स्वामी चिदानंद सरस्वती जी,
शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ जी महाराज,
स्वामी असंगानंद सरस्वती जी,
साध्वी भगवती सरस्वती जी,
संतों, आचार्यों, मित्रों,
मैं आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में आप लोगों से मिलकर काफी खुश हूं।
अपनी बात रखने से पहले मैं आपको भारत में हमारे वैज्ञानिकों की कुछ हालिया उल्लेखनीय उपलब्धियों के बारे में बताना चाहता हूं।
पिछले महीने हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया।
उन्होंने एक ही रॉकेट प्रक्षेपण के माध्यम से 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
इनमें से 101 उपग्रह अमेरिका, इजराइल, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, कजाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के थे।
हमारे रक्षा वैज्ञानिकों ने भी भारत को गौरवान्वित किया है।
11 फरवरी को उन्होंने अधिक ऊंचाई वाले एक बैलिस्टिक मिशाइल का सफल परीक्षण किया जो हमारे शहरों को मिसाइल हमलों के खिलाफ एक प्रभावी सुरक्षा कवच मुहैया करा सकता है।
कल उन्होंने कम ऊंचाई वाले एक इंटरसेप्टर मिशाइल का सफल परीक्षण किया और एक अन्य कामयाबी को अपने नाम कर लिया।
वर्तमान में यह क्षमता केवल चार के पास है।
मैं हमारे अंतरिक्ष और रक्षा वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं।
हमारे अंतरिक्ष और रक्षा वैज्ञानिकों की उपलब्धियों ने भारत की प्रतिष्ठा को पूरे विश्व में ऊंचा किया है।
भाइयों और बहनों,
भारत में हम मानते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर हमारा अनुसंधान आत्मा के भीतर की गहराई की खोज भी है जो दोनों विज्ञान और योग है।
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के आयोजन के लिए संभवत: ऋषिकेश से बेहतर कोई अन्य स्थान नहीं हो सकता था।
वास्तव में यह एक ऐसी जगह है जहां संत, तीर्थयात्री, आम आदमी और मशहूर हस्तियां समान रूप से शांति और योग के वास्तविक तत्वों की तलाश में सदियों से आते रहे हैं।
मैं ऋषिकेश में पवित्र गंगा नदी के तट पर बड़ी तादाद में दुनियाभर से आए लोगों को देख रहा हूं और इसे देखकर मुझे जर्मनी के महान विद्वान मैक्स मुलर का कथन याद आता है। उन्होंने कहा था-
'यदि मुझसे पूछा गया कि किस आसमान तले मानव मस्तिष्क ने अपने कुछ सर्वोत्तम उपहार विकसित किए, जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर गहराई से सोचा गया और समाधान निकाला गया, तो मुझे भारत की ओर इशारा करना चाहिए।'
मैक्स मुलर से लेकर आज ऋषिकेश में उपस्थित हुए आप में से तमाम लोग- जो अपनी साधना में बेहद सफल रहे हैं- जब वास्तविक सत्य की खोज के लिए आगे बढ़े तो उनका गंतव्य भारत रहा।
और अधिकतर मामलों में उस खोज ने उन्हें योग के लिए प्रेरित किया।
योग लोगों को जीवन के साथ जोड़ने और फिर मानव जाति को प्रकृति से जोड़ने की एक संहिता है।
यह हमारी स्वयं की सीमित भावना को विस्तार देता है ताकि हम अपने परिवार, समाज और मानव जाति को खुद के विस्तार के रूप में देख सकें।
इसलिए स्वामी विवेकानंद ने कहा था, 'जीवन का विस्तार ही मृत्यु का संकुचन है।'
योग के अभ्यास से एकता की भावना- मन, शरीर और बुद्धि की एकता- पैदा होती है।
हमारे परिवारों के साथ एकता, हम जिस समाज में रहते हैं उसके साथ, साथी मानव के साथ, सभी पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे, जिनके साथ हम अपने सुंदर ग्रह को साझा करते हैं, के साथ एक होना ही योग है।
'मैं' से 'हम' की यात्रा ही योग है।
व्यक्ति से समष्टि तक यह यात्रा है। मैं से हम तक की यह अनुभूति, हम से वयम तक का यह भाव विस्तार, यही तो योग है।
यह यात्रा एक प्राकृतिक सह-उत्पाद के रूप में अच्छे स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त लाभ, मन की शांति और यहां तक कि जीवन में समृद्धि प्रदान करती है।
