तौर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग करना चाहिए।
हमारे संस्थान लंबी अवधि के अनुसंधान कार्यों के लिए एनआरआई सहित विदेश से उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को आमंत्रित करने पर विचार कर सकते हैं। हमें अपनी परियोजनाओं में पोस्ट-डॉक्टरेट अनुसंधान के विदेशी एवं एनआरआई पीएचडी छात्रों को शामिल करना चाहिए।
वैज्ञानिक डिलिवरी को सशक्त करने वाला एक अन्य कारक है ईज ऑफ डूइंग साइंस। यदि हम विज्ञान को परिणामोन्मुखी देखना चाहते हैं तो हमें उसे विवस नहीं करना चाहिए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना सरकार की प्राथमिकता है जो शैक्षिक संस्थानों, स्टार्टअप्स, उद्योग और अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं के लिए उपलब्ध हो सके। हमें अपने वैज्ञानिक संस्थानों में पहुंच की सहजता, रखरखाव, अतिरेकता एवं महंगे उपकरणों के की नकल जैसी समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता है। पेशेवर तरीके से प्रबंधित बड़े क्षेत्रीय केंद्रों को पीपीपी मॉडल के तहत स्थापित करने और उच्च मूल्य वाले वैज्ञानिक उपकरणों की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर विचार किया जाना चाहिए।
हमारे अग्रणी संस्थानों को स्कूल और कॉलेज सहित सभी हितधारकों से जोड़ने के लिए कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व की तरह वैज्ञानिक सामाजिक दायित्व की अवधारणा को भी दिमाग में बिठाना पड़ेगा। हमें विचारों और संसाधनों को साझा करने के लिए निश्चित तौर पर एक माहौल तैयार करना चाहिए।
भारत के हर कोने में सबसे अच्छे छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इससे हमारे युवाओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उच्च प्रशिक्षण का अवसर सुनिश्चित होगा और यह उन्हें प्रतिस्पर्धी दुनिया में रोजगार के लिए तैयार करेगा।
इस संदर्भ में मैं राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं से कहूंगा कि वे स्कूलों और कॉलेजों से जुड़कर उचित प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करें। इससे हमारे विशाल वैज्ञानिक एवं तकनीकी बुनियादी ढांचे के प्रभावी उपयोग और रखरखाव में भी मदद मिलेगी।
प्रत्येक प्रमुख शहर क्षेत्र में प्रयोगशालाओं, अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों को हब और स्पोक मॉडल की तरह कार्य करने के लिए आपस में संबद्ध होना चाहिए। इस प्रकार के हब प्रमुख बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराएंगे, हमारे राष्ट्रीय विज्ञान अभियानों को आगे बढ़ाएंगे और खोज व ऐप्लिकेशन के बीच कड़ी की भूमिका निभाएंगे।
अनुसंधान पृष्ठभूमि वाले कॉलेज शिक्षक आसपास के विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान और विकास संस्थानों से जुड़ सकते हैं। स्कूलों, कॉलेजों और पॉलिटेक्निक संस्थानों की श्रेष्ठता के लिए आउटरीच गतिविधियां आपके आसपास के शिक्षण संस्थानों में छिपी हुई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी श्रमशक्ति को जागृत करेंगी।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
स्कूली बच्चों में नए विचारों और नवाचारों की शक्ति के बीज बोने से हमारे नवाचार पीरामिड का आधार बढ़ेगा और हमारे राष्ट्र का भविष्य सुनिश्चित होगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस ओर कदम बढ़ाते हुए कक्षा 8 से 10 तक के छात्रों पर केंद्रित कार्यक्रम शुरू कर रहा है।
इस कार्यक्रम के तहत 5 लाख स्कूलों से स्थानीय जरूरतों पर केंद्रित 10 लाख उत्कृष्ट नए विचारों को तलाशा जाएगा और उन्हें संरक्षण एवं पुरस्कार दिया जाएगा।
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विषयों में दाखिला और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए छात्राओं को निश्चित तौर पर हमें समान अवसर मुहैया कराना चाहिए ताकि राष्ट्र निर्माण में प्रशिक्षित महिला वैज्ञानिकों की निरंतर भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए प्रौद्योगिकी जरूरतों का दायरा काफी व्यापक है जो उन्नत अंतरिक्ष, नाभिकीय एवं रक्षा प्रौद्योगिकी से लेकर स्वच्छ पेयजल, साफ-सफाई, अक्षय ऊर्जा, सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा आदि ग्रामीण विकास जरूरतों तक विस्तृत है।
दुनियाभर में उत्कृष्टता प्राप्त करते हुए हमें ऐसे स्थानीय समाधान विकसित करने की भी जरूरत है जो हमारे लिए खास अनुकूल हो।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक उपयुक्त वृहत-औद्योगिक मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है जो स्थानीय जरूरतों को पूरा करने और स्थानीय उद्यम एवं रोजगार सृजित करने के लिए स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल करे।
उदाहरण के लिए, हमें ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों के क्लस्टरों के लिए कुशल सह-सृजन पर आधारित प्रौद्योगिकी मेजबान तैयार करना चाहिए। इन प्रौद्योगिकी का उद्देश्य कृषि एवं जैव कचरों के उपयोग से बिजली, स्वच्छ पेयजल, फसल प्रॉसेसिंग और शीतगृह जैसी जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
योजना बनाने, निर्णय लेने और प्रशासन में विज्ञान की भूमिका कभी भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं रही है।
हमें अपने नागरिकों, ग्राम पंचायतों, जिलों और राज्यों के विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भू-सूचना प्रणालियों को विकसित और तैनात करने की जरूरत है। भारतीय सर्वेक्षण, इसरो और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समन्वित प्रयास परिवर्तनकारी हो सकता है।
सतत विकास के लिए हमें इलेक्ट्रॉनिक्स अपशिष्ट, बायोमेडिकल एवं प्लास्टिक अपशिष्ट और ठोस अपशिष्ट एवं अपशिष्ट जल समाधान जैसे गंभीर क्षेत्रों में अपशिष्ट से धन प्रबंधन पर गंभीरतापूर्वक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
