हमारी परंपराओँ ने प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहने के महत्व पर बल दिया है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत आज विश्व की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, हम अपने लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए संकल्पबद्ध है: पीएम मोदी
हमने पिछले 2 वर्षों में 40 मिलियन नए रसोई गैस कनेक्शन दिए हैं, इससे ग्रामीण महिलाओं को जहरीले धुएं की त्रासदी से मुक्ति मिली है और लकड़ी पर निर्भरता समाप्त कर दी है: प्रधानमंत्री
हमने 2022 तक 175 गीगावॉट सौर तथा पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है: प्रधानमंत्री मोदी
हम जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर रहे हैं, हम जहां कहीं संभव है ईंधन के स्रोत बदल रहे हैं: पीएम मोदी
प्लास्टिक अब मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहा है: प्रधानमंत्री
पर्यावरणीय के नुकसान का सबसे ज्यादा असर गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है: प्रधानमंत्री मोदी
चलिए प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए हम सभी एक साथ जुड़ें और इस धरती को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना दें: पीएम मोदी

मेरे मंत्रिपरिषद के सहयोगी डॉ हर्षवर्धन, डॉ महेश शर्मा, श्री मनोज सिन्हा

कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

भारत और विदेश से आए प्रतिष्ठित अतिथिगण

देवियो और सज्जनों

भारत के तीन बिलियन लोगों की ओर से आप सभी का नई दिल्ली में स्वागत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है।

मुझे उम्मीद है कि विदेशों से आए प्रतिनिधियों के पास दिल्ली के इतिहास और गौरव को देखने के लिए कुछ समय मिलेगा।

हमें विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के लिए वैश्विक मेजबान बनने का गर्व है।

आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम सार्वभौमिक भाईचारे के प्राचीन मूल्यों को याद करते हैं। यह संस्कृत में वसुधैव कुटुम्बकम् के रूप में व्यक्त किया गया है जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है।

महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत में भी यह मूल्य दिखता है। उन्होंने कहा था कि पृथ्वी प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए काफी नहीं है।

हमारी परंपराओँ ने प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहने के महत्व पर बल दिया है।

यह प्रकृति के प्रति हमारे आदर व्यवहार में झलकता है। यह हमारे त्यौहारों और हमारी प्राचीन कृतियों में भी दिखता है।

देवियों औऱ सजनों,

भारत आज विश्व की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए संकल्पबद्ध है।

हम वह करने के लिए संकल्पबद्ध हैं जो सतत् औऱ हरित है।

इस दिशा में हमने पिछले दो वर्षों में 40 मिलियन नए रसोई गैस कनेक्शन दिए हैं।

इससे ग्रामीण महिलाओं को जहरीले धुएं की त्रासदी से मुक्ति मिली है।

इससे जलावन की लकड़ी पर उनकी निर्भरता खत्म हुई है।

 

इसी संकल्प के साथ भारत में 300 मिलियन एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। बिजली बचाने के अतिरिक्त इससे कार्बनडाईऑक्साइड को रोकने में मदद मिली है।

हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमने 2022 तक 175 गीगावॉट सौर तथा पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है।

हम विश्व में सौर ऊर्जा के पांचवें सबसे बड़ा उत्पादक हैं। इतना ही नहीं हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करने वाला छठां सबसे बड़ा देश है।

हमारा लक्ष्य प्रत्येक घर को बिजली कनेक्शन देना है जिससे पर्यावरण के लिए हानिकारक ईंधन पर निर्भरता घटेगी।

हम जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर रहे हैं। हम जहां कहीं संभव है ईंधन के स्रोत बदल रहे हैं। हम शहरों को बदल रहे हैं और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बदल रहे हैं।

हम युवा देश हैं। रोजगार सृजन के लिए हम भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केन्द्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

हमने मेक इन इंडिया अभियान लॉन्च किया है। ऐसा करते हुए हम शून्य दोष, शून्य प्रभाव विनिर्माण पर बल दे रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि विनिर्माण दोष रहित हो और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।

राष्ट्रीय निर्धारित योगदान के रूप में भारत 2005-2030 के दौरान अपने जीडीपी की 33 से 35 प्रतिशत उत्सर्जन तीव्रता कम करने के लिए संकल्पबद्ध है। हम 2030 के राष्ट्रीय निर्धारित योगदान को पूरा करने की राह में है।

यूएनईपी गैप रिपोर्ट के अनुसार भारत कोपेनहेगन संकल्प को पूरा करने की राह पर है। हम 2020 तक उत्सर्जन तीव्रता 20 से 25 प्रतिशत कम करेंगे।

हमारे राष्ट्रीय जैव-विविधता रणनीति मजबूत है। विश्व के केवल 2.4 प्रतिशत भूमि के साथ भारत रिकॉर्ड की गई प्रजाति विविधता के 7 से 8 प्रतिशत को समर्थन देता है। साथ-साथ भारत मानव आबादी के 18 प्रतिशत भाग को समर्थन प्रदान करता है। हमारे पेड़ और वन पिछले 2 वर्षों में एक प्रतिशत बढ़े हैं।