योग व्यक्ति को विचार, क्रिया, ज्ञान और भक्ति में एक बेहतर मानव बनाता है।
योग को केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किए जाने वाले व्यायाम के रूप में देखना बिल्कुल अनुचित होगा।
योग शारीरिक व्यायाम से परे है।
आधुनिक जीवन के तनाव से शांति की खोज में अक्सर लोग तंबाकू, शराब और यहां तक कि ड्रग्स आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।
ऐसे में योग आपको कालातीत, सरल और स्वास्थ्यवर्द्धक विकल्प प्रदान करता है। इसके पर्याप्त प्रमाण हैं कि योगाभ्यास आपको तनाव एवं जीवनशैली संबंधी गंभीर स्थितियों से उबरने में मदद करता है।
दुनिया आज आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौतियों से भी जूझ रही है।
ऐसे में इन समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए दुनिया की नजरें भारत और योग पर टिक गई हैं।
जब हम विश्व शांति की बात करते हैं तो विभिन्न देशों के बीच भी शांति होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब समाज के भीतर शांति हो। केवल शांतिपूर्ण परिवार ही शांतिपूर्ण समाज का गठन कर सकते हैं। केवल शांतिपूर्ण व्यक्ति ही शांतिपूर्ण परिवार बना सकते हैं। योग व्यक्तियों, परिवार, समाज, राष्ट्र और अंतत: पूरी दुनिया में सद्भाव और शांति लाने का तरीका है।
योग के जरिये हम एक नए युग का निर्माण करेंगे जो एकता और समरसता का युग होगा।
जब हम जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की बात करते हैं तो हम उपभोग यानी 'भोग' की जीवनशैली से योग की ओर बढ़ना चाहते हैं।
योग अनुशासन एवं विकास की जीवनशैली के लिए एक मजबूत स्तंभ साबित हो सकता है।
ऐसे समय में जब निजी लाभ और उसे हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश करने पर जोर दिया जा रहा हो, योग एक अलग स्फूर्तिदायक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
योग का मतलब यह नहीं है कि आपने इससे क्या हासिल किया। बल्कि इसका तात्पर्य है कि आप क्या दे सकते हैं और किन चीजों से छुटकारा पा सकते हैं।
इसलिए योग हमें प्राप्ति के बजाय मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने परमार्थ निकेतन में अपने काम के माध्यम से इन महान आदर्शों को जीने का रास्ता दिखाया है।
दुनियाभर में योग को लोगों के बीच लाने के लिए परमार्थ निकेतन द्वारा किए जा रहे कार्यों की मैं सराहना करता हूं।
मुझे याद है कि स्वामीजी ने 11 खंडों में हिंदू धर्म की एनसाइक्लोपीडिया के संकलन में काफी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
ध्यान देने की बात यह है कि स्वामीजी और उनकी टीम ने एक चौथाई सदी से भी कम समय में अपना यह मिशन पूरा किया। और, उनके काम की गहराई अद्भुत है।
उन्होंने हिंदू धर्म के लगभग सभी पहलुओं को महज 11 खंडों में समाहित कर दिया।
वास्तव में यह एक ऐस कार्य है जो हर आध्यात्मिक साधक, योगी और यहां तक कि आम आदमी को भी लाभ पहुंचा सकता है।
हिंदू धर्म की एनसाइक्लोपीडिया जैसे कार्य को जब विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराया जाता है तो हमारी समझ और देश की अन्य परंपराओं एवं संस्कृतियों के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
यह विभिन्न समुदायों के बीच घृणा, गलतफहमी को दूर करता है और सहयोग, शांति एवं मित्रता को बढ़ावा देता है।
भारत को साफ-सुथरा बनाने के लिए जन आंदोलन के तौर पर शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन में काफी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भी मैं इस अवसर पर परमार्थ निकेतन की सराहना करता हूं।
भारतीय परंपराओं में व्यक्तिगत स्वच्छता पर काफी जोर दिया गया है। उसमें न केवल शरीर को साफ रखने पर जोर दिया गया है बल्कि घर, कार्यस्थल और पूजा करने की जगह की साफ-सफाई को काफी प्राथमिकता दी गई है।
इन जगहों की चार दीवारी के भीतर किसी भी तरह की अपशिष्ट या गंदगी के संचय को अशुद्ध माना जाता है।