ऊर्जा दक्षता में सुधार और अक्षय ऊर्जा के कुशल उपयोग के लिए हम स्वच्छ कार्बन तकनीकी एवं अन्य प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण एवं जलवायु हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं। हमारे मजबूत वैज्ञानिक समुदाय भी इन अनोखी चुनौतियों से प्रभावी तौर पर निपट सकते हैं। उदाहरण के लिए, क्या फसलों को जलाने की समस्या से निजात के लिए हम किसान केंद्रित समाधान तलाश सकते हैं? उत्सर्जन घटाने और बेहतर ऊर्जा कुशलता के लिए क्या हम ईंट भट्ठियों का डिजाइन नए सिरे से तैयार कर सकते हैं?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जनवरी 2016 में शुरू किए गए स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम का एक प्रमुख कारक है। अन्य दो प्रमुख अभियान हैं अटल इनोवेशन मिशन और निधि- नैशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपमेंट एंड हार्नेशिंग इनोवेशंस। इन कार्यक्रमों के तहत नवाचार आधारित उद्यम के लिए माहौल तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा सीआईआई, फिक्की और उच्च प्रौद्योगिकी वाली निजी कंपनियों के साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिये नवाचार के लिए माहौल को मजबूती दी जा रही है।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
हमारे वैज्ञानिकों ने राष्ट्र की सामरिक दृष्टि में उल्लेखनीय योगदान किया है।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी देशों की जमात में खड़ा कर दिया है। लॉन्च व्हीकल के विकास, पेलोड और उपग्रह निर्माण, प्रमुख दक्षता एवं क्षमता निर्माण एवं विकास के लिए ऐप्लिकेशंस सहित अंतरिक्क्ष तकनीक में हम काफी आत्मनिर्भर हो चुके हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अपनी प्रणालियों एवं प्रौद्योगिकी के साथ सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
भारतीय विज्ञान को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हम पारस्परिकता, समानता और आपसी विनिमय के सिद्धांतों पर अंतरराष्ट्रीय सामरिक साझेदारी एवं भागीदारी का फायदा उठा रहे हैं। हम अपने पड़ोसी देशों और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों के साथ संबंध मजबूत बनाने पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। वैश्विक विज्ञान के बेहतरीन ज्ञान से हमें विज्ञान के रहस्यों को जानने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने में मदद मिल रही है। पिछले साल हमने उत्तराखंड के देवस्थल में भारत और बेल्जियम के सहयोग से तैयार 3.6 मीटर आप्टिकल दूरबीन को चालू किया था। हाल में हमने भारत में अत्याधुनिक डिटेक्टर प्रणाली तैयार करने के लिए अमेरिका के साथ एलआईजीओ परियोजना को मंजूरी दी है।
विशिष्ट प्रतिनिधिगण,
अंत में, मैं यह दोहराना चाहूंगा कि सरकार हमारे वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक संस्थानों को हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुझे विश्वास है कि हमारे वैज्ञानिक बुनियादी विज्ञान की गुणवत्ता से लेकर प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार तक के लिए अपने प्रयास बढ़ाएंगे।
आइये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को समावेशी विकास और हमारे समाज के सबसे गरीब एवं कमजोर तबकों की भलाई का एक मजबूत औजार बनाएं।
साथ मिलकर हम एक न्यायसंगत, समतामूलक और समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।
जय हिंद।
Nation will always be grateful to scientists who have worked tirelessly to empower our society by their vision, labour, and leadership: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Tomorrow’s experts will come from investments we make today in our people and infrastructure: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3Nre5
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Government is committed to supporting different streams of scientific knowledge: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Ranging from fundamental science to applied science with emphasis on innovations: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
We need to keep an eye on the rise of disruptive technologies and be prepared to leverage them for growth: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
One important area that needs to be addressed is the rapid global rise of Cyber-Physical Systems: PM @narendramodi https://t.co/Iy8hu3Nre5
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
There is a need to develop and exploit these technologies in services and manufacturing sectors: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Our best science and technology institutions should further strengthen their basic research in line with leading global standards: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Translating this basic knowledge into innovations, start-ups and industry will help us achieve inclusive and sustainable growth: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Science must meet the rising aspirations of our people: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Another empowering factor for scientific delivery is the Ease of Doing Science. If we want science to deliver, we must not constrain it: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
On the lines of Corporate Social Responsibility, concept of Scientific Social Responsibility needs to be inculcated (1/2)
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
to connect our leading institutions to all stakeholders, including schools and colleges: PM @narendramodi (2/2)
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
The brightest and best in every corner of India should have the opportunity to excel in science: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Seeding the power of ideas & innovation in schoolchildren will broaden the base of our innovation pyramid & secure future of our nation: PM
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
The role of science in planning, decision making and governance has never been more important: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
Our scientists have contributed strongly to the strategic vision of the nation: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017
The Government remains committed to provide the best support to our scientists and scientific institutions: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2017