हमने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। बाघ, हाथी औऱ अन्य वन्यजीवों की आबादी बढ़ रही है।

हम जल उपलब्धता की समस्या के समाधान की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। यह भारत में बड़ी चुनौती बनती जा रही है। हमने नमामि गंगे कार्यक्रम प्रारंभ किया है। यह कार्यक्रम परिणाम देने लगा है और जल्द ही गंगा को संरक्षित करेगा।

भारत मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश है। कृषि के लिए जल की निरंतर उपलब्धता महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लॉन्च की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो की कोई भी खेत पानी के बिना नहीं रहे। हमारा नारा है अधिक फसल, प्रतिबूंद।

हमने व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया है कि हमारे किसान कृषि अवशेषों को जलाने के बजाय मूल्यवान पोषाहार के रूप में बदलें।

देवियों और सज्जनों

विश्व असुविधाजनक सच्चाई पर फोकस करता है लेकिन हम सुविधाजनक कार्रवाई की ओर बढ़े हैं। इसी कार्रवाई की वजह से भारत ने फ्रांस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन किया है। यह पेरिस सम्मेलन के बाद शायद पर्यावरण के क्षेत्र में अकेली सबसे बड़ी वैश्विक पहल है।

लगभग 3 महीने पहले 45 से अधिक देशों के नेता, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के स्थापना सम्मेलन में शामिल होने के लिए एकत्रित हुए थे।

मित्रों,

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौती का समाधान करना चाहता है।

प्लास्टिक अब मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहा है। इसमें से अधिकांश की रिसाइक्लिंग भी नहीं हो पाती है। इससे भी बुरी चीज यह है कि इसमें बड़ी मात्रा में गैर-जैव-अपघटन योग्य है।

प्लास्टिक प्रदूषण पहले से ही हमारे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर घातक प्रभाव डाल रहा है। वैज्ञानिकों और मछुआरों ने समान रूप से इस परेशानी को इंगित भी किया है। इसकी वजह से मछलियों की संख्या में गिरावट होने के साथ-साथ समुद्र के तापमान में गर्मी तथा समुद्री जीव विलुप्त हो रहे हैं

समुद्री कचरा, विशेष रूप से सूक्ष्म-प्लास्टिक एक प्रमुख समस्या है। भारत "स्वच्छ समुद्र अभियान" में शामिल होने की तैयारी कर रहा है और महासागरों को बचाने में अपना योगदान दे रहा है।

प्लास्टिक प्रदूषण अब हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहा है। यहां तक कि सूक्ष्म प्लास्टिक अब नमक, बोतलबंद पानी और नल के पानी जैसे हमारे बुनियादी भोजन में प्रवेश कर रहा है।

मित्रों,

विकसित दुनिया के कई हिस्सों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक खपत काफी कम है।

स्वच्छता और साफ-सफाई के हमारे राष्ट्रीय मिशन – ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का विशेष ध्यान "प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन" पर केंद्रित है।

कुछ समय पहले, मैंने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई प्रदर्शनी को देखा था। यहां हमारी कुछ सफल कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। इसके प्रतिभागियों में संयुक्त राष्ट्र, केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग तथा गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। मुझे उम्मीद है कि ये प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने का अनुकरणीय काम जारी रखेगें।

देवियो और सज्जनों

पर्यावरणीय नुकसान का सबसे ज्यादा असर गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है।

यह हम सबका कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि भौतिक समृद्धि की खोज के लिए हम अपने पर्यावरण से समझौता नहीं करेंगे।

सतत विकास के 2030 के एजेंडा के भाग के रूप में विश्व ने "किसी को पीछे मत छोड़ो" के विषय पर सहमत जताई थी। यह तब तक संभव नहीं है जब तक हम सभी यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि मातृ प्रकृति द्वारा जो हमें दिया गया है उसकी सुरक्षा भी हमें ही करनी है।

मित्रो,

यह भारतीय तरीका है। और विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर हमें इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ फिर से साझा करने में प्रसन्नता हो रही है।

अंत में, विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के वैश्विक मेजबान के रूप में, मैं सतत विकास के प्रति हमारी वचनबद्धता को दोहराता हूं।

चलिए प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए हम सभी एक साथ जुड़ें और इस धरती को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना दें।

आज हमारे पास जो विकल्प है वो हमारे सामूहिक भविष्य को परिभाषित करेंगे। विकल्प आसान नहीं हो सकतें हैं। लेकिन मुझे यकीन है कि जागरूकता, प्रौद्योगिकी और ईमानदार वैश्विक साझेदारी के माध्यम से, हम सही विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।

धन्यवाद।

 

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।