यहां तक कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी निजी स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया गया है।
हालांकि यहां गंदगी को खुली जगहों पर फेंकने की प्रवृत्ति रही है।
लेकिन पश्चिमी और अन्य विकसित देशों में ऐसा नहीं है क्योंकि वहां सामुदायिक स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंध को कहीं अधिक स्पष्ट तौर पर समझा गया है। ऐसे में जल, भूमि और हवा जैसी सार्वजनिक वस्तुओं की स्वच्छता की निगरानी और उसेके प्रति जागरूकता काफी महत्वपूर्ण है।
इसलिए अच्छा स्वास्थ्य व्यक्तिगत कल्याण और पर्यावरण की भलाई के लिए किए गए सामूहिक प्रयास का नजीता है।
स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से हम सामुदायिक स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐतिहासिक तौर पर हमारे समाज में मंदिरों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
आमतौर पर रिहायशी क्षेत्र से दूर एक विस्तृत भूखंड पर मंदिरों का निर्माण किया जाता था।
हालांकि समय गुजरने के साथ-साथ मंदिरों के आसपास बाजार और रिहायशी कॉलोनी स्थापित होते हुए। और इस प्रकार गंदगी एक बड़ी चुनौती बन गई।
इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए स्वच्छ भारत मिशन में अब 'स्वच्छ आइकॉनिक प्लेसेज' परियोजना को भी शामिल कर लिया गया है।
पहले चरण में हमने कामाख्या मंदिर, जगन्नाथ पुरी, मीनाक्षी मंदिर, तिरुपति, स्वर्ण मंदिर एवं वैष्णो देवी मंदिर और उनके आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई है।
इसलिए स्वच्छ भारत मिशन- स्वच्छ भारत की तलाश- हमारे देश में विश्वासों और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है।
सितंबर 2014 में जब मैंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव दिया था तो दुनियाभर में योग के प्रति जबरदस्त उत्साह को हम सब ने देखा।
मैंने खुद योग के प्रति लोगों के सहज उत्साह के इस व्यापक प्रवाह की कल्पना नहीं की थी।
अप्रत्याशित संख्या में दुनियाभर के देशों ने हमसे हाथ मिलाया।
और अब हर साल ग्रीष्म संक्रांति- 21 जून - को योग के लिए दुनियाभर के लोग एकत्रित होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इतने सारे देशों का एक साथ आना योग के वास्तविक सार- एकजुटता - को दर्शाता है।
योग में एक नए युग (एक नए दौर) का अग्रदूत बनने की क्षमता है जो शांति, भाइचारे और मानव जाति की समस्त प्रगति का युग होगा।
भाइयों और बहनों,
महान हिमालय का आशीर्वाद आपके साथ हों।
आप गंगा नदी के तट पर योग के इस महान उत्सव का पूरा आनंद उठा सकें जहां हमारे संतों और ऋषियों ने सदियों से ध्यान किया है।
आप ऋषिकेश के आध्यात्मिक शहर और परमार्थ निकेतन के दिव्य परिवेश में ठहरने का आनंद उठा सकते हैं।
आप सब योग के फायदे से लाभान्वित हों।
मैं अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की जबरदस्त सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
बहुत-बहुत धन्यवाद।
There can be no better place than Rishikesh to host the @IntlYogaFest : PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 2, 2017
There is ample evidence that practicing Yoga helps fight stress and life-style related issues: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 2, 2017
Through Yoga, we will create a new Yuga of togetherness & harmony: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 2, 2017
I appreciate the work being done by @ParmarthNiketan in bringing Yoga closer to people across the world: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 2, 2017
I wish that the @IntlYogaFest becomes a grand success: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 2, 2017